Saturday, January 11, 2020

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अधिकृत शाखाओं पर चुनावी बॉण्डों की बिक्री

भारत सरकार ने 02 जनवरी, 2018 को राजपत्र अधिसूचना संख्‍या 20 के जरिए चुनावी बॉण्ड योजना 2018 को अधिसूचित किया है। योजना के प्रावधानों के अनुसार चुनावी बॉण्‍ड की खरीद ऐसे व्‍यक्ति [जैसा कि राजपत्र अधिसूचना के आइटम नम्‍बर 2 (डी) में परिभाषित किया गया है] द्वारा की जा सकती है, जो भारत का नागरिक हो या भारत में निगमित या स्‍थापित हो। व्‍यक्तिगत रूप में कोई भी एक व्‍यक्ति एकल रूप से या अन्‍य व्‍यक्तियों के साथ संयुक्‍त रूप से चुनावी बॉण्‍डों को खरीद सकता है। केवल ऐसे राजनीतिक दल, जो जन प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 (1951 का 43) की धारा 29ए के तहत पंजीकृत हों और जिन्‍होंने पिछले आम लोकसभा चुनावों या राज्‍य विधानसभा चुनावों में डाले गये कुल मतों के एक प्रतिशत से कम मत प्राप्‍त नहीं किये हों, चुनावी बॉण्‍ड प्राप्‍त करने के पात्र होंगे। चुनावी बॉण्‍डों को कोई भी पात्र राजनीतिक दल केवल अधिकृत बैंक के किसी बैंक खाते के माध्‍यम से ही भुना सकेगा।


बिक्री के 13वें चरण में भारतीय स्‍टेट बैंक को अपनी 29 अधिकृत शाखाओं (सूची संलग्न) के माध्‍यम से चुनावी बॉण्‍डों को जारी करने तथा भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है, जिसके लिए 13 जनवरी, 2020 से 22 जनवरी, 2020 तक की अवधि तय की गई है।


उल्‍लेखनीय है कि चुनावी बॉण्ड जारी होने की तारीख से लेकर पंद्रह कैलेंडर दिनों के लिए मान्य होंगे और यदि वैधता अवधि समाप्त होने के बाद चुनावी बॉण्ड जमा किया जाता है तो किसी भी भुगतान प्राप्‍तकर्ता राजनीतिक पार्टी को कोई भुगतान नहीं किया जाएगा। किसी भी पात्र राजनीतिक दल द्वारा अपने खाते में जमा किए गए चुनावी बॉण्ड को उसी दिन उसके खाते में डाल दिया जाएगा।



सीबीडीटी ने निर्धारण वर्ष 2020-21 के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म-1 (सहज) और फॉर्म-4 (सुगम) भरने के लिए पात्रता शर्तों में ढील दी

 यह सुनिश्चित करने के लिए कि निर्धारण वर्ष 2020-21 के लिए रिटर्न भरने से जुड़ी ई-फाइलिंग व्‍यवस्‍था 1 अप्रैल, 2020 से उपलब्‍ध हो जाए, आयकर रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म यथा ‘आईटीआर-1 (सहज)’ और ‘आईटीआर-4 (सुगम)’ को अधिसूचित कर दिया गया था। इसके लिए 3 जनवरी, 2020 को जारी अधिसूचना देखें। अधिसूचित रिटर्नों में ‘आईटीआर-1’ और ‘आईटीआर-4’ फॉर्म भरने के लिए पात्रता शर्तों में ढील दी गई थी, जिसका मुख्‍य उद्देश्‍य इन फॉर्मों को संक्षिप्‍त और सरल रखना था तथा इसके लिए न्‍यूनतम संख्‍या में अनुसूचियों की जरूरत रखी गई। अत: किसी प्रॉपर्टी का संयुक्‍त स्‍वामित्‍व रखने वाले व्‍यक्ति को ‘आईटीआर-1’ अथवा ‘आईटीआर-4’ फॉर्मों को भरने का पात्र नहीं बनाया गया था। इसी कारण से एक ऐसे व्‍यक्ति को भी आईटीआर-1 फॉर्म भरने का पात्र नहीं माना गया था, जिसके लिए वैसे तो रिटर्न भरना आवश्‍यक नहीं है, लेकिन आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139 (1) के 7वें प्रावधान में उल्लिखित शर्तों को पूरा करने के कारण उसके लिए रिटर्न भरना आवश्‍यक है।


      उपर्युक्‍त अधिसूचना के बाद इस आशय की चिंताएं जताई गई हैं कि इन परिवर्तनों से व्‍यक्तिगत करदाताओं को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। किसी प्रॉपर्टी के संयुक्‍त स्‍वामित्‍व वाले करदाताओं ने यह चिंता जताई है कि उन्‍हें सरल आईटीआर-1 और आईटीआर-4 के बजाय अब विस्‍तृत आईटीआर फॉर्म भरना होगा। इसी तरह जिन लोगों के लिए आयकर अधिनियम की धारा 139 (1) के सातवें प्रावधान के अनुसार रिटर्न भरना आवश्‍यक है और जो वैसे तो आईटीआर-1 फॉर्म भरने के पात्र हैं, उन्‍होंने भी यह चिंता जताई है कि वे सरल आईटीआर-1 फॉर्म भरने का विकल्‍प नहीं चुन पाएंगे।


      इन चिंताओं को ध्‍यान में रखते हुए वैसे व्‍यक्ति को आईटीआर-1 अथवा आईटीआर-4 फॉर्म, जो भी मान्‍य हो, में अपना आयकर रिटर्न भरने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है जो किसी एकल मकान वाली प्रॉपर्टी का संयुक्‍त मालिक है, बशर्ते कि वह अन्‍य शर्तों को पूरा करता/करती हो। इसी तरह ऐसे व्‍यक्ति को भी आईटीआर-1 फॉर्म में अपना आयकर रिटर्न भरने की अनुम‍ति देने का निर्णय लिया गया है जिसके लिए आयकर अधिनियम की धारा 139 (1) के सातवें प्रावधान में निर्दिष्‍ट एक या उससे अधिक शर्तों को पूरा करने के कारण रिटर्न भरना आवश्‍यक है।    



