Wednesday, April 21, 2021

ऑक्सीजन की आस

देश में संक्रमित मरीजों की संख्या के मुकाबले ऑक्सीजन का स्टॉक सीमित पड़ रहा है। आक्सीजन के सिलेंडर का संकट बना हुआ है। कई राज्यों से ऐसी खबरें आ रही हैं। इसकी वजह से देश के कई कोविड-19 नर्सिंग होम संक्रमित मरीजों को भर्ती करने में आनाकानी कर रहे हैं। मरीज और तीमारदार पहले बेड और फिर ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए परेशान हो रहे हैं, वह कभी एक अस्पताल तो कभी दूसरे अस्पताल इसी के बीच चक्कर काट रहे हैं। मरीजों को अपनी जान बचाने के लिए उन्हें ऑक्सीजन की आस है। बहरहाल, आक्सीजन की कमी एक गंभीर समस्या है जिसे दूर करने में सरकारें अपने-अपने स्तर से लगी हुई हैं। रेलवे ने ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाने की घोषणा की है ताकि कम से कम  सप्लाई लाइन बाधित होने की वजह से अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी ना होने दी जाए । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में 10 ऑक्सीजन प्लांट लगाने का आदेश दिया है। जाहिर सी बात है कि इससे ऑक्सीजन की कमी दूर करने में फौरी राहत शायद ही मिल पाए।

वैश्विक महामारी कोरोना के देश में पैर पसारने के बाद अब लोग खुद को और अपने रिश्तेदारों को बचाने के लिए लाखों-करोड़ो रुपए तक खर्च करने के लिए तैयार है। मगर उसके बाद भी जान बचना नामुमकिन सा दिखाई दे रहा है।

मौजूद समय में कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी होना एक चिंता का विषय बना हुआ है। ऑक्सीजन न मिलने के कारण मौतों का आंकड़ा दिन- प्रतिदिन बढ़ रहा है। मरीज़ के तीमारदार आक्सीजन के लिए दर-दर भटक रहे हैं। बड़े दुख की बात यह है कि ऐसे वक़्त में भी जगह-जगह ऑक्सीजन के सिलेंडर की कालाबाजारी हो रही है, जो सिलेंडर 20 दिन पहले 13000 रुपये का था आज वह 40,000 में बिक रहा है। ये कहना बिलकुल गलत नहीं है कि ऐसे दौर में भी कालाबाज़ारी अपने चरम पर है। बड़े से बड़े अस्पताल में आज डॉक्टर, मरीज़, मरीज़ का परिवार ऑक्सीजन के लिए सरकार से गुहार लगा रहा हैं। ऑक्सीजन की कमी के कारण स्थिति कुछ ऐसी पैदा हो गयी है की पैसा, डॉक्टर्स, जान-पहचान यहां तक की सरकार भी लाचार दिख रही है। अगर सरकार ने कोरोना वायरस के पहली लहर के बाद भी ऑक्सीजन की सुध ली होती तो शायद मौतों का आंकड़ा इतना न होता और लोग अपनों को न खोते।

 ऐसी भयावह स्थिति के चलते जहां एक तरफ जनता की सरकार से नाराज़गी दिख रही है तो वहीं एक आस भी नज़र आ रही है।

- निकिता शुक्ला

Monday, April 12, 2021

चैत्र नवरात्रि मे दो खास संयोग - पं. सुधांशु तिवारी

चैत्र नवरात्र, इस बार 2 खास संयोग में बासंती दुर्गा पूजा का आरंभ 


चैत्र नवरात्र का आरंभ इस बार भी ऐसे वक्‍त में होने जा रहा है जब कोरोना एक बार फिर से अपना फन फैला रहा है और एक बार फिर से यह पूरी दुनिया में दहशत में है। बीते वर्ष भी मां दुर्गा का आगमन ऐसे वक्‍त में हुआ था जब पूरे देश के लोग इस महामारी से जूझ रहे थे, और बड़ी संख्या में लोग इससे प्रभावित हुए थे। इस बार भी चैत्र नवरात्र के वक्‍त कोरोना का संकट एक बार फिर से गहरा गया है। ऐसे में लगता है कि अब मां दुर्गा का चमत्‍कार ही इस महामारी का खात्‍मा कर सकता है। खुश हो जाने वाली बात यह है कि इस बार नवरात्र का आरंभ दो विशेष शुभ योग के बीच होने जा रहा है।

