Wednesday, January 8, 2020

चलते रहेगे काफीले मेरे बगैर भी इक तारा टुटने से फलक सूना नही होता?

हजारों  साल नर्गिस अपनी बे नूरी पे रोती है
चमन  में तब जाकर कोई दिदावर पैदा होता है।
सियासत के समन्दर मे बर्षों  सियासी मन्थन के बाद पूर्वाचल  की धरती में दो लालो का आज से छ दशक पहले जन्म हुआ एक  बलिया की बागी धरती इब्राहीम पट्टी गाँव  के एक साधारण परिवार का नाम रोशन कर भारत के प्रधान मन्त्री पद का सीधे दावेदार हुआ उस महारथी का नाम स्व चन्द्रशेखर है जिनके नाम पर सियासत थर्रा उठती संसद में सियापा पसर जाता था। आजीवन युवा तुर्क की ऊपाधि से बिभूषित रहे।आज वो भी इस दुनियाँ में नहीं रहे? दुसरा सूरमा मऊ जनपद की महकती माटी के गाँव  सेमरी जमाल पुर में पैदा हुवे सियासत के धुरन्धर स्व कल्पनाथ राय? जिनके गुजरे एक डेढ दशक से ऊपर हो गया।कभी इन दोनो महान विभूतियों के नाम पर दिल्ली की सियासत में दहशत पसरा रहता था। बिकाश की गंगा इनके पैरो तले मचलती थी।
मऊ में शनिवार के दिन बिकाश पुरूष स्व कल्पनाथ राय के पुण्य तिथी पर जिला मुख्यालय से लेकर उनके गांव  सेमरी जमाल पुर तक अब केवल रस्म अदायगी के तहत पुण्य तिथि मना लिया गया है। कहा गया मरते तो सभी है मगर जमाना उन्ही को याद करता है जो इतिहास रच कर जाते है?। स्व कल्पनाथ राय वह नाम है जिनके ओजस्वी भाषण पर ससंद में सियापा फैल जाता था संसद में बैठे नेता उस समय भाव शून्य हो जाते जब धारा प्रवाह भाषण के बीच देश के गरीबों मजलूमों की समस्या को हूबहू ब्यवस्था के पटल पर रख देते थे।आज हम जिस जनपद में खुली सांस ले रहें है इसके जन्मदाता स्व कल्पनाथ राय है उनके  सपनों का जिला मऊ है।
बिकाश की गंगा को अवतरित कर किसानों के भाग्य का दरवाजा को घोसी में चीनी मिल' स्थापित कर खोल दिया।आज हर तरफ खुशहाली है। किसानो की दूर हो गयी कंगाली है।शहर का नया लुक ओर ब्रिज, कचहरी, चमकती शहीदों के नाम पर सङक, महकती चन्द्रभान पुर की फुलवारी ?। हर तरफ चकाचक ब्यवस्था भारी ? उनके आगमन के नाम पर थर्रा उठता था अमला सरकारी।गांव गाँव बिकाश की बयार के संकल्प के साथ जब निकलते स्व कल्पनाथ राय तो लगता की वाकई कोई नेता उतर आया है। हाफने लगता था जिला प्रशासन कांपने लगते कर्मचारी' अधिकारी' सरकारी"? झूम उठते थे किसान और ब्यापारी? ।आज  का वही मऊ है, सासंद है,नेता है, विधायक है, सब के सब नालायक है? जनता कराह रही है? किसान तबाह है? ब्यापारी हताश है?। आमजन उदास है?।हर तरफ अफरा तफरी का माहौल है। जगह वही है पद वही है जनता जनार्दन भी वही है मगर कीसी की कोई सुनने वाला ही नही है।
 आज स्व कल्पनाथ राय के मूर्ति  पर  फूल मालाओ' को समर्पित  कर अपने को धन्य मानने वाले  ही कह रहें है---------------
जो बात तुझमे थी वो तेरी  तस्बीर में नही?
 वो जुझारूपना वो अख्खङपना वो तेवर वो कलेवर वो रंगीला अन्दाज वो मिजाज कहीं देखने को नही मिलता। मऊ बेसहारा बेचारा हो गया ?। पुर्वाञ्चल में बिकाश की देबी बिधवा हो गयी। समरसता व भाई चारगी खतम हो गयी है।सिसक सिसक कर जिस तरह तमसा का पानी काला हो गया? ठीक उसी तरह बिकाश के नाम पर भी जनपद का दिवाला हो गया?।तमसा की निर्मली करण के तरह ही बिकाश के आधुनिकरण के लिये पल पल तरस रहा है मऊ?। न कोई रहनुमाई',न कोई अगुवाई',हर तरफ जगहसाई?
