Sunday, March 1, 2020

प्रधानमंत्री ने प्रयागराज में आयोजित अब तक के सबसे बड़े आरवीवाई एंड एडीआईपी शिविर में वरिष्ठ नागरिकों एवं दिव्यांगजनों को सहायता एवं सहायक उपकरण वितरित किए

वरिष्ठ नागरिकों एवं दिव्यांगजनों को सहायता एवं सहायक उपकरणों के वितरण के लिए उत्तर प्रदेश के धार्मिक शहर प्रयागराज में अब तक के सबसे बड़े सामाजिक अधिकारिता शिविर का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य अतिथियों में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ,  केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. थावरचंद गहलोत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर,श्री रामदास अठावले, श्री रतन लाल कटारिया, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, यूपी सरकार के अन्य मंत्रीगण एवं स्थानीय सांसद व विधायक शामिल थे। इसके अलावा दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की सचिव श्रीमती शकुंतला डी. गामलिन, केंद्रीय मंत्रालय एवं उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।


इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के दौरान 26,874 लाभार्थियों को 56,905 सहायता एवं सहायक उपकरण वितरित किए गए। दिव्यांगजनों को एडीआईपी और वरिष्ठ नागरिकों को राष्ट्रीय वयोश्री योजना के तहत यह लाभ दिया गया। इन उपकरणों को पाने वालों में 10,416 दिव्यांगजन और 16,458 वरिष्ठ नागरिक थे। इस दौरान लगभग 19,37,76,980/- रुपये के सहायता एवं सहायक उपकरण वितरित किए गए।


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने संस्कृत की एक प्राचीन सूक्ति - 'स्वस्ति: प्रजाभ्यः परिपालयंतां, न्यायेन मार्गेण महीं महीशाः' को उद्धृत किया। इसका अर्थ है कि सरकार का कर्तव्य है कि वह सभी को समान न्याय दे।  उन्होंने कहा, ‘यह सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के सिद्धांत पर आधारित है। इसी भावना के साथ हमारी सरकार समाज के प्रत्येक व्यक्ति के कल्याण एवं विकास के लिए काम कर रही है। 130 करोड़ भारतीय चाहे वह वरिष्ठ नागरिक हों, दिव्यांग हों, आदिवासी हों या समाज के निचले तबके से हों, उनके हितों की रक्षा करना मेरी सरकार की पहली प्राथमिकता है।’


सहायता एवं सहायक उपकरणों के वितरण के इस मेगा शिविर का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सरकार के सभी को एक समान जीवन उपलब्ध कराने के प्रयासों का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘पिछली सरकारों के समय में ऐसे शिविर बामुश्किल आयोजित किए जाते थे और इस तरह के बड़े कैंपों को आयोजन बहुत दुर्लभ बात थी। पिछले पांच साल के दौरान हमारी सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में 900 शिविरों का आयोजन किया है।’ पिछले पांच साल के दौरान सरकार ने दिव्यांगजनों को 900 करोड़ रुपये के सहायता एवं सहायक उपकरण बांटे हैं।


प्रधानमंत्री ने कहा, ‘नए भारत के विकास के लिए यह जरूरी है कि इसमें दिव्यांग युवाओं एवं बच्चों की बराबर की भागीदारी हो। सरकार उन्हें हर क्षेत्र में प्रोत्साहित कर रही है, चाहे वह औद्योगिक क्षेत्र हो या सेवा क्षेत्र हो अथवा खेल का मैदान।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी पहली सरकार है जिसने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम को लागू किया। इसके माध्यम से हमने दिव्यांगजनों की श्रेणी को 7 से बढ़ाकर 21 किया है। हमने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दिव्यांगजनों का कोटा 3% से बढ़ाकर 5% किया है।’


प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले पांच साल के दौरान देश में कई इमारतों, 700 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों और हवाईअड्डों को दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाया गया है। शेष को भी सुगम्य भारत अभियान से जोड़कर दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाया जाएगा।


इस अवसर पर डॉ. थावरचंद गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन डीईपीडब्ल्यूडी दिव्यांगजनों एवं वरिष्ठ नागरिकों के सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में डीईपीडब्ल्यूडी पहले ही सात बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक दिव्यांगजन को यूडीआईडी कार्ड जारी करने के उद्देश्य से उनका मंत्रालय यूडीआईडी कार्ड प्रोजेक्ट को लागू कर रहा है, इसे पूरे देश में चलाया जाएगा।


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार ने दिव्यांगजनों की पेंशन को 300 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया है। उन्होंने जिलों और उप जिलों समेत देशभर में दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की व्यापक पहल करने के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार भी दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठा रही है। उन्होंने प्रयागराज के दिव्यांगजनों को मोटरयुक्त ट्राईसाइकिल उपलब्ध कराने के लिए अपने स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से सब्सिडी उपलब्ध कराने वाले प्रयागराज, भदोही और फूलपुर के सांसदों, विधायकों एवं एमएलसी की सहायता की भी सराहना की।


प्रयागराज जिले में वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजन को अधिकतम लाभ पहुंचाने की दृष्टि से केंद्रीय सरकारी कंपनी एएलआईएमसीओको केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने शिविर संचालित करने का निर्देश दिया गया था। इसके अनुसार जिला प्रशासन के पूरे सहयोग से शिविर आयोजित किए गए। 9 से 21 दिसंबर 2019, 6 से 10 जनवरी 2020, 7 फरवरी 2020 और 22 फरवरी 2020 को वरिष्ठ नागरिकों के लिए आंकलन शिविर ब्लॉक स्तर पर 20 जगहों पर, प्रयागराज के नगर निगम क्षेत्र में 5 और जिले में एक ग्राम पंचायत में लगाए गए। इस दौरान कुल 26874 लाभार्थियों को पंजीकृत किया गया।


 


मेगा वितरण शिविर में लाभार्थियों को फ्री में बांटी गई मदद का विवरण-

































क्रमांक



योजना



लाभार्थियों की संख्या



उपकरणों की संख्या



वैल्यू


(रुपये में)



1



ADIP



10406



18455



10,54,07,928.00



2



RVY



16468



38450



8,83,69,052.00



कुल



26874



56905



19,37,76,980.00



उपरोक्त से इतर, प्रयागराज जिला प्रशासन के सहयोग से मंत्रालय ने 3 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाए। 'हाथ से संचालित ट्राइसाइकिल की सबसे बड़ी परेड' नाम से 28 फरवरी 2020 को रिकॉर्ड बना और 2 प्रयास 29 फरवरी 2020 को किए गए।


3 टाइटलों का स्टेटस इस प्रकार से है-


क- हाथ से चलने वाली ट्राइसाइकिल की सबसे बड़ी परेड ( 300 संख्या):


यह विश्व रिकॉर्ड डीपीईडब्लूडी, एएलआईएमसीओ और प्रयागराज जिला प्रशासन ने 28 फरवरी 2020 को सफलतापूर्वक बनाया और 1.8 किमी कवर करते हुए पिछला यूएई के 1.6 किमी के 250 ट्राइसाइकिल की परेड के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।


