Thursday, May 12, 2022

बैलगाड़ी में सवार होकर से दुल्हन लेने पहुंचा दूल्हा

चमक धमक के बीच शादी समारोह का आयोजन दूल्हा या दुल्हन का सपना होता है. राजस्थान के पाली  जिले के जैतारण में चकाचौंध और आधुनिकता से दूर शादी समारोह पूरा हुआ है. यहां एक दूल्हे ने वर्षों पुरानी यादों को ताजा कर दिया है. दूल्हे राजा अपनी पूरी बारात सजी-धजी बैलगाडियों पर लेकर गए. बैलगाड़ियों में बैठी महिलाएं ने एक साथ एक सुर में विवाह गीत भी गाया. ये बारात जहां से भी निकली हर कोई इसे देख अचंभित रह गया, मानो जैसे पुराना दौर एक बार फिर से आ गया हो. वैसे तो गांवों में बैलगाडियों की पुरानी संस्कृति आज भी है लेकिन बैलगाडियों पर बारात जाना, ये अनोखा है. 



देवरिया गांव के बेरा रामर से दूल्हे की बारात मारवाड़ी अंदाज में निकली. बेरा रामर निवासी पी लक्ष्मण पंवार का दक्षिण भारत में अच्छा व्यवसाय है. शादी के अच्छे आयोजन के लिए महंगी वातानुकूलित कारें और हेलिकॉप्टर में उनके पुत्र की बारात ले जाना उनकी पहुंच से बाहर नहीं है, लेकिन दूल्हे प्रदीप पंवार की तरफ से बैलगाडियों पर बरात ले जाने का प्रस्ताव बिलकुल अलग था. आर्थिक रूप के सक्षम परिवार ने बैलगाडियों को सजाकर और उसमें बारात लेकर लड़की वालों के यहां चावण्डिया कला पहुंचे. बैलगाडियों पर बारात चावण्डिया कला में पहुंची तो देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ लग गई. पी लक्ष्मण पंवार ने बताया कि आधुनिकता के दौर में संस्कृति विलुप्त हो रही है. संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए ऐसे आयोजन होने चाहिए. इस सादगी पूर्वक बारात में शामिल लोगों के पास कारें नजर नहीं आईं. सभी बाराती करीब 2 दर्जन बैलगाडियों में बैठकर ही पहुंचे पाली जिले के ग्रामीण क्षेत्र में एक दूल्हे की बारात देखकर हर कोई चर्चा कर रहा है. क्योंकि, इस बारात में बहुत कुछ खास था. पुराने जमाने की याद दिलाने वाली तस्वीर इस बारात में नजर आएई. दूल्हे की बारात में बैलगाड़ियों में दुल्हन के दरवाजे तक पहुंची. बाराती महिला और पुरुष सभी बैलगाड़ियों में बैठकर बारात लेकर निकले. सजी-धजी बैलगाड़ियों पर निकली बारात पर ही महिलाओं ने विवाह के गीत गए. इस खूबसूरत नजारे को कई लोगों ने अपने मोबाइल में कैद किया तो कई लोगों ने खुले दिल से इसकी तारीफ भी की. कई लोग इसे पर्यावरण से भी जोड़कर अहम संदेश मान रहे हैं.


बेतहाशा महंगाई, जनता की रोजमर्रा की जीवनशैली को दे रही भारी शिकस्त हैं...!

 बेतहाशा महंगाई, जनता की रोजमर्रा की

जीवनशैली को दे रही भारी शिकस्त हैं...!
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पेट्रोल-डीजल तो ठीक लो गैस में लग गई आग, आज का यही लोक राग। सभी का यही राग 6 मई को लगाया रसोई गैस का नंबर और 977.5 रूपये ने उछाल मारा रूपये पचास की बढ़ोतरी का दूसरे दिन टंकी आई रुपये 1027.5 किसी ने दिया है पाइंट में पैसा कभी... ?, सभी ने चुकाया राउंड अप में और कीमत चुकाते हैं रुपये 1030 की क्योंकि चिल्लर नहीं मिलती, ना ही स्वीकार की जाती है।

