Sunday, March 1, 2020

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू में 'पेंशन अदालत', एनपीएस जागरूकता, शिकायत निवारण का उद्घाटन किया

जम्मू के कन्वेंशन सेंटर में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास (डीओएनईआर) मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज 'पेंशन अदालत' और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) जागरूकता और शिकायत निवारण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम पेंशन और पेंशनर्स कल्याण विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन्स मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से संचालित किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने पेंशन नियमों पर व्याख्या के साथ केस स्टडी वाली बुकलेट जारी करने के साथ ही पारिवारिक पेंशन पर ट्विटर सीरीज 'क्या आप जानते हैं' की भी शुरुआत की।


पेंशन अदालत का उद्घाटन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब पेंशन अदालत दिल्ली से बाहर आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप सरकार देश के हर कोने, समाज के हर हिस्से तक पहुंचना चाहती है, जिससे रीयल टाइम में पेंशनर्स अपनी समस्याओं का समाधान पा सकें। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि पेंशन अदालतों से मौके पर ही पेंशनरों की शिकायतों के निवारण में मदद मिलेगी, जिसने पेंशनरों को 'जीवन में आसानी' का अधिकार दिया है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया है कि पेंशनरों को उनकी शिकायतों का समाधान करने के लिए एक परेशानी मुक्त प्रशासनिक प्रणाली उपलब्ध कराई जाए।


शिकायत निवारण प्रणाली के बारे में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि शिकायत निवारण प्रणाली 2014 से पहले काफी उपेक्षित थी लेकिन जिस दिन से मौजूदा सरकार सत्ता में आई, उसी दिन से सिस्टम पूरी तरह से बदल गया। शिकायतें कई गुना बढ़कर 2 लाख से 20 लाख हो गई हैं, जो इस बात का सबूत है कि लोगों को मौजूदा सरकार पर पूरा भरोसा है। उन्होंने दोहराया कि मौजूदा सरकार में शिकायतों के निवारण की दर हर हफ्ते 95 फीसदी से 100 फीसदी तक है और कुछ साल पहले शुरू हुई पेंशन अदालत इसका सबूत है।


मंत्री ने यह भी कहा कि पेंशनरों की सुविधा के लिए सरकार ने कई सुधार किए हैं। मौजूदा सरकार की पहलों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि एक प्रमुख पहल न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये तय करने का था। उन्होंने कहा कि दूसरी पहल जैसे भविष्य, संकल्प, जीवन प्रमाण- डिजिटल लाइफ सर्टिफेकेट, अप्रचलित कानूनों को हटाना और स्व-प्रमाणन भी शुरू हुईं। उन्होंने आगे कहा कि भारत में सेवानिवृत्त लोगों की आबादी बढ़ रही है और यह राष्ट्रीय हित में है कि उनकी ऊर्जा को सकारात्मक तरीके से उपयोग में लाया जाए क्योंकि यह सरकार उन्हें एक संपत्ति मानती है, देयता नहीं। उन्होंने कहा कि सक्रिय जीवन से सेवानिवृत्त जीवन की ओर जाना सुविधाजनक होना चाहिए।


मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा शुरू किए गए रीयल टाइम पोर्टल, सुरक्षाकर्मियों के लिए डैश बोर्ड और टोल फ्री नंबर 1800111960 इसका सबूत हैं कि मौजूदा सरकार सेवारत और रिटायर हो रहे या हो चुके कर्मचारियों के कल्याण को लेकर गंभीर है।


श्री नरेंद्र मोदी की सरकार साक्ष्य के साथ काम करती है और सभी केंद्रीय योजनाएं और कार्यक्रम भारत के दूसरे हिस्सों की तरह जम्मू और कश्मीर में बहुत प्रगतिशील तरीके से लागू किए गए हैं और लोगों की सफलता की कहानियां आपके सामने हैं, जिन्हें उज्ज्वला योजना और सौभाग्य योजना से फायदा हुआ।


जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार श्री आर. आर. भटनागर ने अपने संबोधन में कहा कि यह देखना सुखद है कि पेंशन अदालत पहली बार दिल्ली से बाहर आयोजित की गई, जो शिकायतों के निवारण तंत्र को लेकर केंद्र सरकार की गंभीरता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि यहां सभी प्रासंगिक सवाल पूछकर अपनी शिकायतों का समाधान पाना पेंशनरों, सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों और सेवारत के लिए भी अच्छा मौका है। पिछले तीन वर्षों में लिए गए फैसलों के लिए केंद्र सरकार की प्रशंसा करते हुए सलाहकार ने कहा कि पेंशन से संबंधित लंबित मामलों में काफी कमी आई है, जो एक अच्छे शासन का संकेत है।


पेंशन और पेंशनर्स कल्याण विभाग के सचिव डॉ. छत्रपति शिवाजी ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि विभाग का उद्देश्य रिटायरमेंट के बाद पेंशनरों को सामाजिक सुरक्षा और एक विशिष्ट सामाजिक जीवन उपलब्ध कराना है। उन्होंने आगे कहा कि वे लोग, जो किन्हीं कारणों से अपना जीवन प्रमाणपत्र नहीं दे पाए हैं, सरकार ने उनके लिए मुश्किल आसान कर दी है और बैंकों से कहा गया है कि उनके घर जाएं और एक जीवन प्रमाणपत्र जारी करें।


पेंशन अदालतों को परेशान पेंशनर, संबंधित विभाग, बैंक या सीजीएचएस प्रतिनिधि जो भी प्रासंगिक हो, को एक मेज पर लाने के उद्देश्य से आयोजित की गई हैं, जिससे ऐसे मामलों का मौजूदा नियमों के तहत मेज पर ही समाधान किया जा सके।


पेंशन अदालत में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों जैसे कपड़ा, रक्षा, वन, एएसआई, जीएसआई, सीजीडब्लूबी, सीडब्लूसी, सीएंडएजी, एनएसएसओ, डीजीडीडी, बीएसएफ, एसएसबी, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एमआईबी और जेकेजीएडीसे जुड़े 342 मामलों पर चर्चा हुई और तुरंत मौके पर ही 289 ऐसे मामलों का निपटारा कर दिया गया। लंबित 53 मामलों को संबंधित विभागों के द्वारा 15 दिनों के भीतर समाधान करने को कहा गया है।


एनपीएसग्राहकों के संबंध में, केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और जम्मू-कश्मीर (जेएंडके) केंद्रशासित प्रदेश से जुड़े मामलों की संख्या 200 से ज्यादा है। जिनके एनपीएस खातों में कुछ अनियमितताएं हैं, उन्हें सामने रखा गया और उससे संबंधित एओ और डीडीओ को चर्चा और सुधार कार्य के लिए बुलाया गया, जिससे ग्राहकों को सेवानिवृत्त होने के बाद कम वार्षिकी मूल्य के रूप में लगातार नुकसान न उठाना पड़े।



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