ख- एक घंटे में सबसे ज्यादा हाथ से संचालित ट्राइसाइकिल दान करना (626 संख्या):


पहली बार यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड डीपीईडब्लूडी, एएलआईएमसीओ और प्रयागराज जिला प्रशासन ने आज बनाया है।


 


ग- व्हील चेयर्स की सबसे बड़ी चलती लाइन (400 संख्या) :


पहली बार यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड आज डीपीईडब्लूडी, एएलआईएमसीओ और प्रयागराज जिला प्रशासन ने आज बनाया है।


शिविर में बांटे गए बड़े उपकरणों का विवरण इस प्रकार से है: -


































































































































एडीआईपी स्कीम



आरवीवाई स्कीम



उपकरण



संख्या



उपकरण



संख्या



मोटर वाली ट्राइसाइकिल



847



वॉकिंग स्टिक



13292



पारंपरिक ट्राइसाइकिल



3949



व्हील चेयर



2181



व्हील चेयर



1544



बैसाखी



118



बैसाखी



5088



ट्राइपोड और टेट्रापोड



1735



वॉकिंग स्टिक्स



1811



वॉकर फोल्डेबल



850



ब्रेल केन



145



चश्मा



5816



स्मार्ट केन



659



कृत्रिम दांतों की पंक्ति



4950



स्मार्टफोन



29



हियरिंग ऐड



8858



हियरिंग ऐड



2525



व्हीलचेयर कमोड



55



ब्रेल किट



73



चेयर कमोड



35



रोलेटर



229



सिलिकॉन फोम कुशन



10



टैबलेट



1



नी ब्रेस



326



डेजी प्लेयर



12



स्पाइनल सपोर्ट



40



एमएसआईईडी किट



403



एलएस बेल्ट



94



सेलफोन



54



सीट के साथ वॉकिंग स्टिक



05



एडीएल किट



50



फुट केयर किट



85



ब्रेल स्लेट



13



---



 



सीपी चेयर



99



---



 



कृत्रिम अंग


और कैलिपर



924



---


 

शिविर में बैट्री से चलने वाली 847 मोटर वाली ट्राइसाइकिलें वितरित की गईं। ऐसी एक मोटर वाली ट्राइसाइकिल की कीमत 37,000 रुपये है जबकि 25 हजार रुपये की सब्सिडी एडीआईपी स्कीम के तहत दी गई और 12 हजार रुपये की संतुलित राशि एमपीएलएडी फंड, एमएलए फंड, सीएसआर, एनजीओ या लाभार्थी के द्वारा दी गई। प्रयागराज, फूलपुर और भदोही के सांसदों और 9 एमएलए व 2 एमएलसी के एमपीएलएडी फंडों के सहयोग से वितरण कैंप में 166 मोटर वाली ट्राइसाइकिलें वितरित की गईं।


इसके अतिरिक्त तमाम कॉरपोरेशनों की सीएसआर पहल के तहत 243 मोटर वाली साइकिलें वितरित की गईं, जिनकी जानकारी इस प्रकार से है:


क- मेजा, ऊर्जा निगम प्राइवेट लिमिटेड (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन की सहायक कंपनी) की ओर से 118


ख- प्रयागराज पावर जनरेशन कंपनी बारा के द्वारा 83


ग- इफको प्रयागराज के द्वारा 41 और


घ- प्रयागराज पावर जनरेशन कंपनी, बारा और इफको प्रयागराज द्वारा 1



सीएसआर पहल के तहत एसपीएमसीआईएल ने राष्ट्रीय खेल विकास कोष में 1 करोड़ रुपये का योगदान दिया

कंपनी की सीएसआर पहल के तहत सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसपीएमसीआईएल) ने टोक्यो ओलंपिक के लिए चुने गए देश के शीर्ष एथलीटों के लिए लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना (टीओपीएस) के तहत राष्ट्रीय खेल विकास कोष में 1 करोड़ रुपये की राशि का योगदान दिया। एसपीएमसीआईएल की अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सुश्री तृप्ती पात्र घोष और इसके निदेशक (एचआर) श्री एस. के. सिन्हा ने 27 फरवरी, 2020 को केन्द्रीय युवा मामलों एवं खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री किरेन रिजिजू को 1 करोड़ रुपए का चेक सौंपा। इस अवसर पर संयुक्त सचिव (खेल) श्री इंदर धमीजा और, एसपीएमसीआईएल के महाप्रबंधक (एचआर) श्री बी. जे. गुप्ता भी उपस्थित थे।


दिल्ली विश्वविद्यालय के तदर्थ शिक्षकों की समस्याओं का निवारण शीघ्र- अमित खरे

मानव संसाधन विकास सचिव श्री अमित खरे ने कहा कि उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के तदर्थ शिक्षकों की समस्याओं के बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के साथ विस्तृत चर्चा की। उन्होंने वाइस चांसलर से रिक्त संकाय पदों को भरने और शिक्षकों की पदोन्नति के लिए कदम उठाने को कहा है।


श्री अमित खरे दिल्ली के शिवाजी कॉलेज के न्यू विंग के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि शिक्षक शिक्षा प्रणाली की रीढ़ हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक जब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए काम करते हैं तो हमें भी शिक्षक समुदाय की चुनौतियों को हल करने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।


उद्घाटन समारोह के दौरान श्री खरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि शिवाजी की माता मातश्री जीजाबाई के नाम पर नए विंग का नाम रखना प्रासंगिक और सार्थक दोनों है।


इस नए विंग का निर्माण प्रिंसिपल डॉ शशि निझावां के नेतृत्व में किया गया है। इस अत्याधुनिक भवन में प्रयोगशालाओं, संगोष्ठी हॉल, सभागारों, कक्षाओं और छात्रों एवं संकायों के लिए कई अन्य सुविधाएं शामिल हैं।


मानव संसाधन विकास सचिव श्री अमित खरे ने इसके लिए डॉ. निझावां और संकाय को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इससे कॉलेज के बुनियादी ढांचे में मात्रात्मक और गुणात्मक रुप से विकास हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि माता जीजाबाई के नाम पर अकादमिक विंग का नामकरण भी महिला सशक्तीकरण को दर्शाता है।


इसके साथ ही शिवाजी कॉलेज अब दिल्ली विश्वविद्यालय की दूसरी संस्था है जिसके पास वित्त लैब है जिससे छात्र को विभिन्न प्रक्रियाओं के बारे में ज्ञान हासिल करने में मदद मिलेगी।



वित्त वर्ष 2019-20 में जनवरी 2020 तक केन्द्रअ सरकार के खातों की मासिक समीक्षा

वित्त वर्ष 2019-20 में जनवरी-2020 तक केन्‍द्र सरकार के मासिक खाते को समेकित कर दिया गया है और संबंधित रिपोर्टों को प्रकाशित कर दिया गया है।