Friday, January 10, 2020

आईएनएस सुमेधा ने सोमाली समुद्रतट के निकट फंसे जहाज का बचाव किया

आईएनएस सुमेधा फिलहाल अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती की रोकथाम के लिए तैनात है। इसने 6 जनवरी, 2020 को धाव अल-हमीद नामक जहाज के चालक दल का बचाव किया। आईएनएस सुमेधा के डेक से उड़ान भरने वाले आईएन हेलिकॉप्टर द्वारा ‘धाव’, अल-हमीद नामक लकड़ी से निर्मित पारम्परिक जहाज का पता चला, जिसके बारे में यह आश्वस्त किया गया कि यह जहाज मुसीबत में है। यह सोमालिया के समुद्रतट के पास था।



नौसेना की तकनीकी टीम के साथ एक बोर्डिंग टीम ने अल-हमीद की नियमित जांच की और उसकी सहायता की। अल-हमीद के चालक दल में 13 भारतीय नागरिक शामिल थे। तकनीकी दल के मूल्यांकन से पता चला कि धाव का मुख्य ईंजन का साफ्ट टूट गया है, जिसकी मरम्मत समुद्र में संभव नहीं है। इसके बाद धाव को सोमाली समुद्रतट से सुरक्षित ले जाया गया।


इस बीच, धाव अल-हमीद के मालिक ने धाव की मरम्मत हेतु उसे बंदरगाह तक ले जाने के लिए एक अन्य जहाज भेजा। प्रस्थान से पूर्व, भारतीय नौसेना जहाज सुमेधा ने धाव के चालक दल को शुद्ध पेयजल और चिकित्सा सामग्री उपलब्ध कराई।


पूर्वोत्तर के 8 राज्य गुजरात में अप्रैल में होने वाले माधवपुर मेले में हिस्सा लेंगे


इस वर्ष अप्रैल के पहले सप्ताह में गुजरात में आयोजित होने वाले माधवपुर मेले में पूर्वोत्तर के 8 राज्य भाग लेंगे। पोरबंदर जिले के माधवपुर घेड में यह वार्षिक मेला आयोजित किया जाता है और इस वर्ष यह रामनवमी उत्सव के एक दिन बाद 2 अप्रैल से शुरू होगा।


प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन,  परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, राज्‍य मंत्री  डॉ जितेंद्र सिंह ने आज यहां गुजरात सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक में भाग लिया और मेले की तैयारियों की समीक्षा की। इस बैठक में उत्तर पूर्वी परिषद (एनईसी) के सचिव, श्री मोसेस चालई और एनईसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा अरुणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर के रेजिडेंट आयुक्तों / प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।


 



इस मौके पर डा. सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे पूर्वोत्‍तर क्षेत्र की कला,संस्‍कृति, हस्‍तशिल्‍प , व्‍यंजनों और अन्‍य उत्‍पादों को माधवपुर के अलावा अहमदाबाद सहित गुजरात के अन्‍य हिस्‍सों में भी प्रदर्शित करने के उपाय करें। उन्‍होंने सुझाव दिया कि पूर्वोत्‍तर तथा गुजरात के बीच सांस्‍कृतिक निकटता प्रदर्शित करने के लिए विशेष रूप से एक प्रतीक चिन्‍ह बनाया जाना चाहिए और भारतीय सांस्‍कृतिक संबंध परिषद् ,क्षेत्रीय सांस्‍कृतिक केन्‍द्रों के साथ ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय का संगीत और नाटक प्रभार को राज्‍य के ऐसे ही केन्‍द्रों के साथ मिलकर सांस्‍कृतिक आयोजनों में बढ़ चढं कर भाग लेना चाहिए।  


 उन्‍होंने कहा कि माधवपुर मेले के प्रचार के लिए 1 मार्च 2020 से मल्‍टीमीडिया अभियान चलाया जाएगा। यह आयोजन प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा शुरु किए गए एक भारत श्रेष्‍ठ भारत अभियान के तहत गुजरात और पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के बीच सांस्‍कृतिक एकता का प्रतीक बनेगा।


माधवपुर मेले का संबंध अरुणाचल प्रदेश के मिशमी जनजाति से है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्‍ण का विवाह मिशमी जनजाति के राजा भिष्‍मक की पुत्री रूक्‍मणि के साथ हुआ था। यह मेला भगवान श्रीकृष्‍ण और रूक्‍मणि के विवाह के प्रतीके के रूप में मनाया जाता है। इसका वर्णन कलिका पुराण में पाया जाता है। सप्‍ताह भर चलने वाले इस आयोजन में पूर्वोत्‍तर और गुजरात की कला, संगीत,‍कविता और लोकनृत्‍यों की अनुपम छटा देखने को मिलेगी।


मेले के दौरान गुजरात के साथ ही पूर्वौत्‍तर के सभी आठ राज्‍यों के कला, हस्‍तशिल्‍प उत्‍पाद और हथकरघा उत्‍पाद प्रदर्शित किए जाएंगे।


केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को 49 से 58 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से आयातित प्याज देने की पेशकश की; केन्द्रीय उपभोक्ता कार्य मंत्री श्री रामविलास पासवान ने उपभोक्ताओं को खुदरा दर पर प्याज उपलब्ध कराने की राज्य सरकारों की आरंभिक मांग के अनुसार उन्हें आयातित प्याज खरीदने के लिए प्रेरित किया

