Wednesday, March 11, 2020

दिल्ली विश्वविद्यालय ने नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के हिस्से के रूप में पैनल चर्चा आयोजित की

दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ लॉ के लॉ सेन्टर–II ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2020 के अवसर पर "महिला सशक्तीकरण: नई आयाम" पर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत औपचारिक दीप प्रज्ज्वलित करने के साथ हुई, जिसके बाद लॉ सेन्टर–II के प्रोफेसर-इन-चार्ज प्रो. वी.के.आहूजा ने स्वागत भाषण दिया, जिसमें उन्होंने गणमान्य महिला हस्तियों के प्रख्यात पैनल का परिचय दिया। इनमें फैकल्टी ऑफ लॉ के कैम्पस लॉ सेंटर की प्रोफेसर कमला संकरण; दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अर्थशास्त्र विभाग की प्रोफेसर पमी दुआ, वाणिज्य विभाग की प्रोफेसर कविता शर्मा; एनसीडब्ल्यूईबी की प्रोफेसर गीता भट्ट और मध्य प्रदेश सरकार की अपर निदेशक सुश्री प्रियंका मिश्रा शामिल थीं।


प्रथम वक्ता प्रोफेसर गीता भट्ट ने नए आयामों को सूचीबद्ध करते हुए कहा, "जब प्रकृति ने महिलाओं का सृजन किया, तो उसने जिम्मेदारियों को अपनाने और उसे निष्पादित करने की ताकत और क्षमता के अंतर्निहित गुणों के साथ महिलाओं का निर्माण किया।" उन्होंने सदियों से विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान को भी रेखांकित किया। प्रोफेसर पामी दुआ ने एक जीवंत ब्रह्मांड की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि "न केवल दुनिया के लिए बल्कि मानवता के लिए भी महिलाओं की भूमिका को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।" उन्होंने यह भी कहा कि "महिलाएं हमारे अन्यथा सांसारिक अस्तित्व में जीवन, रंग और अर्थ लाती हैं; और वे समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्ग में नहीं हैं, बल्कि स्वाभाविक अधिकारों की हकदार हैं।”


प्रोफेसर कमला संकरण ने महिला सशक्तीकरण के संबंध में कानूनी क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों के बारे में बात करते हुए 1924 में नामांकित पहली महिला अधिवक्ता का उदाहरण दिया जिनके लिए बार के कानून में बदलाव की आवश्यकता पड़ी। उन्होंने कहा कि तृतीयक क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बढ़ रहा है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चिंता का एक कारण यह है कि हाल के आंकड़ों से अनौपचारिक और विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में महिलाओं के रोजगार में गिरावट देखी गई है। उन्होंने शीर्ष अदालत के हालिया कई फैसलों का भी हवाला दिया जिसमें न्यायपालिका ने लिंगभेद न करते हुए सभी के लिए एक सम्मानजनक और न्यायसंगत मानवीय अस्तित्व सुनिश्चित करने में एक सक्रिय भूमिका निभाई है।


प्रोफेसर कविता शर्मा ने महिलाओं की रूढ़िवादी छवि को रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया और रोजगार में समानता के अलावा जिम्मेदारियों में समानता की बात कही। डॉ. रजनी अब्बी ने सत्र का संचालन करने के अतिरिक्त कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि "एक आदर्शवादी समाज के निर्माण के लिए पीढ़ियों तक घर में समानता की सीख दी जाए।" उन्होंने सुस्पष्ट रूप से कहा कि आज के कॉर्पोरेट वातावरण में भी निदेशक मंडल में महिलाओं को खोजना कठिन है। कार्यक्रम निदेशक डॉ. पिंकी शर्मा ने अतिथियों का सम्मान किया और डॉ. वागेश्वरी देशवाल द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद ज्ञापन के साथ चर्चा संपन्न हुई।



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