Thursday, December 19, 2019

ना दिख मजबूर

रूह की गर्त पर एक नकाब लपेटे हूँ।

टूटे सपनो में अब भी आश समेटे हूँ।।

 

दुखों  की  कड़कड़ाती   धूप  बहुत  है।

खुशी की सर्द हवा की उम्मीद समेटे हूँ।।

 

क्यूँ हुआ तू किनारे , सोचता है क्यूँ भला।

देख पीपल के नीचे रखे भगवान का नजारा,

टूट जाये अगर भगवान की मूरत का कोना,

वो भी पीपल के नीचे,दिखता है मजबूर बड़ा।

 

फिर से हौशलो को जिंदा करके खुद को बना।

ना दिखे मजबूर तू,अपना एक आशियाँ बना।।

 

 

 

नीरज त्यागी

जुनून जश्न कामयाबी का 2019 का आयोजन हरदा जिले की प्रताप टॉकीज में संपन्न हुआ

 



 यह प्रोग्राम डायरेक्ट सेल्लिंग कंपनी milifestyle मार्केटिंग जिसके प्रोडक्ट्स भारत सरकार के आयुष प्रीमियम मार्क से प्रमाणित हैं और साथ कौशल विकास योजना, महिला सशक्तिकरण, स्किल इंडिया, और डिजिटल इंडिया के तहत डायरेक्ट सेल्लिंग बिज़नेस लोगों को स्वरोजगार दे रहे हैं और साथ साथ इसमें सफल हुए लोगों को विजेता ऑफ मंथ विनर बने लोगों को इस चीज पर मान सम्मान दिया गया साथ ही जो लोग गोवा विनर बने उन्हें भी सम्मानित किया गया थाईलैंड विनर जिन्होंने फर्स्ट स्लैप कंप्लीट किया उन्हें भी सम्मानित किया गया साथ ही कंपनी की रैंक प्राप्त करने पर स्टार, सुपर स्टार, टीम कोऑर्डिनेटर, एरिया टीम कोऑर्डिनेटर,  डिस्ट्रिक्ट टीम कोऑर्डिनेटर, जोनल टीम कोऑर्डिनेटर, स्टेट टीम कोऑर्डिनेटर, रीजनल टीम कोऑर्डिनेटर इत्यादि रैंक पर सम्मानित किया गया यह कार्यक्रम हर वर्ष में आयोजित किया जाता है जिसमें शम्मा लोगों को सम्मानित किया जाता है इस प्रोग्राम  प्रोग्राम को सफल बनाने में हरदा की टीम फोर्स MP के निर्माता मिस्टर राम पाटिल  मिस्टर संदीप पटवारे सहयोगी शुभम जाधम, गौरव चोलकर, सौरभ राजपूत, विनोद गुर्जर, रश्मि दुगया के सहयोग से संपन्न हुआ । मुख्य अतिथि टीम फोर्स मुंबई से नेशनल टीम कोऑर्डिनेटर मिस्टर मनीष सिंह सर इंटरनेशनल टीम कोऑर्डिनेटर मिस्टर राजन सिंह सर & मिस्टर संतोष सिंह सर आए थे इस कार्यक्रम में उन्होंने अपनी सफल भूमिका निभाई लोगों को बताया कि आज किस तरह डायरेक्ट सेल्लिंग बिज़नेस से उनके जीवन मे परिवर्तन हुआ और उन्हें आम आदमी से इस बिज़नेस ने ख़ास आदमी बनाया, और इस तरह आप भी डायरेक्ट सेलिंग बिजनेस करते हुए अपने सपनों को  इस  बिजनेस से पूरा कर सकते हैं इसी प्रोग्राम को देखने आए दूरदराज गांवों और शहरों के मोरगड़ी, हरदा, खिड़कियां, सिराली, खातेगांव, नेमावर, हंडिया, शिवनी, बानापुरा, बैतूल, खंडवा, भोपाल इत्यादि स्थानों से 1500 सौ से ज्यादा व्यक्तियों ने इस प्रोग्राम को देखा और आनंद लिया राजन सिंह सर ने बताया कि जब उन्होंने यह शुरुआत करी थी तब उन्होंने कभी यह कल्पना नहीं की थी कि कभी एक ऐसा भी दिन आएगा जब लोग इतनी दूर दूर से आकर कुर्सियां ना होने पर भी इस प्रोग्राम को खड़े होकर देखेंगे अभी शुरुआत की सिर्फ 3 साल हुए हैं तो यह आलम है आने वाले 3 सालों में खुले मैदान में प्रोग्राम करना पड़ेगा क्योंकि हरदा जिले के अंदर भी कोई बड़ा हॉल नहीं है लोगों की बढ़ती जागरूकता को देखते हुए आज लोग रोजगार के साथ-साथ देश विदेश की यात्रा और अपने सपनो को पूरा भी कर रहे हैं लोगों के मान सम्मान पर एक व्यक्ति के साथ साथ उसके परिवार को भी सम्मानित कर रहे हैं प्रोग्राम को सफल बनाने में समस्त हरदा जिले की टीम फोर्स MP के सहयोग से ही कार्यक्रम को सफल बनाया गया।  