केन्द्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री रामविलास पासवान ने देश भर में प्याज की संपूर्ण उपलब्धता और उसकी कीमतों तथा अब तक आयातित मात्रा के बारे में आज मीडिया को एक प्रेस कांफ्रेंस में जानकारी दी। श्री पासवान ने कहा कि केन्द्र सरकार ने मुंबई में उतरने वाले प्याज को 49 रुपये से लेकर 58 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से राज्य सरकारों को देने का फैसला किया है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आयात दिसम्बर के मध्य में शुरु हुआ और राज्यों से कहा गया है कि आयातित स्टॉक से आपूर्ति के लिए वे अपनी मांग का ऑर्डर दें। राज्यों ने आरंभ में 33,139 मीट्रिक टन प्याज की मांग रखी थी, जिसे घरेलू मूल्यों में कटौती और बेहतर उपलब्धता सहित विभिन्न कारणों से बाद में संशोधित कर 14,309 मीट्रिक टन कर दिया गया।


केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि एक लाख मीट्रिक टन प्याज का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन चूंकि प्याज उगाने का मौसम दुनिया भर में समाप्त हो चुका है और अंतर्राष्ट्रीय मूल्य अधिक हैं, छोटी मात्रा में एक समय के लिए ऑर्डर सोच-समझ कर दिया जा रहा है ताकि अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों में तेजी से वृद्धि न हो। केन्द्र सरकार ने आरंभिक मांग के आधार पर आयात की योजना बनाई है और वह करीब 40,000 मीट्रिक टन प्याज का ठेका कर चुकी है, जो जनवरी के अंत से पहले भारत पहुंच जाएगा। अब तक देश में 12,000 मीट्रिक टन प्याज पहुंच चुका है और राज्य सरकारों के बीच वितरण के लिए तैयार है।


श्री पासवान ने कहा कि मुख्य चिंता उपभोक्ता के हितों की रक्षा करना है और इसे सुनिश्चित करने के लिए आयात के साथ घरेलू आपूर्ति बढ़ाई गई है ताकि मूल्य कम रहे और कुल मिलाकर उपलब्धता बढ़े। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों तथा उपभोक्ताओं के बीच समन्वित प्रयास होने चाहिए ताकि उद्देश्य को हासिल करना सुनिश्चित किया जा सके। केन्द्रीय मंत्री ने सभी राज्यों से कहा कि वे उनके द्वारा आरंभ में रखी गई मांग का सम्मान करें और संबद्ध राज्यों में आयातित प्याज का वितरण करें ताकि प्याज की कीमतें कम रहें।


उपभोक्ता कार्य सचिव श्री अविनाश श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि कैबिनेट सचिव ने आज सुबह वीडियो कांफ्रेंस की ताकि उपलब्धता बढ़ाने और कीमतें कम करने के लिए राज्य में सीधे रिटेलिंग/वितरण के उद्देश्य से राज्य सरकारों को आयातित स्टॉक से अधिक प्याज खरीदने के लिए राजी कराया जा सके। उन्होंने कहा कि दिसम्बर से प्याज के मूल्यों में गिरावट आनी शुरु हो गई है, जिसके कारण राज्य सरकारों ने अपनी मांग कम की है। कैबिनेट सचिव ने असम, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु सहित 12 राज्यों से कहा कि वे अपनी आरंभिक मांग का सम्मान करें और जरूरत पड़ने पर आयातित स्टॉक से प्याज उठाएं ताकि कीमतों पर अंकुश लगा रहे।


कैबिनेट ने भारत तथा बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) के बीच स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में सहयोग के समझौता ज्ञापन को पूर्व प्रभाव से मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय तथा बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बीच समझौता ज्ञापन को पूर्व प्रभाव से मंजूरी दे दी है। इस समझौता ज्ञापन पर बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के न्‍यासी और सह अध्‍यक्ष श्री बिल गेट्स की भारत यात्रा के दौरान नवंबर 2019 में हस्‍ताक्षर किए गए थे।


समझौता ज्ञापन के तहत निम्‍नलिखित क्षेत्रों में सहयोग की व्‍यवस्‍था की गई है:- 


1.  माताओं, नवजात शिशुओं तथा बच्‍चों की मृत्‍यु दर में कमी लाने और पोषण सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए टीकाकरण तथा गुणवत्‍ता युक्‍त प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की सभी तक पहुंच को आसान और सुगम बनाना।


2.  परिवार नियोजन के तौर तरीकों और गुणवत्‍ता वाले विकल्‍प बढ़ाना । विशेष रूप से युवा महिलाओं तक ऐसे विकल्‍प उपलब्‍ध कराना जिन्‍हें आसानी से बदला जा सके।


3.  टीबी और वीएल और एलएफ जैसे संक्रामक रोगों के मामलों में कमी लाना।


4.  आबंटित बजट के इस्‍तेमाल के साथ  स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में कार्यरत मानव संसाधन के कौशल और प्रबंधन, मजबूत आपूर्ति श्रृंखला और निगरानी तंत्र के माध्‍यम से स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली को सशक्‍त बनाना।


समझौता ज्ञापन की व्‍यवस्‍थाओं को लागू करने और सहयोग के क्षेत्रों का विस्‍तृत ब्‍यौरा तय करने के लिए एक कार्यक्रम क्रियान्‍वयन समिति का गठन किया जाएगा।


