Saturday, May 30, 2020

 भारतीय अर्थव्यवस्था

मनुष्य की सम्पूर्ण आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन व विश्लेषण करने वाली विधा अर्थशास्त्र है और इसी अर्थशास्त्र का व्यावहारिक पक्ष 'अर्थव्यवस्था' है। अर्थव्यवस्था एक ऐसी व्यवस्था है जिसकी सहायता से कोई भी देश अपने उपलब्ध संसाधनों का उपयोग और नवनिर्माण करता है। अर्थव्यवस्था से सीमित उपभोग और सीमित संसाधनों के बीच की खाईं पटती है। जिससे उपभोक्ता ज्यादा संतुष्ट हो सके, जिससे उत्पादक भी लाभान्वित हों और समाज में अधिकतम सामाजिक कल्याण सुनिश्चित हो सके।
आर्थिक उदारीकरण के दौर में 'अर्थ' मानव की तमाम गतिविधियों का नियामक बन चुका है।
जिस अर्थव्यवस्था में संसाधनों पर सार्वजनिक स्वामित्व होता है वह समाजवादी या नियंत्रणकारी अर्थव्यवस्था कहलाती है जो कि चीन, उत्तर कोरिया, क्यूबा में देखने को मिलती है।
जिस अर्थव्यवस्था में माँग व पूर्ति के कारकों का प्रभुत्व हो वह पूँजीवादी अर्थव्यवस्था कहलाती है इसमें राज्य व सरकार की भूमिका सीमित होती है।
जिस अर्थव्यवस्था में समाजवादी व पूँजीवादी दोनों अर्थव्यवस्थाओं का लक्षण मौजूद हो मिश्रित अर्थव्यवस्था कहलाती है। यह अर्थव्यवस्था हमारे अपने देश भारत में मौजूद है। जहाँ तक हमारे भारत देश का सवाल है तो यहाँ विकासशील अर्थव्यवस्था पाई जाती है और विकासशील अर्थव्यवस्था का मतलब जहाँ अपने संसाधनों का समुचित दोहन नहीं हो पाया। यहाँ औद्योगीकरण की प्रक्रिया देर से शुरू हुई। १९४०-५० के दशक में औपनिवेशिक स्वतंत्रता प्राप्त करने वाले अधिकांश देशों में यही अर्थव्यवस्था है। ऐसी अर्थव्यवस्था की जीडीपी में कृषि क्षेत्र की भागीदारी में गिरावट व औद्योगिक तथा सेवा क्षेत्रों की भागीदारी में वृद्धि देखी जाती है। वर्तमान में भारत देश में भी यही अर्थव्यवस्था व विकास के द्वितीय चरण का प्रभुत्व है। वैसे इस विकास को बढ़ाने हेतु अनेक योजनाएँ आर्थिक नीतियों की शुरुआत तेजी से हो रही है इसमें मुख्य रूप से निर्वाह कृषि क्षेत्र को वैज्ञानिक तौर-तरीके से सुदृढ़ किया जा रहा है। आत्मनिर्भर बनने की पहल तेज हुई है कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे हम कह सकते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एन एस ओ) के रिपोर्ट के अनुसार देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर बीते वर्ष २०१९-२० की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में घटकर ३.१ फीसदी पर आ गई है। इसका काफी हद तक कारण कोविड 19 की वैश्विक महामारी भी रही है जिसमें उपभोक्ता उत्पाद की मांग काफी कम रही। यह आंकड़ा इससे पहले २००८-०९ में रही थी। हालांकि कृषि क्षेत्र की जीडीपी में वृद्धि इस चौथी तिमाही में बढ़कर ५.९ होना राहत की बात है जो पिछली तिमाही में १.६ फीसदी थी।
वहीं कुछ सेवा क्षेत्रों के भी आर्थिक वृद्धि दर में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। कृषि क्षेत्र की जीडीपी में वृद्धि कृषि पर विशेष ध्यान दिए जाने के बाद देखा गया यह ध्यान बहुत पहले दिया जाना चाहिए था। इस वैश्विक महामारी से जिस आर्थिक मंदी का सामना हमें करने को मिल रहा है वह शायद काफी हद तक कम रहता। आज लघु और कुटीर उद्योगों पर जो ध्यान महामारी के बाद दिया गया वह पहले दिया जाना चाहिए था तो यह आत्मनिर्भरता की तस्वीर ही कुछ अलग होती सरकारों पर जो यह आर्थिक मंदी का बोझ है काफी हद तक कम होता।
स्वदेशी अपनाने की पहल बेहद प्रभावशाली प्रयास है हम विदेशी वस्तुओं पर जो पैसा लगाते थे वह अब हमारे राजस्व की हिस्सेदारी में सहयोगी होगा। जो नीतियां आज अपनाई गई अगर यह पहले अपनाई गई होती तो आत्मनिर्भरता की दहलीज पर हम बहुत पहले पहुंच चुके होते। इन सभी बातों को दरकिनार करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था खुद को मजबूत करने में प्रयासरत है मेक इन इंडिया का विशेष प्रभाव देखा जा रहा है। लोग स्वदेशी अपनाने में उत्सुक नजर आ रहे हैं। ऐसे में सरकार को इन कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान देना होगा ताकि यह उत्सुकता आत्मनिर्भरता का हिस्सा बन सके।
चीनी की घिनौनी हरकत से जो वैश्विक विरोध चरम पर है और देश की जनता का चीन के उत्पादों के बहिष्कार की यह जो आवाज आज उठ रही है सरकार को उस अवसर को भुनाना होगा। मेक इन इंडिया प्रोडक्ट मार्केट में उतरकर खुद की नीतियों को साबित करना चाहिए। ऐसा अनुमान है कि अर्थव्यवस्था में सुधार जरूर देखा जाएगा एक अलग भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर विश्व पटल पर नजर आएगी। वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति बढ़ेगी और मेक इन इंडिया उत्पादों की मांग में भी बढ़ोत्तरी दर्ज होने की उम्मीद रहेगी।