 

Tuesday, December 17, 2019

स्त्री : रहम की मोहताज नहीं, असीमित शक्तियों का भण्डार

जिस तरह भक्त शिरोमणि हनुमान जी को उनकी अपार-शक्तियों के बारे में बताना पड़ता था और जब लोग समय-समय पर उनका यशोगान करते थे, तब-तब बजरंगबली को कोई भी कार्य करने में हिचक नहीं होती थी, भले ही वह कितना मुश्किल कार्य रहा हो जैसे सैकड़ो मील लम्बा समुद्र पार करना हो, या फिर धवलागिर पर्वत संजीवनी बूटी समेत लाना हो...आदि। ठीक उसी तरह वर्तमान परिदृश्य में नारी को इस बात का एहसास कराने की आवश्यकता है कि वह अबला नहीं अपितु सबला हैं। स्त्री आग और ज्वाला होने के साथ-साथ शीतल जल भी है।
आदिकाल से लेकर वर्तमान तक ग्रन्थों का अध्ययन किया जाए तो पता चलता है कि हर स्त्री के भीतर बहुत सारी ऊर्जा और असीमित शक्तियाँ होती हैं, जिनके बारे में कई बार वो अनभिज्ञ रहती है। आज स्त्री को सिर्फ आवश्यकता है आत्मविश्वास की यदि उसने खुद के 'बिलपावर' को स्ट्राँग बना लिया तो कोई भी उसे रोक नहीं पाएगा। स्त्री को जरूरत है अपनी ऊर्जा, स्टैमिना, क्षमताओं को जानने-परखने की। काश! ऐसा हो जाता तो महिलाओं के साथ अभद्रता, दरिन्दगी, रेप, गैंगरेप और हत्या जैसी अप्रिय एवं दुःखद, अमानवीय घटनाओं पर काफी हद तक नियंत्रण लगता। समाज में छुपे रहने वाले दरिन्दों की विकृत मानसिकता का हर 'सबला' मुँह तोड़ जवाब दे सकती है, इसके लिए उसे स्वयं को पहचानना होगा। साथ ही समाज के स्त्री-पुरूष दोनों को रूढ़िवादी विचार धारा का परित्याग करना होगा।
पूरी दुनिया में आधी आबादी महिलाओं की है बावजूद इसके हजारों वर्षों की चली आ रही परम्परा बदस्तूर जारी है। सारे नियम-कानून महिलाओं पर लागू होते हैं। जितनी स्वतंत्रता लड़को को मिल रही है, उतनी लड़कियों को क्यों नहीं? बराबरी (समानता) का ढिंढोरा पीटा तो जा रहा है, लेकिन महिलाओं पर लगने वाली पाबन्दियाँ कम नहीं हो रही हैं। लड़कों जैसा जीवन यदि लड़कियाँ जीना चाहती हैं तो इन्हें नसीहतें दी जाती हैं, और इनके स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों की धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं। उन पर पाबन्दियाँ लगाई जाती हैं। बीते महीने कश्मीर की प्रतिभाशाली लड़कियों के रॉक बैण्ड 'परगाश' पर प्रतिबन्ध लगाया गया। ऐसा क्यों हुआ? यह बहस का मुद्दा भले ही न बने लेकिन शोचनीय अवश्य ही है।
समाज के मुट्ठी भर रूढ़िवादी परम्परा के समर्थक अपनी नकारात्मक सोच के चलते लड़कियों की स्वतंत्रता को परम्परा विरोधी क्यों मान बैठते हैं? क्या स्त्री-पुरूष समानता के इस युग में लड़के और लड़कियों में काफी अन्तर है। क्या लड़कियाँ उतनी प्रतिभाशाली और बुद्धिमान नहीं हैं, जितना कि लड़के। वर्तमान लगभग हर क्षेत्र में लड़कियाँ अपने हुनर से लड़कों से आगे निकल चुकी हैं और यह क्रम अब भी जारी है। आवश्यकता है कि समाज का हर वर्ग जागृत हो और लड़कियों को प्रोत्साहित कर उसे आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करें। आवश्यकता है कि हर स्त्री-पुरूष अपनी लड़की संतान का उत्साहवर्धन करे उनमें आत्मविश्वास पैदा करे जिसके फलतः वे सशक्त हो सकें। दुनिया में सिर ऊँचा करके हर मुश्किल का सामना कर सकें। लड़की सन्तान के लिए बैशाखी न बनकर उन्हें अपनी परवरिश के जरिए स्वावलम्बी बनाएँ। लड़का-लड़की में डिस्क्रिमिनेशन (भेदभाव) करना छोड़ें।
