Monday, October 14, 2019

प्रतिभाशाली  (भारतीयों) की खोज

प्रतिभाशाली  (भारतीयों) की खोज


1. भूत-प्रेत 


2. राक्षस/चुड़ैल 


3. आत्मा- परमात्मा


4. स्वर्ग- नरक


5. पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है।


6. गंगा शिवजी के जटा से निकलती है


7. कलियुग में मनुष्य के सारे दुखों के अंत का उपाय - सत्यनारायण कथा


8. मृत्यू से छुटकारा पाने का उपाय- महामृत्युंजय मंत्र


9. भगवान के 10 अवतार


10. 33 करोड़ देवी-देवता


11. बंदर पढ़ा लिखा था , पत्थर पर राम लिखता था। 


12. सभी देवी-देवताओं के पास अलग-अलग प्रकार की शक्ति जैसे :- अनाज की देवी, धन की देवी, शिक्षा की देवी, मजदूर(कामगार) की देवी, भूत-प्रेत से बचाने वाले देवी-देवता, ग्रहों की दिशा बदलने वाले/प्रकोप दूर करने वाले आदि 


13.अनेक व्रत/उपवास 


14. सर्वाधिक मंदिरों का निर्माण 


15. सर्वाधिक आध्यात्मिक गुरु जो सैक्स कांड में जेल जाते हैं 


16. मंत्र/उपवास से इलाज करने वाले डाक्टर 


17. मन चाहा प्यार, नौकरी, व्यापार में घाटा, गृह क्लेश, वशीकरण आदि का समाधान 


18. शिक्षा में विज्ञान एवं महापुरुषों के योगदान की जगह आध्यात्मिक (गीता) शिक्षा 


19. बाल विवाह 


20. सती प्रथा 


21. जाति वर्ग 


22. शिक्षा, व्यापार का एकाधिकार 


23. वैज्ञानिकता को आध्यात्मिकता से जोड़ना


24. मानव जाति का मुख्य वर्ग स्त्री को अधिकार देने पर हंगामा


25. परशुराम, राम, कृष्ण जैसे तीन तीन अवतार का एक साथ होना


26. गणपति के रूप में आदमी पर हाथी फिट कर देना


27. हनुमानजी सूर्य को निगल गए


28. ब्राह्मण सर्वश्रेष्ठ बाकि सारे नींच


29. मिठाई देवता पर चढ़ाते हैं डायबिटीज पुजारी को 


ईत्यादि ईत्यादि 


 


विदेशियों द्वारा की गई मानवोपयोगी खोज* और भारत के अतिप्रतिभाशाली  की खोज


विदेशियों की खोज :-


1. मोबाईल फोन 


2. Facebook (फेसबुक) 


3. WhatsApp (ह्वाटसएप) 


4. Email (ई मेल) 


5. Fan (पंखा) 


6. जहाज 


7. रेलगाड़ी 


8. रेडियो 


9. टेलीविजन 


10. कम्प्यूटर 


11. चीप (Memory Card) 


12. कागज


13. प्रिंटर 


14. वाशिंग मशीन 


15. AC (एयर कंडीशनर) 


16. फ्रीज 


17. इंटरनेट


18. चंद्रमा की दूरी


19. सुर्य का तापमान


20. पृथ्वी की आकृति 


21. दूरबीन 


22. सैटेलाइट 


23. चुम्बक 


24. घर्षण, गुरुत्वाकर्षण, न्यूटन के नियम 


25. रोबोट 


26. मैट्रो रेल 


27. बुलेट ट्रेन 


28. परमाणु बम, हाइड्रोजन बम


29. बंदुक 


30. मिसाईल


31. दवाईयाँ


32. कृत्रिम हार्ट


33. स्टेंट (खून की नलियों में लगने वाला)


34. साईकिल


35. कार


36. लिफ्ट


ईत्यादि ईत्यादि 


 


दिमाग की बत्ती जलाओ!


अँधविश्वास दूर भगाओ!


खत्म होता बुंदेलखंड से खाद्य तेल का निर्यात

कर्वी से प्रतिदिन मालगाड़ी के टैंकर से खाने वाला तेल देश के कई राज्यों तथा  विदेश जाता था तत्कालीन देश के सबसे बड़ी उद्योगपति सेठ जुग्गीलाल कमलापति ने उत्तर प्रदेश का पहला आधुनिक तेल प्लांट कर्वी में स्थापित किया था इस तेल मिल में सैकड़ों स्थानीय मजदूर काम करते थे अंग्रेज भी नौकर की हैसियत से काम करते थे। चित्रकूट बांदा महोबा हमीरपुर के किसानों द्वारा बड़ी संख्या में तेल उत्पादन के लिए अलसी सरसों अपने खेतों में उत्पादित कर इस मिल को दिया जाता था।



कर्वी शहर में हजारों मीटर जमीन में इस मिल का फैलाव था जिसे आज भी खंडार के रूप में कर्वी के बलदाऊ गंज में देख सकते हैं इस आधुनिक तेल मिल में उस जमाने में सरसों अलसी के तेल के साथ नीम की निमोली तथा कपास के बीज से निकाला जाता था खुरहंड अतर्रा बांदा नरैनी के किसानों द्वारा बड़ी संख्या में कच्चा माल तैयार किया जाता था जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण यह मिल प्लांट 1970 के करीब बंद हो गया था तेल मिल की जमीन में प्लाटिंग कर मकान बनाए जा रहे हैं।