ज्‍योतिषशास्त्र के अनुसार इस बार अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग में चैत्र नवरात्र का आरंभ हो रहा है। 13 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि लग रही है। इसी दिन नवरात्र का घट स्थापना भी किया जाएगा। इस दिन चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे देर रात सूर्य भी मेष में आएंगे। ऐसे में यह भी अद्भुत संयोग है कि राशि चक्र की पहली राशि में चैत्र नवरात्र यानी संवत के पहले दिन ग्रहों के राजा और रानी स्थित होंगे। नवरात्र का आरंभ अश्विनी नक्षत्र में होगा जिसके स्वामी ग्रह केतु और देवता अश्विनी कुमार हैं जो आरोग्य के देवता माने जाते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि माता देश दुनिया में व्याप्त महामारी से परेशान लोगों को राहत दिलाएंगी। ग्रहों के शुभ प्रभाव से इस संदर्भ में कोई चमत्कारी रास्ता भी निकल सकता है। इस बीच गुरु भी मकर राशि से कुंभ में आ चुके होंगे। गुरु का यह परिवर्तन भी कठिन समय से कुछ राहत दिलाने वाला होगा। आइए आपको बताते हैं कि इन शुभ योगों के क्‍या हैं लाभ

अमृत सिद्धि योग

अमृत सिद्धि योग विशेष शुभता प्रदान करने वाला और हर कार्य में लाभ देने वाला माना गया है। ज्‍योतिषशास्त्र में ऐसा माना जाता है कि अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग एक साथ आते हैं। मान्‍यता है कि अमृत सिद्धि योग में जो कार्य किए जाते हैं उनमें स्‍थायित्‍व की प्राप्ति होती है और शुभ फल देने वाले माने जाते हैं। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि इस बार अमृत सिद्धि योग में नवरात्र का आरंभ होने से यह नवरात्र विशेष शुभ फल प्रदान करने वाला होगा। अगर आप भूमि पूजन, भवन निर्माण या फिर कोई नया कामधंधा शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं तो इस नवरात्र में आरंभ कर सकते हैं। इन सभी कार्यों में आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।

सर्वार्थ सिद्धि योग

सर्वार्थ सिद्धि योग का संबंध मां लक्ष्मी से होता है और ऐसा माना जाता है कि इस योग में कार्य का आरंभ करने से वह कार्य सिद्धि देने वाला और सफल माना जाता है। सर्वार्थ सिद्धि योग में जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं उन सभी में आपको सफलता प्राप्‍त होती है और मां लक्ष्‍मी का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है। माना जाता है कि यह योग जिस दिन लगा हो उस दिन कार्य करने से बिना बाधा के वह कार्य पूर्ण होता है और सुख समृद्धि आती है।

चैत्र नवरात्र तिथि समय 2021 

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि आरंभ 12 अप्रैल  08 बजकर 1 मिनट

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि समाप्त 13 अप्रैल 10 बजकर 28 मिनट

चैतन्य नवरात्रि के नौ दिन

ऐसा माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा करने से मोक्ष प्राप्त होता है. नवरात्रि पर देवी दुर्गा की साधना और पूजा करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है और भविष्य के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.

नवरात्रि दिवस 1 (प्रतिपदा): 13 अप्रैल, 2021 (मंगलवार)

घटस्थापना

चन्द्र दर्शन

शैलपुत्री पूजा

नवरात्रि दिवस 2 (द्वितीया): 14 अप्रैल, 2021 (बुधवार)

सिंधारा दूज

ब्रह्मचारिणी पूजा

नवरात्रि दिवस 3 (तृतीया): 15 अप्रैल, 2021 (गुरुवार)

गौरी पूजा

सौभाग्या तीज

चंद्रघंटा पूजा

नवरात्रि दिवस 4 (चतुर्थी): 16 अप्रैल, 2021 (शुक्रवार)

