Friday, February 28, 2020

श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सोसायटी की 91वीं वार्षिक आम बैठक की अध्यक्षता की

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सहकारी खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार जल्द ही दस हजार नए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का पंजीकरण करेगी। आज यहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) सोसाइटी की 91वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक एफपीओ को बुवाई, कटाई से लेकर वितरण और विपणन तक खेती से संबंधित सभी गतिविधियों के लिए 15 लाख रुपये की राशि प्रदान करने के लिए बजटीय प्रावधान किया गया है।


श्री तोमर जो आईसीएआर सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के तहत मिशन मोड के अंतर्गत 53 करोड़ मवेशियों और बकरियों का टीकाकरण करने के लिए एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रव्यापी योजना शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मत्स्य पालन, निर्यात और दुग्ध उत्पादन को दोगुना करने के लिए भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।


कृषि मंत्री ने सरकारी योजनाओं के व्यापक प्रसार का भी आह्वान किया ताकि किसानों के बीच लाभ सबसे निचले स्तर पर पहुंच जाए। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत ऐसी आशंकाएं थीं कि बीमा कंपनियों ने किसानों से अधिक लाभ प्राप्त किया, इसके अलावा निरीक्षण के दौरान निचले स्तर पर भ्रष्टाचार की खबरें भी थीं। उन्होंने कहा कि इस तरह की चिंताओं को दूर करने के लिए फसल बीमा योजना को अब स्वैच्छिक रूप से बदल दिया गया है और उसका प्रीमियम भी समान रहेगा,1.5 से 2 प्रतिशत के बीच। श्री तोमर ने कहा कि पीएमएफबीवाई फसल कवर का लाभ उठाने वाले 58 प्रतिशत वो किसान थे जिन्होंने फसल ऋण लिया था। उन्होंने कहा कि हालांकि तथ्य यह है कि बीमा कंपनियों द्वारा एकत्र किए गए कुल 13,000 करोड़ रुपये के प्रीमियम के मुकाबले किसानों को कुल 58,000 करोड़ रुपये का बीमा लाभ दिया गया है।


श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी गई शीर्ष प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कृषि एक क्षेत्र है। कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करना, खेती को एक लाभदायक उद्यम बनाना और किसानों तथा ग्रामीण आय को बढ़ाना चुनौती है। श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है।


इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आईसीएआर, सीएसआईआर और डीआरडीओ के तहत विभिन्न अनुसंधान और विकास संस्थानों, विश्वविद्यालयों और शिक्षाविदों, सार्वजनिक उपक्रमों और उद्योग के बीच तालमेल बनाने का आह्वान किया ताकि उनमें से प्रत्येक द्वारा किए जा रहे भारी निवेश से बड़ा लाभ मिल सके। श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारत को पांच वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है, और साथ ही जोड़ा कि इस लक्ष्य को हासिल करने में कृषि उत्पादन और उत्पादकता बड़े कारक होंगे। उन्होंने कहा कि कृषि में अधिक अनुसंधान और विकास(आरएंडडी), कृषि ऋण की समय पर उपलब्धता, मशीनीकृत खेती और स्वचालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगा।


श्री गोयल ने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि जब हमारी कृषि प्रकृति की अनिश्चितताओं से मुक्त हो जाए तो फिर वे एक मंच की दिशा में काम करें। उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में किसान रेल की घोषणा की गई है और फ्रोजन कंटेनरों वाली ये ट्रेन कृषि उत्पादों के परिवहन और विपणन में एक बड़ा कदम साबित होगी।


सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और योजना राज्यमंत्री (स्वंतत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह ने आरएंडडी के दोहराव से बचने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए उन्होंने ऐसी फसलें विकसित करने का आह्वान किया जो कम पानी में विकसित हो सकें।


सभा को संबोधित करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने लक्षित कृषि सब्सिडी और ग्रामीण योजनाओं के लिए डिजिटलीकरण को बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने आईसीएआर आरएंडडी एक्सटेंशन कार्यक्रम के साथ पीपीपी मॉडल को बढ़ाने पर भी बल दिया। श्री रूपाला ने कहा कि वास्तविक आरएंडडी में अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है क्योंकि आईसीएआर बजट का कम से कम 70 प्रतिशत हिस्सा वेतन और भत्ते देने में जाता है।


किसानों की आय बढ़ाने के लिए अधिक खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का आह्वान करते हुए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री श्री प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा कि कृषि प्रयोगशालाओं को छात्रों और किसानों सहित सभी संबंधित लोगों की भागीदारी के साथ जन संपत्ति बनाया जाना चाहिए।


भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की भूमिका को रेखांकित करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री कैलाश चौधरी ने किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ठोस प्रयास उठाने का आह्वान किया।


कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और आईसीएआर महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने इस संगठन की गतिविधियों के बारे में संक्षेप में बताया। पिछले एक वर्ष में नई फसलों की 229 किस्में जारी की गई हैं जिनमें 189 जलवायु के प्रति अनुकूल फसलें शामिल हैं।


इस अवसर पर श्री तोमर और अन्य गणमान्य लोगों ने आईसीएआर प्रकाशन और आईसीएआर द्वारा विकसित विभिन्न किट और मोबाइल एप भी जारी किए।



भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र ने समुद्र आधारित उपयोगकर्ताओं के लिए तीन नए उत्पाद जारी किए

हैदराबाद स्थित भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) ने अपने विविध उपयोगकर्ताओं की सुविधा के लिए तीन नए उत्पाद जारी किए हैं। आईएनसीओआईएस समुद्री क्षेत्र में उपयोगकर्ताओं के लिए कई निःशुल्क सेवाएं प्रदान करता है। ये संस्थान पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन है। भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र अपने विविध उपयोगकर्ता समुदाय से विशिष्ट सेवाओं के लिए मिले अनुरोधों को वरीयता देता है। इस समुदाय में मछुआरों से लेकर अपतटीय तेल अन्वेषण उद्योग तक शामिल हैं।


