Tuesday, November 21, 2023

कालगणना

आज मैं आपको मनुष्यों के समयसीमा और देवताओं के समयसीमा में अंतर बताने का प्रयास करूंगा। हालांकि इसका मेरे पास कोई शास्त्र प्रमाण नहीं है परन्तु शास्त्रों में वर्णित समय व हमारे द्वारा बोले गए संकल्प का आधार लेकर ही प्रयास किया है।


घंटा मिनट वैज्ञानिक समय है, इसलिए मैं इसी से शुरुआत करूँगा। जैसा कि आप जानते हैं, 60 सेकेंड का 1 मिनिट, 60 मिनिट का 1 घंटा होता है दिन और रात्रि को 24 घंटे में बांटा गया है। 3 घंटे का 1 प्रहर होता है इसलिए 4 प्रहर रात्रि के और 4 प्रहर दिन के होते हैं। 7 दिन को सप्ताह और 15 दिन को पक्ष बताया गया है। दो पक्ष का 1 माह और 12 माह का 1 वर्ष होता है। 360 वर्ष का 1 दिव्यवर्ष यानी देवताओं का एक वर्ष होता है।
जिस प्रकार 30 दिन को महीना कहते हैं 12 महीने को वर्ष कहते हैं उसी प्रकार 432000 वर्ष को कलियुग कहा गया। दो कलियुग मिलकर 1 द्वापरयुग होता है अर्थात द्वापर 864000 वर्ष का होता है। इसी प्रकार से 17280000 वर्ष का त्रेता युग और 3456000 वर्ष का सतयुग होता है।

 

Sunday, November 19, 2023

"मां का आँचल"

"हे भगवान! दो महीने के लिए मुझे सहनशक्ति देना

रात - दिन की रोका टोकी और जली कटी सुनने की हिम्मत देना"... पति हिमांशु के साथ गांव से आई अपनी रौबीली सास और ससुर को देखकर निशा ने ईश्वर से प्रार्थना की और चेहरे पर जूठी मुस्कान के साथ आवभगत करने लगी.... सरला जी यूपी के एक गांव की सरपंच है और बहुत ही दबंग प्रवृति की महिला भी, इकलौते बेटे को पढ़ाई के लिए दिल्ली शहर में भेजा और उसकी ही पसंद की लड़की से शादी भी करा दी...
सरला जी अपने पति शंकर जी के साथ अपनी दुनिया में व्यस्त रहती और साल में एक बार ही दोनों पति पत्नी,
दो महीने के लिए अपने बेटे के साथ रहने आते, वैसे हिमांशु भी गांव जाता रहता था, लेकिन दो साल से शादी के बाद कम ही जा पा रहा था, पर सरला जी को कोई शिकायत नहीं थी, वो अपने पति के साथ बेटे के यहां रहने आ जाती...
लेकिन उनकी रोक टोक और बिन मांगे दी गई सलाहों से शहर के परिवेश में पली बढ़ी बहू निशा को बहुत कौफ्त होती खैर बेचारी "कुछ दिनों की ही तो बात है" सोचकर झेल लेती.... आज हिमांशु के कुछ दोस्त खाने पर आने वाले है तो निशा शाम से ही अपनी कामवाली की सहायता से खाना बनाने में लगी हुई है और इधर आदत से मजबूर सरला जी शुरू हो गई..."हम तो आज भी अकेले दस लोगों का खाना बना ले और ये आजकल की बहुएं चार लोगों का भी ना बना पा रही".... निशा को गुस्सा तो बहुत आया पर सास को देखकर हिम्मत पस्त हो गई.... घर में मां पिताजी की मौजूदगी की वजह से हिमांशु अपने दोस्तों के साथ बाहर से ही मदिरापान करके आया था और आते ही निशा को खाना लगाने के लिए कहा... सरला जी अपने पति के साथ पहले ही खा पीकर कमरे में आराम कर रही थी और हिमांशु भी अपने दोस्तों के साथ ड्राइंग रूम में गप्पे मारने लगा...
निशा खाना गर्म कर रही थी की तभी हिमांशु का एक दोस्त रसोई में पानी लेने आया और अपनी नशीली और गंदी निगाहों से निशा को घूरते हुए बोला, कहो तो हम कुछ मदद कर दे आपकी भाभी जान, इन नाजुक हाथों को भी कुछ आराम मिल जायेगा और कहकर निशा का हाथ सहलाने लगा... निशा ने विरोध के लिए मुंह खोला ही था की "तड़ाक" की आवाज आई, देखा सरला जी उस आशिक का भूत उतारने में लगी हुई है साथ ही उसे पकड़कर घसीटते हुए हिमांशु और उसके अन्य दोस्तों के पास ला पटका और गुस्से से दहाड़ती हुई बोली...
मेरी बहू के साथ बदतमीजी करने की तेरी हिम्मत कैसे हुई वो भी मेरे ही घर में, और तू बेशर्म, तूने पीना भी शुरू कर दिया और पीकर ऐसे दोस्तों को घर कैसे लेकर आया जिन्हे
किसी महिला से कैसे पेश आना चाहिए इतना भी नही पता, सरला जी का रौद्र रूप देखकर सारे दोस्त चुपचाप खिसक लिए...हिमांशु को तो जैसे सांप ही सूंघ गया, कुछ दिनों की दोस्ती पर भरोसा करके इस तरह के लोगों को घर में लाना कितना घातक हो सकता है, ये तो सोचा ही ना था...
अपनी मां से माफी मांगते हुए हिमांशु ने फिर कभी शराब नहीं पीने का वादा किया और निशा को भी सॉरी बोला...
निशा भी दौड़कर अपनी सास के गले लग गई और आज उसे उनमें जली कटी सुनाने वाली महिला की नहीं बल्कि फिक्र करने वाली मां की मूरत नजर आ रही है, जिसके आंचल में वो सुरक्षित है

