Monday, February 3, 2020

वर्ष 2020-21 के दौरान पोषण संबंधी कार्यक्रमों के लिए 35,600 करोड़ रुपये का प्रावधान

एक जिम्मेदार समाज के महत्व को रेखांकित करते हुए केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में पेश किए गए केन्द्रीय बजट 2020-21 में महिला एवं बच्चों तथा सामाजिक कल्याण पर केन्द्रित कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे।


महिला एवं बाल  


लोकसभा के अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा, ‘मुझे सदन को यह बताते हुए बड़ी खुशी है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के आश्चर्यजनक रूप से सुखद नतीजे देखने को मिले है। शिक्षा के सभी स्तरों पर लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों से अधिक है। प्राथमिक स्तर पर लड़कियों का नामांकन अनुपात 94.32 प्रतिशत है, जबकि लड़कों में यह अनुपात 89.28 प्रतिशत है। माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर भी यहीं रूझान देखने को मिले है।’


स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण घटक के रूप में पोषण को रेखांकित करते हुए श्रीमती सीतारमण ने वर्ष 2020-21 के लिए पोषण संबंधी कार्यक्रमों हेतु 35,600 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने पोषण अभियान का जिक्र किया, जिसे वर्ष 2017-18 में बच्चों (0-6 वर्ष), किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करने वाली माताओं की पोषणात्मक स्थिति में सुधार के लिए लांच किया गया था। वित्त मंत्री ने कहा कि 10 करोड़ से अधिक परिवारों की पोषणात्मक स्थिति को अपलोड करने के लिए 6 लाख से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन दिए गए है। यह अभूतपूर्व है।


अपने बजट भाषण में श्रीमती सीतारमण ने कहा कि भारत की प्रगति से महिलाओं के लिए अवसर उपलब्ध हो रहे है। वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकती है और अपने कैरियर को संवार सकती है। इसलिए लड़कियों के मां बनने की उम्र संबंधी पूरे मामले को नए दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है। उन्होंने इस उद्देश्य के लिए एक कार्यबल के गठन का प्रस्ताव, जो 6 महीने की अवधि में अपनी सिफारिशें देगा।


महिलाओं के कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए वित्त मंत्री ने महिला विशिष्ट कार्यक्रमों के लिए 28,600 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव दिया।


सामाजिक कल्याण


सिर पर मैला ढोने की प्रथा के बारे में वित्त मंत्री ने कहा, ‘हमारी सरकार कृत संकल्प है कि सीवर प्रणाली या सेफ्टिक टैंक की सफाई का काम हाथ से नहीं किया जाएगा। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने ऐसे कार्यों के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों की पहचान की है। यह मंत्रालय इन प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए शहरी स्थानीय निकायों के साथ कार्य कर रहा है।’ उन्होंने इसे विधायी एवं संस्थागत परिवर्तनों के माध्यम से तार्किक निर्णय पर ले जाने का प्रस्ताव दिया।


वित्त मंत्री ने अनुसूचित जातियों एवं अन्य पिछड़ा वर्गों के कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के आलोक में वर्ष 2020-21 के लिए 85,000 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान का प्रस्ताव दिया। बजट प्रस्ताव में श्रीमती सीतारमण ने अनुसूचित जनजातियों के कल्याण तथा विकास के लिए वर्ष 2020-21 के दौरान 53,700 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव दिया।


वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री ने वर्ष 2020-21 के लिए बजट में 9500 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव दिया।



18600 करोड़ रुपये की लागत से 148 किलोमीटर लम्बे बैंगलुरु उप-नगरीय परिवहन परियोजना का प्रस्ताव

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस 2019 में कहा था कि अगले पांच वर्षों के दौरान अवसंरचना पर 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इस संबंध में केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में वित्त वर्ष 2020-21 का केन्‍द्रीय बजट पेश करते हुए कहा कि मैंने 31 दिसंबर, 2019 को 103 लाख करोड़ रुपये की लागत वाले राष्ट्रीय अवसंरचना पाइप लाइन का शुभारंभ किया। इस परियोजना में विभिन्न क्षेत्रों के 6500 परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं का वर्गीकरण विकास के चरण और उनके आकार के आधार पर किया गया है।


वित्त मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी अवसंरचना विशेष पर आधारित कौशल विकास अवसरों पर विशेष ध्यान देगी। भारतीय युवाओं के लिए विनिर्माण, परिचालन और अवसंरचना के रख-रखाव के क्षेत्र में रोजगार के आपार अवसर मौजूद है।


केन्द्रीय बजट में अवसंरचना परियोजनाओं के लिए परियोजना तैयारी सुविधा स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है। इस कार्यक्रम में युवा इंजीनियरों, प्रबंध स्नातकों और विश्वविद्यालयों के अर्थशास्त्रियों को सक्रिय रूप से जोड़ा जाएगा।


बजट में स्टार्ट-अप्स से युवा शक्ति को जोड़ने के लिए सरकार की सभी अवसंरचना एजेंसियों का निर्देश देने का प्रस्ताव है।


वित्त मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति जल्द ही जारी की जाएगी। इससे केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों और प्रमुख नियामकों की भूमिकाएं स्पष्ट होंगी और यह एकल खिड़की ई-लॉजिस्टिक बाजार का निर्माण करेगी। यह नीति रोजगार सृजन, कौशल और एमएसएमई को प्रतिस्पर्धी बनाने पर विशेष ध्यान देगी।


सड़क अवसंरचना को बेहतर बनाने के उपाय


केन्द्रीय बजट 2020-21 पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि राजमार्गों का तेजी से विकास किया जाएगा। इनमें 2500 किलोमीटर लम्बे पहुंच नियंत्रण राजमार्गों, आर्थिक गलियारों (9000 किलोमीटर), तटीय और पत्तन पहुंच सड़कों (2000 किलोमीटर) तथा रणनीतिक राजमार्गों (2000 किलोमीटर) के निर्माण शामिल हैं। दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे और अन्य एक्सप्रेस-वे को 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा। चेन्नई-बैंगलुरु एक्सप्रेस-वे को भी शुरू किया जाएगा। 2024 से पहले 6000 किलोमीटर की लम्बाई वाले 12 राजमार्ग समूहों के मुद्रीकरण का प्रस्ताव दिया गया है।


रेल अवसंरचना को बेहतर बनाने के उपाय


वित्त मंत्री ने वर्तमान सरकार के गठन के 100 दिनों के अंदर रेलवे की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने रेल अवसंरचना को बेहतर बनाने के उपायों का प्रस्ताव दियाः



  • रेल लाइनों के किनारे बड़ी सौर ऊर्जा क्षमता की स्थापना।

  • 4 स्टेशनों की पुनर्विकास परियोजनाएं और पीपीपी के माध्यम से 150 यात्री ट्रेनों का संचालन।

  • आईकॉनिक पर्यटन गंतव्य को जोड़ने के लिए तेजस जैसी ट्रेने।

  • मुम्बई और अहमदाबाद के बीच हाईस्पीड ट्रेन पर सक्रियता से काम।

  • 148 किलोमीटर लम्बी बेंगलुरु उप-नगरीय परिवहन परियोजना के लिए 18,600 करोड़ रुपये, मेट्रो प्रारूप के अनुसार किराया तय किया जाएगा। केन्द्र सरकार 20 प्रतिशत का लागत वहन करेगी और परियोजना लागत का 60 प्रतिशत बाहरी सहायता से उपलब्ध कराने की सुविधा देगी।


जल्द ही खराब होने वाली सब्जियों व फलों के लिए राष्ट्रीय कोल्डचैन के निर्माण के उद्देश्य से वित्त मंत्री ने प्रस्ताव दिया कि भारतीय रेल पीपीपी मोड के जरिए कृषि रेल की स्थापना करेगा। एक्सप्रेस ट्रेनों और मालगाड़ियों में प्रशीतन सुविधायुक्त डब्बे लगाए जाएगे।



डाटा क्षमता का लाभ लेने हेतु निजी कंपनियों के लिए शीघ्र ही डाटा सेंटर पार्क नीति

केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में वित्‍त वर्ष 2020-21 का केन्‍द्रीय बजट पेश करते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे अभिनव अर्थव्यवस्था परिवर्तनों पर जोर दिया है। श्रीमती निर्मला सीतारमण ने नई प्रौद्योगिकियों का लाभ लेने के लिए सरकार के द्वारा आगामी उपायों का प्रस्ताव दिया है।


वित्त मंत्री ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स (आईओटी), 3-डी प्रिंटिंग, ड्रोन, डीएनए डाटा स्टोरेज, क्वांटम कम्प्युटिंग जैसी प्रौद्योगिकियां विश्व की अर्थव्यवस्था की पटकथा लिख रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने पारम्परिक व्यवसायों के स्थानों पर एग्रीगेटर मंचों के साथ सांझी अर्थव्यवस्था जैसे नये प्रतिमान पहले ही अपना लिये हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण और वित्तीय समावेशन में सक्षम होने के लिए नई प्रौद्योगिकियों का दोहन किया है और वह भी उस पैमाने पर जिसकी पहले कभी किसी ने कल्पना नहीं की थी।


डाटा का लाभ लेने के लिए प्रस्ताव


      डाटा इज द न्यू ऑयल के महत्व को उल्लेखित करते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि एनालिटिक्स, फिनटेक और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) ने हमारी जीवनशैली में महत्वपूर्ण रूप से परिवर्तन ला दिया है। उन्होंने डाटा क्षमता का लाभ उठाने के लिए निम्नलिखित उपायों का प्रस्ताव दियाः-



  • निजी क्षेत्र को देश भर में डाटा सेंटर पार्क स्थापित करने में सक्षम बनाने के लिए जल्द ही एक नई नीति लाई जाएगी। इससे कंपनियां अपनी मूल्य श्रृंखला के प्रत्येक चरण में आंकड़ों को कुशलता के साथ समाविष्ट करने में सक्षम होंगी।

  • भारतनेट के माध्यम से फाइबर टू द होम (एफटीटीएच) के साथ इस वर्ष 1,00,000 ग्राम पंचायतों को जोड़ा जाएगा। इससे आंगनबाड़ियों, स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्रों, सरकारी स्कूलों, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों, डाकघरों और पुलिस स्टेशनों को डिजिटल कनेक्टिविटी प्रदान करने के स्वप्न को साकार किया जाएगा। श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2020-21 में भारतनेट प्रोग्राम के लिए 6,000 करोड़ रुपये प्रदान करने का प्रस्ताव दिया।


स्टार्टअप्स के लिए प्रस्ताव


      ज्ञान प्रेरित उद्यमों के आधार के विस्तार के क्रम में वित्त मंत्री ने बौद्धिक संपदा सृजन और संरक्षण के महत्व पर जोर दिया। इस संदर्भ में उन्होंने स्टार्टअप के लाभ हेतु विभिन्न उपायों का प्रस्ताव दियाः



  • एक ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म को प्रोत्साहन दिया जाएगा, जो आईपीआर के निर्बाध अनुप्रयोग और अभिग्रहण को सुसाध्य बनाएगा। उत्कृष्टता संस्थान में एक ऐसा केन्द्र स्थापित किया जाएगा, जो बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में जटिलता और नवोन्मेष पर कार्य करेगा।

  • नवीन और उभरते हुए क्षेत्रों सहित विभिन्न प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में नॉलेज ट्रांसलेशन कलस्टर स्थापित किए जाएंगे।

  • अवधारणा के साक्ष्य की डिजाइनिंग, इनके निर्माण और वैधीकरण के लिए और इन टेस्ट बेड्स को संपोषित करते हुए प्रौद्योगिकी कलस्टरों का स्तर आगे बढ़ाने के लिए छोटे पैमाने पर विनिर्माण कार्य सुविधा केन्द्रों की स्थापना की जाएगी।

  • भारत के जेनरिक लैंडस्केप की मैपिंग के लिए दो राष्ट्रीय स्तर की विज्ञान योजनाओं का शुभारंभ किया जाएगा, जो आगामी पीढ़ी की चिकित्सा, कृषि और जैव विविधता प्रबंधन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस विकास कार्य को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक डाटा बेस सृजित किया जाएगा।

  • स्टार्टअप्स के पहले चरण के उद्भावन और विकास को बढ़ावा देने के लिए सीड फंड सहित प्रारम्भिक निधि पोषण प्रदान करने का भी प्रस्ताव है।


क्वांटम प्रौद्योगिकी के लिए प्रस्ताव


      वित्त मंत्री ने कहा कि क्वांटम प्रौद्योगिकी कम्प्युटिंग, संचार, साइबर सुरक्षा के साथ-साथ व्यापक स्तर के अनुप्रयोगों में नये मार्ग खोल रही हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अनेक वाणिज्यिक अनुप्रयोगों के उभरने की उम्मीद है। श्रीमती निर्मला सीतारमण ने क्वांटम प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों पर राष्ट्रीय अभियान के लिए 5 वर्ष की अवधि हेतु 8,000 करोड़ रुपये के परिव्यय प्रदान करने का प्रस्ताव दिया।



 ‘सीडीआरआई’ आपदा सक्षम अवसंरचना पर फोकस करते हुए जलवायु परिवर्तन को अनुकूल बनाएगा : वित्‍त मंत्री

     केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आपदा सक्षम अवसंरचना पर फोकस कर जलवायु परिवर्तन को अनुकूल बनाने के सरकारी लक्ष्‍य पर विशेष बल देते हुए आज केन्‍द्रीय बजट 2020-21 में पर्यावरण सेक्‍टर से संबंधित विभिन्‍न प्रस्‍तावों को पेश किया।     


 केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में वित्‍त वर्ष 2020-21 का केन्‍द्रीय बजट पेश करते हुए कहा कि आपदा सक्षम अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) का शुभारंभ सितम्‍बर 2019 में किया गया था, जिसका सचिवालय दिल्‍ली में है। उन्‍होंने कहा, ‘इस वैश्विक भागीदारी से अनेक सतत विकास लक्ष्‍यों (एसडीजी) के साथ-साथ सेंडाई फ्रेमवर्क के लक्ष्‍यों को भी पूरा करने में मदद मिलेगी। इससे आपदा सक्षम अवसंरचना पर फोकस करते हुए जलवायु परिवर्तन को अनुकूल बनाना आसान होगा।’


      वित्‍त मंत्री ने किसी देश की विकास संबंधी अनिवार्यताओं को ध्‍यान में रखते हुए पेरिस समझौता, 2015 के तहत उल्लिखित ‘राष्‍ट्रीय स्‍तर पर निर्धारित अंशदान (एनडीसी)’ को सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया। उन्‍होंने यह आश्‍वासन दिया कि सामान्‍य बजट प्रक्रिया के जरिए संबंधित वि‍भागों एवं मंत्रालयों द्वारा विभिन्‍न सेक्‍टरों में ठोस कदमों के रूप में भारत की प्रतिबद्धताओं पर अमल किया जाएगा।        