इन नए उत्पादों में से एक है 'लघु पोत एडवाइज़री और पूर्वानुमान सेवा प्रणाली' (स्मॉल वेसल एडवाइज़री एंड फोरकास्ट सर्विसेज़ सिस्टम - एसवीएएस)। इसे कई छोटे समुद्री जहाजों, विशेष रूप से मछली पकड़ने वाले जहाजों के परिचालन में सुधार के लिए लाया गया है जो भारत के तटीय जल में विचरण करते हैं। इस दौरान 'स्वेल सर्ज फोरकास्ट सिस्टम' भी लॉन्च किया गया जो भारत की विशाल तटरेखा के पास बसी आबादी के लिए पूर्वानुमान प्रदान करेगा, जो उन लहरों के उफान के चलते कई तरह के नुकसान का सामना करती है। ये लहरें सुदुर दक्षिणी हिंद महासागर से उत्पन्न होती हैं।इन तीन उत्पादों में आखिरी है ‘एलगल ब्लूम इनफॉर्मेशन सर्विस’ (एबीआईएस) जो ऐसी हानिकारक काई यानी शैवालों के खिलने के समय को लेकर जानकारी प्रदान करता है जो तटीय मत्स्य पालन के लिए हानिकारक है और समय-समय पर तटीय आबादी के बीच सांस संबंधी समस्याओं को जन्म देते हैं।


ये तीनों उत्पाद तटीय आबादी और सेवा / उत्पाद उपयोगकर्ताओं के लिए नुकसान को महत्वपूर्ण ढंग से कम करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। प्रत्येक उत्पाद का विवरण निम्नलिखित हैं:


लघु पोत एडवाइज़री और पूर्वानुमान सेवा प्रणाली (एसवीएएस): लघु पोत एडवाइज़री और पूर्वानुमान सेवा प्रणाली दरअसल भारतीय तटीय जल में काम करने वाले छोटे जहाजों के लिए एक नवीन प्रभाव-आधारित सलाह और पूर्वानुमान सेवा प्रणाली है। ये प्रणाली उपयोगकर्ताओं को दस दिन पहले ही उन संभावित क्षेत्रों के बारे में चेतावनी देती है जहां जहाज पलट सकता है। ये एडवाइज़री 7 मीटर तक की चौड़ाई वाली बीम के छोटे जहाजों के लिए वैध होती है। यह सीमा भारत के सभी 9 तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपयोग किए जाने वाले मछली पकड़ने के जहाजों की बीम चौड़ाई की पूरी श्रंखला को कवर करती है। ये चेतावनी प्रणाली 'बोट सेफ्टी इंडेक्स’ (बीएसआई) पर आधारित है जो लहर मॉडल के पूर्वानुमानों से प्राप्त होती है जैसे कि बड़ी ऊंचाई वाली लहर, लहर की ढलान, दिशात्मक प्रसार और समुद्र में हवा का तेजी से विकास जो नाव-विशिष्ट है।


स्वेल सर्ज फोरकास्ट सिस्टम: स्वेल सर्ज फोरकास्ट सिस्टम एक नवीन प्रणाली है जो कल्लकाडल यानी महातरंग उमड़ने (स्वेल सर्ज) की भविष्यवाणी के लिए तैयार की गई है जो भारतीय तट और विशेष रूप से पश्चिमी तट के पास होती है। कल्लकाडल / महातरंग उमड़ना दरअसल एकदम से बाढ़ आने की घटना होती है जो स्थानीय हवाओं या तटीय वातावरण में किसी उल्लेखनीय अग्रिम बदलाव के बिना या फिर तटीय वातावरण में किसी भी अन्य स्पष्ट संकेत के बिना होती हैं। इसलिए स्थानीय आबादी इन बाढ़ की घटनाओं से तब तक पूरी तरह अनजान रहती है जब तक कि वे वास्तव में नहीं हो जाती हैं। इस तरह की घटनाएं पूरे साल रुक-रुक कर होती हैं। कल्लकाडल एक स्थानीय बोलचाल की भाषा है जिसका इस्तेमाल केरल के मछुआरों ने भयंकर बाढ़ के प्रकरणों को संदर्भित करने के लिए किया था और 2012 में यूनेस्को ने औपचारिक रूप से इस शब्द को वैज्ञानिक उपयोग के लिए स्वीकार किया था। कल्लकाडल की घटनाओं के दौरान समुद्र भूमि क्षेत्र में प्रवेश कर लेता है और विशाल क्षेत्रों को जलमग्न कर देता है। इन घटनाओं ने विशेष रूप से हिंद महासागर में 2004 में आई सुनामी के बाद ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि ज्यादातर लोग कल्लकाडल को सुनामी मानने की गलती करते हैं। सुनामी और कल्लकाडल / महातरंग उमड़ना दरअसल दो अलग-अलग प्रकार की लहरें होती हैं जिनके कारण और काम करने के तंत्र पूरी तरह से अलग होते हैं। कल्लकाडल 30 ° S के दक्षिण में दक्षिणी महासागर में मौसम की स्थितियों के कारण होता है। भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन से पता चला है कि दक्षिणी हिंद महासागर में विशिष्ट मौसम संबंधी परिस्थितियां लंबी अवधि की महातरंगों (स्वेल) के निर्माण में सहयोग करती हैं। एक बार उत्पन्न होने के बाद ये महातरंगें उत्तर की ओर यात्रा करती हैं और 3-5 दिनों के समय में भारतीय तटों तक पहुंचती हैं, जिससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आती है। यह प्रणाली अब कल्लकाडल की भविष्यवाणी करेगी और संबंधित अधिकारियों को कम से कम 2-3 दिन पहले चेतावनी दी जाएगी, जो स्थानीय अधिकारियों को आपात योजनाएं बनाने और नुकसान को कम करने में मदद करेंगी।


एलगल ब्लूम इनफॉर्मेशन सर्विस (एबीआईएस): काई या शैवालों के खिलने की बढ़ती आवृत्ति मत्स्य, समुद्री जीवन और पानी की गुणवत्ता पर इसके दुष्प्रभाव के कारण एक प्रमुख चिंता का विषय है। भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र ने "भारतीय समुद्र में शैवाल का पता लगाने और निगरानी" के लिए एक सेवा विकसित की है। इसके लक्षित उपयोगकर्ता मछुआरे, समुद्री मत्स्य संसाधन प्रबंधक, शोधकर्ता, पारिस्थितिकी विज्ञानी और पर्यावरणविद् हैं। यह सेवा भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र की समुद्री मछली पकड़ने की सलाह यानि संभावित फिशिंग ज़ोन की एडवाइज़री में इजाफा करती है। आईएनसीओआईएस-एबीआईएस उत्तरी हिंद महासागर के ऊपर पादक प्लवकों (फाइटोप्लांक्टन) के फैलाव और इस स्थानिक-लौकिक घटना को लेकर करीब करीब उसी समय में सीधे जानकारी प्रदान करेगा। तदनुसार उपग्रहों से प्राप्त होने वाले प्रासंगिक आंकड़ों को रोज़ाना एबीआईएस के माध्यम से प्रसारित किया जाएगा। इन आंकड़ों में समुद्र की सतह का तापमान, क्लोरोफिल-ए, एलगल ब्लूम इंडेक्स - क्लोरोफिल, रोलिंग क्लोरोफिल में विसंगति, रोलिंग समुद्री सतह के तापमान में विसंगति, फाइटोप्लांक्टन वर्ग / प्रजाति, फाइटोप्लांक्टन आकार वर्ग और ब्लूम व ग़ैर-ब्लूम क्षेत्रों को अलग अलग बताने वाली एक संयुक्त तस्वीर शामिल है। इसके अलावा चार क्षेत्रों की पहचान ब्लूम हॉटस्पॉट्स के रूप में की गई है। ये क्षेत्र हैं - 1) उत्तर पूर्वी अरब सागर, 2) केरल का तटीय जल, 3) मन्नार की खाड़ी, और4) गोपालपुर का तटीय जल।