"टाइम्स नाओ सम्मिट" में प्रधानमंत्री के अभिभाषण का मूल पाठ

मैं Times Now ग्रुप के सभी दर्शकों, कर्मचारियों, फील्ड और डेस्क के सभी पत्रकारों, कैमरा और लॉजिस्टिक्स से जुड़े हर साथी को इस समिट के लिए बधाई देता हूं। ये Times Now की पहली समिट है। आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।


साथियों,


इस बार की थीम आपने India Action Plan 20-20 रखी है।लेकिन आज का India तो पूरे दशक के Action Plan पर काम कर रहा है। हां, तरीका 20-20 वाला है और इरादा, पूरी सीरीज में अच्छे परफॉर्मेंस का, नए रिकॉर्ड्स बनाने का और इस सीरीज को भारत की सीरीज बनाने का है। दुनिया का सबसे युवा देश, अब तेजी से खेलने के मूड में है। सिर्फ 8 महीने की सरकार ने फैसलों की जो सेंचुरी बनाई है, वो अभूतपूर्व है। आपको अच्छा लगेगा, आपको गर्व होगा कि भारत ने इतने तेज फैसले लिए, इतनी तेजी से काम हुआ।



  • देश के हर किसान को PM किसान योजना के दायरे में लाने का फैसला- DONE

  • किसान, मज़दूर, दुकानदार को पेंशन देने की योजना- DONE

  • पानी जैसे अहम विषय पर Silos खत्म करने के लिए जलशक्ति मंत्रालय का गठन- DONE

  • Middle Class के अधूरे घरों को पूरा करने के लिए 25 हजार करोड़ रुपए का स्पेशल फंड- DONE

  • दिल्ली के 40 लाख लोगों को घरों पर अधिकार देने वाला कानून- DONE

  • तीन तलाक से जुड़ा कानून- DONE

  • Child Abuse के खिलाफ सख्त सज़ा का कानून- DONE

  • Transgender Persons को अधिकार देने वाला कानून- DONE

  • चिटफंड स्कीम के धोखे से बचाने वाला कानून- DONE

  • National Medical Commission Act- DONE

  • Corporate Tax में ऐतिहासिक कमी- DONE

  • Road Accidents की रोक के लिए सख्त कानून- DONE

  • Chief of Defence Staff का गठन- DONE

  • देश को Next Generation Fighter Plane की डिलिवरी- DONE

  • Bodo Peace Accord – DONE

  • Brue-Reang Permanent Settlement- DONE

  • भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का काम- DONE

  • Article-370 को हटाने का फैसला- DONE

  • जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला- DONE


और



  • Citizenship Amendment Act भी - DONE


मैं कभी कभार Times Now पर देखता हूं, News 30, इतने मिनट में इतनी खबरें। ये कुछ वैसा ही हो गया। और ये भी सैंपल ही है। इस सैंपल से ही आपको लग गया होगा कि The Actual Action begins here!!! मैं Non-Stop ऐसे अनेकों फैसले और भी गिना सकता हूं। सिर्फ सेंचुरी नहीं, डबल सेंचुरी लग सकती है। लेकिन ये फैसले गिनाकर, मैं जिस Point पर आपको ले जाना चाहता हूं, उसे समझना भी जरूरी है।