कैबिनेट ने ओडिशा सरकार के दो पीएसयू के साथ गठित संयुक्‍त उद्यम कंपनी नीलांचल इस्‍पात निगम लिमिटेड में एमएमटीसी, एनएमडीसी, मेकॉन और भेल की इक्विटी हिस्‍सेदारी के रणनीतिक विनिवेश को ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने नीलांचल इस्‍पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल) में खनिज एवं धातु व्यापार निगम लिमिटेड (एमएमटीसी) (49.78 प्रतिशत), राष्‍ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) (10.10 प्रतिशत), मेकॉन (0.68 प्रतिशत) तथा भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्‍स लिमिटेड (भेल) (0.68 प्रतिशत) और ओडिशा सरकार के दो सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (पीएसयू) यथा ओडिशा औद्योगिक संवर्धन व निवेश निगम लिमिटेड (आईपीआईसीओएल) (12.00 प्रतिशत) एवं ओडिशा खनन निगम (ओएमसी) (20.47 प्रतिशत) की इक्विटी हिस्‍सेदारी का रणनीतिक विनिवेश एक ऐसे रणनीतिक खरीदार को करने को ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दे दी है, जिसकी पहचान दो चरणों वाली नीलामी प्रक्रिया के जरिए की गई है। एनआईएनएल एक संयुक्‍त उद्यम कंपनी है, जिसमें चार सीपीएसई (केन्‍द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम) यथा एमएमटीसी, एनएमडीसी, भेल तथा मेकॉन और ओडिशा सरकार के दो एसपीएसयू (राज्‍य सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम) यथा आईपीआईसीओएल तथा ओएमसी शेयरधारक हैं।


      एनआईएनएल के प्रस्‍तावित रणनीतिक विनिवेश से इसमें निहित संसाधन मुक्‍त होंगे, जिसका इस्‍तेमाल सरकार के सामाजिक क्षेत्र/विकास कार्यक्रमों का वित्‍त पोषण करने में होगा। इससे आम जनता लाभान्वित होगी। यह भी उम्‍मीद की जा रही है कि सफल रणनीतिक खरीदार इस कंपनी के विकास के लिए नया प्रबंधन/प्रौद्योगिकी/निवेश ला सकता है और इसके साथ ही यह खरीदार इस कंपनी के व्‍यावसायिक परिचालनों के विकास के लिए अभिनव तरीकों का इस्‍तेमाल कर सकता है, जिससे और भी अधिक रोजगार अवसर सृजित हो सकते हैं।  


गणतंत्र दिवस परेड के लिए तैयार भारतीय नौसेना की झांकी का अनावरण किया गया

नयी दिल्‍ली में 26 जनवरी को राजपथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में हिस्‍सा लेने वाली भारतीय नौसनो की झांकी का आज यहां  अनावरण किया गया । इस बार इस झांकी का विषय नौसेना की मूल भावना के अनुरूप ‘ इंडियन नेवी- साइलेंट, स्‍ट्रांग और स्विफ्ट’’  रखा गया है।


झांकी के अग्रिम भाग में भारतीय नौसेना की जमीन,हवा तथा पानी तीनों दिशाओं में प्रहार क्षमता को दर्शाया गया है। इसे हार्पून मिसाइलों, समुद्र में दूर तक गश्‍त लगाने वाले विमान बोइंग पी आठ, स्‍टील्‍थ डेस्‍ट्रायर , ब्रह्मोस मिसाइल , एक्‍सोसेट मिसाइल और कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी की प्रतिकृति के माध्‍यम से दर्शाया गया है।  झांकी के पिछले हिस्‍से में स्‍वदेश  निर्मित विमान वाहक पोत विक्रांत के मॉडल को कोच्चि शिपयार्ड में निर्माणाधीन अवस्‍था में दिखाया गया है। इसके साथ ही झांकी में मिग 29 लड़ाकू विमानों के मॉडल भी प्रदर्शित किए गए हैं। ये जहाज,पोत तथा हथियार नौसेना की ताकत को ही नहीं द‍र्शा रहे बल्कि मेक इन इंडिया अभियान के प्रति नौसेना की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित कर रहे हैं।


 झांकी में अपतटीय आर्थिक संपत्तियों के संरक्षण के साथ-साथ मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) प्रदान करने के मामले में नौसेना की भूमिका को  भित्ति चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। इसमें जुलाई 2014 में महालक्ष्मी एक्सप्रेस द्वारा महाराष्ट्र में चलाए गए  बाढ़ राहत अभियान, फारस की खाड़ी (ओपी संकल्प) में किए गए एस्कॉर्ट ऑपरेशन तथा समुद्र में देश के तेल रिगों का फास्ट अटैक क्राफ्ट के माध्‍यम से सुरक्षा प्रदान किया जाना दिखाया गया है।


कुल मिलाकर, झांकी का उद्देश्य नौसेना को एक विश्वसनीय और किसी भी समय देश की रक्षा के लिए तैयार  सैन्य बल के रूप में प्रदर्शित करना है, जो राष्ट्र की सेवा करने के साथ ही देश की आर्थिक संपत्ति की रक्षा करता है और संकट और प्राकृतिक आपदाओं के समय में अपने लोगों को बचाने के लिए तत्‍पर रहता है।


गणतंत्र दिवस परेड में नौसेना की इस झांकी का नेतृत्‍व करने वाले अधिकारियों से भी आज प्रेस वार्ता के दौरान सबका परिचय कराया गया।


कैबिनेट ने शांतिपूर्ण और नागरिक उद्देश्यों के लिए बाह्य अंतरिक्ष के इस्‍तेमाल और वहां खोज गतिविधियों के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और मंगोलिया के बीच समझौते को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने शांतिपूर्ण और असैन्‍य उद्देश्‍यों के लिए बाह्य अंतरिक्ष के इस्‍तेमाल और वहां खोज गतिविधियों के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और मंगोलिया के बीच हुए समझौते को मंजूरी दे दी है।


  इस समझौते पर मंगोलिया के राष्‍ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान 20 सितंबर 2019 को नयी दिल्‍ली में हस्‍ताक्षर किए गए थे।


