Monday, October 21, 2019

रामू का संकल्प

  कुशाग्र एवं तेज बुद्धि का रामू जब छः वर्ष का था, तब से वह अपने ननिहाल में रहकर पढ़ाई करता था। आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह शहर आ गया, जहां उसके पिता एक औसत दर्जे का धन्धा करते थे। रामू की मां उसके पिता के काम धन्धे में साथ देती थी। उसने शहर के एक अच्छे विद्यालय की प्रवेश परीक्षा उच्चतम अंकों से उत्तीर्ण की, उस स्कूल का नाम दूर-दूर तक प्रसि( था। रामू हमेशा से ही एक प्रसिद्ध इंजीनियर बनना चाहता था, इसके लिए वह मेहनत भी करता था। दो वर्ष बाद उसने हाईस्कूल की परीक्षा उच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। अब तक रामू को शहर के बारे में ज्ञान हो गया था और उसके बहुत से दोस्त बन गये थे। किन्तु बुरी संगति में पड़कर वह अपने लक्ष्य से भटक गया और ग्यारहवीं की वार्षिक परीक्षा में फेल हो गया। जिससे सभी आश्चर्य चकित थे, उसके टीचरों को भी विश्वास नहीं हो रहा था। रामू बहुत ग्लानि महसूस कर रहा था। हर तरफ से उसे उलाहना ही मिल रहा था, उसका आत्मविश्वास पूर्णतयः खत्म हो गया था। रामू परेशान रहने लगा, एक दिन उसने आत्मदाह का प्रयास किया। किन्तु किसी तरह उसे बचा लिया गया। सभी ने उसे बहुत समझाया, तभी उसके एक शुभचिंतक दोस्त ने उसे एक किताब पढ़ने को दी। जिसको पढ़कर रामू ने कई बातें जानी जैसे कि कभी-भी अपना आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए। अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठिन परिश्रम करना चाहिए, कभी-भी मन में नकारात्मक विचार नहीं लाने चाहिए। हमेशा बिना आलस किये हुए तथा घर की परिस्थितियों को देखते हुए अपने लक्ष्य की ओर अग्रसित होना चाहिए, इन सभी बातों का पालन करते हुए कभी भी लक्ष्य से न भटकने का उसने संकल्प लिया। अब तक वह समाज की सभी परिस्थितियां जान चुका था और उसने इंजीनियर बनने की ठान ली थी। तत्पश्चात् उसनें ग्यारहवीं ही नहीं बल्कि इण्टरमीडिएट में भी अपने विद्यालय में टाॅप करके एक अच्छे संस्थान से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। कुशल होने के कारण एक विदेशी कम्पनी ने उसे नौकरी का अवसर प्रदान किया। कुछ वर्षों बाद रामू ने अपनी खुद की एक कम्पनी का उद्घाटन किया। उसके परिश्रम की बदौलत उसकी कम्पनी आसमान छूने लगी। वह एक सम्पन्न इंजीनयर के रूप में प्रसि( हो गया। जिस तरह रामू ने आत्म विश्वास एकत्रित कर ऊंचाइयों पर चढ़ना सीखा, उसी तरह हर व्यक्ति को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति बिना आलस किए हुए कठिन परिश्रम करता है, तो वह भी सफल व्यक्ति बन सकता है।


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