Thursday, December 15, 2022

कुछ आवश्यक सामाजिक नियम धर्म

 गांठ बांध लीजिए...

*🪢 कन्याओं का विवाह 21 से 25 वे वर्ष तक, और लड़कों का विवाह 25 से 29वें वर्ष की आयु तक हर स्थिति में हो जाना चाहिए !*
*🪢 फ्लैट न लेकर जमीन खरीदो, और उस पर अपना घर बनाओ! वरना आपकी संतानों का भविष्य पिंजरे के पंछी की तरह हो जाएगा*
*🪢 नयी युवा पीढ़ी को कम से कम तीन संतानों को जन्म देने के लिए प्रेरित करें !*
*🪢 गांव से नाता जोड़ कर रखें ! और गांव की पैतृक सम्पत्ति, और वहां के लोगों से नाता, जोड़कर रखें !*
*🪢 अपनी संतानों को अपने धर्म की शिक्षा अवश्य दें, और उनके मानसिक व शारीरिक विकास पर अवश्य ध्यान दें !*
*🪢 किसी भी और आतंकवादी प्रवृत्ति के व्यक्ति से सामान लेने-देने, व्यवहार करने से यथासंभव बचें !*
*🪢 घर में बागवानी करने की आदत डालें,(और यदि पर्याप्त जगह है,तो देशी गाय पालें।*
*🔖 होली, दीपावली,विजयादशमी, नवरात्रि, मकर संक्रांति, जन्माष्टमी, राम नवमी, आदि जितने भी त्यौहार आयें, उन्हें आफिस/कार्य से छुट्टी लेकर सपरिवार मनाये।*
*🪢 !(हो सके तो पैदल, व परिवार के साथ )*
🪢 *प्रात: काल 5-5:30 बजे उठ जाएं, और रात्रि को 10 बजे तक सोने का नियम बनाएं ! सोने से पहले आधा गिलास पानी अवश्य पिये (हार्ट अटैक की संभावना घटती है)*
*🪢 यदि आपकी कोई एक संतान पढ़ाई में असक्षम है, तो उसको कोई भी हुनर (Skill) वाला ज्ञान जरूर दें !*
*🪢 आपकी प्रत्येक संतान को कम से कम तीन फोन नंबर स्मरण होने चाहिए, और आपको भी!*
*🪢 जब भी परिवार व समाज के किसी कार्यक्रम में जाएं, तो अपनी संतानों को भी ले जाएं ! इससे उनका मानसिक विकास सशक्त होगा !*
*🪢 परिवार के साथ मिल बैठकर भोजन करने का प्रयास करें, और भोजन करते समय मोबाइल फोन और टीवी बंद कर लें !*
*🪢 अपनी संतानों को बालीवुड की कचरा फिल्मों से बचाएं, और प्रेरणादायक फिल्में दिखाएं !*
*🪢 जंक फूड और फास्ट फूड से बचें !*
*🪢 सांयकाल के समय कम से कम 10 मिनट भक्ति संगीत सुने, बजाएं !*
*🪢 दिखावे के चक्कर में पड़कर, व्यर्थ का खर्चा न करें !*
*🪢 दो किलोमीटर तक जाना हो, तो पैदल जाएं, या साईकिल का प्रयोग करें !*
*🪢 अपनी संतानों के मन में किसी भी प्रकार के नशे (गुटखा, तंबाखू, बीड़ी, सिगरेट, दारू...) के विरुद्ध चेतना उत्पन्न करें,तथा उसे विकसित करें !*
*🪢 सदैव सात्विक भोजन ग्रहण करें, अपने भोजन का ईश्वर को भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण करें ! !*
*🪢 अपने आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य लगायें, व नित्य प्रति दिन पूजा, दीपदान अवश्य करें !*
*🪢 अपने घर पर एक हथियार अवश्य रखें, ओर उसे चलाने का निरन्तर हवा में अकेले प्रयास करते रहें, ताकि विपत्ति के समय प्रयोग कर सकें ! जैसे-लाठी,हॉकी,गुप्ती, तलवार,भाला,त्रिशूल व बंदूक/पिस्तौल लाइसेंस के साथ !*
*🪢 घर में पुत्र का जन्म हो या कन्या का, खुशी बराबरी से मनाएँ ! दोनों जरूरी है ! अगर बेटियाँ नहीं होगी तो परिवार व समाज को आगे बढाने वाली बहुएँ कहाँ से आएगी और बेटे नहीं होंगे तो परिवार समाज व देश की रक्षा कौन करेगा !*