विवरण:-


·         इस समझौते के तहत दोनों पक्ष अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा पृथ्‍वी के बारे में जानकारियां प्राप्‍त करने के लिए दूरसंवेदी प्रणाली का उपयोग, उपग्रह संचार तथा उपग्रह आधारित दिशासूचक प्रणाली, अंतरिक्ष विज्ञान और ग्रहों की खोज,अंतरिक्ष यानों, अंतरिक्ष प्रणाली तथा भू प्रणाली का उपयोग तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल के लिए सहयोग कर सकेंगे।


·         इस समझौते के तहत दोनों पक्ष एक संयुक्‍त कार्य समूह गठित कर सकेंगे। जिसमें भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के सदस्‍य और मंगोलिया के संचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी प्राधिकरण के सदस्‍य शामिल होंगे। यह कार्य समूह समझौते की व्‍यवस्‍थाएं लागू करने के तौर तरीकों और उनके लिए समय सीमा का निर्धारित करेगा।


वित्‍तीय प्रभाव :-


समझौते के तहत सहयोग की गतिविधियों पर होने वाले खर्च का फैसला दोनों पक्ष उपलब्‍ध वित्‍तीय संसाधनों और आवश्‍यकताओं के अनुरूप करेंगे।


लाभ :-


इस समझौते के माध्‍यम से दोनों देश अंतरिक्ष में प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल के लिए संयुक्‍त गतिविधियां चला सकेंगे जो आगे चलकर मानव जाति के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। इस समझौते से देश के सभी क्षेत्र लाभान्वित होंगे।


क्रियान्‍वयन रणनीति और लक्ष्‍य :-


यह समझौता दोनों पक्षों को संयुक्‍त कार्य समूह के माध्‍यम से समय बद्ध तरीके से समझौते की व्‍यवस्‍थाएं लागू करने में मदद करेगा।


 प्रभाव :-


समझौते के माध्‍यम से दोनों पक्षों को बाह्य अंतरिक्ष में खोज गतिविधियां चलाने तथा दूरसंवेदी प्रणाली, उपग्रह संचार, उपग्रह दिशासूचक प्रणाली और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में प्रौद्योगि‍की के इस्‍तेमाल के नए अवसर मिलेंगे। 


पृष्‍ठभूमि:-


भारत के अंतरिक्ष विभाग और मंगोलिया के अवसंरचना मंत्रालय ने अंतरिक्ष विज्ञान और  प्रौद्योगिकी में सहयोग तथा इनके इस्‍तेमाल के लिए 15 जनवरी 2004 को एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किए थे। इसके तहत मंगोलिया के अधिकारियों को अंतरिक्ष विज्ञान में प्रशिक्षण देने के अलावा कोई और बड़ी गतिविधि अभी नहीं हो पायी है।


समझौते की समीक्षा के बारे में जब मंगोलिया में भारत के दूतावास से संपर्क किया गया तो पता चला कि वहां का अवसंरचना विभाग खत्‍म कर दिया गया है और अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियों का काम-काज अब संचार और सूचना प्रौद्योगिकी प्राधिकरण की देख-रेख में किया जा रहा है।


दूतावास की ओर से यह जानकारी भी दी गई थी कि मंगोलिया का एक उच्‍चस्‍तरीय प्रतिनिधिमंडल सितंबर 2019 में भारत की यात्रा पर आने वाला है और अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग उसका एक अहम एजेंडा होगा। दूतावास की ओर से इसरो को एक अनुरोध भेजा गया और समझौते का मसौदा मंगाया गया ताकि उसे मंगोलिया के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी प्राधिकरण के साथ साझा किया जा सके। इसरो की ओर से मसौदा भेजे जाने के बाद मंगोलिया और भारत के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग के समझौते का नया मसौदा तैयार किया गया और जिसपर दोनों पक्षों ने अपनी सहमति दी।


वर्षांत समीक्षा 2019 – कृषि, सहकारिता और किसान कल्‍याण मंत्रालय

वर्ष 2019 के दौरान कृषि, सहकारी और किसान कल्याण मंत्रालय की प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार रहीः-


प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना की शुरुआत (पीएम-केएमवाई)


 प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 12 सितंबर, 2019 को शुरु की गई पीएम-केएमवाई योजना में 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर पात्र लघु और सीमांत किसानों को प्रति माह न्यूनतम रु 3,000 रुपये का भुगतान करने का प्रावधान है। यह स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें प्रवेश की आयु 18 से 40 वर्ष है। इसके लिए किसान की ओर से मासिक योगदान 55 से 200 रुपये के बीच रखा गया है। केंद्र सरकार पेंशन योजना में अपनी ओर से समान राशि का योगदान करेगी। इस योजना के तहत अब तक 19, 19, 802 लाभार्थियों का पंजीकरण हो चुका है।


प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की शुरुआत


प्रधान मंत्री ने 24 फरवरी, 2019 को इस योजना की शुरुआत की थी।  इस योजना के तहत प्रतिवर्ष 6,000 रुपये तीन बराबर किस्तों में लाभार्थी किसानों के खाते में सीधे डाले जाने की व्यवस्था है। योजना की शुरुआत में इसका लाभ केवल छोटे और सीमांत किसान परिवारों जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की भूमि थी, देने की व्यवस्था की गई थी। सरकार ने बाद में इसमें बदलाव किया और 1 अप्रैल 2019 से यह व्यवस्था की कि इस योजना का लाभ सभी किसानों को दिया जाएगा, चाहे उनकी जमीन कितनी भी हो। इस योजना से अब तक लगभग 8.12 करोड़ किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं। योजना के तहत अब तक 48,937 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। किसानों को स्वयं पंजीकरण कराने के लिए 'किसान कॉर्नर' लिंक के माध्यम से पीएम-किसान वेब-पोर्टल (www.pmkisan.gov.in) पर एक नई सुविधा प्रदान की गई है। आधार कार्ड के हिसाब से लाभार्थी सूची और भुगतान की स्थिति तक पहुँच बनाई जा सकती है। किसानों को सामान्य सेवा केन्द्रों के माध्यम से स्वयं पंजीकरण में किसी तरह के बदलाव की सुविधा दी गई है।