यू0पी0जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ब्लॉक बाजार शुकुल की कार्य कारणी गठित।




तहसील अध्यक्ष उपजा प्रदीप सिंह की अध्यक्षता में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार दिनांक 27 फरवरी  2020 दिन गुरुवार को बाजार शुकुल ब्लाक में सम्मानित पत्रकार साथियों की एक बैठक की गयी।जिसमें सर्वसम्मति से ब्लाक अध्यक्ष सरजू प्रसाद तिवारी, उपाध्यक्ष विक्रम भदौरिया ,महा मंत्री रामफेर यादव ,तथा राजेश कुमार पाल को कोषाध्यक्ष सदस्य महफ़ूज अहमद, सुरजीत यादव को मनोनीत किया गया। कार्यकारिणी के गठन पर उपजा के प्रदेश अध्यक्ष रतन दिक्षित ने दूरभाष पर सभी को बधाई दी है।इस अवसर पर उपजा के प्रदेश कार्य कारिणी सदस्य पवन कुमार तिवारी तहसील उपाध्यक्ष विजय कुमार सिंह, तहसील महा मंत्री कुमैल रिजबी,व कोषाध्यक्ष समर बहादुर सिंह मौजूद रहे। उपस्थित सभी पत्रकार साथियों ने नव निर्वाचित पदाधिकारियों को बधाई दी है। 


 

 



 

ठेका सफाई कर्मचारियों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं :- सलविंदर विराट

दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता, रामपुर-उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के बैनर तले नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। जिसमें ठेका सफाई कर्मचारियों के 2 माह के वेतन ना मिलने पर नाराजगी जताई। शीघ्र ही वेतन देने की मांग की। उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के वरिष्ठ नेता सलविंदर विराट ने इस मौके पर कहा एक फर्जी कंपनी ने नगर पालिका परिषद रामपुर में सफाई कर्मियों की फर्जी भर्ती कर हर व्यक्ति से पांच ₹500 की फर्जी रसीदें काटती है।और यह लोग दो माह से कड़ी मेहनत के साथ सफाई का कार्य कर रहे हैं। लेकिन इन्हें वेतन नहीं मिल रहा है। जिसका जिम्मेदार पालिका प्रशासन है।वरिष्ठ नेता सलविंदर विराट ने कहा कि नगर पालिका परिषद जल्द से जल्द ऐसी कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। और 2 माह से लंबित वेतन देने की मांग की। ज्ञापन देने वालों में सलविंदर विराट, राजीव शर्मा, महफूज अहमद,अर्जुन वाल्मीकि, नीरज गर्ग, आदि लोग उपस्थित रहे।

Thursday, February 27, 2020

स्वीडन के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग का दौरा किया

 स्वीडन की संसद रिक्सदग में संविधान समिति के दस सदस्यीय सांसद प्रतिनिधिमंडल ने आज निर्वाचन आयोग का दौरा किया। रिक्सदग में संविधान समिति की अध्‍यक्ष और सांसद सुश्री करिन एनस्ट्रोम के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल के साथ दो संसदीय अधिकारी और नई दिल्ली में स्वीडन दूतावास के दो राजनयिक भी थे।  प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्तों श्री अशोक लवासा और श्री सुशील चंद्रा से मुलाकात की।


मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा ने स्वीडन के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। अपने संबोधन में  उन्होंने कहा कि आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी, शांतिपूर्ण, समावेशी, सुलभ, नैतिक और सहभागी चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने भारत में हुए पिछले राष्ट्रीय चुनावों की समीक्षा की। उन्होंने बताया कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के आधुनिक साधनों का उपयोग करते हुए  पिछले लोकसभा चनावों और हाल ही में संपन्‍न राज्‍य विधान सभा चुनावों में चुनावी  प्रक्रिया को बाधामुक्‍त और मतदाताओं के अनुकूल बनाने के लिए कई नवीन उपाय किए गए। उन्होंने कहा कि दिव्‍यांग और वरिष्ठ नागरिकों के लिए मतदान को सुलभ करने पर विशेष ध्यान दिया गया था। श्री अरोड़ा ने मेहमान सांसदों और अधिकारियों को चुनाव आयोग के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कार्यक्रम के बारे में भी जानकारी दी। इसमें नई दिल्ली में भारत ए-वेब (एसोसिएशन ऑफ वर्ल्ड इलेक्शन बॉडीज) सेंटर की स्थापना शामिल है जहां 115 सदस्यीय संघ के साथ बेहतर कार्यप्रणाली साझा करने और उसकी क्षमता निर्माण के उद्देश्‍य से प्रलेखन, अनुसंधान और प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्‍होंने कहा कि चुनाव आयोग भविष्‍य में स्‍वीडन चुनाव प्राधिकरण के साथ काम करने को उत्‍सुक है।


चुनाव आयुक्त श्री अशोक लवासा  ने कहा कि आयोग ने लोकतंत्र की प्रगति को फैलाने के लिए कई कदम उठाए हैं। चुनाव आयुक्त श्री सुशील चंद्रा  ने प्रतिनिधिमंडल को चुनाव में धनशक्ति के उपयोग को रोकने के लिए आयोग द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी।


रिक्सदग में संविधान समिति की अध्यक्ष और सांसद सुश्री करिन एनस्ट्रोम ने स्वीडन के प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी के साथ स्वागत करने के लिए आयोग का धन्यवाद किया। उन्होंने स्वीडन की चुनावी प्रणाली के बारे में बताया, जहां एक साथ नगरपालिका, काउंटी और राष्ट्रीय चुनाव कराए जाते हैं। सुश्री एनस्ट्रॉम ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल भारतीय चुनावों के परिमाण  और इसे संपन्‍न कराने के चुनाव आयोग के तरीकों से प्रभावित है।