बहुत दुख में जी रहे हैं, फिर भी जूं है कि रेंगती नहीं,
है मगर काटती भी नहीं। कुछ समय पूर्व में जाऐं या दो - तीन - चार साल के पहले की जितनी कीमतें पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस की चुकाते थे आज डबल हो गई या उससे अधिक हो गई और इसे मजबूरन हम सभी चुकाते हैं, रो-गाकर या अंधभक्ति में ताली पिटते हुए, बताऐं
आपकी आय डबल हुई क्या या नौकरी पेशा, पेंशनर्स की आय बढ़ी, नहीं बढ़ी ना तो हासिल में आई महंगाई। अब ठोको ताली या गाल बजाओ या गाल फुलाओ। महंगाई बढ़ा रहे, टेक्स बढ़ा रहे, जीएसटी बढ़ा रहे। इनसे बड़े व्यापारी, बिजनेसमेन कमा रहे हैं, टेक्सों से सरकार अरबों
रूपये कमाती हैं फिर कर्मचारियों, पेंशनरों को महंगाई भत्ता, राहत देने में राज्यों की सरकार जान बूझकर मुंह
चुराती हैं। जो लोग ताली पिटते हैं, महंगाई के विकास पर शायद वो अधिक संपन्न होंगे या वो लोग नौकरी-धंधा करने वाले या घर के किसी पेंशनर्स से इस बारे में पूछ सकते हैं। महंगाई बढ़ रही है, देश तरक्की कर रहा हैं आपका विकास हो रहा है और आपको कैसा लग रहा है।

आज खाद्यान्न महंगे हैं, तेल, अनाज, मसाले यहां तक की ईंधन (रसोई गैस) सब महंगे, इन सबकी कमाई, कहीं न कहीं, किसी न किसी की जेब में जा रही हैं, ये है कि फ्री में
बांटे जा रहे हैं, राहत के नाम पर कुछ प्रतिशत लोगों को,
उन्हें कमाऊ नहीं बनाना हैं, उन्हें फ्री की आदत लगाककर
आलसी बनाना हैं, एक बड़ी आबादी से मिलें करों के राजस्व को बर्बाद करना हैं इससे अच्छा है कि महंगाई कम करें, वस्तुओं की कीमतें कम करेंगे तो सारी जनता
काम भी करेगी और कमायेगी भी तथा खर्च भी करेगी और महंगाई कम होने का, कीमतें कम होने का लाभ सारी जनता को समान रूप से मिलेगा।

आज सब जगह भटकाव हैं जिम्मेदारी से एवं सामंतशाही
वर्तमान में भी मौजूद हैं, नये रंग में, विरोधियों को इसका असर लोकतंत्र में भी साफ नजर आता है। कर्तव्य से ध्यान दूसरी ओर भटकाये रहते हैं और फिर ध्यान किसी
ओर बखेड़े, मुद्दे  जो अनुपयोगी होता है पर डलवा दिया जाता है। आज भी पुराने मुद्दे वृहद ओर बदले स्वरूप में मौजूद हैं वह भी विकराल होकर। सबका साथ लेकर सबका विकास होता है, महंगाई बढ़ती है सब पर समान रुप से और विकास का मौका व्यापारी, बिजनेसमेन, उद्योगपतियों को कमाई करने का मिलता है। फिर फ्री
के चस्के का भुगतान भी जनता से प्राप्त टेक्स से चुकाया जाता है, जो चुकाते हैं उन पर टेक्स और लादकर
होता है, इतना ही नहीं, कर्ज लेकर भी फ्री-फ्री दे दिया जाता हैं और फिर टेक्स पेयी जनता से टेक्स बढ़ाकर
वसूला जाता है। फिर फ्री जो फ्री ले रहा वह था और है और आगे भी फ्री लेता रहेगा, यही विडंबना हैं।

महंगाई, गरीबी, बेकारी, बढ़ती आबादी, पर्यावरण
ऐसी समस्याएं हैं जो थी, है, और आगे भी बढ़ती रहेगी,
कभी खत्म नहीं होगी। जनता पर राज करने वालों से सीखना चाहिए कि बिना ईंधन और माचिस के कैसे आग लगाई जाती है चूल्हों में, पेट में, आंखों में, दिलोदिमाग में,
बिना आग या हीटर, माइक्रोवेव के खाने की थाली कैसे
गरम की जाती ही नहीं हैं बल्कि जलाई जाती है।
पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतें बढ़ाना, किसी समय विपरीत दल की सरकार में आंदोलन करने वाले दल को वर्तमान में क्यों फीलगुड करता हैं। महिलाओं
की रसोई गैस की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि कर करोड़ों
परिवारों को दुखी कर दिया इसका रत्तीभर भी रंजोगम
नहीं। ये कैसा सबका विकास है।

