Monday, June 15, 2020

आनलाइन कवि सम्मेलन एक शानदार पहल- मो. तहसीन




प्रतापगढ़ l बिना मंच के और बिना प्रत्यक्ष कवियों के भी कवि सम्मेलन हो सकता है इसकी कल्पना भी किसी ने नहीं किया था। किंतु कोरोना के कारण ऐसे ही एक शानदार आनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया करपात्री धाम भटनी निवसी धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के वंशज युवा श्रृंगार कवि सौरभ ओझा ने।जिसमे लगभग 200 से अधिक साहित्य प्रेमियों ने कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया।खास बात यह रही की मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के प्रथम स्थान के राजकीय पालीटेक्निक लखनऊ के प्रवक्ता मो. तहसीन जी रहे। तहसीन जी ने कार्यक्रम और सौरभ ओझा की सराहना करते हुए कहा कि यह एक बहुत ही शानदार पहल है साथ ही उन्होंने अपने साहित्यिक अभिरुचि दिखाते हुए पढा अपने माजी मे अक्सर मै यूं उलझा रहा,अहले नजर मै तेरा इंतजार करता रहा।कार्यक्रम में अंजनी अमोघ ने पढा हर हाल मे हमको प्यारी सियासत है भय भूख प्यास से ज्यादा दुलारी सियासत है ,अनूप त्रिपाठी ने पढा राम समझ रहमान समझ ले धर्म समझ ईमान समझ ले ,अनूप प्रतापगढी ने पढा तू कहती तो फलक से तारा तोड लाता मै बहती इन हवाओं का रूख मोड आता मै, सौरभ ओझा ने पढा खेतो में हरियाली भर दे लादे उनमे प्राण,वही तो है धरती पुत्र प्यारा किसान, आशुतोष आशू ने पढा लगता कोरोना अब पत्नी का क्रोध बंधु,बैठा बैठा घर में न फेसबुक चलाऊंगा, अभिमन्यु तरंग ने पढा राणा जी का भाला जब मुगलो पर गिरता था,वंदना शुक्ला ने पढा संस्कृति है जिसकी मांटी,श्रद्धा श्रृंगार हैं पावन पुनीत संगम,गंगा कि धार है,बिहार की कवयित्री अनामिका ने पढा स्त्री हू मै हा मै सिर्फ स्त्री हू।अध्यक्षता अंजनी अमोघ व संचालन अनूप प्रतापगढ़ी ने किया वरिष्ठ कवि अनूप त्रिपाठी जी रहे। राजकीय पालीटेक्निक लखनऊ की प्रवक्ता यांत्रिकी प्रेमान्तुषा सहाय जी ने पूरा कार्यक्रम सुना और सभी को धन्यवाद देते हुए कहा की ऐसा लग रहा है कि यह कार्यक्रम आनलाइन नहीं बल्कि उनके सामने ही हो रहा हैं। कार्यक्रम के संरक्षक पत्रकार सुरेन्द्र तिवारी सागर जी  व मार्गदर्शक भटनी प्रधान अशोक सिंह जी ने सभी का आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम मे अनूप सिंह,बीरू मिश्रा,प्रेम मिश्रा, शशांक शुक्ला,अमृतांश सिंह,प्रतीक उपाध्याय,ज्ञान प्रताप, शशांक कुशवाहा, निशीथ कुमार (आपरेटर),प्रसांत,सोनू पाण्डेय, प्रज्जवल, सत्यम, अर्जुन,पंकज, अंजुल,हर्षित, गौरव,शुभ आदि रहे।


 

 



 

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