इस  तेल  मिल प्लांट को देखने के लिए भूदान आंदोलन के संस्थापक आचार्य विनोबा भावे पद्म विभूषण दीदी देवला देशपांडे तथा उनके साथियों ने भूदान पद यात्रा के दौरान देखा था और सराहना की थी और कहा था कि बांदा चित्रकूट के किसानों की वजह से भारत को शुद्ध तेल मिल रहा है खाने के लिए। हम सबको यह सुनकर गर्व होगा कि किसानों की मेहनत की वजह से चित्रकूट मंडल तेल उत्पादन की उत्तर प्रदेश की भारी मंडी थी एशियन पेंट वर्जन नैरोलैक जैसी कंपनियां हमारे तेल पर निर्भर थी देश के सबसे बड़े तत्कालीन उद्योगपति उद्योग नगरी कानपुर के जनक शेठ जुग्गीलाल कमलापति ने चित्रकूट में सबसे पहले आधुनिक आयल मिल प्लांट डाला था। और इस मिल तक रेल लाइन गई थी। देश के जाने-माने रेल लाइन व रेल पुल के बनाने वाले ठेकेदार प्रागी लाल उपाध्याय ने रेल लाइन मिल तक डाली थी जो गिरवां के निवासी थे। बांदा जनपद के विभिन्न कस्बों में 5 वर्ष पूर्व तक 200 से अधिक स्पेलर तेल निकालने का काम करते थे। एक स्पेलर 1 दिन में अट्ठारह सौ लीटर 1800ली0 तेल निकालता था प्रतिदिन नागपुर इंदौर  कानपुर 1 टैंक तेल बांदा शहर से जाता था एक स्पेलर में 6 छह व्यक्ति काम करते थे तेल व्यवसाय में 2500 ढाई हजार मजदूर नियमित रूप से रोजगार पाते थे यह व्यवसाय किसानों पर निर्भर था प्राकृतिक आपदा सरकार द्वारा सहयोग न मिलने के कारण किसानों ने अलसी सरसों बोना बंद कर दिया और यह व्यवसाय भी बांदा से पलायन कर गया तत्कालीन जनप्रतिनिधियों ने इस उद्योग को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। सर्वोदय कार्यकर्ता होने के नाते युवा पीढ़ी को जानकारी देना उचित समझता हूं अपने पुराने वैभव को कैसे बचाया जाए आप हम सब सोचे। चित्रकूट मंडल का तेल खाने की दृष्टि से सबसे उपयुक्त था क्योंकि यहां के किसान अपने खाद्यान्न उत्पादन में केमिकल का उपयोग नहीं करते थे शुद्ध तेल होता था दुनिया के बाजार में इस तेल की मांग थी। पेंट में अभी इस तेल का इस्तेमाल होता था इस विषय पर बहुत कुछ लिखा जाना था लेकिन कम से कम जानकारी दे पा रहा हूं क्षमा करें। किसान और किसानी को बचा कर पुनः यह रोजगार शुरू हो हम सब विचार करें जय जगत।


उमाकांत पाण्डेय 
बांदा


खत्म होती जा रही बुंदेलखंड से कपास की खेती


युवा पीढ़ी जाने हमारे बांदा चित्रकूट के किसानों के पैदा कपास से बने धागे से भारत नहीं एशिया की पहली कपड़ा मिल  1862 मे चली थी बांदा गैजेट ईयर 1902 तथा 1972 के अनुसार  बांदा  कर्वी कपास की बहुत बड़ी मंडी थी कलकत्ता, जबलपुर, पटना, कानपुर की बड़े व्यापारी यहां की मंडियों से कपास खरीदते थे तिंदवारी पैलानी, बबेरू,  मऊ, राजापुर, मानिकपुर, कालिंजर, क्षेत्र के किसानों द्वारा बड़ी मात्रा में कपास पैदा किया जाता था। यह कहा जाए कि कपास यहां के किसानों की मुख्य फसल थी। एशिया की पहली कपड़ा मिल 1862 में एलियन मिल के नाम से कानपुर में स्थापित हुई थी ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन वी आई सी ने इस मिल का संचालन शुरू किया था इंडिया यूनाइटेड मिल, लाल इमली, कानपुर कॉटन मिल, अर्थ टन स्वदेशी कॉटन मिल, जेके कॉटन मिल, जैसी विश्व प्रसिद्ध कपड़ा मिलें कानपुर में स्थापित इन मिलों प्रतिदिन 1100000 (11लाख) मीटर कपड़ा बनता था कई लाख मजदूर काम करते थे। जेके कॉटन मिल के मालिक कमलापति सिंघानिया जी ने कर्वी शहर के शंकर नगर में कपास रखने के लिए एक बहुत बड़ा गोदाम बनवाया था। जो आज भी देखा जा सकता है बांदा शहर के खुटला मोहल्ले में कपास की बहुत बड़ी मंडी थी जिसे आज भी देख सकते हैं इस संबंध में चित्रकूट कर्वी श्री दीनदयाल मिश्र, बांदा के श्री बाबूलाल गुप्ता जी, के पास इस संबंध में काफी जानकारी उपलब्ध है। बांदा चित्रकूट के किसानों का सबसे अधिक कपास कमलापति सिंघानिया जी के कॉटन मिल में 1924 से खरीदा जाने लगा था। उनका लगाव बांदा और चित्रकूट के किसानों से था इसी वजह से उन्होंने अपने गोदाम कर्वी क्षेत्र में बनवाए थे। उच्च क्वालिटी का शुद्ध सूती कपड़ा बांदा और चित्रकूट के कपास के धागे से बनता था जो उस समय के 21 देशों को कपड़ा जाता था। उस समय कपास की खेती महाराष्ट्र, गुजरात में कम थी और कपड़ा मिले भी स्थापित नहीं हुई थी। कानपुर को भारत का मैनचेस्टर कहा जाता था। 1980 तक कपास की खेती बांदा और चित्रकूट के किसान करते थे। प्राकृतिक आपदा सरकारों का सहयोग न मिलने के कारण कपास उद्योग यहां से पूरी तरीके से खत्म हो गया। कपास ना होने के कारण कानपुर की मिले भी लगभग बंद जैसी स्थिति में है।
सर्वोदय कार्यकर्ता होने के नाते मुझे अपनी क्षेत्र पर गर्व है और उन लोगों को बताना चाहता हूं जो कहते हैं कि बुंदेलखंड बहुत गरीब है बुंदेलखंड का खाएंगे, बुंदेलखंड में रहेंगे, बुंदेलखंड से लेंगे, और बुंदेलखंड को गरीब बताएंगे।  युवा पीढ़ी अपने वैभवशाली इतिहास को जानने और इसे पुनः संभालने के लिए कुछ प्रयास करें जय जगत।


