Monday, January 13, 2020

उपराष्ट्रपति ने युवाओं से भूख और भेदभाव से मुक्त भारत की दिशा में काम करने को कहा

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज युवाओं से ऐसे भारत के निर्माण की दिशा में काम करने का आह्वान किया जो जाति, मजहब और लिंग के आधार पर भूख, भेदभाव और असमानताओं से मुक्त हो।


उपराष्ट्रपति ने आज चेन्नई में रामकृष्ण मिशन की तमिल मासिक पत्रिका ‘श्री रामकृष्ण विजयम’ के शताब्दी समारोह में कहा कि भारत के प्रति पूरी दुनिया में नए सिरे से रुचि बढ़ी है क्योंकि देश 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस मौके पर श्री नायडू ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का कालातीत दृष्टिकोण और उनके उपदेश व्यक्तिगत विकास और राष्ट्र की सामूहिक उन्नति के लिए मार्गदर्शक बनी रहेंगी।


श्री नायडू ने स्वामी विवेकानंद को हिंदू संस्कृति का अवतार और एक सामाजिक सुधारक बताया जो धार्मिक हठधर्मिता के खिलाफ थे। उन्होंने कहा कि विवेकानंद जाति और पंथ से हटकर मानवता के उत्थान में विश्वास करते थे। स्वामी विवेकानंद के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेने का आह्वान करते हुए उन्होंने युवाओं से देश की प्रगति, दलितों के कल्याण और गरीबों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमारे पास मजबूत, स्थिर और अधिक समृद्ध राष्ट्र बनने के अवसर हैं।


     श्री नायडू ने कहा कि स्वामी विवेकानंद गरीबों की दयनीय जीवन स्थितियों से पीड़ित थे और उन्होंने ‘पहले रोटी और फिर बाद में धर्म’ को प्राथमिकता देने की बात कही।


उन्होंने कहा कि विवेकानंद को भी लगता था कि जब तक भारत की जनता शिक्षित नहीं होगी, उन्हें पेट भर खाना नहीं मिलेगा, और उनकी अच्छी तरह से देखभाल नहीं की जाएगी तबतक किसी भी तरह की राजनीति का कोई फायदा नहीं होगा।  


उपराष्ट्रपति ने बच्चों की शारीरिक और मानसिक देखभाल का ध्यान रखते हुए समग्र शिक्षा के महत्व के बारे में बात करते हुए कहा कि स्वामीजी की शिक्षा का मतलब अकेले शैक्षणिक गतिविधियां नहीं थी। उन्होंने शारीरिक तंदुरुस्ती और स्वास्थ्य पर समान रूप से जोर दिया।


उपराष्ट्रपति ने गैर-संचारी रोगों के प्रसार में तेजी पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए युवाओं को बदलते जीवन शैली और आहार की आदतों के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया। श्री नायडू ने उन्हें योग का अभ्यास करने, ध्यान लगाने और खाने की स्वस्थ आदतों को अपनाने का सुझाव दिया।


उन्होंने युवाओं से शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने और भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा देने का संकल्प लेने को भी कहा है।


इस कार्यक्रम में तमिलनाडु के राज्यपाल श्री बनवारीलाल पुरोहित, मत्स्य पालन मंत्री थिरु जया कुमार, पूज्यस्वामी गौतमानंदजी, एसआरके मठ और मिशन, बेलूर के उपाध्यक्ष सहित कई और हस्तियां मौजूद थीं।


कार्यक्रम के बाद उपराष्ट्रपति प्रिंस ऑफ आर्कोट के नवाब मोहम्मद अब्दुल अली के घर अमीर महल गए और वहां स्वागत समारोह में नवाब के परिवार के सदस्यों और अन्य मेहमानों के साथ बातचीत की। वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत दुनिया भर में अपने सभ्यतागत मूल्यों के लिए जाना जाता है। उन्होंने लोगों, विशेष रूप से युवा पीढ़ी से भारत की संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम विभिन्न भाषाएं बोलते हैं लेकिन हम सभी एक हैं। उन्होंने कहा कि संविधान सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान करता है।



प्रधानमंत्री ने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट की 150वीं वर्षगांठ के भव्य समारोह में भाग लिया, कोलकाता बंदरगाह के लिए बहुआयामी विकास परियोजनाएं शुरू कीं 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में भाग लिया।


प्रधानमंत्री ने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट  के 150 वर्षों के उपलक्ष्य में मूल पोर्ट जेटी के स्थल पर एक पट्टिका का अनावरण किया। श्री मोदी ने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट की 150वीं वर्षगांठ समारोह में शामिल होने को सौभाग्य की बात बताते हुए इसे देश की जल शक्ति का एक ऐतिहासिक प्रतीक बताया है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बंदरगाह भारत के विदेशी शासन से आजाद होने जैसे देश के कई ऐतिहासिक क्षणों का साक्षी रहा है। इस बंदरगाह ने सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह तक देश को बदलते देखा है। इस बंदरगाह ने न केवल खेपें, बल्कि ज्ञान के वाहक भी देखे हैं जिन्होंने देश और दुनिया पर अपनी छाप छोड़ी है। कोलकाता का यह बंदरगाह एक तरह से औद्योगिक, आध्यात्मिक और आत्मनिर्भरता के लिए भारत की आकांक्षा का प्रतीक है।


प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान पोर्ट एंथम का भी शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात के लोथल बंदरगाह से कोलकाता बंदरगाह तक भारत का लंबा तटीय क्षेत्र न केवल व्यापार और व्यवसाय में लगा रहा बल्कि दुनिया भर में सभ्यता और संस्कृति के प्रसार का भी काम करता रहा है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार मानती ​​है कि हमारे तट विकास के द्वार हैं। यही कारण है कि सरकार ने बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और बंदरगाहों को जोड़ने के काम में सुधार के लिए सागरमाला परियोजना शुरू की। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक की 3600 परियोजनाओं की पहचान की गई है। इनमें से 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की 200 से अधिक परियोजनाएं चल रही हैं और लगभग एक सौ पच्चीस परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि कोलकाता बंदरगाह नदी जलमार्गों के निर्माण के कारण पूर्वी भारत के औद्योगिक केंद्रों से जुड़ा हुआ है। इससे नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार जैसे देशों के साथ व्यापार करना आसान हो गया है।


डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट ट्रस्ट


प्रधानमंत्री ने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने की भी घोषणा की। उन्होंने बताया कि बंगाल के पुत्र डॉ. मुखर्जी ने देश में औद्योगीकरण की नींव रखी और चित्तरंजन लोकोमोटिव फैक्ट्री, हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट फैक्ट्री, सिंदरी फर्टिलाइज़र फैक्ट्री और दामोदर वैली कॉरपोरेशन जैसी परियोजनाओं के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि मुझे बाबा साहेब भी याद हैं। डॉ. मुखर्जी और बाबा साहेब ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को एक नया दृष्टिकोण दिया।


कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के पेंशनधारकों का कल्याण


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के सेवानिवृत्त और मौजूदा कर्मचारियों के पेंशन फंड की कमी को पूरा करने के लिए अंतिम किस्त के रूप में 501 करोड़ रुपये का चेक भी सौंपा। उन्होंने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के दो सबसे पुराने पेंशनधारकों श्री नगीना भगत (105 वर्ष) और श्री नरेश चंद्र चक्रवर्ती (100 वर्ष) को सम्मानित भी किया।


प्रधानमंत्री ने सुंदरबन की 200 आदिवासी छात्राओं के लिए कौशल विकास केंद्र और प्रीतिलता छात्रावास का उद्घाटन किया।


पीएम ने कहा कि केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल खासकर वहां के गरीबों, वंचितों और शोषितों के विकास के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि जैसे ही पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार आयुष्मान भारत योजना और पीएम किसान सम्मान निधि योजना को मंजूरी देगी, यहां के लोगों को भी इन योजनाओं का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।