साथियों,


आज देश दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान करते हुए, 21वीं सदी में तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुनिया के सबसे युवा देश को जितनी Speed से काम करना चाहिए, हम वैसे ही कर रहे हैं। अब भारत समय नहीं गंवाएगा। अब भारत तेजी से चलेगा भी और नए आत्मविश्वास के साथ आगे भी बढ़ेगा। देश में हो रहे इन परिवर्तनों ने, समाज के हर स्तर पर नई ऊर्जा का संचार किया है, उसे आत्मविश्वास से भर दिया है।


आज देश के गरीब में ये आत्मविश्वास आ रहा है कि वो अपना जीवन स्तर सुधार सकता है, अपनी गरीबी दूर कर सकता है। आज देश के युवा में ये आत्मविश्वास आ रहा है कि वो Job Creator बन सकता है, अपने दम पर नए Challenges को पार कर सकता है। आज देश की महिलाओं में ये आत्मविश्वास आ रहा है कि वो हर क्षेत्र में अपना दम-खम दिखा सकती हैं, नए कीर्तिमान बना सकती हैं। आज देश के किसान में ये आत्मविश्वास आ रहा है कि वो खेती के साथ ही अपनी आय बढ़ाने के लिए खेती से जुड़े अन्य विकल्पों पर काम कर सकता है। आज देश के उद्यमियों में. व्यापारियों में ये आत्मविश्वास आ रहा है कि वो एक अच्छे बिजनेस Environment में, अपना बिजनेस कर सकते हैं, अपना बिजनेस बढ़ा सकते हैं।


आज के भारत ने, आज के न्यू इंडिया ने अपनी बहुत सी समस्याओं को पीछे छोड़ दिया है। आजादी के 70 साल बाद भी हमारे देश में करोड़ों लोग बैंकिंग सिस्टम से नहीं जुड़े थे, करोड़ों लोगों के पास गैस कनेक्शन नहीं था, घरों में टॉयलेट्स नहीं थे। ऐसी अनेक दिक्कतें थीं जिनमें देश के लोग और देश उलझा हुआ था। अब ऐसी अनेक परेशानियां दूर हो चुकी हैं। अब भारत का लक्ष्य है अगले पाँच साल में अपनी अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक का विस्तार देना। ये लक्ष्य, आसान नहीं, लेकिन ऐसा भी नहीं कि जिसे प्राप्त ही नहीं किया जा सके।


साथियों,


आज भारत की Economy करीब 3 ट्रिलियन डॉलर की है। यहां इतने Informed लोग हैं। मैं आपसे एक और सवाल पूछता हूं। क्या आपने कभी सुना था कि देश में कभी 3 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया था। नहीं न। हम 70 साल में 3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचे। पहले न किसी ने सवाल पूछा कि इतना समय क्यों लगा और न ही किसी ने जवाब दिया। अब हमने लक्ष्य रखा है, सवालों का भी सामना कर रहे हैं और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जी-जान से जुटे भी हैं। ये भी पहले की सरकारों औऱ हमारी सरकार के काम करने के तरीके का फर्क है। दिशाहीन होकर आगे बढ़ने से अच्छा है कि मुश्किल लक्ष्य तय करके उसे प्राप्त करने की कोशिश की जाए। अभी हाल में जो बजट आया है, वो देश को इस लक्ष्य की प्राप्ति में, 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने में और मदद करेगा।


साथियों,


इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ये बहुत आवश्यक है कि भारत में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़े, Export बढ़े। इसके लिए सरकार ने अनेक फैसले लिए हैं। देशभर में इलेक्ट्रॉनिक, मेडिकल डिवाइस और टेक्नोलॉजी क्लस्टर बनाने का फैसला किया है। नेशनल टेक्नीकल टेक्सटाइल मिशन से भी इसे सहयोग मिलेगा। हम जो एक्सपोर्ट करेंगे, उसकी क्वालिटी बनी रहे, इसके लिए भी नीतिगत निर्णय लिए गए हैं।


