Saturday, February 13, 2021

हर कर्म अपना करेंगे ऐ वतन तेरे लिए

आज दुनियाभर में जहां लोग प्यार के नशे में डूबे हुए अपने प्यार का इजहार करने में लगे हैं वहीं भारत में उन शहीदों को याद किया जा रहा है जो 2019 में 14 फरवरी को ही पुलवामा आतंकी घटना में शहीद हो गए थे। देश पर हुए इस भीषण और कायराना हमले में सेना के 40 जवान शहीद हो गए थे, इस आतंकी हमले ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया को हिलाकर रख दिया था। आज उसी आतंकी हमले की दूसरी बरसी है और पूरा देश अपने जाबांज शहीदों की शहादत को नमन कर रहा है। 

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि  पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी थी ,जिसमें हमारे 40 जवान शहीद हो गये और कई गंभीर रूप से घायल हुए थे । यह दिन इतिहास में एक और वजह से भी दर्ज है,  दरअसल 14 फरवरी को वैलेंटाइंस डे के तौर पर लोग मानते है। इसे इस रूप में मनाने की भी अपनी एक कहानी है। कहते हैं कि तीसरी शताब्दी में रोम के एक क्रूर सम्राट ने प्रेम करने वालों पर जुल्म ढाए तो पादरी वैलेंटाइन ने सम्राट के आदेशों की अवहेलना कर प्रेम का संदेश दिया, लिहाजा उन्हें जेल में डाल दिया गया और 14 फरवरी 270 को फांसी पर लटका दिया गया। प्रेम के लिए बलिदान देने वाले इस संत की याद में हर वर्ष 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाने का चलन शुरू हुआ, लेकिन आज हम अपने शहीद हुए जवानों के याद में आज शहादद दिवस के रूप में मना रहे,देश के इन वीर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि पूरा देश आज दे रहा है ।।
पूरा भारत देश दिया  नम आंखों से  विदाई।
वीर शहीदों को प्रणाम,रोक न सकोगे आज रुलाई।
 पुलवामा की धरती में, जिन वीरों का खून जला। 
उनकी मां को नमन करें हम, जिनको ये बलिदान मिला।

