गुजरे जमाने के लोकप्रिय उर्दू अखबार कौमी आवाज के संपादक, हिन्दू-उर्दू व अंग्रेजी के विद्वान शफी आलम साहब गुरुवार को सुपुर्द-ए- खाक

पातेपुर(वैशाली) संवाददाता- मोहम्मद एहतेशाम पप्पू ,दैनिक अयोध्या टाइम्स.गुजरे जमाने के लोकप्रिय उर्दू अखबार कौमी आवाज के संपादक, हिन्दू-उर्दू व अंग्रेजी के विद्वान शफी आलम साहब गुरुवार को सुपुर्द-ए- खाक*

हो गए। गुरुवार की अहले सुबह को उनका इंतकाल हो गया था। उनकी इच्छानुसार पातेपुर के बेलादम स्थित मदरसा जामिया अब्दुल अजीज कैंपस में ही दफनाया गया। मदरसे के आधुनिकीकरण के हिमायती थे शफी साहब

बता दें कि पत्रकारिता छोड़ने के बाद शिक्षा की बेहतरी के लिए खुद को समर्पित कर दिया। खासकर मदरसा शिक्षा को वक्त के अनुरूप आधुनिकीकरण की दिशा में अग्रसर हो गए। उनकी सोच रही कि मुसलमानों को वक्त के साथ चलना सीखना चाहिए। दीनी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा बहुत ही जरूरी है। बेलादम स्थित उनके द्वारा स्थापित मदरसा जामिया अब्दुल अजीज अपने आप में माइल स्टोन है। वैशाली जिले का यह इकलौता मदरसा है जहां उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित व कम्प्यूटर शिक्षा की नींव डाली गई है। उन्होंने खुद से जो भी कमाया मदरसे पर खर्च कर दिया। यहां तक कि पैतृक संपत्ति की आमदनी से मदरसा का खर्च चल रहा है। मरहूम शफी साहब की धर्मपत्नी जहां आरा मिडिल स्कूल की शिक्षिका पद से रिटायर हैं। वे अपने पीछे इकलौता पुत्र शहरेयार को छोड़ गए हैं। शफी साहब द्वारा छोड़ी गई शिक्षा सुधार के रूप में चुनौतीपूर्ण सल्तनत लाडले के कंधे पर ही आ टिकी है। उनके निधन पर उनके छोटे भाई मोहम्मद एहतेशाम पप्पू, मोहम्मद शिराज, के साथ ही भारतीय जनतांत्रिक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल सुब्हान एवं उपाध्यक्ष मुन्ना सोनी , राजद अल्प संख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव शारिक हासमी, मोहम्मद शमी अख्तर उर्फ मुन्ना मास्टर, हाफिज मोहम्मद जुनैद नदवी, दिलीप पासवान, रामबाबू चौधरी, संजय कुमार वगैरह ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनके द्वारा चलाई गई शिक्षा की लौ को बुझने नहीं दिया जाएगा।

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