प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष ड्राई डॉक में कोचीन कोलकाता जहाज मरम्मत इकाई के उन्नत जहाज मरम्मत सुविधा का भी उद्घाटन किया।


प्रधानमंत्री ने फुल रेक हैंडलिंग फैसिलिटी का उद्घाटन किया और सुचारू कार्गो आवाजाही और जहाज पर माल लादने एवं उतारने की प्रक्रिया में लगाने वाले समय को कम करने के लिए कोलकाता के डॉक सिस्टम के उन्नत रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर को समर्पित किया।


प्रधानमंत्री ने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के हल्दिया डॉक कॉम्प्लेक्स के बर्थ नंबर 3 के मशीनीकरण और प्रस्तावित रिवरफ्रंट विकास योजना का भी शुभारंभ किया।



कोलकत्ता पोर्ट ट्रस्ट की 150वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

नमस्‍ते। अमार प्रियो बंग्लार भाई ओ बोनेरा! इंगरेज़ी नॉबो बॉरसेर हार्दिक शुभोकामोना एबॉन्ग आसोनो मकर संक्रांति उपोलॉक्खे अपना देर शुभेच्छा !!


पश्चिम बंगाल के राजयपाल, श्रीमान जगदीप धनखड़ जी, केन्‍द्रीय मं‍त्रीपरिषद के मेरे सहयोगी मनसुख मांडविया जी, यहां उपस्थित भारत सरकार के अन्‍य मंत्रीगण, सांसदगण, और बड़ी संख्‍या में यहां पधारे पश्चिम बंगाल के मेरे बहनों और भाइयो।


मां गंगा के सानिध्य में, गंगासागर के निकट, देश की जलशक्ति के इस ऐतिहासिक प्रतीक पर, इस समारोह का हिस्सा बनना हम सबके लिए एक अनन्‍य सौभाग्य की बात है। आज का ये दिन कोलकाता पोर्ट ट्रस्‍ट के लिए, इससे जुड़े लोगों के लिए, यहां काम कर चुके साथियों के लिए तो बहुत ही महत्‍वपूर्ण अवसर है। भारत में port laid development को नई ऊर्जा देने का भी मैं समझता हूं इससे बड़ा कोई अवसर नहीं हो सकता। स्‍थापना के 150वें वर्ष में प्रवेश करने के लिए कोलकाता पोर्ट ट्रस्‍ट से जुड़े आप सभी साथियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।


साथियो, थोड़ी देर पहले यहां आज के इस पल की गवाही देने वाले डाक टिकट जारी किए गए। इसी के साथ इस ट्रस्‍ट के कर्मचारियों और यहां काम कर चुके हजारों पूर्व कर्मचारियों की पेंशन के लिए 500 करोड़ रुपए का चैक भी सौंपा गया। विशेष रूप से 100 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्‍ठ महानुभावों को सम्‍मानित करने का गौरव मुझे मिला। कोलकाता पोर्ट ट्रस्‍ट के माध्‍यम से राष्‍ट्र सेवा करने वाले ऐसे तमाम महानुभावों को और उनके परिवारों को मैं नमन करता हूं, उनके बेहतर भविष्‍य की कामना करता हूं।


साथियो, इस पोर्ट के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए आज सैकड़ों करोड़ रुपए के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया गया है। आदिवासी बेटियों की शिक्षा और कौशल विकास के लिए हॉस्टल और स्किल डेवलपमेंट सेंटर का भी शिलान्यास हुआ है। विकास की इन तमाम सुविधाओं के लिए भी पश्चिम बंगाल के सभी नागरिकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।


साथियो, कोलकाता पोर्ट सिर्फ जहाजों के आने-जाने का स्‍थान नहीं है, ये एक पूरे इतिहास को अपने-आप में समेटे हुए है। इस पोर्ट ने भारत को विदेशी राज से स्वराज पाते हुए देखा है। सत्याग्रह से लेकर स्वच्छाग्रह तक, इस पोर्ट ने देश को बदलते हुए देखा है। ये पोर्ट सिर्फ मालवाहकों का ही स्थान नहीं रहा, बल्कि देश और दुनिया पर छाप छोड़ने वाले ज्ञानवाहकों के चरण भी इस पोर्ट पर पड़े हैं। अनेक मनीषियों ने, अनेक अवसरों पर यहीं से दुनिया के अपने सफर की शुरूआत की थी।


एक प्रकार से कोलकाता का ये पोर्ट भारत की औद्योगिक, आध्यात्मिक और आत्मनिर्भरता की आकांक्षा का जीता-जागता प्रतीक है। ऐसे में जब ये पोर्ट 150वें साल में प्रवेश कर रहा है, तब इसको न्यू इंडिया के निर्माण का भी एक ऊर्जावान प्रतीक बनाना हम सबका दायित्‍व है।


पश्चिम बंगाल की, देश की, इसी भावना को नमन करते हुए मैं कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम, भारत के औद्योगीकरण के प्रणेता, बंगाल के विकास का सपना लेकर जीने वाले और एक देशएक विधान के लिए बलिदान देने वाले डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर करने की घोषणा करता हूं। अब ये पोर्ट डॉक्‍टर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट के नाम से जाना जाएगा।


साथियो, बंगाल के सपूत, डॉक्टर मुखर्जी ने देश में औद्योगीकरण की नींव रखी थी। चितरंजन लोकोमोटिव फैक्ट्री, हिन्दुस्तान एयरक्राफ्ट फैक्ट्री, सिंदरी फर्टिलाइज़र कारखाना और दामोदर वैली कॉर्पोरेशन; ऐसी अनेक बड़ी परियोजनाओं के विकास में डॉक्टर श्‍यामा प्रसादमुखर्जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। और आज के इस अवसर पर, मैं बाबा साहेब अंबेडकर को भी याद करता हूं, उन्हें नमन करता हूं। डॉक्टर मुखर्जी और बाबा साहेब अंबेडकर, दोनों ने स्वतंत्रता के बाद के भारत के लिए नई-नई नीतियां दी थीं, नया vision दिया था।


डॉक्‍टर मुखर्जी की बनाई पहली औद्योगिक नीति में देश के जल संसाधनों के उचित उपयोग पर जोर दिया गया था तो बाबा साहेब ने देश की पहली जल संसाधन नीति और श्रमिकों से जुड़े कानूनों के निर्माण को लेकर अपने अनुभवों का उपयोग किया। देश में नदी घाटी परियोजनाओं का, डैम्‍स का, पोर्ट्स का निर्माण तेजी से हो पाया तो इसका बड़ा श्रेय इन दोनों महान सपूतों को जाता है। इन दोनों व्‍यक्तित्‍वों ने देश के संसाधनों की शक्ति को समझा था, उसे देश की जरूरतों के मुताबिक उपयोग करने पर जोर दिया था।


यहीं कोलकाता में 1944 में नई water policy को लेकर हुई conference में बाबा साहेब ने कहा था कि भारत की water ways policy व्‍यापक होनी चाहिए। इसमें सिंचाई, बिजली और यातायात जैसे हर पहलू का समावेश होना चाहिए। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य रहा कि डॉक्टर मुखर्जी और बाबा साहेब के सरकार से हटने के बाद, उनके सुझावों पर वैसा अमल नहीं किया गया, जैसा किया जाना चाहिए था।


साथियो, भारत की विशाल समुद्री सीमा लगभग 7,500 किलोमीटर लंबी है। दुनिया में समुद्र तट से जुड़ा होना आज भी बहुत बड़ी ताकत माना जाता है। Landlocked countries अपने-आप को कभी-कभी असहाय महसूस करती हैं। पुराने समय में भारत की भी एक बहुत बड़ी शक्ति थी। गुजरात के लोथल पोर्ट से लेकर कोलकाता पोर्ट तक देखें, तो भारत की लंबी coastline से पूरी दुनिया में व्यापार-कारोबार होता था और सभ्यता, संस्कृति का प्रसार भी होता था। साल 2014 के बाद भारत की इस शक्ति को फिर से मजबूत करने के लिए नए सिरे से सोचा गया, नई ऊर्जा के साथ काम शुरू किया गया।