Wednesday, December 14, 2022

भिक्षा का मर्म


सुबह मेघनाथ से लक्ष्मण का अंतिम युद्ध होने वाला था। वह मेघनाथ जो अब तक अविजित था, जिसकी भुजाओं के बल पर रावण युद्ध कर रहा था, अप्रितम योद्धा ! जिसके पास सभी दिव्यास्त्र थे।
.
सुबह लक्ष्मण जी,भगवान राम से आशीर्वाद लेने गए, उस समय भगवान राम पूजा कर रहे थे।



पूजा समाप्ति के पश्चात प्रभु श्री राम ने हनुमान जी से पूछा अभी कितना समय है युद्ध होने में।
.
हनुमान जी ने कहा... प्रभु, अभी कुछ समय है। यह तो प्रातःकाल है।
.
भगवान राम ने लक्ष्मण जी से कहा.....यह पात्र लो और भिक्षा मांगकर लाओ, जो पहला व्यक्ति मिले उसी से कुछ अन्न माँग लेना।
.
सभी बड़े आश्चर्य में पड़ गए, आशीर्वाद की जगह भिक्षा। लेकिन लक्ष्मण जी को जाना ही था।
.
लक्ष्मण जी जब भिक्षा मांगने के लिए निकले तो उन्हें सबसे पहले रावण का एक सैनिक मिल गया। आज्ञा अनुसार मांगना ही था। यदि भगवान की आज्ञा न होती तो उस सैनिक को लक्ष्मण जी वहीं मार देते, परंतु वे उससे भिक्षा मांगते हैं।
.
सैनिक ने अपनी रसद से लक्ष्मण जी को कुछ अन्न दे दिए।
.
लक्ष्मण जी ने वह अन्न लेकर भगवान राम को अर्पित कर दिए।
.
तत्पश्चात भगवान राम ने उन्हें आशीर्वाद दिया...विजयी भवः।
.
भिक्षा का मर्म किसी की समझ नहीं आया। कोई पूछ भी नहीं सकता था, फिर भी यह प्रश्न तो रह ही गया।
.
फ़िर भीषण युद्ध हुआ।
.
अंत मे मेघनाथ ने त्रिलोक की अंतिम शक्तियों को लक्ष्मण जी पर चलाया, ब्रह्मास्त्र, पशुपात्र, सुदर्शन चक्र। इन अस्त्रों कि कोई काट न थी।
.
लक्ष्मण जी ने सिर झुकाकर इन अस्त्रों को प्रणाम किया, सभी अस्त्र उनको आशीर्वाद देकर वापस चले गए।
.
उसके बाद राम का ध्यान करके लक्ष्मण जी ने मेघनाथ पर बाण चलाया। वह हंसने लगा और उसका सिर कटकर जमीन पर गिर गया और उसकी मृत्यु हो गई।
.
उसी दिन सन्ध्याकालीन समय भगवान राम शिव की आराधना कर रहे थे, वह प्रश्न तो अब तक रह ही गया था। हनुमान जी ने पूछ लिया। प्रभु वह भिक्षा का मर्म क्या है।
.
भगवान मुस्कराने लगे,बोले.... मैं लक्ष्मण को जानता हूँ। वह अत्यंत क्रोधी है।लेकिन युद्ध में बहुत ही विन्रमता कि आवश्यकता पड़ती है। विजयी तो वही होता है जो विन्रम हो। मैं जानता था मेघनाथ, ब्रह्मांड की चिंता नहीं करेगा। वह युद्ध जीतने के लिये दिव्यास्त्रों का प्रयोग करेगा।
.
इन अमोघ शक्तियों के सामने विन्रमता ही काम कर सकती थी। इसलिए मैंने लक्ष्मण को सुबह झुकना बताया! एक वीर शक्तिशाली व्यक्ति जब भिक्षा मांगेगा तो विन्रमता स्वयं प्रवाहित होगी। लक्ष्मण ने मेरे नाम से बाण छोड़ा था। यदि मेघनाथ उस बाण के सामने विन्रमता दिखाता तो मैं भी उसे क्षमा कर देता।
.
भगवान श्रीरामचन्द्र जी एक महान राजा के साथ अद्वितीय सेनापति भी थे। युद्धकाल में विन्रमता शक्ति संचय का भी मार्ग है ! वीर पुरुष को शोभा भी देता है।इसलिए किसी भी बड़े धर्म युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए विनम्रता औऱ धैर्य का होना अत्यंत आवश्यक है। फेसबुक वरुन साभार

