Friday, May 29, 2020

"21वी दशक के भारत के पास सभी का जवाब है""

जिस प्रकार से कुछ दिनों से लद्दाख सीमा पर चीन हरकतें कर रहा था , और आप जानते हैं कि चीन के इरादे क्या है और वह क्यों अचानक सीमा पर भारत से भिंड रहा है? लेकिन दोस्तों आज भारत ने अपने संयम और शक्ति से चीन को ऐसा जवाब दिया की कुछ ही घंटों में चीन के तेवर बदल गए l दोस्तों हम व्यक्तिगत जीवन में भी देखते हैं की जिसके पास संयम है और जिसके पास शक्ति है ,खुद पर भरोसा है उसका कोई भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता है ऐसा ही भारत और चीन के बीच पिछले डेढ़ महीने से जारी सीमा विवाद मे  अचानक से चीन का तेवर बदला और नरम हो गया और होना भी था जिस प्रकार से वैश्विक स्तर पर चीन को घेरा जा रहा है कोरोना वायरस को लेकर लगातार दबाव बनाया जा रहा है सभी देशों का दबाव है कि निष्पक्ष जांच करने के लिए चीन साथ दें कि आखिर यह वायरस कैसे फैला लेकिन चीन हमेशा आंखों में धूल झोकने का प्रयास कर रहा है |देखो जो चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने मंगलवार को अपनी सेना को युद्ध की तैयारी तेज करने के लिए कहा था और चीन की सेना लद्दाख सीमा पर भारत को आक्रमक तेवर दिखा रही थी फिर अचानक- सा चीन के तरफ से कहा गया कि दोनों देश कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं, और इस वक्त रिश्तो को मजबूत करने की जरूरत है और साथ में कहा कि दोनों देश एक दूसरे के लिए खतरा नहीं बल्कि अवसर है l सच है दोस्त की युद्ध में किसी भी देश का कोई फायदा नहीं होता बल्कि हानि ही होता है ,और इसलिए किसी भी रिश्ते में मतभेद हावी नहीं होना चाहिए बल्कि बातचीत से ही मतभेदों का समाधान निकलना चाहिए l दोस्तों हम वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास करने वाले हैं l सदियों से हम पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं, किसी भी संकट की घड़ी में हम हमेशा मदद के लिए तत्पर रहते हैं अपना परिवार समझकर पूरे विश्व में वसुधैव कुटुंबाम की विचार देने वाला हम हैं l हम भगवान बुद्ध के धरती से हैं l हम हमेशा शांति पूरे विश्व को अपना परिवार और मानव विकास के साथ-साथ सभी के लोक कल्याण की बातें करते  हैं लेकिन जब हमारा पड़ोसी हमारे तरफ आंखें तरेरेगा  तो हम चुप नहीं रहेंगे l दोस्तों पिछले दिनों जो चीन लद्दाख में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाया भारत को धमकाया साथ में भारत को सड़क बनाने से रोकना चाहा लेकिन भारत के सख्त रवैए से चीन को लग गया कि उसके हथकंडे भारत के सामने नहीं चल पाएगा l  इसीलिए अब चीन बातचीत की टेबल पर आना चाहता  हैं जिसका हम स्वागत करते  हैं l क्योंकि दोस्त भारत ने साफ कह दिया सीमा पर अपने इलाके में सड़क बनाना भारत बंद नहीं करेगा और इंफ्रास्ट्रक्चर पर उतनी ही रफ्तार से काम होगा जितनी रफ्तार से पिछले कुछ वर्षों से काम चल रहा है l दोस्तों आपने भी देखा होगा सीमा पर जिस प्रकार से चीन  ने अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाई उसी तरह हमने भी अपनी संख्या बढ़ा दिया मतलब हमने चीन के आक्रामक रवैया के सामने किसी भी दबाव में आने से इनकार कर दिया क्योंकि यह 21वी  सदी का भारत है, किसी से डरने वाला नहीं हैl