साथियो, हमारी सरकार ये मानती है कि भारत के बंदरगाह भारत की समृद्धि के प्रवेशद्वार हैं। और इसलिए सरकार ने Coasts पर कनेक्टिविटी और वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के लिए सागरमाला कार्यक्रम शुरू किया। सागरमाला परियोजना के तहत देश में मौजूद पोर्ट का modernization और एक नए पोर्ट के development का काम लगातार किया जा रहा है। सड़क, रेलमार्ग, Interstate waterways और coastal transport को integrated किया जा रहा है। ये परियोजना coastal transport के जरिए माल ढुलाई को बढ़ाने में बहुत अहम भूमिका निभा रही है।  


इस योजना के तहत करीब 6 लाख करोड़ रुपए से अधिक के पौने 6 सौ प्रोजेक्ट्स की पहचान की जा चुकी है। इनमें से 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक के 200 से ज्यादा प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है और लगभग सवा सौ पूरे भी हो चुके हैं।


साथियो, सरकार का प्रयास है कि transportation का पूरा framework आधुनिक और integrated हो। हमारे देश में ट्रांसपोर्ट नीतियों में जो असंतुलन था, उसे भी दूर किया जा रहा है। इसमें भी पूर्वी भारत और नॉर्थ-ईस्‍ट को Inland waterway यानी नदी जलमार्ग आधारित योजनाओं से विशेष लाभ हो रहा है और आने वाले समय में जलशक्ति के माध्‍यम से पूरे नॉर्थ-ईस्‍ट को जोड़ने का नेटवर्क भारत के विकास में एक स्‍वर्णिम पृष्‍ठ के रूप में उभर करके आने वाला है।


बहनों और भाइयों, कोलकाता तो जल से जुड़े विकास के मामले में और भी भाग्यशाली है। कोलकाता पोर्ट देश की समुद्री परिधि में भी है और नदी के तट पर भी स्थित है। इस प्रकार से ये देश के भीतर और देश के बाहर के जलमार्गों की एक प्रकार से संगम स्थली है।


आप सभी भलीभांति जानते हैं कि हल्दिया और बनारस के बीच गंगा जी में जहाज़ों का चलन शुरु हो चुका है। और मैं काशी का एमपी हूं, इसलिए स्‍वाभिक रूप से आपसे सीधा जुड़ चुका हूं। देश के इस पहले आधुनिक Inland waterway को पूरी तरह से तैयार करने के लिए तेज़ी से काम चल रहा है।


इस वर्ष हल्दिया में multimodal terminal और फरक्का में navigational lock को तैयार करने का प्रयास है। साल 2021 तक गंगा में बड़े जहाज़ भी चल सकें, इसके लिए भी ज़रूरी गहराई बनाने का काम प्रगति पर है। इसके साथ-साथ गंगाजी को असम के पांडु में ब्रह्मापुत्र से जोड़ने वाले inland waterway-2 पर भी cargo transportation शुरू हो चुका है।  नदी जलमार्ग की सुविधाओं के बनने से कोलकाता पोर्ट पूर्वी भारत के औद्योगिक सेंटर्स से तो जुड़ा ही है, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार जैसे देशों के लिए व्यापार और आसान हुआ है।


साथियों, देश के पोर्ट्स में आधुनिक सुविधाओं का निर्माण, connectivity की बेहतर व्यवस्था, management में सुधार जैसे अनेक कदमों के कारण कार्गो के clearance और उसके transportation से जुड़े समय में कमी आई है।


Turnaround time बीते 5 वर्ष में घटकर लगभग आधा हो गया है। ये एक बड़ा कारण है जिसके चलते भारत की ease of doing business की रैंकिंग में 79वें रैंक का सुधार हुआ है।


साथियों, आने वाले समय में Water Connectivity के विस्तार का बहुत अधिक लाभ पश्चिम बंगाल को होगा, कोलकाता को होगा, यहां के किसानों, उद्योगों और श्रमिकों को होगा, यहां के मेरे मछुआरे भाइयों-बहनों को होगा।


हमारे मछुवारे भाई जल संपदा का पूरा इस्तेमाल कर पाएं, इसके लिए सरकार Blue Revolution Scheme चला रही है। इसके तहत उन्हें इस क्षेत्र में value addition करने के साथ ही ट्रॉलर्स के आधुनिकीकरण में भी मदद की जा रही है। किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से मछुआरों को अब बैंकों से सस्ता और आसान ऋण भी उपलब्ध हो रहा है। एक तरफ हमने अलग जलशक्ति मंत्रालय बनाया है, उसी को ताकत देने वाला और उसी से अधिकतम फायदा लेने वाली अलग fisheries ministry भी बनाई है। यानी विकास को हम कहां ले जाना चाहते हैं, किस दिशा में जाना चाहते हैं, उसका संकेत इन रचनाओं में भी समाहित है।


साथियो, Port laid development एक व्यापक इकोसिस्टम का विकास करता है। इस जल संपदा का उपयोग पर्यटन के लिए, समुद्री पर्यटन, नदी जल पर्यटन के लिए भी किया जा रहा है। आजकल लोग cruise  के लिए विदेशों में चले जाते हैं। ये सारी चीजों का हमारे यहां बहुत आसानी से विकास किया जा सकता है। ये सुखद संयोग है कि कल ही पश्चिम बंगाल की कला और संस्कृति से जुड़े बड़े सेंटर्स के आधुनिकीकरणकी शुरुआत हुई और आज यहां water tourism से जुड़ी बड़ी स्कीम launch हुई है।


River front development योजना से पश्चिम बंगाल के टूरिज्म उद्योग को नया आयाम मिलने वाला है। यहां 32 एकड़ ज़मीन पर जब गंगा जी के दर्शन के लिए आरामदायक सुविधाएं तैयार होंगी, तब इससे टूरिस्‍टों को भी लाभ मिलेगा।


बहनों और भाइयों, सिर्फ कोलकाता में ही नहीं, सरकार द्वारा पूरे देश में पोर्ट्स् से जुड़े शहरों और clusters में aquarium, water park, sea museums,  cruise, और water sports के लिए ज़रूरी infrastructure बनाया जा रहा है।


केंद्र सरकार cruise आधारित पर्यटन को भी बढ़ावा दे रही है। देश में cruise ship की संख्या जो अभी डेढ़ सौ से, करीब-करीब 150 के आसपास है, अब उसको हम 1 हज़ार तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर काम कर रहे हैं। इस विस्तार का लाभ पश्चिम बंगाल को भी अवश्‍य मिलने वाला है, बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीपों को भी मिलने वाला है।


साथियों, पश्चिम बंगाल के विकास के लिए केंद्र सरकार की तरफ से हर संभव कोशिश की जा रही है। विशेषतौर पर गरीबों, दलितों, वंचितों, शोषितों और पिछड़ों के विकास के लिए समर्पित भाव से अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।


पश्चिम बंगाल में लगभग 90 लाख गरीब बहनों को उज्जवला योजना के तहत गैस का कनेक्शन मिला है। इसमें भी 35 लाख से अधिक बहनें दलित और आदिवासी परिवार से हैं।


जैसे ही राज्य सरकार आयुष्मान भारत योजना, पीएम किसान सम्मान निधि के लिए स्वीकृति दे देगी; मैं नहीं जानता हूं कि देगी या नहीं देगी, लेकिन अगर दे देगी तो यहां के लोगों को इन योजनाओं का भी लाभ मिलने लगेगा।