कूष्मांडा पूजा

विनायक चतुर्थी

नवरात्रि दिवस 5 (पंचमी): 17 अप्रैल, 2021 (शनिवार)

नाग पूजा

लक्ष्मी पंचमी

स्कंदमाता पूजा

नवरात्रि दिवस 6 (षष्ठी): 18 अप्रैल, 2021 (रविवार)

स्कंद षष्ठी

यमुना छठ

कात्यायनी पूजा

नवरात्रि दिवस 7 (सप्तमी): 19 अप्रैल, 2021 (सोमवार)

महा सप्तमी

कालरात्रि पूजा

नवरात्रि दिवस 8 (अष्टमी): 20 अप्रैल, 2021 (मंगलवार)

दुर्गा अष्टमी

महागौरी पूजा

अन्नपूर्णा अष्टमी

संध्या पूजा

नवरात्रि दिवस 9 (नवमी): 21 अप्रैल, 2021 (बुधवार)

राम नवमी

नवरात्रि दिवस 10 (दशमी): 22 अप्रैल, 2021 (गुरुवार)

नवरात्रि पारण

चैत्र नवरात्रि उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय है. महाराष्ट्र में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत गुड़ी पड़वा से होती है और आंध्र प्रदेश में इसकी शुरुआत उगादि से होती है. घटस्थापना तिथि की तरह ही नवरात्रि के दो विशेष दिन होते हैं, अष्टमी और नवमी तिथि. इसलिए मां के भक्त इन दोनों ही दिन पूरे हर्षोल्लास के साथ देवी दुर्गा की उपासना करते हैं.

पंडित सुधांशु तिवारी जी महाराज 

श्री राम कथा वाचक ज्योतिविचार्य/ज्योतिषविर्द


अभी ना तो वर्ष समाप्त हुआ है और ना ही महामारी, जानिए कैसा होगा अगला वर्ष-पंडित सुधांशु तिवारी के साथ

सब कुछ तय होता है विक्रम संवत के प्रारंभ और उसके अंत से क्योंकि यह एक जांचा-परखा और प्रकृति का कैलेंडर है। वेदों और अन्य ग्रंथों में सूर्य, चंद्र, पृथ्वी और नक्षत्र सभी की स्थिति, दूरी और गति का वर्णन किया गया है। स्थिति, दूरी और गति के मान से ही पृथ्वी पर होने वाले दिन-रात और अन्य संधिकाल को विभाजित कर एक पूर्ण सटीक पंचांग बनाया गया है। पंचांग- तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण आधारित पंचांग के आधार पर ही सौरमास, चंद्रमास, नक्षत्रमास और सावनमान आदि को बनाया गया है। इसी पर आधारित वर्ष का भेद भी किया गया है। प्रत्येक वर्ष को नवसंवत्सर कहते हैं। प्रत्येक संवत्सर का नाम अलग-अलग है। कुल 60 संवत्सर बताए गए हैं और प्रत्येक संवत्सर की प्रकृति भी भिन्न बताए गई है। अर्थात किस संवत्सर में कौनसी घटना घटेगी इसका भी वर्णन हमें ज्योतिष सिद्धांत की किताबों में मिलता है।

संवत्सर :- अंग्रेजी वर्ष 2019 के मार्च में विक्रम संवत 2076 से परिधावी नाम का संवत्सर प्रारंभ हुआ था जो अगले वर्ष 2020 में 25 मार्च तक चला। कहते हैं जब जब परिधावी संवत्सर आता है तब तब जनता में त्राही त्राही मच जाती है, युद्ध होते हैं और महामारी फैलती है। इसके बाद इसके बाद अंग्रेंजी वर्ष 2020 25 मार्च से विक्रम संवत 2077 से प्रमादी नाम का संवत्सर प्रारंभ हुआ था जो वर्ष 2021 के मार्च तक चलेगा। प्रमादी से जनता में तामसिक प्रवृत्ति का विकास होता है अर्थात आलस्य, अपराध और प्रमाद की वृद्धि होती है। जब यह महामारी प्रारंभ हुई थी तब परिधावी संवत्सर चल रहा था जिसके चलते संपूर्ण विश्‍व में महामारी फैली और फिर लॉकडाउन लगाना पड़ा। लॉकडाउन में सभी लोग आलस्य और प्रमाद में चले गए।