साथियों,


Make In India, भारत की अर्थव्यवस्था को, देश के छोटे से छोटे उद्यमियों के लिए बहुत बड़ी मदद कर रहा है। विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स Items की मैन्यूफैक्चरिंग में तो भारत ने अभूतपूर्व तेजी दिखाई है। वर्ष 2014 में देश में 1 लाख 90 हजार करोड़ रुपए के इलेक्ट्रॉनिक Items का निर्माण हुआ था। पिछले साल ये बढ़कर 4 लाख 60 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। सोचिए, 2014 में भारत में मोबाइल बनाने वाली सिर्फ 2 कंपनियां थीं। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।


साथियों,


5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर पर 100 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर पर 100 लाख करोड़ रुपए के निवेश से भी बड़ी मदद मिलेगी। देशभर में 6500 ज्यादा प्रोजेक्ट्स पर होने वाला काम, अपने आसपास के क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को गति देगा। इन प्रयासों के बीच, ये भी सही है कि भारत जैसी ‘Emerging Economy’ वाले देश के सामने चुनौतियां भी ज्यादा होती हैं। उतार-चढ़ाव भी आते हैं और वैश्विक परिस्थितियों का प्रभाव भी ज्यादा झेलना पड़ता है। भारत हमेशा ऐसी परिस्थितियों को पार करता रहा है और आगे भी करता रहेगा। हम स्थितियों को सुधार रहे हैं, निरंतर फैसले ले रहे हैं। बजट के बाद भी वित्त मंत्री निर्मला जी, लगातार अलग-अलग शहरों में Stakeholders से मिल रही हैं। ये इसलिए, क्योंकि हम सभी के सुझावों को मानते हुए, सभी को साथ लेकर चल रहे हैं।


Friends,


अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की कोशिशों के साथ ही, इसी से जुड़ा एक और महत्वूपूर्ण विषय है, देश में Economic Activity के उभरते हुए नए सेंटर्स। ये नए सेंटर्स क्या हैं? ये सेंटर्स हैं हमारे छोटे शहर, Tier-2. Tier-3 Cities. सबसे ज्यादा गरीब इन्हीं शहरों में है, सबसे बड़ा मध्यम वर्ग इन्हीं शहरों में है। आज देश के आधे से अधिक डिजिटल ट्रांजेक्शन छोटे शहरों में हो रहे हैं। आज देश में जितने स्टार्टअप्स रजिस्टर हो रहे हैं, उनमें से आधे टीयर-2., टीयर-3 शहरों में ही हैं। और इसलिए पहली बार किसी सरकार ने छोटे शहरों की भी Economic Growth पर ध्यान दिया है। पहली बार किसी सरकार ने, इन छोटे शहरों के बड़े सपनों को सम्मान दिया है। आज, छोटे शहरों के बड़े सपनों को, नए नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे बुलंदी दे रहे हैं। उड़ान के तहत बन रहे नए एयरपोर्ट, नए एयर रूट्स उन्हें एयर कनेक्टिविटी से जोड़ रहे हैं। सैकड़ों की संख्या में इन शहरों में पासपोर्ट सेवा केंद्र खुलवाए गए हैं।


साथियों,


5 लाख तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स का लाभ भी छोटे शहरों को सबसे अधिक हुआ है। MSMEs को बढ़ावा देने के लिए, जो फैसले हमने लिए उसका लाभ भी इन्हीं शहरों के उद्यमियों को सबसे ज्यादा हुआ है। अभी बजट में सरकार ने जो नए मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी घोषणा की है, उससे भी सबसे ज्यादा फायदा छोटे शहरों को ही होगा।


साथियों,


हमारे देश में एक और क्षेत्र रहा है जिस पर हाथ लगाने में सरकारें बहुत हिचकती रही हैं। ये है टैक्स सिस्टम। बरसों से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था। अब तक हमारे यहां Process Centric टैक्स सिस्टम ही हावी रहा है। अब उसे People Centric बनाया जा रहा है। हमारा प्रयास टैक्स/जीडीपी रेशियो में बढ़ोतरी के साथ ही लोगों पर टैक्स का बोझ कम करना भी है। जीएसटी, इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स, हर दिशा में हमारी सरकार ने टैक्स में कटौती की है। पहले गुड्स एंड सर्विसेस पर ऐवरेज टैक्स रेट 14.4 परसेंट था, जोकि आज कम होकर 11.8 परसेंट हो गया है। इस बजट में ही इनकम टैक्स स्लैब्स को लेकर एक बड़ा ऐलान किया गया है। पहले टैक्स में छूट के लिए कुछ तय Investments ज़रूरी थे। अब आपको एक विकल्प दिया गया है।


