Thursday, February 27, 2020

 एनसीएससी ने राजस्थान सरकार को नागौर में असामाजिक तत्वों के अत्याचार और अमानवीय व्यवहार के दो पीड़ितों को मुआवजा देने और मामले में तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया

राजस्थान के नागौर में अनुसूचित जाति के दो लोगों पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा अत्याचार और अमानवीय व्यवहार का मामला राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के संज्ञान में लाया गया है। मामले को राजस्थान सरकार के सामने पहले ही उठाया गया है और इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट भी सौंपी गई है।  इस मामले पर एनसीएससी के सचिव ने 20 फरवरी, 2020 को नागौर के डीएम से फोन पर बात की है। एनसीएससी के अध्यक्ष  को 20 फरवरी, 2020 को पुलिस और डीएम द्वारा की गई कार्रवाई की रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी गई।


      प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की है कि पीओए अधिनियम की  धारा 342, 323, 341, 143 आईपीसी, 3 (1) (डी), 3 (1) (एस) और 3 (2) (वीए) के तहत  एफआईआर नंबर 011/19.02.2020  दर्ज की गई। पुलिस ने मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। डीएम ने पुष्टि की है कि 20.02.2020 को नियमानुसार अनुमोदन संख्‍या  डीओएसजेई/9986/एटीआरओसी/2019/106286 के तहत दोनों में से प्रत्‍येक पीड़ित को 50,000/- रुपये का भुगतान किया गया है। एनसीएससी के उपाध्‍यक्ष ने राज्य अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करने और पीड़ित को मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश भी दिया है।



उपराष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों को लोगों के सामाजिक जीवन के साथ आत्मीयता से जुड़ना चाहिए और लोक-प्रसिद्ध 'एकांत' नहीं बने रहना चाहिए

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज सभी विश्वविद्यालयों से कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) की तरह विश्वविद्यालय की सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने और छात्रों को किसी न किसी रूप में सामाजिक सेवा करने के लिए प्रोत्साहन देने का आह्वान किया ताकि वे देश के जिम्मेदार नागरिक बनें। उन्होंने कहा कि खुद को राष्ट्र-निर्माण में सकारात्मक, सार्थक और रचनात्मक तरीके से शामिल करें।


पांडिचेरी विश्वविद्यालय के 28वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने छात्रों से अपने ज्ञान में वृद्धि करने और अपने करियर में उन्नति के लिए अपने बहुमूल्य समय का उचित उपयोग करने के लिए कहा। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और अन्य बड़े कार्यक्रमों में भाग लें और इन्हें जन आन्दोलन में परिवर्तित करें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को लोगों के सामाजिक जीवन के साथ आत्मीयता से जुड़ना चाहिए और लोक-प्रसिद्ध 'एकांत' ही  नहीं बने रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षाविदों को न केवल सामाजिक-आर्थिक संदर्भ में निहित होना चाहिए बल्कि दुनिया भर में ज्ञान की खुशबू भी फैलानी चाहिए।


उपराष्ट्रपति ने 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एक समग्र शिक्षा मानव को परिष्कृत करती है और न केवल बुद्धि और कौशल का विस्तार करती है, बल्कि सहानुभूति, करुणा, सम्मान, सहिष्णुता और सकारात्मक सोच जैसे आवश्यक मानवीय गुणों का समावेश भी करती है।


शिक्षा पर श्री अरबिंदो के विचारों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा को समग्र, ज्ञानवर्धक और सशक्त बनाना होगा। उन्होंने कहा कि यह केवल रोजगार के लिए ही नहीं होनी चाहिए। श्री नायडू ने किसी भी भाषा के आंख मूंदकर विरोध करने को गलत बताते हुए कहा कि हर किसी को अपनी मातृभाषा को सीखने के दौरान जितनी संभव हो उतनी भाषाएं सीखने की कोशिश करनी चाहिए और किसी भी भाषा का कोई विरोध नहीं होना चाहिए।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों- ‘मूल्य प्रवाह उच्च शिक्षण संस्थानों में मानवीय मूल्यों और पेशेवर नीति का समावेश’ के बारे में दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए उपराष्ट्रपति ने संस्थानों से निम्नलिखित पांच प्रणालियों के सृजन के लिए के प्रयास करने का आह्वान किया-