umakant pandey


banda


बुंदेलखंड में नहीं रोक पा रही सरकार जन्मस्थान से पलायन


पलायन आयोग गठित हो बुंदेलखंड से पलायन रोकने के लिए पिछले 20 वर्ष में 25 लाख विभिन्न प्रतिभा संपन्न नागरिकों ने अपने जन्म के गांवों से स्वरोजगार के लिए पलायन किया।  बुंदेलखंड के जनपद बांदा मे 468 ग्राम पंचायतें तथा 694 राजस्व गांव है 17 लाख 90 हजार जनसंख्या है जिसमें से 80ः जनसंख्या गांव में  रहती है उसमें से 90ः जनसंख्या का जीवन यापन किसी ना किसी रूप में कृषि पर आधारित रहा है।इसी प्रकार चित्रकूट की कुल जनसंख्या 9 लाख नब्बे हजार है कुल ग्राम पंचायत 339 है 553 राजस्व गांव है। हमीरपुर की कुल जनसंख्या 11 लाख 40 हजार है 314 ग्राम पंचायतें हैं 597 राजस्व गांव हैं। महोबा जिले की कुल जनसंख्या 804000 है 523 राजस्व गांव है। इसी प्रकार जालौन की जनसंख्या 16 लाख 70 हजार, झांसी की जनसंख्या 20 लाख 20 हजार, ललितपुर की जनसंख्या 1210000 है उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड की जनसंख्या एक करोड़ के आसपास है, मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की जनसंख्या 50 लाख से अधिक है। प्राकृतिक आपदा के कारण किसान और किसानी दोनों बुरी तरीके से टूट गई सरकारों ने भी अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के उद्देश्य हवा हवाई घोषणाएं की जो गांव तक जिस उद्देश्य योजना बनी थी वह पहुंची हो या नहीं। किसी जमाने में सबसे संपन्न हर दृष्टि से बुंदेलखंड जिसकी छटा देखने के लिए दुनिया से लोग आते थे। चाहे धर्म की दृष्टि से चित्रकूट हो, कला की दृष्टि से खजुराहो, साधना की दृष्टि से ओरछा हो,  चाहे सबसे कीमती पन्ना का हीरा हो, भोजन की दृष्टि से अतर्रा का चावल हो। 
ज्ञान, विज्ञान, वीरता, धीरता, गंभीरता की शिक्षा के लेने के लिए आदिकाल से लोग बुंदेलखंड आते रहे। इस धरती में सर्वमान्य धर्म ग्रंथ लिखे गए, मानव विकास का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जिस पर यहां स्थाई ऐतिहासिक काम ना किया गया हो, लेकिन वर्तमान में बुंदेलखंड के गांव में हर घर से स्थानीय स्तर पर रोजगार ना होने के कारण रोजगार के लिए लोग पलायन कर रहे हैं।
बुंदेलखंड के किसानों की आत्महत्या रोकने के विषय में मानव अधिकार आयोग ने भी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश नोटिस जारी किए उसमें क्या कार्यवाही हुई पता नहीं। बुंदेलखंड से पलायन करने वालों ने दिल्ली सूरत, मुंबई, सहित देश के कई महानगरों में अपना आशियाना ढूंढने की कोशिश की है। बुंदेलखंड से कई भारतीय प्रशासनिक सेवा में बड़े बड़े अधिकारी हैं विभिन्न क्षेत्रों में देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में, उच्च पदों पर निर्णायक स्थिति में बुंदेलखंड के जनप्रतिनिधि हैं लेकिन अपने क्षेत्र के लिए अपनी जन्म भूमि के लिए शायद इक्का-दुक्का ने कुछ किया हो बाकी ने कुछ नहीं किया यह भी एक चिंता का विषय है। अभी चेते तो भी कुछ हो सकता है।
ऐसा नहीं कि केवल किसानों मजदूरों बेरोजगारों ने पलायन किया है उच्च शिक्षा प्राप्त युवा, डॉक्टर, इंजीनियर, व्यापारी, कलाकार, साहित्यकार, लेखक, लोक कलाओं ने आश्रय ना मिलने के कारण पलायन किया है। छतरपुर जिले की लव कुश नगर तहसील के कई गांव के घरों में वृद्ध माता पिता, अपनी संतान की आस लगाए बैठे हैं बहने, भाई की प्रतीक्षा में है पत्नी, पति की प्रतीक्षा में हैं। ऐसा ही हाल टीकमगढ़ महोबा बांदा के जिलों सहित विभिन्न कस्बों और गांव का है। बुंदेलखंड के जिलों में कोई भी ऐसा उद्योग नहीं जिसमे बड़ी संख्या में स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सके।
  पलायन आयोग बनने से बुंदेलखंड से हो रहे पालन के बारे में स्पष्ट और प्रमाणित कारणों का पता लगेगा। इस आयोग में भारत सरकार और राज्य सरकार ऐसे व्यक्तियों को सम्मिलित करें जो न्याय के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में, कृषि के क्षेत्र में, व्यापार के क्षेत्र में, स्थानीय स्तर पर बड़ी जानकारी सकारात्मक सोच रखते हो। बुंदेलखंड के ही उच्च शिक्षा प्राप्त उनको सम्मिलित करें जिन्हें हर क्षेत्र की संपूर्ण बुंदेलखंड की पलायन से संबंधित जानकारी हो पलायन रोकने के उपाय भी स्थाई और ठोस किए जा सके। महानगर की ओर जाने वाली ट्रेनों, बसों के स्टेशनों पर उपस्थित जनसंख्या को देख कर ऐसा लगता है कि कुछ समय में प्रतिभा बिहीन बुंदेलखंड हो जाएगा। अतः शीघ्र ग्राम स्तर पर, न्याय पंचायत स्तर पर, ब्लॉक स्तर पर, तहसील स्तर पर, जिला स्तर पर, मंडल स्तर पर, स्थानीय व्यवस्था के अनुकूल स्वरोजगार पलायन रोकने के उद्देश्य से योग्यता अनुसार, ठीक करने के उद्देश्य हेतू बुंदेलखंड पलायन आयोग समझता हूं। ऐसा मैंने बुंदेलखंड के भ्रमण के दौरान समझा है। आचार्य विनोबा भावे गांधीजी के ग्राम स्वराज ग्राम गणराज्य को यदि बचाना है तो गांव बचाने होंगे, गांव बचेगा, 
देश बचेगा। यह मेरे निजी अपने विचार हैं यदि गलत हो तो क्षमा करिएगा ठीक हो तो आगे बढ़ें जय जगत।


