Tuesday, January 14, 2020

जेएनयू में फीस का मुद्दा खत्म हो चुका है, विद्यार्थियों का आंदोलन अनावश्यक : श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

जेएनयू के फीस संबंधित मामले को संस्थान के विद्यार्थियों और शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की चर्चाओं के बाद सुलझा लिया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आंदोलनकारी जेएनयू विद्यार्थियों से मुलाकात के दौरान मामले को देखने का आश्वासन दिया था, जिसके बाद श्री पोखरियाल के मार्गदर्शन में मंत्रालय ने एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था। समिति के सदस्‍यों में विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्‍यक्ष श्री वी.एस.चौहान, एआईसीटीई के अध्‍यक्ष श्री अनिल सहस्रबुद्धे और विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव श्री रजनीश जैन शामिल थे।


इस उच्चस्तरीय कमेटी ने जेएनयू में सामान्य कामकाज को बहाल करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को सभी हितधारकों के साथ बातचीत करके समाधान निकालने की सलाह दी थी। उच्‍चाधिकार समिति की सिफारिशों और विद्यार्थियों व जेएनयू प्रशासन के प्रति‍निधियों के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव की 10 और 11 दिसंबर को हुई बैठक के आधार पर सहमति बनी थी कि विद्यार्थियों से विंटर सीजन में रजिस्ट्रेशन के लिए कोई यूटिलिटी और सर्विस चार्ज नहीं लिया जाएगा। हालांकि, बदले हॉस्टल रूम चार्ज लागू होंगे लेकिन इसमें बीपीएल के विद्यार्थियों को 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। इसके परिणाम स्वरूप जेएनयू ने बैठक में बनी सहमति पर लिए गए फैसलों के बारे में विद्यार्थियों को सूचित कर दिया था। ऐसे में फीस का मुद्दा अब खत्म हो चुका है क्योंकि विद्यार्थियों की प्रमुख मांग मान ली गई है। इसी का परिणाम है कि अब तक पांच हजार से अधिक विद्यार्थियों ने अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है।


    मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने समय-समय पर छात्रों का आह्वान किया है कि वे अपना आंदोलन समाप्‍त करें। श्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि जेएनयू में विद्यार्थियों से रजिस्ट्रेशन के लिए कोई यूटिलिटी और सर्विस चार्ज नहीं लिया जा रहा है, ऐसे में फीस का मुद्दा अब निरर्थक है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों द्वारा किया जा रहा आंदोलन अनावश्यक और राजनीति से प्रेरित है। श्री पोखरियाल ने कहा कि हम जेएनयू को प्रमुख अकादमिक व अनुसंधान संस्‍थान बनाए रखने के लिए संकल्पित हैं। श्री पोखरियाल ने यह आह्वान भी किया है कि उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों को राजनीति का अखाड़ा न बनने दिया जाए। 



भारतीय नौसेना उन्नत ईंधन एचएफएचएसडी-आईएन 512 प्राप्त करेगी

नई प्रौद्योगिकीय उपकरण के साथ तालमेल कायम करने तथा समसामयिक उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने के लिए ईंधन की गुणवत्ता से संबंधित मानदंडों की समीक्षा करना भारतीय नौसेना के लिए उपलब्धि का एक प्रमुख क्षेत्र रहा है। पेट्रोलियम उद्योग में प्रौद्योगिकी तथा शोधन की तकनीकों के आगमन से अधिक विशेषताओं से युक्त ईंधन की बेहतर गुणवत्ता एक अनिवार्यता बन गई है। इसलिए डीजलों के लिए तकनीकी विशेषता में निरंतर सुधार लाना एक प्राथमिक क्षेत्र है।


देश के पेट्रोलियम उद्योग के पास मौजूद लाभदायक प्रौद्योगिकी तथा उन्नत शोधन तकनीकों के बल पर, भारतीय नौसेना ने मेसर्स आईओसीएल के साथ सहयोगपूर्वक मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय नियमनों (आईएसओ, मारपोल, नाटो आदि) का व्यापक अध्ययन तथा तुलनात्मक मूल्यांकन किया। इसके परिणामस्वरूप, सीटैन नंबर, फ्लैश प्वाइंट, सल्फर कंटेंट, सेडिमेंट कंटेंट, ऑक्सीडेशन स्टेबलिटी और कोल्ड फिल्टर प्लगिंग प्वाइंट सहित 22 परीक्षण मानदंडों से बने एक संशोधित तकनीकी विशेषता तक पहुंच कायम हो पाई। इस नई विशेषता से ईंधन के बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित होने के साथ-साथ कार्बन फुटप्रिंट में कमी भी होगी।


रिफाइनरी यूनिटों के उन्नयन के बाद मेसर्स आईओसीएल ने भारतीय नौसेना के प्लेटफार्मों के लिए उत्पाद की सीमित आपूर्ति शुरू की, जिसके बाद मशीनी निष्पादन की जांच एवं स्वीकार्यता परीक्षण किए गए। ईंधन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार पाया गया। सकारात्मक परिणाम मिलने से संपूर्ण नौसेना के लिए नए ईंधन को लागू करने का निर्णय लिया गया। 13 जनवरी, 2020 को, संशोधित तकनीकी विशेषताओं वाले नए ईंधन (हाई फ्लैश हाई स्पीड डीजल) एचएफएचएसडी – आईएन 512 की शुरुआत की गई।


नए ईंधन की सफलतापूर्वक शुरूआत होना एक विशाल संभावना सहित एक ऐतिहासिक अवसर है। इस प्रयास से आगामी वर्षों में भारतीय तटरक्षक एवं अन्य व्यापारिक मरीन जैसे देश में मेसर्स आईओसीएल के अन्य उपभोक्ताओं को भी लाभ मिलेगा। यह उपलब्धि भारतीय नौसेना के साथ युद्धाभ्यासों के दौरान भारतीय बंदरगाहों पर सभी विदेशी नौसेना जहाजों के लिए गुणवत्तापूर्ण ईंधन की उपलब्धता के साथ एक नई ऊंचाई का भी प्रतीक होगी।     


 



नौसेना के हल्के युद्धक विमान ने प्रमुख प्रौद्योगिकीय उपलब्धि प्राप्त की

नौसेना विमानवाहक आईएनएस विक्रमादित्य पर 11 जनवरी, 2020 को सफल लैंडिंग करके नौसेना के हल्के युद्धक विमान (एलसीए) एमके-1 ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर तय किया है। कमाडोर जे.ए. मावलंकर इस विमान के पायलट थे, जिन्होंने आज 12 जनवरी, 2020 को विमानवाहक से मैडेन स्की जम्प टेक ऑफ भी किया।


एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक, एलसीए (नौसेना) का इससे पहले गोवा के नौसेना वायु स्टेशन पर शोर बेस टेस्ट फैसिलिटी में व्यापक जांच के दौरान सफल परीक्षण किया गया है।


इस अद्भुत कार्य के पूरा होने से, विशेष तौर पर डेक आधारित युद्ध संचालन के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियां प्रमाणित हुई हैं, जिससे भारतीय नौसेना के लिए दोहरे ईंजन वाला डेक आधारित युद्धक के विकास और निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा। ऐसी आशा है कि 2026 तक विमानवाहकों से यह गर्व से उड़ान भर सकेगा।


इस ऐतिहासिक उपलब्धि से राष्ट्र की आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में हमारे वैज्ञानिकों, अभियंताओं तथा नौसेना उड़ान परीक्षण समुदाय की क्षमता बढ़ाने में एडीए, एचएएल, सेमीलैक और भारतीय नौसेना सहित विभिन्न एजेंसियों के बीच व्यावसायिक प्रतिबद्धता एवं तालमेल का पता चलता है।    



उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर दिसंबर, 2019 में 7.35 फीसदी रही