भारतीय कृषि में आमूल बदलाव के लिए मुख्यमंत्रियों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन 


"भारतीय कृषि में बड़े बदलाव के लिए मुख्यमंत्रियों की एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया। समिति की दो बैठकें 18 जुलाई, 2019 और 16 अगस्त 2019 को हुईं। इन बैठकों में कृषि क्षेत्र से संबंधित रिपोर्ट को बेहतर बनाने पर गहन विचार-विमर्श किया गया। 


खरीफ मौसम 2019-20 के लिए खरीफ की फसल तथा रबी की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया 


केंद्र सरकार ने 2019-20 के खरीफ मौसम में खरीफ फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की घोषणा की। धान का न्यूनतम समर्थम मूल्य 65 रुपये प्रति क्विंटल, ज्वार का 20 रुपये प्रति क्विंटल, बाजरा का 50 रुपये प्रति क्विंटल, रागी का 253 प्रति क्विंटल और मक्का का 60 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया। तुअर, मूंग और उड़द दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य क्रमशः 125, 75 और 100 रूपये प्रति क्विंटल बढ़ा। मूंगफली का 200 रुपये प्रति क्विंटल, सूरजमुखी की बीज का 262 रुपये प्रति क्विंटल, नाइजरसीड 63 रुपये प्रति क्विंटल, मीडियम स्टेपल कपास 105 रुपये प्रति क्विंटल, लॉन्ग रैपल कपास 100 रुपये प्रति क्विंटल, सोयबीन (पीला) द्वारा 311 रुपये प्रति क्विंटल और तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 236 प्रति क्विंटल बढ़ाया गया।


 सरकार ने रबी के मौसम 2020-21 में रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की घोषणा की। गेहूं और जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 85 रुपये से 255 रुपये प्रति क्विंटल, दालों में 325 रुपये प्रति क्विंटल, तोरिया और सरसों में 225 रुपये प्रति क्विंटल और कुसुम में 270 प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की।


ई-नैम – एक राष्ट्र एक बाजार


 ई-नैम के तहत देश की 421 नई मंडियों को मंजूरी दी गई है। इन्हें एफपीओ ई-नैम पोर्टल पर भी डाला जाने लगा है ताकि वे अपने उत्पादों को सभी के लिए प्रदर्शित कर सकें। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश के 11 जिलों में स्थित सीडब्ल्यूसी के 23 गोदामों को कृषि उपज और पशुधन विपणन (एपीएलएम) अधिनियम के तहत डीम्ड मार्केट घोषित किया गया है, जो ई-नैम पोर्टल पर इन गोदामों के माध्यम से भविष्य में व्यापार की सुविधा प्रदान करेगा।


अन्य पहल और उपलब्धियां 


पोषणयुक्त गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए देश भर में 25 बीज केंद्र को मंजूरी दी गई है और इनके लिए 723.00 लाख रुपये की पहली किस्त जारी की गई है।


चालू वर्ष (2019-20) के दौरान, आदर्श ग्राम परियोजना के तहत किसानों को 12.40 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं।


खेती में कृषि उपकरणों के इस्तेमाल के लिए 1,44,113 मशीन और उपकरण वितरित किए गए। इनके लिए चालू वर्ष (2019-20) के दौरान 2300 ऐसे केंद्र बनाए गए, जहां से किसान कृषि उपकरण किराये पर ले सकते हैं। 2019-20 के दौरान, 32,808 कृषि मशीन वितरित की गई हैं और 8662 कस्टम हायरिंग केंद्रों को फसल अवशेष प्रबंधन कार्यक्रम के तहत स्थापित किया गया। 


"सीएचसी-फॉर्म मशीनरी" के नाम से बहुभाषायी मोबाइल ऐप शुरु किया गया, जो किसानों को उनके क्षेत्र में कस्टम हायरिंग सर्विस केन्द्रों के माध्यम से किराए पर कृषि मशीनरी और उपकरण प्राप्त करने में मदद करता है। आज तक, इस मोबाइल ऐप पर 1,33,723 कृषि यंत्रों को किराए पर देने के लिए 41,992 सीएचसी पंजीकृत हैं। कुल 1,12,505 किसान इस मोबाइल ऐप पर पंजीकृत हो चुके हैं।


 चालू वर्ष (2019-20) के दौरान 73,658 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को बागवानी फसलों के दायरे में लाया गया और 59 नर्सरी स्थापित की गईं।


कैबिनेट ने भारतीय रेल को ऊर्जा के मामले में आत्म निर्भर बनाने के लिए भारत और ब्रिटेन के बीच समझौता ज्ञापन को मंज़ूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने भारतीय रेल को ऊर्जा मामले में आत्म निर्भर बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (ब्रिटेन सरकार) के साथ समझौता ज्ञापन पर 02.12.2019 को हस्ताक्षए किए जाने को अपनी मंज़ूरी दे दी है। 


क्रियान्वयन रणनीति एवं लक्ष्य


रेल मंत्रालय ने भारतीय रेल को ऊर्जा मामले में आत्म निर्भर बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (ब्रिटेन सरकार) के साथ निम्नलिखित समझौता किया है:-





    1. दोनों पक्ष भारतीय रेल को ऊर्जा सक्षम और ऊर्जा मामले में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश में उठाई जानी वाली गतिविधियों के विस्तार पर सहमत हुए हैं।

    2. दोनों में से प्रत्येक साझीदार समय-समय पर अपने देश में मौजूदा कानून, नियम, नियमन एवं राष्ट्रीय नीतियों के तहत भारतीय रेल को ऊर्जा सक्षम और ऊर्जा मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आवश्यक कदम उठाएंगे।