UMAKANT PANDEY


BANDA


उम्मीदों का वृक्ष

 

उम्मीदों की चादर में कई सपने दफ्न हो गए।

जिन वृक्षो से की थी छाया की उम्मीदे,वो छाया 

पतझड़ आने पर खुद ही कहीं गायब हो गयी।।

 

जीवन के गुजरते पलो में अक्सर ऐसा हुआ।

शुखे मुरझाये वृक्षो से भी कई बार ठंडी हवाओं

का अनुभव हुआ , शायद गिर रहे थे जो पत्ते

उन्होंने कहीं अंदर तक अंतर्मन को कहीं छुआ।।

 

उम्मीदों की हरियाली को फिर जीवन मे लाना होगा।

भविष्य के वृक्ष के लिए एक पौधा लगाना होगा।।

जीवन ना जाने कब,कहाँ कैसे विश्राम लेने लगेगा।

कभी ना कभी तुझे किसी की छाया में सोना होगा।

बस उसी छाया के लिए कर्मरूपी वृक्ष लगाना होगा।।

 

 

नीरज त्यागी

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

Sunday, October 13, 2019

नायब तहसीलदार के घूस के वायरल ऑडियो पर कार्रवाई न होने से तहसील पर 22अक्टूबर को धरने का  ऐलान 

दैनिक अयोध्या टाइम्स बीकापुर_अयोध्या|
 स्थानीय बीकापुर तहसील के नायब तहसीलदार के घूस मांगने के ऑडियो वायरल होने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई न करने से जिला पंचायत सदस्य चतुर्थ भोला सिंह ने अपने हजारों कार्यकर्ताओं के साथ बीकापुर तहसील प्रांगण में 22 अक्टूबर को धरने का ऐलान कर दिया है।



       जिला पंचायत सदस्य श्री सिंह ने कहा की प्रशासन और जिला प्रशासन उक्त भ्रष्टाचारी नायब तहसीलदार को बचाने में लगा हुआ है जबकि उसकी घूस मांगने की वायरल ऑडियो में कई लोगों को घूस देने का जिक्र भी किया है। और हमने जिला अधिकारी को या भी कहा था कि जो ऑडियो वायरल हुआ है उसकी वॉइस मैचिंग करा ली जाए और दूध का दूध पानी का पानी अलग हो जाएगा।
       लेकिन आज हफ्तो बीत गया है प्रशासन के कान में जूं नहीं देख रहा है और क्षेत्र के चुने हुए जनप्रतिनिधि मूकदर्शक बने हुए है। अभी तक कोई कार्रवाई न होने से जिला प्रशासन को भी संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया है।
    अगर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हम 22 अक्टूबर को तहसील मुख्यालय पर आपने हजारों कार्यकर्ताओं के साथ धरना देंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।


Friday, October 11, 2019

झोला (सब्जी वाला)


वर्षों से अवहेलना झेल रहा दबी कुचली जिंदगी जी रहा झोला आज बहुत खुश है। झोला आखिर खुश क्यों ना हो, स्टोर रूम के एक कोने में पुराने कपड़ो और सामानों के बीच या नीचे दबे हुए दम घुटते हुए माहौल से आज आजादी जो मिल गई। जिस पॉलीथिन बैग ने उसके सारे अधिकार उसका सम्मान छीन लिया था। आज सब उसे मिल जाएगा। जिस शान से वो हमारे दादा और पिता के साथ साइकिल के हैंडल पर शान से लटकता हुआ राशन का सामान बाजार से घर तक लाता था, परिवार के छोटे बच्चों के लिए फल मिठाई समेटे जब घर पहुचता तो बच्चों से झोले को जो प्यार मिलता था आज फिर से वही शान और शौकत वही प्यार फिर से उसे हासिल होने वाला है। जिस पॉलीथिन बैग रूपी राक्षस ने उसके सारे अधिकार छीने थे, पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया और ना जाने कितने पशुओं की हत्या का कारण बना उसका अंत होने वाला है। दशहरे से पूर्व असत्य पर सत्य की जीत है। वक्त बुरा भी हो तब भी संयम रखना चहिये अच्छे दिन फिर लौटकर आते है। आज झोला हम सबके बीच अपना बुरा समय बिताकर एक नए जीवन की शुरुआत करने वाला है।