गाँव-देहात से लेकर शहरी वातावरण में रहने वालों को अपनी पुरानी सोच में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। लड़कियों को चूल्हा-चौके तक ही सीमित न रखें। यह नजरिया बदलकर उन्हें शिक्षित करें। सनद लेने मात्र तक ही नहीं उन्हें घर बिठाकर शिक्षा न दें लड़कों की भाँति स्कूल/कालेज अवश्य भेजे। अब समाज में ऐसी जन-जागृति की आवश्यकता है जिससे स्त्री विरोधी, कार्यों मसलन भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा स्वमेव समाप्त हो इसके लिए कानून बनाने की आवश्यकता ही न पड़े। महिलाओं को जीने के पूरे अधिकार सम्मान पूर्वक मिलने चाहिए। जनमानस की रूढ़िवादी मानसिकता ही सबसे बड़ी वह बाधा है जो महिला सशक्तीकरण में आड़े आ रही है। महिलाएँ चूल्हा-चौका संभाले, बच्चे पैदा करें और पुरूष काम-काज पर निकलें यह सोच आखिर कब बदलेगी?
मैं जिस परिवार से हूँ वह ग्रामीण परिवेश और रूढ़िवादी सोच का कहा जा सकता है, परन्तु मैने अपनी दृढ़ इच्छा-शक्ति से उच्च शिक्षा ग्रहण किया और आज जो भी कर रही हूँ उसमें किसी का हस्तक्षेप मुझे बरदाश्त नहीं। कुछ दिनों तक माँ-बाप ने समाज का भय दिखाकर मेरे निजी जीवन और इसकी स्वतंत्रता का गला घोंटने का प्रयास किया परन्तु समय बीतने के साथ-साथ अब उन्हीं विरोधियों के हौंसले पस्त हो गए। मैं अपना जीवन अपने ढंग से जी रही हूँ, और बहुत सुकून महसूस करती हूँ। मैं बस इतना ही चाहती हूँ कि हर स्त्री (महिला) सम्मानपूर्वक जीवन जीए क्योंकि यह उसका अधिकार है।
इतना कहूँगी कि गाँवों में रहने वाले माँ-बाप अपनी लड़की संतान को चूल्हा-चौका संभालने का बोझ न देकर उन्हें भी लड़कों की तरह पढ़ाए-लिखाएं और शिक्षित बनाएँ ताकि वे स्वावलम्बी बनकर उनका नाम रौशन कर सकें। माँ-बाप द्वारा उपेक्षित लड़की संतान 'डिप्रेसन' से उबर ही नहीं पाएगी तब उसे कब कहाँ और कैसे आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा। जब महिलाएँ स्वयं जागरूक होंगी तो वे समय-समय पर ज्वाला, रणचण्डी, गंगा, कावेरी, नर्मदा का स्वरूप धारण कर अपने शक्ति स्वरूपा होने का अहसास कराती रहेंगी उस विकृत समाज को जहाँ घृणित मानसिकता के लोग अपनी गिद्धदृष्टि जमाए बैठे हैं। आवश्यकता है कि स्त्री को स्वतंत्र जीवन जीने, स्वावलम्बी बनने का अवसर बखुशी दिया जाए ऐसा करके समाज के लोग उस पर कोई रहम नहीं करेंगे क्योंकि यह तो उसका मौलिक अधिकार है। न भूलें कि नारी 'अबला' नहीं 'सबला' है, किसी के रहम की मोहताज नहीं।
रीता विश्वकर्मा