Tuesday, December 13, 2022

अगस्त्य संहिता

 *अगस्त्य संहिता*

*बिजली का आविष्कार बेंजामिन फ्रेंक्लिन ने किया लेकिन बेंजामिन फ्रेंक्लिन अपनी एक किताब में लिखते हैं कि एक रात मैं संस्कृत का एक वाक्य पढ़ते-पढ़ते सो गया। उस रात मुझे स्वप्न में संस्कृत के उस वचन का अर्थ और रहस्य समझ में आया जिससे मुझे मदद मिली।*
महर्षि अगस्त्य एक वैदिक ऋषि थे। महर्षि अगस्त्य राजा दशरथ के राजगुरु थे। इनकी गणना सप्तर्षियों में की जाती है। ऋषि अगस्त्य ने ‘अगस्त्य संहिता’ नामक ग्रंथ की रचना की। आश्चर्यजनक रूप से इस ग्रंथ में विद्युत उत्पादन से संबंधित सूत्र मिलते हैं-
संस्थाप्य मृण्मये पात्रे ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्‌।
छादयेच्छिखिग्रीवेन चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥
दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:।
संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्‌॥
*अगस्त्य संहिता*


अर्थात : एक मिट्टी का पात्र लें, उसमें ताम्र पट्टिका (Copper Sheet) डालें तथा शिखिग्रीवा (Copper sulphate) डालें, फिर बीच में गीली काष्ट पांसु (wet saw dust) लगाएं, ऊपर पारा (mercury‌) तथा दस्त लोष्ट (Zinc) डालें, फिर तारों को मिलाएंगे तो उससे मित्रावरुणशक्ति (Electricity) का उदय होगा।
अगस्त्य मुनि एक प्रसिद्ध संत थे। ये वशिष्ठ मुनि के बड़े भाई थे। रामायण और महाभारत में संत अगस्त्य मुनि (maharishi agastya) का उल्लेख मिलता है। वे प्रसिद्ध सप्त ऋषियों में से एक और प्रसिद्ध 18 सिद्धों में से भी एक हैं। ऐसा माना जाता है कि वह 5000 से अधिक वर्षों तक जीवित रहे थे। कहा जाता है कि वह कई वर्षों तक पोथिगई पहाड़ियों में रहे थे।
महर्षि अगस्त्य को मंत्रदृष्टा ऋषि कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने तपस्या काल में उन मंत्रों की शक्ति को देखा था। ऋग्वेद के अनेक मंत्र इनके द्वारा दृष्ट हैं। महर्षि अगस्त्य ने ही ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 165 सूक्त से 191 तक के सूक्तों को बताया था। साथ ही इनके पुत्र दृढ़च्युत तथा दृढ़च्युत के बेटा इध्मवाह भी नवम मंडल के 25वें तथा 26वें सूक्त के द्रष्टा ऋषि हैं।
महर्षि अगस्त्य को पुलस्त्य ऋषि का बेटा माना जाता है। उनके भाई का नाम विश्रवा था जो रावण के पिता थे। पुलस्त्य ऋषि ब्रह्मा के पुत्र थे। महर्षि अगस्त्य ने विदर्भ-नरेश की पुत्री लोपामुद्रा से विवाह किया, जो विद्वान और वेदज्ञ थीं। दक्षिण भारत में इसे मलयध्वज नाम के पांड्य राजा की पुत्री बताया जाता है 1
Comment
Share

6 लोगों के श्राप के कारण हुआ था रावण का सर्वनाश?

 