एक ग्रंथ ऐसा भी है हमारे सनातन धर्म मे

इसे तो सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए ---
यह है दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ
क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो राम कथा के रूप में पढ़ी जाती है और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े 
तो कृष्ण कथा के रूप में होती है ।
जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटावरि रचित ग्रन्थ राघवयादवीय ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है। 
इस ग्रन्थ को 
'अनुलोम-विलोम काव्य' भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे
पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और 
विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा (उल्टे यानी विलोम)के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक। 
पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) ़ यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है ् राघवयादवीयम।
उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैः
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे । १।
अर्थातः 
मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूं, जो जिनके ह्रदय में सीताजी रहती है तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्री की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस लौटे।
अब इस श्लोक का विलोम इस प्रकार है
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् । १।
अर्थातः 
मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के
चरणों में प्रणाम करता हूं, जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ
विराजमान है तथा जिनकी शोभा समस्त जवाहरातों की शोभा हर लेती है।
राघवयादवीयम के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं-
राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे । १।
विलोम
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् । १।
साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा ।
पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ।२।
विलोम
वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः ।
राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा  ।२।
कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका ।
सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ।३।
विलोम
भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा ।
कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ।३।
रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् ।
नामहामक्षररसं ताराभास्तु न वेद या ।४।
विलोम
यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः ।
तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ।४।
यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ ।
तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ।५।
विलोम
तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं ।
सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ।५।
मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं ।
काविरामदलापागोसमावामतरानते । ६।
विलोम
तेन रातमवामास गोपालादमराविका ।
तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ।६।
रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते ।
कादिमोदासहातास्वभासारसा-मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ।७।
विलोम
मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका ।
तेन वा पारिजातेन पीता नवायादवे भादखेदासमानामरा ।७।
सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया ।
साध्वसाविहरेमेक्षेम्यरमासुरसारहा ।८।
विलोम
हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा ।
यातसीसुमधाम्नाभूक्षिताधामससारसा  ।८।
सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया ।
सात्रमध्यमयातापेपोतायाधिगतारसा ।९।
विलोम
सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा ।
यात्तमन्युमताभामा भयेतारभसागसा । ९।
तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा ।
यालतावृद्धसेवाकाकैकेयीमहदाहह ।१०।
विलोम
हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया ।
सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ।१०।
वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो ।
भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ।११।
विलोम
सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः ।
होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ।११।
यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे ।
सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ।१२।
विलोम
भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा ।
वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ।१२।
रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह ।
यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ।१३।
विलोम
नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया ।
हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ।१३।
यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् ।
सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ।१४।
विलोम
यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः ।
गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ।१४।
दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा ।
ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन । १५।
विलोम
नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः ।
हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् । १५।
सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् ।
तं द्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा । १६।
विलोम
हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् ।
जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः । १६।
सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः ।
न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ।१७।
विलोम
तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन ।
सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा । १७।
तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत ।
वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ।१८।
विलोम
केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः ।
ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् । १८।
गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया ।
सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा । १९।
विलोम
हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस ।
यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ।१९।
हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः ।
राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ।२०।
विलोम
घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः ।
धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ।२०।
ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः ।
हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि  ।२१।
विलोम
विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा ।
ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ।२१।
भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा ।
चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमहिताहृता ।२२।
विलोम
ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा ।
हानकेहकुधीराशानाकेशादकुमारभाः ।२२।
हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः ।
तंरुमामहितोपेतामोदोसारज्ञरामयः ।२३।
विलोम
योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् ।
जोयुवाघनगेयोविमाराभोदयतोरिहा ।२३।
भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं ।
तंहतामरसाभक्षोतिराताकृतवासविम् ।२४।
विलोम
विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं ।
तं हरोपदमोदासमावाभातनुभानुभाः ।२४।
हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि ।
राजिरावणरक्षोरविघातायरमारयम् ।२५।
विलोम
यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा ।
निजभासुरदारोपजालबद्धरुजासहम् ।२५।
सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः ।
तंसमारुतजंगोप्ताभादासाद्यगतोगजम् ।२६।
विलोम
जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं ।
हस्समारसुशोकेनातिभामागतिरागसा ।२६।
वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः ।
तोयधावरिगोयादस्ययतोनवसेतुना ।२७।
विलोम
नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः ।
सहितावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ।२७।
हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः ।
चारुभूतनुजोरामोरमाराधयदार्तिहा ।२८।
विलोम
हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा ।
सहितोहिमदीभेसुनाकेलंसहसारिहा ।२८।
नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका ।
रावणारिक्षमेरापूराभेजे हि ननामुना ।२९।
विलोम
नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा ।
कापिसारसुसौरागाराकाभासुरकेलिना ।२९।
साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः 
निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ।३०।
विलोम
भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि ।
गौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ।३०।
।। इति श्रीवेङ्कटाध्वरि कृतं श्री।।
कृपया अपना थोड़ा सा कीमती वक्त निकाले और उपरोक्त श्लोको को गौर से अवलोकन करें कि यह दुनिया में कहीं भी ऐसा न पाया जाने वाला ग्रंथ है ।


पता भी नहीं चला हम कब बदल गए

1970--80 की फिल्मों की शुरुआत गायत्री मंत्र से होती थी,, जब हीरो को कुछ होता था तो हिरोईन हाथ में दीपक लेकर किसी देव प्रतिमा के आगे नाचती थी,, फिर आखिर में देव के हाथ से ज्योति निकलती और वहाँ हॉस्पिटल में पड़े हीरो के शरीर में प्रवेश कर जाती और वो तुरंत आंख खोल देता|