साथियों,


कभी-कभी देश के नागरिकों को टैक्स देने में उतनी दिक्कत नहीं होती जितनी इस प्रक्रिया से और प्रक्रिया का पालन कराने वाले लोगों से। हमने इसका भी रास्ता खोजा है। फेसलेस असेसमेंट के बाद इस बजट में फेसलेस अपील की भी घोषणा की गई है। यानि टैक्स असेस करने वाले को अब ये पता नहीं चलेगा कि वो किसका टैक्स असेस कर रहा है, वो किस शहर का है। इतना ही नहीं, जिसका टैक्स असेसमेंट होना है, उसे भी पता ही नहीं लगेगा कि अफसर कौन है? यानि खेल की सारी गुंजाइश ही खत्म।


साथियों,


अकसर सरकार के ये प्रयास हेडलाइंस नहीं बन पाते लेकिन आज हम दुनिया के उन गिने चुने देशों में शामिल हो गए हैं, जहां टैक्स पेयर्स के अधिकारों को स्पष्टता से डिफाइन करने वाला टैक्सपेयर्स चार्टर भी लागू होगा। अब भारत में टैक्स Harassment बीते दिनों की बातें होने जा रही हैं। आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से अब देश टैक्स Encouragement की दिशा में बढ़ रहा है।


Friends,


सरकार द्वारा देश को Tax Compliant Society बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। बीते 4-5 वर्षों में देश ने इसमें काफी प्रगति की है लेकिन अभी लंबा सफर बाकी है। मैं आपके सामने कुछ आंकड़ों के साथ अपनी बात कहना चाहता हूं।


साथियों,


पिछले पाँच साल में देश में डेढ़ करोड़ से ज्यादा कारों की बिक्री हुई है। 3 करोड़ से ज्यादा भारतीय, बिजनेस के काम से या घूमने के लिए विदेश गए हैं। लेकिन स्थिति ये है कि 130 करोड़ से ज्यादा के हमारे देश में सिर्फ डेढ़ करोड़ लोग ही इनकम टैक्स देते हैं। इसमें से भी प्रतिवर्ष 50 लाख रुपए से ज्यादा आय घोषित करने वालों की संख्या लगभग 3 लाख है। आपको एक और आंकड़ा देता हूं। हमारे देश में बड़े-बड़े डॉक्टर हैं, लॉयर्स हैं, चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, अनेक प्रोफेशनल्स हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में छाए हुए हैं, देश की सेवा कर रहे हैं। लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि देश में करीब सिर्फ 2200 प्रोफेशनल्स ही हैं जो अपनी सालाना इनकम को एक करोड़ रुपए से ज्यादा बताते हैं। पूरे देश में सिर्फ 2200 प्रोफेशनल्स !!!


साथियों,


जब हम देखते हैं कि लोग घूमने जा रहे हैं, अपनी पसंद की गाड़ियां खरीद रहे हैं तो खुशी होती है। लेकिन जब टैक्स भरने वालों की संख्या देखते हैं, तो चिंता भी होती है। ये Contrast भी देश की एक सच्चाई है। जब बहुत सारे लोग टैक्स नहीं देते, टैक्स नहीं देने के तरीके खोज लेते हैं, तो इसका भार उन लोगों पर पड़ता है, तो ईमानदारी से टैक्स चुकाते हैं। इसलिए, मैं आज प्रत्येक भारतीय से इस विषय में आत्ममंथन करने का आग्रह करूंगा। क्या उन्हें ये स्थिति स्वीकार है? आज पर्सनल इनकम टैक्स हो या फिर कॉरपोरेट इनकम टैक्स, भारत दुनिया के उन देशों में है जहां सबसे कम टैक्स लगता है। क्या फिर जो असमानता मैंने आपको बताई, वो खत्म नहीं होनी चाहिए?