      श्रीमती निर्मला सीतारमण ने पुराने ताप विद्युत संयंत्रों के कारण हो रहे व्‍यापक कार्बन उत्‍सर्जन के मुद्दे पर प्रकाश डाला। वित्‍त मंत्री ने इस तरह के संयंत्रों को बंद करने और वैकल्पिक प्रयोजन के लिए खाली पड़ी भूमि का उपयोग करने संबंधी सरकारी प्रस्‍ताव के बारे में बताया।  


वित्‍त मंत्री ने 10 लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों में स्‍वच्‍छ हवा की उपलब्‍धता न होने पर भी चिंता व्‍यक्‍त की। उन्‍होंने अधिक से अधिक स्‍वच्‍छ हवा सुनिश्चित करने के लिए राज्‍यों को योजनाएं तैयार एवं कार्यान्वित करने के लिए प्रोत्‍साहित करने संबंधी सरकार की मंशा के बारे में विस्‍तार से बताया। इस पहल हेतु 2020-21 की अवधि के लिए 4,400 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है और संबंधित पहलों के लिए उपयुक्‍त मानदंडों को जल्‍द ही पर्यावरणवन एवं जलवायु परितर्वन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया जाएगा।  



उद्यमिता हमेशा से भारत की ताकत रही है: श्रीमती निर्मला सीतारमण

     केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में वित्‍त वर्ष 2020-21 का केन्‍द्रीय बजट पेश करते हुए कहा कि उद्यमशीलता हमेशा से भारत की ताकत रही है और हमारे युवा एवं युवतियां अपने उद्यमशीलता कौशल के साथ भारत के विकास में योगदान करते रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि हम हमारे युवाओं के ज्ञान, कौशल और जोखिम लेने की उनकी क्षमता को मानते हैं। वे रोजगार की तलाश करने वाले ही नहीं हैं, बल्कि अब वे रोजगार सृजन करने वाले बन गए हैं।


       वित्‍त मंत्री ने युवा उद्यमियों को अंतिम छोर तक सुविधा एवं सहायता मुहैया कराने के लिए एक निवेश क्लियरेंस प्रकोष्‍ठ स्‍थापित करने और बाधाओं को दूर करने की घोषणा की। उन्‍होंने पीपीपी मॉडल के तहत राज्‍यों के सहयोग से पांच नई स्‍मार्ट सिटी विकसित करने का भी प्रस्‍ताव दिया। शहरों का चयन उपरोक्‍त सिद्धांतों के लिए बेहतरीन विकल्‍पों के आधार पर किया जाएगा।


      श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि इलेक्‍ट्रॉनिक विनिर्माण उद्योग काफी प्रतिस्‍पर्धी है और उसमें रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। उन्‍होंने आगे कहा कि भारत को घरेलू विनिर्माण को प्रोत्‍साहित करने और इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स मूल्‍य श्रृंखला में बड़े निवेश आकर्षित करने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने मोबाइल फोन, इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण और सेमी-कंडक्‍टर पैकेजिंग के विनिर्माण को प्रोत्‍साहित करने के लिए एक योजना की घोषणा की। उन्‍होंने तकनिकी कपड़ा क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाने के लिए एक राष्‍ट्रीय तकनिकी कपड़ा मिशन शुरू करने का प्रस्‍ताव दिया। इसकी कार्यान्‍वयन अवधि 2020-21 से 2023-24 तक चार वर्षों की होगी और इसका अनुमानित व्‍यय 1480 करोड़ रुपए होगा।


      वित्‍त मंत्री ने गुणवत्‍ता एवं मानक के संदर्भ में लाल किले से प्रधानमंत्री के संबोधन का उल्‍लेख किया, जिसमें उन्‍होंने ‘जीरो डिफेक्‍ट – जीरो इफेक्‍ट’ विनिर्माण की बात कही। उन्‍होंने कहा कि पूरे साल के दौरान सभी मंत्रालय गुणवत्‍ता मानक संबंधी आदेश जारी करेंगे।


      वित्‍त मंत्री ने अधिक निर्यात ऋण वितरण के लिए एक नई योजना निर्विक के लिए की घोषणा की। इसके तहत छोटे निर्यातकों के लिए अधिक बीमा कवरेज और प्रीमियम में कमी के प्रावधान के साथ दावों के निपटान की प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया है। उन्‍होंने आगे कहा कि पांचवें वर्ष के अंत तक इस योजना से करीब 30 लाख करोड़ रुपए के निर्यात को मदद मिलने की उम्‍मीद है। उन्‍होंने निर्यातकों के लिए केंद्र, राज्‍य और स्‍थानीय स्‍तर पर शुल्‍कों एवं करों जैसे बिजली शुल्‍क और परिवहन के लिए इस्‍तेमाल ईंधन पर वैट आदि के डिजिटल रिफंड व्‍यवस्‍था की घोषणा की। इस प्रकार के शुल्‍कों में किसी अन्‍य मौजूदा व्‍यवस्‍था के तहत रिफंड अथवा छूट नहीं दी जाती है।


      श्रीमती निर्मला सीतारण ने वस्‍तुओं, सेवाओं और कार्यों की एकीकृत खरीद प्रणाली स्‍थापित करने के लिए गवर्नमेंट ई-मार्केटप्‍लेस (जीईएम) स्‍थापित करने की घोषणा की। उन्‍होंने जीईएम के कुल कारोबार को 31 लाख करोड़ रुपए रखने का प्रस्‍ताव दिया। उन्‍होंने वर्ष 2020-21 में उद्योग एवं वाणिज्‍य के विकास एवं संवर्द्धन के लिए 27300 करोड़ रुपए उपलब्‍ध कराने का प्रास्‍तव दिया।



टैरिफ अधिसूचना संख्या-8/2020-सीमा शुल्क (एन.टी.)

सीमा शुल्‍क अधिनियम, 1962 (1962 की 52) की धारा 14 की उप-धारा (2) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए केन्‍द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्‍क बोर्ड (सीबीआईसी) ने आवश्‍यक समझते हुए वित्‍त मंत्रालय (राजस्‍व विभाग) में भारत सरकार की अधिसूचना संख्‍या 36/2001-सीमा शुल्‍क (एनटी), दिनांक 3 अगस्त 2001, जिसे भारत के गजट में विशेष रूप से संख्‍या एस.ओ. 748 (ई) के नाम से भाग-।।, अनुभाग-3, उप-अनुभाग (ii) में दिनांक 3 अगस्‍त, 2001 को प्रकाशित किया गया है, में निम्‍नलिखित संशोधन किये हैं।


उपर्युक्‍त अधिसूचना में, तालिका-1 और तालिका-2 के लिए निम्‍नलिखित तालिकाओं को प्रतिस्थापित किया जाएगा : -


तालिका – 1








































































क्र.सं.



अध्याय / शीर्षक / उप-शीर्षक / टैरिफ मद



वस्‍तुओं का विवरण



टैरिफ मूल्य


(अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन)



(1)



(2)



(3)



(4)



1



1511 10 00



कच्चा पाम तेल



821



2



1511 90 10



आरबीडी पाम तेल



847



3



1511 90 90



अन्य - पाम तेल



834



4



1511 10 00



कच्चा पामोलिन



851



5



1511 90 20



आरबीडी पामोलिन



854



6



1511 90 90



अन्य - पामोलिन



853



7



1507 10 00



कच्चा सोयाबीन तेल



865



8



7404 00 22



पीतल कतरन


(सभी श्रेणियां)



3607



9



1207 91 00



पोस्ता दाना



3623



 


तालिका-2


 






























क्र.सं.



अध्याय / शीर्षक / उप-शीर्षक / टैरिफ आइटम



वस्‍तुओं का विवरण



टैरिफ मूल्य


(अमेरिकी डॉलर)



(1)



(2)



(3)



(4)



1



71 या 98



किसी भी रूप में सोना, जिसके संदर्भ में अधिसूचना संख्‍या 50/2017- सीमा शुल्‍क दिनांक 30.06.2017 की क्रम संख्‍या 356 में दर्ज प्रवि‍ष्टियों का लाभ उठाया जाता है



508 प्रति 10 ग्राम



2



71 या 98



किसी भी रूप में चांदी, जिसके संदर्भ में अधिसूचना संख्‍या 50/2017- सीमा शुल्‍क दिनांक 30.06.2017 की क्रम संख्‍या 357 में दर्ज प्रवि‍ष्टियों का लाभ उठाया जाता है



572 प्रति किलो




दिसम्‍बर, 2019 में आठ कोर उद्योगों का सूचकांक (आधार वर्ष : 2011-12=100)

आठ कोर उद्योगों के सूचकांक(आधार वर्ष: 2011-12=100) का सार अनुलग्‍नक में दिया गया है।


औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में शामिल वस्तुओं के भारांक (वेटेज) का 40.27 प्रतिशत हिस्सा आठ कोर उद्योगों में शामिल होता है। आठ कोर उद्योगों का संयुक्‍त सूचकांक दिसम्‍बर, 2019 में 133.2 अंक रहा, जो दिसम्‍बर 2018 में दर्ज किए गए सूचकांक के मुकाबले 1.3 प्रतिशत अधिक है। वहीं, वर्ष 2019-20 की अप्रैल- दिसम्‍बर अवधि के दौरान आठ कोर उद्योगों की संचयी उत्‍पादन वृद्धि दर 0.2 प्रतिशत रही।


कोयला


दिसम्‍बर, 2019 में कोयला उत्‍पादन (भारांक: 10.33%) दिसम्‍बर, 2018 के मुकाबले 6.1  प्रतिशत बढ़ गया। वर्ष 2019-20 की अप्रैल- दिसम्‍बर अवधि के दौरान कोयला उत्‍पादन की वृद्धि दर पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 3.8 प्रतिशत कम रही।
कच्‍चा तेल


दिसम्‍बर, 2019 के दौरान कच्‍चे तेल का उत्‍पादन (भारांक: 8.98%) दिसम्‍बर, 2018 की तुलना में 7.4 प्रतिशत गिर गया। वर्ष 2019-20 की अप्रैल- दिसम्‍बर अवधि के दौरान कच्‍चे तेल का उत्‍पादन बीते वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 6.0 प्रतिशत कम रहा।


प्राकृतिक गैस


दिसम्‍बर, 2019 में प्राकृतिक गैस का उत्‍पादन (भारांक: 6.88%) दिसम्‍बर, 2018 के मुकाबले 9.2 प्रतिशत गिर गया। वर्ष 2019-20 की अप्रैल- दिसम्‍बर अवधि के दौरान प्राकृतिक गैस का उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 3.8 प्रतिशत घट गया।


रिफाइनरी उत्‍पाद


पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्‍पादों का उत्‍पादन (भारांक: 28.04%) दिसम्‍बर, 2019 में दिसम्‍बर 2018 के मुकाबले 3.0 प्रतिशत बढ़ गया। वर्ष 2019-20 की अप्रैल- दिसम्‍बर अवधि के दौरान पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्‍पादों का उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 0.6 प्रतिशत कम रहा।


उर्वरक


दिसम्‍बर 2018 के मुकाबले दिसम्‍बर, 2019 के दौरान उर्वरक उत्‍पादन (भारांक: 2.63%) 10.2 प्रतिशत बढ़ गया। वर्ष 2019-20 की अप्रैल- दिसम्‍बर अवधि के दौरान उर्वरक उत्‍पादन बीते वित्‍त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4.7 प्रतिशत अधिक रहा।


इस्‍पात


दिसम्‍बर 2018 के मुकाबले दिसम्‍बर, 2019 में इस्‍पात उत्‍पादन (भारांक: 17.92%) 1.9 प्रतिशत बढ़ गया। वर्ष 2019-20 की अप्रैल- दिसम्‍बर अवधि के दौरान इस्‍पात उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 5.2 प्रतिशत ज्‍यादा रहा।


सीमेंट


दिसम्‍बर, 2019 के दौरान सीमेंट उत्‍पादन (भारांक: 5.37%) दिसम्‍बर, 2018 के मुकाबले 5.5 प्रतिशत अधिक रहा। वर्ष 2019-20 की अप्रैल- दिसम्‍बर अवधि के दौरान सीमेंट उत्‍पादन बीते वित्‍त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 0.7 प्रतिशत अधिक हुआ।


बिजली


दिसम्‍बर, 2019 के दौरान बिजली उत्‍पादन (भारांक: 19.85%) दिसम्‍बर, 2018 के मुकाबले 1.6 प्रतिशत गिर गया। वर्ष 2019-20 की अप्रैल- दिसम्‍बर अवधि के दौरान बिजली उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 0.5 प्रतिशत अधिक रहा।


नोट 1: अक्‍टूबर 2019 नवम्‍बर, 2019 और दिसम्‍बर, 2019 के आंकड़े अनंतिम हैं।


नोट 2: अप्रैल, 2014 से ही बिजली उत्पादन के आंकड़ों में नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त बिजली को भी शामिल किया जा रहा है।


नोट 3: जनवरी 2020 के लिए सूचकांक शुक्रवार, 28 फरवरी, 2020 को जारी किया जाएगा।



भुवनेश्‍वर-वाराणसी सीधी दैनिक विमान सेवा प्रारंभ

भारत में क्षेत्रीय विमान सेवा क्‍नेक्टिविटी में एक छलांग और लगाते हुए आज एयरइंडिया की पूर्ण स्‍वामित्‍व वाली विमान सेवा कम्‍पनी एलायंस एयर ने भारत सरकार की आरसीए-उड़ान (क्षेत्रीय क्‍नेक्टिविटी योजना-उड़े देश का आम नागरिक) योजना के अन्‍तर्गत भुवनेश्‍वर से वाराणसी के लिए सीधी दैनिक विमान सेवा प्रारंभ की। उड़ान योजना के अन्‍तर्गत पहली उड़ान को माननीय प्रधानमंत्री ने 27 अप्रैल, 2017 को झंडी दिखाई थी। भुवनेश्‍वर-वाराणसी मार्ग पर विमान सेवा को प्रांरभ करना नागर विमानन मंत्रालय की शानदार उपलब्धि है और आरसीएस-उड़ान योजना के तहत यह 250वें मार्ग के परिचालन का प्रारंभ है।


हाल में 27 जनवरी 2020 को एलायंस एयर ने आरसीएस-उड़ान के अन्‍तर्गत कोलकाता-झरसूगुड़ा के लिए सीधी दैनिक विमान सेवा की शुरूआत की थी। उड़ान-3 बोली प्रक्रिया में भुवनेश्‍वर-वाराणसी मार्ग एलायंस एयर को दिया गया। एलायंस एयर विमान सेवा द्वारा आरसीएस-उड़ान योजना के तहत 58वें मार्ग पर सेवा दी जा रही है। गंगा नदी के किनारे बड़ी संख्‍या में मंदिरों और पवित्र घाटों के होने के कारण पूरे देश से लोग वाराणसी आते हैं। बौद्ध पर्यटन सर्किट होने के कारण यह मार्ग पर्यटन उद्योग को प्रोत्‍साहित करेगा, क्‍योंकि पर्यटन वाराणसी का दूसरा सबसे महत्‍वपूर्ण उद्योग है। वाराणसी विभिन्‍न कारणों से देशी और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है। धार्मिक और पर्यटन केन्‍द्र होने के अ‍तिरिक्‍त वाराणसी में भारत के प्रसिद्ध विश्‍वविद्यालयों में से एक बनारस हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय (बीएचयू) है।