ग्लेशियर का टूटना और उससे होने वाली भयानक तबाही


उत्तराखंड के चमोली जिले में 7 फरवरी 2021 को कुदरत ने तांडव मचा दिया। सुबह 10:30 से 11:00  के करीब नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटा तो सारा मंजर भयानक तबाही में बदल गया। न बादल फटा, न बारिश हुई, हिमालय की चोटी पर अचानक हलचल हुई, ग्लेशियर दरका और सैलाब का समंदर फूट पड़ा। ग्लेशियर टूटने से ऋषि गंगा नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया और इस सैलाब के सामने डैम, मकान, इंसान जो भी आया वह बहता चला गया। पानी और मलबे के साथ मौत चुपके से पहाड़ से नीचे उतरी और कई मासूमों को अपने साथ बहा ले गई। कुदरत के इस कहर से पूरा उत्तराखंड थर्रा उठा। वर्ष 2013 की केदारनाथ महाप्रलय की तस्वीर फिर से आंखों में तैर गई।
           चमोली में यह तबाही किस वजह से आई इसका ठोस कारण तो अभी पता नहीं चला है, किंतु यह बड़ा सवाल उठ रहा है कि 7 सालों में दूसरी बार ऐसी त्रासदी क्यों आई? क्या हम किसी बहुत बड़े संकट के मुहाने पर खड़े हैं? इसका पता लगाना अब बहुत जरूरी है। उत्तराखंड के चमोली की विनाशकारी घटना का कारण है ग्लेशियर का टूटना। इसका मतलब यह है कि ग्लेशियर के किसी हिस्से के टूटने या फटने के कारण उत्तराखंड के चमोली में ऋषि गंगा नदी में फ्लैश फ्लड आया, हिमस्खलन के बाद नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया और तबाही मचाते हुए सैलाब तेजी से नीचे आने लगा। 
            बहुत ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में सालों तक भारी बर्फ जमा होने और एक जगह इकट्ठे होने पर ग्लेशियर बन जाते हैं। ये ग्लेशियर ज्यादातर आइस शीट यानी बर्फ की परतों के रूप में होते हैं और जब कोई भूगर्भीय हलचल होती है तो इन पर्तों के बीच हरकत होने से ये ग्लेशियर कई बार टूट जाते हैं। ग्लेशियर एक प्रकार के नेचुरल डैम हैं, ये नेचुरल डैम हाइट पर बनते हैं। जब कोई ग्लेशियर अपनी जगह छोड़ देता है तो इसके पीछे जो पानी ब्लॉक करके जमा होता है वह पूरी तरह बह जाता है। कई बार ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भी ग्लेशियर के बड़े-बड़े टुकड़े टूटने लगते हैं, इसे ही ग्लेशियर बर्स्ट कहते हैं। हालांकि इस सर्दी के मौसम में उत्तराखंड में इस प्रकार ग्लेशियर का टूटना एक हैरानदायक घटना है, क्योंकि जानकारी के मुताबिक जब बहुत ज्यादा बर्फबारी होती है और बहुत ऊंचे इलाकों में पहाड़ी नदियां और झीलें जमकर ग्लेशियर बन जाती हैं तो इनके टूटने या फटने का खतरा बढ़ जाता है। हिमालय के इलाकों में कई ऐसी झीलें हैं जहां ग्लेशियर फटने का खतरा हमेशा बना रहता है।
      चमोली में हुई त्रासदी का सटीक कारण खोजने की अभी बहुत आवश्यकता है। यह आपदा इतनी भीषण थी कि ऋषि गंगा नदी में प्रलय आ गई और इसका बहाव इतना ताकतवर था कि 13 मेगा वाट पावर का एक हाइड्रो प्रोजेक्ट भी इसमें बह गया। इस सैलाब के रास्ते में जो भी आया बहता चला गया। ऋषि गंगा का दाहिना छोर और धौलीगंगा के बीच का संपर्क सभी से टूट गया, कई पुल बह गए, लोग गायब हैं, गांव का संपर्क टूट गया। तबाही कितनी हुई है अभी इसका सही आंकलन नहीं हो पाया है।
        ग्लेशियर अपने साथ कितने इंसान बहा ले गया, कितना नुकसान किया, कितनी बर्बादी हुई, इसका अंदाजा लगाना अभी बहुत मुश्किल है, लेकिन जो भयानक तस्वीर तबाही की दिखाई दे रही है, वो रोंगटे खड़े करने वाली है। 
        केदारनाथ धाम में साल 2013 में 13 से 17 जून के बीच भारी बारिश के बाद यहां का चौराबाड़ी ग्लेशियर पिघल गया था, जिसके कारण मंदाकिनी नदी ने विकराल रूप ले लिया था और पर्वतीय इलाकों से गुजरता नदी का पानी केदारनाथ धाम तक पहुंच गया था। बाढ़ के कारण सबसे अधिक नुकसान केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब जैसे स्थानों पर हुआ था।
       उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी का ग्लेशियर टूट कर जब ऋषि गंगा में गिरा तो नदी का जलस्तर बढ़ गया। यह नदी रैणी गांव में जाकर धौलीगंगा से मिलती है, इसी के बाद पूरी तबाही शुरू हुई। सबसे ज्यादा नुकसान ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट और एनटीपीसी के तपोवन हाइड्रो प्रोजेक्ट को हुआ है। तपोवन बैराज के पास एक 60 मीटर लंबा भारत और चीन सीमा को जोड़ने वाला पुल था, इसे बीआरओ ने बनाया था और इस पुल के जरिए ही हमारी आर्मी चीन के बॉर्डर तक पहुंचती थी, वह पुल भी इस सैलाब में बह गया। जिस समय यह तबाही आई पावर प्रोजेक्ट में कई लोग पावर हाउस और सुरंग के आसपास काम में जुटे थे। सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि आसपास के लोगों की उन्हें चेतावनी देने की सभी कोशिशें नाकाम रहीं, जब तक वे संभल पाते उससे पहले ही वे नदी के प्रवाह में समा गए। ऋषि गंगा नदी के साथ आया हजारों टन मलबा आसपास के इलाके में फैल गया और कई मजदूर उसके अंदर दब गए, जिससे कुछ देर पहले का पूरा मंजर ही बदल गया।

रंजना मिश्रा ©️®️

परिणय सूत्र

जब एक स्त्री पुरूष परिणय सूत्र मे बंधते है तो पुरूष का कुछ नही बदलता वही स्त्री का सबकुछ बदल जाता है यहा तक कि उसका अपना नाम भी उसकी अब तक की पहचान खो जाती है। आपसे जुड़ते ही एक नयी पहचान बनती है एक नया नाम मिलता है जिससे वो जानी और पहचानी जायेगी जीवन भर... नया नाम मिलते ही उसका अस्तित्व ही मिट जाता है जैसे पानी  मे घुलकर चीनी विलीन हो जाती है पर मिठास छोड़ देती है वैसे ही स्त्री अपना वजूद खोकर आपमे घुल जाती है आपके पानी रूपी जीवन को मिठास से भर देती है। 