चुनाव आयोग के महासचिव श्री उमेश सिन्हा ने विश्‍व में सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया के  प्रबंधन की संरचना और कामकाज के बारे में एक प्रस्तुति दी। स्वीडन के प्रतिनिधिमंडल के लिए संसदीय चुनाव-2019 पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई।



पूर्वोत्तर दीर्घकालिक विकास लक्ष्य सम्मेलन 2020 – दूसरा दिन

पूर्वोत्तर दीर्घकालिक विकास लक्ष्य (एसडीजी) सम्मेलन - 2020 गुवाहाटी में चल रहा है। सम्मेलन के दूसरे दिन चार तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिसमें सभी 8 पूर्वोत्तर राज्यों की सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ केन्द्र सरकार के अधिकारी, शिक्षाविद, नागरिक समाज संगठनों, विचारकों और वित्तीय संस्थानों की सक्रिय भागीदारी देखी गई।


पूर्वोत्तर क्षेत्र में एसडीजी : स्थानीयकरण और उपलब्धि के मार्ग पर आयोजित पहले सत्र की अध्यक्षता असम सरकार के पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में सचिव डॉ. इंद्रजीत सिंह ने की। मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव और अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा सरकारों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी सत्र में दल के सदस्य थे। देश में एसडीजी के स्थानीयकरण की मौजूदा वास्तविकता की पृष्ठभूमि में, पूर्वोत्तर राज्य के प्रयासों और उपलब्धियों को सामने रखा गया। सत्र एसडीजी और संबंधित लक्ष्यों को पूर्वोत्तर क्षेत्र के संदर्भ में प्राप्त करने के संबंध में भविष्य की कार्य योजना के साझा परिप्रेक्ष्य के साथ सम्पन्न हुआ।


ड्राइवर्स ऑफ इकोनॉमिक प्रॉस्पेरिटी एंड सस्टेनेबल लाइवलीहुड विषय पर दूसरा सत्र असम सरकार में अपर सचिव, वित्त श्री राजीव बोरा की अध्यक्षता में हुआ। इसमें केन्द्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ-साथ शिक्षाविद, वित्तीय संस्थानों और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल हुए।


इस सत्र में एमएसएमई, कृषि-प्रसंस्करण और हस्तशिल्प क्षेत्रों की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया ताकि एक्ट ईस्ट पॉलिसी में व्यक्त भारत की निर्यात महत्वाकांक्षाओं के साथ रखा जा सके।


जलवायु अनुकूल कृषि विषय पर तीसरे सत्र की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने की। इस सत्र में उच्च-गौण-इनपुट-कृषि और दीर्घकालिक कृषि उत्पादकता के पर्यावरणीय प्रभाव की चुनौतियों को सामने लाया गया। जलवायु अनुकूल कृषि में प्रौद्योगिकी आधारित हस्तक्षेपों का विश्लेषण इस क्षेत्र में इनकी व्यापक अनुकूलनशीलता या प्रतिरूपात्मकता का मूल्यांकन करने के लिए किया गया था। व्यवहार्य संभावनाओं का पता लगाने के लिए ज्ञान के विकास, क्षमता निर्माण और संस्थागत भागीदारी की संभावनाओं का मूल्यांकन किया गया।


पोषण सुरक्षा और स्वास्थ्य तथा सभी के कल्याण विषय पर पहले दिन के अंतिम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने की। इस सत्र में क्षेत्र में स्वास्थ्य की स्थिति और विभिन्न कमजोर समूहों, जैसे महिलाओं और बच्चों, दिव्यांग और एचआईवी / एड्स के पीड़ितों के साथ रहने वाले लोगों के सामने आने वाले मुद्दों की विस्तार से जानकारी ली गई। डॉ. वी. के. पॉल ने राज्यों से एक मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने और निजी क्षेत्र को माध्यमिक और तृतीय देखभाल में शामिल करने की रणनीतियों की पहचान करने का आग्रह किया।


पूर्वोत्तर दीर्घकालिक विकास लक्ष्य (एसडीजी) सम्मेलन - 2020 के तीसरे दिन 'शिक्षा, कौशल, विकास और उद्यमिता', 'संचार सम्पर्क और बुनियादी ढांचा विकास, 'पूर्वोत्तर में असमानता और बहिष्कार का समाधान' तथा अंतिम सत्र ‘वे फॉरवर्ड एंड वेलेडिक्टरी’ विषयों पर तकनीकी सत्र होंगे।   


पूर्वोत्तर दीर्घकालिक विकास लक्ष्य (एसडीजी) सम्मेलन - 2020 की शुरुआत 24 फरवरी, 2020 को गुवाहाटी स्थित असम प्रशासनिक स्टॉफ कॉलेज में हुई। तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन नीति आयोग ने पूर्वोत्तर परिषद, असम सरकार और टाटा ट्रस्ट के सहयोग से किया है। सम्मेलन को यूएनडीपी और आरआईएस का समर्थन प्राप्त है।


नीति आयोग को राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर एसडीजी को अपनाने और उसकी निगरानी करने  का अधिकार प्राप्त है। 2030 तक एसडीजी हासिल करने के लिए इस दशक की कार्रवाई में पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रगति महत्वपूर्ण है और यह सम्मेलन नीति आयोग के उप-राष्ट्रीय स्तर पर साझेदारी को बढ़ावा देने के लगातार किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा है। एसडीजी स्थानीयकरण के संदर्भ में, क्षेत्र के राज्यों ने अपनी विकास योजना और दृष्टि दस्तावेजों में एजेंडा 2030 रूप-रेखा को जोड़ने में काफी प्रगति की है।



श्री गंगवार ने काकीनाड़ा, आंध्र प्रदेश में 100 बिस्तरों वाले ईएसआई अस्पताल की आधारशिला रखी

श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने आज (26 फरवरी, 2020) काकीनाड़ा, आंध्र प्रदेश में 100 बिस्तरों वाले ईएसआई अस्पताल की आधारशिला रखी। आंध्र प्रदेश के श्रम और रोजगार, प्रशिक्षण और फैक्ट्री मंत्री श्री घुमानूर जयराम इस समारोह में मुख्य अतिथि थे। समारोह की अध्यक्षता काकीनाड़ा से सांसद श्रीमती वंगा गीता ने की।


इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के उप-मुख्य मंत्री और राजस्व, स्टैम्प और पंजीकरण मंत्री श्री पिल्ली सुभाष चंद्र बोस, सामाजिक कल्याण मंत्री श्री पीनिपी विश्वरूप, कृषि और सहकारी विपणन खाद्य प्रसंस्करण मंत्री कुरुसाला कन्नाबाबू, काकीनाड़ा नगर निगम की महापौर श्रीमती सुंकारा पावणि, विधान पार्षद श्री चिक्काला रामचंद्र राव, काकीनाड़ा के विधायक श्री द्वरमपुद्दी चंद्रशेखर रेड्डी और ईएसआईसी के चिकित्सा आयुक्त डॉ. आर. के. कटारिया मौजूद थे।