    3. दोनों पक्ष भारतीय रेल के लिए ऊर्जा योजना जैसे सौर एवं पवन ऊर्जा क्षेत्र, ऊर्जा सक्षमता अभ्यासों को अपनाने, ईंधन कुशलता हासिल करने, इलेक्ट्रिक वीकल चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने, बैटरी से संचालित शंटिंग लोकोमेटिव आदि पर सहमत हैं। दोनों पक्षों के बीच प्रशिक्षण कार्यक्रम, औद्योगिक दौरा, फिल्ड दौरा या सहयोग के किसी अन्य रूप जैसी विकास क्षमता बढ़ाने पर लिखिति में मंज़ूरी दी जा सकती है।

    4. साझीदार इस समझौता ज्ञापन के तहत उचित तरीके से गतिविधियों के संचलन में सहयोग करेंगे। इस समझौते में ऐसा कुछ भी नहीं होगा जो साझीदारों के बीच सहयोग के मौजूदा और भावी व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सके।

    5. साझीदार समझौता ज्ञापन में या इसके कुछ हिस्से में बदलाव या संशोधन के लिए लिखित में आग्रह कर सकते हैं। इसमें किया गया कोई भी बदलाव संशोधित समझौता ज्ञापन का हिस्सा होगा। ये बदलाव या संशोधन साझीदारों द्वारा तय की गई तारीख से लागू माने जाएंगे।

    6. समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों के अधिकृत प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद से लागू होगा और कोई भी पक्ष दूसरे पक्ष को लिखित पत्राचार के जरिए समझौते को रद्द कर सकता है। ऐसे में समझौता का रद्द होना दूसरे पक्ष को लिखित में जानकारी मिलने के छह महीने बाद से लागू माना जाएगा।

    7. समझौता ज्ञापन के रद्द होने का असर उन परियोजनाओं और/या कार्यक्रमों पर नहीं होगा जिनपर समझौता रद्द होने की तारीख से पहले ही साझीदारों में सहमति बन गई थी। इनपर सहयोग के क्षेत्र और उनके प्रारुप जारी रहेंगे।

    8. साझीदारों के बीच किसी भी तरह के विवाद या मतभेद आपसी विमर्श और बातचीत से सुलझाए जाएंगे।      




पृष्ठभूमि


रेल मंत्रालय ने ऊर्जा क्षेत्र में विकास के लिए तकनीकि, नीति, अनुसंधान, और व्यावसायिक पहलुओं में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापनों/बदलावों का प्रबंधन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ढांचागत सुधार को सहारा देना और इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड से अक्षय ऊर्जा को जोड़ना है। इसका खास उद्देश्य पहले से अधिक सतत और समेकित आर्थिक वृद्धि, बेहतर ऊर्जा सुरक्षा और कम कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना है। 


भारतीय रेल के लिए यह समझौता ज्ञापनों/बदलावों का प्रबंधन रेल क्षेत्र में नवीनतम विकास और जानकारी को साझा करने का मंच प्रदान करता है। यह समझौता ज्ञापन/बदलावों का प्रबंधन तकनीकी विशेषज्ञता, रिपोर्ट, तकनीकी दस्तावेजों, प्रशिक्षण का विनिमय और अक्षय ऊर्जा जैसे विशेष प्रौद्योगिकी क्षेत्रों पर सेमीनार/कार्यशालाएं आयोजित करने और जानकारी साझा करने का मंच मुहैया कराता है। 


प्रधानमंत्री ने केन्‍द्रीय बजट 2020 के लिए विचार एवं सुझाव आमंत्रित किए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने केन्‍द्रीय बजट 2020 के लिए MYGov. पर विचार एवं सुझाव आमंत्रित किए हैं।


उन्‍होंने कहा, ‘केन्‍द्रीय बजट 130 करोड़ भारतीय लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्‍व करता है और भारत के विकास का मार्ग प्रशस्‍त करता है। मैं आप सभी को इस वर्ष के बजट के लिए MyGov. पर अपने विचार एवं सुझाव साझा करने के लिए आमंत्रित करता हूं।’


वित्‍त वर्ष 2019-20 के लिए राष्‍ट्रीय आय के प्रथम अग्रिम अनुमान

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के राष्‍ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने चालू वित्‍त वर्ष के लिए राष्‍ट्रीय आय के प्रथम अग्रिम अनुमान स्थिर मूल्यों (2011-12) और वर्तमान मूल्यों दोनों पर ही जारी किए हैं। इन अनुमानों से जुड़ी मुख्‍य बातों का उल्‍लेख नीचे किया गया है:


 स्थिर मूल्‍यों (2011-12) पर अनुमान


सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी)


वित्‍त वर्ष 2019-20 में स्थिर मूल्‍यों (2011-12) पर वास्‍तविक जीडीपी या जीडीपी 147.79 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 के लिए जीडीपी का अनंतिम अनुमान 140.78 लाख करोड़ रुपये था। वित्‍त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की वास्‍तविक वृद्धि दर 5.0 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 में जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत थी।


मूल या बुनियादी मूल्‍यों पर सकल मूल्‍य वर्धित (जीवीए)


चालू वित्‍त वर्ष में मूल अथवा बुनियादी मूल्‍यों पर वास्‍तविक जीवीए के बढ़कर 135.40  लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 में यह 129.07 लाख करोड़ रुपये था। अत: वास्‍तविक जीवीए की वृद्धि दर पिछले वित्‍त वर्ष के 6.6 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2019-20 में 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।


