Friday, January 10, 2020

यूपी में 14 आईपीएस अफसरों के तबादले 

लखनऊ
यूपी में 14 आईपीएस अफसरों के तबादले 
नोएडा एसएसपी वैभव कृष्ण सस्पेंड  
कलानिधि नैथानी गाजियाबाद एसएसपी बने 
शिवहरि मीणा सुल्तानपुर एसपी 
संतोष कुमार मिश्रा रामपुर एसपी 
रामपुर एसपी अजय पाल शर्मा हटाए गए 
गाजियाबाद एसएसपी सुधीर सिंह भी हटे 
आकाश तोमर एसएसपी इटावा बनाए गए 
अरविंद चतुर्वेदी एसपी बाराबंकी 
ओमप्रकाश सिंह एसपी गाजीपुर 
मुनीराज एसएसपी झांसी बनाए गए 
गौरव भंसवाल एसपी हाथरस बने 
सिद्धार्थ मीणा बांदा के नए एसपी बने 
गणेश साहा पर भी गिरी गाज 
मानवाधिकार में भेजे गए गणेश साहा 
राजीव नारायण मुरादाबाद पीएसी
हिमांशु कुमार 28वीं वाहिनी PAC इटावा


वर्ष 2019 में यातायात नियमों का क्रियान्वयन कराने में जनपद वाराणसी पुलिस ने पूरे प्रदेश में पाया तृतीय स्थान

 


महानगर वाराणसी पुलिस यातायात नियमों का क्रियान्वयन कराने की दिशा में बहुत ही तेजी से अग्रसर।


     महानगर वाराणसी में सुगम यातायात संचालन कराने एवं यातायात नियमों का क्रियान्वयन कराये जाने हेतु वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, वाराणसी महोदय द्वारा दिये गये दिशा-निर्देश पर पुलिस अधीक्षक यातायात के नेतृत्व में एवं क्षेत्राधिकारी यातायात के पर्यवेक्षण में महानगर वाराणसी में नियुक्त समस्त यातायात निरीक्षक, यातायात उ0नि0, थीटा, मु0आ0 यातायात, यातायात सचल दस्ता, यातायात फैण्टम मोबाइल दस्ता सहित समस्त यातायात कर्मियों द्वारा अथक परिश्रम किया गया, जिसके फलस्वरूप जनपद वाराणसी पुलिस सम्पूर्ण प्रदेश में यातायात नियमों का क्रियान्वयन कराने में तृतीय स्थान प्राप्त किया। जनपद वाराणसी से मात्र जनपद गौतमबुद्ध नगर एवं जनपद लखनऊ ही क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय स्थान पर रहे।


    प्रेस/मीडिया के माध्यम से मैं पुलिस अधीक्षक यातायात वाराणसी आम जनमानस से अपेक्षा करता हूॅं कि 02 पहिया वाहन चलाते समय हेलमेट एवं 04 पहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट सुरक्षा के दृष्टिकोण से अवश्य धारण करें। समस्त वाहन चालक आटोमैटिक कैमरे की नजर में हैं। वाहन चलाते समय यातायात नियमों का पालन करते हुए सुरक्षित चलें।


सिलेंडर लीकेज होने से एजेंसी के मकैनिक सहित 8 लोग झुलसे

वाराणसी /अदलहट 8 जनवरी मिर्जापुर जिले के अदलहट थाना अंतर्गत समदपुर गांव के रहने वाले पप्पू गुप्ता गैस खत्म होने पर ध्रुवी इंडेन गैस एजेंसी से गैस सिलेंडर आज सुबह 10:00 बजे लेकर आए थे गैस लीकेज होने पर पप्पू गुप्ता ने एजेंसी में कंप्लेंट किया जिसे ठीक करने के लिए एजेंसी से मकैनिक रिंकू 28 वर्ष आया और सिलेंडर चेक करने के दौरान उसने सिलेंडर से गैस निकालकर माचिस की तीली जला दिया गैस सिलेंडर लीकेज होने से पहले ही कमरे में गैस फैल गया था मगर रिंकू को इसकी मेहक नहीं लगा तीली जलाते ही कमरे में आग लग गया जहां मौजूद पूरे परिवार के 7 सदस्य मकैनिक सहित झुलस गए जिसमें मंजू गुप्ता पत्नी पप्पू गुप्ता, रिका 18 वर्ष , प्रीति 17 वर्ष, सुनीता 16 वर्ष ,काजल 7 वर्ष, दिव्या 8 वर्ष ,पड़ोसी आशीष गुप्ता 16  वर्ष झुलस गए क्षेत्री लोगों की मदद से सभी को स्थानीय चिकित्सालय ले जाया गया जहां इलाज चल रहा है कट डीहा गांव निवासी मकैनिक रिंकू गंभीर अवस्था में जलने के कारण उसे सरकारी हॉस्पिटल जमालपुर रेफर कर दिया गया


देशव्यापी भारत बंद को बड़ा समर्थन

लखनऊ|


10 से ज्यादा सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने किया बंद का एलान


6 बैकिंग यूनियन ने किया हड़ताल को समर्थन


60 से ज्यादा स्टूडेंट यूनियन भी भारत बंद में शामिल


बैकिंग और ट्रांसपोर्ट सेवाओ पर रहेगा बंद का बड़ा असर


UP DGP ने सतर्कता के दिये सख्त निर्देश


केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ आंदोलन


देश की सभी ट्रेड यूनियन हड़ताल में है शामिल


CAA और NRC का ट्रेंड यूनियन कर रही विरोध


बैको के मर्जर, लेबर कानून, विश्विद्यालय के खराब हालत के लिए सरकार को जिम्मेदार बताया