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने आज दिसंबर, 2019 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी किए। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सीपीआई आधारित महंगाई दर 7.26 फीसदी (अनंतिम) रही, जो दिसंबर, 2018 में 1.50 फीसदी थी। इसी तरह शहरी क्षेत्रों के लिए सीपीआई आधारित महंगाई दर दिसंबर, 2019 में 7.46 फीसदी (अनंतिम) आंकी गयी, जो दिसंबर, 2018 में 2.91 फीसदी थी। ये दरें नवंबर, 2019 में क्रमशः 5.27 तथा 5.76 फीसदी (अंतिम) थीं।


केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने आज दिसंबर, 2019 के लिए उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े भी जारी किए। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सीएफपीआई आधारित महंगाई दर 12.96 फीसदी (अनंतिम) रही जो दिसंबर, 2018 में (-) 2.99 फीसदी थी। इसी तरह शहरी क्षेत्रों के लिए सीएफपीआई आधारित महंगाई दर दिसंबर, 2019 में 16.12 फीसदी (अनंतिम) आंकी गई जो दिसंबर, 2018 में (-) 1.89 फीसदी थी। ये दरें नवंबर, 2019 में क्रमशः 8.83 तथा 12.26 फीसदी (अंतिम) थीं।


अगर शहरी एवं ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों पर समग्र रूप से गौर करें तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर दिसंबर, 2019 में 7.35 फीसदी (अनंतिम) आंकी गई है, जो दिसंबर, 2018 में 2.11 फीसदी (अंतिम) थी। वहीं, सीपीआई पर आधारित महंगाई दर नवंबर, 2019 में 5.54 फीसदी (अंतिम) थी। इसी तरह यदि शहरी एवं ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों पर समग्र रूप से गौर करें, तो उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) पर आधारित महंगाई दर दिसंबर, 2019 में 14.12 फीसदी (अनंतिम) रही है, जो दिसंबर, 2018 में (-) 2.65 फीसदी (अंतिम) थी। वहीं, सीएफपीआई पर आधारित महंगाई दर नवंबर, 2019 में 10.01 फीसदी (अंतिम) थी।


सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के राष्‍ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने उपभोक्ता‍ मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के लिए आधार वर्ष को 2010=100 से संशोधित करके 2012=100 कर दिया है। यह संशोधन जनवरी 2015 के लिए सूचकांकों को जारी किए जाने से प्रभावी किया गया है।



श्री गडकरी राष्‍ट्रीय राजमार्ग उत्‍कृष्‍टता पुरस्‍कार-2019 प्रदान करेंगे

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा एमएसएमई मंत्री श्री नितिन गडकरी 14 जनवरी, 2020 को नई दिल्‍ली में राष्‍ट्रीय राजमार्ग सेक्‍टर में शानदार प्रदर्शन करने वालों को राष्‍ट्रीय राजमार्ग उत्‍कृष्‍टता पुरस्‍कार-2019 प्रदान करेंगे।


इन पुरस्‍कारों की शुरूआत 2018 में की गई थी। उस समय इन पुरस्‍कारों के लिए देशभर से भारी संख्‍या में भागीदारी हुई थी। पहले पुरस्‍कार की कामयाबी के बाद मंत्रालय ने तय किया कि राष्‍ट्रीय राजमार्ग उत्‍कृष्‍टता पुरस्‍कारों को वार्षिक आधार पर प्रदान किया जाए। ये पुरस्‍कार उन कंपनियों को दिये जाते है, जो राजमार्गों के विकास के लिए सड़क निर्माण, संचालन, रखरखाव और सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करती है।


इस वर्ष पुरस्‍कारों के लिए नामांकन 19 अगस्‍त, 2019 को शुरू किया गया। इसके लिए निष्‍पक्ष और स्‍वतंत्र मूल्‍यांकन प्रक्रिया का पालन किया गया है।


पुरस्‍कारों की श्रेणियां इस प्रकार हैं –



  1. परियोजना प्रबंधन में उत्‍कृष्‍टता – सभी परियोजना लक्ष्‍यों के लिए बेहतर मानकों और सुचारू कार्यान्‍वयन के संबंध में संसाधनों का कारगर इस्‍तेमाल। ईपीसी और पीपीपी आधार पर परियोजना कार्यान्‍वयन के लिए दो उप-श्रेणियां रखी गई हैं।

  2. परिचालन और रखरखाव में उत्‍कृष्‍टता – मरम्‍मत, समय-समय पर निगरानी, विशेष ढांचों का रखरखाव, प्राकृतिक माहौल और सड़क की बेहतर गुणवत्‍ता का ध्‍यान रखा जाना, राजमार्ग के किनारे फुटपाथ की गुणवत्‍ता भी इसमें शामिल हैं।

  3. टोल प्रबंधन में उत्‍कृष्‍टता – टोल प्‍लाजा पर यातायात और सेवाओं का कारगर प्रबंधन। इसमें डिजिटल भुगतान, ऑटोमेटिक टोल गेट, सीसीटीवी निगरानी, आपातकालीन सेवाएं, हरित पट्टी और स्‍वच्‍छ मापदंड शामिल हैं।

  4. राजमार्ग सुरक्षा में उत्‍कृष्‍टता – सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने, रोकथाम वाले सुरक्षा उपायों को स्‍थापित करने और आपातकालीन सेवाएं प्रदान करने के लिए उत्‍कृष्‍ट प्रयास। इसके लिए पहाड़ी और मैदानी क्षेत्र के रूप में दो उप-श्रेणियां हैं।

  5. नवाचार – निर्माण संबंधी नई प्रौद्योगिकी को अपनाने या बनाने या डिजाइन करने के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय उपलब्धि, जिससे सड़क विकास परियोजनाओं में गुणवत्‍ता, उन्‍हें समय पर पूरा करने, सस्‍ती दरों पर उनका निर्माण, सुरक्षा इत्‍यादि को बढ़ाने में मदद मिले।

  6. चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में शानदार काम – सख्‍त प्राकृतिक क्षेत्र, जटिल, शहरी संरचना, चुनौतीपूर्ण जलवायु या तनावपूर्ण क्षेत्रों में व्‍याप्‍त चुनौतीपूर्ण माहौल को देखते हुए राजमार्ग अवसंरचना के विकास के लिए किये जाने वाले विशेष उपाय। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय देश भर में सड़क सम्‍पर्कता प्रदान करने के लिए समर्पित है। इसे ध्‍यान में रखते हुए भूगोलिक रूप से मुश्किल क्षेत्रों और सख्‍त जलवायु परिस्थितियों में राजमार्गों का विकास किया जा रहा है। इसके लिए एजेंसियों को प्रेरित करने के संबंध में पुरस्‍कारों की इस श्रेणी की शुरूआत की गई है।

  7. हरित राजमार्ग – प्राकृतिक वातावरण को सुरक्षित बनाने या उन्‍हें उन्‍नत करने तथा पर्यावरण पर परियोजना विकास के प्रभाव को कम करने के मद्देनजर अपनाये जाने वाले नवाचारी व्‍यवहार इस वर्ष हरित राजमार्ग संबंधी एक नई श्रेणी शुरू की गई है, जिसका उद्देश्‍य राजमार्ग अवसंरचना के विकास में प‍र्यावरण अनुकूल काम करना शामिल हैं। इसके तहत स्‍वस्‍थ हरित आवरण के रखरखाव के प्रयासों को प्रोत्‍साहित करना है।


हर श्रेणी के पुरस्‍कार की अपनी निर्धारित पात्रता है, जिसके लिए मूल्‍यांकन मानदंड तय किये गये है। इस वर्ष सातों श्रेणियों के लिए 104 आवेदन प्राप्‍त हुए हैं। ये सभी आवेदन एनआईसी द्वारा विकसित ऑनलाइन आवेदन प्‍लेटफॉर्म के जरिये प्राप्‍त हुए हैं। आवेदनों का मूल्‍यांकन तीन महीनों में पूरा कर लिया गया है। सर्वोच्‍च 40 परियोजनाओं के विषय में विस्‍तृत लेखा-जोखा निर्णायक मंडल को पेश किया गया। निर्णायक मंडल ने प्रत्‍येक परियोजनाओं के प्रारूप की जांच की और सातों श्रेणियों में 12 विजेताओं के नामों को अंतिम रूप दिया।


