Tuesday, April 7, 2020

सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बन्द,सामान्य रोगी दवा को रहे भटक



शाहाबाद(हरदोई)।(अयोध्या टाइम्स)बात निकलेगी शायद दूर तलक जाएगी हो सकता है प्रशासन अमल भी करे।कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहे लोंगों को प्रशासन और सरकार से तो तमाम सुविधाओं को देने की बात लगातार की जा रही है।वहीं आम लोंगों को सरकारी अस्पतालों की ठप पड़ी ओ पी डी और इमरजेंसी सेवाओं के बन्द होने से लोंगों को बड़ी कठिनाइयां हो रही हैं। कहना उचित होगा कि "कोकोना" से लोगों की जिंदगी बचाने में एक तरफ सरकारी लोग उन्हें तमाम सुविधाएं मुहैया कराने में लगे हैं तो दूसरी तरफ अस्पतालों में आकस्मिक चिकित्सा व्यवस्था,ओ पी डी की सुविधायें रोगियों को न उपलब्ध  करा कर क्या उनकी जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।ब्लड प्रेशर डायरिया,जुखाम,बुखार के रोगी जिनकी नियमित जांच  अस्पतालों में होती हैं।उन्हें सभी सुविधाओं से वंचित कर दिया है।जिन चिकित्सको को अस्पतालों में नियमित रूप से आना चाहिए। उनके पास कोरोना का सबसे अच्छा बहाना है।इस समय प्राइवेट क्लीनिक भी बंद चल रहे हैं। तो क्या ऐसे हालात में स्वास्थ्य विभाग लोगों को मरने के लिये छोड़ रहा है।सरकार और प्रशासन को इस ओर भी सोचना चाहिये कि या तो ओपी डी खोलीं जायें या फिर निजी अस्पतालो को खोलने की अनुमति दी जाय।सरकार को एक मुखी नहीं चतुर्मखी निगरानी की जरूरत है।तहसील के अंतर्गत सी एच सी शाहाबाद,टोडरपुर व पीएचसी हर्रई,उधरनपुर,आलमनगर,फतेहपुर गयंद मरीजों की भारी भीड़ रोजाना आती है परंतु जिम्मेदार कोरोना का भय दिखाकर बिना दवाई दिये ही वापस कर देते हैं।जबकि डाक्टर प्राइवेट तौर पर मरीजों से फीस लेकर दवाई का पर्चा बनाने में अच्छा खासा सुविधा शुल्क लेते हैं।इनकी लिखी हुई दवाई गिने चुने मेडिकल स्टोरों पर ही मिलती है।ग्रामीण क्षेत्रों में हुसेनापुर,आलमनगर,अन्यारी, परली,उधरनपुर,हर्रई,जमुरा, टूर्मुकी तथा शहरी क्षेत्रों में भी मेडिकल स्टोर बंधे हुये है। बताया गया है कि सरकारी डॉक्टरों को इन मेडिकल स्टोरों से कमीशन मिलता है।


 

 



 

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