इस बढ़ती महंगाई ने देश की दुखी जनता को निचोड़कर
रख दिया है, जनता ने देखा है कि कोरोना से त्रस्त जनता
की आवश्यकता की वस्तुओं और रोटी, कपड़ा, मकान
की जरूरतें चालीस-पचास फीसदी महंगी हो गई है। ऊपर से प्रदेश के पेंशनरों की राहत नहीं बढ़ी होने से
ये वर्ग भयंकर नाराज और दुखी हैं यह वर्ग नम आंखों से
मध्यप्रदेश सरकार की ओर देख रहा है। सब मिलकर देश की गरीब जनता को महंगाई शिकस्त दे रही है, जीवन शैली बदल गई हैं  और  फिर हो सकता है कि इसका कोई परिणाम भविष्य में या चुनावों में अवश्य दिखाई दे सकता हैं।


- मदन वर्मा " माणिक "
  इंदौर, मध्यप्रदेश

पार्थ सारथी तलास एक नई राह


 हे जग सारथी अब टूट रहा है इंसान ।
 एक बार को पुनः सुसज्जित
 कुरुक्षेत्र का यह मैदान ।।

उस रथ पर तो एक धनुर्धर 
न्याय पताका ले बैठा था ।
 अब तो ना रथ और रथी 
केवल तेरा आसरा है ।।

 असत्य पर सत्य कैसे जीतता 
इसका राह दिखाया था ।
 आज दोनो साथ बैठा है 
जनता भ्रमित सा दिखता है ।।

 धर्म विजय के खातिर तुमने
 वहाँ दिया गीता का ज्ञान ।
अहंकारी और दंभी को
 दिखाया अपना होने का प्रमाण ।।

 अब तो सब दंभी ही 
अपने को समझते हैं भगवान ।
एक बार तुम रथ सजाकर
 करवा दो अपना भान ।।

 हे पीत वसन धारी हे लीलाधर, 
दिखलाओ अपनी लीला ।
 भारतवर्ष की पुण्य धरा 
भूल रही आपकी लीला ।।

 वाका काका पूतना आदि
 शर ताने हो रहा खड़ा ।
 कान्हा के उस बाल रूप का 
जनता कर रहा आशा ।।

 कंस का आतंक अब 
फिर फैला है चारों ओर ।
मुरली छोड़ो कान्हा अब 
शांति कर दो चारों ओर ।।

 जरासंध का अत्याचार अब 
फैल रहा संपूर्ण भूभाग ।
अधर्मी और अताताई का
 संघार कौन करेगा आज ।।

 कुटिलों की कुटिल चालें अब
 एक जगह एकत्रित है ।
इस चक्रव्यूह में फंसे आम जन, 
वेधने की जरूरत है ।।

 तुम तो हो न्याय रथी फिर
 अन्याय कैसे देख सकते हो ।
जरूरत हो तो पुनः एक
 पार्थ तो तैयार कर सकते हो ।।

 पुत्र मोह में धृतराष्ट्र बैठा,
 पुत्र मोह में द्रोण है ।
अब ना कोई गंगा पुत्र 
और ना विदुर का कोई ज्ञान है ।।

 अब तो बस एक ही चिंता 
सत्ता कैसे लूटें ।
आम जन में भ्रम फैला कर 
जनता को कैसे लूटें ।।

 शकुनि का बस एक काम 
छल और प्रपंच बढ़ाना ।
लाक्षागृह में जो भी हो 
उसमें आग लगाना ।।

 आर्यावर्त कि यह पुण्य धरा
 गवाही इस बात का देता ।
जब जब धरा पर अन्याय बढ़ा
 तेरा ही अवतारण होता ।।

 मन में बस एक प्रश्न -
क्या अन्याय की घड़ा है भरने वाली ?
और अपने क्या एक समर्थ 
पार्थ की खोज कर दी जारी ??

 हाथ जोड़ बस एक निवेदन
 धर्म पताका अब पुनः लहराओ ।
अधर्म का मर्दन कर
 आम जन को सत्य पथ दिखलाओ ।।
श्री कमलेश झा
नगरपारा भागलपुर 