इनमें मुख्‍य बातें निम्‍नलिखित हैं : भारत सरकार को जनवरी-2020 तक 12,82,857 करोड़ रुपये (कुल प्राप्तियों के संबंधित बजट अनुमान 2019-20 का 66.41 प्रतिशत) प्राप्‍त हुए हैं, जिनमें 9,98,037 करोड़ रुपये का कर राजस्‍व, 2,52,083 करोड़ रुपये का गैर-कर राजस्‍व और 32,737 करोड़ रुपये की गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियां शामिल हैं। गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियों में ऋणों की वसूली (14,386 करोड़ रुपये) और विनिवेश राशि (18,351 करोड़ रुपये) शामिल हैं।


इस अवधि तक भारत सरकार द्वारा करों में हिस्‍सेदारी के अंतरण के रूप में राज्‍य सरकारों को 5,30,735 करोड़ रुपये हस्‍तांतरित किये गये हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 11,003 करोड़ रुपये कम है।


भारत सरकार द्वारा 22,68,329 करोड़ रुपये (संबंधित बजट अनुमान 2019-20 का 84.06 प्रतिशत) का कुल खर्च किया गया है, जिनमें से 20,00,595 करोड़ रुपये राजस्‍व खाते में हैं और 2,67,734 करोड़ रुपये पूंजीगत खाते में हैं। कुल राजस्‍व व्‍यय में से 4,71,916 करोड़ रुपये ब्‍याज भुगतान के मद में हैं और 2,62,978 करोड़ रुपये विभिन्‍न प्रमुख सब्सिडी के मद में हैं।



उपराष्ट्रपति ने युवाओं से बदलाव के वाहक बनने का आह्वान किया

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने युवाओं को बदलाव का वाहक बनने और अशिक्षा, आर्थिक असमानता और जाति, पंथ या लिंग के आधार पर सामाजिक भेदभाव जैसी चुनौतियों को दूर करने का नेतृत्व करने का आह्वान किया।


भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास के छात्रों को एक्स्ट्रा म्यूरल लेक्चर श्रृंखला के जरिए "भारत 2020 से 2030: दशक के लिए एक विजन," विषय पर संबोधित करते हुए श्री नायडू ने गलत सूचना या नफरत भरे संदेशों को फैलाने के लिए गैर-जिम्मेदाराना तरीके से प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की बढ़ती प्रवृति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि समाज में अच्छाई को बढ़ावा देने वाला समाज का नैतिक घेरा अपनी प्रासंगिकता खो रहा है।


कृषि क्षेत्र की ओर वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और भावी मार्ग दर्शकों का तुरंत ध्यान आकर्षित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे प्रयोगशालाओं से प्राप्त नए तथ्यों का खेतीबाड़ी में इस्तेमाल करने के लिए नियमित रुप से किसानों और कृषि विज्ञान केन्द्रों के साथ बातचीत करें। उन्होंने कृषि को अधिक व्यवहार्य, टिकाऊ और लाभदायक बनाने के लिए आईआईटी जैसे प्रमुख संस्थानों को नए विचारों के साथ आगे आने का सुझाव दिया।


ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में कृषि की भूमिका और राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में इसके योगदान की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में ही उपजे अन्न से खाद्य सुरक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए और साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी लोगों को प्रोटीन युक्त भोजन मिले।


उपराष्ट्रपति ने देश के सभी शोध संस्थानों को कृषि को लाभदायक और टिकाऊ बनाने पर ध्यान केंद्रित करने और यथार्थवादी, किफायती और कुशल समाधानों के साथ आगे आने को कहा है। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को किसानों के साथ मिलकर काम करने के लिए कहा ताकि किसानों के जीवन स्तर में सुधार के लिए नए समाधान विकसित किए जा सकें।


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दिए संदेश ‘गांवों की ओर लौटो’ का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण क्षेत्रों की ओर विशेष ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने युवाओं से कहा कि उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सहज रुझान विकसित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा की जाती है या ग्रामीण किसानों और कारीगरों को नुकसान होता है तो ऐसे में हम समावेशी विकास नहीं कर सकते हैं।


श्री नायडू ने बढ़ते शहरी-ग्रामीण विभाजन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार के बारे में बेहतर अवसरों के लिए लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे हालात से निपटने के लिए उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाओं का निर्माण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के लिए ऐसे अवसर पैदा किए जाएं कि वे अपने दम पर खड़े हो सकें। उन्होंने सभी भावी इंजीनियरों से शहरी क्षेत्रों को और अधिक जीवंत और टिकाऊ बनाने के तरीकों और साधनों का पता लगाने के लिए कहा है।


उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन के बाद सवाल-जवाब सत्र के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों को बदलने के लिए उनके विचारों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि कनेक्टीविटी चाहे वह परिवहन हो या तकनीकी, ग्रामीण विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने किसानों के लिए  कोल्ड स्टोरेज जैसी बुनियादी सुविधाएं सृजित करने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देने का भी आह्वान किया।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि भीड़भाड़ और प्रदूषण के कारण शहर अब रहने लायक नहीं रह गए हैं। यहां के जलस्रोत दूषित हो रहे हैं और प्राकृतिक संसाधन विचारहीन और लापरवाही पूर्ण दोहन के कारण लगातार घट रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने इच्छा जताई की युवा पीढ़ी स्वच्छ भारत सुनिश्चित करने के रास्ते तलाशें।


उपराष्ट्रपति चाहते हैं कि युवा वर्ग किफायती एवं स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने, जिम्मेदारीपूर्वक खपत एवं उत्पादन को प्रोत्साहित करने और जलवायु कार्य की दिशा में ठोस कदम उठाने के तरीके तलाशे।


उपराष्ट्रपति ने भारत के सदियों पुराने सभ्यतागत मूल्यों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर जोर दिया जो इसकी देखभाल और हिस्सेदारी के मूल दर्शन पर आधारित है। वे चाहते हैं कि हर कोई एक बेहतर इंसान बने, जो अपने साथी की परवाह करे और समाज के कल्याण में अपना योगदान दे।


श्री नायडू ने कहा कि विभिन्न विषयों को एकीकृत करते हुए शिक्षा को समग्र होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा किसी भी राष्ट्र की प्रगति का एक शक्तिशाली निर्धारक है। उपराष्ट्रपति ने गुणवत्ता, पहुंच, सामर्थ्य, समावेशिता, इक्विटी और लैंगिक समानता के महत्वपूर्ण आयामों के साथ शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि पचास प्रतिशत आबादी वाली महिलाओं को राष्ट्र की विकासात्मक प्रक्रिया में बराबर का भागीदार बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बालिकाओं को शिक्षित करना महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में पहला कदम है।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि जीडीपी के संदर्भ में मात्रात्मक विकास केवल तभी सार्थक है जब हम हर नागरिक को भागीदार, हितधारक और विकास प्रक्रिया का लाभार्थी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास के इस युग में सरकार का मंत्र 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' वास्तव में एक आह्वान है।


इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने आईआईटी, मद्रास परिसर में दो घंटे से अधिक समय बिताया और छात्रों के साथ व्यापक बातचीत की, जिस दौरान उन्होंने व्यापक विषयों पर छात्रों के सवालों के जवाब दिए।


इस कार्यक्रम में छात्रों और निकाय सदस्यों के साथ ही तमिलनाडु के मत्स्य पालन, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार मंत्री श्री डी. जय कुमार, आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. भास्कर राममूर्ति और आईआईटी मद्रास के डीन (छात्र) प्रो. एम. एस. शिवकुमार भी मौजूद थे।



डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू में 'पेंशन अदालत', एनपीएस जागरूकता, शिकायत निवारण का उद्घाटन किया

जम्मू के कन्वेंशन सेंटर में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास (डीओएनईआर) मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज 'पेंशन अदालत' और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) जागरूकता और शिकायत निवारण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम पेंशन और पेंशनर्स कल्याण विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन्स मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से संचालित किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने पेंशन नियमों पर व्याख्या के साथ केस स्टडी वाली बुकलेट जारी करने के साथ ही पारिवारिक पेंशन पर ट्विटर सीरीज 'क्या आप जानते हैं' की भी शुरुआत की।


पेंशन अदालत का उद्घाटन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब पेंशन अदालत दिल्ली से बाहर आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप सरकार देश के हर कोने, समाज के हर हिस्से तक पहुंचना चाहती है, जिससे रीयल टाइम में पेंशनर्स अपनी समस्याओं का समाधान पा सकें। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि पेंशन अदालतों से मौके पर ही पेंशनरों की शिकायतों के निवारण में मदद मिलेगी, जिसने पेंशनरों को 'जीवन में आसानी' का अधिकार दिया है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया है कि पेंशनरों को उनकी शिकायतों का समाधान करने के लिए एक परेशानी मुक्त प्रशासनिक प्रणाली उपलब्ध कराई जाए।


शिकायत निवारण प्रणाली के बारे में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि शिकायत निवारण प्रणाली 2014 से पहले काफी उपेक्षित थी लेकिन जिस दिन से मौजूदा सरकार सत्ता में आई, उसी दिन से सिस्टम पूरी तरह से बदल गया। शिकायतें कई गुना बढ़कर 2 लाख से 20 लाख हो गई हैं, जो इस बात का सबूत है कि लोगों को मौजूदा सरकार पर पूरा भरोसा है। उन्होंने दोहराया कि मौजूदा सरकार में शिकायतों के निवारण की दर हर हफ्ते 95 फीसदी से 100 फीसदी तक है और कुछ साल पहले शुरू हुई पेंशन अदालत इसका सबूत है।


मंत्री ने यह भी कहा कि पेंशनरों की सुविधा के लिए सरकार ने कई सुधार किए हैं। मौजूदा सरकार की पहलों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि एक प्रमुख पहल न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये तय करने का था। उन्होंने कहा कि दूसरी पहल जैसे भविष्य, संकल्प, जीवन प्रमाण- डिजिटल लाइफ सर्टिफेकेट, अप्रचलित कानूनों को हटाना और स्व-प्रमाणन भी शुरू हुईं। उन्होंने आगे कहा कि भारत में सेवानिवृत्त लोगों की आबादी बढ़ रही है और यह राष्ट्रीय हित में है कि उनकी ऊर्जा को सकारात्मक तरीके से उपयोग में लाया जाए क्योंकि यह सरकार उन्हें एक संपत्ति मानती है, देयता नहीं। उन्होंने कहा कि सक्रिय जीवन से सेवानिवृत्त जीवन की ओर जाना सुविधाजनक होना चाहिए।


मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा शुरू किए गए रीयल टाइम पोर्टल, सुरक्षाकर्मियों के लिए डैश बोर्ड और टोल फ्री नंबर 1800111960 इसका सबूत हैं कि मौजूदा सरकार सेवारत और रिटायर हो रहे या हो चुके कर्मचारियों के कल्याण को लेकर गंभीर है।


श्री नरेंद्र मोदी की सरकार साक्ष्य के साथ काम करती है और सभी केंद्रीय योजनाएं और कार्यक्रम भारत के दूसरे हिस्सों की तरह जम्मू और कश्मीर में बहुत प्रगतिशील तरीके से लागू किए गए हैं और लोगों की सफलता की कहानियां आपके सामने हैं, जिन्हें उज्ज्वला योजना और सौभाग्य योजना से फायदा हुआ।


जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार श्री आर. आर. भटनागर ने अपने संबोधन में कहा कि यह देखना सुखद है कि पेंशन अदालत पहली बार दिल्ली से बाहर आयोजित की गई, जो शिकायतों के निवारण तंत्र को लेकर केंद्र सरकार की गंभीरता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि यहां सभी प्रासंगिक सवाल पूछकर अपनी शिकायतों का समाधान पाना पेंशनरों, सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों और सेवारत के लिए भी अच्छा मौका है। पिछले तीन वर्षों में लिए गए फैसलों के लिए केंद्र सरकार की प्रशंसा करते हुए सलाहकार ने कहा कि पेंशन से संबंधित लंबित मामलों में काफी कमी आई है, जो एक अच्छे शासन का संकेत है।


पेंशन और पेंशनर्स कल्याण विभाग के सचिव डॉ. छत्रपति शिवाजी ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि विभाग का उद्देश्य रिटायरमेंट के बाद पेंशनरों को सामाजिक सुरक्षा और एक विशिष्ट सामाजिक जीवन उपलब्ध कराना है। उन्होंने आगे कहा कि वे लोग, जो किन्हीं कारणों से अपना जीवन प्रमाणपत्र नहीं दे पाए हैं, सरकार ने उनके लिए मुश्किल आसान कर दी है और बैंकों से कहा गया है कि उनके घर जाएं और एक जीवन प्रमाणपत्र जारी करें।


पेंशन अदालतों को परेशान पेंशनर, संबंधित विभाग, बैंक या सीजीएचएस प्रतिनिधि जो भी प्रासंगिक हो, को एक मेज पर लाने के उद्देश्य से आयोजित की गई हैं, जिससे ऐसे मामलों का मौजूदा नियमों के तहत मेज पर ही समाधान किया जा सके।


पेंशन अदालत में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों जैसे कपड़ा, रक्षा, वन, एएसआई, जीएसआई, सीजीडब्लूबी, सीडब्लूसी, सीएंडएजी, एनएसएसओ, डीजीडीडी, बीएसएफ, एसएसबी, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एमआईबी और जेकेजीएडीसे जुड़े 342 मामलों पर चर्चा हुई और तुरंत मौके पर ही 289 ऐसे मामलों का निपटारा कर दिया गया। लंबित 53 मामलों को संबंधित विभागों के द्वारा 15 दिनों के भीतर समाधान करने को कहा गया है।


