Tuesday, July 16, 2019

ग़ज़ल



आइना क्या देखकर शरमा रहा है।

यूँ मिली जब आंख तो घबरा रहा है।

 

बंद पलकों से कहो ना दर्द  कुछ भी,

दिल अभी नादान हँसा जा रहा है।

 

खनखनाकर शोर उठती चूड़ियों की,

क्या शिकायत मुझको बतला रहा है।

 

आज से पहले नही इतना हँसा वो

राज कुछ है साज जो छिपा रहा है।

 

ये अँधेरे ढूँढ ही लेते हैं 'मुझको',

रौशनी जो आंख में जलता रहा है।

 

 




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नाम - ऋषिकांत राव शिखरे

पता - पुलसावां, अकबरपुर, अम्बेडकर नगर (उत्तर प्रदेश)।

शिक्षा - बी.एस. सी. (Bachelor of Science)

मो. न. -    +919793477165


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