1. समग्र विकास के लिए सीखने की प्रक्रिया


2. दोष रहित शासन


3. प्रभावी संस्थागत प्रबंधन


4. पुरस्कारों और अनुशासन की अच्छी प्रणाली


5. संस्थागत माहौल जहां अधिकारों, आनंद और गलतियों को प्रोत्साहन न मिले।


इस अवसर पर केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की उप राज्यपाल और पांडिचेरी विश्वविद्यालय की मुख्य संरक्षक  डॉ. किरण बेदी, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री श्री वी. नारायणसामी, विद्युत, शिक्षा और कृषि मंत्री श्री आर. कमलाकन्नन, राजस्व, उद्योग और वाणिज्य, परिवहन, सूचना प्रौद्योगिकी, वन, वक्फ बोर्ड और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री, श्री एमओएचएफ शाहजहाँ, कुलपति प्रो. गुरमीत सिंह और विभिन्न विश्वविद्यालय निकायों के विशिष्ट सदस्य भी उपस्थित थे।



भारतीय वायु सेना और रॉयल एयर फोर्स के संयुक्त युद्धाभ्यास इन्द्रधनुष के 5वें संस्करण की शुरुआत

      भारतीय वायु सेना (आईएएफ) और रॉयल एयर फोर्स (आरएएफ) ने 24 फरवरी 2020 को वायु सेना स्टेशन हिंडन पर इंद्रधनुष युद्धाभ्यास के पांचवें संस्करण की संयुक्त रूप से शुरुआत की। युद्ध अभ्यास के इस संस्करण में 'बेस डिफेंस एंड फोर्स प्रोटेक्शन' पर जोर दिया गया है। आतंकी तत्वों से सैन्य प्रतिष्ठानों को अभी हाल के खतरों को देखते हुए युद्ध अभ्यास का यह विषय बहुत महत्वपूर्ण है। इन्द्रधनुष युद्धाभ्यास भारतीय वायुसेना और रॉयल एयर फोर्स को अपने प्रतिष्ठानों को आतंकी खतरों से निपटने के लिए मान्य रणनीतियों और युक्तियों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।


आरएएफ के दल में उनकी रेजिमेंट के 36 विशेष लड़ाके शामिल हैं जबकि भारतीय वायु सेना में गरुड़ फोर्स के 42 लड़ाके शामिल हैं। दोनों दल संयुक्त रूप से कार्य करने वाली योजनाओं और परिदृश्यों के आधार पर मिशन पूरा करेंगी। दोनों पक्ष विशेष हथियारों, उपकरणों और वाहनों का भी उपयोग करेंगे। विशेष मिशन में शहरी निर्मित जोन में  एयरफील्ड आक्रमण, बेस डिफेंस और आतंकवाद विरोधी अभियान शामिल हैं। इन अभ्यासों में सी-130 जे विमान से पैरा ड्राप्स, एमआई-17 वी 5 हेलीकॉप्टरों द्वारा सामरिक इनसर्जन और विभिन्न हवाई सेंसरों का उपयोग शामिल हैं।


भारतीय वायुसेना और रॉयल एयर फोर्स एक दूसरे के परिचालन अनुभव, प्रशिक्षण दर्शन, समकालीन प्रौद्योगिकियों और सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के अनुसरण से महत्वपूर्ण लाभ अर्जित करेंगी। आपसी समझ और मिलनसारिता बढ़ाने के लिए इस अभ्यास के दौरान कुछ सामाजिक खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है। इस अभ्यास का औपचारिक समापन 29 फरवरी 2020 को होगा।



केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने छात्र विश्वकर्मा पुरस्कार 2019 प्रदान किए

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज नई दिल्ली में विजेताओं को विश्वकर्मा पुरस्कार 2019 प्रदान किए। पुरस्कार समारोह का आयोजन अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) में किया गया। विभिन्न उप-श्रेणियों के तहत कुल 23 टीमों को छात्र विश्वकर्मा पुरस्कार (सीवीए) प्रदान किए गए। केंद्रीय मंत्री निशंक ने  उत्कृष्ट संस्थान विश्वकर्मा पुरस्कार (यूएसवीए) के तहत छह संस्थानों को सम्मानित किया।  



श्री निशंक ने पुरस्कार समारोह के अवसर पर सभी विजेताओं को बधाई दी और कहा कि यह क्षण सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि 6 हजार 6 सौ 76 टीमों में से 117 टीमों को फाइनल के लिए चुना जाना और उनमें से 23 टीमों का विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कृत होना यह बताता है कि भारत में बहुत प्रतिभा है। उन्होंने कहा कि सभी टीमों में काफी सामर्थ्य हैं और वे बहुत ही खास हैं। उन्होंने विजेता छात्रों को देश के लिए संपत्ति बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न टीमों के छात्रों ने दूसरों के लिए नए मापदंड निर्धारित किए हैं।