भारत बंद में बैक, डाकघर, BSNL और LIC भी शामिल


किसानों के संगठनों का हड़ताल को देश मे मिला है समर्थन


सरकार से नियुनतम 21 हजार ₹ वेतन देने की मांग


देश मे 25 करोड़, UP में 20 लाख लोग हड़ताल में शामिल


हड़ताल को देश और प्रदेश के कर्मचारी संगठनों का समर्थन


सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर का अनुमान

हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office-NSO) द्वारा चालू वित्त वर्ष में देश की सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) दर घटकर 5% रहने का अनुमान लगाया गया है।
मुख्य बिंदु:
§ ये आँकड़े सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के अंतर्गत NSO द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी संबंधी पहले अग्रिम अनुमान के रूप में जारी किये गए हैं।
§ अगर चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की विकास दर 5% ही रहती है तो यह पिछले 11 वर्षों की सबसे न्यूनतम विकास दर होगी।
जीडीपी दर कम होने का कारण (अनुमानित आँकड़े):
कुल जीडीपी:
§ NSO द्वारा जारी इन आँकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 में देश की जीडीपी (स्थिर मूल्यों पर, आधार वर्ष 2011-12) 147.79 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में यह 140.78 लाख करोड़ रुपए थी।
§ इस तरह चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 5% रहने का अनुमान है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 6.8% थी।
विनिर्माण क्षेत्र:
(Manufacturing Sector)
§ विनिर्माण क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 6.9% की वृद्धि की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में महज 2% की वृद्धि का अनुमान है।
निर्माण क्षेत्र
(Construction Sector):
§ निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर का वित्त वर्ष 2018-19 के 8.7% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 3.2% रहने का अनुमान है।
कृषि, वन एवं मत्स्य पालन क्षेत्र:
(Agriculture, Forestry and Fishing)
§ कृषि, वन एवं मत्स्य पालन क्षेत्र में वृद्धि दर के स्थिर रहने का अनुमान लगाया गया है।
§ इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 2.9% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 2.8% वृद्धि दर रहने का अनुमान है।
बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति और अन्य उपयोगी सेवाएँ:
(Electricity, Gas, Water Supply and Other Utility Services)
§ इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 7% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 5.4% की वृद्धि दर का अनुमान है।
व्यापार, होटल, परिवहन और संचार एवं प्रसारण से संबंधित सेवाएँ:
(Trade, Hotels and Transport & Communication and Services related to Broadcasting)
§ इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 6.9% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 5.9% की वृद्धि दर का अनुमान है।
लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएँ:
(Public Administration, Defence and Other Services)
§ इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 8.6% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 9.1% की वृद्धि दर का अनुमान है।
खनन एवं उत्खनन क्षेत्र:
(Mining and Quarrying)
§ इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 1.3% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 1.5% की वृद्धि दर का अनुमान है।
वित्तीय, रियल एस्टेट और व्यावसायिक सेवाएँ:
(Financial, Real Estate and Professional Services)
§ इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 7.4% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 6.4% की वृद्धि दर का अनुमान है।
अग्रिम अनुमान से संबंधित अन्य तथ्य:
§ नॉमिनल संदर्भ में भारत की जीडीपी के वित्तीय वर्ष 2019-20 में 7.5% की दर से बढ़ने का अनुमान है जो कई दशकों का न्यूनतम स्तर है। इससे कर राजस्व और व्यक्तिगत आय पर दबाव बढ़ेगा।
§ सकल स्थायी पूंजी निर्माण का वित्त वर्ष 2019-20 में महज 1% की दर से बढ़ने का अनुमान है।
जीडीपी दर कम होने से भारत पर प्रभाव:
§ विनिर्माण क्षेत्र में कमी भारतीय व्यवसायों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी, जिससे व्यवसायियों को कर्ज चुकाने में अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा इससे बैंकिंग प्रणाली पर दवाब बढेगा तथा ऋण प्रवाह में कमी आएगी।
§ जीडीपी वृद्धि को लेकर वैश्विक जोखिम के बावजूद इस समय भारत की चुनौतियाँ काफी हद तक घरेलू स्तर पर हैं।
§ भारत में आर्थिक वृद्धि में तेज़ी आने की संभावनाएँ पश्चिम एशिया में पैदा हुए नए तनाव से धूमिल हुई हैं। कच्चे तेल की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न होने और तेल के भाव बढ़ने की आशंका से वैश्विक एवं घरेलू वृद्धि दोनों पर प्रभाव पड़ेगा।
§ तेल की कीमतों में वृद्धि और रुपए के भाव में कमी शीर्ष मुद्रास्फीति को बढ़ा सकता है जिससे निकट अवधि में ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम हो जाएगी।
आगे की राह:
§ मौजूदा जीडीपी वृद्धि दर को गति प्रदान करने के लिये सरकार को पुराने मुद्दों के अलावा बैंकिंग प्रणाली की खामियाँ को दूर करना होगा।
§ वहीं केंद्र सरकार को अपने एवं आर्थिक गतिविधियों के बीच खोए हुए विश्वास को बहाल करना होगा।
§ सुविचारित, अनुमानित एवं भविष्योन्मुख आर्थिक एवं राजकोषीय नीतियों का रोडमैप तैयार करना होगा।


    बेखौफ लुटेरों ने पत्रकार के भाई का मोबाइल छीन लिया

     माल रोड जा रहे मोo शाहनवाज़ खान का दो अग्गियात लोगो ने सफ़ेद एक्टिवा  बिना नंबर की गाड़ी से उनका मोबइल झीन के  अपराधी बेखौफ भाग निकले भाग .   *करीब 8.50 pm डी/2 खपरा मोहाल निवासी मोo शाहनवाज़ खान  मॉल रोड की तरफ अपने मोबइल से बात करते हुए जा रहे थे तभी दो लोग एक्टिवा टाइप की गाड़ी से आये और  कैथरीन  हॉस्पिटल के पास से उनके हाथ से मोबइल (vivo v9) झीन  कर मॉल रोड की तरफ गाड़ी से भाग गए शाहनवाज़ ने कुछ दूर उनका पीछा किया पर वो उनको पकड़  नी पाए उसके बाद शाहनवाज़ ने 112 डायल कर पुलिस को सुचना दी तभी मौके पर पुलिस आई और शाहनवाज़ को हरबंस मोहाल थाने मे अपनी तहरीर  देने को कहा और चली गई.


अपने मूल-संस्कारों को अपनाओ!!!

संभलने की जरूरत है !!