हर वर्ष पुनरावृति करने वाला संक्रमण करोनाl घबराइए नहीं सिर्फ सावधान रहिए

करोना कभी न नष्ट होने वाला वाला ऐसा जानलेवा संक्रमण है जिसके महीनों तथा वर्ष के अंतराल में लौट लौट कर मानव शरीर में आने की संभावना सदैव बनी रहती है । वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि करोना संक्रमण के वैरीअंट को समूचा खत्म नहीं किया जा सकता उसकी केवल प्रीवेंटिव मेडिसिन या वैक्सीन ही ली जा सकती है। करोना से दूर रहने के लिए केवल और केवल सावधानी और चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा दी गई गाइडलाइंस का ही पालन करना होगा, अन्यथा करोना जानलेवा तो है ही। क्या आपको नहीं लगता एक दूसरे के संक्रमण से फैलने वाला भयानक करोना सिर्फ प्राकृतिक विपदा एवं प्राकृतिक असंतुलन का नतीजा है, बल्कि कुछ मांस भक्षी लोगों मानसिक असंतुलन का भी भयानक परिणति है। प्रकृति ने हमें पहले से ही सचेत करके रखा था, पहले सुनामी, बाढ़, सूखा और भूस्खलन के परिणामों से हमें आगाह किया था और न जाने इन भयानक विपदाओं से कितने लोग काल के गाल में समा चुके हैं। हर वर्ष सुनामी,भूस्खलन,बाढ़ से मरने वालों की संख्या हजारों में होती रही है, पर कुछ देशों के नागरिकों के मानसिक संतुलन का क्या कहें, जिन्हें सब्जी,भाजी,दूध,फल, सूखे मेवे को छोड़कर कुत्ता, बिल्ली,सांप, चमगादड़, सूअर खाने की न जाने क्यों इच्छा बलवती हुई है,और उन्होंने इसका रोजमर्रा की जिंदगी में सेवन करना शुरू कर दिया,चीन सहित विश्व में कई ऐसे देश है जो हर जंतु के मांस का खाने में रोज इस्तेमाल कर नई-नई बीमारियों को जन्म दे रहे हैं। चीन के द्वारा चमगादड़, सांप, केकड़े और ना जाने कितने जीव जंतुओं का मांस अपने आहार के रूप में इस्तेमाल करते हैं, और इसी की परिणति हुई है कि चमगादड़ में नाना प्रकार के प्रयोग कर करोना वायरस जैसे भयानक संक्रमण वाली बीमारी की उत्पत्ति कर दी और यही करोना वायरस ने पूरे विश्व में मौत का तांडव मचा कर लाखों लोगों की मृत्यु का कारण भी बना है। यह मानवीय मानसिक आसंतुलन तथा दिवालियापन का एक भयानक परिणाम है। जिसकी एकदम सही और सटीक इलाज खोजने में चिकित्सकों को वैज्ञानिकों को सिर से पैर तक पसीना छूट गया है। फिर भी इस कोविड-19 के वायरस का 100% इलाज नहीं खोज पाए हैं। पृथ्वी में बहुत सारी सकारात्मक चीजें हैं जल, वायु, मृदा तत्व, पेड़, झरने,समुद्र, तालाब,नदियां इन सब का सकारात्मक इस्तेमाल कर मानव धरती को समृद्ध तथा मालामाल करता आया है, एवं अपने जीवन यापन हेतु सुचारू रूप से सब्जियां, फल,आयुर्वेदिक दवाएं और न जाने कितने मृदा तत्व जिनमें हीरे,मोती, जवाहर, लोहा,पीतल, तांबा,सोना,चांदी आदि निकालकर जीवन को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु सफल हुआ है। पर कुछ लोगों ने दिमागी असंतुलन के चलते मूक जानवरों का वध करके उसे भोजन की वस्तु बनाकर प्राकृतिक असंतुलन बढ़ाने का जोखिम उठाया, इसी तरह पेड़, जल, मिट्टी, वायु का संरक्षण न करके उसने अप्राकृतिक वस्तुओं का इस्तेमाल करके विश्व का तापमान बढ़ाकर मानव जाति के लिए अनेक खतरे एवं मुसीबतें पैदा कर ली है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण असंतुलित हो गया है। पर्यावरण प्रदूषण हमारी आधुनिक जीवन शैली के कारण बुरी तरह से शहरों में फैला हुआ है।