Saturday, November 11, 2023

भिंडी

भिंडी, जिसे भिंडी या भिंडी के नाम से भी जाना जाता है, एक बहुमुखी और पौष्टिक सब्जी है। भिंडी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं:
1. पोषण मूल्य: भिंडी में कैलोरी कम होती है और यह आहार फाइबर, विटामिन सी और विभिन्न खनिजों का अच्छा स्रोत है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं और इसके संभावित स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं।
2. खाना पकाने के तरीके: भिंडी को विभिन्न तरीकों से पकाया जा सकता है, जिसमें तलना, भूनना या सूप और स्टू में जोड़ना शामिल है। यह अपनी अनूठी श्लेष्मा बनावट के लिए जाना जाता है, जिसे तेज़ आंच पर जल्दी पकाने से कम किया जा सकता है।


3. पाककला में उपयोग: भिंडी कई व्यंजनों में एक आम सामग्री है, खासकर भारतीय, मध्य पूर्वी और अफ्रीकी व्यंजनों में। इसका उपयोग अक्सर करी, गमबो और सूप में गाढ़ा करने वाले एजेंट के रूप में किया जाता है।
4. स्वास्थ्य लाभ: अपनी फाइबर सामग्री के कारण, भिंडी पाचन स्वास्थ्य का समर्थन करने और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है। यह सब्जी विटामिन और खनिजों से भी समृद्ध है जो समग्र स्वास्थ्य में योगदान करती है।
5. बढ़ने की स्थितियाँ: भिंडी के पौधे गर्म जलवायु में पनपते हैं और उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त हैं। उन्हें अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और भरपूर धूप की आवश्यकता होती है।
6. सांस्कृतिक महत्व: भिंडी कई पारंपरिक व्यंजनों में प्रमुख है और विभिन्न पाक परंपराओं में सांस्कृतिक महत्व रखती है। इसकी बहुमुखी प्रतिभा और पोषण सामग्री इसे विविध व्यंजनों में एक लोकप्रिय विकल्प बनाती है।
इसके पोषण संबंधी लाभों को अधिकतम करने के लिए संतुलित आहार के हिस्से के रूप में भिंडी का आनंद लेना याद रखें।
भिंडी एक फल है या सब्जी
भिंडी को वानस्पतिक रूप से एक फल के रूप में वर्गीकृत किया गया है क्योंकि इसमें बीज होते हैं और यह फूल के अंडाशय से विकसित होता है। हालाँकि, पाककला के संदर्भ में, इसके स्वादिष्ट स्वाद प्रोफ़ाइल और स्वादिष्ट व्यंजनों में आम उपयोग के कारण इसे अक्सर सब्जी के रूप में माना जाता है। इसलिए, जबकि यह तकनीकी रूप से एक फल है, इसे आमतौर पर खाना पकाने में सब्जी के रूप में संदर्भित और उपयोग किया जाता है।

Friday, November 10, 2023

लौकी कद्दू का इतिहास

लौकी कद्दू का इतिहास हजारों साल पुराना है। माना जाता है कि लौकी के कद्दू, जिन्हें अक्सर कद्दू भी कहा जाता है, की उत्पत्ति मध्य अमेरिका में हुई थी। यूरोपीय लोगों के आगमन से बहुत पहले इस क्षेत्र में स्वदेशी लोगों द्वारा उनकी खेती की जाती थी।


मूल अमेरिकी जनजातियों के आहार में कद्दू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और उनकी पोषण सामग्री और बहुमुखी प्रतिभा के लिए उन्हें महत्व दिया गया। स्वदेशी लोगों ने कद्दू का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया, जिसमें एक प्रकार का कद्दू झटकेदार बनाने के लिए भूनना, उबालना और मांस को सुखाना शामिल था। वे बीजों का उपयोग भोजन और तेल के लिए भी करते थे।
जब यूरोपीय खोजकर्ता और बसने वाले अमेरिका पहुंचे, तो उन्हें कद्दू का सामना करना पड़ा और उन्होंने उन्हें अपने आहार में शामिल कर लिया। अंततः कद्दू यूरोप पहुंचे, जहां उन्हें उगाया गया और खाद्य स्रोत के रूप में अपनाया गया।
कद्दू शरद ऋतु का प्रतीक बन गए हैं, विशेष रूप से उत्तरी अमेरिका में, जहां वे हेलोवीन और थैंक्सगिविंग जैसी छुट्टियों से जुड़े हुए हैं। कद्दू पाई और सूप जैसे पाक व्यंजनों में कद्दू का उपयोग कई देशों में एक प्रसिद्ध परंपरा है।

आज, कद्दू दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उगाए जाते हैं और खाना पकाने में एक लोकप्रिय और बहुमुखी सामग्री के साथ-साथ मौसमी उत्सवों में एक सजावटी तत्व बने हुए हैं।