6 लोगों के श्राप के कारण हुआ था रावण का सर्वनाश?
हम सब जानते हैं कि रावण बहुत ही पराक्रमी योद्धा था। उसने अपने जीवन में अनेक युद्ध किए। धर्म ग्रंथों के अनुसार उसने अपने जीवन में लड़े कई युद्ध तो अकेले ही जीत लिए थे। इतना पराक्रमी होने के बाद भी उसका सर्वनाश कैसे हो गया? रावण के अंत के कारण श्रीराम की शक्ति तो थी ही। साथ ही, उन लोगों का श्राप भी था, जिनका रावण ने कभी अहित किया था।
धर्म ग्रंथों के अनुसार रावण को अपने जीवन काल में मुख्यतः 6 लोगों से श्राप मिला था। यही श्राप उसके सर्वनाश का कारण बने और उसके वंश का समूल नाश हो गया। जानिए किन-किन लोगों ने रावण को क्या-क्या श्राप दिए थे...
1. रघुवंश (भगवान राम के वंश में) में एक परम प्रतापी राजा हुए थे, जिनका नाम अनरण्य था। जब रावण विश्वविजय करने निकला तो राजा अनरण्य से उसका भयंकर युद्ध हुआ। उस युद्ध में अनरण्य की मृत्यु हो गई, लेकिन मरने से पहले उन्होंने रावण को श्राप दिया कि मेरे ही वंश में उत्पन्न एक युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा।
2. एक बार रावण भगवान शंकर से मिलने का कैलाश गया। वहां उसने नंदीजी को देखकर उनके स्वरूप की हंसी उड़ाई और उन्हें बंदर के समान मुख वाला कहा। तब नंदीजी ने रावण को श्राप दिया कि बंदरों के कारण ही तेरा सर्वनाश होगा।


3. रावण ने अपनी पत्नी की बड़ी बहन माया के साथ भी छल किया था। माया के पति वैजयंतपुर के शंभर राजा थे। एक दिन रावण शंभर के यहां गया। वहां रावण ने माया को अपनी बातों में फंसा लिया। इस बात का पता लगते ही शंभर ने रावण को बंदी बना लिया। उसी समय शंभर पर राजा दशरथ ने आक्रमण कर दिया। उस युद्ध में शंभर की मृत्यु हो गई।
जब माया सती होने लगी तो रावण ने उसे अपने साथ चलने को कहा। तब माया ने कहा कि तुमने वासनायुक्त मेरा सतीत्व भंग करने का प्रयास किया इसलिए मेरे पति की मृत्यु हो गई। अतः तुम भी स्त्री की वासना के कारण मारे जाओगे।
4. एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था। तभी उसे एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, जो भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। रावण ने उसके बाल पकड़े और अपने साथ चलने को कहा। उस तपस्विनी उसी क्षण अपनी देह त्याग दी और रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी।
5. विश्वविजय करने के लिए जब रावण स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसे वहां रंभा नाम की अप्सरा दिखाई दी। अपनी वासना पूरी करने के लिए रावण ने उसे पकड़ लिया। तब उस अप्सरा ने कहा कि आप मुझे इस तरफ से स्पर्श न करें, मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित हूं इसीलिए मैं आपकी पुत्रवधू के समान हूं।
लेकिन रावण नहीं माना और उसने रंभा से दुराचार किया। यह बात जब नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को श्राप दिया कि आज के बाद रावण बिना किसी स्त्री की इच्छा के उसको स्पर्श करेगा तो रावण का मस्तक सौ टुकड़ों में बंट जाएंगे।
6. रावण की बहन शूर्पणखा के पति का नाम विद्युतजिव्ह था। वो कालकेय नाम के राजा का सेनापति था। रावण जब विश्वयुद्ध पर निकला तो कालकेय से उसका युद्ध हुआ। उस युद्ध में रावण ने विद्युतजिव्ह का वध कर दिया। तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा।

शिमला का सबसे फालतु इंसान

इनका नाम है सरबजीत सिंह, लेकिन लोग प्यार से बॉबी के नाम से बुलाते हैं।
न तो इसको घर पे कोई काम है और न दूकान पर। कभी एंबुलेंस लेकर मरीजों को आई जी एम सी छोड़ने जा रहा होता है तो कभी मृत लावारिस लाशो को शमशान ले जाता है। शाम को लोग /पर्यटक जब माल रोड पर घूमते हुए मौसम का आनंद ले रहे होते है ये फालतू सरदार कैंसर हस्पताल में मरीजों को खिचड़ी का लंगर लगा के खिला रहा होता है।
सवेरे सवेरे उठकर लोग सैर पे निकलते है और ये सरदार मरीजों को बिस्कुट खिला रहा होता है। रविवार को भी इसको चैन नही होता माल रोड पर ब्लड कैंप लगा कर लोगो का खून निकाल रहा होता है। ऐसा है ये फालतू इंसान। वाहगुरु ऐसे फालतू हर शहर में भी पैदा करो जी। इंसानियत को खत्म होने से बचाते है ऐसे फालतू लोग। गरीबो के आंसू नही टपकने देते ऐसे फालतू लोग। वैसे भी आजकल कोई फालतू नही जो दुसरो के लिए थोड़ा वक़्त निकाल सके। और दुसरो के बारे में सोच सके उनकी तकलीफों को अपना सके।
ओ फालतू बॉबी !!!हर शहर में क्यों नही पैदा हुआ ?
हर शहर में भी मरीज है , उन्हें कोई हाथ भी नही लगाता। वहां भी लावारिस लाशें लावारिस ही पड़ी रहती है भाई जी।

वहां पर भी मरीजों को चाय बिस्कुट खिलाने वाला कोई तेरे जैसा फालतू बंदा चाहिए।

सरबजीत सिंह 'बॉबी' को सलाम!