और वैसे आपको बता दूं कि आयुष्मान भारत के तहत देश के करीब-करीब 75 लाख गरीब मरीज़ों को गंभीर बीमारी की स्थिति में मुफ्त इलाज मिल चुका है। और आप कल्‍पना कर सकते हैं जब गरीब बीमारी से जूझता है, तब जीने की भी आस छोड़ देता है। और जब गरीब को बीमारी से बचने का सहारा मिल जाता है तो उसके आशीर्वाद अनमोल होते हैं। आज मैं चैन की नींद सो पाता हूं क्‍योंकि ऐसे गरीब परिवार लगातार आशीर्वाद बरसाते रहते हैं।


इसी तरह पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के 8 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खाते में लगभग 43 हज़ार करोड़ रुपए सीधे direct benefit transfer के तहत उनके खाते में जमा हो चुके हैं। कोई बिचौलिया नहीं, कोई cut नहीं, कोई syndicate नहीं; और जब सीधा पहुंचता है, cut मिलता नहीं, syndicate चलता नहीं, ऐसी योजना कोई क्‍यों लागू करेगा।


देश के 8 करोड़ किसानों को इतनी बड़ी मदद, लेकिन मेरे दिल में हमेशा दर्द रहेगा, मैं हमेशा चाहूंगा, ईश्‍वर से प्रार्थना करूंगा कि नीति-निर्धारकों को इस पर सद्बुद्धि दे। और गरीबों को बीमारी में मदद के लिए आयुष्‍मान भारत योजना और किसानों की जिंदगी में सुख और शांति का रास्‍ता पक्‍का हो इसके लिए प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि का लाभ मेरे बंगाल के गरीबों को मिले, मेरे बंगाल के किसानों को मिले। आज बंगाल की जनता का मिजाज मैं जानता हूं, भलीभांति जानता हूं। बंगाल की जनता की ताकत है कि अब इन योजनाओं से लोगों को वंचित कोई नहीं रख पाएगा।


साथियों, पश्चिम बंगाल के अनेक वीर बेटे-बेटियों ने जिस गांव और गरीब के लिए आवाज़ उठाई, उनका विकास हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। ये किसी एक व्यक्ति की, किसी एक सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरे भारतवर्ष का सामूहिक संकल्‍प भी है, सामूहिक दायित्व भी है और सामूहिक पुरुषार्थ भी है। मुझे विश्वास है कि 21वीं सदी के नए दशक में, जब दुनिया एक वैभवशाली भारत का इंतज़ार कर रही है, तब हमारे ये सामूहिक प्रयास दुनिया को कभी निराश नहीं करंगे, ये हमारे प्रयास ज़रूर रंग लाएंगे।


इसी आत्‍मविश्‍वास के साथ 130 करोड़ देशवासियों की संकल्‍पशक्ति और उनके सामर्थ्‍य पर अप्रतीम श्रद्धा होने के कारण मैं भारत के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य को अपनी आंखों के सामने देख रहा हूं।


और इसी विश्‍वास के साथ आओ हम कर्तव्‍य पथ पर चलें, अपने कर्तव्‍यों का निर्वाह करने के लिए आगे आएं। 130 करोड़ देशवासी जब अपने कर्तव्‍यों का पालन करते हैं तो देश देखते ही देखते नई ऊंचाइयों को पार कर लेता है।


इसी विश्‍वास के साथ एक बार फिर कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के 150 वर्ष के लिए और विकास परियोजनाओं के लिए, आज के इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर मैं आप सबको, पूरे पश्चिम बंगाल को, यहां की महान परम्‍परा को नमन करते हुए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बहुत बधाई हूं।


मेरे साथ ये धरती, प्रेरणा की धरती, देश का सामर्थ्‍य जगाने वाली धरती है। यहां से पूरी ताकत से हमारे सपनों को समेटता हुआ नारा हम बोलेंगे। दोनों हाथ ऊपर करके, मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलेंगे-


भारत माता की – जय


भारत माता की – जय


भारत माता की – जय


बहुत-बहुत धन्‍यवाद। 


 


वी.आर.आर.के./वी.जे./एन.एस.



प्रधानमंत्री ने कोलकाता के चार प्रमुख धरोहर भवन राष्‍ट्र को समर्पित किए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज कोलकाता के पांच प्रमुख धरोहर भवनों को राष्‍ट्र को समर्पित किया। इस ऐतिहासिक इमारतों का जिर्णोद्धार किया गया है। इनमें ओल्‍ड करेंसी बिल्डिंग, बेलवेडियर हाउस, मेटकॉफ हाउस और विक्‍टोरिया मेमोरियल हॉल शामिल है। इस अवसर पर केन्‍द्रीय पर्यटन और संस्‍कृति राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री प्रहलाद सिंह पटेल तथा पश्चिम बंगाल के राज्‍यपाल श्री जगदीप धनकड़ भी उपस्थित थे।  


प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि आज का दिन एक विशेष अवसर है क्‍योंकि आज के दिन से देश की कला, संस्‍कृति, और धरोहर के संरक्षण के देशव्‍यापी प्रचार के साथ ही इन धरोहरों के महत्‍व को फिर से समझने,इन्‍हें नयी पहचान देने और नये रूप में लाने का काम शुरु हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि भारत की हमेशा से अपने ऐहितासिक धरोहरों को संरक्षित रखने और उनको आधुनिक रूप देने की इच्‍छा रही है। इसी भावना के साथ केन्‍द्र सरकार ने दुनिया में भारत को ऐतिहासिक धरोहरों का पर्यटन केन्‍द्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने देश के पांच संग्रहालयों को अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर का बनाने के लिए उनके आधुनिकीकरण की योजना बनाई है। यह काम कोलकाता में विश्‍व के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक भारतीय संग्रहालय से शुरु किया गया है।


श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने इस अवसर पर कहा कि यह हमारे लिए बड़ी बात है कि प्रधानमंत्री कोलकाता में इन ऐतिहासिक और विरासत भवनों को राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं। उन्‍होंने इन भवनों के जिर्णोद्धार का काम निर्धारित समय में पूरा करने के लिए मंत्रालय के अधिकारियों के समर्पित प्रयासों की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि ये सभी भवन अब लोगों के लिए खुल गए हैं। श्री पटेल ने कहा ‘ हमारे संग्रहालय और उनमें रखी हुयी प्राचीन वस्‍तुएं हम सभी की धरोहर हैं। हम सभी को मिलकर इनकी देखभाल करनी चाहिए।‘  श्री पटेल ने ओल्‍ड करेंसी बिल्डिंग में घरे-बायरे नाम से बनायी गई कलाकृति की भी प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने ओल्‍ड करेंसी बिल्डिंग के इसी स्‍थान से कोलकाता की तीन अन्‍य ऐतिहासिक इमारतें , बेलवेडियर हाउस, विक्‍टोरिया मेमोरियल हॉल और मेटकॉफ हाउस राष्‍ट्र को समर्पित कीं।  



बेलुर मठ, कोलकत्ता में प्रधानमंभी के संबोधन का मूल पाठ

रामकृष्ण मठ के महासचिव श्रीमान स्‍वामी सुविरानंदा जी महाराज, स्‍वामी दिव्‍यानंद जी महाराज, यहां उपस्थित पूज्‍यसंतगण, अतिथिगण, मेरे युवा साथियो।