साथियों,


सरकार को जो टैक्स मिलता है, वो देश में जन कल्याण की योजनाओं में काम आता है, इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने में काम आता है। टैक्स के इसी पैसे से देश में नए एयरपोर्ट्स बनते हैं, नए हाईवेज बनते हैं, मेट्रो का काम होता है। गरीबों को मुफ्त गैस कनेक्शन, मुफ्त बिजली कनेक्शन, सस्ता राशन, गैस सब्सिडी, पेट्रोल डीजल सब्सिडी, स्कॉलरशिप, इतना सब कुछ सरकार इसलिए कर पाती है, क्योंकि देश के कुछ जिम्मेदार नागरिक, पूरी ईमानदारी से टैक्स दे रहे हैं। और इसलिए, बहुत आवश्यक है कि देश का हर वो व्यक्ति, जिसे देश ने, समाज ने इतना कुछ दिया है वो अपना कर्तव्य निभाए। जिनकी वजह से उसकी आय इतनी है कि वो टैक्स देने के लिए सक्षम बना है, उसे ईमानदारी से टैक्स देना भी चाहिए। मैं आज Times Now के मंच से, सभी देशवासियों से ये आग्रह करूंगा कि देश के लिए अपना जीवन समर्पित करने वालों को याद करते हुए एक प्रण लें, संकल्प लें। उन लोगों को याद करें जिन्होंने देश को आजाद कराने में अपने प्राणों की आहूति दे दी थी। देश के उन महान वीर बेटे-बेटियों को याद करते हुए, ये प्रण लें कि वो ईमानदारी से जो टैक्स बनता है, उसे देंगे।


वर्ष 2022 में आजादी के 75 वर्ष होने जा रहे हैं। अपने संकल्पों को इस महान पर्व से जोड़िए, अपने कर्तव्यों को इस महान अवसर से जोड़िए। मेरा मीडिया जगत से भी एक आग्रह है। स्वतंत्र भारत के निर्माण में मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका रही है। अब समृद्ध भारत के निर्माण में भी मीडिया को अपनी भूमिका का विस्तार करना चाहिए। जिस तरह मीडिया ने स्वच्छ भारत, सिंगल यूज प्लास्टिक पर जागरूकता अभियान चलाया, वैसे ही उसे देश की चुनौतियों, जरूरतों के बारे में भी निरंतर अभियान चलाते रहना चाहिए। आपको सरकार की आलोचना करनी हो, हमारी योजनाओं की गलतियां निकालनी हो, तो खुलकर करिए, वो मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर भी बहुत महत्वपूर्ण फीडबैक होता है, लेकिन देश के लोगों को निरंतर जागरूक भी करते रहिए। जागरूक, सिर्फ खबरों से ही नहीं बल्कि देश को दिशा देने वाले विषयों से भी।


साथियों,


21वीं सदी को भारत की सदी बनाने में बहुत बड़ी भूमिका है, अपने-अपने कर्तव्य के पालन की। एक नागरिक के तौर पर देश हमसे जिन कर्तव्यों को निभाने की अपेक्षा करता है, वो जब पूरे होते हैं, तो देश को भी नई ताकत मिलती है, नई ऊर्जा मिलती है। यही नई ऊर्जा, नई ताकत, भारत को इस दशक में भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। ये दशक भारत के Startups का होने वाला है। ये दशक भारत के Global Leaders का होने वाला है। ये दशक भारत में Industry 4.0 के मजबूत नेटवर्क का होने वाला है। ये दशक, Renewable Energy से चलने वाले भारत का होने वाला है। ये दशक Water efficient और Water Sufficient भारत का होने वाला है। ये दशक भारत के छोटे शहरों का होने वाला है, हमारे गांवों का होने वाला है। ये दशक, 130 करोड़ सपनों का है, Aspirations का है। मुझे विश्वास है कि इस दशक को भारत का दशक बनाने के लिए अनेक सुझाव Times Now की पहली Summit से निकलेंगे। और आलोचना के साथ, सुझावों के साथ ही, कुछ बात कर्तव्यों पर भी होगी।


आप सभी को फिर से बहुत शुभकामनाएं।


बहुत-बहुत धन्यवाद !!!