भूपावहो महारोगो मध्यस्यार्धवृष्ट य:।

दु:खिनो जंत्व: सर्वे वत्सरे परिधाविनी।

अर्थात:-

 परिधावी नामक सम्वत्सर में राजाओं में परस्पर युद्ध होगा महामारी फैलेगी। बारिश असामान्य होगी और सभी प्राणी महामारी को लेकर दुखी होंगे।

क्या होता है नवसंवत्सर :-

 नव संवत्सर के बारे में कई लोग नहीं जानते होंगे। नया वर्ष लगने पर नया संवत्सर भी प्रारंभ होता है। जैसे बारह माह होते हैं उसी तरह 60 संवत्सर होते हैं। संवत्सर अर्थात बारह महीने का कालविशेष। सूर्यसिद्धान्त अनुसार संवत्सर बृहस्पति ग्रह के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। 60 संवत्सरों में 20-20-20 के तीन हिस्से हैं जिनको ब्रह्माविंशति (1-20), विष्णुविंशति (21-40) और शिवविंशति (41-60) कहते हैं।

 बृहस्पति की गति के अनुसार प्रभव आदि साठ वर्षों में बारह युग होते हैं तथा प्रत्येक युग में पांच-पांच वत्सर होते हैं। बारह युगों के नाम हैं- प्रजापति, धाता, वृष, व्यय, खर, दुर्मुख, प्लव, पराभव, रोधकृत, अनल, दुर्मति और क्षय। प्रत्येक युग के जो पांच वत्सर हैं, उनमें से प्रथम का नाम संवत्सर है। दूसरा परिवत्सर, तीसरा इद्वत्सर, चौथा अनुवत्सर और पांचवा युगवत्सर है। 12 वर्ष बृहस्पति वर्ष माना गया है। बृहस्पति के उदय और अस्त के क्रम से इस वर्ष की गणना की जाती है। इसमें 60 विभिन्न नामों के 361 दिन के वर्ष माने गए हैं। बृहस्पति के राशि बदलने से इसका आरंभ माना जाता है।

60 संवत्सर :-

 संवत्सर को वर्ष कहते हैं: प्रत्येक वर्ष का अलग नाम होता है। कुल 60 वर्ष होते हैं तो एक चक्र पूरा हो जाता है। वर्तमान में प्रमादी नामक संवत्सर प्रारंभ हुआ है।

इनके नाम इस प्रकार हैं:-

 प्रभव, विभव, शुक्ल, प्रमोद, प्रजापति, अंगिरा, श्रीमुख, भाव, युवा, धाता, ईश्वर, बहुधान्य, प्रमाथी, विक्रम, वृषप्रजा, चित्रभानु, सुभानु, तारण, पार्थिव, अव्यय, सर्वजीत, सर्वधारी, विरोधी, विकृति, खर, नंदन, विजय, जय, मन्मथ, दुर्मुख, हेमलम्बी, विलम्बी, विकारी, शार्वरी, प्लव, शुभकृत, शोभकृत, क्रोधी, विश्वावसु, पराभव, प्ल्वंग, कीलक, सौम्य, साधारण, विरोधकृत, परिधावी, प्रमादी, आनंद, राक्षस, नल, पिंगल, काल, सिद्धार्थ, रौद्रि, दुर्मति, दुन्दुभी, रूधिरोद्गारी, रक्ताक्षी, क्रोधन और अक्षय।

भविष्य :-

 अब अंग्रेजी वर्ष 2021 के मान से 13 अप्रैल को विक्रम संवत 2078 से आनन्द नाम का संवत्सर प्रारंभ होगा। जैसा कि नाम से ही विदित है कि इस संवत्सर में जनता में आनन्द की व्याप्ति होगी। इसके मतलब यह कि अप्रैल से महामारी का प्रकोप भी समाप्त होगा और फिर से आनंद करने के बेखौफ घूमने-फिरने के दिन लौट आएंगे। इस संवत्सर का स्वामी भग देवता और इस संवत्सर के आने पर विश्व में जनता में सर्वत्र सुख व आनन्द रहता है। 