1. चोटियां छोड़ी ,
2. टोपी, पगड़ी छोड़ी ,
3. तिलक, चंदन छोड़ा
4. कुर्ता छोड़ा ,धोती छोड़ी ,
5. यज्ञोपवीत छोड़ा ,
6. संध्या वंदन छोड़ा ।
7. रामायण पाठ, गीता पाठ छोड़ा ,
8. महिलाओं, लड़कियों ने साड़ी छोड़ी, बिछिया छोड़े, चूड़ी छोड़ी , दुपट्टा, चुनरी छोड़ी, मांग बिन्दी छोड़ी।
9. पैसे के लिये, बच्चे छोड़े (आया पालती है)
10. संस्कृत छोड़ी, हिन्दी छोड़ी,
11. श्लोक छोड़े, लोरी छोड़ी ।
12. बच्चों के सारे संस्कार (बचपन के) छोड़े ,
13. सुबह शाम मिलने पर राम राम छोड़ी ,
14. पांव लागूं, चरण स्पर्श, पैर छूना छोड़े ,
15. घर परिवार छोड़े (अकेले सुख की चाह में संयुक्त परिवार)।
अब कोई रीति या परंपरा बची है? ऊपर से नीचे तक गौर करो, तुम कहां पर हिन्दू हो, भारतीय हो, सनातनी हो, ब्राह्मण हो, क्षत्रिय हो, वैश्य होया कुछ और हो 
कहीं पर भी उंगली रखकर बता दो कि हमारी परंपरा को मैंने ऐसे जीवित रखा है।
जिस तरह से हम धीरे धीरे बदल रहे हैं- जल्द ही समाप्त भी हो जाएंगे।


बौद्धों ने कभी सर मुंड़ाना नहीं छोड़ा!
सिक्खों ने भी सदैव पगड़ी का पालन किया!
मुसलमानों ने न दाढ़ी छोड़ी और न ही 5 बार नमाज पढ़ना!
ईसाई भी संडे को चर्च जरूर जाता है!
फिर हिन्दू अपनी पहचान-संस्कारों से क्यों दूर हुआ? 
कहाँ लुप्त हो गयी- गुरुकुल की शिखा, यज्ञ, शस्त्र-शास्त्र, नित्य मंदिर जाने का संस्कार ?
हम अपने संस्कारों से विमुख हुए, इसी कारण हम विलुप्त हो रहे हैं।


अपनी पहचान बनाओ! 
 


इंस्पायर अवार्ड मानक योजना अंतर्गत जनपद स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन

उरई जालौन 


रिपोर्टर रविकांत गौतम जालौन 



 राजकीय इंटर कॉलेज उरई में संपन्न हुआ जिसमें मुख्य रुप से डॉक्टर रईस खान वैज्ञानिक आई0एम0एफ0 अहमदाबाद उपस्थित हुए इस कार्यक्रम में जनपद स्तर पर प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के 227 विद्यार्थियों का चयन किया गया चयनित सभी प्रतिभागी विद्यार्थियों ने विज्ञान के मॉडल प्रस्तुत किए इन सभी प्रतिभागी छात्र-छात्राओं के खातों में विज्ञान मॉडल बनाने प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा प्रत्येक खातों में दस-दस हजार रुपये की धनराशि स्थानांतरित की गई उक्त कार्यक्रम मे जिला विद्यालय निरीक्षक एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी भगवत पटेल ,मुख्यकोषा अधिकारी आशुतोष चतुर्वेदी ,अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका संजय कुमार, महिला थाना अध्यक्ष  श्रीमती नीलेश कुमारी, एवं  विज्ञान एवं  प्रौद्योगिकी परिषद औरैया उत्तर प्रदेश मनीष यादव सहायक, बेसिक शिक्षा अधिकारी आनंद भूषण, डी0पी0आर0ओ अभययादव, एलड्रिच पब्लिक स्कूल के प्रबंधक अजय इटौदिया , अलीम सर  ,सहित  एवं  निर्णाक मंडल विज्ञान संचारक  मेंटर शिक्षक अभिभावक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे यह कार्यक्रम प्रदेश में प्रतिशतता की दृष्टि की प्रथम स्थान पर है  इस आयोजन में गठित निर्णायक मंडल के सदस्यों द्वारा प्रत्येक मॉडल पर जाकर उसका अवलोकन किया गया और प्रतिभाग करने वाले विद्यार्थियों से मॉडल से संबंधित तार्किक प्रश्न पूछे और मॉडल को अधिक से अधिक कैसे उपयोगी बनाया जा सकता है इस पर प्रकाश डाला गया योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब बिछड़े प्रतिभावन बच्चों का विकास करना है इसके लिए जनपद के शिक्षा विभाग के मुखिया श्री भगवत पटेल ,अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य सुश्री अर्चना त्रिपाठी ,सारिका आनंद, जिला विज्ञान समनयवक अनिल  गुप्ता,  सहायक समनयवक शैलेन्द्र निरंजन, एवंअतुल दीक्षित, सुमेन्द्र पान्डेय, पुश्पेन्द्र सिह ,नरेश श्रीवास, धीरेन्द यादव, अनरुद कुशवा  अनिल श्रीवास्तव  राजेन्द्र कुमार गुप्ता व जनता इंटर कॉलेज  एट के छात्र देवेंद्र सिंह ने इलेक्ट्रिक साइकिल बनाकर एक जनपद में अपना अच्छा नाम रोशन किया है छात्र देवेंद्र सिंह का कहना है कि आने वाले समय में पेट्रोल खत्म हो सकता है तो इलेक्ट्रॉनिक का जमाना है और इस साइकिल को हम सोलर ऊर्जा के द्वारा चार्ज करके इस्तेमाल कर सकते हैं |



रविकांत गौतम दैनिक अयोध्या टाइम


उ0 प्र0 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के सौजन्य से 10 दिवसीय मण्डलीय खादी ग्रामोद्योग प्रदर्षनी में आज दिनांक 09/01/2020 को आयोजित सांस्कृतिक प्रोग्राम