Sunday, December 11, 2022

हां... हम मीडिया से हैं

जिन्हें तुम अपने मन का न लिखने पर "बिकाऊ, दलाल, गोदी और न जाने क्या क्या बोल दिया करते हो...


जब तुम्हारे घर में चोरी, लड़ाई, और कोई अनहोनी होती है और पुलिस नहीं सुनती तो तुम हमको मदद भरी निगाह से देखते हो... वही हैं हम

हां हम मीडिया से हैं....

जब चुनाव आते हैं तो तुम्हारे चुनाव प्रचार में और तुम्हारे फेवरिट केन्डिटेड की अच्छी ख़बर न चलाए तो गुस्साते हो तुम... गरियाते हो और चला दें तो अच्छे हैं हम..

तुम्हारी पसंदीदा सरकार के विरोध में लिख दें तो देश विरोधी हैं हम, लिख दें तो विपक्ष के गुनहगार हैं हम...

हां हम मीडिया से हैं....

अधिकारी रिश्वत ले रहा है दिखा दें तो अधिकारी के गुनहगार हैं हम, और न दिखायें तो चाटुकार हैं हम....

तुम्हारी सोच के कर्णधार हैं हम, देश के सबसे कमज़ोर स्तंभ "पत्रकारिता" के सूत्रधार हैं हम...

हमको धूप नहीं लगती, हमको ठंड नहीं लगती, हमको बरसात नहीं दिखती...हमको बस ख़बर दिखती है, इस बात के गुनहगार हैं हम...

*फिर भी गर्व से कहते हैं....हां हम मीडिया से हैं* 

दैनिक अयोध्या टाइम से भूपेंद्र सिंह

Saturday, December 10, 2022

तीर्थ स्थानों के पंडे

क्या कभी आप बद्रीनाथ, केदारनाथ , हरिद्वार, गया जी आदि की यात्रा पर गए हैं???

यहाँ के पण्डे आपके आते ही आपके पास पहुँच कर आपसे सवाल करेंगे...
आप किस जगह से आये है??
मूल निवास?
आदि पूछेंगे और धीरे धीरे पूछते पूछते आपके दादा, परदादा ही नहीं बल्कि परदादा के परदादा से भी आगे की पीढ़ियों के नाम बता देंगे जिन्हें आपने कभी सुना भी नही होगा...
और ये सब उनकी सैंकड़ो सालों से चली आ रही किताबो में सुरक्षित है...
विश्वास कीजिये ये अदभुत विज्ञान और कला का संगम है...
आप रोमांचित हो जाते है जब वो आपके पूर्वजों तक का बहीखाता सामने रख देते हैं...
आपके पूर्वज कभी वहाँ आए थे और उन्होंने क्या क्या दान आदि किया...


लेकिन आजकल के शहरी इन सब बातों को फ़िज़ूल समझते हैं उन्हें लगता है कि ये पण्डे सिर्फ लूटने बैठे हैं जबकि ऐसा नही है...
गया यात्रा के दौरान एक मेरे मित्र के पैसे चोरी हो गए थे या गिर गए थे वो बहुत घबरा गया कि घर कैसे जाएगा, कहाँ रहेगा खायेगा आदि, तो पण्डे ने तत्काल पूछा कितने पैसे चाहिए आपको?...
और पण्डे जी ने ना सिर्फ पैसे दिए बल्कि रहने और खाने की व्यवस्था भी करवाई...
ये तीर्थो के पण्डे हमारी सभ्यता,संस्कृति के अटूट अंग है इनका अस्तित्व हमारे पर ही है...
अपनी संस्कृति बचाइए और इन्हें सम्मान दीजिये...


वैसे हिन्दुओ के नागरिकता रजिस्टर हैं ये लोग...
पीढ़ियों के डेटा इन्होंने मेहनत से बनाया और संजोया है...
इन्हें सम्मान दीजिये...