एलायंस एयर भुवनेश्‍वर-वाराणसी मार्ग पर सीधी दैनिक विमान सेवा संचालित करेगी। इसके लिए विमान सेवा कम्‍पनी 70 सीटों वाला एटीआर 70 600 विमान तैनात करेगी। सीधी उड़ान से तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, वि़द्यार्थियों, व्‍यावसायियों तथा कारोबारियों को लाभ मिलेगा।  उड़ान की समयसारिणी इस प्रकार है।



सरकार एमएसएमई क्षेत्र को मदद देने को प्रतिबद्ध

सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को मदद देने को प्रतिबद्ध है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख क्षेत्र है जो उद्यमिता को प्रोत्साहन देता है और कम लागत पर रोजगार के अवसर सृजित करता है।


केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा पेश की। आर्थिक समीक्षा में एमएसएमई को बेहतर ऋण प्रवाह, तकनीकी उन्नयन, व्यवसाय शुरु करने में आसानी और बाजार तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करने में मदद के लिए उठाए गए सभी कदमों का विस्तृत विश्लेषण दिया गया है।


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस क्षेत्र में तेज वृद्धि के लिए 2 नवंबर, 2018 को महत्वपूर्ण सुधारों की घोषणा की। सरकार की ये पहलें और उनकी स्थिति निम्न प्रकार है।


(1)सिद्धांत: एक करोड़ रुपये तक के ऋण ऑन-लाइन पोर्टल के जरिए 59 मिनट के अंदर मंजूर किए जाते हैं। कुल 49,330 करोड़ रुपये के 1,59,422 ऋण प्रदान किए गए हैं। इनमें से 37,106 करोड़ रुपये के ऋण का वितरण अक्टूबर 2019 तक कर दिया गया है।


(2) जीएसटी में पंजीकृत सभी एमएसएमई को एक करोड़ रुपये तक के इंक्रीमेंटल ऋण पर ब्याज में 2 प्रतिशत आर्थिक मदद दी जाती है। सिडबी ने नवंबर 2018 से लेकर मार्च 2019 तक 43 बैंकों/एनबीएफसी से प्राप्त 18 करोड़ रुपये के दावे को निपटाया है।   


(3) 500 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली सभी कंपनियों को टीआरईडीएस पोर्टल से जुड़ना अनिवार्य है ताकि उद्यमी बैंक से ऋण ले सकें।अब तक 329 कंपनियों ने टीआरईडीएस पोर्टल पर खुद को पंजीकृत कराया है।


(4) सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (सीपीएसयू) को अपनी कुल खरीद का कम से कम 25 प्रतिशत एमएसएमई से खरीदना होगा। सीपीएसयू ने 59,903 एमएसएमई से 15,936.39 करोड़ रुपये मूल्य के सामान और सेवाएं खरीदी हैं।


(5) सीपीएसयू के लिए एमएसएमई से 25 प्रतिशत की आवश्यक खरीद में से 3 प्रतिशत की खरीद महिला उद्यमियों से करना आरक्षित है। वर्ष 2019-20 के दौरान 1471 महिला एमएसएमई से कुल 242.12 करोड़ रुपये की खरीदारी हुई।


(6)सभी सीपीएसयू को जीईएम पोर्टल से खरीदारी करना अनिवार्य है। जीईएम पोर्टल पर 258 सीपीएसयू/सीपीएसवी कंपनियां और 57,351 एमएसएमई कंपनियां पंजीकृत हैं।


(7) 6000 करोड़ रुपये की लागत से 20 प्रौद्योगिकी केंद्र और 100 एक्सटेंशन सेंटर की स्थापना की जानी है। इन नप्रौद्योगिकी और एक्सटेंशन केंद्रों के लिए 99.30 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 10 और एक्सटेंशन केंद्र खोलने की योजना है।


(8) फार्मा क्लस्टर की स्थापना की लागत का 70 प्रतिशत हिस्सा सरकार वहन करेगी। चार शहरों सोलन, इंदौर, औरंगाबाद और पुणे को फार्मा क्लस्टर की स्थापना और साझा सुविधा स्थलों के विकास के लिए चुना गया है।


(9) 8 श्रम कानूनों और 10 केंद्रीय नियमन के तहत साल में एक बार रिटर्न फाइल करना है।


(10) इंस्पेक्टर द्वारा प्रतिष्ठानों के दौरा को लेकर फैसला कम्प्यूटरीकृत रैंडम आवंटन के लिए जरिए किया जाएगा। 3080 इंस्पेक्शन कराए गए हैं और इनकी सभी रिपोर्ट श्रम सुविधा पोर्टल पर अपलोड की गई हैं।   



वित्‍तवर्ष 2020-25 में अवसंरचना क्षेत्र में 102 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा

केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2019-20 पेश की। आर्थिक समीक्षा में भारत के अवसंचरना क्षेत्र के रुझानों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।


समीक्षा में इस बात पर जोर दिया गया है कि विकास के लिए अवसंरचना के क्षेत्र में निवेश करना अनिवार्य है। बिजली की कमी, अपर्याप्त परिवहन सुविधा तथा कमजोर संपर्कता से कुल मिलाकर विकास संबंधी निष्पादन प्रभावित होता है। चूंकि पर्याप्त अवसंरचना का प्रावधान होना समावेशी विकास के लिए अनिवार्य है, भारत ने हाल में वित्‍त वर्ष 2020-2025 की पांच वर्ष की अवधि के लिए एक राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) की शुरूआत की है।


भारत को 2024-2025 तक पांच ट्रिलियन अमेरीकी डॉलर के जीडीपी तक पहुंचने के लिए, अवसंरचना पर इन वर्षों में लगभग 1.4 ट्रिलियन अमेरीकी डॉलर (100 लाख करोड़ रुपये) व्यय करने की आवश्यकता है, ताकि‍ भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में अवसंरचना की कमी होना किसी प्रकार रुकावट न बने। एनआईपी से अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं को अच्छी तरह तैयार किया जा सकता है, जिससे रोजगार का सृजन होगा, जीवन स्तर में सुधार होगा और सबके लिए अवसंरचना के क्षेत्र में समान पहुंच कायम होगी। इस प्रकार विकास को और अधिक समावेशी बनाने में मदद मिलेगी।


एनआईपी के अनुसार, केंद्र सरकार (39 प्रतिशत) और राज्य सरकारों (39 प्रतिशत) से अपेक्षा है कि वे निजी क्षेत्र (22 प्रतिशत) के बाद परियोजनाओं के वित्तपोषण में बराबर हिस्सेदारी करेंगी। फिलहाल 42.7 लाख करोड़ रुपये (42 प्रतिशत) लागत की परियोजनाएं क्रियान्वयन के अधीन हैं। नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन का वित्तपोषण एक चुनौती होगी, लेकिन समीक्षा में आशा व्‍यक्‍त की गई है कि अच्छी तरह से तैयार की गई परियोजनाओं के बल पर केंद्र और राज्य सरकार, शहरी स्थानीय शासन, बैंक और वित्तीय संस्थान, पीई फंड और निजी निवेशक इनमें निवेश के लिए आकर्षित होंगे।


आर्थिक समीक्षा में रेल, सड़क परिवहन, नागर विमानन, शिपिंग, टेलीकॉम, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, बिजली, खनन, आवास और शहरी अवसंरचना से संबंधित क्षेत्रवार विकास का मूल्यांकन किया गया है।


सड़क क्षेत्र


आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि सड़क परिवहन सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) में अपने योगदान के संदर्भ में परिवहन का महत्वपूर्ण साधन है। 2017-2018 में जीवीए में परिवहन क्षेत्र का हिस्सा लगभग 4.77 प्रतिशत था, जिसमें सड़क परिवहन का हिस्सा 3.06 प्रतिशत है, इसके बाद रेलवे (0.75 प्रतिशत), हवाई परिवहन (0.15 प्रतिशत) और जल परिवहन (0.06 प्रतिशत) है।


2014-15 से 2018-19 के पांच साल की अवधि में सड़कों और राजमार्ग क्षेत्र में कुल निवेश 3 गुना से अधिक हो गया है।


रेल


समीक्षा में बताया गया है कि वर्ष 2018-19 के दौरान, भारतीय रेलवे ने 120 करोड़ टन माल ढुलाई की और 840 करोड़ यात्रियों के बल पर यह दुनिया का सबसे बड़ा यात्री वाहक और चौथा सबसे बड़ा माल वाहक बना।


नागर विमानन


नागरिक उड्डयन का व्यापक दृष्टिकोण रखते हुए, आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि हवाईअड्डों के संचालन, रखरखाव और विकास के लिए भारत में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा 6 और सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत 136 व्यावसायिक रूप से प्रबंधित हवाई अड्डे हैं। बिना लाइसेंस वाले हवाई अड्डों (उड़ान) के संचालन की योजना शुरू होने के बाद से कुल 43 हवाई अड्डों का परिचालन किया गया है। विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता रिपोर्ट 2019 के अनुसार, भारत हवाई अड्डे की कनेक्टिविटी के संदर्भ में 7 अन्य देशों की तुलना में पहले स्थान पर रहा।


मौजूदा हवाई अड्डे की क्षमता पर दबाव को कम करने के लिए, वित्त वर्ष 2023-24 तक 100 और हवाई अड्डों को चालू किया जाना है। समीक्षा में बताया गया है कि विकास की तीव्र गति जारी रखने के लिए सरकार एक स्थायी वातावरण उपलब्ध कराती रही है, ताकि भारतीय वाहक 2019 के अंत में लगभग 680 विमानों के अपने बेड़े को वित्त वर्ष 2023-24 तक 1200 विमानों तक बढ़ाकर अपने बेड़े को दोगुना कर सकें।


शिपिंग


शिपिंग के क्षेत्र में तेज विकास की चर्चा करते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि मात्रा के रुप में व्यापार के 95 प्रतिशत और मूल्य के रुप में व्यापार के 68 प्रतिशत व्यापार की ढुलाई समुद्र के रास्ते होता है। भारत के समुद्री बेड़े में 30 सितंबर, 2019 तक 1419 जहाज शामिल हैं।


देश के प्रमुख बंदरगाहों की 30 मार्च, 2019 तक स्थापित क्षमता 1514.09 एमटीपीए है और वर्ष 2018-19 के दौरान 699.09 मीट्रिक टन सामानों की ढुलाई हुई। समीक्षा में कहा गया है कि शिपिंग मंत्रालय मशीनीकरण, डिजिटाइजेशन, और आसान प्रक्रिया के जरिए संचालन क्षमता में सुधार करने के प्रयास में लगा है। साल 2018 में जहाज पर से माल उतारने और लादने की क्रिया में लगने वाले औसत समय में सुधार हुआ जो  59.51 घंटे रहा जबकि वर्ष 2017-18 में यह 64.43 घंटे था।


दूरसंचार क्षेत्र


दूरसंचार क्षेत्र पर नज़र डालते हुए आर्थिक समीक्षा में बताया गया कि भारत में आज दूरसंचार क्षेत्र में 4 प्रमुख कंपनियां कार्यरत है- इनमें तीन निजी क्षेत्र की और बीएसएनएल एवं एमटीएनएल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है। समीक्षा में यह प्रमुखता से बताया गया है कि भारत में डेटा मूल्य दुनिया भर के देशों में सबसे सस्ता है जिससे डिजिटल इंडिया अभियान के हिस्से के रूप में ब्रॉडबैंड हाइवेज का विकास करने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। सरकार देश की सभी 2.5 लाख पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के लिए चरणबद्ध तरीके से भारत नेट कार्यक्रम लागू कर रही है।


पेट्रोलियम एवं प्राकृति गैस   


      आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है। भारत की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति कोयला, कच्चा तेल, अक्षय ऊर्जा और प्राकृतिक गैस से होती है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने अन्वेषण गतिविधियों को बढ़ाने, घरेलू एवं विदेशी निवेश आकर्षित करने और मौजूदा क्षेत्रों से तेल एवं गैस के घरेलू उत्पादन में तेजी लाने के लिए अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति में सुधार कर रहा है। साल 2019 में कच्चे तेल के भंडार में वृद्धि हुई है।


समीक्षा में कहा गया है कि भारत में 249.4 एमएमटीपीए की शोधन क्षमता है और यह संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस के बाद दुनिया में चौथा सबसे बड़ा देश है। पेट्रोलियम ईंधन एवं पेट्रो रसायन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत की शोधन क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है।


      समीक्षा में कहा गया है कि तेल और प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में निजी संस्थाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कई सुधार उपाय किए हैं, जिनमें सरलीकृत राजकोषीय और अनुबंध की शर्तें,  श्रेणी-2 के तहत अन्वेषण ब्लॉकों और बिना किसी उत्पादन या सरकार को राजस्व साझा के तीन तलछटी घाटियों की नीलामी, राजकोषीय प्रोत्साहनों का विस्तार करके खोजों का शीघ्र मुद्रीकरण, विपणन एवं मूल्य निर्धारण स्वतंत्रता सहित  गैस उत्पादन को प्रोत्साहित करना, नवीनतम प्रौद्योगिकी और पूंजी का समावेश,  राष्ट्रीय तेल कंपनियों में अधिक कार्यात्मक स्वतंत्रता और नामांकन क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने में निजी क्षेत्रों की भागीदारी शामिल हैं।


बिजली


आर्थिक समीक्षा में यह भी उल्लेख किया गया है कि सरकार द्वारा बिजली क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी ऊर्जा संक्रमण सूचकांक में भारत की रैंकिंग सुधर कर 76वें स्थान पर आ गई है। बिजली के उत्पादन और संचारण में भी सार्वभौमिक विद्युतीकरण प्रगति हुई है। मार्च 2019 में 3,56,100 मेगावाट की स्थापित क्षमता 31 अक्टूबर 2019 को बढ़कर 3,64,960 मेगावाट हो गई है।  


समीक्षा में यह कहा गया है कि समेकित विकास और जीवन को आसान बनाने के लिए बिजली का उपयोग आवश्यक है। 25 सितंबर, 2017 को 1,6,320 करोड़ की लागत से  प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) की शुरूआत हुई जिसका उद्देश्य 31-03-2019 तक सभी घरों का विद्युतीकरण करना था। समीक्षा में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ के चरमपंथ प्रभावित बस्तर क्षेत्र के कुछ घरों को छोड़कर सभी राज्यों के सभी घरों का विद्युतीकरण कर दिया गया है जिसकी रिपोर्ट सौभाग्य पोर्टल पर मौजूद है।