फास्‍टैग प्रौद्योगिकी के बेहतरीन कार्यान्‍वयन के लिए टोल प्राधिकारों को भी पुरस्‍कृत किया जाएगा।



अंतर्राष्‍ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने भारत की ऊर्जा नीतियों की पहली गहन समीक्षा की

नीति आयोग के साथ साझेदारी में, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने आज भारत की ऊर्जा नीतियों की पहली गहन समीक्षा जारी की है। इस रिपोर्ट में भारत की ऊर्जा नीतियों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है। इस रिपोर्ट में सरकार के लक्ष्यों को अच्छी तरह से काम करने वाले ऊर्जा बाजारों और नवीकरणीय ऊर्जा की तैनाती को बढ़ावा देने के लिए बारे में सिफारिशें की गई हैं।


आईईए के कार्यकारी निदेशक डॉ. फतह बिरोल ने श्री प्रल्हाद जोशी (कोयला मंत्री), श्री धर्मेन्द्र प्रधान (पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री और इस्पात मंत्री), आर.के. सिंह (ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री), डॉ. राजीव कुमार (उपाध्यक्ष,  नीति आयोग), श्री अमिताभ कांत (नीति आयोग के सीईओ), प्रमुख ऊर्जा सचिवों, राजदूतों और थिंक टैंक की उपस्थिति में इस समीक्षा के मुख्‍य निष्‍कर्षों को प्रस्‍तुत किया।


आईईए नियमित रूप से अपने सदस्यों और एसोसिएशन देशों के लिए ऊर्जा नीतियों की गहन समीक्षा आयोजित करती हैं। भारत के लिए यह पहली समीक्षा है। नीति आयोग के विशेष सचिव श्री आर.पी. गुप्ता ने आईईए की कड़ी मेहनत की सराहना की। उन्होंने कहा, 'जैसा कि भारत अपने ऊर्जा क्षेत्र के उल्लेखनीय विकास और मेहनत पर आधारित है, यह गहन समीक्षा प्रत्येक ऊर्जा नीति क्षेत्र में सिफारिशों की एक सीमा निर्धारित करके सरकार को अपने ऊर्जा उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करेगी।'


नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, ‘स्पष्ट लक्ष्यों से देश अपने सभी नागरिकों को लिए सस्ती, सुरक्षित और स्वच्छ ऊर्जा उपलब्‍ध कराने की दिशा में शानदार प्रयास कर रहा है और अपनी आकांक्षाओं की दिशा में आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।' भारत जो ऊर्जा विकल्प बनाता है वे भारतीय नागरिकों के साथ-साथ ग्रह के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण होंगे, जिसका आईईए की 2019 की मंत्रिस्तरीय बैठक में प्रदर्शन किया गया।


आईईए की रिपोर्ट ऊर्जा बाजार में सुधार और नवीकरणीय तकनीकों की तेजी से तैनाती के लिए सौभाग्‍य, उजाला और उज्‍ज्‍वला जैसी ऐतिहासिक योजनाओं के माध्यम से रिकॉर्ड समय में नागरिकों की पहुंच, बिजली, सस्ती कुशल प्रकाश व्यवस्था और स्वच्छ खाना पकाने में अर्जित उपलब्धियों पर भारत सरकार को बधाई देती है। रिपोर्ट में भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की मजबूत प्रगति पर प्रकाश डाला गया है, जिसका देश की कुल स्थापित क्षमता में लगभग 23% योगदान है। समीक्षा में यह भी पाया गया कि भारत में ऊर्जा दक्षता में हुए सुधार ने 15% अतिरिक्त ऊर्जा मांग, तेल और गैस के आयात और वायु प्रदूषण के साथ-साथ 2000 से 2018 के बीच 300 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्‍साइड के उत्सर्जन से बचा लिया है।


भारत वैश्विक ऊर्जा प्रवृत्तियों में तेजी से प्रभावशाली होता जा रहा है। आईईए की रिपोर्ट के अनुसार, देश की ऊर्जा की मांग 2040 तक दोगुनी हो सकती है और इसकी बिजली की मांग तीन गुना हो सकती है।


आईईए बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा की नीलामी, निजी कंपनियों के लिए कोयला खनन खोलने और विदेशी निवेशकों की तेल और गैस बाजार तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए तैयार की गई नीतियों का स्वागत करता है। रिपोर्ट में कोयला, गैस और बिजली जैसे क्षेत्रों में खुले और अच्छी तरह से काम करने वाले ऊर्जा बाजारों को बढ़ावा देने के भारत के लक्ष्य के लिए किये जाने वाले सुधारों में कई तरह की सिफारिशें की हैं। इनमें बिना-भेदभाव वाली पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मजबूत नियामक का निर्माण, राज्य आवंटन से बाजार मूल्य निर्धारण और ऊर्जा सब्सिडी को और अधिक तर्कसंगत बनाना शामिल है। यह समीक्षा भारत को एक राष्ट्रीय ऊर्जा नीति ढांचे के साथ पूरे भारत में ऊर्जा नीति के समन्वय को संस्थागत बनाने के लिए मजबूती से प्रोत्साहित करती है।


ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने रिपोर्ट के लॉन्च के लिए आईईए और नीति आयोग को बधाई दी। कोयला मंत्री श्री जोशी ने कहा कि अमिताभ कांत और डॉ. राजीव कुमार के सहयोग से भारत ने हाल ही में वाणिज्यिक खनन कार्य शुरू किए हैं। एनईए की रिपोर्ट ऊर्जा क्षेत्र में हमारे भविष्य की कार्रवाई के लिए बहुत सहायक होगी। '


पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री प्रधान ने कहा कि नीति आयोग ने पहले ही एक राष्ट्रीय ऊर्जा रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है, और मैं एक वार्षिक कार्यक्रम का प्रस्ताव करना चाहता हूं जहां नीति आयोग और आईईए मिलकर वैश्विक ऊर्जा हितधारकों के साथ मिलकर एक ऊर्जा संवाद कर सकते हैं।


नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉ. कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के ऊर्जा लक्ष्‍यों को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच नीतियों मजबूत समन्वय और लक्ष्‍यों के बिना अर्जित नहीं किया जा सकता। यह रिपोर्ट देश के नागरिकों के लिए सुरक्षित और सतत ऊर्जा पहुंच अर्जित करने के लिए रणनीतियों को तैयार करने में मदद करेगी।



एमएमडीआर अधिनियम और सीएमएसपी अधिनियम में संशोधन के लिए अध्‍यादेश जारी

      एमएमडीआर अधिनियम 1957 और सीएमएसपी अधिनियम 2015 में संशोधन के लिए अध्‍यादेश जारी कर दिया गया है। इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोयला एवं खनन सेक्‍टर में विकास के नए क्षेत्रों को खोलने के उद्देश्‍य से संशोधनों को मंजूरी दी थी।


      इन अधिनियमों में संशोधन से निम्‍नलिखित बदलाव संभव हो पाएंगे:


ए) कारोबार में सुगमता को बढ़ावा मिलेगा।


बी) निवेश के इच्‍छुक किसी भी व्‍यक्ति के लिए कोयला खनन सेक्‍टर को खोल देने से इसका लोकतंत्रीकरण होगा।


सी) पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन लीज (पीएल-सह-एमएल) के जरिए खनन के लिए बिना तलाशे गए एवं आंशिक रूप से तलाशे गए कोयला ब्‍लॉकों की पेशकश की जा सकेगी।


डी) भागीदारी के लिए पाबंदी एवं पात्रता पैमाना समाप्‍त कर कोयला खनन सेक्‍टर में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा मिलेगा।


ई) इसकी सहयोगी कंपनी अथवा होल्डिंग कंपनी के किसी भी संयंत्र में खनन किए गए कोयले का उपयोग करने के लिए सफल बोलीदाता/आवंटी को अनुमति दी जा सकेगी।    


एफ) अंतिम उपयोग से जुड़ी पाबंदी हटा देने से कोयला खनन सेक्‍टर में व्‍यापक निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा।


 


संबंधित विवरण नीचे दिया गया है:


कोयला मंत्रालय के संदर्भ में संशोधन


संशोधन 1: समग्र पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन लीज (पीएल-सह-एमएल) के लिए कोयला ब्‍लॉकों के आवंटन का प्रावधान करना


इससे पहले, कोयला/लिग्नाइट के संदर्भ में समग्र पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन लीज (पीएल-सह-एमएल) को मंजूरी देने का कोई प्रावधान नहीं था। किसी भी कोयला/लिग्‍नाइट ब्‍लॉक को या तो पीएल या एमएल के लिए आवंटित किया जा सकता था। संशोधन से समग्र पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन लीज (पीएल-सह-एमएल) के लिए कोयला ब्‍लॉकों का आवंटन करना संभव हो गया है जिससे आवंटन के लिए कोयला/लिग्‍नाइट ब्‍लॉकों की विस्‍तृत सूची (इन्वेंट्री) को बढ़ाने में मदद मिलेगी। विशाल भौगोलिक क्षेत्र में फैले विभिन्‍न श्रेणियों वाले कोयला ब्‍लॉक अब आवंटन के लिए उपलब्‍ध हो जाएंगे।


इसमें सीएमएसपी अधिनियम की धारा 4(2), 5(1), 8(4), 8(8), 8(9) एवं 31(2)(बी) और एमएमडीआर अधिनियम की धारा 11ए एवं 13(2) शामिल हैं।


संशोधन 2:  आवंटन के उद्देश्‍य को निर्दिष्‍ट करने संबंधी केंद्र सरकार के अधिकार को स्‍पष्‍ट करना और यह बताना कि कोई भी कंपनी इसमें हिस्‍सा ले सकती है


इससे पहले इन अधिनियमों के प्रावधानों की भाषा में स्‍पष्‍टता का अभाव था जिससे नीलामी के तहत पात्रता से संबंधित शर्तों की प्रतिबंधात्मक व्याख्या हुआ करती थी। अब यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि नीलामी/आवंटन के जरिए चयनित कोई भी कंपनी स्‍वयं की खपत, बिक्री अथवा किसी भी अन्‍य उद्देश्‍य, जैसा कि केंद्र सरकार निर्दिष्‍ट कर सकती है, की पूर्ति के लिए कोयला खनन से जुड़ा काम कर सकती है। इससे अब नीलामी में व्‍यापक भागीदारी और प्रतिस्‍पर्धा संभव हो पाएगी।  


अत: ऐसी कंपनियां भी अब कोयला/लिग्‍नाइट ब्‍लॉकों की नीलामी में भाग ले सकती हैं जिनके पास भारत में कोयला खनन से जुड़ा अनुभव भले ही पहले से न हो, लेकिन वे वित्‍तीय दृष्टि से मजबूत हों और / अथवा उन्‍हें अन्‍य खनिजों अथवा अन्‍य देशों में खनन का अनुभव हो। इससे भी कोयले की बिक्री के लिए स्‍वत: मंजूरी रूट के जरिए 100 प्रतिशत एफडीआई (प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश) पर अमल संभव हो पाएगा।


इसमें एमएमडीआर अधिनियम की धारा 11ए और सीएमएसपी अधिनियम की धारा 4(2) एवं धारा 5(1) शामिल हैं।  



भारत में नियमों के विरूद्ध ड्रोन उड़ानों के विषय में स्‍वैच्छिक घोषणा

असैन्‍य ड्रोन संचालकों की निशानदेही के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ड्रोन संचालकों को ड्रोनों के संबंध में स्‍वैच्छिक घोषणा करने का अवसर दिया है। ऐसे ड्रोनों के मालिकों को पूरी सूचना सरकार को देनी होगी। यह सूचना 14 जनवरी, 2020 से डिजिटल स्‍काई पोर्टल https://digitalsky.dgca.gov.in पर देनी है। ड्रोन संचालकों को विशिष्‍ट पहचान संख्‍या (यूआईएन), मानव रहित हवाई संचालन परमिट (यूएओपी) और अन्‍य संचालन आवश्‍यकताएं पूरी करनी होगी, जो नागरिक उड्डयन महानिदेशालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार है। इसके जरिये भारतीय वायु क्षेत्र में ड्रोनों के उड़ानों को नियमित किया जाता है।


भारत सरकार के संज्ञान में लाया गया है कि ड्रोन संचालक अपने ड्रोनों की उड़ान में उपरोक्‍त शर्तों और नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। ड्रोनों की उड़ान बिना अनुमति के की जा रही है, जिसके कारण नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के नियमों का उल्‍लंघन हो रहा है। सरकार को दी जाने वाली सूचना की अंतिम ति‍थि 31 जनवरी, 2020 निर्धारित की गई है।


स्‍वैच्छिक घोषणा के बाद ऑनलाइन आधार पर ड्रोन पावती संख्‍या (डीएएन) और स्‍वामित्‍व मान्‍यता संख्‍या (ओएएन) जारी कर दिया जाएगा, जिससे भारत में ड्रोन संचालकों को वैधानिकता प्राप्‍त करने में सहायता होगी। याद रहे कि डीएएन या ओएएन से ड्रोन की उड़ान का अधिकार प्राप्‍त नहीं होगा, जब तक कि सीएआर में निर्धारित प्रावधानों को पूरा नहीं किया जाता। वैधानिक डीएएन या ओएएन के बिना भारत में ड्रोन के स्‍वामित्‍व के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


इस संबंध में स्‍पष्‍टीकरण या अतिरिक्‍त सूचना के लिए डिजिटल स्‍काई हेल्‍प डैस्‍क  support-digisky@gov.in पर सम्‍पर्क किया जा सकता है।



नवंबर, 2019 में औद्योगिक विकास दर 1.8 प्रतिशत रही

​​​​ नवंबर, 2019 में औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) 128.4 अंक रहा जो नवंबर, 2018 के मुकाबले 1.8 फीसदी अधिक है। इसका मतलब यही है कि नवंबर, 2019 में औद्योगिक विकास दर 1.8 फीसदी रही। उधर, अप्रैल-नवंबर, 2019 में औद्योगिक विकास दर पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 0.6 फीसदी आंकी गई है।


नवंबर, 2019 में खनन, विनिर्माण (मैन्‍युफैक्‍चरिंग) एवं बिजली क्षेत्रों की उत्‍पादन वृद्धि दर नवंबर, 2018 के मुकाबले क्रमश: 1.7 फीसदी, 2.7 फीसदी तथा (-) 5.0 फीसदी रही। उधर, अप्रैल-नवंबर, 2019 में इन तीनों क्षेत्रों यानी सेक्‍टरों की उत्‍पादन वृद्धि दर पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में क्रमश: (-) 0.1, 0.9 तथा 0.8 फीसदी आंकी गई है।


