Wednesday, February 10, 2021

पिघल रहे हिमालय से आ सकती है भयानक विपत्तियां

ग्लोबल वार्मिंगअब एक जानामाना शब्द बन गया है। दुनिया मे कहीं प्रचंड बाढ़ आती है, तो कहीं भीषण अकाल पड़ रहा है, तो कहीं भूकंप रहा है, तो कहीं ज्वालामुखी फट रही है। ऋतुचक्र बदल रहा है। बरसात देर से शुरू होती है और देर से खत्म होती है। फ्रांस और स्विट्जरलैंड जैसे देश बारहों महीने बर्फ से आच्छादित आल्स पर्वत से घिरे हैं। वहां 45 डिग्री गर्मी पड़ती है। यूरोप के देश इस गर्मी के आदी नहीं हैं। पेरिस के रास्तों पर ठंडक के लिए फौव्वारे की व्यवस्था करनी पड़ती है। 

यह एक खतरनाक परिस्थिति है।

अगर ऋतुचक्र का यह परिवर्तन इसी तरह चलता रहा तो आने वाले सालोें में यूरोप के देशों में रहने वाले लोगों का जीवन मुश्किल भरा हो जाएगा। इस सब का कारण है अनियंत्रित औद्योगीकरण। रोजाना अरबों मोटर कारों का धुआं, उससे एत्सर्जित होने वाली हवा धरती के वातरवरण को विचलित कर रही है। लोगों का आधुनिक यंत्रें पर आधारित जीवन प्राकृतिक आपदाएं लेकर रहा है। 

एक शोध के अनुसार 2000 से 2020 के बीच हिमालय के ग्लेसियर्स पिघल कर अरबों टन बर्फ गंवा चुके हैं। पिघलने वाली बर्फ की मात्र 1975 से 2000 तक पिघली बर्फ से दो गुनी होने की संभावना है। बर्फ के पिघलने से नदियों में बाढ़ सकती है।

बढ़ रही गर्मी के कारण पिछले 40 सालो में हिमालय के ग्लेसियर्स की एक चौथाई बर्फ पिघल गई है। यही हाल अंटार्कटिका का भी है। अंटार्कटिका की बर्फ भी पिघल रही है। माना जाता है कि अंटार्कटिका और अंटार्कटिका के बाद दुनिया का तीसरा हिस्सा सबसे अधिक बर्फ हिमालय पर ही है। हिमालय पर स्थित कैलास पर्वत तो देवों के देव महादेव का निवासस्थान है। यह ऐसा हिमालय है, जहां हिमालय और मैना की बेटी के रूप में जन्मी देवी उमा ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। यह वही हिमालय है जहां ध्यान मेें बैठे शिव की नजर तपस्या कर रही उमा की ओर जाए, शिव उमा से विवाह करें और उनसे जो बेटा पैदा हो वह तारकासुर का वध करे। शिव को विचलित करने के लिए देवताओें ने कामदेव का सहारा लिया। कामदेव ने पुष्पधन्वा तीर चला कर शिव का ध्यान भंग किया। उनकी नजर उमा पर पड़ी और फिर ध्यान में जाकर शिव ने पता कर लिया कि यह कृत्य कामदेव का है। यह जानने के बाद अपना तीसरा नेत्र खोल कर कामदेव को जला कर राख कर दिया। परंतु देवताओं की इच्छा पर शिव उमा के साथ विवाह के लिए सहमत हुए और उनसे जो बेटा पैदा हुआ कार्तिकेय, उसने तारकासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की। इस तरह का पवित्र हिमालय अब अपना असली प्राकृतिक स्वरूप खो रहा है। 

कोलंबिया यूनीवर्सिटी के लामोर-डोहर्टी अर्थ ऑब्जर्वेटरी के वैज्ञानिक जोशुआ मोरेर ने एक शोध के बाद बताया है कि हिमालय के इस क्षेत्र में एक डिग्री सेल्सियस गर्मी बढ़ी है। इस शोध में सहायक की भूमिका अदा करने वाले जोअर्ग स्काफर ने बताया है  कि हिमालय पर एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि एक बड़ा परिवर्तन है। हिमालय के ग्ललेसियर्स में बर्फ की क्षति तापमान की वृद्धि के कारण हुई है और इस बात की जानकारी उपग्रहों द्वारा ली गई तस्वीरों से हुई है। अमेरिका के एच-9 हेक्सागॉन मिलिटरी उपग्रह ने हिमालय की तस्वीरोें को लिया था। इस उपग्रह ने 1973 से 1980 के बीच हिमालय की तमाम तस्वीरें ली थीं। इस उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरें सार्वजनिक की गई थीं और उन तस्वीरों को 3-डी मॉडल में बदला गया था। उन तस्वीरों के मॉडल्स को अभी जल्दी दूसरे उपग्रह द्वारा ली गई हिमालय की तस्वीरों से मिलाया गाय। चार वैज्ञानिकों ने हिमालय की लगभग 600 तस्वीरों को देखा है। 