उन्हीं दिनों में रामायण और महाभारत जैसे सीरियलों की शुरुआत हुई,, लोग घर खेत के कार्य छोड़कर टीवी से चिपक जाते,, उस समय यूसुफ खान को भी दिलीप कुमार नाम से फिल्में करनी पड़ती थी,,
तब तक नेहरू के द्वारा आयातित वामपंथ सक्रिय हो चुका था,, उन्होंने फिल्मों और सीरियलों में मिलावट की प्रक्रिया को शुरू किया,,
फिल्म में हीरो का मुस्लिम मित्र सच्चा और पक्का दिखाया जाने लगा,, ब्राह्मण को गद्दार और ढोंगी पाखंडी दिखाना शुरू किया गया,,
रामायण और महाभारत के प्रतिपक्ष में अलिफ-लैला जैसे धारावाहिको का प्रचार प्रसार किया गया,, हीरोइनें हीरो की जान बचाने के लिए दरगाह पर मन्नत मांगने लगी,, कोई मुसीबत में होता उसके लिए हाथ उठा कर दुआ दी जाने लगी,,
प्रेम के सीन में पीछे से रुआजान कि आवाजें आने लगी,,
हवस का पुजारी जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया,, जबकि हवस का मौलवी या फादर भी तो हो सकता था,,
 ॅंजमत और चतंबींक जैसी फिल्मों के माध्यम से दिखाया गया जैसे सारी बुराइयां हिन्दू समाज में ही हैं,,
न्यूज चैनलों के माध्यमों से प्रचलित किया गया कि प्याज की,, या पेट्रोल की,या दालों की कीमतें सातवें आसमान पर, जबकि सातवां आसमान सिर्फ रुइस्लाम और रुक्रिश्चनिटी में मानते हैं,,सनातन परंपरा में एक अखंड आकाश है,,


च जैसी फिल्में,, और सत्यमेव जयते जैसे चर्चित कार्यक्रमों के माध्यम से मानसिकता को उस और मोड़ा गया,,और हम सोचते रहे कि क्या रक्खा है इस दकियानूसी सोच में,, सब बराबर हैं, सब महान हैं,, सब एक हैं,


आज उन सब बातों का परिणाम है हमारे देश में सेकुलरिज्म का बोलबाला,, धर्म से विमुखता,,कन्हैया जैसे,, स्वरा भास्कर जैसे,, और तमाम तरह के बुद्धिजीवी दोगले सब उसी प्रकार के प्रचार प्रसार का उत्पाद हैं,,


थोड़े जागरूक बनें,, आपस में खाली समय में पड़ोसियों की चुगली,,ताश के खेल,,शराब की बोतल,,क्रिकेट मैच,,बकवास फिल्मों से समय बचाकर धर्म संस्कृति की चर्चा करें,,बच्चो को अपने महापुरुषों के बारे में बताएं,,


कोई भी बदलाव धीरे धीरे होता है,, हर कार्य समय मांगता है,,


जानिये रामपुर का बीता हुआ इतिहास


दैनिक अयोध्या टाइम्स ब्यूरो, रामपुर-रामपुर रियासत के संस्थापक और प्रथम शासक नवाब फेजुल्लाह खांन थे नवाब फेजुल्लाह खाँन का जन्म 1733 ईस्वी में आंवला जोकि अब बरेली जनपद की तहसील है में हुआ था उन्होने बाद में रामपुर को रियासत की राजधानी बनाया इनके बाद रामपुर रियासत पर दस शासकों ने रामपुर रियासत पर शासन किया दूसरे शासक नवाब मुहम्मद अली खाँन थे लेकिन इनका शासन काल केबल 24 दिन रहा उनकी रात के अंधेरे में हत्या कर दी गयी तीसरे शासक नवाब गुलाम मुहम्मद खाँन बने लेकिन उन्होने भी तीन महीने 22 दिन ही नवाबी की चौथे नवाब अहमद अली खाँन थे जोकि नौ वर्ष की आयु में ही सिंहासन पर बैठे थे और 42 वर्ष तक शासन किया। की स्थापना औध संधि के तहत 7 अक्टूबर 1774 में नवाब फैज़ुल्लाह खान द्वारा की गयी थी। रामपुर रियासत के इस संस्थापक ने ही रामपुर किले की नीव रखी। नवाब हामिद अली खान ने ब्रिटिश चीफ इंजिनियर डब्लू. सी. राइट की सहायता से पूरे रामपुर किले को नया रूप दिया। इस वास्तु सम्बन्धी परिवर्तन के तहत हामिद मंज़िल, दरबार हॉल, जिसमें आज रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी स्थित है, और इमामबाड़ा भी बनवाया गया। डब्लू. सी. राइट ब्रिटिश सरकार के नॉर्थ वेस्ट प्रोविंस के एग्ज़ीक्यूटिव इंजिनियर थे। उन्होंने सन् 1899 में ब्रिटिश सरकार को इस्तीफा देकर रामपुर नवाब हामिद अली खान के यहाँ चीफ इंजिनियर का पद स्वीकारा और पूरे रामपुर शहर की वास्तुकला को अलग ऊंचाई पर पहुँचाया। इस्लामिक, हिन्दू तथा विक्टोरियन गोथिक शैलियों का मेल जिसे इंडो सारसेनिक वास्तुकला के नाम से जाना जाता है, उसका व्राइट ने बहुत अच्छा इस्तेमाल किया। उन्होंने किला-ए-मुअल्ला और हामिद मंज़िल की पुर्नार्स्थापना की। जहाँआरा हबीबुल्लाह (2001) ने रामपुर किले का वर्णन किया था जिसमें उन्होंने बताया कि रामपुर किले में खुली जगह और उद्यान भरे थे। इसमें मच्छी भवन का भी वर्णन है, जहाँ नवाब रहते थे तथा जो अवधी महलों के मछली प्रतीकवाद पर रचा गया था। इसी के बगल में रंग महल था जो गायकी और संगीत सम्बन्धी गतिविधियों के लिए बनाया गया था। हामिद मंजिल इस पूरे किले के क्षेत्र का मध्य बिंदु था। किला-ए-मुअल्ला में नवाब के यहाँ काम करने वाले सभी लोगों के लिए रहने की व्यवस्था और कई कामकाज़ी विभाग भी स्थित थे। रामपुर किले के इस बड़े क्षेत्र को हामिद गेट और व्राइट गेट जोड़े रखते थे। रामपुर किला रामपुर शहर के मध्य बसा है। कर्ज़न जब 1905 में नवाब हामिद अली खान से भेंट के लिए रामपुर आया तब उसे देने के लिए एक एल्बम बनवाया गया जिसमें रामपुर किला और किले का वास्तुशिल्प तथा अन्दर की झांकियाँ और पूरे रामपुर शहर के वास्तुकला के अप्रतिम नमूनों का चित्रण था। आज रामपुर किला बहुत बुरी हालत में इतिहास का साक्ष्य देते हुए खड़ा है। रज़ा लाइब्रेरी और उसके समीप के किले का हिस्सा ही सिर्फ अच्छी हालत में है। रामपुर किले तथा रामपुर शहर के जितने भी दरवाज़े थे, सब तोड़ दिए गए हैं।प्रमुख पर्यटन स्थलों में रामपुर किला रामपुर किंग लाइब्रेरी और 'कोठी खास बाग' की गणना की गई है। रामपुर का कुल क्षेत्रफल 2,367 वर्ग किमी है।