Sunday, December 15, 2019

गन्ना बकाया भुगतान पर किसानों ने कहा कोर्ट निगरानी करे








उत्तर प्रदेश में बेहतर गन्ना मूल्य और बकाए भुगतान की मांग कर रहे किसानों ने उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की है। गन्ना बकाया की लड़ाई लड़ रहे किसानों ने इसका भुगतान उच्च न्यायालय की ओर से गठित निगरानी समिति के जरिए कराए जाने की मांग की है। किसानों का कहना है कि सरकार और अदालत के आदेशों की खुली अवहेलना कर बजाज चीनी मिल समूह न केवल उन्हे भुगतान नहीं कर रहा है बल्कि अपनी सहयोगी कंपनियों को मनमाने कर्ज बांट रहा है।

गन्ना बकाए के भुगतान को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सोमवार को किसानों की याचिका पर सुनवाई होनी है। याचिका में बजाज हिन्दुस्तान शुगर्स लिमिटेड के खिलाफ किसानों के साथ प्रदेश सरकार के गन्ना आयुक्त भी पक्षकार हैं। इस याचिका में किसानों ने कहा है कि अदालत के स्पष्ट आदेशों और निर्देशों के बाद भी बजाज चीनी मिल समूह ने बकाए का भुगतान नही किया है। इस संदर्भ में प्रदेश सरकार ने इसी साल 31 अगस्त की समय सीमा निर्धारित की थी। उच्च न्यायालय ने अपने 16 सितंबर और 19 सितंबर के आदेशों में प्रदेश सरकार से एक महीने के भीतर ब्याज सहित गन्ना मूल्य बकाए का भुगतान सुनिश्चित कराने को कहा था।

याचिकाकर्त्ताओं का कहना है कि प्रदेश सरकार और उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के बाद भी किसानों को भुगतान नही किया जा रहा है। इतना ही नही इस सबके बीच बजाज हिन्दुस्तान शुगर्स लिमिटेड ने अपनी सहयोगी कंपनी बजाज पावर जेनरेशन को 1600 करोड़ रुपये व एक अन्य कंपनी ओजस इंडस्ट्रीज को 500 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान किया है। किसानों का कहना है कि एक ओर जहां उन्हे न्यायालय व सरकार के आदेशों के बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है वहीं बिना किसी ठोस कारण के सहयोगी व अन्य कंपनियों को कर्ज बांटे जा रहे हैं।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में किसानों के कुल गन्ना बकाया में 40 फीसदी हिस्सेदारी अकेले बजाज समूह की चीनी मिलों की है। सरकार के लाख दावों के बाद भी किसानों के पूरे बकाया मूल्य का भुगतान नही हो सका है।

किसान नेता मुकेश सिंह चौहान व कर्ण सिंह का कहना है कि सरकार खुद के व न्यायालय के निर्देशों व आदेशों की लगातार अवहेलना कर रहे बजाज हिन्दुस्तान शुगर्स पर कोई कारवाई नही कर रही है जिसका खामियाजा हजारों किसानों को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों को इस साल भी प्रदेश सरकार ने गन्ना मूल्य न बढ़ाकर निराश किया है दूसरी ओर उन्हें ब्याज सहित बकाया भुगतान दिलाने के लिए ठोस प्रयास नही किए जा रहे हैं।

याचिकाकर्त्ता किसानों ने मांग की है कि अब उन्हें बकाया भुगतान न्यायालय की ओर से गठित निगरानी समिति की देखरेख में कराया जाए।