एनपीएसग्राहकों के संबंध में, केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और जम्मू-कश्मीर (जेएंडके) केंद्रशासित प्रदेश से जुड़े मामलों की संख्या 200 से ज्यादा है। जिनके एनपीएस खातों में कुछ अनियमितताएं हैं, उन्हें सामने रखा गया और उससे संबंधित एओ और डीडीओ को चर्चा और सुधार कार्य के लिए बुलाया गया, जिससे ग्राहकों को सेवानिवृत्त होने के बाद कम वार्षिकी मूल्य के रूप में लगातार नुकसान न उठाना पड़े।



जन स्वास्थ्य पेशेवरों के सहयोग से भारत में जन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बीमारियों का उन्मूलन किया गया: डॉ. हर्षवर्धन

नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में आज भारतीय जन स्वास्थ्य संघ के 64वें सालाना राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, 'हमारे प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में हम आयुष्मान भारत के दो पिलरों के माध्यम से समग्र देखभाल करके सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज हासिल करने जा रहे हैं। ये पिलर हैं- देश के 50 करोड़ नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ प्रदान करने वाली प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) और देश के सभी हिंस्सों में स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों की स्थापना। 2022 तक हमारा लक्ष्य 150,000 पीएचसी और उप-केंद्रों को उन्नत कर स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में परिवर्तित करने का है।'


डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हमने दुनियाभर में निपाह और इबोला जैसे संक्रमण का प्रकोप देखा और अनुभव किया है, जिसने कई देशों को बुरी तरह से प्रभावित किया है लेकिन हमने इसे अपने देश में फैलने नहीं दिया। इसी प्रकार से, हमने दुनियाभर में फैल रहे नोवेल कोरोनावायरस को रोकने के लिए आवश्यक सभी एहतियाती उपाय किए हैं।


उन्होंने आगे कहा कि हम आगे सभी पक्षों के सहयोग से 2025 तक ट्यूबरकुलोसिस यानी टीबीको समाप्त करने के अत्यंत मुश्किल लक्ष्य को भी हासिल कर सकते हैं।


डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि दुनियाभर में बीमारियों के बोझ की गतिशीलता बदल रही है, हमें स्वास्थ्य एवं भू-स्थानिक सूचना प्रणालियों में डिजिटल तकनीक जैसे नए समाधानों की तरफ ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब नए कीर्तिमान स्थापित करने में सक्षम है और सबके लिए स्वास्थ्य की दिशा में आगे बढ़ने का रास्ता दिखा सकता है। उन्होंने कहा कि जन स्वास्थ्य पेशेवरों के भरपूर सहयोग से भारत पोलियोमाइलिटिस को खत्म करने में सफल रहा। सफलता की और भी कहानियां हैं, जहां जन स्वास्थ्य पेशेवरों के समर्पण और सहयोग से जन स्वास्थ्य के महत्व की बीमारियों का निवारण किया गया या भारत से उन्मूलन किया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय जन स्वास्थ्य संघ (आईपीएचए) के मौजूदा और पूर्व सदस्यों के ऐसे योगदानों के कारण ही आईपीएचए को सम्मान की नजर से देखा जाता है।


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 'भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए जन स्वास्थ्य लीडरशिप को बढ़ावा' की थीम के साथ इस सम्मेलन में जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे भारत के प्रमुख विशेषज्ञों के विचारों को जानने-समझने का मौका मिलेगा। यह विषय आज के भारत के लिहाज से प्रासंगिक है, जहां अपने नागरिकों को समान स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के मकसद से 'आयुष्मान भारत' की शुरुआत की गई, इस प्रकार से सबके लिए स्वास्थ्य का लक्ष्य प्राप्त करना है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि आईपीएचएसीओएन 2020 विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों और सरकार की पहलों जैसे स्वस्थ भारत मिशन, आयुष्मान भारत, पोषण अभियान और जल जीवन मिशन पर अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों के लिए जानने, समझने और जानकारी साझा करने का अवसर प्रदान करेगा। जन स्वास्थ्य के क्षेत्र के जाने-माने वक्ता यूएचसी के लिए जन स्वास्थ्य नेतृत्व, कुपोषण मुक्त भारत मिशन, एनीमिया मुक्त भारत, तंबाकू नियंत्रण, जन स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना, एंटी-माइक्रोबायल रेजिस्टेंस, मातृ पोषण कार्यक्रम, 2030 तक एड्स का खात्मा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य पहलों पर अपेड्टस जैसे विषयों पर अपने अनुभव, विचार और राय साझा करेंगे।


कार्यक्रम के दौरान डॉ. रणदीप गुलेरिया (निदेशक, एम्स), प्रोफेसर संजय राय (अध्यक्ष, भारतीय जन स्वास्थ्य संघ), डॉ. संघमित्रा घोष (महासचिव, भारतीय जन स्वास्थ्य संघ), प्रोफेसर शशि कांत (एम्स के सामुदायिक दवा केंद्र विभाग के प्रमुख और आयोजन के चेयरपर्सन), आईपीएचएसीओएन 2020 आयोजन के सचिव डॉ. पुनीत मिश्रा समेत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारी और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।



Saturday, February 29, 2020

क्या इसको जीना कहते हैं

भड़क रही सीने में पल- पल ,आग नफरतों की यह कैसी ।

दुखी हृदय सब देख विकल है ,क्या इसको जीना कहते हैं ।

 

भ्रष्ट हो गयी राजनीति है , भूल चुकी ईमान तभी ये,

क्यों विनाश की और चले हैं,भ्रमित हुए इंसान सभी यें ,

होली खेलें चलो रक्त से ,चौड़ा कर सीना कहते हैं ।।

 

दुखी हृदय सब देख विकल है ,क्या इसको जीना कहते हैं।।

 

चेहरे पर चेहरा रख घूमें,हैवानों की भीड़  बढ़ी अब,

अस्मत लुट जाए अबला की ,क्या जाने किस दुखद घड़ी रब ,

वस्त्रहीन कर जिस्म जलाकर ,रसिक ज़रा पीना कहते हैं ।।

 

दुखी हृदय सब देख विकल है ,क्या इसको जीना कहते हैं।।

 

कैसी ये आजादी पायी ,क्या अब झूमूं नाचूँ गाऊं ,

जाति धर्म टकराव देखकर ,या रब जिंदा ही मर जाऊं ,

कदर गँवा दी वही देश जो गौरों से छीना कहतें हैं ।।

 

दुखी हृदय सब देख विकल है ,क्या इसको जीना कहते हैं।।

 

कर्मचारी चयन आयोग मार्च 2021 तक 1, 40, 000 रिक्तियों को भरेगा

कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष श्री ब्रज राज शर्मा ने आज पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्‍य मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह से मुलाकात की। उन्‍होंने श्री सिंह को अवगत कराया कि आयोग मार्च 2021 तक भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों और कार्यालयों के लिए ग्रुप-बी एवं ग्रुप सी में लगभग एक लाख चालीस हजार रिक्तियों को भरेगा। उन्होंने कहा कि गैर-तकनीकी पदों के अलावा राजपत्रित एवं अराजपत्रित दोनों तरह की रिक्‍तयों को चरणबद्ध तरीके से भरा जाएगा।

