Friday, January 8, 2021

नया वर्ष कैसा होगा?


पिछला वर्ष 2020 पूरे विश्व के लिए एक ऐसी महामारी लेकर आया जिसे हम कोविड-19 के नाम से जानते हैं। इस महामारी ने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया। ऐसा लगा मानो इस महामारी की चपेट में आकर मानव जाति का सफाया ही हो जाएगा‌। किंतु ईश्वर की कृपा और हमारे समाज के जिम्मेदार व्यक्तियों के अथक प्रयासों से इस महामारी पर बहुत हद तक काबू पाया जा सका। सभी लोगों को इस महामारी से बचने के लिए मास्क लगाने, हाथों को बार-बार साबुन से धोने, सैनिटाइजर का प्रयोग करने, आपस में दूरी बनाए रखने जैसी जरूरी हिदायतें देना और उन्हें इसके लिए जागरूक बनाना भी एक बड़ी चुनौती था, पर हमारी सरकार और मीडिया कर्मियों ने यह जिम्मेदारी बखूबी निभाई और इस महामारी को तेजी से फैलने से बचाया। फिर भी कुछ लोगों की लापरवाही, अज्ञानता और दुष्प्रयासों ने कइयों की जान ले ली। 
        खैर अब वर्ष 2020 विदाई ले कर जा रहा है और वर्ष 2021 का हमें स्वागत करना है। अभी कोरोना जैसी महामारी का अंत तो नहीं हुआ पर 2021 की शुरुआत में ही इसकी वैक्सीन हमें मिल गई है, यह हमारे लिए एक बहुत बड़ा तोहफा है सन 2021 का। किंतु अब ब्रिटेन से कोरोना के एक शक्तिशाली स्ट्रेन के आने की खबर ने फिर से सब को डरा दिया है और अब सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या जिस वैक्सीन का आविष्कार हुआ है वह कोरोना के इस नए स्ट्रेन पर कारगर सिद्ध होगी? कई लोगों का मानना है कि हां यह कारगर सिद्ध होगी पर पूरी तरह से निश्चित न होने के कारण आशंका तो बनी ही हुई है। 
       जाते-जाते यह वर्ष हमारे दिल में अनेकों घाव दे गया है। पर इन घावों पर मरहम भी हमें ही लगाना होगा। इस महामारी ने अनेक शक्तिशाली देशों की अर्थव्यवस्था को भी चौपट कर के रख दिया है। लोग शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से कमजोर पड़ गए हैं। फिर भी मौजूदा स्थितियों में हमें साहस बनाए रखना है और पर्याप्त साधनों का प्रयोग कर फिर से अपने जीवन को पटरी पर लाने की चेष्टा करनी है। बीते समय से सीख लेना और आगे बढ़ते जाना यही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। भले ही बीता वर्ष अनेकों कटु यादों और अनुभवों से भरा हुआ रहा हो किंतु इसे हमें एक कड़वी दवा समझ कर स्वीकार करना चाहिए। जीवन में लगने वाली ठोकरें भी हमें कुछ न कुछ सिखा कर ही जाती हैं, यही समझ कर हमें इस वर्ष की यादों को भी अपने जीवन में सहेज कर रखना है। सभी चाहते हैं कि उन्हें जीवन में सुख ही सुख मिले किंतु जीवन तो धूप-छांव की तरह है यहां कभी सुख हैं तो कभी दुख। दिन-रात की तरह जीवन के इन दोनों पहलुओं को स्वीकार कर लेना ही जीवन जीने की कला है और इस कला में हमें माहिर होना चाहिए। कोरोना काल में गरीब और मजदूर वर्ग की व्यथा ने सभी के दिलों को बहुत आहत किया है। कितने ही मजदूर और गरीब इस कोरोना काल के ग्रास बन गए।
        कुछ लोगों का मानना है कि वर्ष 2021, वर्ष 2020 से बेहतर रहेगा, पर कुछ का मानना है कि यह पिछले वर्ष से भी खराब जाएगा। अनेकों भविष्यवाणियां की जा रही हैं किंतु वास्तविकता तो समय के साथ ही पता चलेगी। जो भी हो हमें आशान्वित होकर सन 2021 का स्वागत करना है और हौसला कायम रखना है। परिस्थितियां कैसी भी हों उनका डटकर मुकाबला करना ही जीवन की परीक्षा में सफल होने के लिए जरूरी है। यदि हम पहले ही निराशा और हताशा को अपने मन में बैठा लेंगे तो फिर किसी भी कठिन परिस्थिति का सामना करने के काबिल नहीं रहेंगे। हमारा दायित्व है कि हम स्वयं संभलें और अपने आसपास जितना संभव हो दूसरों को भी संभालें। यदि ये आत्मिक चैन मजबूत होगी तो कोई भी विपरीत परिस्थिति या महामारी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। इसलिए भले ही हमें एक दूसरे का हाथ थामने की मनाही हो, पर हम दिल से एक दूसरे से जुड़े रहें और यह जुड़ाव पूरे विश्व स्तर पर होना चाहिए, तभी हम इस महा संकट का सामना करने में सक्षम हो पाएंगे।

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