परंतु मंगलवार से प्रारंभ हो रही प्रतिपदा के कारण इस संवत का राजा क्रूर ग्रह मंगल होगा। मंगल दंगल भी कराता है और मंगल भी करता है। इस संवत की ग्रह परिषद में छः पद क्रूर ग्रहों के पास है और 4 पद सौम्य ग्रहों को प्राप्त हुए हैं। महाक्रूर शनि के कोई पद नहीं है परंतु पूरे वर्ष वह मकर राशि में रहेंगे। 

नया विक्रम संवत कर 06:02 बजे वृषभ लग्न में प्रवेश करेगा और चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल, 2021 का शुभारंभ रेवती नक्षत्र में मंगलवार को रेवती नक्षत्र में शुरू होगी। इस बार, अमावस्या और नव संवत्सर के दिन, सूर्य और चंद्रमा मीन राशि में ठीक एक ही अंश पर हैं अर्थात् मीन राशि में नया चंद्रमा उदय होगा। वृषभ राशि में मंगल और राहु दोनों ही विद्यामान हैं। राजा, मन्त्री और वर्षा का अधिकार मंगल ग्रह के पास है। विक्रम संवत 2078 में मंगल ग्रह राजा व मंत्री का पद मिला है तथा वित्त का गुरु ग्रह को मिला है।

मंगल को युद्ध का देवता कहा जाता जाता है। यह हिंसा, दुर्घटना, भूकंप, विनाश, शक्ति, सशस्त्र बलों, सेना, पुलिस, इंजीनियरिंग, अग्निशमन, शल्य चिकित्सा, कसाई, छिपकर हत्या करने वाला, दुर्घटना, अपहरण, बलात्कार, उपद्रव, सामाजिक और राजैनतिक अस्थिरता के कारक ग्रह हैं। विक्रम संवत 2078 के राजा मंगल होने से इस साल आंधी-तूफान का भी जोर रहेगा। मतलब लोग महामारी से मुक्त होंगे परंतु उपद्रव और प्राकृतिक घटनाओं से परेशान रहेंगे।

पंडित सुधांशु तिवारी जी महाराज 

श्री राम कथा वाचक ज्योतिविचार्य/ज्योतिषविर्द


जनरेशन गैप की वर्तमान में बढ़ती समस्या - समाधान आपस में ढूंढना जरूरी

बच्चों और अभिभावकों में आपस में मैत्रिता का भाव जगाने की कोशिश होना चाहिए - एड किशन भावनानी