भरष्टाचारी लूट रहें है गरीबों की कमाई ?। यही है इस जनपद की अब सच्चाई ?। आज लोगों को स्व कल्पनाथ राय की बहुत याद आयी है।जब शहर में बेलगाम हो गये दंगाई है।अब  तो इस जिले की कमान सम्हालता माफीयाङान है? वही ङीयम वही पुलिस कप्तान है? शहर को जिधर चाहे मोङ देता है? जब चाहे मोर्चा खोल देता है।?सूना सूना सारा मंजर लगता है ऐसे में अब फूल भी खंजर लगता है।
बदलते समय मे मऊ की परिभाषा बदल गयी, लोगों की अभिलाषा बदल गयी।अब तो यहाँ नेता आते प्रवासी है चारो तरफ फैली है उदासी। न तो उन्हें बिकाश चाहीये न उन्हे कोई खास चाहीये? सब के सब जातिवादी है भले ही पहने खादी है। कल्पनाथ राय के सपनों का शहर बिरान हो गया ?सूना गाँव  खेत खलिहान हो गया है। अब तो हर तरफ तमाशा है लोगों के मन में निराशा है। सभी बने तमाशायी हैअब कहीं नहीं बिकाश की बात होती है कमीशन खोरी चोरी के चलते हर तरफ तबाही है। इसी लिये तो आज बिकाश पुरूष स्व'कल्पनाथ राय की बहुत याद आयी है।बिकाश पुरूष को शत शत नमन? आप भी करे मनन 'करे चिन्तन ?' कब तक रहेगा  मऊ अनाथ?अब कौन बनेगा कल्पनाथ? जो चलेगा आप के साथ साथ?'कौन करेगा इस जमी का बिकाश? बदलते परिवेश मे सियासत की बस्ती में रहने वाले जहरीले सियासतदार इन्सानियत को ङस रहें है।मानवीय सम्बेदनाओ को कलुषित कर रहें है।इन्सानियत कराहती है मानवता दम तोङ रही है। बिकाश कोषो दूर भागता है। भरष्टाचार इनके मुख मंङल पर आभा बिखेरता है।जाति बिरादरी के नाम पर सियासत की बैतरणी पार कर दिल्ली लखनऊ की रंगीन दुनियाँ  मे पैर रखते ही वादा खिलाफी का दौर शुरू कर देते। पूर्वांचल  की धरती आज नेता बिहीन हो गयी? दोनो नेताओ के स्वर्गवासी होते ही यह धरती बलहीन हो गयी? दूर दूर तक इन दो नेताओं का बिकल्प नजर नहीं आता। दुर्भाग्य के दो राहे पर खङे पूर्वाचल  में न अब न कोई चन्द्रशेखर पैदा होगा? न कल्पनाथ? इस धरती को अब सदियों रहना है अनाथ?
समय अबाध गति से अपनी धूरी पर चलता जा रहा है परिवेश बदलता जा रहा है जब गुजरे जमाने की यादों का कारवां  ख्यालों में उभरता है तब गरजती बुलन्द आवाजें बेचैन कर देती है?
लेकीन अब उन हकीकतों को केवल महसूस ही किया जा सकता है।जो लोग चले गये वे लोग और थे?।आक्सीजन  पर चल रही कांग्रेश के वफादार लोग आज कल्पनाथ राय की पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर सेमरी जमाल पुर, कोपागंज,मऊ में स्व कल्पनाथ राय की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर समर्पित भाव से श्रद्धान्जलि दिये। इस मतलब परस्त दुनियाँ  में महज चन्द सालों में लोग कल्पनाथ राय के बिकाश को भूल गये।होना तो यह चाहीये था कि सम्पूर्ण  जनपद आज समर्पित भाव से श्रदाँजलि  अर्पित करता। लेकीन बदलते परिवेश में लोगों की के बीच सन्देश मतलब परस्ती का ही बिस्तारित हो रहा है। ऐसे मे कौन अब यादों के बोझ को सम्हालने में समय गंवायेऔर बताये की जिस खूबसूरत जिले की रंगीन फीजा में हम सासें ले रहें है वह जिला बिकाश पुरूष कल्पनाथ राय के पौरूष कि निशानी है?।।
ऐसे महान पुरूष कर्म योद्धा सियासत के दुनियाँ में अलग पहचान  बनाकर इतिहास रचने वाले मा बसुन्धरा के अप्रतिम धरोहर मऊ की विप्लवी  धरती की शान बिकाश पुरूष स्व कल्पनाथ राय जी को ब्यथित मन से बिनम्र  श्रद्धान्जली  शत शत नमन |


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