      हालांकि वर्ष 2019-20 में 28-02-2020 तक आयोग भारत सरकार में 14,611 उम्मीदवारों की नियुक्ति के लिए सिफारिश पहले ही कर चुका है। आयोग जून 2020 तक भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों/ कार्यालयों में 85,000 अतिरिक्त पदों को भरने के लिए परिणाम की घोषणा कर सकता है। श्री शर्मा ने बताया कि आयोग द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 के शेष भाग में (यानी जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक) अतिरिक्त 40,000 रिक्त पदों को भरे जाने की संभावना है।


कर्मचारी चयन आयोग निम्‍नलिखित पदों के लिए भर्ती करता है:



  1. भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा विभाग में ग्रुप-बी (राजपत्रित) पदों के लिए।

  2. भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों/ कार्यालयों के लिए ग्रुप-बी (अराजपत्रित) पदों के लिए।

  3. भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों/ कार्यालयों के लिए ग्रुप-सी (गैर-तकनीकी) पदों के लिए।



सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2019-20 (सीरीज एक्‍स)- निर्गम मूल्‍य

 भारत सरकार की अधिसूचना एफ. संख्‍या (7) – डब्‍ल्‍यू एंड एम / 2019 दिनांक 30 सितंबर 2019 के संदर्भ में सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड 2019-20 (सीरीज एक्‍स ) की अवधि 02 से 06 मार्च 2020 तक खोली जाएगी। सबस्क्रिपशन अवधि के दौरान इस बॉन्ड का निर्गम मूल्य 4,260 रुपये (चार हजार दो सौ साठ रुपये) प्रति ग्राम होगा। इसकी निपटान तिथि 11 मार्च 2020 होगी जैसा कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रेस विज्ञप्ति में भी 28 फरवरी 2020 को प्रकाशित किया गया है।


 भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से भारत सरकार ने उन निवेशकों को निर्गम मूल्य से प्रति ग्राम 50 रुपये (पचास रुपये) की छूट की अनुमति देने का फैसला किया है जो ऑनलाइन आवेदन करते हैं और भुगतान डिजिटल मोड के माध्यम से किया जाता है। ऐसे निवेशकों के लिए गोल्ड बॉन्ड का निर्गम मूल्य 4,210 रुपये (चार हजार बीस रुपये) प्रति ग्राम होगा।



श्री पीयूष गोयल थिम्पू में भूटान के नेताओं से मिले

रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल भूटान- भारत स्टार्ट-अप समिट 2020 में भाग लेने वाले एक उच्चस्तरीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के रूप में फिलहाल भूटान में हैं।


भारत और भूटान के बीच साझेदारी विशेष और समय पर परखी हुई है जो साझा सांस्‍कृतिक विरासत और लोगों से लोगों के बीच मजबूत संबंधों से पोषित आपसी समझ और सम्‍मान पर आधारित है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अगस्त 2019 में भूटान की राजकीय यात्रा ने दोनों देशों के बीच सहयोग के पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रों में साझेदारी में कहीं अधिक गहराई और विविधता लाने के लिए नई गति दी है।


श्री पीयूष गोयल ने आज भूटान के प्रधानमंत्री और भूटान के आर्थिक मामलों के मंत्री के साथ बैठक से अलग थिम्पू में भूटान के महामहिम राजा से मुलाकात की। भारत और भूटान के बीच आर्थिक साझेदारी को एक नई दिशा देने के लिए होने वाली मुलाकात और बैठकों के दौरान सीआईआई के अध्‍यक्ष श्री विक्रम किर्लोस्‍कर के नेतृत्‍व में एक उच्‍चस्‍तरीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल मंत्री के साथ था। इस उच्‍चस्‍तरीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल में सीआईआई के चेयरयमैन श्री कृष्ण गोपालकृष्णन, सीआईआई के डीजी श्री चंद्रजीत बनर्जी, ओयो के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री रितेश अग्रवाल एवं अन्‍य लोग शामिल थे।


      तमाम बैठकों के बाद निम्नलिखित ठोस नतीजे सामने आए: भूटान के अनुरोध के आधार पर रेलवे बोर्ड ने मुजनाई (भारत) से न्योएन्पालिंग (भूटान) लाइन की स्थापना के लिए एक सर्वेक्षण शुरू किया है। इससे भारत और भूटान के बीच सीमापार रेल लिंक स्‍थापित होगा।


      भारतीय रेल की एक टीम भूटान से भारत को रेलवे गिट्टी के निर्यात के लिए एक समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देने के लिए स्‍टेट माइनिंग कॉरपोरेशन ऑफ भूटान के साथ चर्चा करने के लिए कल भूटान का दौरा कर रही है।


      सीआईआई ने घोषणा की है कि वह भूटान में उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से भारतीय इनक्‍यूबेशन केंद्रों में 30 भूटानी स्टार्ट-अप को संरक्षण प्रदान करेगा। वह जल्‍द ही भूटान में अपना पहला दक्षिण एशिया कार्यालय भी खोलेगा।


      दोनों पक्षों ने जोगीगोपा, पांडु और अगरतला में नए ट्रांजिट सीमा शुल्क स्टेशनों के लिए पदनाम और अधिसूचना पर भी चर्चा की। इसके अलावा नागरकट्टा के भूमि सीमा शुल्‍क स्‍टेशन को एक स्थायी सीमा शुल्क स्टेशन बनाने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।


      मंत्री ने प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के क्षेत्र में द्विपक्षीय भागीदारी के लिए ठोस नतीजों की भी घोषणा की। इसके तहत भारत सरकार गुजरात के गांधीनगर के उद्यमिता विकास संस्थान में उद्यमिता पर 100 भूटानी प्रशिक्षकों एवं युवाओं के प्रशिक्षण को पूरी तरह से प्रायोजित करेगी।


      पैकेजिंग एवं ब्रांडिंग में क्षमता निर्माण की आवश्यकता के मद्देनजर 30 भूटानी उद्यमी एवं स्टार्ट-अप भारत सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के तहत दिल्‍ली के भारतीय पैकेजिंग संस्थान में प्रशिक्षण हासिल करेंगे।


      भूटान में उद्यमिता विकास संस्थान स्थापित करने के लिए भारत एक व्यवहार्यता अध्ययन कराएगा। यह भूटान सरकार की प्राथमिकताओं के अनुरूप है और इसमें उनकी सीएसआई नीति 2019 भी प्रतिध्वनित होती है।


      भूटान में आयोजित अपने प्रकार के इस पहले स्टार्ट-अप शिखर सम्मेलन में शनिवार 29 फरवरी को होने वाले कार्यक्रमों में उद्घाटन सत्र के अलावा पांच अन्‍य सत्र शामिल हैं। इन सत्रों में नए भारत, स्टार्टअप इकोसिस्टम- भारतीय अनुभव, सूचना प्रौद्योगिकी एवं अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों में उद्यमशीलता को बढ़ावा, भूटान में निवेश के अवसर और आगे की राह जैसे विषय शामिल हैं।