गोंदिया - भारत के प्रधानमंत्री ने जिस तरह बुधवार दिनांक 7 अप्रैल 2021 को परीक्षाओं के संबंध में तथा सभी अन्य मुद्दों पर छात्रों को अनेक मंत्र दिए वाकई काबिले तारीफ हैं। परंतु यह मंत्र केवल उन छात्र-छात्राओं तक ही सीमित नहीं रहेंगे, अब उसमें पीढ़ियों के भी भाव समाहित हुए हैं। जिस तरह से माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने बच्चों और अभिभावकों की जनरेशन गैप और वर्तमान में बढ़ती समस्या पर प्रकाश डाला, यह बात दूर तलक और पीढ़ियों तलक जाएगी, क्योंकि यह एक जीती जागती सत्यता वर्तमान समाज में दिख रही है। अतः आज हम जनरेशन गैप की वर्तमान बढ़ती समस्या और उसके समाधान आपस में ही ढूंढने पर अनेक तर्कों पर चर्चा करेंगे जो कि मूल रूप से प्रधानमंत्री महोदय द्वारा बताए गए मंत्रों का ही सारांश होगा वर्तमान बदलते आधुनिक परिवेश में आज की जनरेशन की पौराणिक कथाओ, कहानियों पर रुचि नहीं है पौराणिक परंपराओं, प्रथाओं, रीति-रिवाजों से भी बहुत बड़ा हिस्सा आज किनारा करने की कोशिश कर रहा है। मेरी यह निजी राय है कि इसका एक बहुत बड़ा कारण आज वर्तमान डिजिटल युग में विभिन्न मोबाइल ऐप्स और अनेक इलेक्ट्रॉनिक प्रोग्राम सहित वर्तमान परिवेश के की नशीली चीजें, खेल अब शामिल हैं जिसके कारण जनरेशन गैप के विपरीत में बहुत बड़ा बल मिला है, जिसके कारण बच्चे उनमें समाहित हो कर पुराने तौर-तरीकों को नापसंद करते हैं। साथियों, एक सत्यता यह भी है कि, अगर आज के जमाने के बच्चे आधुनिकता सेनहीं परिपक्व होते हैं तो समाज, रिश्तेदार और आस पड़ोस के लोग उन्हें पुराने विचारों और दब्बू किस्म के नौजवान समझते हैं। इन परिस्थितियों में हम अभिभावकों की जवाबदारी बहुत बढ़ जाती है। हमें अब जनरेशन गैप की कड़ी को समझना होगा याने बच्चे अनुशासन, मर्यादा, सटीक हो बिगड़े नहीं, इसके कारण अनेक आधुनिकता के सही प्रयासों में उनका साथ देना होगा। अपने पुराने विचारों से कुछ हद तक पीछे हटना होगा। बच्चों में अगर असभ्य और अनैतिक आचरण समाहित है तो उनसे वह सख्ती से छुड़वाना होगा। याने आज के युग में पालकों को अभिभावकों को एक रणनीतिक के तहत बच्चों का मार्गदर्शक, दोस्त, साथी ,  सलाहकार सब बनना होगा। और उनसे ऐसा माहौल पैदा करना होगा कि उनके समझ में बात आ जाए कि मेरे अभिभावक जो कर रहे या कह रहे हैं वह सत्य है। साथियों, बच्चों की उम्र का एक दौर ही ऐसा होता है कि, किसी भी परिस्थिति में हम उसका दोष कोई नहीं निकाल सकते क्योंकि एक निश्चित उम्र तक यह दौर ऐसा होता है कि हमारा बच्चा केवल बच्चा बनकर ही रहता है। आगे तो हमको ही सोचना होता है, वह तो केवल बच्चा समझकर ही छूट जाता है। और जब उनकी उम्र का तकाजा परिपक्व हो जाता है तो, बात उन्हें समझ में आ जाती है। और इस परिपक्वता तक के समय का हर अभिभावक या पालक को संयमता से इंतजार करना होता है। बच्चों को मार्गदर्शन , अच्छी सीख, सलीका अच्छी आदतें, अच्छे विचार अच्छे कार्य, को सिखाने का काम करना होता है और आज के दौर में तो यह सब प्लानिंग और रणनीति के तहत करना होता है ताकि सटीकता से काम भी हो जाए और बच्चों की को हवा भी न लगे कि क्या हो रहा है। आज अगर हम अपने बचपन और अभिभावकों  की बात करें, और तुलना करके देखें तो बहुत बड़ा फर्क हम महसूस करेंगे। क्योंकि दशकों पहले का दौर कुछ और था अभी वर्तमान दौर कुछ और है। हमारे अभिभावक जिस प्रकार से हमारे साथ कड़ाई, गुस्सा या दंड दिए जाने का दौर था और हम वर्तमान जनरेशन के साथ ऐसा नहीं कर सकते। एक मेरी अपनी सोच और सटीक विचार है कि दशकों पूर्व अभिभावकों की अपनी नेक्स्ट जनरेशन में चलती थी, वह बात आगे हम अपने नेक्स्ट जनरेशन में नहीं चला सकते, दूसरे शब्दों में दशकों पूर्व हम अपने अभिभावकों का बहुत सम्मान करते थे आज की जनरेशन में वह गुण कम दिखाई दे रहा है। अतः अगर हम सभी मुद्दों की चर्चा के परिपेक्ष में विश्लेषण कर निष्कर्ष निकालेंगे तो हम पाएंगे कि वर्तमान जनरेशन के साथ हमको केवल अभिभावक, सटीक दोस्त, साथी ,बच्चा, मार्गदर्शक, सभी रूपों में उनके साथ खड़ा होना पड़ेगा उनकी नई सोच के साथ को कुछ हद तक हामी भरनी पड़ेगी और उनके विचारों के साथ कुछ हद तक खड़ा होना पड़ेगा। परंतु यह विशेष ध्यान रखना होगा कि कहीं हमारे बच्चे मर्यादा की सीमा ना लांघे,अश्लील हरकतें ना करें सामाजिक व्यवस्था, आर्थिक सजगता, नैतिक मूल्य, स्कूल कॉलेज प्रशासन की मर्यादा, में कहीं भी चूक ना करें। यह अगर  हमने कर दिया तो समझो जीवन की जंग जीत गए और बच्चे सुदृढ़ हो अपना जीवन समग्रता से व्यतीत करने हमारे ध्यान रखने में जरूर काबिल होंगे।