उद्योगों की दृष्टि से विनिर्माण क्षेत्र के 23 उद्योग समूहों (दो अंकों वाली एनआईसी-2008 के अनुसार) में से 13 समूहों ने नवंबर, 2018 की तुलना में नवंबर, 2019 के दौरान धनात्मक वृद्धि दर दर्ज की है। इस दौरान ‘फर्नीचर को छोड़कर काष्‍ठ एवं काष्‍ठ के उत्पादों और कॉर्क के विनिर्माण’ ने 23.2 प्रतिशत की सर्वाधिक धनात्‍मक वृद्धि दर दर्ज की है। इसके बाद ‘बुनियादी धातुओं के विनिर्माण' का नम्बर आता है जिसने 12.9 प्रतिशत की धनात्‍मक वृद्धि दर दर्ज की है। वहीं, दूसरी ओर उद्योग समूह ‘अन्‍य विनिर्माण’ ने (-) 13.5 प्रतिशत की सर्वाधिक ऋणात्‍मक वृद्धि दर दर्ज की है। इसके बाद ‘मोटर वाहनों, ट्रेलरों एवं सेमी-ट्रेलरों के विनिर्माण’ का नंबर आता है जिसने (-) 12.6 प्रतिशत की ऋणात्‍मक वृद्धि दर दर्ज की है।


उपयोग आधारित वर्गीकरण के अनुसार नवंबर, 2019 में प्राथमिक वस्‍तुओं (प्राइमरी गुड्स), पूंजीगत सामान, मध्‍यवर्ती वस्तुओं एवं बुनियादी ढांचागत/निर्माण वस्‍तुओं की उत्‍पादन वृद्धि दर नवंबर, 2018 की तुलना में क्रमश: (-) 0.3 फीसदी, (-) 8.6 फीसदी, 17.1 फीसदी और (-) 3.5 फीसदी रही। जहां तक टिकाऊ उपभोक्‍ता सामान का सवाल है, इनकी उत्‍पादन वृद्धि दर नवंबर, 2019 में (-) 1.5 फीसदी रही है। इसी तरह गैर-टिकाऊ उपभोक्‍ता सामान की उत्‍पादन वृद्धि दर नवंबर, 2019 में 2.0 फीसदी रही।



प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी कोलकाता के बेलूर मठ गए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी स्‍वामी विवेकानंद की जयंती और राष्‍ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आज कोलकाता के बेलूर मठ गए और वहा साधु संतों से मिले।  इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि देशवासियों के लिए बेलूर मठ जैसी पवित्र जगह पर आना किसी तीर्थयात्रा से कम नहीं है, पर उनके लिए यह हमेशा अपने घर लौटने जैसा है। उन्‍होंने इस पवित्र स्‍थान पर रात को विश्राम करने को सौभाग्‍य की बात बताते हुए कहा कि यहां पर स्‍वामी रामकृष्‍ण परमहंस, मां शारदा देवी,स्‍वामी ब्रह्मानंद और स्‍वामी विवेकानंद के प्रभाव का एहसास होता है।  


प्रधानमंत्री ने बेलूर मठ की अपनी पूर्व की यात्रा का स्‍मरण करते हुए कहा कि उस समय उन्‍होंने स्‍वामी आत्‍मस्‍थानंदजी का आर्शिवाद ग्रहण किया था जिन्‍होंने  उन्‍हें जनसेवा का मार्ग दिखाया था। प्रधानमंत्री ने कहा ‘आज भले ही स्‍वामी जी भौतिक रूप से मौजूद नहीं हैं लेकिन उनके कार्य, उनकी ओर से दिखाया गया मार्ग  हमेशा हमारा मार्ग दर्शन करता रहेगा।’


प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें वहां मौजूद युवा ब्रह्मचारियों के बीच कुछ पल बिताने का मौका मिला और उन्होंने महसूस किया कि उनके पास भी ब्रह्मचारियों जैसी ही मन स्थिति थी। उन्होंने कहा कि विवेकानंद के व्यक्तित्व, विवेकानंद के विचारों की वजह से हममें से ज्यादातर लोग यहां खिंचे चले आते हैं। लेकिन यहा आने के बाद, माँ अन्ना शारदा देवी का आँचल हमें यहां बसने के लिए माँ सा स्‍नेह देता है।


उन्‍होंने कहा  “जाने अनजाने देश का हर युवा विवेकानंद के संकल्‍पों का हिस्‍सा है। समय और शताब्दियां बदल गईं  लेकिन स्‍वामी जी की युवाओं में चेतना लाने का संकल्‍प आज भी वैसा ही कायम है। उनके आर्दश और प्रयास आने वाली पीढि़यों को प्रेरणा देते रहेंगे। अपने दम पर पूरी दुनिया को बदलने का जज्‍बा रखने वाले देश के युवाओं को प्रधानमंत्री ने ‘ हम अकेले नहीं हैं’  का मंत्र दिया।


उन्‍होंने कहा कि 21 वीं सदी के लिए, देश ने बड़े संकल्प के साथ एक नए भारत के निर्माण के लिए कदम उठाए हैं और ये संकल्प सिर्फ सरकार के नहीं हैं, बल्कि 130 करोड़ देशवासियों, देश के युवाओं के भी हैं।


प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 5 वर्षों का अनुभव बताता है कि देश के युवाओं के साथ जुड़ने का अभियान सफल होना निश्चित है। उन्होंने कहा कि 5 साल पहले तक, एक निराशा थी कि भारत स्वच्छ हो सकता है या नहीं और क्या भारत में डिजिटल भुगतान का प्रसार इतना बढ़ सकता है, लेकिन देश के युवाओं ने कमान संभाली और बदलाव दिख रहा है।


उन्होंने कहा कि युवाओं की ऊर्जा और लगन 21 वीं सदी में भारत में बड़े बदलावा का आधार बनी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा चुनौतियों का सामना करते हैं और उनका समाधान निकालते हैं और चुनौतियों को चुनौती देते हैं। युवाओं के इसी जज्‍बे के बूते सरकार  देश के समक्ष खड़ी दशकों पुरानी चुनौतियों से निबटने का प्रयास कर रही है।


राष्‍ट्रीय युवा दिवस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे हर युवा को मनाएं, उन्हें नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में समझाएं और उनके मन में इसके लेकर जो भी भ्रम है उसे दूर करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम नागरिकता छीनने का कानून नहीं है, यह नागरिकता देने का कानून है। उन्‍होंने कहा कि विभाजन के बाद पाकिस्तान में अपने धार्मिक उत्‍पीड़न का शिकार हुए लोगों को भारत की नागरिकता देना आसान बनाने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम में महज एक संशोधन किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी सहित कई नेताओं ने भी उस समय ऐसी व्‍यववस्‍था किए जाने का समर्थन किया था। उन्‍होंने कहा कि आज भी, किसी भी धर्म का व्यक्ति, चाहे वह भगवान में विश्वास करता हो या नहीं ... जो भी भारत के संविधान में विश्वास करता है, वह निर्धारित प्रक्रियाओं के तहत भारत की नागरिकता ले सकता है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने अधिनियम के कारण उत्तर पूर्व की आबादी के स्‍वरूप पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े इसकी भी व्‍यवस्‍था की है। प्रधानमंत्री ने कहा  कि इस तरह की स्पष्टता के बावजूद, कुछ लोग अपने राजनीतिक कारणों से नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में लगातार भ्रम फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि नागरिकता कानून में संशोधन को लेकर इतना विवाद नहीं होता तेा शायद  दुनिया को यह भी नहीं पता चलता कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर कैसे अत्‍याचार हुए हैं।.