      इन सत्रों में कारोबार जगत की प्रमुख हस्तियां, थिंक टैंक और शिक्षाविद संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श, चर्चा और सहयोग करेंगे। इसका उद्देश्य भविष्‍य में भारत और भूटान के बीच आर्थिक साझेदारी का दायरा विभिन्‍न क्षेत्रों तक विस्‍तृत करना है। श्री पीयूष गोयल शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य भाषण देंगे। साथ ही वह भूटान के प्रधानमंत्री के साथ भारत और भूटान के 30 स्टार्ट-अप द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का भी उद्घाटन करेंगे। इसके बाद भूटान और भारत के उद्योग जगत के शीर्ष नेतृत्‍व के साथ एक इंटरएक्टिव राउंड टेबल मीटिंग होगी जिसकी अध्‍यक्षता श्री गोयल करेंगे।



श्री अर्जुन मुंडा ने भुवनेश्वर में स्थानीय स्वशासन में अनुसूचित जनजाति के जन प्रतिनिधियों के लिए क्षमता सृजन कार्यक्रम तथा 1000 जल स्रोत कार्यक्रमों को लॉन्च किया

केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में एक कार्यक्रम में स्थानीय स्वशासन में अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधियों के क्षमता सृजन के लिए कार्यक्रम लॉन्च किया। उन्होंने 1000 जल स्रोत कार्यक्रम तथा जल स्रोतों के जलविज्ञान तथा रासायनिक गुणों के साथ जीआईएस आधारित जलस्रोत (स्प्रिंग) एटलस पर ऑनलाइन पोर्टल भी लॉन्च किया। इस अवसर पर ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक तथा जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरूता उपस्थित थीं।


ओडिशा में एफआरए (एफआरए में ओडिशा की यात्रा) पर लघु वृत्तचित्र और ओडिशा का एफआरए एटलस को जारी किया गया। उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र में जनजातीय विकास परिप्रेक्ष्य, जनजातीय भूमि का अलगाव, वन धन विकास केन्द्र तथा जनजातीय विकास अन्वेषण पर चर्चा की गई।


श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि 1000 जल स्रोत कार्यक्रम का उद्देश्य देश के कठिन और दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे जनजातीय सुमदाय के लिए सुरक्षित और पर्याप्त जल तक पहुंच में सुधार करना है। यह प्राकृतिक जल स्रोतों के इर्द-गिर्द एकीकृत समाधान है। इसमें पाइप पेय जल सप्लाई के लिए अवसंरचना का प्रावधान, सिंचाई जल का प्रावधान, सामुदायिक नेतृत्व वाले संपूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम तथा घर के पीछे बागानों के लिए जल का प्रावधान और जनजातीय लोगों के लिए सतत आजीविका अवसर का सृजन शामिल हैं।  उन्होंने आशा व्यक्त की कि विचार-विमर्श से आए सुझावों का उपयोग परियोजना विस्तार के लिए किया जाएगा।


उन्होंने कहा कि जीआईएस आधारित जल स्रोत एटलस पर ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है ताकि ऑनलाइन प्लेटफार्म से सहज रूप में इन आंकड़ों को प्राप्त किया जा सके। स्प्रिंग एटलस पर 170 जल स्रोत अपलोड किए गए हैं।


श्री मुंडा ने कहा कि क्षमता सृजन पहल का उद्देश्य स्थानीय सरकार के स्तर पर जनजातीय प्रतिनिधियों को उनकी निर्णय क्षमता में वृद्धि करके सशक्त बनाना है। जनजातीय विकास से संबंधित अन्य विषयों में इसका फोकस जनजातीय आबादी की रक्षा और उनके अधिकारों को प्रोत्साहन और कल्याण के संवैधानिक तथा कानूनी प्रावधानों पर है। यह कार्यक्रम नियोजन, क्रियान्वयन तथा सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों की निगरानी में जनजातीय प्रतिनिधियों की बढ़ती भागीदारी सुनिश्चित करेगा। विकास प्रक्रिया में उनकी बेहतर भागीदारी से जनजातीय कार्यक्रमों की बेहतर प्राथमिकता सुनिश्चित होगी।


जल स्रोत भूजल के प्राकृतिक स्रोत हैं और भारत सहित पूरे विश्व के पर्वतीय क्षेत्रों में इनका इस्तेमाल किया गया है। लेकिन मध्य और पूर्वी भारत के 75 प्रतिशत जनजातीय आबादी वाले क्षेत्र में जल स्रोतों को मान्यता नहीं दी गई है और उनका उपयोग कम किया गया है। इस कार्यक्रम से जनजातीय क्षेत्रों में जल की प्राकृतिक कमी की समस्या से निपटने में बारहमासी जल स्रोत की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस पहल के अंतर्गत ओडिशा के तीन जिलों- कालाहांडी, कंधमाल तथा गजपति- के ग्रामीण क्षेत्र से 70 जनजातीय युवाओं  को बिना जूते के जलविज्ञानी के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। इन युवाओं को जल स्रोतों की पहचान और मैपिंग के लिए पारंपरिक और वैज्ञानिक ज्ञान तथा अपनी आबादी वाले क्षेत्रों में पुनर्जीवन तथा संरक्षण कार्यक्रम को सम्मिलित करके प्रशिक्षित किया गया है।


जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा स्थानीय प्रशासन में निर्वाचित जनजातीय प्रतिनिधियों के लिए क्षमता सृजन कार्यक्रम लॉन्च किया गया है। इसका उद्देश्य क्षमता सृजन पहल का उद्देश्य स्थानीय सरकार के स्तर पर जनजातीय प्रतिनिधियों को उनकी निर्णय क्षमता में वृद्धि करके सशक्त बनाना है। जनजातीय विकास से संबंधित अन्य विषयों में इसका फोकस जनजातीय आबादी की रक्षा और उनके अधिकारों को प्रोत्साहन और कल्याण के संवैधानिक तथा कानूनी प्रावधानों पर है। यह कार्यक्रम नियोजन, क्रियान्वयन तथा सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों की निगरानी में जनजातीय प्रतिनिधियों की बढ़ती भागीदारी सुनिश्चित करेगा। विकास प्रक्रिया में उनकी बेहतर भागीदारी से जनजातीय कार्यक्रमों की बेहतर प्राथमिकता सुनिश्चित होगी।


स्थानीय स्तर पर विकास कार्यक्रमों में प्रत्यक्ष रूप से भागीदारी करने वाले जनप्रतिनिधियों के क्षमता सृजन से समुदायों तथा क्षेत्रों के बीच विकास के अंतर को पाटने में काफी मदद मिलेगी। इससे विभिन्न विकास और कल्याणकारी कार्यक्रमों को कारगर तथा बेहतर तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी और परिणामों में सुधार होगा।