ग्रीनलैंड की अपेक्षा हिमालय के ग्लेसियर्स का अध्ययन बहुत कम हुआ है। क्योंकि यह दुनिया के सब से अधिक खतरनाक क्षेत्रें में से एक है। वैज्ञानिकों का कहना है कि भौगोलिक और राजनैतिक मर्यादाओं के कारण यहां शोध का काम मुश्किल हो जाता है। 

हिमालय की पर्वतमाला लगभग 15 सौ मील लंबी है। इसी हिमालय से गंगा, यमुना ब्रह्मपुत्र, सिंधु जैसी अनेक नदियां निकलती हैं। बर्फ पिघलने का सीधा मतलब यह है कि स्थिर ग्लेसियर्स की तुलना में नदियों में जलप्रवाह बढ़ेगा, जिसके कारण उसमें से निकलने वाली नदियों में बाढ़ सकती है। इसके अलावा दूसरे अनेक सरोवर बन सकते हैं। ये तालाब भी आकस्मिक और विनाशकारी बाढ़ ला सकते हैैं। नेपाल में पोखरे के आसपास के गांवों मेें इसी कारण 2012 में प्रचंड बाढ़ आई थी और एक ही जलप्रवाह 60 लोगों को बहा ले गया था।

हिमालय पर शोध कर रहे ब्रिटिश ग्लेसियर वैज्ञानिक डंकन क्वींस का कहना है कि ग्लेसियर जिस तेजी से पिघल रहे हैं, वह चिंताजनक है। डंकन क्वींस नेपाल के खूंबु ग्लेसियर में एवरड्रिल नाम का एक प्रोजेक्ट चला रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के शोध में ग्लेसियर में बहुत गहराई तक ड्रिलिंग की जाती है और बर्फ के तापमान पर नजर रखी जाती है। एवरड्रिल के आंकड़ों से पता चला है कि ग्लेसियर अंदर से गरम हो रहे हैं और संभवतः बर्फ बहुत ज्यादा मात्र में पिघलने की बिंदु तक पहुंच गई है। काठमांडू स्थित इंटरनेशनल सेंटर फार इंटिग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग ग्लेसियरयुक्त ठंडे पर्वतों को एक सदी में कोराक्ट पर्वतों में बदल देगा। 

हिमालय के गलेसियर्स पर 350 जितने शोध करने वालों द्वारा किए गए शोध के बाद यह चेताननी दी गई है कि अगर 2100 तक में खनिज तेल और उसके उत्सर्जन में ज्यादा से ज्यादा कमी नहीं हुई तो हिमालय अपनी लगभग 66 प्रतिशत बर्फ खो देगा। कोलंबिया यूनीवर्सिट के वैज्ञानिक स्काफर ने कहा है कि भीषण गर्मी और हिमालय के कम होते जलप्रवाह के कारण एशिया को एक भारी विपत्ति का सामना करना पड़ेगा। इस खतरे से बचने के लिए सामाजिक जागरूकता के साथसाथ अर्थव्यवस्था के स्वरूप को भी बदलना पड़ेगा।

वीरेन्द्र बहादुर सिंह

जेड-436, सेक्टर-12, 


लैंगिक असंतुलन को समाप्त करने का संकल्प लेते है

हम  विश्व स्तर पर 11 फरवरी को विज्ञान में महिलाओं एवं बालिकाओं को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाते है, यह दिवस विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं एवं बालिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को चिन्हित करने के लिए मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिसंबर 2015 में, 11 फरवरी को विज्ञान में महिलाओं एवं बालिकाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने का प्रस्ताव अपनाया गया था। याद रहे आज 21 वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए, हमें अपनी पूरी क्षमता का दोहन करने की आवश्यकता है, इसके लिए लैंगिक रूढ़ियों को खत्म करने की आवश्यकता है। इसका अर्थ है की महिला वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के कैरियर का समर्थन करना होगा ,वैसे ये दिवस पहली बार 2016 में ही  मनाया  गया था, इस दिन को मनाएं जाने के उद्देश्य  विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित  के क्षेत्र में महिलाओं एवं बालिकाओं की समान सहभागिता और भागीदारी सुनिश्चित करना है,देश तेजी के साथ विकास के पथ पर तभी बढेगा जब देश की महिलाये , लड़कियां शिक्षित होंगी विज्ञान के क्षेत्र में भी ,विज्ञान में महिलाओं और लड़कियों के इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर, आइए आज हम विज्ञान में लैंगिक असंतुलन को समाप्त करने का संकल्प लें।विज्ञान के क्षेत्र में लैंगिक अंतराल के पीछे मुख्य कारण अक्सर  यह पाया है कि  विभिन्न अध्ययनों में  बालिकाएँ स्कूल में गणित और विज्ञान-उन्मुख विषयों में उत्कृष्टता प्राप्त करती हैं, लेकिन आत्मविश्वास की कमी के कारण इन विषयों को उच्च शिक्षा के स्तर पर नहीं अपनाती हैं, इसका असल वजह तो बचपन में ही हम देखते है की घर से ही भेदभाव लड़को व लड़कियों में होने लगता है ,हम सभी ने देखा है की अगर किसी परिवार में दो बच्चे जुड़े जन्म लेते है,तो देखने में आता है की अगर एक लड़की हो तो उसको अक्सर गुड़िया ,और खाना बनाने वाले खेलने का खिलौने लाकर दिया जाता है,वही लड़को को बहादुरी वाले बंदूक और बाइक यही से भेदभाव शुरू होता ,जो धीरे धीरे लड़कियों के दिमाग में भर दिया जाता है ,खैर आज लड़कियां जहाज से लेकर मिसाइल तक उड़ा रही है , जबकि वही इसीलिए तो बालकों में यह पहले से ही आत्मविश्वास होता ​​है कि वे बेहतर कर सकते हैं, यही आत्मविश्वास उन्हें उच्च शिक्षा के स्तर पर गणित और विज्ञान-उन्मुख विषय अपनाने के लिये प्रेरित करता है, नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि विज्ञान उन्मुख विषयों में महिलाओं के प्रवेश की समस्या प्रत्येक क्षेत्र में एक समान नहीं है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्कूल स्तर पर बालिकाओं के बीच इंजीनियरिंग या भौतिक विज्ञान या रसायन विज्ञान जैसे विषयों को लोकप्रिय बनाने के लिये हस्तक्षेप किया जा सकता है।बालिकाओं के बीच विज्ञान उन्मुख विषयों के प्रति आत्मविश्वास को बढ़ने के लिये गैर सरकारी संगठनों की सहायता प्राप्त की जा सकती है, जिससे उनकी समय-समय पर काउंसलिंग की जा सकती है।