जब एक स्त्री बेटी से माँ बनने का सफर तय करती है तो कदम कदम पर उसे त्याग ही करना पड़ता है कभी बेटी या बहन के रुप मे कभी बहू या पत्नी के रुप मे और कभी माँ के रुप मे त्याग ही त्याग...जब लड़की बहू  बनकर एक नयी दुनिया मे प्रवेश करती है तो अनेको जिम्मेदारियां होती है जिसका निर्वाह उसे सफलता पूर्वक करना होता है।

जिस घर मे आजीवन उसे रहना है वहा के हर कोने से वो अंजानी होती है सारे चेहरे  अजनबी होते है जिसे अपना बनाना होता है। यहा तक जिसकी वो अर्धांगिनी बनकर आयी है वो भी पराया होता है उससे बिल्कुल अंजाना होता है। कितनी मुश्किलें होती है उसके नये जीवन मे कितनी कठिन परीक्षा लेती है जिन्दगी पर वह डरती नही है हाँ थोड़ी घबरा जाती है पर उसकी सहनशीलता और उसका धैर्य सदा उसके हौसलों को बढ़ाते रहते है उसका मनोबल बढ़ते जाता है।

धीरे धीरे अपने कुशल व मधुर व्यवहार से सारे अजनबी लोगो को अपना बना लेती है विविध रंगो के मोतियों को अपने प्यार और विश्वास के धागें मे पिरोती जाती है।सब एक साथ  गूँथते जाते है सुंदर सी रिश्तों की माला बनने लगती है पर इस रिश्तों की  माला का सबसे अहम हिस्सा कड़ी होता है जो दोनो सिरो को जोड़े रखता है और वो मजबूत कड़ी आप बनते है।

 ये दायित्व आपका होता है आप की भी जिम्मेदारी उतनी ही होती  है जितना की आपकी पत्नी की क्यूकि उसका पूरा जीवन धागें की तरह छुपा ही रह जाता है सामने आप दिखते है उसकी महत्ता को समझे उसने तो पूरी दुनिया अपनी आप मे समेट ली है आप उसे खुद मे समेट ले इतनी सी उसकी चाहत होती है।

जब वह माँ बनती है अपने ज़िस्म मे एक नन्ही सी जान को पालती है अपने लहू से सींचती है अपने अंश को हर पल स्वयं मे महसूस करती है माँ बनने के सुखद अहसास को जीती है उसे लगता है  उसका नारी जीवन सार्थक हो गया उसने अपना दायित्व परिपूर्ण कर लिया मौत से लड़कर जब अपने अंश को इस दुनिया मे लाती है कितनी संतुष्ट होती है उसे निहारते आघाती  नही उसकी इस खुशी मे भी नियति का स्वांग होता है यहा भी उसे त्याग ही करना है कोख उसकी, अंश उसका, दर्द उसने सहा , तड़पी वो, जन्म उसने दिया पर उसका तो कही नाम ही नही उस बच्चें को पहचान तो उसके पिता के नाम से मिलना है  माँ का नाम तो कही नही माँ तो माँ है त्याग और ममता की मूरत इतने सारे त्याग करने के बाद भी वह खुश रहती है अपनी खुशियां आप सबमे तलाशती रहती है आप खुश तो वो भी खुश हो जाती है।

सरल भाषा मे कहूँ तो स्त्री जीवन बहुत जटिल है पर एक सुलझी और समझदार स्त्री सहजता से अपने सारे कर्तव्यों  का निर्वाह कर लेती है क्यूकि उसके परिवार का साथ होता है। अपने साथी को सदा सम्मान और प्यार दे हर क्षेत्र मे एक दूसरे के सहभागी बने पति पत्नी दो शरीर एक आत्मा होते है क्यूकि दो जब एक होते है तभी सृजन होता है इस पवित्र रिश्तें की मर्यादा को समझे और विश्वास से निष्ठा पूर्वक निर्वाह करे कभी उसके वजूद को खोनें न दे क्यूकि वो आप मे खो चुकी है आपकी हो चुकी है। 


प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"

वहम

खुद के अहम

और वहम में
खुद को खुदा
माना छोड़ दो।
सब की तकदीरे
वो ऊपर वाला ही लिखता है
खुद को शातिर
समझना छोड़ दो।
मैं रहूं न रहूं
इस धरा में
वो सदा ही
वास करता रहेगा
हर जगह में।
मैं मिट्टी में मिट्टी
हो जाऊंगा,
ये कोई नई बात नहीं
मगर वो खुदा
मिट्टी से फिर मुझे बनाएगा
बस ये बात याद रखना।