खनन क्षेत्र


आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि भारत 95 खनिजों का उत्पादन करता है जिसमें चार हाइड्रोकार्बन ऊर्जा खनिज, पांच परमाणु खनिज, 10 धातुएं, 21 गैर-धातु और 55 लघु खनिज शामिल हैं। वर्ष 2018-19 के दौरान जीवीए में खनन और उत्खनन क्षेत्र का योगदान लगभग 2.38 प्रतिशत है। समीक्षा में कहा गया है कि नीतिगत सुधारों की वजह से खनिजों के उत्पादन में उल्लेखनीय बदलाव आया है और पिछले साल की तुलना में इसमें वर्ष 2018-19 के दौरान मूल्य के रूप में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।


आवास और शहरी बुनियादी ढांचा


आर्थिक समीक्षा में निर्माण क्षेत्र के बारे कहा गया है कि यह सकल घरेलू उत्पाद का 8.24 प्रतिशत है, जिसमें आवास शामिल है और कुल कार्यबल का लगभग 12 प्रतिशत इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) जून 2015 में शुरू की गई थी। समीक्षा में कहा गया है कि यह दुनिया की सबसे बड़े आवास योजनाओं में से एक है, जिसमें पूरे शहरी भारत को शामिल किया गया है और यह चार ऊर्ध्वाधरों के माध्यम से लागू किया जा रहा है। यह योजना 2020 तक सभी को पक्का मकान उपलब्ध कराने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में बढ़ रही है। अब तक 32 लाख घर बना कर वितरित कर दिये गए हैं।


समीक्षा में कहा गया है कि 100 शहरों में स्मार्ट सिटी मिशन के शुभारंभ के बाद से 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की 5,151 परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। 22,569 करोड़ रुपये की कुल 1,290 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और कार्यरत हैं।



प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2020 के विजेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातचीत का मूल पाठ

राष्‍ट्रीय बाल पुरस्‍कार के आप सभी विजेताओं को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई। अब आप बधाई लेते-लेते थक गए लगते हो। बधाई ज्‍यादा हो गई ना? कम है कि ज्‍यादा हो गई; ऐसा तो नहीं हुआ ना? अच्‍छा, यहां आते समय मास्‍टरजी ने कहा होगा वहां बिल्‍कुल discipline में रहना है, हाथ-पैर नहीं हिलाने, ऐसा बोला होगा। हां....ये गड़बड़ है। यहां आ करके कैसा लग रहा है आप लोगों को? मतलब क्‍या – मौसम अच्‍छा लग रहा है? राष्‍ट्रपति भवन देखा…पूरा..और आज क्‍या देख रहे हैं? पेड़-पौधे ?


आप में से कितने लोग हैं जो पहली बार दिल्‍ली आए हैं? अच्‍छा...बाकी सब बार-बार आ चुके हैं.. सब परिचित हैं। ये जो पीछे लोग हैं उनके लिए सवाल नहीं हैं मेरे...ये सब बच्‍चों के लिए हैं। वरना prompting पीछे से हो रहा है।


वैसे दिल्‍ली आने का अपना ही एक उत्‍साह होता है, फिर भी मुझे पता है कि आपको जरा जल्‍दी जाने का मूड करता होगा, घर जाने का। देखिए, आपको पक्‍का मन करता होगा जल्‍दी घर जाएं, क्‍या-क्‍या हुआ दोस्‍तों को बताएं, फोटो दिखाएं, अपना अवॉर्ड दिखाएं, दिल्‍ली के अनुभव सुनाएं, दिल्‍ली की ठंड कैसी है, वो बताएं, ऐसा मन करता है ना? किसी का भी करता है जी, अपने सा‍थियों को अपनी अच्‍छी-अच्‍छी बातें बताने का मन हर किसी को करता है। आपको नहीं करता है?


देखिए, पूरी यात्रा की ढेर सारी कहानियां होंगी, जो आप सुनाना चाहते होंगे। आप भले ही न कहते हों, लेकिन आपका मन करता होगा, पहले जा करके दादीजी को तो ये कहना ही कहना है, ऐसा मन करता होगा। और कुछ लोग होंगे जो घर जा करके कहेंगे, देखो आप मुझे मना कर रहे थे, अब पता चला ना मैं अच्‍छा-अच्‍छा काम कर रहा हूं। तो अब आप लोग घर में जा करके मम्‍मी-पापा को डांटोगे? बताओगे- हां-हां देखो हमारे पास फोटो है राष्‍ट्रपति जी के साथ, हम अवॉर्ड लेकर आए हैं, ऐसा करोगे ना? नहीं करोगे? ऐसा हो सकता है क्‍या? अच्‍छा छुपा करके करना, चोरी-छिपे से करना। करेंगे, नहीं करेंगे?


ये क्‍या बचपन खो दिया है आपने? अरे बचपन तो बचा रहना चाहिए। आपका बचपन खो गया है। जिसको ये मन न करे कि मम्‍मी–पापा को भी जा करके बताऊंगा, ये कहूंगा, उनको ये सुनाऊंगा, तो फिर तो आपने बचपन खो दिया है आपका। तो आपको अलग खुला नहीं छोड़ते हैं मम्‍मी-पापा, पीछे लगे रहते हैं? उनको भरोसा नहीं है, छोटे बच्‍चे हैं क्‍या करेंगे, ऐसा लग रहा है ना? अगली बार बताइए उनको कि मुझे अकेले कहीं जाने दो।


देखिए, थोड़ी देर पहले आप सभी का जब परिचय हो रहा था, तो मैं सचमुच में बहुत हैरान था। इतनी कम आयु में जिस प्रकार से आप सभी ने अलग-अलग क्षेत्रों में कुछ न कुछ करके दिखाया है, कोई प्रयास किए, कोई काम किया है, आपको तो समाधान होगा ही होगा लेकिन आज के बाद आपको कुछ और करने का मन कर जाएगा। और अधिक अच्‍छा करने का इरादा हो जाएगा।


और मैं समझता हूं कि ये सारे जो awards वगैरह होते हैं ना, वो आखिरी मुकाम नहीं होता है। एक प्रकार से ये beginning होता है। जब कोई recognize करता है तो मन को अच्‍छा लगता है। एक प्रकार से ये जिंदगी की शुरूआत है। और आपने मुश्किल परिस्थितियों से लड़ने का साहस दिखाया। आप में से कुछ वीर बालक हैं, कुछ ऐसे भी हैं जिन्‍होंने गंभीर बीमारियों से लोगों को बाहर निकालने के लिए, ease of living के लिए कई नए-नए innovation किए हैं। किसी ने आर्ट एंड कल्‍चर में, किसी ने स्‍पोर्ट्स में, तो किसी ने शिक्षा साहित्‍य में, तो किसी ने समाज सेवा में; विविधताओं से भरा हुआ आपका योगदान रहा है।


आप अपने समाज के प्रति, राष्ट्र के प्रति अपनी ड्यूटी... आपने देखा होगा मैंने लालकिले से एक बात कही थी, याद है किसी को...लाल किले से कुछ कहा था? याद है ? बहुत कुछ कहा था, कुछ भी कहोगे तो सच निकलेगा। एक बात मैंने कही थी- ‘कर्त्तव्‍य पर बल’। ज्‍यादातर हम अधिकार पर बल देते हैं। अब देश की आजादी को 75 साल होने वाले हैं, तो कब तक अधिकार पर बल देते रहेंगे? अब कर्त्तव्‍य पर बल देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए? Duty को प्राथमिकता कि rights को प्राथमिकता? पक्‍का, सब सहमत हैं, चलिए हमने आज एक कानून पास कर दिया।


देखिए, आप अपने समाज के प्रति, राष्‍ट्र के प्रति अपनी ड्यूटी से और उसके लिए जिस प्रकार से जागरूक हैं, ये सिर्फ आपके माता-पिता को नहीं, आपके परिवारजनों के लिए, जो भी आपके बारे में जानेगा उन सबको गर्व होगा, उनको पक्‍का गर्व होगा।


देखिए, मैं एक काम करूंगा, आप सबकी फोटो के साथ मैं आज आपकी जो स्‍टोरी है, उसको मैं सोशल मीडिया में दुनिया से शेयर करूंगा। हर individual, कैसे आपने किया है, कहां से आए हैं, कैसा रहा है; मैं लिखूंगा उसमें। लेकिन कुछ गलती हो जाए तो फिर आप नाराज मत हो जाना, क्‍योंकि कभी-कभी जानकारियों में गलती हो जाती है।


देखिए दोस्‍तो, आप सब कहने को तो बहुत छोटी आयु के हैं, कम आयु के हैं, लेकिन आपको पता है आपने जो काम किया है, उसको करने की बात छोड़ दीजिए, सोचने में भी बड़े-बड़े लोगों को पसीने छूट जाते हैं। आप में से जिन्‍होंने innovation किया होगा, जब अपने टीचर को बताओगे तो टीचर भी कहेगा, तुम मुझे परेशान मत करो, तुम जाओ। उनको दिमाग खपाते होंगे, टीचर भी नाराज हो जाते होंगे। उनको लगता होगा ये बच्‍चा इतना bright है, ये मेरे पल्‍ले कैसे पड़ गया, ये मुझे पढ़ाता है। ऐसा होता है ना? देखिए, मैं एक बात बताऊं आपको, आप अपने सभी friends और teachers को जरूर बताइएगा। मैं आप सभी युवा साथियों के ऐसे साहसिक काम के बारे में जब भी सुनता हूं, आपसे बातचीत करता हूं, तो मुझे भी प्रेरणा मिलती है, आपसे मैं भी कुछ सीखता हूं। अभी एक बच्‍चे ने मुझे पूछा कि आप इतना काम करते हैं तो मां की याद नहीं आती है; याद करता हूं तो सब थकान उतर जाती है।


सा‍थियो, आप जैसे बच्‍चों के भीतर छुपी इस प्रतिभा को प्रोत्‍साहित करने के लिए ही ये राष्‍ट्रीय पुरस्‍कारों का दायरा बढ़ाया गया है। और ये सिर्फ आपको पुरस्‍कार मिल रहा है, ऐसा नहीं है, इस अवसर के कारण देशभर के बच्‍चों का इन चीजों पर ध्‍यान जाता है। एक प्रकार से आप उनके लिए हीरो बन जाते हैं, आप उनके लिए inspiration बन जाते हैं। जम्‍मू-कश्‍मीर में बैठा हुआ कोई बच्‍चा होगा, लद्दाख में बैठा हुआ बच्‍चा होगा, नागालैंड में बैठा हुआ बच्‍चा होगा; वो केरल के किसी बच्‍चे की कथा सुनेगा तो उसको लगेगा अच्‍छा! हमारे देश के बालक ऐसा कर रहे हैं? ये अपने आप में- कई गुना इसका प्रभाव पैदा होता है, इसकी तरंगें चलती रहती हैं। Waves लगातार नीचे प्रभावित करते रहते हैं और इसलिए इन चीजों की तरफ, इन घटनाओं को कभी कम नहीं आंकना चाहिए, उसका अपना एक महत्‍व है। लेकिन कभी-कभी क्‍या होता है, जब नाम हो जाए, अखबार में तस्‍वीर छप जाए तो फिर हम भी जमीन से दो-तीन फीट ऊपर चलते हैं ना, फिर पैर जमीन पर नहीं पड़ते हैं, ऐसा हो जाता है ना? फिर घर में भी- देखिए, मुझे कोई काम मत बताइए, मैं National award लेकर आया हूं, ऐसा होता है ना? तो क्‍या ऐसा करोगे आप लोग? पैर जमीन पर रखोगे?


अधिकतम लोगों के जीवन में दो पड़ाव आते हैं- एक सहज भाव से अच्छा करता चला जाता है और जब कहीं recognized हो जाता है, फिर जाने-अनजाने में हवा भर जाती है और फिर वो उसी धुन में रहता है आगे कुछ नया नहीं कर पाता है। उसको लगता है बस हो गया, फोटो छप गई, दिल्‍ली हो आया, राष्‍ट्रपति भवन हो आया, अब क्‍या है। ज़िन्दगी में सब हो गया है। ज़िन्दगी इतनी छोटी नहीं है।


दूसरे वो लोग होते हैं- अगर कुछ किया, कहीं recognized हुआ तो उसी को वो अपनी प्रेरणा बना लेते हैं, उसी को अपनी प्रतिज्ञा बना लेते हैं, उसी में से पुरुषार्थ करने के रास्‍ते खोजते रहते हैं और वे नई-नई चीजों को हासिल करने के लिए रुकते नहीं हैं, थकते नहीं हैं।


मैं चाहूंगा कि आप कभी भी अपने जीवन में उन दूसरे प्रकार की आदतों को घुसने ही मत देना। अभी जो हुआ है वो कुछ नहीं, ऐसा ही मानकर जाइए। ठीक है, अभी तो मुझे बहुत कुछ करना है, देश को बहुत कुछ देना है, खुद को हर प्रकार से तैयार करना है। ये अगर जज्‍बा ले करके जाते हैं तो आप देखिए, आपको इस अवसर का बहुत बड़ा आनंद मिलेगा, उसमें से कुछ नया सीखने को मिलेगा। तो आप बताइए पहले रास्‍ते पर जाएंगे कि दूसरे? अपने हाथ ऊपर कीजिए, कितने लोग हैं जो पहले रास्‍ते पर जाएंगे? अच्‍छा ये बताइए, जो दूसरे रास्‍ते पर जाएंगे, वो कौन हैं? इसका मतलब आप मेरी बात समझे नहीं? मैं ये कह रहा था कि एक रास्‍ता वो होता है जो पहला रास्‍ता, कि जिसमें इसको आप अंतिम नहीं मानते हैं, इसको आप शुरूआत मानते हैं। आपके पैर जमीन से उखड़ नहीं जाते हैं, आप हवा में उड़ने नहीं लगते और कुछ और अधिक करने का संकल्‍प करते हैं, ये पहला रास्‍ता है। दूसरा- यार बहुत हो चुका, अब फोटो छप गई, टीवी में आ गए, अब क्‍या करना है, सो जाओ। तो बताइए कि पहला रास्‍ता है कि दूसरा? पक्‍का, देखिए, पहले गलती की थी ना?


अच्छा, मैं आपसे कुछ सवाल पूछता हूं। आप में से कौन इतने लोग हैं जिनको दिन में चार बार पसीना आता है, भरपूर पसीना आता है, पूरा पसीना-पसीना शरीर हो जाता है, जैसे कोई भी सीजन हो, ठंडी हो, गरमी हो। जिसको चार बार दिन में पूरा पसीना निकलता है, कैसे निकलता है, धूप में खड़े रहते हैं? Morning exercise में? और कोई ? देखिए एक भी बालक ऐसा नहीं होना चाहिए, अपने दोस्‍तों को भी बताइए कि जिसको दिन में चार बार पसीना नहीं आए, ऐसा एक भी बालक नहीं होना चाहिए। मुझे एक बार किसी ने बहुत साल पहले किसी ने पूछा था कि आपके चेहरे पर इतना तेज क्‍यों है तो मैंने बड़ा आसान जवाब दिया था- मैंने कहा मेरे शरीर में इतना पसीना निकलता है, मेहनत करता हूं और मैं उसी पसीने से मालिश करता हूं, इसलिए चमक जाता है। अच्‍छा आप में से कितने लोग हैं जो पानी पीते हैं तो खड़े-खड़े पीते हैं, बैठ करके नहीं पीते? ऐसे कितने लोग हैं? देखिए, पानी जब पीते हैं तो बैठ करके पीजिए। छोटी चीज है लेकिन आपको जा करके उसका शास्‍त्र कोई समझाएगा, मैं उस चक्‍कर में नहीं पड़ता हूं। करेंगे ये?