-संकलनकर्ता-लेखक कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुख दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

आलोचना मानव जीवन का एक अभिन्न गुण _

आलोचना मानव जीवन और व्यवहार की एक अभिन्न विशेषता है। यही कारण है कि मनुष्य अपने जीवन में सही और गलत चीजों को सत्यापित करने और निरंतर सीखने की प्रवृत्ति को बनाए रखने में सफल होता है। दुनिया में सबसे अच्छे लोगों की आलोचना की गई है। उन्होंने अपने जीवन से मिली सीख को आत्मसात किया है, लेकिन सभी लोग आलोचना से नहीं सीख सकते। आलोचना भी बदलती है। यह रचनात्मक या नकारात्मक हो सकता है। जब हम आलोचना के बारे में बात करते हैं, तो हमारे मन में अक्सर नकारात्मक भावनाएं होती हैं और हम रक्षात्मक होते हैं, लेकिन यह स्थिति हमेशा अच्छी नहीं होती है। प्रतिक्रिया करने से पहले आलोचना की प्रकृति को समझना आवश्यक है।

 
नकारात्मक आलोचना हमेशा आत्म-सम्मान को नुकसान पहुंचाने, अपमानित करने या आत्मविश्वास को कम करने के उद्देश्य से अज्ञानता या ईर्ष्या से जुड़ी है। इसलिए, एक व्यक्ति को धैर्यपूर्वक अनदेखा किया जाना चाहिए और अनदेखा किया जाना चाहिए क्योंकि अधिकांश पेड़ एक ही पेड़ में मारे जाते हैं, जो अधिक फल देता है। दूसरी ओर, व्यक्ति के समर्थन के उद्देश्य से सकारात्मक या रचनात्मक आलोचना की जाती है। इस आलोचना को एक सीमित दायरे में व्यक्ति के आत्म-सम्मान को नुकसान पहुंचाए बिना किसी व्यक्ति की गलतियों, विफलताओं और दोषों को ठीक करने के सुझाव के रूप में समझा जाता है, जो एक प्रेरक के रूप में भी कार्य करता है। इस आलोचना से प्राप्त प्रेरणा व्यक्ति के भीतर एक सकारात्मक भावना पैदा करती है जो विश्वास को मजबूत करती है। इससे व्यक्ति की हीनता, विश्वास और कार्यक्षमता में गिरावट नहीं होती है।

रचनात्मक आलोचना से आशय की आलोचना के बजाय कार्य और शैली की आलोचना होती है, और महान आत्मसम्मान वाला व्यक्ति हमेशा नकारात्मक आलोचना को नजरअंदाज करके रचनात्मक आलोचना स्वीकार करना सीखता है।

प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"
युवा लेखक/स्तंभकार/साहित्यकार
लखनऊ, उत्तर प्रदेश