समारोह के दौरान श्री गंगवार ने भारत के कामगारों की बेहतर देख-रेख और सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ईएसआई योजना के तहत योगदान की दरें कम की गई हैं और अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना लागू की गई है।


श्री घुमानूर जयराम ने केन्द्र सरकार को धन्यवाद दिया और आगामी अस्पताल को चलाने में राज्य सरकार का पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। इस दौरान उपस्थित अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने केन्द्र सरकार के प्रयासों को स्वीकार किया और राज्य सरकार के सहयोग का आश्वासन दिया। इस परियोजना के दो वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है। ईएसआईसी के इस अस्पताल के बन जाने के बाद इसे चलाने के लिए राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा।


काकीनाड़ा, आंध्र प्रदेश में ईएसआई अस्पताल


काकीनाड़ा में ईसआई का 100 बिस्तरों वाले अस्पताल का निर्माण सात एकड़ क्षेत्र में किया जाएगा, जिसके आस-पास पूरी तरह हरियाली होगी और इसके निर्माण पर 101.54 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। अस्पताल ग्राउंड + दो स्तरों पर बनाया जाएगा, जिसमें रिहाइशी परिसर शामिल होगा। अस्पताल में सभी आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं जैसे, ओपीडी, वार्ड, प्रयोगशालाएं और आपात सुविधा उपलब्ध होगी। यह अस्पताल काकीनाड़ा और यनम की आवश्यकताओं को पूरा करेगा। यहां इस समय 65 हजार आईपी और 2 लाख से अधिक लाभान्वित हैं।


आंध्र प्रदेश में ईएसआई योजना


आंध्र प्रदेश में 09-10-1955 को आरंभ में 4 केन्द्रों यानी विजयवाड़ा, गुंटूर, येल्लूरू और विशाखापत्तनम के साथ केन्द्रवार ईएसआई योजना लागू की गई थी। इस योजना का धीरे-धीरे 136 केन्द्रों तक विस्तार किया गया। इस समय यह योजना आंध्र प्रदेश के 663 मंडलों में लागू है, जहां 42,880 कर्मचारी, 12,90,051 आईपी और 43,39,208 लाभान्वित हैं। आंध्र प्रदेश में ईएसआई योजना का एक क्षेत्रीय कार्यालय, दो उप क्षेत्रीय कार्यालयों और 22 शाखा कार्यालयों में प्रबंध किया गया था। लाभान्वितों को चिकित्सा सेवाएं 4 ईएसआईएस अस्पतालों, 3 डायग्नॉस्टिक केन्द्रों, 78 ईएसआईएस डिस्पेंसरियों, 79 पैनल क्लीनकों और 34 केन्द्रों में मोबाइल औषधालयों के जरिये प्रदान की जा रही है।


द्वितीय स्तर और सुपर स्पेशलिटी इलाज करने के लिए सभी जिलों और महत्वपूर्ण केन्द्रों में 38 निजी अस्पतालों के साथ अनुबंध किया गया है।


भारत में ईएसआई योजना


कर्मचारी राज्य बीमा निगम एक अग्रणी सामाजिक सुरक्षा संगठन है, जो किफायती चिकित्सा देखभाल जैसे व्यापक सामाजिक सुरक्षा लाभ और कर्मचारी के चोट लगने, बीमार होने और मृत्यु जैसी जरूरतों के समय नकदी लाभ प्रदान करता है। ईएसआई कानून उन परिसरों/संस्थानों में लागू है, जहां 10 या अधिक कर्मचारी काम करते हैं। जिन कर्मचारियों को एक महीने में 21 हजार रूपये तक वेतन मिलता है, ईएसआई कानून के अंतर्गत वह स्वास्थ्य बीमा कवर और अन्य लाभों को प्राप्त करने के हकदार हैं। यह कानून देश भर की 10.33 लाख फैक्ट्रियों और प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, जिससे कर्मचारियों की 3.43 करोड़ पारिवारिक इकाईयां लाभ ले रही हैं। इस समय ईएसआई योजना से लाभ लेने वाली कुल आबादी 13.32 करोड़ है। 1952 में अपने अस्तित्व में आने के बाद से ईएसआई निगम अब तक 154 अस्पताल, 1500/148 डिस्पेंसरियां/आईएसएम इकाईयां, 815 शाखा/भुगतान कार्यालय और 63 क्षेत्रीय और उप क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित कर चुका है।



अप्रैल, 2020 में राज्‍य सभा से सेवानिवृत्‍त होने वाले 55 सांसदों की रिक्‍त सीटों को भरने के लिए द्विवार्षिक चुनाव

17 राज्‍यों से निर्वाचित राज्‍य सभा के 55 सदस्‍यों या सांसदों का कार्यकाल अप्रैल 2020 में सेवानिवृत्‍त होने पर समाप्‍त हो जाएगा जिनका विवरण नीचे दिया गया है:


  




































































































क्र. सं.



राज्‍य



सीटों की संख्‍या



सेवानिवृत्ति की तिथि




  1.  



महाराष्‍ट्र



7



02.04.2020


 




  1.  



ओडिशा



4




  1.  



तमिलनाडु



6




  1.  



पश्चिम बंगाल



5




  1.  



आंध्र प्रदेश



4



09.04.2020


 




  1.  



तेलंगाना



2




  1.  



असम



3




  1.  



बिहार



5




  1.  



छत्तीसगढ़



2




  1.  



गुजरात



4




  1.  



हरियाणा



2




  1.  



हिमाचल प्रदेश



1




  1.  



झारखंड



2




  1.  



मध्‍य प्रदेश



3




  1.  



मणिपुर



1




  1.  



राजस्‍थान



3




  1.  



मेघालय



1



12.04.2020



 


उपर्युक्‍त रिक्तियों का विवरण अंग्रेजी में ‘अनुलग्‍नक-ए’ (हाइपरलिंक) में दिया गया है। भारत निर्वाचन आयोग ने निर्णय लिया है कि राज्‍य सभा के लिए उपर्युक्‍त द्विवार्षिक चुनाव निम्‍नलिखित कार्यक्रम के अनुसार होंगे:



















































क्रसं.