जिन आर्थिक गतिविधियों ने 4.9 फीसदी से ज्‍यादा की वृद्धि दर दर्ज की है, उनमें विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्‍य उपयोगी सेवाओं’; ‘व्‍यापार, होटल, परिवहन, संचार एवं प्रसारण से जुड़ी सेवाएं’; ‘वित्‍तीय, अचल संपत्‍ति एवं प्रोफेशनल सेवाएं’ और ‘लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएं’ शामिल हैं। इन सेवाओं की वृद्धि दर क्रमश: 5.4, 5.9, 6.4 और 9.1 प्रतिशत आंकी गई है। ‘कृषि,  वानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन’, ‘खनन एवं उत्‍खनन’, ‘विनिर्माण’ और ‘निर्माण’ की वृद्धि दर क्रमश: 2.8, 1.5, 2.0,  और 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।


कृषि, वानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन


वित्‍त वर्ष 2019-20 में मूल या बुनियादी मूल्‍यों पर इस सेक्‍टर से संबंधित जीवीए की वृद्धि दर 2.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि यह वृद्धि दर वित्‍त वर्ष 2018-19 में 2.9 प्रतिशत थी। कृषि,  वानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन’ सेक्‍टर के कुल जीवीए में फल-सब्जियों सहित फसलों की हिस्‍सेदारी लगभग 56 प्रतिशत, पशुधन उत्‍पादों की हिस्‍सेदारी 30 प्रतिशत और वानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन की हिस्‍सेदारी 14 प्रतिशत आंकी गई।


खनन एवं उत्‍खनन  


वित्‍त वर्ष 2019-20 में मूल या बुनियादी मूल्‍यों पर इस सेक्‍टर से संबंधित जीवीए की वृद्धि दर 1.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि यह वृद्धि दर वित्‍त वर्ष 2018-19 में 1.3 प्रतिशत थी। खनन सेक्‍टर के महत्‍वपूर्ण संकेतकों अर्थात कोयला, कच्‍चा तेल एवं प्राकृतिक गैस के उत्‍पादन ने वित्‍त वर्ष 2019-20 की अप्रैल-नवम्‍बर अवधि के दौरान क्रमश: (-) 5.3, (-) 5.9 और (-)2.6 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 की अप्रैल-नवम्‍बर अवधि के दौरान ये दरें क्रमश: 9.0, (-) 3.6, तथा (-) 0.7 प्रतिशत दर्ज की गई थीं। धात्विक खनिजों के औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में अप्रैल-अक्‍टूबर, 2019-20 के दौरान 13.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि वर्ष 2018-10 की समान अवधि के दौरान यह वृद्धि दर 2.6 प्रतिशत थी।


विनिर्माण


वित्‍त वर्ष 2019-20 में बुनियादी मूल्‍यों पर इस सेक्‍टर से संबंधित जीवीए की वृद्धि दर 2.0 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि यह वृद्धि दर वित्‍त वर्ष 2018-19 में 6.9 प्रतिशत थी। आईआईपी विनिर्माण ने अप्रैल-अक्‍टूबर, 2019-20 में 0.6 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है।


विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्‍य उपयोगी सेवाओं’


वित्‍त वर्ष 2019-20 में मूल या बुनियादी मूल्‍यों पर इस सेक्‍टर से संबंधित जीवीए की वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि यह वृद्धि दर वित्‍त वर्ष 2018-19 में 7.0 प्रतिशत थी। इस सेक्‍टर के महत्‍वपूर्ण संकेतक अर्थात विद्युत आईआईपी ने अप्रैल-अक्‍टूबर, 2019-20 में 1.6 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है।


निर्माण


वित्‍त वर्ष 2019-20 में बुनियादी मूल्‍यों पर इस सेक्‍टर से संबंधित जीवीए की वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि यह वृद्धि दर वित्‍त वर्ष 2018-19 में 8.7 प्रतिशत थी। निर्माण क्षेत्र के महत्‍वपूर्ण संकेतकों यथा सीमेंट उत्‍पादन और तैयार इस्‍पात की खपत ने अप्रैल-नवम्‍बर 2019-20 के दौरान क्रमश: (-) 0.02 तथा 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।


प्रति व्‍यक्ति आय


वित्‍त वर्ष 2019-20 के दौरान वास्‍तविक अर्थों (2011-12 के मूल्‍यों पर) में प्रति व्‍यक्ति आय के बढ़कर 96,563 रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 92,565 रुपये था। वित्‍त वर्ष 2019-20 के दौरान प्रति व्‍यक्ति आय की वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि पिछले वर्ष यह वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत थी। 


वर्तमान मूल्‍यों पर अनुमान


वित्‍त वर्ष 2019-20 में वर्तमान मूल्‍यों पर जीडीपी के बढ़कर 204.42 लाख करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 में यह  आंकड़ा 190.10 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। इस तरह यह वित्‍त वर्ष 2019-20  के दौरान 7.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर को दर्शाता है।


राष्‍ट्रीय आय


वित्‍त वर्ष 2019-20 के दौरान सांकेतिक शुद्ध राष्‍ट्रीय आय (एनएनआई), जो राष्‍ट्रीय आय (वर्तमान मूल्‍यों पर) के रूप में भी जानी जाती है, के बढ़कर 181.10 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 168.37 लाख करोड़ रुपये था। वित्‍त वर्ष 2019-20 में राष्‍ट्रीय आय की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि पिछले वर्ष यह वृद्धि दर 11.3 प्रतिशत थी।


प्रति व्‍यक्ति आय


वित्‍त वर्ष 2019-20 के दौरान प्रति व्‍यक्ति शुद्ध राष्‍ट्रीय आय 1,35,050 रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जो वित्‍त वर्ष 2018-19 के 1,26,406 रुपये की तुलना में 6.8 प्रतिशत अधिक है। वित्‍त वर्ष 2018-19 के दौरान प्रति व्‍यक्ति शुद्ध राष्‍ट्रीय आय की वृद्धि दर 10.0 प्रतिशत रही थी।     


 


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