Thursday, December 8, 2022

अंग्रेज़ों ने 52 क्रांतिकारियों को लटका दिया था इमली के पेड़ पर

 #भारत की वो एकलौती ऐसी घटना जब , अंग्रेज़ों ने एक साथ 52 क्रांतिकारियों को इमली के पेड़ पर लटका दिया था, पर वामपंथियों ने इतिहास की इतनी बड़ी घटना को आज तक गुमनामी के अंधेरों में ढके रखा।

उत्तरप्रदेश के फतेहपुर जिले में स्थित बावनी इमली एक प्रसिद्ध इमली का पेड़ है, जो भारत में एक शहीद स्मारक भी है। इसी इमली के पेड़ पर 28 अप्रैल 1858 को गौतम क्षत्रिय, जोधा सिंह अटैया और उनके इक्यावन साथी फांसी पर झूले थे। यह स्मारक उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के बिन्दकी उपखण्ड में खजुआ कस्बे के निकट बिन्दकी तहसील मुख्यालय से तीन किलोमीटर पश्चिम में मुगल रोड पर स्थित है।


यह स्मारक स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किये गये बलिदानों का प्रतीक है। 28 अप्रैल 1858 को ब्रिटिश सेना द्वारा बावन स्वतंत्रता सेनानियों को एक इमली के पेड़ पर फाँसी दी गयी थी। ये इमली का पेड़ अभी भी मौजूद है। लोगों का विश्वास है कि उस नरसंहार के बाद उस पेड़ का विकास बन्द हो गया है।
10 मई, 1857 को जब बैरकपुर छावनी में आजादी का शंखनाद किया गया, तो 10 जून,1857 को फतेहपुर में क्रान्तिवीरों ने भी इस दिशा में कदम बढ़ा दिया जिनका नेतृत्व कर रहे थे जोधासिंह अटैया। फतेहपुर के डिप्टी कलेक्टर हिकमत उल्ला खाँ भी इनके सहयोगी थे। इन वीरों ने सबसे पहले फतेहपुर कचहरी एवं कोषागार को अपने कब्जे में ले लिया। जोधासिंह अटैया के मन में स्वतन्त्रता की आग बहुत समय से लगी थी। उनका सम्बन्ध तात्या टोपे से बना हुआ था। मातृभूमि को मुक्त कराने के लिए इन दोनों ने मिलकर अंग्रेजों से पांडु नदी के तट पर टक्कर ली। आमने-सामने के संग्राम के बाद अंग्रेजी सेना मैदान छोड़कर भाग गयी ! इन वीरों ने कानपुर में अपना झंडा गाड़ दिया।
जोधासिंह के मन की ज्वाला इतने पर भी शान्त नहीं हुई। उन्होंने 27 अक्तूबर, 1857 को महमूदपुर गाँव में एक अंग्रेज दरोगा और सिपाही को उस समय जलाकर मार दिया, जब वे एक घर में ठहरे हुए थे। सात दिसम्बर, 1857 को इन्होंने गंगापार रानीपुर पुलिस चैकी पर हमला कर अंग्रेजों के एक पिट्ठू का वध कर दिया। जोधासिंह ने अवध एवं बुन्देलखंड के क्रान्तिकारियों को संगठित कर फतेहपुर पर भी कब्जा कर लिया।
आवागमन की सुविधा को देखते हुए क्रान्तिकारियों ने खजुहा को अपना केन्द्र बनाया। किसी देशद्रोही मुखबिर की सूचना पर प्रयाग से कानपुर जा रहे कर्नल पावेल ने इस स्थान पर एकत्रित क्रान्ति सेना पर हमला कर दिया। कर्नल पावेल उनके इस गढ़ को तोड़ना चाहता था, परन्तु जोधासिंह की योजना अचूक थी। उन्होंने गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का सहारा लिया, जिससे कर्नल पावेल मारा गया। अब अंग्रेजों ने कर्नल नील के नेतृत्व में सेना की नयी खेप भेज दी। इससे क्रान्तिकारियों को भारी हानि उठानी पड़ी। लेकिन इसके बाद भी जोधासिंह का मनोबल कम नहीं हुआ। उन्होंने नये सिरे से सेना के संगठन, शस्त्र संग्रह और धन एकत्रीकरण की योजना बनायी। इसके लिए उन्होंने छद्म वेष में प्रवास प्रारम्भ कर दिया, पर देश का यह दुर्भाग्य रहा कि वीरों के साथ-साथ यहाँ देशद्रोही भी पनपते रहे हैं। जब जोधासिंह अटैया अरगल नरेश से संघर्ष हेतु विचार-विमर्श कर खजुहा लौट रहे थे, तो किसी मुखबिर की सूचना पर ग्राम घोरहा के पास अंग्रेजों की घुड़सवार सेना ने उन्हें घेर लिया। थोड़ी देर के संघर्ष के बाद ही जोधासिंह अपने 51 क्रान्तिकारी साथियों के साथ बन्दी बना लिये गये।
28 अप्रैल, 1858 को मुगल रोड पर स्थित इमली के पेड़ पर उन्हें अपने 51 साथियों के साथ फाँसी दे दी गयी। लेकिन अंग्रेजो की बर्बरता यहीं नहीं रुकी । अंग्रेजों ने सभी जगह मुनादी करा दिया कि जो कोई भी शव को पेड़ से उतारेगा उसे भी उस पेड़ से लटका दिया जाएगा । जिसके बाद कितने दिनों तक शव पेड़ों से लटकते रहे और चील गिद्ध खाते रहे । अंततः महाराजा भवानी सिंह अपने साथियों के साथ 4 जून को जाकर शवों को पेड़ से नीचे उतारा और अंतिम संस्कार किया गया । बिन्दकी और खजुहा के बीच स्थित वह इमली का पेड़ (बावनी इमली) आज शहीद स्मारक के रूप में स्मरण किया जाता है।
साभार बृजेश कुमार वर्मा 
Like
Comment
Share