कार्यक्रम



तिथियां



 



अधिसूचना जारी करना



06 मार्च, 2020 (शुक्रवार)



 



नामांकन दाखिल करने  की अंतिम तिथि



13 मार्च, 2020 (शुक्रवार)



 



नामांकनों की जांच



16 मार्च, 2020 (सोमवार)



 



उम्‍मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि



18  मार्च, 2020 (बुधवार)



 



मतदान की तिथि



26 मार्च, 2020  (बृहस्‍पतिवार)



 



मतदान का समय



प्रात: 09:00 बजे से सायं 04:00 बजे तक



 



मतगणना



26 मार्च, 2020 (बृहस्‍पतिवार) को सायं 05:00 बजे से



 



जिस तिथि से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाएगी



30 मार्च, 2020 (सोमवार)



निर्वाचन आयोग ने यह निर्देश दिया है कि मतपत्र पर वरीयता अंकित करने के लिए निर्वाचन अधिकारी (रिटर्निंग ऑफिसर) द्वारा उपलब्‍ध कराए गए पूर्व-निर्धारित विनिर्देश वाले केवल एकीकृत वायलेट कलर स्केच पेन का ही इस्तेमाल किया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में उपर्युक्‍त चुनावों में किसी भी अन्‍य पेन का इस्‍तेमाल नहीं किया जाएगा।


स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। निर्वाचन प्रक्रिया पर करीबी नजर रखने के लिए पर्यवेक्षकों द्वारा पर्याप्‍त उपाय किए जाएंगे।


अमेरिका के राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रंप की भारत की राजकीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का प्रेस वक्तव्य

मेरे मित्र और अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump,


अमेरिकी delegation के सम्मानित सदस्य गण,


Ladies and gentlemen,


नमस्कार।


राष्ट्रपति ट्रम्प और उनके डेलीगेशन का भारत में एक बार फिर हार्दिक स्वागत है। मुझे विशेष ख़ुशी है की इस यात्रा पर वो अपने परिवार के साथ आए हैं। पिछले आठ महीनों में राष्ट्रपति Trump और मेरे बीच ये पाँचवी मुलाक़ात है।


कल मोटेरा में राष्ट्रपति Trump का unprecedented और historical welcome हमेशा याद रखा जाएगा। कल ये फिर से स्पष्ट हुआ कि अमेरिका और भारत के संबद्ध सिर्फ दो सरकारों के बीच नहीं हैं, बल्कि people-driven हैं, people-centric हैं। यह संबंध, 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण पार्टनरशिप्स में है। और इसलिए आज राष्ट्रपति Trump और मैंने हमारे संबंधों को Comprehensive Global Strategic Partnership के स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया है। संबंधों को इस मुकाम तक लाने में राष्ट्रपति Trump का अमूल्य योगदान रहा है।


Friends,


आज हमारी चर्चा में हमने इस partnership के हर अहम पहलू पर सकारात्मक विचार किया - चाहे वो defence and security हो, एनर्जी में strategic partnership हो, टेक्नॉलजी cooperation हो, global connectivity हो, ट्रेड relations हों या फिर people to people ties । भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता रक्षा और सुरक्षा सहयोग हमारी strategic partnership का एक बहुत अहम हिस्सा है। अत्याधुनिक रक्षा उपकरण व platforms पर सहयोग से भारत की डिफेन्स क्षमता में बढ़ोतरी हुई है। हमारे defence manufacturers एक दूसरे की supply chains का हिस्सा बन रहे हैं। भारतीय forces आज सबसे अधिक ट्रेनिंग exercises US की forces के साथ कर रही हैं। पिछले कुछ सालों में, हमारी सेनाओं के बीच interoperability में unprecedented वृद्धि हुई है।


Friends ,


इसी तरह हम अपने homelands की सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय अपराध से लड़ने के लिए भी सहयोग बढ़ा रहे हैं। आज homeland security पर हुए निर्णय से इस सहयोग को और बल मिलेगा। आतंक के समर्थकों को जिम्मेदार ठहराने के लिए आज हमने अपने प्रयासों को और बढ़ाने का निश्चय किया है। President Trump ने ड्रग्स और opioid crisis से लड़ाई को प्राथमिकता दी है। आज हमारे बीच Drug trafficking, narco–terrorism और organized crime जैसी गम्भीर समस्याओं के बारे में एक नए mechanism पर भी सहमति हुई है।


Friends ,


कुछ ही समय पहले स्थापित हमारी Strategic Energy Partnership सुदृढ़ होती जा रही है। और इस क्षेत्र में आपसी निवेश बढ़ा है। तेल और गैस के लिए अमेरिका भारत का एक बहुत महत्वपूर्ण स्त्रोत बन गया है। पिछले चार वर्षों में हमारा कुल energy व्यापार करीब 20 बिलियन डॉलर रहा है। Renewables हो या न्यूक्लियर energy, हमारे cooperation को नई ऊर्जा मिल रही है।


Friends,


इसी तरह, Industry 4.0 और 21st Century की अन्य उभरती टेक्नालजीज़ पर भी इंडिया-US partnership, innovation और enterprise के नए मुक़ाम स्थापित कर रही है। भारतीय professionals के टैलेंट ने अमेरिकी companies की टेक्नॉलजी leadership को मजबूत किया है।


Friends,


भारत और अमरीका आर्थिक क्षेत्र में openness औऱ Fair and Balanced trade के लिए प्रतिबद्ध हैं। पिछले तीन वर्षों में हमारे द्विपक्षीय व्यापार में double-digit growth हुई है, और वह ज्यादा संतुलित भी हुआ है। अगर energy, civil aircrafts, defence, और higher Education लें तो पिछले चार-पांच सालों में सिर्फ इन चार sectors ने ही भारत-अमेरिका के आर्थिक संबंधों में लगभग 70 बिलियन डॉलर्स का योगदान किया है। इसमें से काफी कुछ राष्ट्रपति Trump की नीतियों और फैसलों के कारण संभव हुआ है। मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में ये आंकड़ा काफी बढ़ जाएगा। जहां तक bilateral trade का सवाल है, हमारे Commerce Ministers के बीच सकारात्मक वार्ताएँ हुई हैं । राष्ट्रपति ट्रंप और मैं सहमत हैं कि हमारे Commerce Ministers के बीच जो understanding बनी है उसे हमारी teams legal रूप दें। हम एक बड़ी trade deal के लिए negotiation शुरू करने पर भी सहमत हुए है। हमें आशा है कि आपसी हित में इसके अच्छे परिणाम निकलेंगे।