Thursday, October 10, 2019

पुलिस का प्रसंशनीय काम भटके हुए बच्चे को घरवालों से मिलाया पुलिस नें




अमेठी ब्यूरो विजय कुमार सिंह

 

अक्सर लोग पुलिस पर तरह तरह के इल्जाम लगाकर बदनाम करते रहे हैं, कुछ तो उनके कारनामो से या फिर पुलिस के प्रति मानसिकता गंदी होने से लेकिन आज हम आपको यूपी के अमेठी की पुलिस के बारे में बताने जा रहे है जिनके कार्यों ने एक बार फिर ये सोचने को मजबूर करता है कि ऐसा सभी पुलिस वाले नहीं होते हैं।

 

बात करते हैं अमेठी पुलिस की जहां की पुलिस महकमे की मुखिया डॉ ख्याति गर्ग हैं। जामो पुलिस को गस्त के दौरान सूचना मिली कि 12-13 वर्ष का एक लड़का लावारिस हालत में घूम रहा है। सूचना पर अमल करते हुए महिला एवं बाल कल्याण अधिकारी ब्रह्मानंद यादव ने बच्चे को बरामद कर काफी देर तक उससे पूँछतांछ करते रहे। पूँछतांछ के दौरान ही बच्चे ने किसी तरह से अपने परिजनों का मोबाइल नम्बर बताया जिस पर बात कर उक्त अधिकारी ने परिजनों को बच्चे के बारे में जानकारी दी और सम्बंधित थाना प्रभारी को भी जानकारी देते हुए परिजनों को भी जानकारी देकर मदद करने का आग्रह किया।

 

मधेपुरा पुलिस ने चौकीदार के माध्यम से परिजनों को सूचना देकर जामो पुलिस से बात कराई और अमेठी का पता लेकर बच्चे के बाबा दादी जामो पहुंचे जहां बच्चे को सकुशल पाकर खुशी से रोने लगे।

 

बच्चे के बाबा ने महिला एवम बाल कल्याण अधिकारी ब्रह्मानन्द व उनकी टीम की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए अमेठी पुलिस का धन्यवाद किया और  आशीर्वाद दिया। पुलिस ने आवश्यक कागजी कार्यवाही करते हुए बच्चे को उनको सुपुर्द कर थाने से विदा किया।


 

 



 

Wednesday, October 9, 2019

दैनिक अयोध्या टाइम्स की पहल से मुर्दा हुआ जिंदा

दैनिक अयोध्या टाइम्स की खबर का हुआ का असर 03:10:2019 को खबर प्रकाशित की थी मृतक ने कहा कि साहब अभी मैं जिंदा हूं|



पूरे 21 साल बाद मुर्दे की सांस चलने की उम्मीद बढ़ गयी है। जी हां, सही सुना आपने। ये कोई कहानी या कपोल कल्पित नहीं है, असलियत है। ये अजब गजब कारनामा राजस्व विभाग के कर्मचारी का है। इनको कोई रोक नही सकता है। अमीर को गरीब व जिंदा को मुर्दा बना देना तो इनके बाएं हाथ का खेल है।


यूपी के अमेठी में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। आइये अब आपको पूरे घटना क्रम की ओर ले चलते हैं। अमेठी जिले के संग्रामपुर थाना क्षेत्र के भौसिंहपुर गांव निवासी गोपाल सिंह पुत्र स्वर्गीय राम सरन सिंह ने बीते 3 अक्टूबर को अमेठी तहसील परिसर में अपने आगे पीछे ” एसडीएम साहब मैं जिंदा हूँ, 1998 से न्याय के लिये भटक रहा हूँ, मुझे मेरे चाचा ने लेखपाल की मिली भगत से अभिलेखों में मुर्दा करा दिया और मेरी जमीन अपने नाम करा ली”  का पोस्टर चिपकाकर  लोगों के बीच मे अपने को जीवित साबित करने का प्रयास किया था जो उस समय लोगों के बीच एक कौतूहल बन गया था।। 3 अक्टूबर को इस खबर को अमेठी संवाददाता विजय कुमार सिंह ने प्रमुखता से उठाया था।