प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति और हमारा संविधान हमसे नागरिकों के रूप में हमारे कर्तव्यों, ईमानदारी और पूर्ण समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों को पूरा करने की उम्‍मीद रखता है। प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य समान रूप से महत्वपूर्ण है। इस राह पर चलकर हम भारत को विश्व पटल पर उसके सही स्‍थान दिला पाएंगे।  प्रत्येक भारतीय से स्वामी विवेकानंद की यही अपेक्षा थी और यही इस संस्था के मूल में भी है। और हम सभी उनके सपनों को सच करने का संकल्प ले रहे हैं।


आईआईएफपीटी बठिंडा ने केंद्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल की उपस्थिति में भारत के 8 विभिन्‍न प्रतिष्ठित संस्‍थानों के साथ सहमति-पत्र (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किए

भारतीय खाद्य प्रसंस्‍करण प्रौद्योगिकी संस्‍थान (आईआईएफपीटी), संपर्क कार्यालय, बठिंडा ने केंद्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल और खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव श्री अशोक कुमार की उपस्थिति में पंजाब एवं हरियाणा राज्‍यों में अवस्थित क्षेत्र के 8 विभिन्‍न प्रतिष्ठित संस्‍थानों के साथ सहमति-पत्र (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किए। आईआईएफपीटी के निदेशक डॉ. सी.आनंदारामकृष्‍णन ने एमओयू पर हस्‍ताक्षर किए और इन विश्‍वविद्यालयों, कॉलेजों एवं संस्‍थानों के कुलपति तथा निदेशकों के साथ एमओयू का आदान-प्रदान किया।


     उपर्युक्‍त विश्‍वविद्यालय, कॉलेज एवं संस्‍थान ये हैं: पंजाब कृषि विश्‍वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना; महाराजा रणजीत सिंह पंजाब तकनीकी विश्‍वविद्यालय (एमआरएसपीटीयू), बठिंडा; सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ पोस्‍ट-हार्वेस्‍ट इंजीनियरिंग एंड टेक्‍नोलॉजी (सीआईपीएचईटी), लुधियाना; राष्‍ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्‍थान (एनडीआरआई), करनाल; भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्‍थान (आईआईडब्‍ल्‍यूबीआर), करनाल; संत लोंगोवाल इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्‍थान (एसएलआईईटी), संगरूर; राष्‍ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्‍थान (एनएबीआई), मोहाली और गुरुनानक कॉलेज, बुद्धलादा।


     इस अवसर पर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि अब समय आ गया है कि विश्‍व स्‍तर पर प्रतिस्‍पर्धा करने के लिए वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी को अपनाया जाए। उन्‍होंने  किसानों एवं उद्यमियों से ‘ग्राम समृद्धि योजना’ से लाभ उठाने का अनुरोध किया जिसके तहत खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय को प्रौद्योगिकी के उन्‍नयन के लिए 3000 करोड़ रुपये मिले हैं।


     उन्‍होंने कहा कि छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सभी को एक- दूसरे के साथ मिल-जुलकर काम करना चाहिए। उन्‍होंने यह भी कहा कि इस तरह के सहमति-पत्र (एमओयू) से किसानों के लाभ के लिए नए अवसर खुल जाएंगे क्‍योंकि खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योगों में अपार क्षमता है। उन्‍होंने किसानों से अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए अपनी-अपनी फसलों का विवि‍धीकरण करने का अनुरोध किया।


     इन सहमति-पत्रों (एमओयू) का उद्देश्‍य अनुसंधान, कौशल विकास, परामर्श कार्य, संस्‍थागत विकास, सूचनाओं के प्रसार और संयंत्र में ही विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देने से जुड़े सहयोगात्‍मक कार्यक्रम को सुविधाजनक बनाना है। इसके तहत जो कड़ी बनेगी उससे साझेदारों के बीच आपसी मेलभाव एवं रिश्‍तों में और भी अधिक मजबूती आएगी।     



गडकरी ने सड़कों को सुरिक्षत बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई


केन्‍द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा सूक्ष्‍म,लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरी आज नयी दिल्‍ली में सड़क सुरक्षा हितधारकों के सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए।


श्री गडकरी ने सम्‍मेलन में उपस्थित छात्रों से बड़ी संख्या में देश के युवाओं के व्यवहार में व्‍यापक बदलाव लाने के लिए सड़क सुरक्षा के ब्रांड एंबेसडर बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं से युवा सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा कि  उनके मंत्रालय द्वारा शुरू की गई सड़क दुर्घटनाओं का एकीकृत डेटा बेस परियोजना न केवल अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम अभ्यास पर आधारित विश्लेषणात्मक क्षमताओं को बढ़ाएगी, बल्कि संबंधित राजमार्ग प्राधिकणों के माध्‍यम से दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में सुधारात्‍मक उपाय करने में भी मदद करेगी। उन्‍होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े एकत्र करने के लिए राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के पुलिस विभागों को 30 हजार से ज्‍यादा टैबलेट उपलब्‍ध कराए जाएंगे।


       इस अवसर पर रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सड़क दुर्घटनाओं में लोगों के मारे जाने के बढ़ते मामलों पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि यह सख्‍यां प्राकृतिक आपदाओं में होने वाली मौतों से भी कहीं बहुत ज्‍यादा है। श्री सिंह ने कहा कि यह बहुत दुखद है कि 2018 में देश में सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाने वालों की संख्‍या करीब ड़ेढ़ लाख थी और बहुत सारे घायल भी हुए थे। उन्‍होंने कहा कि ज्‍यादातर मौतें तेज गति से वाहन चलाने की वजह से हुईं। तेज गति ने करीब 97500 लोगो की जान ली। उन्‍होंने कहा कि दुर्घटनाओं का केवल आर्थिक प्रभाव ही नहीं पड़ता बल्कि यह दुर्घटना पीडि़तों के परिजनों पर मानसिक और भावनात्‍मक रूप से भी असर डालती है। 


रक्षा मंत्री ने लोंगों से नववर्ष पर सुरक्षा उपाय अपनाने का संकल्‍प लेने का आह्वान किया और कहा कि उन्‍हें सड़क दुर्घटनाओं पीडि़तों की मदद करने के लिए आगे आना चाहिए। उन्‍होंने युवाओं से सड़क सुरक्षा उपायों के बारे में लोगों को जागरुकता बनाने के लिए व्‍हाट्सऐप,फेसबुक और इंस्‍टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्‍लैटफार्म का इस्‍तेमाल करने की अपील की। श्री सिंह ने जोर देकर कहा कि कार चलाते समय टीवी और मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल आज कल एक बड़ी समस्‍या बन चुका है। उन्‍होंने कहा कि विज्ञान और तकनीक का इस्‍तेमाल लोगों का जीवन सुरक्षित बनाने के लिए होना चाहिए।


The Union Minister for Defence, Shri Rajnath Singh addressing at the Road Safety Stakeholders Meet, in New Delhi on January 13, 2020.


रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह आज नयी दिल्‍ली में सड़क सुरक्षा हितधारक सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए।  .


सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री डॉ.वी के सिंह ने कहा कि सरकार सड़कों की इंजीनियरिंग में सुधार लाने, दुर्घटनाओं में मदद के लिए आपातकालीन सेवाओं को बेहतर बनाने तथा नागरिकों के लिए जागरूकता अभियान चलाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। उन्‍होंने कहा कि हालाँकि, अकेले सरकार के प्रयास पर्याप्त नहीं होंगे और इसेक लिए बड़े पैमाने पर नागरिकों को सहयोग करना पड़ेगा। उन्‍होंने कहा कि सड़क सुरक्षा को एक सामाजिक आंदोलन बनाने की आवश्यकता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने के लिए बड़े कदम उठाए हैं, जिसमें सड़कों पर ब्लैक स्पॉट वाले स्‍थानों में सुधार लाना, सडंकों के निर्माण को बेहतर बनाना, वाहन चालकों को प्रशिक्षण तथा जागरुकता अभियान आदि शामिल हैं।


सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव, डॉ संजीव रंजन ने कहा कि मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 सड़क सुरक्षा के विभिन्न स्तंभों में बहु-आयामी रणनीतियों के कार्यान्वयन की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम हैं। अधिनियम में यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए सख्त दंड का प्रावधान है। इसमें दुर्घटना के तुरंत बाद बेहद कठिन समय में दुर्घटना पीड़ितों को कैशलेस उपचार का भी प्रावधान है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार ऑनलाइन ड्राइविंग लाइसेंस, और वाहनों के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए प्रावधान बनाकर ई-गवर्नेंस को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। श्री सिंह ने कहा कि अब केंद्र सरकार इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन के लिए नियम बना सकती है जिसे अपने यहां लागू कर राज्य सरकारें राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों और शहरी शहरों में नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करके सड़क सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं। उन्‍होंने कहा कि  "जिला सड़क सुरक्षा समिति" का पुनर्गठन किया गया है ताकि सड़क उपयोगकर्ताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने के उपायों को लागू किया जा सके। यह समिति अब सांसद सड़क सुरक्षा समिति के नाम से जानी जाएगी। सड़क दुर्घटना पीडि़तों की मदद के लिए आगे आने वाले लोगों को  किसी भी नागरिक / आपराधिक कार्रवाई से सुरक्षित रखने के लिए भी मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 में पर्याप्‍त वव्‍यवस्‍था की गई है। यह व्‍यवस्‍था सर्वोच्च न्यायालय  और सड़क परिवहन तथा राष्‍ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के आधार पर की गई है।


श्री नितिन गडकरी और रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा समारोह में सभी को सड़क सुरक्षा संकल्‍प भी दिलाया गया। इस अवसर पर कानून के अच्‍छे पालन के संबंध में सड़क उपयोगकर्ताओं के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए रेहाना नामक एक लघु फिल्म भी जारी की गई।


केन्‍द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा सूक्ष्‍मलघु और मध्‍यम उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरीरक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्‍य मंत्री जनरल (सेवा निवृत्‍त) डॉ. वी.के. सिंह, तथा सचिव सड़क परिवहन और राजमार्ग डॉ. संजीव रंजन आज नई दिल्‍ली में आयोजित सड़क सुरक्षा हितधारकों की बैठक में शामिल हुए।


सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा सड़क दुर्घटना रिपोर्ट 2018 के आधार पर तमिलनाडु राज्य को सड़क सुरक्षा के रूप में श्रेष्‍ठ प्रदर्शन करने वाला राज्‍य चुना गया।  तमिलनाडु को सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित मृत्‍युदर में सबसे अधिक कमी लाने के लिए यह पुरस्‍कार दिया गया है। तमिलनाडु में 2018 में 3,941 मौतें सड़क दुर्घटना में हुई है, जो 2017 की तुलना में 24.4% की कमी को दर्शाती हैं। राज्य द्वारा किए गए सराहनीय कार्य को मान्‍यता देते हुए मंत्रियों ने तमिलनाडु को "सड़क सुरक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य" का पुरस्कार प्रदान किया है, जिसे परिवहन मंत्री श्री एम. आर. विजयाभास्‍कर के नेतृत्व वाली टीम ने प्राप्त किया।


केन्‍द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा सूक्ष्‍मलघु और मध्‍यम उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरीरक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्‍य मंत्री जनरल (सेवा निवृत्‍त) डॉ. वी.के. सिंह, आज नई दिल्‍ली में आयोजित सड़क सुरक्षा हितधारकों की बैठक में तमिलनाडु के परिवहन मंत्री श्री एम.आर. विजयभास्‍कर को सम्‍मानित करते हुए।


इस अवसर पर, राजमार्ग क्षेत्र में सड़क सुरक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी-बीएचयू के साथ समझौता ज्ञापन दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया गया। आईएएचई, सीआआरआई, आईआईटी, एनआईटी, एनएटीपीएसी जैसे आईआरसी जैसे प्रशिक्ष्‍ाण संस्‍थानों के साथ 10 समझौता ज्ञापनों का आदान प्रदान हुआ। ये समझौता ज्ञापन पेशेवरों/ इंजीनियरों को सड़क सुरक्षा और सुरक्षा लेखा परीक्षा के बारे में 15 दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने के बारे में है। ये समझौता ज्ञापन तकनीकी उन्नयन, नई सामग्री/ प्रौद्योगिकी की शुरुआत करने, सड़क सुरक्षा इंजीनियरिंग, राजमार्ग विकास और रखरखाव और संचालनों में सुधार लाने, राजमार्ग क्षेत्र में उद्योग और अकादमिक बातचीत की संस्कृति को बढ़ावा देने में सहायता प्रदान करेंगे। यह मंत्रालय की विशिष्‍ट पहल है, जिसका उद्देश्‍य सड़क सुरक्षा और राजमार्गों की सुरक्षा लेखा परीक्षा के लिए पूरे देश में अच्छी तरह से प्रशिक्षित विशेषज्ञ और जानकार लेखा परीक्षकों के एक पूल का सृजन करना है।


केन्‍द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा सूक्ष्‍मलघु और मध्‍यम उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरीरक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह तथा सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्‍य मंत्री जनरल (सेवा निवृत्‍त) डॉ. वी.के. सिंह, आज नई दिल्‍ली में आयोजित सड़क सुरक्षा हितधारकों की बैठक में शामिल हुए।


श्री राजनाथ सिंह और श्री नितिन गडकरी ने आज मंत्रालय एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस (आईआरएडी) नामक नई परियोजना का भी उद्घाटन किया। यह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास की सहायता तथा एनआईसी और विश्‍व बैंककी मदद से विकसित और लागू की जा रही एक मजबूत सड़क दुर्घटना डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली है। इससे राज्य और केंद्र, सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित जानकारियों को समझने, सड़क दुर्घटनाओं के मूल कारणों का विश्लेषण करने तथा दुर्घटनाओं को कम करने के लिए डेटा-नेतृत्व वाले सड़क सुरक्षा उपायों को विकसित और लागू करने में सक्षम होंगे। दुर्घटना डेटा सड़क सुरक्षा परिदृश्यों का आकलन करने और दुर्घटनाओं को कम करने के लिए आवश्यक हस्तक्षेपों को लागू करने का आधार प्रदान करता है। दुर्घटना डेटाबेस वैज्ञानिक सड़क सुरक्षा प्रबंधन अर्जित करने की दिशा में पहला कदम है। एक आदर्श डेटाबेस को व्यापक बनाने की आवश्यकता है ताकि न केवल सांख्यिकीय जरूरतें ही पूरी हों बल्कि दुर्घटना में कमी के लाने के उपायों की योजना बनाने में भी सहायता मिल सके।


यह प्रणाली पूरे देश में विभिन्न प्रकार की सड़कों यानी राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों, शहर की सड़कों आदि के बारे में डेटा एकत्र कर सकती हैं। आईआरएडी एक व्यापक वेब-आधारित आईटी समाधान होगा और इससे पुलिस, पीडब्‍ल्‍यूडी, एनएचएआई जैसी विभिन्‍न एजेंसियों को जांच, सड़क इंजीनियरिंग, वाहन स्थिति जैसे विभिन्‍न परिपेक्ष्‍यों सहित सड़क दुर्घटनाओं के बारे में विवरण डालने में सक्षम बनायेगा। इस प्रकार डाले गये विवरणों से विभिन्न प्राधिकारी, विभिन्‍न प्रकार को विश्‍लेषण करने और भारत में सड़क दुर्घटनाओं की गतिशीलता समझने और प्रवर्तन इंजीनियरिंग, शिक्षा और आकस्‍मिकता के क्षेत्र में लक्षित उपायों को शुरू करने में मदद करेंगे, ताकि देश में सड़क सुरक्षा स्थिति में सुधार लाया जा सके। यह प्रणाली पहले छह राज्‍यों यानी कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में शुरू की जायेगी, क्‍योंकि इन राज्‍यों में सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों की संख्‍या सबसे अधिक है। इस अवसर पर दक्षिण एशिया के विश्व बैंक के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष, राज्यों के परिवहन आयुक्त, राज्यों के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, डीन (आईसी एंड एसआर) आईआईटी,  मद्रास और महानिदेशक (एनआईसी) भी उपस्थित थें।