Friends,


वैश्विक स्तर पर भारत और अमरीका का सहयोग हमारे समान लोकतांत्रिक मूल्यों और उद्देश्यों पर आधारित है। खासकर Indo-Pacific और global commons में rule based international order के लिए यह सहयोग विशेष महत्व रखता है। हम दोनों देश विश्व में connectivity infrastructure के विकास में sustainable and transparent financing के महत्व पर सहमत हैं। हमारा यह आपसी तालमेल एक दूसरे के ही नहीं, बल्कि विश्व के हित में है।


Friends ,


भारत और अमरीका की इस स्पेशल मित्रता की सबसे महत्वपूर्ण नींव हमारे people to people relations हैं। चाहे वो professionals हों या students, US में Indian Diaspora का इस में सबसे बड़ा योगदान रहा है। भारत के ये ambassadors ना सिर्फ़ अपने टैलेंट और परिश्रम से US की अर्थव्यवस्था में contribute कर रहे हैं। बल्कि अपने democratic वैल्यूज़ और समृद्ध culture से अमेरिकन society को भी enrich कर रहे हैं। मैने राष्ट्रपति ट्रंप से अनुरोध किया है कि हमारे professionals के social-security contribution पर totalisation agreement को दोनों पक्ष चर्चा आगे बढ़ाएं। ये आपसी हित में होगा।


Friends,


इन सभी आयामों में हमारे रिश्तों को और मज़बूत बनाने में राष्ट्रपति ट्रम्प की यात्रा ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। एक बार फिर, मैं President Trump को भारत आने के लिए, और भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए हार्दिक धन्यवाद देता हूँ।



डॉ.हर्षवर्धन ने नोवेल कोरोना वायरस से बचाव के उपायों और तैयारियों की समीक्षा की

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ देश में नोवेल कोरोना वायरस से निपटने के उपायों और तैयारियों की समीक्षा की।



डॉ हर्षवर्धन को इस बात से अवगत कराया गया कि वर्तमान में, देश के सभी 21 हवाई अड्डों, 12 बड़े और 65 छोटे बंदरगाहों तथा सीमाओं पर यात्रियों की जांच की जा रही है। अब तक सभी 4,214 उड़ानों और 4,48,449 विमान यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इसके अलावा  उन्‍हें विदेश मंत्रालय के हवाले से यह भी जानकारी दी गई कि वुहान से और भारतीय नागरिकों को लाने के लिए वायुसेना का विशेष विमान 26 फरवरी को भेजने की जाने की योजना है। यह वुहान से लोगों को लेकर 27 फरवरी को वापस आएगा। कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए अब तक 2,707 नमूनों का परीक्षण किया गया, जिनमें से केवल 3 (केरल) लोगों के नतीजे ही पॉजीटिव रहे। उन्‍हें भी इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और अब वे घर पर हैं।


वुहान से लाए गए सभी भारतीय नागरिकों की जांच की गई और उनके नतीजे ने‍गेटिव रहे। इन सभी लोगों के लिए अलग व्‍यवस्‍था की गई थी पर अब इनको घर वापस भेज दिया गया है। 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 23,259 व्यक्तियों को एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) नेटवर्क के माध्यम से सामुदायिक निगरानी में रखा गया था।


डॉ हर्षवर्धन को जानकारी दी गई कि 22 फरवरी, 2020 को सिंगापुर की यात्रा के संबंध में संशोधित यात्रा परामर्श जारी किया गया है। पंजाब में करतारपुर सीमा पर श्रद्धालुओं की आवाजाही को देखते हुए इस बारे में गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और पंजाब सरकार के स्वास्थ्य सचिव के साथ विचार-विमर्श के बाद पंजाब सीमा पर विशेष स्क्रीनिंग व्‍यवस्‍था को मजबूत किया गया है और श्रद्धालुओं के लिए मास्क पहनने की सुविधा शुरू की जा रही है।


स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री को यह भी बताया गया कि चीन के अलावा अन्य देशों में भी कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों को ध्यान में रखते हुए और 10 देशों से आने वाले यात्रियों के लिए भी स्क्रीनिंग शुरू की जा रही है और इस संबंध में विशेष स्वास्थ्य सचिव ने आज 21 हवाई अड्डों के स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों और संबंधित राज्‍यों के स्वास्थ्य सचिवों के साथ एक वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्‍यम से बात की। उन्‍हें यह भी सूचित किया गया कि वर्तमान में, चीन, हांगकांग, थाईलैंड, सिंगापुर, जापान और दक्षिण कोरिया से आने वाली उड़ानों के यात्रियों की स्क्रीनिंग के अलावा, वियतनाम, नेपाल, इंडोनेशिया और मलेशिया से आने वाली उड़ानों के यात्रियों के लिए भी 23 फरवरी, 2020 से स्‍क्रीनिंग की व्‍यवस्‍था की गई है। । स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के सचिव ने बताया कि दुनिया भर में नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण पर ताजा जानकारी पाने के लिए विदेशों में भारतीय दूतावासों के साथ लगातार करीबी संपर्क बनाए रखा गया है।


डॉ. हर्षवर्धन ने नोवेल कोरोना वायरस के प्रबंधन के लिए किए गए बेहतरीन प्रयासों के लिए राज्यों की सराहना की। उन्‍होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के सभी अपर सचिवों और वरिष्‍ठ अधिकारियों को राज्य निगरानी मशीनरी की मजबूती सुनिश्चित करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में प्रतिनियुक्त किया जा सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने केंद्र, राज्यों तथा इसके साथ विदेशों में भारतीय दूतावासों के साथ समन्वय में किए जा रहे विभिन्न एहतियाती उपायों को भी सराहा।




इस्पात मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक

इस्पात मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक आज नई दिल्ली में हुई। इस्पात और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ‘स्टील क्लस्टर डेवलपमेंट’ विषय पर बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते और सासंद श्री विजय बघेल, चंद्रप्रकाश चौधरी, जनार्दन सिंह सिगरीवाल, बिद्युत बरन महतो, सप्तगिरी संकर उलाका, अखिलेश प्रताप सिंह, सतीश चन्द्र दूबे और नरेन्द्र सिंह स्वैन ने भी हिस्सा लिया।

सदस्यों का स्वागत करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि इस्पात भारत के औद्योगिकी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, क्योंकि यह महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे बुनियादी ढांचा, विनिर्माण और मोटर वाहन के लिए एक प्रमुख निविष्टि है। भारतीय इस्पात की क्षमता धीरे-धीरे बढ़कर 142 एमटीपीए हो गई है और देश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक बन गया है। वर्ष 2024-25 तक इस्पात का कुल उपभोग करीब 160 एमटीपीए तक पहुंचने की उम्मीद है और सरकार इस्पात के घरेलू उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा दे रही है। इस्पात के कुल उत्पादन में करीब 55 प्रतिशत योगदान गौण इस्पात उत्पादकों का है और यह मूल्य श्रृंखला में रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। श्री प्रधान ने कहा कि वैश्विक दृष्टि से इस्पात उद्योग क्लस्टर मॉडल में फल-फूल रहा है, क्योंकि ये इकाईयां प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देती हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार वैश्विक बैंच मार्क की तर्ज पर नए इस्पात समूहों के सृजन को बढ़ावा देने की इच्छुक है और वर्तमान समूहों को व्यवस्थित करके सही संस्थागत तंत्र स्थापित करना चाहती है। श्री प्रधान ने कहा कि इस्पात मंत्रालय ने भारत में इस्पात समूहों के विकास के लिए एक मसौदा नीति तैयार की है और यह इस्पात इकाईयों के सामने मौजूद वर्तमान चुनौतियों के समाधान में मदद करने और उनके विकास की संभावनाओं को आगे बढ़ाने का एक प्रयास है। इस नीति में विभिन्न हितधारकों, विशेषकर राज्य सरकारों, उद्योग और जनता की भूमिका और जिम्मेदारियों को ध्यान में रखा जाएगा।


बैठक में माननीय सांसदों ने इस्पात क्षेत्र विशेषकर समूह नीति के संबंध में अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिए।



मंत्रिमंडल ने इंडिया पोर्ट्स ग्‍लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) को डीपीई दिशानिर्देशों में छूट देने के प्रस्‍ताव को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इंडिया पोर्ट्स ग्‍लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) के लिए आरक्षण एवं सतर्कता नीतियों को छोड़कर डीपीई दिशानिर्देशों में छूट देने के प्रस्‍ताव को मंजूरी दी है।      


      आईपीजीएल की स्‍थापना ईरान में चाबहार के शाहिद बेहेस्‍ती बंदरगाह के विकास एवं प्रबंधन के लिए जहाजरानी मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) और दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट (डीपीटी) [पूर्व में कांडला पोर्ट ट्रस्ट (केपीटी)] के संयुक्त रूप से प्रवर्तित एक विशेष उद्देशीय कंपनी के रूप में कंपनी अधिनियम 2013 के तहत की गई थी।  


      व्‍यापक संयुक्त कार्य योजना (जेसीपीओए) से संयुक्त राज्य अमेरिका हटने के बाद विदेश मंत्रालय ने 29 अक्टूबर 2018 को जहाजरानी मंत्रालय को सलाह दी थी कि जेएनपीटी और डीपीटी को अमेरिकी प्रतिबंधों के संभावित प्रभाव से बाहर किया जाए।


      इसके आधार पर और अधिकार प्राप्त समिति के अनुमोदन के साथ जेएनपीटी एवं डीपीटी के सभी शेयरों की खरीदारी सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (एसडीसीएल) द्वारा 17 दिसंबर, 2018 को की गई थी। एसडीसीएल एक केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम (सीपीएसई) है और इसलिए एसडीसीएल की सहायक कंपनी के तौर पर आईपीजीएल भी सीपीएसई बन गई है। परिणामस्‍वरूप, डीपीई के दिशानिर्देश तकनीकी तौर पर आईपीजीएल पर लागू होते हैं।


      चूंकि चाबहार पोर्ट सामरिक उद्देश्यों के साथ देश की पहली विदेशी बंदरगाह परियोजना है। इसलिए आईपीजीएल को बोर्ड द्वारा प्रबंधित कंपनी के रूप में कार्य करने की अनुमति देने की तत्काल आवश्यकता है। जहाजरानी मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के निर्देशों का पालन करते हुए उस पर 5 वर्ष की अवधि के लिए डीपीई के दिशानिर्देश लागू नहीं होंगे। तदनुसार, जहाजरानी मंत्रालय ने परियोजना के सुचारू निष्पादन के लिए डीपीई दिशानिर्देशों की प्रयोज्यता से आईपीजीएल को छूट का अनुरोध किया है।



डीबीटी स्थापना दिवस समारोह 

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का जैव प्रौद्योगिकी विभाग 26 फरवरी, 2020 को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एनआईआई) में अपना 34वां स्थापना दिवस मनाएगा।


विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन इस अवसर पर मुख्य अतिथि होंगे और पुरस्कार प्रदान करेंगे। अपने अस्तित्व में आने के बाद विभाग ने देश भर में विभिन्न स्तरों पर विभिन्न अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों, वैज्ञानिक संगठनों, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं आदि में कार्यरत वैज्ञानिकों के योगदान को प्रोत्साहित करने और उसे पहचान प्रदान करने के लिए विभिन्न पुरस्कारों की शुरूआत की। डीबीटी द्वारा शुरू किए गए विभिन्न पुरस्कारों को अब समग्र रूप से डीबीटी ब्राइट (बायोटेक्नोलॉजी, रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी एक्सीलेंस पुरस्कार) के नाम से जाना जाता है। विभाग ने भारतीय विज्ञान को उल्लेखनीय योगदान देने वाले देश के कुछ ऐसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के सम्मान में कुछ पुरस्कारों को नया नाम दिया है, जो दुनिया भर में वैज्ञानिक समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे हैं।


डीबीटी ब्राइट पुरस्कार में डीबीटी द्वारा दिए जाने वाले निम्नलिखित पुरस्कार शामिल हैं:-



  1. हर गोविंद खुराना – नवोन्मेष युवा जैव प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक पुरस्कार

  2. एस रामचंद्रन – करियर बनाने के लिए राष्ट्रीय जैव विज्ञान पुरस्कार

  3. जानकी अम्मल राष्ट्रीय महिला जैव वैज्ञानिक पुरस्कार

  4. टाटा नवोन्मेष फैलोशिप पुरस्कार

  5. जैव प्रौद्योगिकी सामाजिक विकास पुरस्कार


डीबीटी स्थापना दिवस व्याख्यान जाने-माने वैज्ञानिक, एल वी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट, हैदराबाद के अवकाश प्राप्त निदेशक पद्मश्री डॉ. डी. बालासुब्रमण्यम देंगे।


भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र पिछले तीन दशकों में विकसित हुआ है और इसने विभिन्न क्षेत्रों विशेषकर स्वास्थ्य, कृषि आदि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सरकार और निजी क्षेत्र से काफी समर्थन मिलने के कारण जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र काफी तेजी से विकसित हुआ है और इसकी वार्षिक वृद्धि दर करीब 20 प्रतिशत है। भारत की गणना दुनिया के 12 शीर्ष जैव प्रौद्योगिकी स्थलों में होती है।