पर्यावरण प्रदूषण तथा तापमान असंतुलन भी वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों की मौत का कारण बना। प्रकृति के इस भयानक असंतुलन के कारण हर शहर हर देश में लाखों लोग मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं, पर मानसिक असंतुलन के कारण न सिर्फ मानव शरीर नष्ट हो रहा है, बल्कि लाखों निरीह जानवर, जीव,जंतु भी मौत के घाट उतार दिए गए। चीन और विश्व के आदिवासी बाहुल्य देश के लोग सांप बिच्छू, चमगादड़ एवं अन्य जीव-जंतुओं का शिकार कर अपने मानसिक असंतुलन का परिचय देकर अपने पेट के दावानल को शांत कर रहे हैं। ऐसा सामान्य मनुष्य सोच भी नहीं सकता। ऐसे में प्रकृति भी इस प्राकृतिक असंतुलन तथा मानसिक दिवालियापन को आत्मसात ना करके प्रक्रियागत नाना प्रकार की बीमारियों तथा मृत्यु के अनेक कारणों को जन्म दे रही है। बहुत महत्वपूर्ण बात यह है की वैश्विक स्तर पर करोना ने अलग-अलग देशों में लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। और इस महामारी के जनक चीन पर कोई क्रिया प्रतिक्रिया या व्यापारिक सामाजिक नागरिक रोक तथा प्रतिबंध लगाने पर किसी भी देश में संगठित होकर विचार नहीं किया। चीन द्वारा यह एक तरह का केमिकल अस्त्र इस्तेमाल कर अपनी मानव विरोधी मानसिक स्थिति को उजागर किया है।आपको ऐसा नहीं लगता है कि चीन इसी तरह के अन्य रासायनिक अथवा जैविक अस्त्रों का इस्तेमाल कर पूरे विश्व को एवं मानव जाति को भविष्य में भी खतरे में डाल सकता है, क्योंकि चीन और वहां का शासन तंत्र पूरी तरह अपने औपनिवेशिक वादी और विस्तार वादी इरादों को लेकर पूरी तरह कटिबद्ध है। चीन की साजिश के तहत यह वायरस पूरे विश्व में फैला है। अतः वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ को वैश्विक स्तर पर विश्व के हर राष्ट्र पर इस तरह के किसी भी रासायनिक अथवा जैविक प्रयोग पर तुरंत प्रतिबंध लगाकर उसे संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता से निष्कासित कर, इस घृणित कार्य के लिए प्रताड़ित एवं प्रतिबंधित किया जाना चाहिए ,अन्यथा मानव जाति का भविष्य इसी तरह के रसायनिक तथा जैविक हथियारों की बलि चढ़ता रहेगा एवं उत्तर कोरिया तथा चीन जैसे देशों के हुक्मरानों के मानसिक दिवालियापन के कारण अनेक खतरनाक एवं शरीर को नष्ट करने वाले केमिकल अस्त्र शस्त्र भविष्य में संपूर्ण मानवीय जीवन से भी खेलते रहेंगे और लोग इसी तरह मृत्यु की भेंट चढ़ते रहेंगे, यह एक वैश्विक समस्या बनकर सामने खड़ी हुई है। इसका निदान अत्यंत आवश्यक है।