इस कार्यक्रम को लॉन्च करने से पहले मंत्रालय ने पिछले कुछ महीनों में विभिन्न हितधारकों से विचार-विमर्श किया। जनजातीय निर्वाचित प्रतिनिधियों के क्षमता सृजन के लिए मॉड्यूल विकास पर पिछले वर्ष 23 दिसम्बर को नई दिल्ली में कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें राज्य जनजातीय अनुसंधान और विकास संस्थानों, राज्य ग्रामीण विकास संस्थानों, प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों, स्थानीय स्वशासन संस्थान, केरल तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय जन सहयोग और बाल विकास संस्थान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


क्षमता सृजन कार्यक्रम की उचित रूप रेखा बनाने के बारे में जनजातीय जन प्रतिनिधियों, सिविल सोसाइटी संगठनों तथा वन विभाग के अधिकारियों सहित विभिन्न हितधाकरों के बीच संवाद हुआ।


क्षमता सृजन कार्यक्रम के लिए मॉड्यूल इस उद्देश्य के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के अनुरूप विकसित किया गया है। प्रशिक्षण के लिए इस मॉड्यूल का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। जनजातीय समुदायों के बीच के सहायक क्षमता सृजन प्रक्रिया में शामिल किए जाएंगे ताकि स्थानीय भाषा में बेहतर तरीके से सूचना दी जा सके। क्षमता सृजन के तौर तरीकों में ऑडियो विजुअल उपकरण, रोल प्ले और कार्यशाला को शामिल किया जाएगा। क्षमता सृजन कार्यक्रम, बेहतर कवरेज तथा तेजी से क्रियान्वयन  के लिए सोपान रूप मे लागू किया जाएगा। कार्यक्रम मास्टर प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण से प्रारंभ होगा और उसके बाद सहायकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। कार्यक्रम को जनजातीय निर्वाचित प्रतिनिधियों के क्षमता सृजन के लिए विषयों को प्राथमिकता देकर विषय संबंधी तरीके से लागू किया जाएगा। कार्यक्रम राज्य सरकारों द्वारा एसआईआरडी और पीआर तथा टीआरआई के माध्यम से लागू किया जाएगा।



श्री अमित शाह ने भुवनेश्वर में आयोजित पूर्वी आंचलिक परिषद की 24वीं बैठक की अध्यक्षता की

केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने आज भुवनेश्वर (ओडिशा) में आयोजित पूर्वी आंचलिक परिषद की 24वीं बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में भाग लेने वाले अन्य गणमान्य व्यक्तियों में उपाध्यक्ष और मेजबान के रूप में ओडिशा के मुख्‍यमंत्री श्री नवीन पटनायक, बिहार के मुख्‍यमंत्री श्री नीतीश कुमार,  पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री सुश्री ममता बनर्जीझारखंड के वित्तमंत्री श्री रमेश उरांव और केंद्र तथा राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

ओडिशा के मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और चक्रवाती आपदाओं के दौरान तुरंत सहायता करने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कोयले पर रॉयल्टी में बढ़ोतरी का मुद्दा उठाया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने जीएसटी से आय के भुगतान में देरी और धन के हस्‍तांतरण का मुद्दा उठाया। बिहार के मुख्यमंत्री  ने गंगा नदी में बाढ़ की देखरेख के लिए राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति तैयार करने के लिए कहा।


बैठक को संबोधित करते हुए श्री शाह ने 24वीं बैठक में परिषद के सभी सदस्यों का स्वागत किया और उम्मीद ज़ाहिर की कि केन्द्र/राज्य और अंतर-राज्य संबंधी मुद्दों का सहमति से समाधान निकालने में यह सार्थक बैठक होगी। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप, विचार-विमर्श के बाद, देश के संघीय ढांचे को और मज़बूत करने के लिए सर्वसम्मति से लिए गए फैसलों को लागू किया जाना चाहिए। गृह मंत्री ने क्षेत्रीय परिषद प्रणाली की उपयोगिता के प्रति संतोष व्यक्त किया और सूचित किया है कि 70 प्रतिशत से अधिक मुद्दों का समाधान क्षेत्रीय परिषदों की हाल की बैठकों में हुआ है तथा शेष मुद्दों पर भी सहमति बन जाएगी।


परिषद में अपर महानंदा जल योजना पर 1978 में बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच हस्ताक्षर होने वाले फुलवारी बांध संबंधी विषय, ओडिशा के उत्तरी जिलों में नौपाड़ा-गुनुपुर-थेरुबली रेल लिंक परियोजना के विस्तार, बिहार और झारखंड के बीच पेंशन दायित्व के निर्धारण, भारत सरकार की कोयला कम्पनियों द्वारा राज्य सरकार की ज़मीन के इस्तेमाल, प्रधानमंत्री आवास योजना- केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपकरमों द्वारा भूमि स्थानांतरण, बच्चों और महिलाओं के विरुद्ध यौन उत्पीड़न/दुष्कर्म के मामलों में तत्काल आधार पर जांच संबंधी मुद्दे, भारत-बंग्लादेश सीमा पर मवेशी तस्करी/मवेशियों की गैर-कानूनी आवाजाही, ओडिशा में दूरसंचार तथा बैंक कनेक्टिविटी की कमी, ओडिशा में गांजा/भांग की गैर-कानूनी खेती और व्यापार, कोयला रॉयल्टी की समीक्षा, अपर्याप्त धन और विलम्ब, पेट्रोलियम परियोजनाओं की भूमि संबंधी समस्याएं आदि मुद्दों पर भी चर्चा की गई । आज कुल 48 विषयों पर विचार किया गया जिन में से 40 (83 प्रतिशत से अधिक) का समाधान बैठक में निकाल लिया गया।


गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप पूर्वी क्षेत्र के त्वरित विकास पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आज की बैठक कार्यसूची में शामिल विषयों के समाधान में निर्णायक और उपयोगी होगी। उन्होंने कहा कि कार्यसूची में दिए गए विषयों के अतिरिक्त वह चाहेंगे कि कानून और व्यवस्था तथा प्रशासनिक सुधारों से संबंधित विषयों को शामिल किया जाए और उन पर चर्चा की जाए ताकि परिषद की बैठक देश के विकास को गति देने में सहायक हो।


गृह मंत्री ने केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों को केन्द्रीय मंत्रालयों के साथ लंबित विषयों में निर्णय लेने में तेजी लाने को कहा। उन्होंने बैंकिंग सेवाओं के विस्तार पर बल दिया ताकि दूर-दराज़ के क्षेत्रों में भी लाभ मिले।


उन्होंने संबोधन के समापन में कहा कि लंबित विषयों का समाधान नियमित चर्चा से करने की आवश्यकता है, न कि केवल क्षेत्रीय परिषद की बैठकों में। उन्होंने राज्यों से नियमित आधार पर डाटा साझा करने के काम को सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। बैठक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना के अनुरूप सहकारी संघवाद की भावना के साथ संपन्न हुई।