Tuesday, February 9, 2021

निजी कोचिंग सेंटर में बच्चों ने किया साबुन दान,

साबुन दान आयु दान

बिदुपुर (वैशाली) संवाद सूत्र दैनिक अयोध्या टाईम्स


 बिदुपुर प्रखण्ड क्षेत्र के खानपुर पकड़ी पंचायत के चकबिहार गांव में फंडामेंटल कोचिंग सेंटर पर आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम भारत एवं डीएफआइटी के तहत साबुन बैंक तथा साबुन ATM का उद्घाटन कोचिंग के डायरेक्टर के द्वारा फीता काट कर किया गया,इस दौरान कोचिंग के सभी बच्चों ने तरह तरह के साबुन कोई लाइफ बॉय, तो कोई डेटॉल तों,कोई डव साबुन का दान साबुन बैंक व साबुन ATM मे किया, इस मौके पर आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम भारत में एचवीसीसी ऑफिसर मोहम्मद इकबाल ने कोचिंग सेंटर पर बच्चों को साबुन दान के बारे मे बताते हुए कहा कि पहले हमलोग रक्त दान सुनते थे अंग दान सुनते थे आज साबुन दान की जरूरत आ पड़ी है क्योकि साबुन दान आयु दान से कम नहीं है क्यूंकि नियमित साबुन से हाथ धुलाई करने से हमारा स्वस्थ स्तिथि बेहतर होगी और स्वास्थ स्तिथि बेहतर होगी तो आयु वृद्धि तय है, साबुन बैंक का महत्व और कोविड-19 कोरोना वायरस बीमारी से बचाव के लिए साफ सफाई पर ट्रिगर किया गया, इस मौके पर कोचिंग सेंटर के डायरेक्टर सहित सभी शिक्षक उपस्थित थे ।

भाजपा की दीवार लेखन शुरू


सीतारामपुर : कुल्टी विधानसभा भाजपा द्वारा विधानसभा चुनाव घोषणा होने के पहले ही कमर कस ली है। इलाके में दीवार लेखन कार्यकर्ता द्वारा करते देखा जा रहा है। कमल का चिन्ह दीवारों में बनाया जा रहा है। सिर्फ प्रत्याशी का नाम का जगह खाली छोड़ दिया जा रहा है। नियामतपुर, सांकतोड़िया में मंगलवार कि सुबह भाजपा के जिला स्तर से बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता को दीवार लेखन करते देखा गया।

दीवार लेखन करने के दिवार लेखन के दौरान जिला नेता अमीत मुखर्जी ने कहा कि हमारे सारे कार्यकर्ता उच्च नेतृत्व के आदेश पर दीवार लेखन कार्य सभी जगह शुरू कर दिया है। पार्टी जिसे भी टिकट दे हमारा लक्ष्य उसे भारी मतों से विजय दिलाना रहेगा। किसी प्रकार भी तृणमूल का तानाशाही गुंडाराज यह सिंडिकेट सरकार को उखाड़ फेंकना। है हम सभी कार्यकर्ता पूरे जोश के साथ मैदान में उतर गए हैं। उनके साथ मौके पर संजू दास, रणधीर दाश, सिद्धार्थ चौहान, दुलाल बनर्जी, दीनू माजी नियामतपुर में मंडल 3 के अध्यक्ष अमित गोराई, उपाध्यक्ष कंचन सिन्हा, करण सिंह, धीरज गिरी दिनेश मोदी सहित कार्यकर्ता गण उपस्थित थे।