Wednesday, June 10, 2020

बतकही : सिपाही बना सोखा, गश्त की जगह तंत्र-मंत्र





कनिष्क गुप्ता, गोरखपुर। आधुनिक युग में यदि हाईटेक पुलिस अपराध नियंत्रण के लिए टोने-टोटके का सहारा लेने लगे तो इसे क्या कहा जाएगा। उत्तरी क्षेत्र के एक थाने की पुलिस फिलहाल अपराध रोकने के लिए टेक्नोलॉजी नहीं बल्कि तंत्र-मंत्र पर ज्यादा भरोसा कर रही है। यह तंत्र-मंत्र कोई और नहीं बल्कि थाने पर तैनात सिपाही करता है। एक-दो बार प्रयोग सफल भी हुआ है, जिससे सिपाही के प्रति पूरे थाने की आस्था बढ़ गई है। थाने के सभी पुलिसकर्मी उसे 'सोखा कहकर पुकारते हैं। थाना क्षेत्र में कोई घटना होने पर थानेदार और दारोगा को मुखबिर से ज्यादा सिपाही के तंत्र-मंत्र पर भरोसा रहता है। हल्का दारोगा व बीट सिपाही गश्त पर निकलने की बजाय 'सोखा पर जिम्मेदारी डाल देते हैं। कोई अनहोनी न हो, इसके लिए 'सोखा के बताए उपाय आजमाते हैं। सिपाही की ख्याति थाने से बाहर भी है। परेशानी होने पर समाधान के लिए लोग सिपाही के पास पहुंचते हैं।
माननीय के लिए नखादा ईमानदार थानेदार
ताकतवर पार्टी के एक माननीय दक्षिणी इलाके के एक थानेदार को नखादा साबित करने में जुटे हैं। इसकी वजह माननीय के कहे अनुसार काम न करना है। थानेदार को हटाने के लिए उन्होंने मोर्चा खोल दिया है। थानेदार के खिलाफ शिकायत का पुलिंदा लेकर अधिकारियों के यहां चक्कर काट आए हैं। इस बार तो उन्होंने इलाके में घोषणा भी कर दी है कि दो दिन में थानेदार हट जाएंगे। बात सुनने वाला आदमी पोस्ट होगा। पुलिस के अधिकारी माननीय की कार्यप्रणाली को अ'छी तरह से जानते हैं। एक साल के भीतर उनकी शिकायत पर दो थानेदार हट चुके हैं। पुलिस महकमे में चर्चा है कि जब तक थानेदार उनके कहे अनुसार काम करे, सब ठीक रहता है। लेकिन जब कोई गुणदोष के आधार पर काम करने लगता है, तो बगावत पर उतर आते हैं। इस बार भी वजह कुछ ऐसी ही है। पुलिस अधिकारी पेशोपेश में हैं कि क्या करें।
छोटे सरकार की हिटलरशाही
पुलिस महकमे में छोटे साहब के नाम से मशहूर अफसर के कार्यप्रणाली की चर्चा पूरे शहर में है। साहब इस समय दिखावा इतना ज्यादा करने लगे हैं कि जनता के साथ ही मातहत भी परेशान हैं। वह अपने कार्यालय में बैठते तो हैं, लेकिन कोरोना से संक्रमित होने का डर दिलो-दिमाग में इस कदर हावी है कि फरियादियों से नहीं मिलते। चाहे कुछ भी हो जाए। फील्ड में डंडा लेकर निकलते हैं, गलती से कोई सामने आ गया, तो उसकी खैर नहीं। हर रोज शाम को छोटे साहब टहलने निकलते हैं, जिसका प्रोटोकाल जारी होता है। वायरलेस सेट से सूचना प्रसारित होने के बाद इलाके के थानेदार, चौकी प्रभारी मौके पर पहुंच आवभगत में जुट जाते हैं। जिस रास्ते पर वह शाम को टहलते हैं, उसे बंद कर दिया जाता है। गलती से कोई चला गया, तो चालान कटना तय है। छोटे सरकार की हिटलरशाही से लोग खौफ में हैं।
तो शिकागो बन जाएगा गोरखपुर
जिले में युवाओं के कुछ ऐसे समूह सक्रिय हैं, जिन्होंने लोगों की नाक में दम कर रखा है। विवाद, जुआ, शराब और स्मैक के लती ये युवा गंभीर अपराध करने से भी नहीं हिचक रहे। हथियारों से लैस ये समूह बेहद संगठित हैं। लेकिन कमाल की बात ये है कि एक सुदृढ़ मुखबिर तंत्र के दम पर जिले भर के असामाजिक तत्वों की खबर रखने का दावा करने वाली पुलिस को इनके बारे में भनक तक नहीं है। अधिकारी समीक्षा बैठकों के माध्यम से कानून व्यवस्था को मजबूत करने में जुटे हैं, लेकिन अपराधियों की इन नर्सरियों को लेकर दूर-दूर तक कोई योजना नजर नहीं आती। समय रहते इनकी अवांछनीय हरकतों पर लगाम नहीं लगी, तो वह दिन दूर नहीं जब ये समूह खतरनाक गिरोह के रूप में सामने होंगे। इसकी शुरूआत भी हो चुकी है। आपराधिक घटनाओं की बाढ़ के साथ फिर से जिला शिकागो को टक्कर देता दिखेगा। 

 

 



 



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