आप सभी को स्वामी विवेकानंद जयंती के इस पवित्र अवसर पर, राष्ट्रीय युवा दिवस पर, बहुत-बहुत शुभकामनाएं। देशवासियों के लिए बेलुड़ मठ की इस पवित्र भूमि पर आना किसी तीर्थयात्रा से कम नहीं है, लेकिन मेरे लिए तो हमेशा से ही ये घर आने जैसा ही है। मैं प्रेसीडेंट स्‍वामी का, यहां पर सभी व्‍यवस्‍थापकों का ह्दय से बहुत आभारी हूं कि मुझे कल रात यहां रहने के लिए इजाजत दी और सरकार का भी मैं आभारी हूं क्‍योंकि सरकार में प्रोटोकॉल, सिक्‍योरिटी ये भी इधर से उधर जाने नहीं देते। लेकिन मेरी Request को व्‍यवस्‍था वालों ने भी माना। और मुझे इस पवित्र भूमि में रात बिताने का सौभाग्‍य मिला। इस भूमि में, यहां की हवा में स्‍वामी राम कृष्‍ण परमहंस, मां शारदा देवी, स्‍वामी ब्रह्मानंद, स्‍वामी विवेकानंद सहित तमाम गुरुओं का सानिघ्‍य हर किसी को अनुभव हो रहा है। जब भी यहां बेलुड़ मठ आता हूं तो अतीत के वो पृष्‍ठ खुल जाते हैं। जिनके कारण आज मैं यहां हूं। और 130 करोड़ भारतवासियों की सेवा में कुछ कर्तव्‍य निभा पा रहा हूं।     


पिछली बार जब यहां आया था तो गुरुजी, स्वामी आत्मआस्थानंद जी के आशीर्वाद लेकर गया था। और मैं कह सकता हूं कि उन्‍होंने मुझे ऊंगली पकड़ कर जनसेवा ही प्रभुसेवा का रास्‍ता दिखाया। आज वो शारीरिक रूप से हमारे बीच विद्यमान नहीं हैं। लेकिन उनका काम, उनका दिखाया मार्ग, रामकृष्ण मिशन के रूप में सदा-सर्वदा हमारा मार्ग प्रशस्त करता रहेगा।


यहां बहुत युवा ब्रह्मचारी बैठे हैं मुझे उनके बीच कुछ पल बिताने का मौका मिला। जो मन:स्थिति आपकी है कभी मेरी भी हुआ करती थी। और आपने अनुभव किया होगा हममें से ज्‍यादा लोग यहां खींचे चले आते हैं उसका कारण विवेकानंद जी के विचार, विवेकानंद जी की वाणी, विवेकानंद जी का व्‍यक्तित्‍व हमें यहां तक खींचकर के ले आता है। लेकिन.... लेकिन.... इस भूमि में आने के बाद माता शारदा देवी का आंचल हमे बस जाने के लिए एक मां का प्‍यार देता है। जितने भी ब्रह्चारी लोग है सबको यही अनुभूति होती होगी। जो कभी मैं करता था।


साथियों, स्वामी विवेकानंद का होना सिर्फ एक व्यक्ति का होना नहीं है, बल्कि वो एक जीवन धारा का, जीवन शैली का नामरूप है। उन्होंने दरिद्रनारायण की सेवा और भारत भक्ति को ही अपने जीवन का आदि और अंत मान भी लिया, जी भी लिया और जीने के लिए आज भी करोड़ों लोगों को रास्‍ता भी दिखा दिया। 


आप सभी, देश का हर युवा और मैं विश्‍वास से कह रहा हूं। देश का हर युवा चाहे विवेकानंद को जानता हो या न जानता हो। जाने-अनजाने में भी उसी संकल्प का ही हिस्सा हैं। वक्‍त बदला है, दशक बदले हैं, सदी बदल गई है, लेकिन स्वामी जी के उस संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने का जिम्‍मा हम पर भी है, आने वाली पीढि़यों पर भी है। और ये काम कोई ऐसा नहीं है कि एक बार कर दिया तो हो गया। ये अभिरथ करने का काम है, निरंतर करने का काम है, युग-युग तक करने का काम है।


कई बार हम सोचने लगते हैं कि मेरे अकेले के करने से क्या होगा। मेरी बात कोई सुनता ही नहीं है। मैं जो चाहता हूं, मैं जो सोचता हूं, उस पर कोई ध्यान ही नहीं देता है और इस स्थिति से युवा मन को बाहर निकालना बहुत ज़रूरी है। और मैं तो सीधा-साधा मंत्र बता देता हूं। जो मैं भी कभी गुरुजनों से सीखा हूं। हम कभी अकेले नहीं है। कभी भी अकेले नहीं है। हमारे साथ एक और होता है जो हमें दिखता नहीं है वो ईश्‍वर का रूप होता है। हम अकेले कभी नहीं होते हैं। हमारा सर्जनहार हर पल हमारे साथ ही होता है। 


स्वामी जी की वो बात हमें हमेशा याद रखनी होगी जब वो कहते थे कि “अगर मुझे सौ ऊर्जावान युवा मिल जाएं, तो मैं भारत को बदल दूंगा”। स्‍वामी जी ने कभी ये नहीं कहा कि मुझे सौ लोग मिल जाएंगे तो मैं ये बन जाऊंगा... ऐसा नहीं कहा, उन्‍होंने ये कहा कि भारत बदल जाएगा। यानि परिवर्तन के लिए हमारी ऊर्जा, कुछ करने का जोश ही ये ज़ज्‍बा बहुत आवश्यक है।


स्वामी जी तो गुलामी के उस कालखंड में 100 ऐसे युवा साथियों की तलाश कर रहे थे। लेकिन 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए, नए भारत के निर्माण के लिए तो करोड़ों ऊर्जावान युवा आज हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में खड़े हुए हैं। दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी का खज़ाना भारत के पास है।


साथियों, 21वीं सदी के भारत की इस देश के युवाओं से ही नहीं, इस देश के युवाओं से सिर्फ भारत को ही नहीं पूरे विश्‍व को बहुत कुछ अपेक्षाएं हैं। आप सभी जानते हैं कि देश ने 21वीं सदी के लिए, नए भारत के निर्माण के लिए बड़े संकल्प लेकर कदम उठाए हैं। ये संकल्प सिर्फ सरकार के नहीं, ये संकल्प 130 करोड़ देशवासियों के हैं, देश के युवाओं के हैं।


बीते 5 वर्षों का अनुभव दिखाता है कि देश के युवा जिस मुहिम के साथ जुड़ जाते हैं, उसका सफल होना तय है। भारत स्वच्छ हो सकता है या नहीं, इसको लेकर 5 वर्ष पहले तक एक निराशा का भाव था, लेकिन देश के युवा ने कमान संभाली और परिवर्तन सामने दिख रहा है।


4-5 वर्ष पहले तक अनेक लोगों को ये भी असंभव लगता था कि भारत में डिजिटल पेमेंट का प्रसार इतना बढ़ सकता है क्या? लेकिन आज भारत दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था में अपनी मजबूती के साथ खड़ा है।


भ्रष्टाचार के विरुद्ध कुछ वर्ष पहले तक कैसे देश का युवा सड़कों पर था, ये भी हमने देखा है। तब लगता था कि देश में व्यवस्था को बदलना मुश्किल है। लेकिन युवाओं ने ये बदलाव भी कर दिखाया।


साथियों, युवा जोश, युवा ऊर्जा ही 21वीं सदी के इस दशक में भारत को बदलने का आधार है। एक प्रकार से 2020, ये जनवरी महीना, एक प्रकार से नव वर्ष की शुभकामनाओं से शुरू होता है। लेकिन हम ये भी याद रखें कि ये सिर्फ नववर्ष नहीं है ये नया दशक भी है। और इसलिए हमें अपने सपनों को इस दशक के संकल्‍प के साथ जोड़ करके सिद्धि प्राप्‍त करने की दिशा में और अधिक ऊर्जा के साथ, और अधिक उमंग के साथ, और अधिक समर्पण के साथ जुड़ना है।


नए भारत का संकल्प, आपके द्वारा ही पूरा किया जाना है। ये युवा सोच ही है जो कहती है कि समस्याओं को टालो नहीं, अगर आप युवा हैं तो समस्‍याओं को टालने की कभी सोच ही नहीं सकते हैं। युवा है मतलब समस्‍या से टकराव, समस्‍या को सुलझाओं, चुनौती को ही चुनौती दे डालो। इसी सोच पर चलते हुए केंद्र सरकार भी देश के सामने उपस्थित दशकों पुरानी चुनौतियों को सुलझाने के लिए प्रयास कर रही है।   