अच्‍छा आपमें से कितने हैं जो पानी दवाई की तरह पीते हैं? कुछ लोग होंगे जो पानी जूस की तरह पीते होंगे, पानी का भी आनंद लेते होंगे। कुछ लोग होते होंगे दवाई की तरह...आप कितने हैं जो पानी को पानी का मजा लेते हैं, पानी का टेस्‍ट करते हैं? Enjoy करते हैं। आप कोशिश कीजिए पानी का टेस्‍ट होता है, वो शरीर को बहुत फायदा करता है, आप उसको enjoy कीजिए। दवाई की तरह ऐसे पानी लगा दिया, ऐसे मत कीजिए। करेंगे? आप कहेंगे- ऐसे क्‍या फायदा, मां तो कहती है पढ़ाई करो, मैं पांच मिनट तक पानी पी रहा हूं, तो झगड़ा हो जाएगा ना। कभी-कभी मां दूध ले करके आती है, मां को काम है, टीवी सीरियल चल रहा है तो मां कहती है, चल जल्‍दी दूध पी ले और आप वो दूध भी दवाई की तरह पी जाते हो, क्‍योंकि मां को सीरियल देखना है। ऐसा होता है ना? कौन सा- सास भी कभी बहू थी?


छोटी-छोटी चीजें होती हैं, हमने बचपन में शरीर को जो आदतें डाली होती हैं वो जीवनभर काम आती हैं और मन में वो एकदम से फिट बैठ जाती हैं। आपको मालूम है देश में एक अभियान चल रहा है, ‘फिट इंडिया’, पता है? कितनों को मालूम है? तो फिट इंडिया के लिए किस दर्जी के पास जाते हो, किस tailor के पास जाते हो? कौन, फिट इंडिया के लिए tailor के पास कौन जाता है, तो क्‍या करते हैं फिट इंडिया के लिए कोई बताएगा? नहीं, क्‍या करते हैं? exercise कहने से थोड़ा ही होता है, कोई कहेगा मैं सूर्य नमस्‍कार करता हूं, कोई कहता है मैं साइकलिंग करता हूं, कोई कहता है मैं स्‍वीमिंग करता हूं...क्‍या करते हैं? अच्‍छा आप में से कितने लोग हैं फटाफट पेड़ पर चढ़ जाते हैं, फिर उतर जाते हैं? घरवालों को चिल्‍लाना पड़ता है, अरे नीचे उतरो, नीचे उतरो- ऐसे कितने लोग हैं?


देखिए साहस- ये हमारे स्‍वभाव में होना चाहिए। यहां पैर रखूंगा तो गिर जाऊंगा, तो ये करूंगा तो- ऐसे जिंदगी नहीं जीते। साहस के बिना जीवन संभव नहीं है। आप छोटी-छोटी चीजों का साहस करने की आदत बनाओगे तो आगे चलकर वो भी बहुत काम आएगा। और आप जैसे लोग जब करेंगा ना, तो बाकी 50 लोग देखेंगे- अरे देखो, ये भी करता है। इतना अवॉर्ड लेकर आया, फिर भी इतनी मेहनत करता है। इतना मान-सम्‍मान ले करके आया, लेकिन देखिए ये काम कर रहा है। तो क्‍या होगा- बहुतों को प्रेरणा मिलेगी। करोगे? पक्‍का करोगे? तो परसों 26 जनवरी की तैयारी? तो सिखाया गया होगा, ऐसे-ऐसे करो? दाहिने हाथ से करना है कि बाएं हाथ से? ये नहीं बताया। जिस तरफ लोग होंगे, उस तरफ करना है। अरे हम होंगे तो पांच मीटर, दस मीटर तक ही होंगे, बाकी तो बहुत भीड़ होती है।


चलिए, मुझे बहुत अच्‍छा लगा आप लोग enjoy कीजिए और दिल्‍ली में बहुत कुछ देखिए। अलग-अलग जगह पर जाइए। लालकिले में आपको मालूम होगा, नेताजी सुभाष बाबू को ले करके, क्रांतिकारियों को ले करके बहुत अच्‍छा म्‍यूजियम बना है। देखेंगे आप लोग? देखकर आए, ले जाने वाले हैं? अच्‍छा वॉर मेमोरियल देखा? हैं, नहीं देखा। देखिए, वॉर मेमोरियल भी देखने जाना चाहिए। और अपने राज्‍य का कोई एकाध भी जो वीर शहीद हुआ होगा, उसका नाम पढ़ करके, लिख करके ले जाना, अपने घर पर। अगर मोबाईल फोन है तो उसकी फोटो निकाल करके ले जाना। देखिए, कर्नाटक के ये वीर शहीद का नाम है, उसका फोटो लेकर जाना चाहिए। किसी को दिखाना चाहिए- देखिए, हमारे कर्नाटक के वीर शहीद का नाम वहां वॉर मेमोरियल में है। हरेक को अपने-अपने राज्‍य का ढूंढना चाहिए। ऐसे ही देखकर नहीं आना चाहिए वो जो नाम लिखे हैं ना उन पर तुम्‍हें गर्व होना चाहिए। यहां एक पुलिस मेमोरियल भी बना है, देखने जाओगे? आपको मालूम है ये देश में 33 हजार से ज्‍यादा पुलिस, कभी-कभी लोग पुलिस से नफरत करते हैं ना? पुलिसवाले कहते हैं, चलो इधर चलो, साइकिल यहां मत रखो, बहुत गुस्‍सा होता है ना? 33 हजार पुलिस देश के नागरिकों की रक्षा के लिए शहीद हुए हैं आजादी के बाद। आंकड़ा बहुत बड़ा है, 33 हजार। उस पुलिस के प्रति आदर का, गौरव का भाव बनना चाहिए, देखिए समाज जीवन में एक बदलाव शुरू हो जाएगा। पुलिस मेमोरियल देखोगे ना तो आपको लगेगा कि ये इतना काम होता रहा, ये ऐसे करते रहे। करोगे? पक्‍का करोगे?


चलिए, बहुत-बहुत धन्‍यवाद आपको। बहुत-बहुत शुभकामनाएं।



आर्थिक समीक्षा 2019-20 : मुख्‍य बातें

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा, 2019-20 पेश की। आर्थिक समीक्षा 2019-20 की मुख्‍य बातें निम्‍नलिखित हैं:


धन सृजन : अदृश्‍य सहयोग को मिला भरोसे का सहारा



  • आर्थिक इतिहास की तीन-चौथाई अवधि के दौरान वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में भारत का वर्चस्‍व इसे अभिव्‍यक्‍त करता है।

  • कौटिल्‍य के ‘अर्थशास्‍त्र‘ में किसी भी अर्थव्‍यवस्‍था में कीमतों की भूमिका के बारे में बताया गया है (स्‍पेंगलर, 1971)।

  • ऐतिहासिक दृष्टि से, भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था ने भरोसे के सहारे के साथ बाजार के अदृश्‍य सहयोग पर विश्‍वास किया :   

    • बाजार का अदृश्‍य सहयोग आर्थिक लेन-देन में खुलेपन में प्रतिबिंबित हुआ।

    • भरोसे का सहारा नैतिक एवं मनोवैज्ञानिक आयामों में रेखांकित हुआ।




·         उदारीकरण के बाद भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था ने आर्थिक मॉडल के उन दोनों ही स्‍तंभों को आवश्‍यक सहयोग दे रही है जिसकी वकालत हमारी पारंपरिक सोच में की गई है।


·         आर्थिक समीक्षा में बाजार के अदृश्‍य सहयोग से प्राप्‍त हो रहे व्‍यापक लाभों के बारे में बताया गया है।


·         उदारीकरण के बाद भारत की जीडीपी और प्रति व्‍यक्ति जीडीपी में उल्‍लेखनीय वृद्धि के साथ-साथ धन सृजन भी हो रहा है।


·         आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि बंद पड़े सेक्‍टरों की तुलना में उदार या खोले जा चुके सेक्‍टरों की वृद्धि दर ज्‍यादा रही है।


·         अदृश्‍य सहयोग को भरोसे का सहारा देने की जरूरत है, जो वर्ष 2011 से वर्ष 2013 तक की अवधि के दौरान वित्तीय सेक्‍टर के प्रदर्शन से परिलक्षित होता है।


·         आर्थिक समीक्षा में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनने संबंधी भारत की आकांक्षा का उल्‍लेख किया गया है जो निम्‍नलिखित पर काफी निर्भर है:


o   बाजार के अदृश्‍य सहयोग को मजबूत करना


o   इसे भरोसे का सहारा देना



  • बिजनेस अनुकूल नीतियों को बढ़ावा देकर अदृश्‍य सहयोग को मजबूत करना

    • नए प्रवेशकों को समान अवसर देना

    • उचित प्रतिस्‍पर्धा और कारोबार में सुगमता सुनिश्चित करना

    • सरकार के ठोस कदमों के ज‍रिए बाजारों को अनावश्‍यक रूप से नजरअंदाज करने वाली नीतियों को समाप्‍त करना

    • रोजगार सृजन के लिए व्‍यापार को सुनिश्चित करना

    • बैंकिंग सेक्‍टर का कारोबारी स्‍तर दक्षतापूर्वक बढ़ाना



  • एक सार्वजनिक वस्‍तु के रूप में भरोसे का आइडिया अपनाना जो अधिक इस्‍तेमाल के साथ बढ़ता जाता है।

  • आर्थिक समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि नीतियां ऐसी होनी चाहिए जो डेटा एवं प्रौद्यो‍गिकी के उपयोग के जरिए पारदर्शिता और कारगर अमल को सशक्‍त बनाए।


जमीनी स्‍तर पर पर उद्यमिता और धन सृजन



  • उत्‍पादकता को तेजी से बढ़ाने और धन सृजन के लिए एक रणनीति के रूप में उद्यमिता।

  • विश्‍व बैंक के अनुसार, गठित नई कंपनियों की संख्‍या के मामले में भारत तीसरे पायदान पर।

  • वर्ष 2014 के बाद से ही भारत में नई कंपनियों के गठन में उल्‍लेखनीय बढ़ोतरी हुई है:


o   वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2018 तक की अवधि के दौरान औपचारिक क्षेत्र में नई कंपनियों की संचयी वार्षिक वृद्धि दर 12.2 प्रतिशत रही, जबकि वर्ष 2006 से लेकर वर्ष 2014 तक की अवधि के दौरान यह वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत थी।


o   वर्ष 2018 में लगभग 1.24 लाख नई कंपनियों का गठन हुआ जो वर्ष 2014 में गठित लगभग 70,000 नई कंपनियों की तुलना में तकरीबन 80 प्रतिशत अधिक है। 



  •  आर्थिक समीक्षा में भारत में प्रशासनिक पिरामिड के सबसे निचले स्‍तर पर यानी 500 से अधिक जिलों में उद्यमिता से जुड़े घटकों और वाहकों पर गौर किया गया है।

  • सेवा क्षेत्र में गठित नई कंपनियों की संख्‍या विनिर्माण, अवसंरचना या कृषि क्षेत्र में गठित नई कंपनियों की तुलना में काफी अधिक है।

  • सर्वे में यह बात रेखांकित की गई है कि जमीनी स्‍तर पर उद्यमिता केवल आवश्‍यकता से ही प्रेरित नहीं होती है।

  • किसी जिले में नई कंपनियों के पंजीकरण में 10 प्रतिशत की वृद्धि होने से सकल घरेलू जिला उत्‍पाद (जीडीडीपी) में 1.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है।

  • जिला स्‍तर पर उद्यमिता का उल्‍लेखनीय असर जमीनी स्‍तर पर धन सृजन पर होता है।

  • भारत में नई कंपनियों का गठन विषम है और ये विभिन्‍न जिलों एवं सेक्‍टरों में फैली हुई हैं।

  • किसी भी जिले में साक्षरता और शिक्षा से स्‍थानीय स्‍तर पर उद्यमिता को काफी बढ़ावा मिलता है:


o   यह असर सबसे अधिक तब नजर आता है जब साक्षरता 70 प्रतिशत से अधिक होती है।


o   जनगणना 2011 के अनुसार, न्‍यूनतम साक्षरता दर (59.6 प्रतिशत) वाले पूर्वी भारत में सबसे कम नई कंपनियों का गठन हुआ है। 



  • किसी भी जिले में भौतिक अवसंरचना की गुणवत्ता का नई कंपनियों के गठन पर काफी असर होता है।

  • कारोबार में सुगमता और लचीले श्रम कानूनों से विशेषकर विनिर्माण क्षेत्र में नई कंपनियों का गठन करने में आसानी होती है।

  • आर्थिक समीक्षा में यह सुझाव दिया गया है कि कारोबार में सुगमता बढ़ाने और लचीले श्रम कानूनों को लागू करने से जिलों और इस तरह से राज्‍यों में अधिकतम रोजगारों का सृजन हो सकता है।


बिजनेस अनुकूल बनाम बाजार अनुकूल



  • आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनने संबंधी भारत की आकांक्षा निम्‍नलिखित पर निर्भर करती है:

    • बिजनेस अनुकूल नीति को बढ़ावा देना जो धन सृजन के लिए प्रतिस्‍पर्धी बाजारों की ताकत को उन्‍मुक्‍त करती है।

    • सांठगांठ वाली नीति से दूर होना जिससे विशेषकर ताकतवर निजी स्‍वार्थों को पूरा करने को बढ़ावा मिल सकता है।



  • शेयर बाजार के नजरिये से देखें, तो उदारीकरण के बाद व्‍यापक बदलाव लाने वाले कदमों में काफी तेजी आई :

    • उदारीकरण से पहले सेंसेक्‍स में शामिल किसी भी कंपनी के इसमें 60 वर्षों तक बने रहने की आशा थी। यह अवधि उदारीकरण के बाद घटकर केवल 12 वर्ष रह गई।

    • प्रत्‍येक पांच वर्ष में सेंसेक्‍स में शामिल एक तिहाई कंपनियों में फेरबदल देखा गया जो अर्थव्‍यवस्‍था में नई कंपनियों, उत्‍पादों और प्रौद्योगिकियों की निरंतर आवक को दर्शाता है।



