Sunday, March 5, 2023

शबरी माँ

"ओहो,ये जूस इतनी देर से रखा है! कहीं खराब ना हो गया हो।" पति के लिए जूस बनाया और

 जूस पीने से पहले ही पति की आंख लग गई थी। 

नींद टूटी,तब तक एक घंटा हो चुका था। 
पत्नी को लगा कि इतनी देर से रखा जूस कहीं खराब ना हो गया हो।
उसने पहले जरा सा जूस चखा और जब लगा कि स्वाद बिगड़ा नहीं है, तो पति दे दिया पीने को।

सवेरे जब बेटी के लिए टिफिन बनाया तो सब्जी चख कर देखी।
नमक, मसाला ठीक लगा तब खाना पैक कर दिया।
स्कूल से वापस आने पर बेटी को संतरा छील कर दिया। 
एक -एक परत खोल कर चैक करने के बाद कि कहीं कीड़े तो नहीं हैं!
सब देखभाल कर जब संतुष्टि हुई तो बेटी को एक एक करके संतरे की फान्के खाने के लिए दे दीं।

दही का रायता बनाते वक्त लगा कि कहीं दही खट्टा तो नहीं हुआ और चम्मच से मामूली दही ले कर चख लिया। 
"हां ,ठीक है ", जब यह तसल्ली हुई तब ही दही का रायता बनाया।

सासु माँ ने सुबह खीर खूब मन भर खाई और रात को फिर खाने मांगी तो झट से बहु ने सूंघी और चख ली कि 
कहीँ गर्मी में दिन भर की
 बनी खीर खट्टी ना हो गयी हो।
बेटे ने सेंडविच की फरमाईश की तो ककड़ी छील एक टुकड़ा खा कर देखा कि कहीं कड़वी तो नहीं है। ब्रेड को सूंघा और चखा 
की पुरानी तो नहीं दे दी दुकान वाले ने। संतुष्ट होने के बाद बेटे को गर्मागर्म सेंडविच बनाकर खिलाया। 
दूध, दही, सब्जी,फल आदि ऐसी कितनी ही चीजें होती हैं जो हम सभी को परोसने से पहले मामूली-सी चख लेते हैं। 
कभी कभी तो लगता है कि हर मां, हर बीवी, हरेक स्त्री अपने घर वालों के लिए शबरी की तरह ही तो है।
 जो जब तक खुद संतुष्ट नहीं हो जाती, किसी को खाने को नही देती। और यही कारण तो है कि हमारे घर वाले बेफिक्र होकर इस 
शबरी के चखे हुए खाने को खाकर स्वस्थ और सुरक्षित महसूस करते हैं। हमारे भारतीय परिवारों की हर स्त्री शबरी की तरह अपने 
परिवार का ख्याल रखती है और घर के लोग भी शबरी के इन झूठे बेरों को खा 
कर ही सुखी, सुरक्षित,स्वस्थ और संतुष्ट  रहते हैं। *हर उस महिला को समर्पित जो अपने परिवार के लिये "शबरी माँ" है


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