         उ0प्र0खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के सौजन्य से मोतीझील कानपुर नगर में दस दिवसीय मण्डलीय खादी ग्रामोद्योग प्रदर्षनी में आज दिनांक 09.01.2020 को सायं 6ः00 बजे सरिता यादव के निर्देषन में लखनऊ की रासरंग संस्था  द्वारा मूल मराठी लेखक- श्री बसन्त सबनीस द्वारा रचित हास्य नाटक  ”कहानी राजदरबार“ का मंचन किया गया। नाटक में  राजा एवं साख्या का किरदार षुभम षर्मा, कोतवाल एवं प्रधान का किरदार-अभिशेक ने,ं हवलदार का किरदार - धीरेन्द्र पाण्डेय, सिपाही  का-राज यादव, मैनाबाई- सरिता यादव ने भावपूर्ण किरदार निभाया। ”कहानी राजदबार की“ नाटक में देष में हो रहे भश्टाचारा को  हास्य रूप में अभिनीत करके दर्षकों की खूब वाह-वाही लूटी। 
         श्री अभय त्रिपाठी परिक्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी ने बताया कि  कल दिनांक-10.01.2020 को विषेश कार्यक्रम संविधान षिल्पी बाबा साहब अम्बेडकर के संविधान निर्माण में योगदान एवं भारतीय संविधान के आदर्षो पर चर्चा हेतु विशय विषेशज्ञ एवं वरिश्ठ अधिवक्ताओं द्वारा विचार गोश्ठी व संविधान में उल्लेखित मूल कर्तव्यों के प्रति जागरूकता कार्यक्रम षाम-5ः30 बजे किया जा रहा है।
श्री हरिष्चन्द्र मिश्रा जिला ग्रामोद्योग अधिकारी ने बताया कि दिनांक- 10.01.2020 को सांस्कृतिक कार्यक्रम में स्थानीय प्रसिद्व कवि श्री हेमन्त पाण्डेय के नेतृत्व में कवि सम्मेलन का आयोजन सांय- 7ः00 बजे किया जायेगा जिसमें सुश्री नीरू श्रीवास्तव, डा0 अरूण तिवारी गोपल, श्री ओम नारायण षुक्ला, सुश्री षिखा सिंह एवं अन्य कवियों द्वारा प्रतिभाग किया जायेगा। 
       मण्डल स्तरीय प्रदर्षनी में दर्षकों व क्रेताओ की अच्छी भीड़ देखी गयी । खादी एवं ग्रामोद्योग स्टालो में विषेश रूप से स्वराज आश्रम कानपुर, ग्राम सेवा संस्थान, मनोज पाल हरिद्वार, पवन गुप्ता औशधी संस्थान आदि में अच्छी बिक्री दर्ज की गयी
      प्रदर्षनी में श्री सुरेष गुप्ता अध्यक्ष उ0प्र0 खादी ग्रामोद्योग महासंघ, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के सहयोगी राजीव द्विवेदी,मनोज पाठक, मनोज षुक्ला मो0षारिब, उर्मिला देवी मजीद अहमद,टोनी सक्सेना,ओम प्रकाष आदि उपस्थित थे।                      


Wednesday, January 8, 2020

 ऐ नये साल तेरे झूठे दिलाशो की कसम?

