Friday, February 9, 2024

अपने लिए जीए तो क्या जीए

मोहन निराश होकर भरी दोपहरी में इंटरव्यू देकर वह एक आफिस से बाहर निकला ....इंटरव्यू तो इस बार भी अच्छा हुआ था पर...इससे पहले भी उसके कई इंटरव्यू अच्छे हुए थे पर वह नौकरी अभी तक हासिल नहीं कर पाया था कारण उसके पास किसी बड़ी कम्पनी का कोई अनुभव नहीं था और होता भी कैसे वह अबतक अपने पापा की बात मानकर खुश था कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता बस सोच छोटी या बड़ी होती है मगर अब लगता था कि पापा भी .... नहीं मेरे पापा गलत नहीं हो सकते वो तो अक्सर कहते हैं अपने लिए जीए तो क्या जीए तू जी ओ दिल जमाने के लिए....

बेटा जीवन वहीं सफलता भरा हुआ होता है जो दूसरों के काम आए करके देखो दिल को सुकून मिलता है ..... मगर पापा यहां तो अपने काम का ही ठिकाना नहीं तो कैसे किसी के काम आए.. ... धूप में मायूसी से वह बस–स्टैंड की ओर बढ़ा उसे भूख भी बड़े जोरों की लगी थी सुबह इंटरव्यू के लिए जल्दी के चलते बस दो रस और चाय पीकर निकल आया था की कहीं इंटरव्यू के लिए लेट ना हो जाऊं मगर इंटरव्यू लेने वाले दो घंटे बाद आए और उसका इंटरव्यू दोपहर को ...
उसने सोचा घर जल्दी पहुँचकर वह भोजन कर लेगा उसकी मां भी इंतजार कर रही होगी लोगों के कपड़े सी–सीकर थक जाती है
उसकी जेब में मात्र बीस रुपए थे दस रुपए बस का वापसी का किराया और दस रुपए उसने पहले के एकबार पैदल घर वापसी में बचाए हुए थे लेकिन आज पैदल चला तो बहुत देर से पहुंचेगा और उधर मां इंतजार करके भूखे पेट ही फिर से काम में जुट जाएगी वैसे पेट तो भूख से उसका भी बिलबिला रहा था उसने एक दो केले ही खा लूं तो थोड़ा सा आसरा हो जाएगा यही सोचकर वह एक केले वाले की ओर बढ़ा
तभी एक छोटा–सा लड़का ..साहब पॉलिश करा लो... कहता हुआ उसके सामने आ खड़ा हुआ
पल भर के लिए उसे लगा कि वह सचमुच साहब हो गया है एक नौकरी करनेवाला साहब
उसने एक नजर अपने पुराने पड़ गए जूतों पर डाली और सिर हिलाते हुए कहा...नहीं भाई ... नहीं करानी है
करा लो न बाबू जी बस दस रुपए लेता हूं सुबह से बोनी भी नहीं हुई भूखा हूं कुछ खा लूंगा.... वह लड़का गिड़गिड़ाते हुए बोला
उसे महसूस हुआ जैसे उसके अन्दर से कोई कह रहा हो
हमारे घर की दशा अच्छी नहीं है साहब मुझे नौकरी पर रख लीजिए
उसकी आँखें नम हो आयी उसने एक नजर जेब में पड़े दो दस दस के नोटों पर डाली और पॉलिश के लिए अपने जूते उस लड़के की ओर बढा दिए
आखिर उसे पापा की कहीं बात का स्मरण जो हो रहा था
अपने लिए जीए तो क्या जीए तू जी ओ दिल जमाने के लिए ...!!

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