श्री पीयूष गोयल ने व्यापार संघों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये व्यापार संघों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन अवधि के दौरान राष्ट्र ने खुद को कोविड-19 महामारी से लड़ने तथा क्षमता निर्माण के लिए तैयार किया। सुरक्षा उपकरणों (जैसेकि मास्क, सैनिटाइजर, दस्ताने, पीपीई) के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिला, स्वास्थ्य अवसंरचना में तेजी आई और लोगों के बीच जागरूकता का संचार हुआ।


उन्होंने कहा कि लोगों ने सरकार के दिशानिर्देशों एवं निर्देशों का अनुपालन करने के द्वारा इस अभूतपूर्व संकट का सामना करने के लिए एकजुट होकर काम करने की प्रधानमंत्री की अपील का प्रत्युत्तर दिया। इस अवधि के दौरान आरोग्य सेतु का विकास किया गया है जो ऐसे संकट में कवच, मित्र और संदेशवाहक के रूप में कार्य करता है। लोगों ने अपनी जीवन शैली बदली और त्वरित गति से ऐसी परिस्थितियों के तहत अलग तरीके से रहने, कार्य करने,अध्ययन करने के लिए खुद को तैयार किया। श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा सही समय पर एवं सही तरीके से लिए गए निर्णयों तथा लोगों द्वारा अनुपालन किए जाने ने देश की सहायता की है क्योंकि कि आज हम अधिक संसाधनों तथा कम जनसंख्या वाले दुनिया के कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं।


दिशानिर्देशों में ढील दिए जाने के बाद भी खुदरा व्यापारियों के सामने आने वाली कुछ परेशानियों के संबंध में मंत्री ने कहा कि बिना अनिवार्य एवं गैर अनिवार्य के बीच अंतर किए अधिकांश दुकानों को खोल दिए जाने की अनुमति दे दी गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए मॉल्स में शेष दुकानों को खोलने का निर्णय भी शीघ्र लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोवड-19 से लड़ने के लिए केंद्रीय वित मंत्री द्वारा घोषित आत्म निर्भर पैकेज ने एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी उपलब्ध कराई और यह व्यापारियों को भी कवर करता है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई सेक्टर की परिभाषा में किए गए परिवर्तन से भी उन्हें लाभ पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने भी संकेत दिया है कि उनके पास उन समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए भी खुला दिमाग है जो अभी तक अनसुलझी रही हैं।


श्री गोयल ने खुदरा व्यापारियों को ई-कॉमर्स की बाजीगरी से खतरा महसूस न करने को कहा क्योंकि आम लोगों ने अब महसूस कर लिया है कि पड़ोस के किराना दुकानदार ही संकट की इस घड़ी में उनकी सहायता की है। उन्होंने कहा कि सरकार खुदरा व्यापारियों के लिए बी2बी को सुगम बनाने के लिए तंत्र तथा उनकी पहुंच को विस्तारित करने के लिए तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के तहत सरकार ने रूपांतरकारी पहलें की हैं जो भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनने में सहायता करेंगी। मियादी ऋण, मुद्रा ऋण एवं अन्य मुद्वों से जुड़ी व्यापारिक समुदाय की दूसरी समस्याओं के संबंध में श्री गोयल ने कहा कि इसका समाधान करने के लिए इस मुद्वे को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाया जाएगा। 


श्री गोयल ने कहा कि विभिन्न संकेतकों से प्रदर्शित होता है कि आर्थिक सुधार पटरी पर हैं। इस महीने बिजली का उपभोग पिछले वर्ष की इस अवधि के लगभग बराबर है, ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ा है। निर्यात, जो अप्रैल में लगभग 60 प्रतिशत कम हो गया था, उसमें बढोत्तरी का संकेत मिलना आरंभ हो गया है और आरंभिक संख्याओं से संकेत मिलता है कि इस महीने की गिरावट कम होगी। दूसरी तरफ, सेवा निर्यात पिछले महीने भी बढ़ा। उन्होंने कहा कि मर्केन्डाइज निर्यात में गिरावट से अधिक, आयातों में पिछले महीने अधिक कमी प्रदर्शित हुई जिससे व्यापार घाटा कम हुआ।


श्री गोयल ने कहा कि पिछले दो महीनों के दौरान सरकार ने व्यापारियों एवं भारतीय विनिर्माताओं की कठिनाइयों को कम करने के लिए कई कदम उठाये हैं और भविष्य में भी वह उनकी सहायता करेंगे। उन्होंने व्यापारियों से भारतीय वस्तुओं का उपयोग करने, उन्हें बढ़ावा देने और उनका समर्थन करने की अपील की। मंत्री महोदय ने उन्हें विश्वास, निर्भीकता और संकल्प के साथ काम करने को प्रेरित किया जिससे सफलता अर्जित की जा सकेगी।