 ऐ नये साल तेरे झूठे दिलाशो की कसम?
फिर कदम हमने उठाया है बहकने के लिये।
जिन्दगी हार के फिर तेरे करीब आया हूँ,?
अपने सपने तेरे तलवों से मसलने के लिये।।
सियासत के तुगलकी फरमान पर भरोशा कर खून का आसू रो रहा है किसान?जब यू पी में भाजपा की सरकार बनी एक लाख तक किसानो का कर्ज माफ कर दिया गया। छुट्टा पशुओं से निजात के लिये वादा किया गया। लेकीन दोनो फैसला सियासी खेल हो गया।बैंक वसूली  की नोटिस दे रहा,छूट्टा पशु खेतो में धमाल मचा रहे है। सङको पर बवाल कर रहें ह हँसते खेलती जिन्दगी को रोज हलाल कर रहें है।
बर्तमान परिवेश में किसान तबाही के आलम मे खून का आंसू रोने को मजबूर कर दिया गया? नहरों मे पानी नही? गन्ना कि खरीद्दारी नही? धान कि ऊपज बेचने के लिये दरहदर ठोकरे खा रहा है किसान।भारी वर्षात के चलते अधिकतर खेतो में गेहूं बोया नहीं गया?मंहगाई चरम पर है। हर तरफ तबाही है कैसे जियेगा किसान? छूट्टा पशु बिरान कर रहें है खेतऔर खलिहान? बे मौत मर जायेगा इन्सान?।अवारा पशुओं की खेतों में धमाचौकङी को रोकने के लिये दिन रात खेतो की रखवाली कर रहा है इस देश का अन्नदाता? गावों मे हर तरफ मायूसी कीसानो के चेहरो से गायब है खुशी? खेत बिरान है बुआई केअभाव सुना पङा सिवान है।? एक तरफ प्रकृति तो दुसरी तरफ सरकार की दोगली नीति से परेशान किसान है। तबाही के आलम में गांव के गांव हो गये सुनशान सारी सरकारी ब्यवस्था कागजी किसी का कोई सुनने वालानही।भरष्टाचार के चलते चारों तरफ हाहाकार , हर तरफ मायूसी | बैंक के कर्ज बिजली  बिल के बढते दाम,के चलते थाम कर बैठ गया है किसान दिल?कैसे कटेगी जिन्दगी? हर तरफ मिल रही है शर्मिनदगी?यह सरकार भी किसानो की हितैशी नही कही कोई सुनवाई नही। आज उदासी के माहौल लोग कह रहे है भगवान क्या तेरी माया है? सियासत के आसमान में दर्द का  बादल छाया है। न जाने कब हो जाये बगावत की बारिश?न खेती बची न बारी हर तरफ लाचारी! किसान तबाह परेशान ब्यापारी। आखिर कैसे जियेगा किसान? खेत बन गये शमशान? इस सवाल का जबाबआखिर देगा कौन ? मुर्दे सियासत बाज आखिर क्यों हो गयें है मौन?। हर तरफ लूट मची है। लोकतन्त्र की दुल्हन का चीरहरण हो रहा है ।भ्रष्टाचार का दानव रोजाना इन्सानियत का अपहरण कर रहा है। मच्छर के तरह घङियालू आंसू  बहाने वाले वादा फरोश नेता ढपोर शंखी वादों के सहारे सियासत की बैतरणी पार कर लखनऊ व दिल्ली की रंगीन रियासत में आराम फरमा रहे है। जाति बाद का फार्मूला फैलाकर सियासत को रोज गर्मा रहे है।
इस देश का अन्नदाता कराह रहा है ।आहे भर रहा है। दर्द की हवा अब धीरे धीरे सियासी आँधी बनकर बदलाव की दरिया में सुनामी लाने के तरफ बढ रही है।यह देश की मजबूरी है। सियासत को रखैल समझने वालों के लिये एक झटका जरूरी है? खुद अब अन्न पैदा करने वाले का ही नहीँ भर पा रहा पेट है?महंगाई के चलते बोये नहीं गये खेत है?।कल तक बर्तमान सरकार का गुण गान करने वाला देश का किसान मन मसोस कर अफसोस कर रहा है।यह कहने को मजबूर हो गया कोई नृप होही हमें क्या हानी?आज का परिवेश भौतिकता की कसौटी पर वास्तविकता को नकार रहा है। मजबूर किसानो की लाचारी को ही ललकार रहा है।वादो की सलीब पर लटका कीसान परेशान है कि कब जिन्दगी के हौसले में सरकारी फैसले का समागम होगा?कब धरातल पर उतरेगी  बिकाश की गंगा? कब रूकेगा इस देश मे सियासी दंगा?रोटी कपङा मकान के लिये हलकान है इस देश का आन्नदाता ? उसके जीवन चक्र मे केवल तूफान है? जब तक दुखी किसान रहेगा धरती पर तुफान रहेगा के गगन भेदी नारों को लगाते लगाते थक गया है। किसान आन्दोलन भी अब दम तोङ चुका है। कार्पोरेट घरानो की बन्धक बनती जा रही है कृषि ब्यवस्था। रोज़मर्रा की जिन्दगी में मानसिक गुलामी का दौर शुरू है। आर्थिक शोषण का पोषण करा रही है बर्तमान सरकार?, जिसके जङ में सियासत के प्रदुषित पानी को पाकर दिन रात बढ रहा है भरष्टाचार?। गुजरा साल तो केवल तबाही की निशानी छोङ गया आहे भरते लोगो का दिल तोङ गया?। कभी  सूखा ने तबाही मचाया तो कभी भयंकर वारिश ने जीवन को आत्मसात कर दिया। लावारिश कर दिया?। सरकारी खेमों में काम करने वाले अहलकार फर्जी आकङो की खेल खलते रहे?। गांवो  की दुर्दशा को सरकारी फाइलों में गुलाबी बयाँ  करते रहे।जब की आज के दौर में यह चन्द लाईने एक दम सही सटीक लग रहीं है कि तुम्हारे फाईलो में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आकङे झूठे है वादा खिलाफी है?। सरकारी तन्त्र  लोकतन्त्र  के मूल मन्त्र को ही प्रदुषित कर दिये।सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाकर अपनी झोली भर लिये।दम तोङती ब्यवस्था में किसान सिसक सिसक कर जिन्दगी बशर कर रहा है। इस आस व उम्मिद में की सरकार किसान नीतियाँ  बनायेगी ऊपज के वाजीब कीमत दिलायेगी?, किसानो की समस्याओ का समाधान करायेगी? लेकीन सब कुछ फर्जी दिलाशा ही साबित हुआ।,हताशा मे तमाशा बनकर सब कुछ सियासी बवन्ङर में समा गया। न तकदीर बदली न समस्या का हुआ समाधान ।जैसे कल था वैसे ही बेमौत मर रहा है आज भी किसान?सर पर कर्ज का बढता मर्ज गृहस्थी सम्हालने के लिये हाँफ हाँफ कर पूरा कर रहा है फर्ज,? लेकीन इस दर्द को किसी ने नही समझा।मानसिक दबाव में  कहीं किसान आत्म हत्या कर रहा है तो कहीं खुदकसी?घर पर कहीं खेतों में सिचाई के पानी की लगान तो कहीं बिजली की पहुँच रहीं है आरसी?चारो तरफ अन्धेरा ही अन्धेरा।दर्द की दरिया में ङूबते उपराते तबाही की घनघोर निशा में कब होगा सबेरा? यह सवाल मुँह बाये बर्तमान ब्यवस्था के आस्था पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है?।किसानो के अरमानो  पर तुषारापात कर देश को सुखी रखने की कल्पना करना भी  बेमानी होगी। देखते जाईये आने वाला कल बिकल भाव से गुजरे बर्ष से निकल कर नये साल में  क्या कमाल करता है।वख्त सुधरता है या अगले साल की ही तरह मन की बात सुनकर केवल फिसलता है।कभी गर्व से इस देश में यह लगने  वाला नारा जय जवान जय किसान भी अब  बेमानी लग रहा है।झूठे आकङो  के दौर मे सारा बिकाश जबानी लग रहा है।


चलते रहेगे काफीले मेरे बगैर भी इक तारा टुटने से फलक सूना नही होता?