  • प्रतिस्‍पर्धी बाजारों को सुनिश्चित करने में उल्‍लेखनीय प्रगति के बावजूद सांठगांठ को बढ़ावा देने वाली नीतियों ने अर्थव्‍यवस्‍था में मूल्‍य पर अत्‍यंत प्रतिकूल असर डाला:

    • वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2010 तक की अवधि के दौरान आपस में संबंधित कंपनियों के इक्विटी इंडेक्‍स का प्रदर्शन बाजार के मुकाबले 7 प्रतिशत सालाना अधिक रहा जो आम नागरिकों की कीमत पर प्राप्‍त असामान्‍य लाभ को दर्शाता है।

    • इसके विपरीत वर्ष 2011 पर इक्विटी इंडेक्‍स का प्रदर्शन बाजार के मुकाबले 7.5 प्रतिशत कम रहा जो इस तरह की कंपनियों में अंतनिर्हित अक्षमता और मूल्‍य में कमी को दर्शाता है।




2. ईसीए के तहत औषधि मूल्‍य नियंत्रण



  • डीपीसीओ 2013 के जरिए औषधियों के मूल्‍यों को नियंत्रित किए जाने से नियंत्रित दवाओं की कीमतें अनियंत्रित समान दवाओं की तुलना में ज्‍यादा बड़ी।

  • सस्‍ती दवाओं के फॉर्मुलेशन की कीमत  खर्चीली दवाओं के फॉर्मुलेशन से ज्‍यादा बढ़ी। 

  • इसने इस बात को साबित किया कि डीपीसीओ सस्‍ती दवाओं की उपलब्‍धता के जो प्रयास किए वे उल्‍टे रहे।

  • सरकार दवाओं का एक बड़ा खरीददार होने के कारण सस्‍ती दवाओं की कीमतें कम करने के लिए दबाव डाल सकती है।

  • स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय को सरकार की ओर से दवाओं की खरीद का सौदा अपने हिसाब से करने के इस अधिकार का पारदर्शी तरीके से इस्‍तेमाल करना चाहिए।


3.खाद्यान्‍न बाजार में सरकार के हस्‍तक्षेप


·         खाद्यान्‍न बाजार में सरकारी हस्‍तक्षेप के कारण, सरकार गेहूं और चावल की सबसे बड़ी खरीददार होने के साथ ही सबसे बड़ी जमाखोर भी हो गई है।


·         निजी कारोबार से सरकार का हटना


·         सरकार पर खाद्यान्‍न सब्सिडी का बोझ बढ़ना


·         मार्केट की अक्षमताएं बढ़ने से कृषि क्षेत्र का दीर्धावधि विकास प्रभावित


·         खाद्यन्‍न में नीति को अधिक गतिशील बनाना तथा अनाजों के वितरण के लिए पारंपरिक पद्धति के स्‍थान पर नकदी अंतरण  फूड कूपन तथा स्‍मार्ट कार्ड का इस्‍तेमाल करना।


4.कर्ज माफी


·         केंद्र और राज्‍यों की ओर से दी जाने वाली कर्ज माफी की समीक्षा


·         पूरी तरह से कर्ज माफी की सुविधा वाले लाभार्थी कम खपत, कम बचत, कम निवेश करते हैं जिससे आंशिक रूप से कर्ज माफी वाले लाभार्थियों की तुलना में उनका उत्‍पादन भी कम होता है।


·         कर्ज माफी का लाभ लेने वाले ऋण उठाव के चलन को प्रभावित करते हैं।


·         वे कर्ज माफी का लाभ प्राप्‍त करने वाले किसानों के लिए औपचारिक ऋण प्रवाह को कम करते हैं और इस तरह कर्ज माफी के औचित्‍य को खत्‍म कर देते हैं।



  • समीक्षा के सुझाव


·         सरकार को अपने अनावश्‍यक हस्‍तक्षेप वाले बाजार के क्षेत्रों की व्‍यवस्थित तरीके से जांच की करनी चाहिए।



  • सुझाव दिया गया है कि विभिन्‍न अर्थव्‍यवस्‍थाओं में जो सरकारी हस्‍तक्षेप कभी सही रहे थे वे अब बदलती अर्थव्‍यवस्‍था के लिए अप्रासंगिक हो चुके हैं।

  • ऐसे सरकारी हस्‍तक्षेपों के खत्‍म किए जाने से बाजार प्रतिस्‍पर्धी होंगे जिससे निवेश और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।


नेटवर्क उत्‍पादों में विशेषज्ञता के जरिए विकास और रोजगार सृजन


·         समीक्षा में कहा गया है कि भारत के पास श्रम आधारित निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चीन के समान अभूतपूर्व अवसर हैं।


·         दुनिया के लिए भारत में एसेम्‍बल इन इंडिया और मेक इन इंडिया योजना को एक साथ मिलाने से निर्यात बाजार में भारत की हिस्‍सेदारी 2025 तक 3.5 प्रतिशत तथा 2030 तक प्रतिशत हो जाएगी।


·         2025 तक देश में अच्‍छे वेतन वाली करोड़ नौकरियां होंगी और 2030 तक इनकी संख्‍या करोड़ हो जाएगी।


·         2025 तक भारत को हजार अरब वाली अर्थव्‍यवस्‍था बनाने के लिए जरूरी मूल्‍य संवर्धन में नेटवर्क उत्‍पादों का निर्यात एक तिहाई की वृद्धि करेगा।


·         समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि निम्‍नलिखित अवसरों का लाभ उठाने के लिए भारत को चीन जैसी रणनीति का पालन करना चाहिए।


·         श्रम आधारित क्षेत्रों विशेषकर नेटवर्क उत्‍पादों के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विशेषज्ञता हासिल करना।


·         नेटवर्क उत्‍पादों के बड़े स्‍तर पर एसेम्‍लिंग की गतिविधियों पर खासतौर से ध्‍यान केंद्रित करना।


·         अमीर देशों के बाजार में निर्यात को बढ़ावा देना।


·         निर्यात नीति सुविधाजनक होना।


·         आर्थिक समीक्षा में भारत की ओर से किए गए व्‍यापार समझौतों का कुल व्‍यापार संतुलन पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्‍लेषण किया गया है।


·          इसके अनुसार भारत की ओर निर्यात किए कुल उत्‍पादों में 10.9 प्रतिशत की जबकि विनिर्माण उत्‍पादों के  निर्यात में 13.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 


·         कुल आयातित उत्‍पादों में 8.6 प्रतिशत तथा विनिर्माण उत्‍पादों के आयात में 12.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।


·         प्रति वर्ष भारत के विनिर्माण उत्‍पादों के व्‍यापार अधिशेष में 0.7 प्रतिशत तथा  कुल उत्‍पादों के व्‍यापार अधिशेष में 2.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।


भारत में कारोबारी सुगमता लक्ष्‍य



  • विश्‍व बैंक के कारोबारी सुगमता रैंकिंग में भारत 2014 में जहां 142वें स्‍थान पर था वहीं 2019 में वह 63वें स्‍थान पर पहुंच गया।

  • हालांकि इसके बावजूद भारत कारोबार शुरू करने की सुगमता संपत्ति के रजिस्‍ट्रेशन, करों का भुगतान और अनुबंधों को लागू करने के पैमाने पर अभी भी काफी पीछे हैं।

  • समीक्षा में कई अध्‍ययनों को शामिल किया गया है:


o   वस्‍तुओं के निर्यात में लॉजिस्टिक सेवाओं का प्रदर्शन निर्यात की तुलना में आयात के क्षेत्र में ज्‍यादा रहा।


o   बेंगलूरू हवाई अड्डे से इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स आयात और निर्यात ने यह बताया कि किस तरह भारतीय लॉजिस्टिक सेवाएं किस तरह विश्‍वस्‍तरीय बन चुकी है।


o   देश के बंदरगाहों में जहाजों से माल ढुलाई का काम 2010-11 में जहां 4.67 दिन था वहीं 2018-19 में करीब आधा रहकर 2.48 हो गय1


कारोबारी सुगमता को और बेहतर बनाने के सुझाव


o   कारोबारी सुगमता को बेहतर बनाने के लिए दिए गए सुझावों में वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय, केंद्रीय अप्रत्‍यक्ष कर और सीमा शुल्‍क बोर्ड, जहाजरानी मंत्रालय औरअन्‍य बंदरगाह प्राधिकरणों के बीच में करीबी सहयोग शामिल है।


o   सुझाव में कहा गया है कि पर्यटन या विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में   अवरोध खड़े करने वाली नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए ज्‍यादा लक्षित उपायों की जरूरत है।  


बैंकों के राष्‍ट्रीयकरण की स्‍वर्ण जयंती एक समीक्षा



  • समीक्षा में कहा गया कि 2019 में भारत में बैंकों के राष्‍ट्रीयकरण का 50 वर्ष पूरे हुए।

  • कहा गया कि बैंकों के राष्‍ट्रीयकरण की स्‍वर्ण जयंती के अवसर पर  सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के कर्मचारियों ने खुशी मनाई कि सर्वेक्षण सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के वस्‍तुनिष्‍ठ मूल्‍यांकन का सुझाव दिया गया।

  • इसमें कहा गया कि वर्ष 1969 से जिस रफ्तार से देश की अर्थव्‍यवस्‍था का विकास हुआ उस हिसाब से बैंकिंग क्षेत्र विकसित नहीं हो सका।


o   भारत का केवल एक बैंक विश्‍व के 100 शीर्ष बैंकों में शामिल हैं। यह स्थिति भारत को उन देशों की श्रेणी में ले जाती हैं जिनकी अर्थव्‍यवस्‍था का आकार भारत के मुकाबले कई गुना कम जैसे कि फिनलैंड जो भारत (लगभग 1/11वां भागऔर (डेनमार्क लगभग 1/8वां भाग)



  • एक बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था में सशक्‍त बैंकिंग क्षेत्र को होना बहुत जरूरी है।

  • चूकिं भारतीय बैंकिंग व्‍यवस्‍था में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको की हिस्‍सेदारी 70 प्रतिशत है इसलिए अर्थव्‍यवस्‍था को सहारा देने में इनकी जिम्‍मेदारी बड़ी है।


o   सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रदर्शन के पैमाने पर अपने समकक्ष समूहों की तुलना में उतने सक्षम नहीं हैं।


o   2019 में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों में औसतन प्रति एक रूपये के निवेश पर 23 पैसे का घाटा हुआ, जबकि गैर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 9.6 पैसे का मुनाफा हुआ।


o   पिछले कई वर्षों से सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों में ऋण वृद्धि गैर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तुलना में काफी कम रही।


·         सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अधिक सक्षम बनाने के उपाय


o    सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शेयर में कर्मचारियों के लिए हिस्‍सेदारी की योजना।


o   बैंक के बोर्ड में कर्मचारियों का प्रतिनिधित्‍व बढ़ाना तथा उन्‍हें बैंक के शेयर धारकों के अनुसार वित्‍तीय प्रोत्‍साहन देना।


o   जीएसटीएन जैसी व्‍यवस्‍था करना ताकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से उपलब्‍ध आंकड़ों का संकलन किया जा सके और बैंक से कर्ज लेने वालों पर बेहतर निगरानी रखने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजैंस और मशीन लर्निंग जैसी प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल करना।


एनबीएफसी क्षेत्र में वित्‍तीय जोखिम


·         बैंकिंग क्षेत्र में नकदी के मौजूदा संकट को देखते हएु शेडों बैंकिंग के खतरों को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारणों का पता लगाना।


आवर्ती जोखिम के मुख्य घटक



  • आस्ति देयता प्रबन्धन (एएलएम) जोखिम

  • अंतर संयोगी जोखिम

  • गैर-वित्तीय कम्पनी के वित्तीय और संचालन लचीलापन

  • अल्पावधि के बड़े फंडिंग पर अत्यधिक निर्भरता


समीक्षा नैदानिक (हेल्थ स्कोर) की गणना करता है इसके लिए हाउसिंग फाइनान्स कम्पनी और रिटेल गैर-बैंकिंग रिटेल कम्पनियों की आवर्ती जोखिम की गणना की जाती है।


हेल्थ स्कोर का विश्लेषण



  • हाउसिंग फाइनान्स कम्पनी क्षेत्र के लिए हेल्थ स्कोर में 2014 के बाद घटते हुए रूझान को प्रदर्शित किया गया है। 2019 के अंत तक सम्पूर्ण क्षेत्र का हेल्थ स्कोर काफी खराब रहा।

  • रिटेल गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों हेल्थ स्कोर 2014 से 2019 तक काफी कम था।

  • बड़ी रिटेल गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों का हेल्थ स्कोर अधिक था परन्तु मध्यम और छोटी कम्पनियों के पास 2014 से 2019 तक का हेल्थ स्कोर कम था।

  • उपर्युक्त निष्कर्षों से पता चलता है कि हेल्थ स्कोर से आसन नगदी समस्याओं की पूर्व चेतावनी का संकेत मिलता है।


निजीकरण और धन सृजन  



  • समीक्षा में सीपीएससी के विनिवेश से होने वाले लाभों की जांच की गई है और इससे सरकारी उद्यमों के विनिवेश करने को बल मिलता है।

  • एचपीसीएल में सरकार की 53.29 प्रतिशत हिस्सेदारी के विनिवेश से राष्ट्रीय सम्पदा में 33,000 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई।

  • 1999-2000 से 2003-04 के दौरान 11 केन्द्रीय उद्यमों के रणनीतिक विनिवेश के प्रदर्शन का विश्लेषण किया गया है।

  • केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के नेटवर्थ कुल लाभ परिसम्पत्तियों से आय, इक्विटी पर लाभ आदि में वृद्धि दर्ज की गई है।

  • निजी हाथों में सौपे गए केन्द्रीय उपक्रमों ने समान संसाधनों से अधिक संपत्ति अर्जित करने में सफलता प्राप्त की है।

  • समीक्षा में केन्द्रीय उपक्रमों के विनिवेश का सुझाव दिया गया है।

  • अधिक लाभ के लिए

  • दक्षता को बढ़ावा देने के लिए

  • प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए

  • व्यवसायवाद को बढ़ावा देने के लिए


 


क्या भारत की जीडीपी वृद्धि को बढ़ा-चढ़ाकर दर्शाया जाता है? नहीं।



  • जीडीपी वृद्धि किसी भी निवेश को साथ ही साथ नीति निर्धारकों द्वारा नीति निर्माण के लिए एक जटिल उता-चढ़ाव है। अतः हाल ही के भारत के जीडीपी के सही आकलन के संबंध में छिड़ी बहस में 2011 में आकलन प्रक्रिया में संशोधन को अपनाना अति महत्वपूर्ण है।

  • जैसा कि देश विभिन्न देखे अनदेखे तरीकों में मिला है, एक देश से दूसरे देश की तुलना बहुत सावधानीपूर्वक की जाती है जिसमें अन्य उलझाने वाले घटकों के प्रभाव को सावधानी से अलग किया गया है और केवल जीडीपी विकास आकलन पर प्रक्रिया संशोधन के प्रभाव को अलग किया गया है।

  • वह मॉडल जिसमें 2001 के बाद जीडीपी विकास 2.7 प्रतिशत गतलीवश अनुमान से अधिक हो गई है उसने सैंपल समय में 95 देशों में से 51 अन्य देशों में भी जीडीपी विकास अनुमान से अधिक हो गई।

  • विभिन्न विकसित अर्थव्यवस्थाएं जैसे यूके, जर्मनी और सिंगापुर ने अपनी जीडीपी को गलत आकलन किया, जब कि अर्थमितिक प्रतिमान को गलत रूप निर्दिष्ट किया गया था।

  • सही रूप में निर्दिष्ट मॉडल, जिसमें सभी देशों के बीच अनदेखी भिन्नताएं साथ ही भिन्न देशों में जीडीपी वृद्धि में अंतराष्ट्रीय रूझान भारत अथवा अन्य देशों में वृद्धि की किसी भी दोषपूर्ण आकलन का पता नहीं लगा सके।

  • दोषपूर्ण रूप से अनुमानित भारतीय जीडीपी की चिंताए डाटा द्वारा निराधार कर दी जाती है अतः इनका कोई आधार नहीं है।


थालीनॉमिक्सः भारत में भोजन की थाली की अर्थव्यवस्था



  • पूरे भारत में थाली के लिए आम व्यक्ति द्वारा कितना भुगतान किया जाता है परिमाणित करने का एक प्रयास है।

  • 2015-16 को वह वर्ष माना जा सकता है जब खाद्य मूल्य के व्यवहार में परिवर्तन हुआ था।

  • पूरे भारत के चारों क्षेत्रों में हम देखते है कि 2015-16 से शाकाहारी थाली के मूल्य में काफी कमी आई है हालांकि मूल्य में 2019-20 में वृद्धि हुई है।

  • 2015-16 के बाद

  • शाकाहारी थाली के मामले में खाद्य मूल्य में कमी होने से औसत परिवार को औसतन लगभग 11,000 रुपये का लाभ हुआ है।

  •  जो परिवार औसतन दो मांसाहारी थाली खाता है उसे समान अवधि के दौरान लगभग 12,000 रुपये का लाभ हुआ है।

  • 2006-07 से 2019-20 तक

  • शाकाहारी थाली की वहनीयता 29 प्रतिशत बेहतर हुई है।

  • मांसाहारी थाली की वहनीयता 18 प्रतिशत बेहतर हुई है।


 


2019-20 में भारत का आर्थिक प्रदर्शन 



  • भारत की जीडीपी 2019-20 की पहली छमाही में 4.8 प्रतिशत रही इसका कारण कमजोर वैश्विक विनिर्माण, व्यापार और मांग है।

  • वास्तविक उपभोग वृद्धि दूसरी तिमाही में बेहतर हुई है। इसका कारण सरकारी खपत में वृद्धि होना है।

  • कृषि और सम्बन्धित गतिविधि, लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में 2019-20 की पहली छमाही में वृद्धि 2018-19 की दूसरी छमाही से अधिक थी।

  • चालू खाता घाटा कम होकर 2019-20 की पहली छमाही में जीडीपी का 1.5 प्रतिशत रह गया। जबकि 2018-19 में यह 2.1 प्रतिशत था।

  • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश बेहतर हुआ।

  • पोर्टफॉलियो प्रवाह मजबूत हुआ।

  • विदेशी मुद्रा भण्डार मजबूत हुआ।

  • 2019-20 की पहली छमाही में निर्यात की तुलना में आयात में कमी आई।

  • महंगाई दर में साल के अंत तक कमी आएगी।

  • 2019-20 की पहली छमाही में 3.3 प्रतिशत से बढ़कर दिसम्बर में 7.35 प्रतिशत हो गई।

  • सीपीआई तथा डब्ल्यूपीआई में वृद्धि दर्शाती है कि मांग में वृद्धि हुई है।

  • जीडीपी में मंदी का कारण विकास चक्र का धीमा होना है।

  • निवेश खपत और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 2019-20 के दौरान निम्न सुधार किए गए।

  • दिवाला प्रक्रिया (दिवाला एवं दिवालियापन संघीता) को तेज बनाया गया

  • राज्यों का वित्तीय घाटा एफआरबीएम अधिनियम द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के दायरे में है।



  • समीक्षा में कहा गया है कि सरकारें (केन्द्र और राज्य) वित्तीय मजबूती के पथ पर है।


वैदेशिक क्षेत्र



  • भुगतान संतुलन (बीओपी):


o   भारत की बीओपी स्थिति में सुधार हुआ है। मार्च, 2019 में यह 412.9 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार था, जबकि सितंबर, 2019 के अंत में बढ़कर 433.7 बिलियन डॉलर हो गया।


o   चालू खाता घाटा (सीएडी) 2018-19 में जीडीपी के 2.1 प्रतिशत से घटकर 2019-20 की पहली छमाही में 1.5 प्रतिशत रह गया।


o   विदेशी मुद्रा भंडार 10 जनवरी, 2020 तक 461.2 बिलियन डॉलर रहा।



  • वैश्विक व्यापार


o   2019 में वैश्विक उत्पादन में 2.9 प्रतिशत अनुमानित वृद्धि के अनुरूप वैश्विक व्यापार 1.0 प्रतिशत की दर पर बढ़ने का अनुमान है, जबकि 2017 में यह 5.7 प्रतिशत के शीर्ष स्तर तक पहुंचा था।


o   हालांकि वैश्विक आर्थिक गतिविधि में रिकवरी के साथ 2020 में इसके 2.9 प्रतिशत तक रिकवर होने का अनुमान है।



  • वर्ष 2009-14 से लेकर 2014-19 तक भारत की मर्चेंटडाइज वस्तुओं के व्यापार संतुलन में सुधार हुआ है। हालांकि बाद की अवधि में ज्यादातर सुधार 2016-17 में क्रूड की कीमतों में 50 प्रतिशत ज्यादा गिरावट के कारण हुआ।


o   भारत के शीर्ष पांच व्यापारिक साझेदार अमेरिका, चीन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सउदी अरब और हांगकांग हैं।



  • निर्यातः


o   शीर्ष निर्यात मदें- पेट्रोलियम उत्पाद, बहुमूल्य पत्थर, औषधियों के नुस्खे और जैविक, स्वर्ण और अन्य बहुमूल्य धातुएं।


o   2019-20 (अप्रैल-नवंबर) में सबसे बड़े निर्यात स्थलः अमेरिका, उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), चीन और हांगकांग।


o   जीडीपी के अनुपात और मर्चेंटाडाइज वस्तुओं के निर्यात में कमी आई है जिससे बीओपी स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।


o   विश्व उत्पादन में कमी आने का प्रभाव निर्यात और जीडीपी अनुपात घटने पर पड़ा है विशेषकर 2018-19 से 2019-20 की पहली छमाही के दौरान।


o   2009-14 से 2014-19 तक नॉन-पीओएल निर्यात में वृद्धि में महत्वपूर्ण कमी आई है।



  • आयातः


o   शीर्ष आयात मदें- कच्चा पेट्रोलियम, सोना, पेट्रोलियम उत्पाद, कोयला, कोक एवं ब्रिकेट्स।


o   भारत का सर्वाधिक आयात चीन से करना जारी रहेगा, उसके बाद अमेरिका, यूएई और सउदी अरब का स्थान।


o   भारत के लिए मर्चेंटाडाइज आयात और जीडीपी अनुपात में कमी आई है जिसका बीओपी पर निवल सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।


 


 



  • आयात में बड़े रूप में कच्चे तेल का आयात भारत के कुल आयात को कच्चे तेल की कीमतों से जोड़ता है। कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि से कुल आयात में कच्चे तेल का हिस्सा बढ़ता है, आयात और जीडीपी अनुपात में वृद्धि होती है।

  • स्वर्ण आयात सोने के मूल्यों के साथ भारत के कुल आयात से जुड़ता है, लेकिन 2018-19 तथा 2019-20 की पहली छमाही में मूल्यों में वृद्धि के बावजूद कुल आयात में सोना आयात की हिस्सेदारी वही रही। सम्भवतः आयात शुल्क में वृद्धि के कारण ऐसा हुआ, जिससे सोने के आयात में कमी आई।

  • गैर-पीओएल-गैर-सोना आयात सकारात्मक रूप से जीडीपी वृद्धि से जुड़ा है।


o   2009-14 से 2014-19 में जब जीडीपी दर में वृद्धि हुई तो जीडीपी अनुपात के रूप में गैर-पीओएल-गैर-तेल आयात में गिरावट आई। 


o   ऐसा खपत प्रेरित वृद्धि के कारण संभव है, जबकि निवेश दर में कमी आई और गैर-पीओएल-गैर-स्वर्ण आयात घटा।


o   निवेश दर में निरंतर गिरावट के कारण जीडीपी वृद्धि की गति कम हुई, खपत में कमजोरी आई, निवेश परिदृश्य निराशाजनक हुआ, जिसके परिणामस्वरूप जीडीपी में कमी आई और साथ-साथ 2018-19 से 2019-20 की पहली छमाही तक जीडीपी अनुपात के रूप में गैर-पीओएल-गैर-सोना आयात में गिरावट आई।



  • व्यापार सहायता के अंतर्गत 2016 की 143 रैंकिंग की तुलना में भारत ने 2019 में अपनी रैंकिंग में सुधार की और भारत की रैंकिंग 68 हो गई। विश्व बैंक द्वारा व्यावसायिक सुगमता रिपोर्ट में ‘ट्रेडिंग ए क्रॉस बोडर्स’ सूचकांक की निगरानी की जाती है।

  • भारत का लॉजिस्टिक्स उद्योग


o   वर्तमान में यह लगभग 160 बिलियन डॉलर का है।


o   आशा है कि यह 2020 तक 215 बिलियन डॉलर तक हो जाएगा।


o   विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक के अनुसार 2018 में भारत विश्व में 44वें रैंक पर रहा। 2014 में भारत का रैंक 54वां था।


 



  • कुल एफडीआई आवक 2019-20 में मजबूत बनी रही। पहले छह महीनों में 24.4 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित हुआ। यह 2018-19 की समान अवधि से अधिक था।

  • विदेशों में रहने वाले अप्रवासी भारतीयों से रकम की प्राप्ति में वृद्धि होती रही। 2019-20 की पहली छमाही में 38.4 बिलियन डॉलर की प्राप्ति हुई, जो पिछले वर्ष के स्तर से 50 प्रतिशत से अधिक है।

  • बाहरी ऋणः


 


o   सितंबर 2019 के अंत में यह जीडीपी के 20.1 प्रतिशत के निचले स्तर पर रहा।


o   2014-15 से गिरावट के बाद भारत की बाहरी देनदारियां (ऋण तथा इक्विटी) जून 2019 के अंत में जीडीपी की तुलना में बढ़ी। ऐसा एफडीआई पोर्टफोलियो प्रवाह तथा बाहरी वाणिज्यिक उधारियों (ईसीबी) में वृद्धि के कारण हुआ।


 


मौद्रिक प्रबंधन तथा वित्तीय मध्यस्थता



  • मौद्रिक नीतिः


 


o   2019-20 में सामंजस्य योग्य रहा।


o   कम वृद्धि तथा कम मुद्रास्फीति के कारण वित्तीय वर्ष में एमपीसी की चार बैठकों में रेपो दर में 110 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई।


o   लेकिन दिसंबर 2019 में हुई पांचवीं बैठक में इसमें कोई फेरबदल नहीं किया गया।


 



  • वर्ष 2019-20 के शुरुआती दो महीनों में नकदी की स्थिति कमजोर रही; लेकिन कुछ समय बाद यह सुविधाजनक हो गई।

  • सकल गैर-निष्पादित अग्रिम अनुपात :  


o   मार्च और दिसंबर, 2019 के बीच अनुसूचित व्यवसायिक बैंकों के लिए बिना किसी बदलाव के 9.3 प्रतिशत रहा।


o   गैर-बैंकिंग वित्तीय निगमों (एनबीएफसी) के लिए मार्च 2019 में 6.1 प्रतिशत से मामूली रूप से बढ़कर सितंबर, 2019 में 6.3 प्रतिशत हो गया।



  • ऋण वृद्धि  :


o   अर्थव्यवस्था के लिए वित्तीय आवक सीमित रही क्योंकि दोनों बैंकों और एनबीएफसी के लिए ऋण वृद्धि में गिरावट आई।


o   बैंक ऋण वृद्धि अप्रैल 2019 में 12.9 प्रतिशत थी जो 20 दिसंबर, 2019 को 7.1 प्रतिशत हो गई।



  • पूंजी से एससीबी के जोखिम भरे परिसंपत्ति अनुपात  मार्च, 2019 और सितंबर, 2019 के बीच 14.3 प्रतिशत से बढ़कर 15.1 प्रतिशत हो गया।


मूल्य और मुद्रास्फीति



  • मुद्रास्फीति प्रवृत्तियां   :


o   2014 के बाद मुद्रास्फीति नियंत्रित रही


o   उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 2018-19 (अप्रैल से दिसंबर, 2018) में 3.7 प्रतिशत से बढ़कर 2019-20 (अप्रैल से दिसंबर, 2019) में 4.1 प्रतिशत हो गई।


o   थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 2018-19 (अप्रैल से दिसंबर, 2018) में 4.7 प्रतिशत से गिरकर 2019-20 (अप्रैल से दिसंबर, 2019) में 1.5 प्रतिशत हो गई।



  • सीपीआई – मिश्रित (सी) मुद्रास्फीति के चालक :


o   2018-19 के दौरान प्रमुख चालक मिलेजुले समूह थे।


o   2019-20 के दौरान (अप्रैल-दिसंबर) खाद्य और पेय पदार्थों ने प्रमुख योगदान दिया।


o   खाद्य और पेय पदार्थों में कम आधार के प्रभाव और उत्पादन की अड़चनों जैसे असमय वर्षा के कारण सब्जियों और दालों के दाम बहुत अधिक रहे।



  • दालों के लिए  कोब-वेब अनुभव :


o   पिछली विपणन अवधि में देखे गए मूल्यों पर किसानों ने अपने नए बीज बोने का फैसला किया।


o   किसानों की रक्षा के लिए किए गए उपायों जैसे मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ), न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अंतर्गत खरीद को और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता।



  • थोक और खुदरा मूल्य के बीच अंतर।


o   वर्ष 2014 से 2019 के बीच देश के चार महानगरों में आवश्यक कृषि वस्तुओं की निगरानी।


o   प्याज और टमाटर जैसी सब्जियों के लिए उच्च स्तर की विसंगतियां ऐसा बिचौलियों की मौजूदी और लेनदेन की अधिक मूल्य के कारण हुआ होगा।



  • कीमतों में अस्थिरता


o   2009-14 की अवधि की तुलना में 2014-19 की अवधि में कुछ दालों को छोड़कर आवश्यक खाद्य वस्तुओं के मूल्यों के उतार-चढ़ाव में कमी आई।


o   कम उतार-चढ़ाव बेहतर विपणन चैनलों, भंडार सुविधाओं तथा कारगर एमएसपी प्रणाली की मौजूदगी का संकेतक हो सकता है।


 



  • क्षेत्रीय अंतरः


 


o   सीपीआई-सी महंगाई में राज्यों के बीच अंतर रहा है। यह वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल-दिसंबर) में राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में (-) 0.04 प्रतिशत से 8.1 प्रतिशत के बीच में रही है।


o   अधिकतर राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में सीपीआई-सी महंगाई शहरी क्षेत्रों में सीपीआई-सी महंगाई से कम रही है।


o   शहरी मुद्रास्फीति की तुलना में ग्रामीण मुद्रास्फीति में सभी राज्यों में अधिक अंतर रहा है।



  • मुद्रास्फीति गतिशीलता


o   2012 से आगे के सीपीआई-सी डाटा के अनुसार हेडलाइन महंगाई और कोर महंगाई में अभिसरण


 सतत विकास और जलवायु परिवर्तन



  • भारत अच्छे तरीके से बनाए गए कार्यक्रम के माध्यम से एसडीजी क्रियान्वयन के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है।

  • एसडीजी भारत सूचकांकः


o   हिमाचल प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और चंडीगढ़ अग्रणी राज्य


o   असम, बिहार तथा उत्तर प्रदेश आकांक्षी श्रेणी में



  • भारत ने यूएनसीसीडी के तहत सीओपी-14 की मेज़बानी की, जिसमें दिल्ली घोषणाः भूमि में निवेश और अवसरों को खोलना अपनाया गया।

  • मैड्रिड में यूएनएफसीसीसी के अंतर्गत सीओपी-25


o   भारत ने पेरिस समझौते को लागू करने का अपना संकल्प दोहराया


o   सीओपी-25 के निर्णयों में जलवायु परिवर्तन समाप्ति, विकासशील देशों के पक्षों द्वारा विकसित देशों के क्रियान्वयन उपायों को अपनाना तथा लागू करना शामिल है।



  • वन और वृक्ष कवरः


o   वृद्धि के साथ यह 80.73 मिलियन हेक्टेयर हुआ


o   देश के 24.56 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में।



  • कृषि अवशेषों को जलाने से प्रदूषण स्तर में वृद्धि तथा वायु गुणवत्ता में गिरावट अभी भी चिंता का विषय है। यद्पि विभिन्न प्रयासों के कारण कृषि अवशेषों को जलाने की घटना में कमी आई है।

  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए)


o   सदस्य देशों से 30 फेलोशिप को संस्थागत बनाकर सहायक


o   एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया से 2 बिलियन डॉलर का ऋण और एएफडी फ्रांस से 1.5 बिलियन डॉलर का ऋण


o   सौर जोखिम समाप्ति जैसे कार्यक्रमों द्वारा ‘इन्क्यूबेटर’


o   116 मेगावाट सौर तथा 2.7 लाख सौर जल पम्पों की कुल मांग के लिए उपाय विकसित करके ‘एक्सेलेटर’



  • कृषि तथा खाद्य प्रबंधन

  • भारतीय आबादी का बड़ा हिस्सा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अन्य क्षेत्रों की तुलना में रोजगार अवसरों के लिए कृषि पर निर्भर करता है

  • देश के कुल मूल्यवर्धन (जीवीए) में कृषि तथा संबद्ध क्षेत्रों की हिस्सेदारी गैर-कृषि क्षेत्रों की अधिक वृद्धि के कारण कम हो रही है। यह विकास प्रक्रिया का स्वभाविक परिणाम है।

  • कृषि वानिकी और मछलीपालन क्षेत्र से 2019-20 के बेसिक मूल्यों पर जीवीए में 2.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान

  • कृषि में मशीनरीकरण का स्तर कम होने से कृषि उत्पादकता में बाधा। भारत में कृषि का मशीनरीकरण 40 प्रतिशत है, जो चीन के 59.5 प्रतिशत तथा ब्राजील के 75 प्रतिशत से काफी कम है।

  • भारत में कृषि ऋण के क्षेत्रीय वितरण में असमानता


o   पर्वतीय तथा पूर्वोत्तर राज्यों में कम ऋण (कुल कृषि ऋण वितरण का 1 प्रतिशत से भी कम)



  • लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए पशुधन आय दूसरा महत्वपूर्ण आय का साधन


o   किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका


o   पिछले 5 वर्षों के दौरान पशुधन क्षेत्र सीएजीआर के 7.9 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है



  • 2017-18 में समाप्त पिछले छह वर्षों के दौरान खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र में वृद्धि


o   औसत वार्षिक वृद्धि दर (एएजीआर) लगभग 5.06 प्रतिशत


o   2011-12 के मूल्यों पर 2017-18 में जीवीए में विनिर्माण और कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी क्रमशः 8.83 प्रतिशत और 10.66 प्रतिशत रही



  • यद्पि जनसंख्या के कमजोर वर्गों के हितों को सुरक्षित रखने की आवश्यकता है फिर भी आर्थिक समीक्षा में निम्नलिखित उपायों से खाद्य सुरक्षा की स्थिति को स्थिर बनाने पर बल दिया गया है।


o   बढ़ती खाद्य सब्सिडी बिल की समस्या सुलझाना


o   एनएफएसए के अंतर्गत दरों तथा कवरेज में संशोधन



  • उद्योग तथा आधारभूत संरचना

  • 2018-19 (अप्रैल-नवंबर) के 5.0 प्रतिशत की तुलना में 2019-20 (अप्रैल-नवंबर) के दौरान औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र में 0.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

  • 2018-19 (अप्रैल-नवंबर) के (-) 1.3 प्रतिशत की तुलना में 2019-20 (अप्रैल-नवंबर) के दौरान उर्वरक क्षेत्र में 4 प्रतिशत की वृद्धि।


·         इस्पात क्षेत्र में 2019-20 (अप्रैल-नवम्बर) के दौरान 5.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि 2018-19 (अप्रैल-नवम्बर) के दौरान यह 3.6 प्रतिशत थी।


·         30 सितम्बर, 2019 को भारत में कुल टेलीफोन कनेक्शन 119.43 करोड़ पहुंचा।


·         बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता बढ़ कर 31 अक्टूबर, 2019 को 3,64,960 मेगावाट हो गई, जो 31 मार्च, 2019 को 3,56,100 मेगावाट थी।


·         31 दिसंबर, 2019 को जारी की गई राष्ट्रीय अवसंरचना पाइप लाइन के संबंध में कार्यबल की रिपोर्ट में भारत में वित्त वर्ष 2020 से 2025 के दौरान 102 लाख करोड़ रुपये के कुल अवसंरचनात्मक निवेश को प्रक्षेपित किया है।


सेवा क्षेत्र


·         भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र की महत्ता लगातार बढ़ रही है :


o   सकल संवर्धन मूल्य और सकल संवर्धन मूल्य वृद्धि में इसका हिस्सा 55 प्रतिशत है।


o   भारत के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का दो-तिहाई।


o   कुल निर्यात का लगभग 38 प्रतिशत।


o   33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से 15 राज्यों में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से अधिक।  


·         सेवा क्षेत्र के सकल मूल्य संवर्धन की वृद्धि 2019-20 में कम हुई है।


·         2019-20 की शुरूआत में सेवा क्षेत्र में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में मजबूत बेहतरी देखी गई है।


सामाजिक अवसंरचना, रोजगार और मानव विकास


·         केंद्र और राज्यों द्वारा सामाजिक सेवाओं (स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अन्य) पर जीडीपी के अनुपात के रूप में व्यय 2014-15 में 6.2 प्रतिशत से बढ़कर 2019-20 (बजटीय अनुमान) में 7.7 प्रतिशत हो गया है।


·         मानव विकास सूचकांक में भारत की रैंकिंग में 2017 की 130 की तुलना में 2018 में 129 हो गई।


o   वार्षिक मानव विकास सूचकांक में औसत 1.34 प्रतिशत वृद्धि के साथ भारत तीव्रतम सुधार वाले देशों में शामिल है।


·         माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक तथा उच्चतर शिक्षा स्तर पर सकल नामांकन अनुपात में सुधार की जरूरत है।


·         नियमित मजदूरी/ वेतनभोगी कर्मचारियों की हिस्सेदारी में 5 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है, जो 2011-12 के 18 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 में 23 प्रतिशत हो गई।


o   इस श्रेणी में ग्रामीण क्षेत्रों में 1.21 करोड़ तथा शहरी क्षेत्रों में 1.39 करोड़ नए रोजगारों सहित लगभग 2.62 करोड़ नए रोजगार का सृजन होना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि।


·         अर्थव्यवस्था में कुल औपचारिक रोजगार में 2011-12 के 8 प्रतिशत की तुलना में 2017-18 में 9.98 प्रतिशत वृद्धि हुई।


·         महिला श्रमिक बल की प्रतिभागिता में गिरावट आने की वजह से भारत के श्रमिक बाजार में लिंग असमानता का अंतर और बड़ा हो गया है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में और लगभग 60 प्रतिशत उत्पादकता आयु (15-59) ग्रुप पूर्ण कालिक घरेलू कार्यों में लगे हैं।


·         देशभर में आयुष्मान भारत और मिशन इंद्रधनुष के माध्यम से अतिरिक्त अन्य स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में सुधार हुआ है।


·         मिशन इन्द्रधनुष के तहत देशभर में 680 जिलों में 3.39 करोड़ बच्चों और 87.18 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण हुआ।


·         गांवों में लगभग 76.7 प्रतिशत और शहरों में 96 प्रतिशत परिवारों के पास पक्के घर हैं।


·         स्वच्छता संबंधी व्यवहार में बदलाव लाने तथा ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन की पहुंच बढ़ाने पर जोर देने के उद्देश्य से एक 10 वर्षीय ग्रामीण स्वच्छता रणनीति (2019-2029) की शुरूआत की गई।



आर्थिक समीक्षा 2019-20 का विषय

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर सबका साथ सबका विकास विजन के साथ किए गए संबोधन में इस बात को प्रमुखता दी गई थी कि धन सृजन से ही धन का वितरण होगा। केन्द्रीय वित्त तथा कारपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा 2019-20 में ऐसी नीतियों की रूपरेखा बनाने का प्रयास किया गया है, जो भारत में धन सृजन को तेजी देगी और परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था विकास की ऊंचाई पर चलेगी।


आर्थिक समीक्षा के विषय बाजार को सक्षम बनाने, व्यवसाय अनुकूल नीतियों को प्रोत्साहित करने और अर्थव्यवस्था में विश्वास मजबूत करने के ईर्दगिर्द हैं। आर्थिक समीक्षा में संतुलित आशावादी दृष्टिकोण रखा गया है और आर्थिक सोच तथा नीति निर्माण की दृष्टि से बाजार अर्थव्यस्था से होने वाले लाभों के बारे में संदेह को विराम देने का प्रयास किया गया है।


धन सृजन की भारत की समृद्ध परम्परा


आर्थिक समीक्षा में ईमानदारी से धन सृजन को आर्थिक गतिविधि का मूल मानते हुए और भारत के 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यस्था बनने के संकल्प के महत्व पर बल देते हुए कौटिल्य के अर्थशास्त्र, थीरूवलुवर के थिरूकूरल तथा ऐडम स्मिथ के ऐन इंक्वायरी इंटू द नेचर एंड कोजेज ऑफ वेल्थ ऑफ नेशंस जैसे शास्त्रीय पुस्तकों का उद्धहरण दिया गया है।


इन शास्त्रीय पुस्तकों के माध्यम से आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि धन सृजन का विचार भारत की पुरानी और समृद्ध परम्परा में समाहित है। तीन चौथाई से अधिक ज्ञात आर्थिक इतिहास से वैश्विक रूप से भारत मजबूत आर्थिक शक्ति है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि यह प्रभुत्व केवल एकाएक होने वाला उदाहरण नहीं है।


बाजार के अदृश्य हाथ


वैश्विक अर्थव्यस्था में भारत के ऐतिहासिक प्रभुत्व की चर्चा करते हुए समीक्षा में बाजार में खुलापन लाने के महत्व पर बल दिया गया है ताकि धन सृजन हो और बढ़े हुए निवेश के माध्यम से आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहन मिले। समीक्षा के अनुसार बाजार के अदृश्य हाथ और अदृश्य विश्वास के कारण अतीत में भारत का दबदबा रहा है। समीक्षा में इन दोनों बातों का समकालीन साक्ष्य पेश किए गए हैं। इन तथ्यों ने उदारीकरण के बाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को ऊंचाई की ओर लौटने में मदद की।


समीक्षा में धन सृजन की परिकल्पना प्राचीन भारतीय परम्परा तथा समकालीन साक्ष्य के मिश्रण के रूप में प्रस्तुत की गई है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की दक्षता बढ़ाने के लिए फिनटेक के उपयोग का सुझाव दिया गया है। समीक्षा में अर्थव्यवस्था संचालन में पुराने तथा नये तरीकों का मिश्रण ठीक उसी तरह है जिस तरह आज देश में सौ रुपये का नए और पुराने दोनों नोट चल रहे हैं।


 धन सृजन को बढ़ाने के उपाय


आर्थिक समीक्षा में धन सृजन को बढ़ाने के अनेक उपायों को चिन्हित किया गया है। ये उपाय हैं:



  • जमीनी स्तर पर उद्यमिता जैसी कि भारत के जिलों में नई फर्म बनाने में उद्यमिता दिखी है।

  • व्यवसाय अनुकूल नीतियों को प्रोत्साहित करना ताकि मुट्ठी भर लोगों को लाभ देने वाली नीतियों की जगह धन सृजन के लिए स्पर्धी बाजार की शक्ति उभरे और निजी निवेश को समर्थन मिले।

  • सरकारी हस्तक्षेप के माध्यम से बाजार की अनदेखी करने वाली नीतियों की समाप्ति, जहां ऐसी नीतियां आवश्यक नहीं है।

  • श्रम प्रोत्साहन निर्यात पर फोकस करने के लिए और व्यापक स्तर पर रोजगार सृजन के लिए ‘एसेम्बल इन इंडिया’ तथा ‘मेक इन इंडिया’ को एकीकृत करना।

  • बैंकिंग क्षेत्र का आकार भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार के अनुपात में बढ़ाना और बैंकिंग क्षेत्र की मंद सेहत का पता लगाना।

  • दक्षता बढ़ाने के लिए निजीकरण का उपयोग। आर्थिक समीक्षा में सावधानीपूर्वक यह साक्ष्य प्रदान किया गया है कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि के अनुमान पर भरोसा किया जा सकता है।


 


थालीअर्थव्यवस्था


आर्थिक समीक्षा में अर्थशास्त्र को सामान्यजन के रोजाना इस्तेमाल वाली भोजन की थाली से जोड़ने का प्रयास किया गया है।