Monday, April 5, 2021

अपराधी ने युवती को दिनदहाड़े गोली मारकर की हत्या

परसा थाना क्षेत्र के बनकेरवा परसौना पथ पर आर के आर चेमनी के पास 23 वर्षीय युवती प्रमिला कुमारी को अज्ञात अपराधी ने गोली मार कर हत्या कर दी। घटना सोमवार के सुबह करीब पांच बजे की आसपास की बताई जा रही है। जब युवती अपने घर पास की गांव में टयूशन पढ़ाने के लिए जा रही थी। तभी अपराधी ने महज घर से पांच सै गज की दूरी पर सुमसन जगह पर हत्या कर दी उसके बाद खबर आग की तरफ पूरे आसपास की गांव में फैल गई और देखते ही देखते हजारों लोगों की भीड़ इकठ्ठा हो गई और लोगों ने पुलिस  को घटना की सूचना दी।सूचना मिलते ही थानाध्यक्ष रत्नेश कुमार वर्मा,सोनपुर डीएसपी अंजनी कुमार मौके पर पहुँचे और घटना की परिजनों से जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने कहा कि शव देखने के बाद प्रतीन होता हैं कि अपराधी पहले बातचीत किया होगा उसके बाद नजदीक से युवती के सर में दो गोली और पैर में भी गोली मार दी है। अपराधी किस कारण हत्या किया और इतना सुबह बैदल टयूशन पढ़ाने जा रही थी कि कही और जा रही सभी विषयों पर पुलिस छानबीन कर रही है स्थानीय लोग भी कुछ भी बताने से बच रही हैं जांच के बाद ही घटना के बारे में कुछ भी कहा जा सकता है घटना स्थल से गोली के एक खोला एक जोड़ा चपल भी बरामद हुई हैं।मामले की गम्भीरता से पुलिस जांच में जुट गई है और अपराधी को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा। वही मृत्तिका के परिजनों ने बताया कि प्रतिदिन की तरह आज भी सुबह करीब पांच बजे घर से टयूशन पढ़ाने जा रही थी तभी अपराधी ने गोली मार कर हत्या कर दी। घटना के बाद परिजनों का रोते रोते बुरा हाल है

अपराध की योजना बना रहे तीन अपराधियों को पातेपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर भेजा जेल

पातेपुर (वैशाली) संवाददाता दैनिक अयोध्या टाईम्स फोटो।

पातेपुर थाना क्षेत्र के रमौली मन के पास से पातेपुर थाने की पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर अपराध की योजना बना रहे तीन  अपराधी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। गिरफ्तार अपराधियो के पास से पुलिस ने दो कट्टा, चार जिंदा कारतूस, चार लूट की मोटरसाइकिल समेत 25 हजार रुपये नगद बरामद की है । वही पुलिस द्वारा छापेमारी के दौरान चार अन्य अपराधी भागने में सफल रहे।

                  प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार को पातेपुर थाने की पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि थाना क्षेत्र के रमौली मन के पास फाइनांस कंपनी के कर्मी को लूटने के उद्देश्य से जुटे कुछ अपराधी फाइनांस कर्मी को लूटने की योजना बना रहे है। सूचना मिलते ही  थानाध्यक्ष रामशंकर कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे जहां पुलिस को देखते ही सभी अपराधी भागने लगे। भागने के क्रम में बल के सहयोग से पुलिस द्वारा तीन अपराधियो को पकड़ लिया गया। मौके पर पकड़े गए अपराधियो की तलाशी के दौरान पुलिस ने अपराधियो के पास से दो देशी कट्टा, चार जिंदा कारतूस, फाइनांस कर्मी से लुटा गया दो टैब, दो बायोमैट्रिक मशीन, 25 हजार रुपये नगद तथा मौके पर खड़ी लूट की चार मोटरसाइकिल बरामद की है। पुलिस गिरफ्त में आये चंदन पासवान बलिगांव थाना क्षेत्र के पंचायत गाछी गांव निवासी वीरा पासवान का पुत्र है। जबकि दूसरा अपराधी उक्त गांव निवासी बसंत पासवान का पुत्र राकेश पासवान है। वही तीसरे अपराधी की पहचान थाना क्षेत्र के खेसराही गांव निवासी फूलों सहनी का पुत्र रमेश सहनी के रूप में हुई है। गिरफ्तार तीनो अपराधियो से पातेपुर थाने में गहन पूछताछ के क्रम में पुलिस को बताया कि भागने वाले अपराधियो में श्रवण सहनी, अरविंद सहनी, सनोज सहनी तथा टुनटुन सहनी बताया गया है। पुलिस फरार अपराधी की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।