हजारों  साल नर्गिस अपनी बे नूरी पे रोती है
चमन  में तब जाकर कोई दिदावर पैदा होता है।
सियासत के समन्दर मे बर्षों  सियासी मन्थन के बाद पूर्वाचल  की धरती में दो लालो का आज से छ दशक पहले जन्म हुआ एक  बलिया की बागी धरती इब्राहीम पट्टी गाँव  के एक साधारण परिवार का नाम रोशन कर भारत के प्रधान मन्त्री पद का सीधे दावेदार हुआ उस महारथी का नाम स्व चन्द्रशेखर है जिनके नाम पर सियासत थर्रा उठती संसद में सियापा पसर जाता था। आजीवन युवा तुर्क की ऊपाधि से बिभूषित रहे।आज वो भी इस दुनियाँ में नहीं रहे? दुसरा सूरमा मऊ जनपद की महकती माटी के गाँव  सेमरी जमाल पुर में पैदा हुवे सियासत के धुरन्धर स्व कल्पनाथ राय? जिनके गुजरे एक डेढ दशक से ऊपर हो गया।कभी इन दोनो महान विभूतियों के नाम पर दिल्ली की सियासत में दहशत पसरा रहता था। बिकाश की गंगा इनके पैरो तले मचलती थी।
मऊ में शनिवार के दिन बिकाश पुरूष स्व कल्पनाथ राय के पुण्य तिथी पर जिला मुख्यालय से लेकर उनके गांव  सेमरी जमाल पुर तक अब केवल रस्म अदायगी के तहत पुण्य तिथि मना लिया गया है। कहा गया मरते तो सभी है मगर जमाना उन्ही को याद करता है जो इतिहास रच कर जाते है?। स्व कल्पनाथ राय वह नाम है जिनके ओजस्वी भाषण पर ससंद में सियापा फैल जाता था संसद में बैठे नेता उस समय भाव शून्य हो जाते जब धारा प्रवाह भाषण के बीच देश के गरीबों मजलूमों की समस्या को हूबहू ब्यवस्था के पटल पर रख देते थे।आज हम जिस जनपद में खुली सांस ले रहें है इसके जन्मदाता स्व कल्पनाथ राय है उनके  सपनों का जिला मऊ है।
बिकाश की गंगा को अवतरित कर किसानों के भाग्य का दरवाजा को घोसी में चीनी मिल' स्थापित कर खोल दिया।आज हर तरफ खुशहाली है। किसानो की दूर हो गयी कंगाली है।शहर का नया लुक ओर ब्रिज, कचहरी, चमकती शहीदों के नाम पर सङक, महकती चन्द्रभान पुर की फुलवारी ?। हर तरफ चकाचक ब्यवस्था भारी ? उनके आगमन के नाम पर थर्रा उठता था अमला सरकारी।गांव गाँव बिकाश की बयार के संकल्प के साथ जब निकलते स्व कल्पनाथ राय तो लगता की वाकई कोई नेता उतर आया है। हाफने लगता था जिला प्रशासन कांपने लगते कर्मचारी' अधिकारी' सरकारी"? झूम उठते थे किसान और ब्यापारी? ।आज  का वही मऊ है, सासंद है,नेता है, विधायक है, सब के सब नालायक है? जनता कराह रही है? किसान तबाह है? ब्यापारी हताश है?। आमजन उदास है?।हर तरफ अफरा तफरी का माहौल है। जगह वही है पद वही है जनता जनार्दन भी वही है मगर कीसी की कोई सुनने वाला ही नही है।
 आज स्व कल्पनाथ राय के मूर्ति  पर  फूल मालाओ' को समर्पित  कर अपने को धन्य मानने वाले  ही कह रहें है---------------
जो बात तुझमे थी वो तेरी  तस्बीर में नही?
 वो जुझारूपना वो अख्खङपना वो तेवर वो कलेवर वो रंगीला अन्दाज वो मिजाज कहीं देखने को नही मिलता। मऊ बेसहारा बेचारा हो गया ?। पुर्वाञ्चल में बिकाश की देबी बिधवा हो गयी। समरसता व भाई चारगी खतम हो गयी है।सिसक सिसक कर जिस तरह तमसा का पानी काला हो गया? ठीक उसी तरह बिकाश के नाम पर भी जनपद का दिवाला हो गया?।तमसा की निर्मली करण के तरह ही बिकाश के आधुनिकरण के लिये पल पल तरस रहा है मऊ?। न कोई रहनुमाई',न कोई अगुवाई',हर तरफ जगहसाई?
भरष्टाचारी लूट रहें है गरीबों की कमाई ?। यही है इस जनपद की अब सच्चाई ?। आज लोगों को स्व कल्पनाथ राय की बहुत याद आयी है।जब शहर में बेलगाम हो गये दंगाई है।अब  तो इस जिले की कमान सम्हालता माफीयाङान है? वही ङीयम वही पुलिस कप्तान है? शहर को जिधर चाहे मोङ देता है? जब चाहे मोर्चा खोल देता है।?सूना सूना सारा मंजर लगता है ऐसे में अब फूल भी खंजर लगता है।
बदलते समय मे मऊ की परिभाषा बदल गयी, लोगों की अभिलाषा बदल गयी।अब तो यहाँ नेता आते प्रवासी है चारो तरफ फैली है उदासी। न तो उन्हें बिकाश चाहीये न उन्हे कोई खास चाहीये? सब के सब जातिवादी है भले ही पहने खादी है। कल्पनाथ राय के सपनों का शहर बिरान हो गया ?सूना गाँव  खेत खलिहान हो गया है। अब तो हर तरफ तमाशा है लोगों के मन में निराशा है। सभी बने तमाशायी हैअब कहीं नहीं बिकाश की बात होती है कमीशन खोरी चोरी के चलते हर तरफ तबाही है। इसी लिये तो आज बिकाश पुरूष स्व'कल्पनाथ राय की बहुत याद आयी है।बिकाश पुरूष को शत शत नमन? आप भी करे मनन 'करे चिन्तन ?' कब तक रहेगा  मऊ अनाथ?अब कौन बनेगा कल्पनाथ? जो चलेगा आप के साथ साथ?'कौन करेगा इस जमी का बिकाश? बदलते परिवेश मे सियासत की बस्ती में रहने वाले जहरीले सियासतदार इन्सानियत को ङस रहें है।मानवीय सम्बेदनाओ को कलुषित कर रहें है।इन्सानियत कराहती है मानवता दम तोङ रही है। बिकाश कोषो दूर भागता है। भरष्टाचार इनके मुख मंङल पर आभा बिखेरता है।जाति बिरादरी के नाम पर सियासत की बैतरणी पार कर दिल्ली लखनऊ की रंगीन दुनियाँ  मे पैर रखते ही वादा खिलाफी का दौर शुरू कर देते। पूर्वांचल  की धरती आज नेता बिहीन हो गयी? दोनो नेताओ के स्वर्गवासी होते ही यह धरती बलहीन हो गयी? दूर दूर तक इन दो नेताओं का बिकल्प नजर नहीं आता। दुर्भाग्य के दो राहे पर खङे पूर्वाचल  में न अब न कोई चन्द्रशेखर पैदा होगा? न कल्पनाथ? इस धरती को अब सदियों रहना है अनाथ?
समय अबाध गति से अपनी धूरी पर चलता जा रहा है परिवेश बदलता जा रहा है जब गुजरे जमाने की यादों का कारवां  ख्यालों में उभरता है तब गरजती बुलन्द आवाजें बेचैन कर देती है?
लेकीन अब उन हकीकतों को केवल महसूस ही किया जा सकता है।जो लोग चले गये वे लोग और थे?।आक्सीजन  पर चल रही कांग्रेश के वफादार लोग आज कल्पनाथ राय की पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर सेमरी जमाल पुर, कोपागंज,मऊ में स्व कल्पनाथ राय की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर समर्पित भाव से श्रद्धान्जलि दिये। इस मतलब परस्त दुनियाँ  में महज चन्द सालों में लोग कल्पनाथ राय के बिकाश को भूल गये।होना तो यह चाहीये था कि सम्पूर्ण  जनपद आज समर्पित भाव से श्रदाँजलि  अर्पित करता। लेकीन बदलते परिवेश में लोगों की के बीच सन्देश मतलब परस्ती का ही बिस्तारित हो रहा है। ऐसे मे कौन अब यादों के बोझ को सम्हालने में समय गंवायेऔर बताये की जिस खूबसूरत जिले की रंगीन फीजा में हम सासें ले रहें है वह जिला बिकाश पुरूष कल्पनाथ राय के पौरूष कि निशानी है?।।
ऐसे महान पुरूष कर्म योद्धा सियासत के दुनियाँ में अलग पहचान  बनाकर इतिहास रचने वाले मा बसुन्धरा के अप्रतिम धरोहर मऊ की विप्लवी  धरती की शान बिकाश पुरूष स्व कल्पनाथ राय जी को ब्यथित मन से बिनम्र  श्रद्धान्जली  शत शत नमन |


