Friday, April 3, 2020

बाहर से आये लोग गांवों में बन सकते हैं विस्फोट का कारण अधिकांश आश्रय स्थलों पर अव्यवस्थाओं का लगा अम्बार





कछौना(हरदोई):(अयोध्या टाइम्स) कोरोना बचाओ को लेकर प्रशासन ने शिकंजा तो कस दिया है। बाहरी क्षेत्र से आए गांव में लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया जा रहा है। इन्हें गांव से बाहर स्कूल व पंचायत घरों में 14 दिनों के लिए रुकने का निर्देश दिया गया है जिसके लिए खास बंदोबस्त करने का निर्देश है परंतु विभागों के सामंजस्य के अभाव में अव्यवस्थाओं का अंबार है। कहीं भी कोई जिम्मेदार व्यक्ति मौजूद नहीं है। अधिकतर सचिवालय भवन में शौचालय, पेयजल, विद्युतीकरण की सुविधा नहीं उपलब्ध है। इन भवनों को सैनिटाइज भी नहीं किया गया है। सफाई व्यवस्था न होने के कारण गंदगी का अंबार है। लोगों का बैठना भी दुष्कर है। दूरदराज से आए लोगों को न ही मास्क, साबुन व सैनिटाइजर मुहैया कराए गए हैं। ग्राम प्रधानों व जागरूक नागरिकों की सूचना पर स्वास्थ्य टीम ने केवल स्क्रीनिंग की है। खाने-पीने की सुविधा परिजन स्वयं उठा रहे हैं। पूरे-पूरे दिन लोगों को भोजन नहीं मिल पाता है। इन लोगों को कोरोना वायरस को लेकर जागरूक भी नहीं किया गया है जिसके कारण सोशल डिस्टेंसिंग मजाक बनी हुई है। आश्रय स्थलों की दशा देखकर कोई भी व्यक्ति का रुकना संभव नहीं है। गरीब तबके के लोग दबाव में रुक भी जाते हैं, परंतु बड़े लोग इन आश्रय स्थलों में नहीं रुक रहे हैं। पूरी व्यवस्था राम भरोसे चल रही है।
       मिली जानकारी के अनुसार विकासखंड कछौना में लगभग बाहरी व्यक्तियों की संख्या 1000 के आसपास है। ग्राम सभाओं में नियुक्त की गई स्वास्थ्य समितियों की भूमिका भी नगण्य है। इन समितियों को गांव के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रतिवर्ष ₹10000 की धनराशि जारी होती है। वह भी कागजों पर खर्च हो जाती है। क्षेत्रीय विकास जन आंदोलन के संयोजक रामखेलावन कनौजिया ने दुख जताते बताया कि हमारे देश की व्यवस्थाएं राम भरोसे हैं। ग्रामीणों में जागरूकता के अभाव के चलते सब कुछ खानापूर्ति तक ही सीमित है। कुछ प्रधानों ने व्यक्तिगत रूचि दिखाते हुए इन आश्रय स्थलों में सुविधाएं मुहैया कराई हैं परंतु अधिकांश ग्राम प्रधान रुचि नहीं ले रहे हैं। इन आश्रय स्थलों पर कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति मौजूद नहीं रहता है। अगर एक व्यक्ति को भी कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ तो वह पूरे समाज में विस्फोट का कारण बनेगा, इसलिए समय रहते इस गंभीरता को ध्यान रखते हुए प्रभावी कार्रवाई की जाए। अगर इन आश्रय केंद्रों को ब्लॉक स्तर पर नर्सिंग होम या इंटर कॉलेज या डिग्री कॉलेजों में बनाया जाए जहां पर एक स्वास्थ्य विभाग की टीम हमेशा मौजूद रहे व जिम्मेदार कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाए जिससे इस कोरोना महामारी से बचा जा सकता है अन्यथा यह सब कागजों पर ही आंकड़े दुरुस्त होंगे। जमीनी स्तर पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होने के कारण यह बड़ी महामारी का रूप ले सकती है।


 

 



 



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