टीके के विकास और दवाओं के परीक्षण के लिए सीसीएमबी में कोरोना वायरस कल्चर

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला आणविक जीवविज्ञान केन्द्र (सीसीएमबी) के वैज्ञानिकों ने मरीजों के नमूने से कोविड-19 के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) का स्थिर संवर्धन (कल्चर) किया है। लैब में वायरस के संवर्धन की क्षमता से सीसीएमबी के वैज्ञानिकों को कोविड-19 से लड़ने के लिए टीका विकसित करने और संभावित दवाओं के परीक्षण में मदद मिल सकती है।


वैज्ञानिक जब वायरस कल्चर करते हैं, तो यह स्थिर होना चाहिए, जिसका अर्थ है कि वायरस संवर्धन निरंतर होते रहना चाहिए। इसीलिए, इसे स्थिर संवर्धन कहा जाता है। नोवेल कोरोना वायरस एसीई-2 नामक रिसेप्टर प्रोटीन के साथ मिलकर मानव के श्वसन मार्ग में एपीथीलियल कोशिकाओं को संक्रमित करता है। श्वसन मार्ग में एपीथीलियल कोशिकाएं प्रचुरता से एसीई-2 रिसेप्टर प्रोटीन को व्यक्त करती हैं, जिससे इस वायरस से संक्रमित मरीजों में श्वसन रोगों का खतरा बढ़ जाता है। कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश की एंटोसाइटोसिस नामक प्रक्रिया के बाद वायरस आरएनए कोशिकाओं के साइटोप्लाज्म में रिलीज होता है, जहाँ यह पहले वायरल प्रोटीन बनाता है और फिर जीनोमिक आरएनए की प्रतिकृति बनने लगती है। इस प्रकार, वायरस इन कोशिका संसाधनों का उपयोग अपनी संख्या बढ़ाने के लिए करता है।


सीसीएमबी के विषाणु-विज्ञानी (वायरलोजिस्ट) डॉ. कृष्णन एच. हर्षन के नेतृत्व में शोधार्थियों की एक टीम ने नमूनों से संक्रामक वायरस पृथक किया है। डॉ. कृष्णन ने बताया कि “वर्तमान में, मानव एपीथीलियल कोशिकाएँ प्रयोगशालाओं में निरंतर कई पीढ़ियों तक नहीं बढ़ पाती हैं, जो लगातार वायरस संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण है। इसीलिए, सीसीएमबी और अन्य लैब जो वायरस को संवर्धित कर रहे हैं, उन्हें कभी न खत्म होने वाली सेल लाइन की आवश्यकता है।” इसीलिए, वैज्ञानिक विरो सेल का प्रयोग करते हैं- जो अफ्रीकी बंदर के गुर्दे की एपीथीलियल कोशिका लाइनों से प्राप्त होते हैं, और जो एसीई-2 प्रोटीन को व्यक्त करते हैं। इसके साथ ही, ये कोशिका विभाजन भी करते हैं, जिससे वे अनिश्चित काल तक वृद्धि कर सकते हैं।


यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर क्या कारण है कि वैज्ञानिक इस घातक वायरस का संवर्धन करने में जुटे हुए हैं! वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि हम बड़ी मात्रा में वायरस का संवर्धन करते हैं और उन्हें निष्क्रिय कर देते हैं, तो इसका उपयोग निष्क्रिय वायरस के टीके के रूप में किया जा सकता है। एक बार जब हम निष्क्रिय वायरस को इंजेक्ट करते हैं, तो मानव प्रतिरक्षा प्रणाली रोगाणु-विशिष्ट एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ा देती है। ताप या रासायनिक साधनों द्वारा वायरस को निष्क्रिय किया जा सकता है। निष्क्रिय वायरस एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को बढ़ा सकता है, लेकिन हमें संक्रमित करके बीमार नहीं करता है।


सीसीएमबी के निदेशक, डॉ. राकेश मिश्र ने कहा है कि “कोरोना वायरस को विकसित करने के लिए विरो सेल लाइनों का उपयोग करते हुए, सीसीएमबी अब विभिन्न क्षेत्रों से वायरल उपभेदों को अलग करने और बनाए रखने में सक्षम है। हम बड़ी मात्रा में वायरस का उत्पादन करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिसे निष्क्रिय किया जा सकता है, और चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए टीका विकास और एंटीबॉडी उत्पादन में उपयोग किया जा सकता है। हमने इस वायरल कल्चर का उपयोग करते हुए डीआरडीओ और अन्य भागीदारों के साथ संभावित दवाओं का परीक्षण शुरू कर दिया है।”