साथियों, बीते कुछ समय से देश में और युवाओं में बहुत चर्चा है सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट की। ये एक्ट क्या है, इसे लाना क्यों जरूरी था? युवाओं के मन में बहुत से सवाल भांति-भांति लोगों के द्वारा भर दिए गए हैं। बहुत से नौजवान जागरूक हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो अब भी इस भ्रम के शिकार हुए हैं, अफवाहों के शिकार हुए हैं। ऐसे हर युवा को समझाना भी हम सबका दायित्व है और उसे संतुष्ट करना भी हम सबकी ही जिम्मेदारी है।


और इसलिए आज राष्ट्रीय युवा दिवस पर मैं फिर से देश के नौजवानों को, पश्चिम बंगाल के नौजवानों को, नॉर्थ ईस्ट के नौजवानों को आज इस पवित्र धरती से और युवाओं के बीच खड़ा हो कर जरूर कुछ कहना चाहता हूं।


साथियों, ऐसा नहीं है कि देश की नागरिकता देने के लिए भारत सरकार ने रातो-रात कोई नया कानून बना दिया है। हम सबको पता होना चाहिए कि दूसरे देश से, किसी भी धर्म का कोई भी व्यक्ति, जो भारत में आस्था रखता है, भारत के संविधान को मानता है, भारत की नागरिकता ले सकता है। कोई दुविधा नहीं है इसमें...  मैं फिर कहूंगा, सिटिजनशिप एक्ट, नागरिकता छीन लेने का नहीं, ये नागरिकता देने का कानून है और सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट, उस कानून में सिर्फ एक संशोधन है। ये संशोधन, ये अमेंडमेंट क्या है? हमने बदलाव ये किया है कि भारत की नागरिकता लेने की सहूलियत और बढ़ा दी है। ये सहूलियत किसके लिए बढ़ाई है? उन लोगों के लिए, जिन पर बंटवारे के बाद बने पाकिस्तान में, उनकी धार्मिक आस्था की वजह से अत्याचार हुआ, जुल्‍म हुआ, जीना मुश्किल हो गया, बहन-बेटियों की इज्‍जत असुरिक्षत हो गई। जीवन जीना ही एक सवाल या निशान बन गया। अनेक संकटों से ये जीवन ही घिर गया।


साथियों, स्वतंत्रता के बाद, पूज्‍य महात्मा गांधी से लेकर तब के बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं का यही कहना था कि भारत को ऐसे लोगों को नागरिकता देनी चाहिए, जिन पर उनके धर्म की वजह से पाकिस्तान में अत्याचार किया जा रहा है।


अब मैं आपसे पूछता हूं मुझे बताइए कि ऐसे शरणार्थियों को हमें मरने के लिए वापस भेजना चाहिए क्‍या? भेजना चाहिए क्‍या? क्‍या हमारी जिम्‍मेवारी है कि नहीं है, उनको बराबरी में हमारा नागरिक बनाना चाहिए कि नहीं बनाना चाहिए। अगर वो कानून के साथ, बंधनों के साथ रहता है, सुख-चैन की जिंदगी जीता है तो हमें संतोष होगा कि नहीं होगा... ये काम पवित्र है कि नहीं है...हमें करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए। औरों की भलाई के लिए काम करना अच्‍छा है कि बुरा है? अगर मोदी जी ये करते हैं तो आपका साथ है न... आपका साथ है न... हाथ ऊपर उठा करके बताइए आपका साथ है न। 


हमारी सरकार ने देश को स्वतंत्रता दिलाने वाले महान सपूतों की इच्छा का ही सिर्फ पालन किया है। जो महात्‍मा गांधी कहकर गए उस काम को हमने किया है जी.... और सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट में हम नागरिकता दे ही रहे हैं, किसी की भी... किसी की भी... नागरिकता छीन नहीं रहे हैं।


इसके अलावा, आज भी किसी भी धर्म का व्यक्ति, भगवान को मानता हो या न मानता हो... जो व्‍यक्ति भारत के संविधान को मानता है, वो तय प्रक्रियाओं के तहत भारत की नागरिकता ले सकता है। ये आपको साफ-साफ समझ आया कि नहीं आया। समझ गए न... जो छोटे-छोटे विद्यार्थी है वो भी समझ गए न... जो आप समझ रहे है न वो राजनीतिक खेल खेलने वाले समझने को तैयार नहीं है। वे भी समझदार हैं लेकिन समझना चाहते नहीं है। आप समझदार भी हैं और देश का भला चाहने वाले युवा नौजवान भी हैं।


और हां, जहां तक नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की सवाल है। हमारा गर्व है नॉर्थ ईस्ट हमारा गर्व है। नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की संस्कृति, वहां की परंपरा, वहां की डेमोग्राफी, वहां के रीति-रिवाज, वहां के रहन-सहन, वहां का खान-पान, वहां की डेमोग्राफी इस पर इस कानून में जो सुधार किया गया है इसका कोई विपरित प्रभाव उन न पड़े, इसका भी प्रावधान केंद्र सरकार ने किया है।


साथियों, इतनी स्पष्टता के बावजूद, कुछ लोग अपने राजनीतिक कारणों से सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट को लेकर लगातार भ्रम फैला रहे हैं। मुझे खुशी है कि आज का युवा ही ऐसे लोगों का भ्रम भी दूर कर रहा है।


और तो और, पाकिस्तान में जिस तरह दूसरे धर्मों के लोगों पर अत्याचार होता है, उसे लेकर भी दुनिया भर में आवाज हमारा युवा ही उठा रहा है। और ये बात भी साफ है कि नागरिकता कानून में हम ये संशोधन न लाते तो न ये विवाद छिड़ता और न ये विवाद छिड़ता तो दुनिया को भी पता न चलता कि पाकिस्‍तान में minority पर कैसे-कैसे जुर्म हुए हैं। कैसे मानवधिकार का हनन हुआ है। कैसे बहन-बेटियों की जिंदगी को बरबाद किया गया है। ये हमारे initiative का परिणाम है कि अब पाकिस्‍तान को जवाब देना पड़ेगा कि 70 साल में आपने वहां पर minority के साथ ये जुर्म क्‍यों किया।  


साथियों, जागरूक रहते हुए, जागरूकता फैलाना, दूसरों को जागरूक करना भी हम सभी का दायित्व है। और भी बहुत से विषय हैं जिसको लेकर के समाज जागरण, जन-आंदोलन, जनचेतना आवश्‍यक है जैसे पानी को ही ले लो... पानी बचाना आज हर नागरिक का दायित्‍व बनता जा रहा है। सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान हो या फिर गरीबों के लिए सरकार की अनेक योजनाएं, इन सभी बातों के लिए जागरूकता बढ़ाने में आपका सहयोग देश की बहुत बड़ी मदद करेगा।


साथियों, हमारी संस्कृति और हमारा संविधान हमसे यही अपेक्षा करता है कि नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों को, अपने दायित्वों को हम पूरी ईमानदारी और पूरे समर्पण भाव से निभाएं। आजादी के 70 साल के दरम्‍यान हमने अधिकार... अधिकार... हमने बहुत सुना है। अधिकार के लिए लोगों को जागरूक भी किया है। और वो आवश्‍यक भी था। लेकिन अब अधिकार अकेला नहीं हर हिन्‍दुस्‍तानी का कर्तव्‍य भी उतना ही महत्‍वपूर्ण होना चाहिए। और इसी रास्ते पर चलते हुए हम भारत को विश्व पटल पर अपने स्वभाविक स्थान पर देख पाएंगे। यही स्वामी विवेकानंद की भी हर भारतवासी से अपेक्षा थी और यही इस संस्थान के भी मूल में है।