दोस्तों भारत चीन को उसी तरह से जवाब दे रहा है जैसा जवाब हमने 2 वर्ष पहले चीन को डोकलाम में दिया था l चीन की हरकतों को भारत हल्के में नहीं ले रहा है, ना  ही किसी के उकसावे में आकर काम कर रहा है जिस प्रकार पिछले दिनों नेपाल ने चीन के उकसावे में आकर बयानबाजी कर रहा था अब वह भी ठंडा पड़ गया l आपको मालूम होगा दोस्तों डोकलाम विवाद को हल करने में मुख्य भूमिका राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत और विदेश मंत्री एस जयशंकर का मुख्य भूमिका था l यही तीनों टीम ने 2017 में डोकलाम विवाद पर भारत की रणनीति बनाई थी जो 73 दिन विवाद चला था l उस वक्त जनरल बिपिन रावत सेना प्रमुख थे और एस जयशंकर भारत के विदेश सचिव थे इस वक्त भी यही तीनों टीम ने रणनीति बनाई जिससे चीन को झुकना पड़ा l दोस्तों देखा जाए तो चीन के साथ सीमा विवाद पहले भी होते रहे हैं सैनिकों के बीच धक्का-मुक्की और झड़प भी होते रहे हैं l लेकिन बातचीत से मामला खत्म हो जाता था ,लेकिन इस बार ऐसा हुआ कि लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास कई जगहों पर चीन के सैनिक बंकर बनाकर और टेंट लगाकर बैठ गए, फिर भी चीन के उकसावे पर भारत ने बौखला कर नहीं बल्कि शांत होकर संयम और शक्ति से जवाब दिया और अपने 10 से 12 हजार सैनिकों को आगे बढ़ने और तैयार रहने को कहा ज़िससे चीन बौखला गया और भारत ने साफ शब्दों में कहा कि चीन के हर हरकत पर पूरी नजर हमने रखा है l दोस्तों यह 1962 का भारत नहीं है यह नया भारत है हर हाल में भारत अपने हितों की रक्षा करेगा और चीन या कोई भी देश हो हरकत करेगा उसको उसी तरह का जवाब दिया जाएगा चीन को जैसे पिछली बार डोकलाम में दिया गया था l दोस्तों लगता है कि लद्दाख सीमा पर भारत से उलझा चीन  यह सोच रहा था कि वह भारत को झुका देगा डरा धमका लेगा और अपनी बात मनवाने पर मजबूर कर देगा, लेकिन दोस्तों यह नया भारत है यह सपना कभी पूरा नहीं होगा चीन का हम हर एक भारतीय युवा सैनिक की तरह डटकर लड़ेंगे और चीन के वस्तुओं का बहिष्कार करेंगे ताकि आर्थिक कमर उसकी टूटे और चीन की घमंड टूटे l दोस्तों सच्चाई यह है कि कोरोना वायरस की महामारी से चीन  अब भी संघर्ष कर रहा है, और इस वायरस को लेकर चीन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय जांच का दबाव बन रहा है , और जिस प्रकार से चीन और अमेरिका में शीत युद्ध जारी है अमेरिका ने तो साफ कह दिया है कि जब तक चीन कोरोना वायरस को लेकर जिम्मेदारी भरा व्यवहार नहीं करेगा l  तब तक चीन के साथ रिश्ते सुधारना मुश्किल है और दूसरी बात चीन के अंदर ही हांगकांग जहां फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए जिसका कारण चीन द्वारा प्रस्तावित उस कानून के विरोध में है इसके जरिए हांगकांग की आजादी को कुचलना चाहता है चीन लेकिन वहां विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं l और एक बात गौर से देखे तो चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई की धमकी भी देता रहा है लेकिन अब पूरी दुनिया धीरे-धीरे ताइवान का समर्थन कर रही है और चीन के लिए बहुत बड़ी कूटनीतिक विफलता भी है आज पूरी दुनिया चीन के खिलाफ कहीं ना कहीं धीरे-धीरे होती जा रही है इसलिए चीन दबता जा रहा है l एक बात और जिस प्रकार डोनाल्ड ट्रंप भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की देखा जाए तो ऐसा पहली बार हुआ है अमेरिका ने भारत और चीन के आपस के मामलों में इस तरह से बीच-बचाव करने का प्रस्ताव दिया है , दोस्त वैसे तो डोनाल्ड ट्रंप इससे पहले भारत और पाकिस्तान के मामले में इसी तरह की बात कर चुके हैं लेकिन ध्यान से देखें तो इस बार भारत और चीन के मामले की बात अलग है l हो भी क्यों नहीं जब 2 बड़े देशों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति बातचीत या मध्यस्थता का प्रस्ताव दें, तो फिर सवाल यही उठता है कि इस पर चीन की क्या प्रतिक्रिया होगी l क्योंकि दोस्त चीन कोरोना वायरस की वजह से इस वक्त अमेरिका का दुश्मन नंबर वन बन चुका है? दोस्तों यह आश्चर्य की बात नहीं है कि चीन के तेवर नरम पड़े बल्कि नेपाल भी भारत के साथ टकराव से पीछे हड़ता दिख रहा है जिस प्रकार पिछले दिनों नेपाल ने अपने जिस नए नक्शे पर भारत से लड़ने के लिए तैयार था उस नक्शे पर नेपाल की संसद में कोई चर्चा नहीं हो सकी और नेपाल के संसद में इसको लेकर एक संवैधानिक सुधार पर प्रस्ताव पेश होना भी था लेकिन वह प्रस्ताव भी पेश नहीं हुआ इसलिए हम कह सकते हैं कि यह नेपाल की घरेलू राजनीति थी या हो सकता है कि भारत के कड़े रुख के बाद नेपाल बैकफुट पर आ गया हो l दोस्तों नेपाल ने ज़िन स्थानों को अपने नक्शे मे दिखाया था ,वह हमेशा से भारत का ही  रहा है लेकिन चीन के इशारे पर नेपाल ने भारत के साथ नए विवाद को जन्म देने का प्रयास किया जिस नेपाल से हमारा बेटी और रोटी का रिश्ता है जहां मुक्त आवाजाही है सदियों से रिश्तो को तिलांजलि देने का प्रयास किया l लेकिन अब बात इसको समझ आ  गया है और दोस्तों हम इस तरह के विस्तारवादी दावो को कभी भी स्वीकार नहीं करेंगेl

