Tuesday, February 9, 2021

सार्थक मृत्यु

आज की सुबह की शुरुआत बहुत अच्छी थी। मन में बहुत से विचार टहल रहे थे। सोचा था कुछ लिखूंगी। मगर तभी एक करीबी की आत्महत्या की खबर मिली। वो मुझसे उम्र में छोटा था। उसकी जिंदगी मुझसे कहीं बेहतर थी। बस एक कठिन दौर और उसने ज़िंदगी का हाथ छोड़ दिया। जब भी कोई ऐसे अचानक मरता है तो मुझे ऐसा लगता है जैसे वो मुझे धिक्कार रहा हो। जैसे कह रहा हो कि देखो मुझे मैंने सहने की जगह मुक्ति चुनी। और एक तुम हो जो इस बदतर ज़िन्दगी को ढोये जा रहे हो। आखिर तुम्हें ज़िंदगी से इतना लगाव क्यों है। तुम डरपोक हो, जब एक झटके में अपनी तकलीफों से मुक्ति मिल सकती है तो क्यों सहते हो?


मेरे पास इन प्रश्नों का कोई जवाब नही होता। मौत के बारे में जितना मैं सोचती हूँ, शायद ही कोई इतना सोचता होगा। मुझें मौत से डर नही लगता ये उतना ही सच है जितना कि दिन और रात। एक बार किसी खास ने मुझसे कहा था कि "अगर तू मर गया होता तो अब तक हम सब तुझे भूल गये होते"। बस यही मैं नही होने देना चाहता। मैं मरने से नहीं डरता, मैं भुलाए जाने से डरता हूँ। लोग अपनी ज़िंदगी को लेकर जितने कल्पनाएं करते हैं न उतनी कल्पनाएं मैं अपनी मौत को लेकर करता हूँ। मैं ऐसे ज़िंदगी से हारकर नही मर सकता। ज़िंदगी भले ही साधारण हो मगर मुझे मौत साधारण नही चाहिए। एक सार्थक मृत्यु मेरा सपना है। मैं नहीं चाहता कि मेरी मौत के बाद लोग चंद आँसू बहाकर मुझे भूल जाएं । मैं चाहता हूँ कि मेरी मौत उनके दिलों में क़भी न मिटने वाला खालीपन छोड़ जाए।

हाँ माना कि ज़िंदगी बहुत हठी है, ये हमेशा कोशिश करती हैं मेरी मुस्कुराहटें छीनने की। मगर मेरी उम्मीदें और भी ज्यादा ज़िद्दी हैं। लोग उम्मीदों का दामन थामते है, मगर उम्मीदों ने मुझे अपनी बाहों में थाम रखा है। इतनी मजबूती से कि कोई भी तूफ़ान मुझे गिरा नही सकता। मैं दुनिया में बेशक ख़ाली हाथ या हूँ, मगर मैं ख़ाली हाथ इस दुनिया से जाऊँगा नहीं। मुझे प्रेम कमाना है और प्रेम लुटाना भी है।

No comments:

Post a Comment