स्वामी विवेकानंद जी भी यही चाहते थे, वे भारत मां को भव्‍य रूप में देखना चाहते थे। और हम सब भी तो उन्‍हीं के सपनों को साकार करने के लिए संकल्‍प ले रहे हैं। आज फिर एक स्वामी विवेकानंद जी की पावन पर्व पर बेलुड़ मठ की इस पवित्र धरती पर पूज्‍य संतों के बीच बड़े मनोयोग से कुछ पल बिताने का मुझे सौभाग्‍य मिला। आज सुबह-सुबह बहुत देर तक पूज्‍य स्वामी विवेकानंद जी जिस कमरे में ठहरते थे वहां पर एक आध्‍यात्मिक चेतना है, स्‍पंदन है।  उस माहौल के अंदर आज के प्रात: काल का समय मुझे बिताने का मेरे जीवन का बहुत अमूल्‍य समय था वो जो मुझे आज बिताने का मौका मिला। ऐसा अनुभव कर रहा था जैसे पूज्‍य स्वामी विवेकानंद जी हमसे और अधिक काम करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, नई ऊर्जा दे रहे हैं। हमारे अपने संकल्‍पों में नया सामर्थ्‍य भर रहे हैं और इसी भाव के साथ, इसी प्रेरणा के साथ, इसी नई ऊर्जा के साथ आप सब साथियों के उत्‍साह के साथ इस मिट्टी के आशीर्वाद के साथ मैं फिर एक बार आज यहां से उसी सपनों को साकार करने के लिए चल पड़ूंगा, चलता रहूंगा कुछ-न-कुछ करता रहूंगा... सभी संतों के आशीर्वाद बने रहें। आप सबको भी मेरी तरफ से अनेक-अनेक शुभकामनाएं हैं और स्‍वामी जी ने हमेशा कहा था सब कुछ भूल जाओ मां भारती को ही अपनी देवी मान करके उसके लिए लग जाओ उसी भाव को लेकर के आप मेरे साथ बोलेंगे.... दोनों मुट्ठी हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए...


भारत माता की जय !


भारत माता की जय !


भारत माता की जय !


बहुत-बहुत धन्‍यवाद। 


 


वी.आर.आर.के./वंदना जाटव/ममता.



प्रधानमंत्री ने चार ऐतिहासिक इमारतें राष्‍ट्र को समर्पित कीं

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज कोलकाता में जिर्णोद्धार की जा चुकीं चार ऐतिहासिक इमारतें राष्‍ट्र को समर्पित कीं। इनमें प्रतिष्ठित ओल्‍ड करेंसी बिल्डिंग, बेलवेडियर हाउस, विक्‍टोरिया मेमोरियल हॉल और मेटकॉफ हाउस शामिल है।


प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि आज का दिन एक विशेष अवसर है क्‍योंकि आज के दिन से देश की  कला, संस्‍कृति, और धरोहर के संरक्षण के देशव्‍यापी प्रचार के साथ ही इन धरोहरों के महत्‍व को फिर से समझने,इन्‍हें नयी पहचान देने और नये रूप में लाने का काम शुरु हो रहा है।


ऐतिहासिक धरोहरों का केन्‍द्र


प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की हमेशा से अपने ऐहितासिक धरोहरों को संरक्षित रखने और उनको आधुनिक रूप देने की इच्‍छा रही है। इसी भावना के साथ केन्‍द्र सरकार ने दुनिया में भारत को ऐतिहासिक धरोहरों का पर्यटन केन्‍द्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने देश के पांच संग्रहालयों को अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर का बनाने के लिए उनके आधुनिकीकरण की योजना बनाई है। यह काम कोलकाता में विश्‍व के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक भारतीय संग्रहालय से शुरु किया गया है। उन्‍होंने कहा कि इस काम के लिए संसाधन जुटाने और राष्‍ट्रीय महत्‍व की इन ऐतिहासिक इमारतों के प्रबंधन के लिए  सरकार ने भारतीय धरोहर संस्‍थान स्‍थापित करने की योजना बनाई है जिसे डीम्‍ड यूनिवर्सिटी का दर्जा प्रदान किया जाएगा।


 प्रधानमंत्री ने कहा कि ओल्‍ड करेंसी बिल्डिंग, बेलवेडियर हाउस, विक्‍टोरिया मेमोरियल हॉल और मेटकॉफ हाउस जैसे ऐतिहासिक भवनों के जिर्णोद्धार का काम पूरा हो चुका है। इनमें से बेलेवेडियर हाउस को सरकार एक विश्‍वस्‍तरीय संग्रहालय बनाने की दिशा में प्रयास  कर रही है।
 


विप्‍लवी भारत:


 


प्रधानमंत्री ने कहा कि विक्‍टोरिया मेमोरियल की पांच दीर्घाओं मे से तीन दीर्घाएं काफी समय से बंद पड़ी हैं जो अच्‍छी बात नहीं है। हम इसे दोबार खुलवाने का प्रयास कर रहे हैं। मैं चाहता हूं कि इसमें कुछ जगह स्‍वतंत्रता सेनानियों के योगदान को प्रदर्शित करने के लिए भी होनी चाहिए और इसे विप्‍लवी भारत का नाम दिया जाना चाहिए। यहां ‘ हम सुभाष चंद्र बोस, अर‍बिंदो घोष, रास बिहारी बोस जैसे महान नेताओं और खुदी राम बोस,बाघा जतिन ,बिनय,बादल और दिनेश जैसे क्रांतिकारियों के बारे में काफी कुछ दिखा सकते हैं।‘   


बंगाल की संस्‍कृति और धरोहर अत्‍यंत समृद्ध है और संस्‍कृति ही हमें जोड़कर रखती है। श्री मोदी ने कहा कि हम 2022 में ईश्‍वरचंद विद्यासागर की 200 वीं जयन्‍ती मना रहे हैं। उसी वर्ष भारत अपनी स्‍वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ भी मनाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में नेताजी को लेकर दशकों से जुड़ी जनभावना को ध्‍यान में रखते हुए ही दिल्‍ली के लाल किले और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सुभाष चंद्र बोस के नाम से अलग से एक संग्रहालय बनाया गया है।



बंगाल के प्रतिष्ठित नेताओं को श्रद्धांजलि


प्रधान मंत्री ने बंगाल के स्‍वतंत्रता सेनानियों का जिक्र करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की मिट्टी में जन्‍में और देश के लिए अपना सर्वस्‍व न्‍यौछावर करने वाले महाने नेताओं को आज सच्‍ची श्रद्धांजलि और उचित सम्‍मान देने का समय है। उन्‍होंने कहा कि ऐसे समय में जब " हम श्री ईश्वर चंद्र विद्यासागर की 200 वीं जयंती मना रहे हैं और  भारत अपनी आजदी की 75 वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है ऐसे समय में ही प्रसिद्ध समाज सुधारक और शिक्षाविद् श्री राजा मोहन राय की 250 वीं जयंती भी है। हमें देश के आत्मविश्वास को बढ़ाने  युवाओं महिलाओं और बालिकाओं के कल्याण को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों याद रखने की आवश्यकता है। हमें इस भावना के साथ ही उनकी 250 वीं जयंती मनानी चाहिए।  


भारतीय इतिहास का संरक्षण


प्रधान मंत्री ने कहा कि भारतीय विरासत, भारत के महान नेताओं का संरक्षण, भारत का इतिहास राष्ट्र निर्माण का एक मुख्य पहलू है।