संजीव ठाकुर,स्वतंत्र लेखक, रायपुर, छत्तीसगढ़, 

मुस्कराना खूबसूरत जिंदगी का इम्यूनिटी बूस्टर!!

हमेशा ऐसे हंसते मुस्कुराते रहो कि आपको देखकर लोग कहें वह देखो! जिंदगी कितनी खूबसूरत है!! 

मनोभाव से मुस्कुराना, हंसना स्वस्थ जिंदगी का मंत्र - मुस्कान की दूसरों के दिलों पर राज करने में अहम भूमिका! - एड किशन भावनानी
गोंदिया - कुदरत नें इस ख़ूबसूरत सृष्टि रूपी कायनात में एक खूबसूरत प्राणी मनुष्य की रचना कर 84 लाख़ जीवों से अलग एक विशेष कलाकृति बुद्धि का सृजन मानव शरीर में समाहित किया ताकि उस के बल पर अन्य जीवों से अति उत्तम जीव बन कर रहे! वैसे तो मानव शरीर की संरचना के अंग हर दूसरे प्राणियों में भी होते हैं पर बुद्धि अपेक्षाकृत सर्वश्रेष्ठ होती है! जिसका उपयोग हम सकारात्मकता से अपने अपने क्षेत्रों और अपने शरीर को स्वस्थ, निरोगी काया बनाने में करने की विचारधारा को रेखांकित करना होगा! 
साथियों बात अगर हम अपने शरीर के स्वस्थ एवं निरोगी रखने की करें तो उसके अनेक तरीकों में से एक हंसना और मुस्कुराना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है जिसका उपयोग करने से हमारे स्वास्थ्य पर बहुत अधिक फायदा होता है यह स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा भी कहा गया है परंतु वह हंसना मुस्कुराना असली होना चाहिए! इसीलिए बड़ों की तुलना में बच्चे ज़्यादा ख़ुश रहते है, ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हम मुस्कुराना भूल जाते हैं। बच्चे हम बड़ों की तुलना में 10 गुना ज़्यादा मुस्कुराते हैं। आमतौर पर बच्चे एक दिन में करीब 400 बाद मुस्कुराते और हँसते हैं, वहीं हम एडल्ट लोग सिर्फ़ 40 से 50 बार ही मुस्कुराते हैं? 
असली मुस्कान में आंखों के नीचे की मांसपेशियां एक्टिव होती हैं। जबकि झूठी स्माइल हमारे होंठों के आसपास की मांसपेशियों के इस्तेमाल से ही आती है। जब स्माइल असली होती है, हमारे दिमाग में न्यूरोनल सिग्नल्स चेहरे की मसल्स को एक्टिवेट कर देते हैं। असली मुस्कान में हमारा दिमाग हमारे चेहरे को बताता है कि हमें मुस्कुराना है।
साथियों बात अगर हम मुस्कान और हंसी की करें तो, मुस्कान एक चेहरे की अभिव्यक्ति है जो तब होती है जब हम खुश और प्रसन्न होते हैं, लेकिन मुस्कान की शक्ति हमारे विचार से कहीं अधिक मजबूत होती है। यह न केवल हमारे स्वास्थ्य और कल्याण को लाभ पहुंचाता है, बल्कि यह हमारे आस-पास के लोगों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। कहावत सच है - मुस्कान वास्तव में संक्रामक होती है । एक मुस्कान बहुत आगे तक जा सकती है और यह हमारे सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव डालती है। हम अधिक मिलनसार, हो जाते हैं और लोग हमारे आस-पास सहज महसूस करते हैं।
मुस्कुराना कोई कठिन कार्य नहीं है, परंतु फिर भी हमको कम ही लोग ऐसे दिखेंगे जो हर वक्त खुश दिखते हैं या मुस्कुराते रहते हैं, ये वो लोग है जिनके अंदर खुशी का संचार चौबीस घंटे ही बना रहता है, जिनको तनाव वाली स्थितियां अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पाती, क्योंकि खुशी उनके व्यक्तित्व का एक अहम हिस्सा बन जाती है जिसको बदलना इतना आसान नहीं, ऐसे व्यक्तित्व के आस पास भी हम रहेंगे तो खुशी ही महसूस करते हैं।
साथियों बात अगर हम मुस्कान को जिंदगी का इम्यूनिटी बूस्टर होने की करें तो, मुस्कुराने से हमारी मांसपेशियों को शांत करने में मदद मिलती है और हमको आराम का एहसास होता है। एक मुस्कान चिंता से बचने में मदद कर सकती है और इसलिए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार कर सकती है।  एक मुस्कान एंडोर्फिन जारी करती है और मानसिक परिश्रम को बढ़ाती है। यह तनाव को कम करता है और हमारे दिमाग को सकारात्मक दृष्टिकोण की ओर ले जाता है। एक खुश चेहरा उदास और सुस्त चेहरे की तुलना में उज्जवल और छोटा दिखता है। अध्ययनों से पता चलता है कि मुस्कुराहट मुंह और होंठोंके आसपास की मांसपेशियों को प्रशिक्षित करती है और उन्हें झुर्रीदार होने और झुर्रियों से बचाती है। 
साथियों बात अगर हम मुस्कुराने हंसने में स्वास्थ्य लाभों की करे तो,(1)तनाव को दूर करने में जो काम हंसी करती है वो कोई दवाई नहीं कर सकती। दरअसल, हंसने से हम लोगों के साथ ज्यादा सोशली एक्टिव हो जाते हैं, जिससे हमारा तनाव खुद ही कम हो जाता है।(2)जब हम हंसते हैं तो हमारे फेफड़ों से हवा तेजी से निकलती है, जिस वजह से हमें गहरी सांस लेने में मदद मिलती है, इससे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई बेहतर तरीके से होती है, साथ ही हंसने से हमें एनर्जी भी मिलती है, जो हमारे शरीर से थकावट और सुस्ती को दूर करती है।(3) मुस्कुराने का सरल कार्य हमारे मस्तिष्क को एक संकेत भेजता है कि आप अच्छा महसूस करते हैं, और यदि हम अक्सर मुस्कुराते हैं , तो हमारा मस्तिष्क नकारात्मक विचारों के विपरीत सकारात्मक विचारों का एक पैटर्न तैयार करेगा (4) उत्पादकताा और रचनात्मकता को बढ़ाता है मुस्कुराने से एंडोर्फिन निकलता है, और इसी तरह जब उन्हें कसरत के दौरान छोड़ा जाता है, तो इस रिलीज के परिणामस्वरूप अधिक कुशल कार्य दर और उत्तेजित मस्तिष्क गतिविधि हो सकती है। (5) शोधकर्ताओं ने पाया कि मुस्कुराते हुए कई कार्यों को करते हुए हृदय गति और रक्तचाप में कमी आई है, यह दर्शाता है कि एक व्यक्ति अधिक आराम से है।(6)तनाव कम करता है अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग मुस्कुराते हैं वे तनावपूर्ण स्थितियों से अधिक तेज़ी से उबरने में सक्षम होते हैं। दिन भर में कई बार एक वास्तविक मुस्कान दिखाना अवास्तविक लग सकता है, लेकिन इसे नकली बनाने से वही परिणाम मिलते हैं। (7)वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि मुस्कुराहट प्रतिरक्षा को मजबूत करती है क्योंकि यह आपके शरीर को तनाव को दूर करने की अनुमति देती है, जिससे कोशिकाएं कठोरता को छोड़ देती हैं और हमको बीमारी से लड़ने में अधिक सक्षम बनाती हैं।
साथियों बात अगर हम स्वयं को ख़ुश रख कर मुस्कुराने की कला की करें तो, जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि हम परिस्थितियों को कैसे देखते और प्रतिक्रिया करते हैं। विषाक्तता से दूर रहने की कोशिश करें और अपने मन में सकारात्मक विचारों को पनपने दें। हम ऐसे लोगों के साथ रहें जो हमको अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं। जरूरतमंदों की मदद करें। जीवन की छोटी-छोटी खुशियों को समझने और उनकी सराहना करने के लिए किसी के चेहरे पर मुस्कान लाना जरूरी है। अपनी अजीब हड्डी को जीवित रखें। एक चुटकुला, एक मज़ेदार पहेली या यहाँ तक कि एक मज़ाक भी कुछ ही सेकंड में आपके मूड को ऊपर उठाने में मदद कर सकता है। इसलिए दुनियाकी अद्भुत खुशियों का आनंद लें, विविधताओं में रहें, इसकी सुंदरता की सराहना करें और जहां भी जाएं, मुस्कान बिखेरना याद रखें।इस आर्टिकल में लेकर मीडिया की सहायता ली गई है।
साथियों हमारी एक छोटी सी मुस्कान दूसरों को खुशी का एहसास करा सकती है और यह खुद के लिए भी काफी फायदेमंद होती है। जिस तरह अच्छी हवा, अच्छा खानपान सेहतमंद रहने के लिए जरूरी होता है, उसी प्रकार हमारी हंसी हमको स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाती है। अगर हमर सुबह-शाम हंसने की आदत डाल लें तो कोई भी बीमारी, चाहे मानसिक हो या शारीरिक हमारे पास भी नहीं आएगी। हेल्थ एक्पर्ट के मुताबिक, रोजाना हंसने से सेहत तो अच्छी रहती ही है साथ ही इससे शरीर में एनर्जी भी बनी रहती है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि हसना मुस्कुराना खूबसूरत जिंदगी का इम्यूनिटी बूस्टर है। हमेशा ऐसे हंसते मुस्कुराते रहो कि आपको देखकर लोग कहें वह देखो! जिंदगी कितनी खूबसूरत है!! मनोभाव से मुस्कुराना हंसना स्वस्थ जिंदगी का मंत्र है। मुस्कान की दूसरों के दिलों पर राज करने में अहम भूमिका है। 

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

Wednesday, May 11, 2022

सुकून मिले

तपती देह जब उमस और भीषण गर्मी से

ओंठ कंठ तक प्राण बसते सूखे  आकर।
माथे से टपके स्वेदो टपके है पग में छाले
नदिया पोखर शीतलता से सुकून पाकर।

मन में जब और अवसाद भरा क्षण भर
मां की ममता शीतल आंचल मिल जाए।
मन की पीड़ा और व्यथा में मिले शांति
मां की ममता से भरा सुकून मिल जाए।।

भूख बढ़ी ज्वाला में असह भूख मिटाने
रूखी सूखी रोटी भी प्रिय भोजन मीठा
उदर ज्वाला को एक सुकून मिल जाए
पेट भरा हो तब तो फिर सब सो इतराए।

प्रिया प्रेम की आंखों में प्रीतम प्यारे को
रसभरी मद मुग्ध नयन फिर सदा बिछे।
करकी किबाड़ ओट से झलक मिले तो
विरहिन प्रिय को एक सुकून शांति मिले।

प्रणय प्रेम में भरी प्रिय चाहत उम्मीदों से
प्रियवर से कर मान मनौती पूरी चली है
उठी प्रेम की ज्वाला में प्रियतम बोली से
उम्मीद भरी ताप धरा सी सुकून मिले हैं।

बच्चों की प्रिय तोतली बोली दिल  बसती
वीणा गुंजन सरगम कीमत सबसे फीके है।
नन्हे पग रखते बच्चा मां का आंचल पकड़े
मां बाप को सुकून मिले जंग सभी जीते है।

दिन मेहनत मजदूरी करके श्रममूल्य मिले
दर्पण सा चेहरा चमका है सौसौ बार खिले।
अपनी झोपड़पट्टी में कुछ मटकी में चावल
लाकर रखता घर को पोषण सुकून मिले।

चले शहर से गांव  घर देख धुआ चूल्हा में
अपने घरके सुखयादों में पग से जल्दी चले
दिनभर की श्रमपीड़ा से विमुक्त हुए घर में
प्रियहाथों से जल पी आंखों में सुकून मिले।

खेती-बाड़ी निज गौशाला में गायों को देख
कृषकआंखें चमकी नेहभरी धरती को चूमे
घरअनाज भंडार भरा सुकून मिले दिल को
घर आंगन में रंग भरे बिखरी मस्ती से झूमे।

     लेखन ✍️🙏🌷
    के एल महोबिया

Saturday, May 7, 2022

छपरा के 70 साल का बुजुर्ग बना दूल्हा, धूमधाम से निकली बारात, पिता की शादी में 8 बच्चे बने बाराती

(रवि कुमार भार्गव राज्य को-आर्डिनेटर अयोध्या टाइम्स बिहार)


पटना  : छपरा में हुई एक अनोखी शादी इन दिनों काफी सुर्खियों में है। 70 साल का शख्स जब दूल्हा बनकर अपनी दुल्हन को लाने निकला तो इस नजारे को देख लोग हैरान रह गए। गाजे-बाजे के साथ निकाली इस बारात में बड़ी संख्या में लोग डीजे की धुन पर झुमते दिखे। बारातियों में दूल्हे की सात बेटियां और एक बेटा भी शामिल हुए। रथ पर सवार दूल्हा जिस रास्ते से भी गुजरा लोग एक झलक पाने के लिए बेताब नजर आए।दरअसल, करीब 42 साल पहले एकमा के आमदाढ़ी निवासी राजकुमार सिंह की शादी बड़े ही धूमधाम के साथ हुई थी। शादी के बाद पहली बार जब पत्नी मायके गई तो बिना गौना के ही ससुराल चली आई। गौना की रस्म पूरी नहीं हो सकी। 42 साल बाद 5 मई को उनकी सात बेटियों और एक बेटे ने इस दिन को खास बना दिया। जब 70 साल के बुजुर्ग की बारात निकली तो देखने वाले देखते ही रह गए। राजकुमार सिंह बताते हैं कि 42 साल पहले 5 मई को उनकी शादी हुई थी। शादी के 42 साल बाद भी वे अपने ससुराल आमदाढ़ी नहीं गए थे और ना ही गौना की रस्म ही पूरी हो सकी थी। लेकिन 42 साल बाद उनकी बेटी और बेटे ने उस रस्म को पूरा कराया। बता दें कि पहली बार राजकुमार सिंह अपनी सात बेटियों के कारण चर्चा में आए थे। मामूली आटा-चक्की की दुकान चलाकर उन्होंने अपनी सात बेटियों को पुलिस और सेना में नौकरी दिलाने का काम किया। जिन सात बेटियों को लोग बोझ समझते थे आज वे पुलिस और सेना की वर्दी पहनकर देश की सेवा कर रही हैं। शादी के 42 साल गुजर जाने के बाद सात बेटियां और इंजीनियर बेटा मां-बाप की शादी की वर्षगांठ को खास बनाने के लिए गाजे-बाजे के साथ पिता की बारात लेकर निकल पड़े। इस अनोखी बारात के कारण 70 साल की उम्र में दूल्हा बने राजकुमार सिंह एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं।