Thursday, January 11, 2024

5 लाख की 1 अगरबत्ती

 गुजरात से अयोध्या पहुंची 108 फीट लंबी अगरबत्ती

दैनिक अयोध्या टाइम्स ब्यूरो

आयोध्या। आगामी 22 तारीख को प्रभु श्री राम के मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के पहले नवनिर्मित मंदिर की सजावट और तैयारी जोर-शोर से चल रही है।  राम मंदिर को लेकर एक से बढ़कर एक प्रयोग हो रहे हैं जो अपने आप में कीर्तिमान रच रहे हैं।  इन्हीं प्रयोगों में एक बड़ा प्रयोग है 108 फीट लंबी अगरबत्ती का भी जिससे एक बड़ी इतिहास आयोध्या में  रची जा सके।बता दे कि  श्री राम मन्दिर के लिए गुजरात से अयोध्या 108 फीट लंबी अगरबती लायी गई हैं जिसका स्वागत  राम भक्तों ने भेलसर चौराहे पर जमकर किया हैं । यह अगरबती प्राण प्रतिष्ठा के लिए अर्पित की जायेगी। इस  अगरबत्ती  को 108 फीट लंबी और गोल आकर में बनाई गई है। अगरबती की लागत करीब 5 लाख है। इसकी सुंगध 15 से 20 किलोमीटर तक होगी।  यहां बुधवार को भाजपा जिला महामंत्री अशोक कसौधान, राज प्रताप सिंह , विनय लोधी , मालिक राम लोधी, आदर्श गुप्ता ने ढोल नगाड़े के साथ पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। श्री श्याम भक्ति मंडल की ओर से महेश साहू, सुधीर सिंघल, विष्णु अग्रवाल, मनीष चौरसिया अशोक गर्ग आदि मौजूद रहे।



Tuesday, January 9, 2024

लोटा और गिलास के पानी में अंतर

जानिए #लोटा और #गिलास के पानी में अंतर.........
#भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है, ये गिलास जो है #विदेशी है.
गिलास भारत का नही है. गिलास #यूरोप से आया.
और यूरोप में #पुर्तगाल से आया था. ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये.
गिलास अपना नही है. अपना लोटा है. और लोटा कभी भी #एकरेखीय नही होता. तो #वागभट्ट जी कहते हैं कि जो बर्तन एकरेखीय हैं उनका #त्याग कीजिये. वो काम के नही हैं. इसलिए गिलास का पानी पीना अच्छा नही माना जाता. लोटे का पानी पीना अच्छा माना जाता है. इस पोस्ट में हम गिलास और लोटा के पानी पर चर्चा करेंगे और दोनों में अंतर बताएँगे.
फर्क सीधा सा ये है कि आपको तो सबको पता ही है
कि पानी को जहाँ धारण किया जाए, उसमे वैसे ही #गुण उसमें आते है. पानी के अपने कोई गुण नहीं हैं.
जिसमें डाल दो उसी के गुण आ जाते हैं. #दही में मिला दो तो #छाछ बन गया, तो वो दही के गुण ले लेगा.
दूध में मिलाया तो #दूध का गुण. लोटे में पानी अगर रखा तो बर्तन का गुण आयेगा. अब लौटा गोल है तो वो उसी का गुण धारण कर लेगा. और अगर थोडा भी गणित आप समझते हैं तो हर गोल चीज का #सरफेस_टेंशन कम रहता है. क्योंकि सरफेस एरिया कम होता है तो सरफेस टेंशन कम होगा. तो सरफेस टेंशन कम हैं तो हर उस चीज का सरफेस टेंशन कम होगा. और स्वास्थ्य की दष्टि से कम सरफेस टेंशन वाली चीज ही आपके लिए लाभदायक है.अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाली चीज आप पियेंगे तो बहुत तकलीफ देने वाला है. क्योंकि उसमें #शरीर को तकलीफ देने वाला एक्स्ट्रा प्रेशर आता है.


गिलास और लोटा के पानी में अंतर गिलास के पानी और लौटे के पानी में जमीं आसमान का अंतर है.
इसी तरह #कुए का पानी, कुंआ गोल है इसलिए सबसे अच्छा है. आपने थोड़े समय पहले देखा होगा कि सभी #साधू #संत कुए का ही पानी पीते है. न मिले तो प्यास सहन कर जाते हैं, जहाँ मिलेगा वहीं पीयेंगे. वो कुंए का पानी इसीलिए पीते है क्यूंकि कुआ गोल है, और उसका सरफेस एरिया कम है. सरफेस टेंशन कम है. और साधू संत अपने साथ जो केतली की तरह पानी पीने के लिए रखते है वो भी लोटे की तरह ही आकार वाली होती है. जो नीचे चित्र में दिखाई गई है.
सरफेस टेंशन कम होने से पानी का एक गुण लम्बे समय तक जीवित रहता है. पानी का सबसे बड़ा गुण है सफाई करना. अब वो गुण कैसे काम करता है वो आपको बताते है. आपकी #बड़ी_आंत है और #छोटी_आंत है,
आप जानते हैं कि उसमें #मेम्ब्रेन है और कचरा उसी में जाके फंसता है. पेट की सफाई के लिए इसको बाहर लाना पड़ता है. ये तभी संभव है जब कम सरफेस टेंशन वाला पानी आप पी रहे हो. अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाला पानी है तो ये कचरा बाहर नही आएगा, मेम्ब्रेन में ही फंसा रह जाता है.
दुसरे तरीके से समझें, आप एक एक्सपेरिमेंट कीजिये. थोडा सा #दूध ले और उसे चेहरे पे लगाइए, 5 मिनट बाद रुई से पोंछिये. तो वो रुई काली हो जाएगी. स्किन के अन्दर का कचरा और गन्दगी बाहर आ जाएगी. इसे दूध बाहर लेकर आया. अब आप पूछेंगे कि दूध कैसे बाहर लाया तो आप को बता दें कि दूध का सरफेस टेंशन सभी वस्तुओं से कम है. तो जैसे ही दूध चेहरे पर लगाया, दूध ने चेहरे के सरफेस टेंशन को कम कर दिया क्योंकि जब किसी वस्तु को दूसरी वस्तु के सम्पर्क में लाते है तो वो दूसरी वस्तु के गुण ले लेता है.
इस एक्सपेरिमेंट में दूध ने स्किन का सरफेस टेंशन कम किया और त्वचा थोड़ी सी खुल गयी. और त्वचा खुली तो अंदर का कचरा बाहर निकल गया. यही क्रिया लोटे का पानी पेट में करता है. आपने पेट में पानी डाला तो बड़ी आंत और छोटी आंत का सरफेस टेंशन कम हुआ और वो खुल गयी और खुली तो सारा कचरा उसमें से बाहर आ गया. जिससे आपकी आंत बिल्कुल साफ़ हो गई. अब इसके विपरीत अगर आप गिलास का हाई सरफेस टेंशन का पानी पीयेंगे तो आंते सिकुडेंगी क्यूंकि #तनाव बढेगा. तनाव बढते समय चीज सिकुड़ती है और तनाव कम होते समय चीज खुलती है. अब तनाव बढेगा तो सारा कचरा अंदर जमा हो जायेगा और वो ही कचरा #भगन्दर, #बवासीर, मुल्व्याद जैसी सेंकडो पेट की बीमारियाँ उत्पन्न करेगा.
इसलिए कम सरफेस टेंशन वाला ही पानी पीना चाहिए. इसलिए लौटे का पानी पीना सबसे अच्छा माना जाता है, गोल कुए का पानी है तो बहुत अच्छा है. गोल तालाब का पानी, पोखर अगर खोल हो तो उसका पानी बहुत अच्छा. नदियों के पानी से कुंए का पानी अधिक अच्छा होता है. क्योंकि #नदी में गोल कुछ भी नही है वो सिर्फ लम्बी है, उसमे पानी का फ्लो होता रहता है. नदी का पानी हाई सरफेस टेंशन वाला होता है और नदी से भी ज्यादा ख़राब पानी समुन्द्र का होता है उसका सरफेस टेंशन सबसे अधिक होता है.
अगर #प्रकृति में देखेंगे तो #बारिश का पानी गोल होकर धरती पर आता है. मतलब सभी #बूंदे गोल होती है क्यूंकि उसका #सरफेस टेंशन बहुत कम होता है.
तो गिलास की बजाय पानी लोटे में पीयें.
तो लोटे ही घर में लायें.
गिलास का प्रयोग बंद कर दें. जब से आपने लोटे को छोड़ा है तब से भारत में लौटे बनाने वाले #कारीगरों की रोजी रोटी ख़त्म हो गयी. गाँव गाँव में कसेरे कम हो गये, वो #पीतल और #कांसे के लौटे बनाते थे.
सब इस गिलास के चक्कर में भूखे मर गये.
तो वागभट्ट जी की बात मानिये और लौटे वापिस लाइए

Thursday, January 4, 2024

किवाड़ की जोड़ी

 क्या आपको पता है?

कि किवाड़ की जो जोड़ी होती है,
उसका एक पल्ला पुरुष और,
दूसरा पल्ला स्त्री होती है।
ये घर की चौखट से जुड़े-जड़े रहते हैं।
हर आगत के स्वागत में खड़े रहते हैं।।
खुद को ये घर का सदस्य मानते हैं।
भीतर बाहर के हर रहस्य जानते हैं।।
एक रात उनके बीच था संवाद।
चोरों को लाख-लाख धन्यवाद।।
वर्ना घर के लोग हमारी,
एक भी चलने नहीं देते।
हम रात को आपस में मिल तो जाते हैं,
हमें ये मिलने भी नहीं देते।।
घर की चौखट से साथ हम जुड़े हैं,
अगर जुड़े जड़े नहीं होते।
तो किसी दिन तेज आंधी-तूफान आता,
तो तुम कहीं पड़ी होतीं,
हम कहीं और पड़े होते।।
चौखट से जो भी एकबार उखड़ा है।
वो वापस कभी भी नहीं जुड़ा है।।
इस घर में यह जो झरोखे,
और खिड़कियाँ हैं।
यह सब हमारे लड़के,
और लड़कियाँ हैं।।


तब ही तो,
इन्हें बिल्कुल खुला छोड़ देते हैं।
पूरे घर में जीवन रचा बसा रहे,
इसलिये ये आती जाती हवा को,
खेल ही खेल में,
घर की तरफ मोड़ देते हैं।।
हम घर की सच्चाई छिपाते हैं।
घर की शोभा को बढ़ाते हैं।।
रहे भले कुछ भी खास नहीं,
पर उससे ज्यादा बतलाते हैं।
इसीलिये घर में जब भी,
कोई शुभ काम होता है।
सब से पहले हमीं को,
रँगवाते पुतवाते हैं।।
पहले नहीं थी,
डोर बेल बजाने की प्रवृति।
हमने जीवित रखा था जीवन मूल्य,
संस्कार और अपनी संस्कृति।।
बड़े बाबू जी जब भी आते थे,
कुछ अलग सी साँकल बजाते थे।
आ गये हैं बाबूजी,
सब के सब घर के जान जाते थे ।।
बहुयें अपने हाथ का,
हर काम छोड़ देती थी।
उनके आने की आहट पा,
आदर में घूँघट ओढ़ लेती थी।।
अब तो कॉलोनी के किसी भी घर में,
किवाड़ रहे ही नहीं दो पल्ले के।
घर नहीं अब फ्लैट हैं,
गेट हैं इक पल्ले के।।
खुलते हैं सिर्फ एक झटके से।
पूरा घर दिखता बेखटके से।।
दो पल्ले के किवाड़ में,
एक पल्ले की आड़ में,
घर की बेटी या नव वधु,
किसी भी आगन्तुक को,
जो वो पूछता बता देती थीं।
अपना चेहरा व शरीर छिपा लेती थीं।।
अब तो धड़ल्ले से खुलता है,
एक पल्ले का किवाड़।
न कोई पर्दा न कोई आड़।।
गंदी नजर ,बुरी नीयत, बुरे संस्कार,
सब एक साथ भीतर आते हैं ।
फिर कभी बाहर नहीं जाते हैं।।
कितना बड़ा आ गया है बदलाव?
अच्छे भाव का अभाव।
स्पष्ट दिखता है कुप्रभाव।।
सब हुआ चुपचाप,
बिन किसी हल्ले गुल्ले के।
बदल किये किवाड़,
हर घर के मुहल्ले के।।
अब घरों में दो पल्ले के,
किवाड़ कोई नहीं लगवाता।
एक पल्ली ही अब,
हर घर की शोभा है बढ़ाता।।
अपनों में नहीं रहा वो अपनापन।
एकाकी सोच हर एक की है,
एकाकी मन है व स्वार्थी जन।।
अपने आप में हर कोई,
रहना चाहता है मस्त,
बिल्कुल ही इकलल्ला।
इसलिये ही हर घर के किवाड़ में,
दिखता है सिर्फ़ एक ही पल्ला!

Tuesday, January 2, 2024

रसोई की कुछ उपयोगी बातें

 


⭐️समोसे का आटा गूथते समय उसमें थोडा सा चावल का आटा भी मिला दें तो समोसे अधिक कुरकुरे बनेगे|
⭐️भटूरे के आटे में खमीर के लिये ब्रेड के 2-3ब्रेड स्लाइस मिला दीजिये.अच्छा खमीर आ जाता है|
⭐️दही बडे की पिसी हुई दाल में थोडी सी सूजी मिला दे, बडॆ अधिक नरम बनेगे।
⭐️आलू की टिकिया मे थोडे से कच्चे केले को उबाल कर मिला दीजिये. टिकिया बहुत अधिक स्वादिष्ट बनेगी।
⭐️कच्चा केला काटते समय हाथ काले पड जाते है।उन्हे साफ़ करने के लिए कुछ बूंदें नीम्बू का रस व जरा सा नमक लगा कर साफ़ करे हाथ तुरन्त साफ़ हो जाएगे।
⭐️यदि दूध फ़टने का खतरा लगे तो,उसमें 1 चम्मच पानी में 1/2 चम्मच खाने का सोडा मिला दीजिये, दूध नही फ़टेगा
⭐️घी बनाते समय घी जल गया हो तो जले हुये घी में कटा हुआ आलू का टुकडा डालकर कुछ देर पकाये. जल हुआ घी साफ़ हो जाएगा ।
⭐️करेले, टिन्डे ,भिन्डी ,तोरई आदि सब्जिया नरम पड गई होतो इन्हे थोडी देर पानी में भीगो कर रखें. आसानी से कट जायेगी और छील जायेगी
⭐️हाथो से प्याज की दुर्गन्ध दुर करने के लिए कच्चे आलू मले ,दुर्गन्ध दूर हो जायेगी|
कोफ्ते तलते समय तेल अच्छा गरम होना चाहिये, कम गरम तेल में कोफ्ते फट सकते हैं.
⭐️अगर सब्जी मे नमक ज़्यादा हो गया है तो उबला आलू डाल कर सब्जी को थोडी देर पका लीजिये. नमक ठीक हो जायेगा
⭐️मूंग दाल की मंगोडी की दाल ज़्यादा गीली हो गई है तो उबले आलू को मसल कर दाल मे मिला दीजिये .मंगोडी खस्ता बनेगी|
⭐️आलू के चिप्स को स्टोर करने पर उनमे से अजीब सी गंध आने लगती है ,उसमें सूखी लाल मिर्च व नीम की सूखी पत्तियां रखिए डिब्बा बदं होने पर गंध नही आयेगी।
⭐️आलू के पराठे बनाते समय थोडा सा आम का अचार l मसाला डाल कर बनाये ,पराँठे बहुत स्वादिष्ट बनेंगे.
⭐️निम्बू का अचार खराब होने लगे तो अचार को किसी बर्तन मे निकाल कर सिरका डाल कर थोडा पका लीजिये, अचार फिर से नया हो जायेगा।
⭐️निम्बू का अचार डालते समय थोडी पीसी चीनी बुरक दे तो नमक के दाने नही पडेगें | और अगर पड गये है तो भी थोडी पीसी चीनी बुरक दीजिये अचार नया सा जायेगा।
⭐️आम का अचार बनाते समय फांको में नमक, हल्दी लगाकर रखे, तब उस पर 1-2 चम्मच पीसी हुई चीनी भी बुरक दीजिये इससे जहा सारी फाकें पानी छोड देगीं . अचार अच्छा बनेगा।
⭐️आम के मीठे अचार में थोडा सा अदरक कस कर मिला दे. अचार अधिक पौष्टिक व चटपटा बनेगा।
⭐️दाल मखनी बनाने से पहले साबुत मसूर दाल को कडाही मे हल्का सा भून कर फिर बनाइये. अधिक बनेगी।
⭐️गर्मी में डोसे का घोल बहुत ज्यादा खट्टा हो गया है तो--उस में 2-3 गिलास पानी डाल कर रख दें 1/2 घटें बाद उपर का पानी धीरे से निकाल दें खटास कम हो जाएगी।
⭐️सलाद बनाने से पहले सब्जियों में को कुछ देर फ़्रीजर मे रखें फिर सलाद काटें आसानी से कटेगा.
⭐️सेव ,केला काटने के बाद उनमे नीम्बू रस डाल दें तो काले नही पडेगें।