उपर्युक्त विश्वविद्यालय, कॉलेज एवं संस्थान ये हैं: पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना; महाराजा रणजीत सिंह पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय (एमआरएसपीटीयू), बठिंडा; सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट-हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीएचईटी), लुधियाना; राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल; भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर), करनाल; संत लोंगोवाल इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (एसएलआईईटी), संगरूर; राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (एनएबीआई), मोहाली और गुरुनानक कॉलेज, बुद्धलादा।
इस अवसर पर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि अब समय आ गया है कि विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी को अपनाया जाए। उन्होंने किसानों एवं उद्यमियों से ‘ग्राम समृद्धि योजना’ से लाभ उठाने का अनुरोध किया जिसके तहत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय को प्रौद्योगिकी के उन्नयन के लिए 3000 करोड़ रुपये मिले हैं।
उन्होंने कहा कि छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सभी को एक- दूसरे के साथ मिल-जुलकर काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के सहमति-पत्र (एमओयू) से किसानों के लाभ के लिए नए अवसर खुल जाएंगे क्योंकि खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में अपार क्षमता है। उन्होंने किसानों से अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए अपनी-अपनी फसलों का विविधीकरण करने का अनुरोध किया।
इन सहमति-पत्रों (एमओयू) का उद्देश्य अनुसंधान, कौशल विकास, परामर्श कार्य, संस्थागत विकास, सूचनाओं के प्रसार और संयंत्र में ही विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देने से जुड़े सहयोगात्मक कार्यक्रम को सुविधाजनक बनाना है। इसके तहत जो कड़ी बनेगी उससे साझेदारों के बीच आपसी मेलभाव एवं रिश्तों में और भी अधिक मजबूती आएगी।
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