खबर की गम्भीरता को देखते हुए जिलाधिकारी अमेठी प्रशांत शर्मा ने एसडीएम अमेठी को उक्त प्रकरण की जांचकर आख्या देने का आदेश दिया था। आदेश के अनुपालन में एसडीएम अमेठी राम शंकर ने तहसीलदार द्वारा इस प्रकरण की जांच कराई जिनकी जांच रिपोर्ट में गोपाल सिंह अभी भी जीवित पाए गए है, अग्रिम विधिक कार्यवाही हेतु आगामी 10 अक्टूबर को बहस एवम आदेश हेतु तिथि नियत की गई है, की रिपोर्ट जिलाधिकारी को प्रेषित किया है।


एसडीएम ने जानकारी देते हुए लिखा है कि 4 जून 1998 को नायब तहसीलदार द्वारा गोपाल सिंह का नाम निरस्त करने और 23 जुलाई 1998 को शिव बहादुर सिंह के नाम वरासत दर्ज करने का आदेश दिया गया था।


अमेठी से विजय कुमार सिंह की रिपोर्ट


Sunday, October 6, 2019

बकुण्ड- इमारत कभी बुलंद थी- श्री रूपेश उपाध्याय एसडीएम श्योपुर

काल की गति और आक्रांताओं के कोप से ध्वस्त हुई इस विरासत के खंडहर अब मौन है। दूर-दूर तक फैली पुरा संपदा प्रमाणित करती है कि लगभग एक हजार वर्ष पूर्व यह स्थान समृद्ध और वैभवशाली नगर रहा था, पर अब वो वक्त नही रहा। अब तो खंडहर ही शेष रह गए है।
श्योपुर जिले की कराहल तहसील अतंर्गत गोरस श्यामपुर रोड से तीन किमी अंदर पारम नदी के किनारे डोब कुण्ड स्थित है। सन् 1992-93 में पहली बार डोब कुंड जाने का अवसर मिला। एक लम्बे अरसे बाद अब फिर से जाना हुआ।
घने जंगल के बीच पारम नदी के उदगम स्थल पर कटीली झाड़ियो मे प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच डोब कुण्ड के अवशेष देखे जा सकते है। पर यहां तक पहुँच पाना हर किसी के लिए आसान नही है।
किसी समय यहाँ बने दो विशाल मंदिरों से तमाम मूर्तियांश्योपुर और दूसरे संग्रहालयों भेज दी गई है। कुछ चोरी हो गई है। शेष अवशेष वहीं बिखरे पडे है।
प्रतिहार सत्ता के पतन के बाद ग्वालियर मुरैना श्योपुर शिवपुरी क्षेत्र में चंदेलों के समकालीन एक अन्य राजवंश कच्छपघात का उदय हुआ। पहले ये सामन्त के रूप में शासन करते थे। कालांतर में प्रतिहार शासन के बिखराव का लाभ उठाकर उन्होंने स्वतंत्र सत्ता स्थापित की।
इस वंश की राजधानी मुरैना की तहसील अम्बाह में स्थित सिंहोनिया थी। इस वंश में द्वितीय शासक बज्र दमन था। इस वंश का ग्वालियर क्षेत्र के राजनैतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास में विशिष्ट योगदान है। कालांतर में कच्छपघात वंश में तीन शाखाये हो गई। सिंह पानिया, नरवर एवं डोब कुंड। डोब कुंड शाखा सिहोनिया से आवृजित हुई।
डॉ. हरिहर निवास द्विवेदी के अनुसार सिंह पानिया नरेश बज्र दमन ने जब गांधी नगर के कुछ सदस्यों ने डोब कुंड की शाखा की नींव डाली।
इस शाखा का प्रथम शासक युवराज था। जिसके शासनकाल के बारे में कोई जानकारी प्राप्त नही होती, किन्तु उसके उत्त्तराधिकारी अर्जुन को विक्रामसिहं द्वारा सन 1145 ई में स्थापित डूब कुंड प्रस्तर अभिलेख में उसे चंदेल शासक विद्याधर का करद शासक होना बताया गया है।
अर्जुन के उत्तराधिकारी अभिमन्यु ने सन् 1035 से 1044 ई तक शासन किया। डोब कुंड अभिलेख में उसके पराक्रम का उल्लेख है।
अभिमन्यु का उत्तराधिकारी विजयपाल हुआ। इसका उल्लेख बयाना के अभिलेख में किया गया है। अभिलेख अनुसार अधिराज विजय के साम्राज्य में श्रीपत नामक जैन साधु रहता था।
विजयपाल के बाद विक्रम सिंह डोब कुंड की गद्दी पर बैठा। सन् 1145 ई के किसी शासक के बारे में जानकारी प्राप्त नही है।
ग्वालियर स्टेट गजेटियर के अनुसार इस गैर आबाद गाँव में तालाब किनारे दो मंदिर है। इनमें एक हरि गौरी का है तथा दूसरा खास मंदिर जैनियों का है। इसके तीन तरफ 8 बुर्जिया है। मंदिर और बुर्जियों के दरवाजे पर निहायत उम्दा खुदाई का काम है। तमाम मूर्तिया नंगी है। जिससे मालूम होता है कि यह दिगम्बरी मंदिर है।
यहॉ वालों का खयाल है कि कुछ मंदिर एक मराठा अमर खंडू के जूल्म ज्यादती से खराब हो गया। यहॉ एक खम्बे पर 59 सत्तरों का बडा लम्बा कतबा खुदा है। इस कतबे में कच्छपघात घराने का हाल लिखा है। इसे विक्रमसिंह कच्छपघात ने खुदवाया था।
डोब कुंड का संरक्षरण न हो पाने से यहॉ अब सब कुछ खत्म होने कगार पर है। हम जैसे जुनूनी व्यक्ति के लिय वहॉ कुछ आकर्षण बचा है तो भटकते भटकते इनकी खैर खबर लेने कभी-कभी वहॉ तक पहुँच जाते है।