Tuesday, May 26, 2020

करोना संकटकाल में ग्राम प्रधान व कोटेदार की दादागिरी




ब्यूरो रिपोर्ट:- विजय प्रताप पांडेय

उत्तर प्रदेश आजमगढ़( सिधारी थाना अंतर्गत) भागलपुर धनक पुर में कोरोना के संकट काल के दौरान प्रधान व कोटेदारों द्वारा कम राशन वितरण किया जा रहा है साथ ही मजदूर व मजबूर लोगों से जबरदस्ती अंगूठा लगवाया जा रहा है। 5 किलो की जगह पर उन्हें सिर्फ 3 किलो अनाज दिया जा रहा है जिसकी शिकायत 19 मई को रत्नेश पांडे ने सीडीओ के यहां की । सीडीओ ने मामला को गंभीरता से लेते हुए शिकायतकर्ता को आश्वासन दिया कि हम इसकी निष्पक्ष जांच कराएंगे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। इस प्रकार सीडीओ ने वीडियो पहली ए आर ओ क्षेत्रीय सप्लाई इंस्पेक्टर व ग्राम विकास अधिकारी धीरज चौहान की कमेटी बनाकर जांच के लिए गांव में भेजा। इससे पहले शिकायतकर्ता ने 15 दिन पहले ही अपना राशन कार्ड बनवाया था और उसे एक बार ही राशन ले पाया था राशन कम मिलने की शिकायत करने के उपरांत अगले ही दिन उसका राशन कार्ड से नाम काट दिया गया। फिर वह ग्राम विकास अधिकारी धीरज चौहान के पास इसकी शिकायत लेकर गया ग्राम विकास अधिकारी ने उसे 5 दिन दौड़ाया तथा अंत में बोला कि ऐसे ही काम नहीं होते हैं मेरा रोज का खर्च ₹1000 अतिरिक्त होता है उसकी भरपाई कहां से होगी 5 दिन से दौड़ रहे हो तुम्हारी समझ में नहीं आया कि हजार रुपए दे दूं। क्योंकि कमेटी का सदस्य धीरज चौहान की था। उसने प्रधान को तथा कोटेदार को इंक्वायरी के बारे में पहले ही बता दिया। जब जांचकर्ता टीम गांव में पहुंची तो वहां पर पहले से ही कोटेदार और प्रधान इकट्ठा हुए थे उनके साथ उनके और भी आदमी थे। जब जांचकर्ता ग्रामीण से पूछने लगे तूने राशन कब मिलता है उस समय ग्रामीण के बोलने से पहले ही प्रधान व कोटेदार बोल देते थे नहीं साहब ऐसा तो नहीं है नहीं तो पूछिए इनसे क्यों जी ऐसा है क्या। प्रधान और दबंग होने की वजह से कोई भी उनके सामने उसकी तथा कोटेदार की शिकायत जांचकर्ता से नहीं कर पाया। इसी बीच जांचकर्ताओं द्वारा पूछे गए सवालों पर एक ग्रामीण ने सही बोल दिया जिस पर प्रधान और कोटेदार भड़क गए। और उसी वक्त के साथ मारपीट की। यह मामला जब सिधारी थाने में पहुंचा तो थाना अध्यक्ष भी प्रधान के दबाव में आकर उपरोक्त युवक को ही दोषी ठहराने लगा। और उसने कहा कि तुम प्रधान व कोटेदार के खिलाफ जाओगे तो लात तो खाओगे ही। योगी सरकार को कुछ ऐसे ही भ्रस्ट अधिकारियों ने ही बदनाम कर रखा है जो ऊपर से हो रहे सुशासन को कुशासन में परिवर्तित कर देते हैं।


 

 



 

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