हरेक से पूछती है गमगीन थकी माँ? क्यों हो गये है गोंद के पाले जुदा जुदा?

आज के दौर में बदलते परिवेश ने देश के भीतर पृथकता की ईबारत को लिखकर एकाकी जीवन की पुस्तक का बिमोचन कर दिया है।
मातृ देवो भव: पितृ देवो भव: के सूत्र पर आधारित पुरातन ब्यवस्था धाराशायी हो गयी? जिस मा ने पैदा किया पाला पोशा बङा किया परवरिश दिया वही मा बेटों के लिये आताताई हो गयी । जीवन का अनमोल समय में अपना सुख बच्चो की झोली में ङालकर रात भर लोरी सुनाने वाली माँ कसाई हो गयी ? बीबी आते ही मौसम के तरह आधुनिक पीढी के नौजवान बदल रहें है। मा    बाप को घर का बोझ कह रहें है। हर चीज अपना फिर सब कुछ सपना?। पराये हो गये परवरिश देने वाले? कदम कदम ठोकर मार रहें खुद केऔलाद खुद के लाले।आधुनिकता के दौर में बदलता गांव बदलता परिवेश, बदलती शहर बदलता देश? हर तरफ उन्माद अपराध का बोलबाला अपराध में खुद शामिल हो गया कानून का रखवाला है?। खत्म हो रही है इन्सानियत की चाहत ? बढ रही है बैमनश्यता,बेचारगी भरी आफत,? किसी का कोई सुनने वाला नही खत्म हो रही है भाईचारगी?,सडकों गांव की गलियों बाजार के चौराहों  पर हर वक्त देखा जा सकता है नयी पीढी की आवारगी।? बेखौफ बिन्दास बे अन्दाज निकल रहे है गन्दे अल्फाज न कोईबङा न छोटा न कोई लाज न लिहाज? सब कुछ आधुनिकता के दावानल में झुलस रहा है आज। हैवानियत का धुआं हर घर से निकल रहा है जो आधुनिक कहे जाने वाले समाज को भरपूर तरीके से बिषाक्त कर रहा है।? एक जमाना था जब खास कर गांवो में तहजीब ही तरक्की की मिसाल बनती थी ।संयुक्त परिवार में समरसता की ब्यवस्था दमकती थी ?भाई चारगी की सादगी में पुरंखो की पुरातन बिरासत झलकती थी। गवंयी माहौल? हर तरफ आसमान में पक्षियों का कोलाहल?,खुशहाल खेत खलिहान, कूकती कोयल के सुरीले बोल,पर होता था बिहान?।तीज त्योहार गंगा दशहरा, पूर्णिमा का नहान खीचङी ,फगुआ, सतुआन,?सब कुछ आधुनिकता की भेंट चढ गया?। खत्म होती जा रही है संयुक्त परिवार के मुखिया की सरपरस्ती? हर कोई अकेले काटना चाह रहा है मस्ती। बदल रही ब्यवस्था में आस्था बिवसता के आलम में बढ रही है हर परिवार में बैमनश्यता?।    बाप दादा की कमाई का मोल खत्म हो रहा है माई को दाई बनाकर रखने का प्रचलन जोर पकङ रहा है। कुर्ता धोती,के पहनावे का चलन खत्म हो गया  डोली कहार का प्रचलन बन्द हो गया?।बसन्त के मदमस्त महीने में गावों के चारों तरफ बगीचों में महकती आम की मंजरी, गमकते  महुआ के पेड़,अनुपम छटा बिखेरती तितलियो के झुन्ङ से मादकता की फुलझरी?चहकते महकते सेमल पलास के फूल, अमराईयो बाग बगीचों में कूकती कोयल के बोल, पपीहा की पीहू पीहू, सिवान में कुलाचे मारते हिरन?बे खौफ दौङते नील गाय के झुन्ङ?बे फिक्र सुबह सुबह सतुआ ,कचरस ,मकयी का दाना ,खाकर मुस्कराता ,गवई जीवन?सब कुछ बदल गया।  आधुनिकता के नाम पर देह उघारू कपङा ?, रोजाना शराब के नशा में झूमते नौजवानो का बढता लफङा ?, सिमटता खेत, खलिहान,? उजङते बाग बगीचे?
गांव के गांव पशु बिहीन, संस्कार   बिहीन लोग? सूना पङा दरवाजा? मन्दिर, मस्जिदों, के उपर दिखावटी बज रहा है कानफाङू बाजा?समाप्त हो गयी  अजान की मीठास,? मन्दिरों में सुबह सुबह भोरहरी में बजता घन्टा घङियाल की आवाज आखिर कहां जा रहा हैआधुनिक होता समाज ?।अपना वजूद समूल नष्ट करने वाले अपने को कह रहें है एङवान्स।इससे कोई अछूता नहीं है कोई कोई घर ही बच गया होगा बाईचान्स ?। पुरातन ब्यवस्था निकल रही है  आस्था बदल रही है।हर आदमी का रास्ता बदल गया?कीसी से  मेल न समरसता हर तरफ एकाकी जीवन की नीरसता? ।दिन रात बढ रही है गांव कस्बा शहर में बिलासिता?। अब तो वह दिन दूर नहीं रह गया जब आने वाली पीढी पूछेगी गुजरे हुये कल की दास्ताँ,।?न बैलों की जोङी न गायों का झून्ङ ?न गांवो में रहट न बैल कोल्हू न रहा पानी का कुन्ङ?सुबह सुबह सरकाईल खटिया जाङा लगी के बेहूदगी भरे गाने ?खत्म हो गये भजन और  देश भक्ति के तराने?।आधुनिक पीढी की बदल रही है सोच? माँ बाप घरों पर बन रहे है बोझ,? भाई से भाई की जुदाई हर किसी को पसन्द आ रही है तन्हाई?। अब नहीं रहा पुराना वाला सम्मान? न नाई न बारी न पंङी जी का कोई रह गया जजमान?। हरतरफ अजीब तरह का मंजर? खेत खलिहान बाग बगीचा हो रहा बंजर है। अपमानित हो रहे माँ बाप घर घर आधुनिकता के कहर से समाज में घुल रहा है जहर?।। आने वाला कल बदलते परिवेश में आधुनिक समाज के नाम पर अपनी पुरानी बिरासत की बर्बादी का सन्देश लेकरआ रहा मिलावट का दौर है।आधुनिकता में ङूबा गांव और शहर है।अन्न पानी सब कुछ बन रहा जहर है। फीर भी हम चेत नहीं रहें है। धङल्ले से पुराने पेङो की कटान से बीरान हो गया गांव का सीवान? पुराने खपरैल से बने देखने को नही मिलते मकान? यदि समय रहते ब्यवस्था नहीं बदली तो निश्चित रूप से हम आप खुद अपनी बर्बादी के जिम्मेदार होगें?।आने वाली पीढी कभी माफ नहीँ करेगी?जीवन दायनी नदियाँ  सूख रही है। हरे पेङ काटे जा रहे, है?ताल तलैया पोखरी पाटे जा रहे है।फीर कैसे ऊम्मीद कर रहे है आने वाले कल में खुशहाल जिन्दगीं का? जिसके रहमो करम पर जीवन मिला आज उसी से गिला? यह बात आज सच साबित होती लग रही है÷ आज  के दौर में उम्मिदे वफा किससे करें? धूप में बैठें है खुद पेङ लगाने वाले।?अब भी समय है अपनी पुरातन धरोहर को बचावे अपनी परम्पराओं को सम्हाले?ताकी आने वाला कल सुखमय हो सके?आने वाली पीढी कुशलता का जीवन गुजार सके। जिस तरह से सनातन ब्यवस्था बदल रही है। समाज बदल रहा है। समरसता बिवसता में दम तोङ रहा है। आपसी भाई चारगी  बेचारगी के बीच तनातनी में है। बङा छोटा का लिहाज खत्म हो रहा है। वह आने वाले कल के कलंकित इतिहास का भयावह मंजर समेटे बिनाश का बीज अंकुरित कर रहा है?।आज के जमाने का यही सच है। 
कभी फुर्सत मिले तो मनन कीजीये चिन्तन कीजीये? हम क्या थे क्या हो गये है।?कहाँ  थे कहाँ जा रहें है।कभी घर के दाने खा रहे थे आज पिज्जा और बर्गर खा रहे है।हमारे पूर्वज  सौ साल तक निरोगी काया के साथ जिया करते थे। हम आज आधी उम्र में ही जिन्दगी गँवा रहे है। वक्त तेजी से बदल रहा है जमाना कदम कदम पर मचल रहा है।आने वाला कल बिकल भाव से तनाव की जिन्दगी जीने को बिवस कर रहा है। बेशर्म बेहया लोगों के कारण भर गये बृद्धा आश्र्म, अनाथ आश्र्म? छण छण सिसकन से भीगे रहते उन अभागे  मा बाप के मसकन?।
 जिन्होने अपनी जीवन की सारी कमाई बेटे की पढाई घर की रहनुमाई में खर्च कर दिया। जब जरूरत पङी तब गोद के पालो ने जुदाई देकर जीवन भर की कमाई का ऐसा सिला दिया की बोझील कदम बृद्धा आश्रम के तरफ बढ गये? जहाँ से फीर कभी अपनी कमाई से जुटे पाई पाई से बनायी हवेली नसीब नही हुयी? गुमनामी मे भी बदनामी से घर बार को बचाने के लिये मरते मरते भी मा बाप बेटे को इज्जत की सौगात दे गये?---???????


आज लावारिस शव को सिख्ख समाज ने दिया कन्धा दान 

अवगत कराना है कि समाज कल्याण सेवा समिति द्वारा लावारिस लाशों को पांच दिवसीय कन्धादान अभियान के आज चौथे दिन सिख्ख समुदाय द्वारा कन्धादान किया गया सिख समाज ने इंसानियत व भाईचारे का जज्बा दिखाया कन्धा दानियों में होड़ सी लगी रही तीन दिनों की भांति सिख समाज के कन्धों पर लदीलाश पोस्ट मार्टम से बाहर आई तो सिख समाज द्वारा लावारिस लाश तथा उनके विछड़े परिवार के आत्म शांति के लिए दुआ की गयी कन्धा देने के लिए यह समाज भी आतुर दिखे पूर्व की भांति जम कर फूलों की वर्षा हुई सड़क फूलों से पटी दिखी आज भी  समिति के सचिव द्वारा कन्धादान महादान तथा इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही है संदेश हमारा! कन्धा दानियो से अपील की कि इस महा मानव कार्य में हमारा तन मन धन से सहयोग करें बॉस पन्नी कफन चादर दान करें और या भी संभव ना हो तो कन्धादान देकर हमारे कन्धों से कन्धा मिलाकर लावारिसों के वारिस बनें जिससे इस महा मानव कार्य को हम सम्पूर्ण उ० प्र० में करवा सकें कार्यक्रम में प्रमुख रुप से-आशू भाटिया शाहिब बग्गा सरदार काले सरदार काके नीतू सांगरी सरदार गुरुदीप सिंह भुपेन्द्र सिंह गुरमीत सोनी गुरमीत काके मनोज कुकरेजा सुरजीत सिंह ओबराय  शैलेन्द्र कुमार राधेश्याम मनीष जी अखलेश राजवन्त मनी सिंह जीतू पैंथर  प्रदीप पैंथर सुरेन्द्र चमन राहुल गौतम मनीषा पैंथर सीमा जीत मीनू आदि लोग मौजूद रहे सभी ने एक श्वर में कहा आइये हम सब मिलकर इंसानियत को कायम रखें ताकि इंसान इंसान के काम आये |