केन्‍द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा सूक्ष्‍मलघु और मध्‍यम उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरीरक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्‍य मंत्री जनरल (सेवा निवृत्‍त) डॉ. वी.के. सिंह, तमिलनाडु के परिवहन मंत्री श्री एम.आर. विजयभास्‍कर एवं सचिव, सड़क परिवहन और राजमार्ग श्री संजीव रंजन आज नई दिल्‍ली में आयोजित सड़क सुरक्षा हितधारकों की बैठक में परम्‍परागत दीप प्रज्‍ज्‍वलित करते हुए।


यह आयोजन सड़क सुरक्षा में सुधार लाने और सड़क सुरक्षा के मामले में सभी हितधारकों को योगदान प्रदान करने के बारे में आम जनता तथा विशेष रूप से युवाओं में जागरूकता पैदा करने के लिए पूरे देश में 11 से 17 जनवरी, 2020 तक मनाये जा रहे 31वें राष्‍ट्रीय सड़क सुरक्षा का एक हिस्‍सा है। इस सप्‍ताह के दौरान सड़क दुर्घटनाओं के विभिन्‍न कारणों तथा उन्‍हें रोकने के बारे में जागरूकता पैदा करने के बारे में प्रकाश डाला जायेगा। इसके लिए स्‍कूल/कॉलेज छात्रों, चालकों और सभी अन्‍य सड़क उपयोगकर्ताओं के साथ विभिन्‍न गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा। इन गतिविधियों में बैनर, वॉकथॉन, रोड चिह्नों का प्रदर्शन सड़क सुरक्षा से संबंधित पर्चे बांटना शामिल हैं। राज्य सरकारों के परिवहन, पुलिस, पीडब्ल्यूडी, स्वास्थ्य, शिक्षा, नगर निगम निकाय जैसे विभिन्‍न विभाग, वाहन निर्माता और डीलर, ट्रांसपोर्टरों की एसोसिएशन, डॉक्टर, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम, कॉर्पोरेट और विभिन्न गैर सरकारी संगठन जैसे विभिन्न हितधारक सड़क सुरक्षा के दौरान आयोजनों में भाग ले रहे हैं।


स्वच्छ भारत विज़न और मिशन के साथ "स्वच्छ भारत अभियान" के तहत 01 जनवरी, 2020 से 15 जनवरी 2020 तक स्वच्छता पखवाड़े का भी आयोजन किया जा रहा है। टोल प्‍लाजाओं के पास राष्ट्रीय राजमार्गों के पास एकत्र किए गए प्‍लास्टिक कचरे का सड़क निर्माण में अभिनव उपयोग के बारे में एनएचएआई द्वारा बनाई गई एक लघु फिल्म भी दर्शकों को दिखाई गई। जनवरी 2019 के पहले पखवाड़े के दौरान आयोजित किये जा रहे स्वच्छता पखवाड़े में स्वच्छता में सुधार लाने के लिए अनुकरणीय प्रदर्शन करने वाले एनएचएआई/एनएचआईडीसीएल के क्षेत्रीय कार्यालयों/शाखा कार्यालयों को आज स्वछता पुरस्कार भी प्रदान किए गए।


केन्‍द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा सूक्ष्‍म,लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्री श्री नीतिन गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय सड़क यातायात को सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। आज नयी दिल्‍ली में सड़क सुरक्षा हितधारक सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि यह सड़क सुरक्षा पर विभिन्न जागरूकता गतिविधियों में समुदायों और हितधारकों को शामिल करने के माध्यम से सड़क दुर्घटना के खतरों को कम करने के प्रयासों के साथ जारी रहेगा ताकि हर किसी को सड़कों को सुरक्षित बनाने में सहयोग के लिए प्रोत्‍साहित किया जा सके।

पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने जम्मू में ‘बांस-एक जादुई घास’ पर कार्यशाला-सह-प्रदर्शनी का उद्घाटन किया

‘बांस-एक जादुई घास’ विषय पर आज कन्वेंशन सेंटर जम्मू में एक कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए, केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि केन्द्र-शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बांस का विशाल भंडार है, जिससे भविष्य में राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है। भारत सरकार के पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के पूर्वोत्तर परिषद और जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा बेंत और बांस प्रौद्योगिकी केन्द्र (सीबीटीसी), गुवाहाटी, असम एवं जम्मू-कश्मीर सरकार के सामाजिक वानिकी विभाग के माध्यम से संयुक्त रूप से यह कार्यशाला-सह-प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल श्री जी.सी. मुर्मू एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।


कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि बांस की खेती से जम्मू-कश्मीर में किफायती तरीके से युवा उद्यमियों के लिए नए द्वार खुल सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में आयोजित कई कार्यशालाओं और सम्मेलनों के बारे में चर्चा करते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि तीन महीने की एक छोटी अवधि में यह चौथा सम्मेलन है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर के लोगों के कल्याण के लिए प्रत्येक पहुंच संबंधी पहल को संस्थागत रूप देने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि अन्य मंत्रालय भी जिला स्तर के साथ-साथ विधानसभा क्षेत्र के स्तर पर और भी अधिक गहराई तक पहुंचने का लक्ष्य लेकर कार्यक्रम चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र-शासित प्रदेश सरकार 100 स्थानों को चिन्हित करने की प्रक्रिया चला रही है और पहले चरण में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को चिन्हित करेगी।


डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस तथ्य पर जोर देकर कहा कि समय आ गया है कि जब जम्मू-कश्मीर पर उतना ही जोर देने की जरूरत है, जितना कि हाल के वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए दिया गया है, जिससे स्टार्ट-अप उद्योगों के लिए एक स्वर्ग के रूप में इस क्षेत्र का संपूर्ण विकास संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि यह आकांक्षा है कि जम्मू-कश्मीर भी एक विशाल आर्थिक क्षेत्र के रूप में उभरेगा और यह भी शासन और विकास की सफल परंपराओं के रूप में आसानी से परिणत होगा।


डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि संविधान की धारा-370 के समापन के बाद केन्द्र-शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के विकास पर विशेष जोर दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक हम वैश्विक मानदंडों का अनुसरण नहीं करेंगे, तब तक 5 ट्रिलियन वाली अर्थव्यवस्था का सपना पूरा नहीं हो सकता।


डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित प्रत्येक महत्वपूर्ण परियोजना जो अटकी हुई थी, अब उसे निपटाया जा रहा है। उन्होंने भटिंडा गैस पाइपलाइन परियोजना, उज नदी जल परियोजना, शाहपुर कांदी परियोजना, पकालदुल परियोजना से लेकर किरू परियोजना तक की चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इससे केन्द्र-शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में नया सवेरा आएगा।


कार्यशाला-सह-प्रदर्शनी के दौरान, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के 8 राज्यों द्वारा स्थापित बांस एवं बेंत कलस्टर स्टॉलों तथा प्रदर्शनी स्टॉलों का भी उद्घाटन किया। उन्होंने केन्द्र-शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के विभिन्न विभागों द्वारा स्थापित केन्द्रों को भी देखा।


केन्द्र-शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल श्री जी.सी. मुर्मू ने कहा कि बांस एक पर्यावरण अनुकूल घास है। इससे पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सकता है और यह जीविका का भी एक साधन हो सकता है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में इसके आर्थिक इस्तेमाल को ढूंढ निकालना समय की मांग है, क्योंकि यहां बांस की अत्यधिक उपलब्धता है।


कार्यक्रम को भारत सरकार के पूर्वोत्तर परिषद के सचिव श्री के. मोसेस चलायी और जम्मू-कश्मीर सरकार के वन, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी विभाग की आयुक्त सचिव सुश्री सरिता चौहान ने भी संबोधित किया।     


सम्मेलन के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र के कलाकारों ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्रचलित एक बम्बू ऑर्केस्ट्रा और बम्बू डांस भी प्रस्तुत किया।