Friday, January 29, 2021

जो बाइडेन की चुनौतियां

जो बाइडेन अब अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति बन चुके हैं और इसी के साथ अब अमेरिका में बाइडेन युग की शुरुआत हो गई है। अमेरिका के लोगों को बाइडेन से बहुत सी उम्मीदें हैं, जिनको पूरा करने की चुनौतियों का सामना अब अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति को करना है। पहली चुनौती को स्वीकार करते हुए जो बाइडेन को कोरोना वायरस से निपटने के लिए अब बहुत बड़े और कड़े कदम उठाने होंगे क्योंकि अमेरिका अभी तक कोरोना वायरस जैसी महामारी से निपटने में बहुत असफल रहा है। बाइडेन के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की और उसे पटरी पर लाने की है। अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाने के कारण अमेरिका का मध्यमवर्गीय समाज प्रभावित हुआ है और इस कारण समाज में बंटवारे और आय की असमानता को दूर करना बाइडेन के लिए तीसरी बड़ी चुनौती बन गया है। अमेरिका की चौथी बड़ी समस्या रंगभेद का मुद्दा है जिसने अमेरिकी समाज को दो वर्गों में बांट दिया है, जिससे वहां सामाजिक सौहार्द बिगड़ चुका है। इस समस्या को दूर करना और अमेरिका में सामाजिक सौहार्द स्थापित करना जो बाइडेन के लिए चौथी बड़ी चुनौती होगा। अभी हाल ही में अमेरिकी संसद में हुई हिंसा के कारण दुनिया के अन्य देशों में अमेरिका की छवि बहुत धूमिल हुई है और अमेरिका की छवि सुधारने की पांचवी चुनौती जो बाइडेन के लिए सबसे कठिन होगी। अब जो बाइडेन को पुनः पूरी दुनिया के सामने अमेरिकी लोकतंत्र का सही स्वरूप पेश करना होगा तभी पिछले दिनों हुई अमेरिका की बदनामी को कुछ हद तक मिटाया जा सकता है। 

      कोरोनाकाल में अमेरिका में बड़े पैमाने पर लोग बेरोजगार हुए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2020 में करीब 66 लाख लोगों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन किया था‌। बेरोजगार हुए और नौकरी गंवा चुके लोगों को रोजगार देना बाइडेन के लिए एक बड़ी चुनौती होगा।
       अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में कोरोना संकटकाल में अमेरिका की जनता की नाराजगी देखने को मिली है। इसका फायदा डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन को मिला और अब अमेरिकी नागरिकों के विश्वास पर खरा उतरना भी  जो बाइडेन के लिए एक बड़ी चुनौती है।
         पूरी दुनिया आतंकवाद की समस्या से जूझ रही है, फ्रांस और अॉस्ट्रिया जैसे देशों ने इसके खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अमेरिका को कट्टरवाद से बचाना भी बाइडेन के लिए एक बड़ी चुनौती होगा। विदेश नीति को सुधारने की बड़ी चुनौती का सामना भी बाइडेन को करना है। उन्हें दुनिया के अहम देशों का भरोसा जीतना होगा। उन्हें अमेरिकी हितों को ध्यान में रखते हुए, दुनिया में शांति, समृद्धि और विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियां अपनानी होंगी।
        34 वर्षों से जो बाइडेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के लिए प्रयास जारी रखा और 78 वर्ष की आयु में अब वह अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के अपने सपने को पूरा कर पाए हैं। अमेरिका और चीन के रिश्तो में पिछले कुछ वर्षों में कड़वाहट आई है। जो बाइडेन अमेरिका की विदेश नीति को एक नई दिशा देते हुए एक ऐसी रणनीति बना सकते हैं जिसमें एशिया और यूरोप के सहयोगी देशों के साथ चीन को लेकर कॉमन अप्रोच बनाई जाए। बाइडेन चीन को लेकर शायद ट्रंप की तरह आक्रामक ना हों पर इसका अर्थ यह भी नहीं कि उनका रवैया चीन को लेकर नर्म होगा। ऐसी परिस्थितियों में संभव है कि अमेरिका के लिए भारत ज्यादा महत्वपूर्ण हो और चीन की विस्तारवादी रणनीति के खिलाफ अमेरिका का झुकाव भारत की ओर बना रहे।
        अमेरिका के उपराष्ट्रपति और सीनेटर की भूमिका में जो बाइडेन का पाकिस्तान जैसे देशों से गहरा जुड़ाव रहा है। वर्ष 2008 में उन्हें पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'हिलाले पाकिस्तान' से नवाजा गया था। जब बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने तब डेमोक्रेटिक पार्टी के शासनकाल में उनका रुख पाकिस्तान और कश्मीर को लेकर नर्म था और वर्ष 1993 से 97 के दौरान जब बिल क्लिंटन अमेरिका के राष्ट्रपति थे तब भी अमेरिका का रुख पाकिस्तान के प्रति काफी नर्म ही था।
        अमेरिका दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश है और वह दुनिया भर के लोगों के दिलो-दिमाग में एक शक्तिशाली विचारधारा के रूप में छाया रहता है। कोई इसे उम्मीदों को सच करने वाला देश मानता है तो कोई विनाश का दूसरा नाम। कोई इसे एक मजबूत और पुराना लोकतंत्र मानता है तो कोई इसे सैनिक तानाशाह मानता है जो दूसरे देशों में घुसकर सैनिक कार्यवाही कर सकता है। कोई अमेरिका को बहुत महत्व देता है तो कोई उस पर अपने संसाधनों को लूटने का आरोप लगाता है। कुल मिलाकर पूरी दुनिया में अमेरिका की सुपर पावर की छवि आज भी मौजूद है। वहां के राष्ट्रपति को दुनिया का सबसे ताकतवर व्यक्ति माना जाता है ऐसे में पूरी दुनिया की नजरें जो बाइडेन पर टिकी हैं।

रंजना मिश्रा ©️®️
कानपुर, उत्तर प्रदेश

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