Tuesday, December 6, 2022

SLUG दिल्ली में आपकी सरकार भाजपा सैकड़ा भी पार नहीं करेगी //आप पार्टी तीसरी बड़ी राजनीतिक पार्टी देश की बनेगी

 दिल्ली में नगर निगम चुनाव की 250 सीटों में जो मतदान हुआ है थोड़ी देर बाद मतदान पूर्णतया संपन्न हो जाएगा यहां की जो स्थितियां हैं वह बहुत साफ है की भाजपा का सैकड़ा भी इस बार नहीं हो पाएग। इसके पहले भाजपा को 181 सीटें आपको 48 और कांग्रेस को 30 सीटें मिली थी। इस बार भाजपा को 50 सीट के आसपास मिलने की संभावना है ।आप निश्चित तौर पर बहुमत में होगी और दो तिहाई पूर्ण बहुमत में हो सकती है।  दिल्ली में160 सीटों से उपर आप को मिलने की संभावना है। इससे अधिक पहले हालांकि 270 में 181 भाजपा को मिली थी अब वह तीनों नगर निगम के एकीकरण के बाद 250 हो गए एक करोड़ 45लाख  के लगभग मतदान की संभावना है , लगभग 50प्रतिशत कुल वोटिंग का अनुमान लगाया जा रहा है ।अभी तक 45 परसेंटेज वोटिंग हो चुकी है ५%और पड़ने की संभावना है। बहुत साफ है की भाजपा का  लगभग 7 परसेंटेज कार्यकर्ता उपेक्षा की वजह से वोट डालने ही नहीं गया ।लोकल नेतृत्व उसके पास नहीं है पंजाबियां का तथा उनके बड़े-बड़े लीडर पहले भाजपा का  नेतृत्व  करते थे ।अब कोई नहीं है। इसका भी असर पड़ा है मोटे तौर पर अनुमान लगाया जा रहा है कि जिस तरह से मुस्लिम ईसाई सिख बहुतायत में बाल्मीकि व दलित वोट आप को गया है ।उससे साफ लग रहा है कि आप का सिक्का चला गया है मुस्लिम वोट आप को किया है  लगभग 45%बहुत जबरदस्त टोटल वोट आप को गया है । वहीं कांग्रेश, सपा ,बसपा जनता दल, ममता बनर्जी की लॉबी का वोट आप और तमाम भाजपा विरोधियों का भी एकमुश्त वोट थोक में आपको चला गया है ।जिससे भाजपा की हार सुनिश्चित है ।

  




अजय पत्रकार की खास रिपोर्ट

Saturday, December 3, 2022

नग्नता आधुनिकता की नहीं असभ्यता और दरिद्रता की निशानी

 14 वी व 15वीं शताब्दी तक यूरोप के अधिकांश लोग जंगल में रहते थे कपड़े बनाना जानते नहीं थे ।

कपड़ों के स्थान पर जानवरों की खाल का लबादा लपेटते थे ,
या जानवरों की खाल से मोटे बने हुए जो जूट की बोरी से भी ज्यादा खराब क्वालिटी के कपड़े जिसको कहा नही जा सकता वह ओढते थे ।



नग्नता,असभ्यता की अशिक्षा की अवैज्ञानिकता की निशानी है
भारत में केवल रुई के नही बल्कि सोने चांदी के तारों से कपड़े बनाना जानता था
और नग्नता भारत की कभी भी निशानी नहीं रही ।

भारत ऐसा देश है जिसने ऐड़ी से लेकर चोटी तक उंगली के नाखून से लेकर बाजू तक लगभग हजारों प्रकार के आभूषण ,हजारों प्रकार के कपड़ों के डिजाइन और उसमें भी हजारों प्रकार के अलग-अलग जेवर में
कपड़ों के डिजाइन भारत ने बनाए हैं।

इस भारत में यदि कोई नग्नता को आधुनिकता मानता है
तो वह निरा महामूर्ख है,

नग्नता आधुनिकता की नहीं है असभ्यता और दरिद्रता की निशानी है।
सभ्य बनो सभ्यता को पहचाने

सोने के लिए चारपाई (खाट)

 चारपाई....

सोने के लिए चारपाई (खाट) हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है। हमारे पूर्वजों को क्या लकड़ी को चीरना नहीं जानते थे ? वे भी लकड़ी चीरकर उसकी पट्टियाँ बनाकर डबल बेड बना सकते थे। डबल बेड बनाना कोई रॉकेट सायंस नहीं है। लकड़ी की पट्टियों में कीलें ही ठोंकनी होती हैं। चारपाई भी भले कोई सायंस नहीं है। लेकिन एक समझदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके। चारपाई बनाना एक कला है। उसे रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और श्रम लगता है।
जब हम सोते हैं , तब सिर और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है ; क्योंकि रात हो या दोपहर में लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते हैं। पेट को पाचनक्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है। इसलिए सोते समय चारपाई की जोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है।
दुनिया में जितनी भी आरामकुर्सियां देख लें , सभी में चारपाई की तरह जोली बनाई जाती है। बच्चों का पुराना पालना सिर्फ कपडे की जोली का था , लकडी का सपाट बनाकर उसे भी बिगाड़ दिया गया है। चारपाई पर सोने से कमर और पीठ का दर्द का दर्द कभी नही होता है। दर्द होने पर चारपाई पर सोने की सलाह दी जाती है।
डबलबेड के नीचे अंधेरा होता है , उसमें रोग के कीटाणु पनपते हैं , वजन में भारी होता है तो रोज-रोज सफाई नहीं हो सकती। चारपाई को रोज सुबह खड़ा कर दिया जाता है और सफाई भी हो जाती है, सूरज का प्रकाश बहुत बढ़िया कीटनाशक है। खटिये को धूप में रखने से खटमल इत्यादि भी नहीं लगते हैं। अगर किसी को डॉक्टर Bed Rest लिख देता है तो दो तीन दिन में उसको English Bed पर लेटने से Bed -Soar शुरू हो जाता है । भारतीय चारपाई ऐसे मरीजों के बहुत काम की होती है । चारपाई पर Bed Soar नहीं होता क्योकि इसमें से हवा आर पार होती रहती है ।
गर्मियों में इंग्लिश Bed गर्म हो जाता है इसलिए AC की अधिक जरुरत पड़ती है जबकि सनातन चारपाई पर नीचे से हवा लगने के कारण गर्मी बहुत कम लगती है। बान की चारपाई पर सोने से सारी रात Automatically सारे शारीर का Acupressure होता रहता है ।


गर्मी में छत पर चारपाई डालकर सोने का आनद ही और है। ताज़ी हवा , बदलता मोसम , तारों की छाव ,चन्द्रमा की शीतलता जीवन में उमंग भर देती है । हर घर में एक स्वदेशी बाण की बुनी हुई (प्लास्टिक की नहीं ) चारपाई होनी चाहिए ।सस्ते प्लास्टिक की रस्सी और पट्टी आ गयी है , लेकिन वह सही नही है। स्वदेशी चारपाई के बदले हजारों रुपये की दवा और डॉक्टर का खर्च बचाया जा सकता है, अगर दाब या कांस की बुनी हुए तो सर्वोत्तम होती है।