यह मौजूदा विवाद भारत को आजादी के बाद विरासत में मिला. भारत और चीन के बीच में कई इलाकों में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल रेखा स्पष्ट नहीं है, इसीलिए बार-बार तनाव बनती है ,यह  भारत और चीन के बीच 3500 किलोमीटर से ज्यादा लंबी रेखा  हैं l और चीन जानबूझकर इस सीमा विवाद का हल नहीं करना चाहता और समय-समय पर इसका इस्तेमाल भारत पर दबाव बनाने के लिए करता रहता है l दोस्तों हमारा दावा ऐतिहासिक आधार पर अक्साई चीन पर भी है और अब लोग बात भी करने लगे हैं इस पर कि यह भारत का हिस्सा है l लेकिन चीन इस पर अवैध कब्जा कर रखा है अगर हम इतिहास देखे तो 1865 में ब्रिटिश शासन काल में जॉनसन जो कि एक सिविल सर्वेंट थे उन्होंने एक वैचारिक रेखा खींची थी ,जिसके मुताबिक अक्साई चिन का इलाका जम्मू कश्मीर में आता है इसको हम जॉनसन लाइन भी कहते हैं इसलिए यह क्षेत्र हमारा ही है लेकिन चीन इसको कभी नहीं मानता और तो और 1951 से अक्साई चीन पर कब्जा करने वाली चाल चलता रहा ध्यान से देखें तो चीन ने पहले 1951 में एक सड़क के जरिए तिब्बत को चीन के शिनजियांत प्रांत से जोड़कर फिर इसी से जुड़े इलाकों में सड़क बनाकर अक्साई चीन पर कब्जा करने के इरादे करने लगा लेकिन भारत ने इस पर ध्यान नहीं दिया और इसके बाद 1962 का युद्ध हुआ तो भारत का दोस्तों अक्साई चिन चीन के पास चला गया l  दोस्तों यह करीब 38 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका है, जो कि चीन के अवैध कब्जे में है दोस्तों हम अपने संयम और शक्ति के बलबूते चीन को जवाब देंगे l

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