"यह बहुत दुख की बात है कि ब्रिटिश शासन के दौरान लिखे गए भारत के इतिहास ने इसके कई महत्वपूर्ण पहलुओं को छोड़ दिया था। मैं 1903 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए उद्धरण को उद्धृत करना चाहता हूं," भारत का इतिहास वह नहीं है जो हम अपने लिए अध्ययन करते हैं और याद करते हैं। परीक्षा। यह केवल इस बारे में बात करता है कि बाहर के लोगों ने हमें कैसे जीतने की कोशिश की है, कैसे बच्चों ने अपने पिता को मारने की कोशिश की और कैसे भाई आपस में सिंहासन के लिए लड़े। इस तरह के इतिहास के बारे में भारतीय नागरिक, भारतीय कैसे बात करते हैं। जी रहे थे। यह उन्हें कोई महत्व नहीं देता ''।


"गुरुदेव ने यह भी कहा, 'तूफान की ताकत जो भी हो सकती है, अधिक महत्वपूर्ण यह है कि जिन लोगों ने इसका सामना किया, वे इससे कैसे निपटते हैं।"


"दोस्तों, गुरुदेव का यह उद्धरण याद दिलाता है कि उन इतिहासकारों ने केवल बाहर से ही तूफान को देखा है। वे उन लोगों के घरों के अंदर नहीं गए हैं जो तूफान का सामना कर रहे थे। जो लोग इसे बाहर से देखते हैं उन्हें समझ में नहीं आता है कि लोग कैसे काम कर रहे थे। फिर वो"।


"देश के कई ऐसे मुद्दों को इन इतिहासकारों ने पीछे छोड़ दिया", उन्होंने कहा।


"अस्थिरता और युद्ध के उस दौर में, जो देश की अंतरात्मा को बनाए हुए थे, जो हमारी महान परंपराओं को अगली पीढ़ियों तक पहुंचा रहे थे"


"यह हमारी कला, हमारे साहित्य, हमारे संगीत, हमारे संतों, हमारे भिक्षुओं द्वारा किया गया था"


भारतीय परंपरा और संस्कृति को बढ़ावा देना


प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के हर कोने में विभिन्न प्रकार की कला और संगीत से संबंधित विशेष परंपराएं देखी जाती हैं। इसी तरह भारत के हर क्षेत्र में बुद्धिजीवियों और संतों का प्रभाव भी दिखाई देता है। इन व्‍यक्तियों, इन व्यक्तियों, उनके विचारों, कला और साहित्‍य के विभिन्‍न रूपों ने समृद्ध किया है। इतिहास की इन महान हस्तियों ने भारत के इतिहास मे कुछ सबसे बड़े सामाजिक सुधारों का नेतृत्‍व किया है। उनके द्वार दिखाया गया मार्ग आज भी अनुकरणीय है।


   श्री मोदी ने कहा  "भक्ति आंदोलन को कई समाज सुधारकों के गीतों और विचारों से समृद्ध किया । संत कबीर, तुलसीदास और कई अन्य लोगों ने समाज को जागृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।" "हमें याद रखना चाहिए कि स्वामी विवेकानंद ने मिशिगन विश्वविद्यालय में अपनी बातचीत के दौरान कहा था- 'वर्तमान सदी आपकी हो सकती है, लेकिन 21 वीं सदी भारत की होगी।' हमें उनके इस सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते रहना चाहिए।'


उन्‍होंने कहा कि देश की ऐतिहासिक धरोहरों , महान नेताओं तथा इतिहास को को संरक्षित रखना राष्‍ट्र निमार्ण का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि ब्रिटिश राज के समय लिखे गये देश के  इतिहास में कई अहम बातें छोड़ दी गई हैं। उन्‍होंने कहा ' मैं इस संबंध में गुरू रवीन्‍द्र नाथ टैगोर की उस बात को उद्धरण देना चाहता हूं जिसमें उन्‍होंने कहा था ' भारत का इतिहास वह नहीं है जो हम अपनी परीक्षाओं के लिए पढ़ रहे हैं। यह इतिहास सिर्फ यह बताता है कि किस तरह विदेशी बाहर से आए और उन्‍होंने हमपर शासन किया।इसमें यह बताया गया है कि किस तरह सत्‍ता पाने के लिए बेटों ने अपने पिता की हत्‍या की और किस तरह भाई भाई आपस में लड़ मरे। इस तरह के इतिहास में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि भारत के लोग उस समय कैसे जीते थे। उन्‍हें ऐसे इतिहास में कोई महत्‍व नहीं दिया गया है।


 प्रधानमंत्री ने कहा ' गुरुदेव का यह भी कहना था कि तूफानों की ताकत चाहे जैसी भी रही हो असली महत्‍व की बात यह है कि लोगों ने किस तरह इनका मुकाबला किया। '


उन्‍होंने कहा ' मित्रों गुरुदेव की यह बातें यह बताती हैं कि उस समय के इतिहासकारों ने सिर्फ तूफान को देखा। वे लोग उन घरों तक नहीं पहुंच पाए जिन लोगों ने इस तूफान को झेला था। जो सिर्फ बाहर देखते हैं उन्‍हें अदंर की असलियत कभी पता नहीं चलती। ' यही वजह है कि इन इतिहासकारों की नजर से देश की कई सच्‍चाई छूट गई। युद्ध और अशांति के उस दौर में जो लोग देश की सभ्‍यता और संस्‍कृति तथा मूल्‍यों को आने वाली पीढि़यों के लिए  संजोए रख सके उन्‍होंने ऐसा कला, साहित्‍य,संगीत और हमारें संतों तथा रिषियों के माध्‍यम से किया ।


भारतीय संस्‍क्‍ृति और परंपराओं को बढ़ावा


 प्रधानमत्री ने कहा कि देश के विभिन्‍न हिस्‍सों की अपनी कला और संगीत है । इस तरह से देश के अलग अलग हिस्‍सों में बुद्धिजीवियों और संतों का प्रभाव भी अलग अलग रहा है। ऐसे लोगों के विचारों, विभिन्‍न किस्‍म की कला और साहित्‍य ने ही हमारे इतिहास को समृद्ध बनाया है।उनके द्वारा दिखाया गया मार्ग आज भी हमें प्रेरणा देता है।'


उन्‍होंने कहा कि भक्‍ति आंदोलन एक ऐसा आंदोलन था जिसने अपने गीतों और विचारो से सामाजिक चेतना पैदा की थी। संत कबीन ,तुलसीदास और ऐसे ही कई अन्‍य संतों ने समाज में जागरुकता लाने का काम किया।


प्रधानमंत्री ने कहा ' हमें स्‍मरण रखनए चाहिए कि स्‍वामी विवेकानंद ने मिशिगन विश्‍वविद्यालय में दिए गए अपने भाषण में कहा  था ' वर्तमान सदी आपकी हो सकती है लेकिन 21 वीं सदी भारत की होगी।' हमें स्‍वामी विवेकानंद के इस सपने को पूरा करने के लिए अथक प्रयास जारी रखने चाहिए।'


Sunday, January 12, 2020

मतदान पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत जिलाधिकारी ने किया औचक निरीक्षण

रामपुर-जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह ने मतदाता पुनरीक्षण अभियान के अंतर्गत विशेष दिवस के दौरान शहर के खुर्शीद कन्या इंटर कॉलेज में स्थित बूथों सहित विभिन्न बूथों का स्थलीय निरीक्षण करके बीएलओ की उपस्थिति का सत्यापन किया। जिलाधिकारी ने बूथ संख्या 45 पर पहुंच कर निरीक्षण के दौरान पाया कि बीएलओ अनिल कुमार सागर अनुपस्थित हैं।पूछताछ के दौरान उनके स्थानांतरित होने की पुष्टि हुई।जिस पर जिलाधिकारी ने तत्काल दूसरे बीएलओ की तैनाती करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि मतदाता पुनरीक्षण अभियान के दौरान सभी बीएलओ भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार ससमय बूथों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं तथा निर्वाचन आयोग के निर्देशों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित कराएं। इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं होनी चाहिए। अन्यथा कठोरतम कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाएगी।