Saturday, March 14, 2020

श्री मनसुख मांडविया जेएनपीटी मुंबई के अंतर्गत कल 5 परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे

नौवहन और रसायन तथा उर्वरक राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मांडविया जेएनपीटी मुंबई में जेएनपीटी के तहत पूरी हो चुकी 5 परियोजनाओं का कल उद्घाटन करेंगे।



अपने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए श्री मांडविया जेएनपीटी का दौरा करेंगे और निम्‍नलिखित परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे :


·         जेएनपीटी में पीयूबी के नजदीक वाई जंक्‍शन पर फ्लाईओवर का निर्माण


·         केन्‍द्रीकृत पार्किंग प्‍लाजा


·         स्‍कैनिंग एक्‍सरे


·         220/33 केवी मास्‍टर यूनिट सब-स्‍टेशन का संवर्धन और


·         शिव समर्थ स्‍मारक संग्रहालय


15 मार्च को सुबह 11.30 बजे श्री मांडविया महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री श्री उद्धव बाल ठाकरे की उपस्थिति में मांडवा में रो-पैक्‍स जहाज और उसके टर्मिनल का उद्घाटन करेंगे।


मांडवा बंदरगाह (ताल.अलीबाग.जिला रायगढ़) महाराष्‍ट्र के तट पर महत्‍वपूर्ण यात्री बंदरगाहों में से एक है। हर वर्ष करीब 15 लाख यात्री कैटामारैन (लकड़ी के लट्ठों को बांधकर बनाया गया बेड़ा) से आवाजाही करते हैं। यह गेटवे ऑफ इंडिया से मांडवा और उसके बाद अलीबाग तथा रायगढ़ जिले के अन्‍य स्‍थानों पर जाती है।


अलीबाग पहुंचने के लिए गेटवे ऑफ इंडिया-मांडवा जलमार्ग का इस्‍तेमाल करने से 45 मिनट से एक घंटा लगता है, जबकि सड़क के रास्‍ते यात्रा करने से करीब साढ़े तीन से चार घंटे लगते हैं। इससे कई घंटों की यात्रा की समस्‍या हल होती है। परिणामस्‍वरूप जल परिवहन की सुविधा का लाभ उठाने वाले यात्रियों की संख्‍या हर वर्ष बढ़ रही है। इस जलमार्ग के महत्‍व पर गौर करते हुए, सरकार ने गोदी से रो-पैक्‍स फेरी सेवा मुंबई से मांडवा के लिए शुरू करने का फैसला किया है, ताकि लोग रो-पैक्‍स जहाज में अपने वाहनों के साथ यात्रा कर सकें, जिससे उनके समय और ईंधन की पर्याप्‍त बचत होगी।


गोदी और मांडवा में रो-पैक्‍स जेटी और टर्मिनल की सुविधाएं विकसित की गई हैं। यह मुंबई पोर्ट ट्रस्‍ट और महाराष्‍ट्र मेरीटाइम बोर्ड का संयुक्‍त उद्यम है।


मुंबई पोर्ट ट्रस्‍ट ने 31 करोड़ रुपये की लागत से गोदी में रो-पैक्‍स सेवा के लिए विशेष बुनियादी ढांचा विकसित किया है, जबकि महाराष्‍ट्र मेरीटाइम बोर्ड ने रो-पैक्‍स परियोजना के अंतर्गत मांडवा में बुनियादी ढांचा सुविधाएं विकसित की हैं। यह कार्य 30.05.2018 को पूरा हो गया था और इस पर 135.29 करोड़ रुपये का कुल खर्च आया।    


मांडवा में रो-पैक्‍स फेरी सेवा और टर्मिनल के संचालन के लिए एमएमबी ने मैसर्स एस्‍क्‍वायर शिपिंग एंड ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के साथ 03.12.2019 को एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किए। इसी महीने में 19.12.2019 को एमबीपीटी ने इसी कंपनी के साथ एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किए और उसे साझा उपयोग के आधार पर गोदी में रो-पैक्‍स टर्मिनल से संचालन की अनुमति दी।


रो-पैक्‍स जहाज एम2एम-1 का निर्माण सितंबर, 2019 में ग्रीस में किया गया। यह जहाज तेजी से काम कर सकता है और इसकी गति 14केनोट है। यह गोदी से मांडवा की दूरी 45 मिनट से एक घंटे में पूरी कर सकता है। यह जहाज एक समय में 200 कारों और 1000 यात्रियों को ले जा सकता है। यह जहाज अलीबाग/गोवा की तरफ जाने वाली सड़क पर यातायात को काफी हद तक कम करेगा, क्‍योंकि यात्री निश्चित रूप से शांतिपूर्ण यात्रा को प्राथमिकता देंगे। पर्यावरण की दृष्टि से यातायात का यह साधन ईंधन के खर्च, वाहन से होने वाले उत्‍सर्जन को प्रभावी तरीके से कम करेगा। इस तरह के कार्य से निश्चित रूप से कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद मिलेगी।      




वायु सेना स्टेशन हिंडन पर क्वारंटाइन के लिए भारतीय नागरिकों की मदद

 दुनियाभर में बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस के फैलने के कारण, चीन (वुहान) और ईरान जैसे देशों में मौजूद भारतीय नागरिकों को दो मौकों पर भारतीय वायु सेना के सी-17 विमान द्वारा निकाला गया। दूसरी बार, लद्दाख क्षेत्र के कुल 57 तीर्थयात्रियों को, जो तीर्थयात्रा के लिए ईरान के कुअम गए थे, को 10 मार्च 2020 को सी-17 विमान से एयर फोर्स स्टेशन हिंडन लाया गया। इनमें 33 महिलाएं, 2 बच्चे और 22 पुरुष शामिल थे।



इन तीर्थयात्रियों के लिए वायु सेना स्टेशन हिंडन पर एक क्वारंटाइन सुविधा स्थापित की गई है, जिसमें आराम करने और स्वास्थ्य लाभ के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं। प्रशासनिक व्यवस्था (इमारतों की पहचान, इलाके की सुरक्षा, भोजन और पानी की आपूर्ति, बिस्तर, कपड़े धोना, देखभाल, मनोरंजन, सीवेज निस्तारण, परिवहन आदि) शिविर में की गई है और चिकित्सकीय सहायता (रोजाना जांच, प्रयोगशाला परीक्षण, संक्रमण मुक्त होने को लेकर सलाह और जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन, सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों, रोग सूचक रोगियों का प्रबंधन, निगरानी, निकटतम अस्पताल में अलग वार्ड तैयार करना और भेजना) स्थानीय नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर भारतीय वायु सेना के अधिकारियों द्वारा दी जा रही है। रोगियों के आने-जाने और करीब के सर्विस/सिविल अस्पतालों के निर्दिष्ट/पहचान किए गए अलग वार्ड में भेजने के लिए विस्तृत प्रोटोकॉल को तैयार रखा गया है।


कोविड-19 के संदिग्ध के क्वारंटाइन के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनिवार्य विस्तृत दिशानिर्देशों को लागू किया गया है। क्वारंटाइन की कुल अवधि 14 दिनों की है। भारतीय वायु सेना रक्षा सेवाओं के हिस्से के तौर पर स्थिति सामान्य होने तक नागरिक प्रशासन को सहयोग के लिए राहत के उपाय लगातार जारी रखेगी।




सीसीआई ने के.रहेजा कॉर्प ग्रुप द्वारा माइंडस्‍पेस रीट की स्‍थापना से संबंधित संयोजन को मंजूरी दी

भारतीय प्रतिस्‍पर्धा आयोग (सीसीआई) ने प्रतिस्‍पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 31(1) के तहत के.रहेजा कॉर्प ग्रुप द्वारा माइंडस्‍पेस रीट की स्‍थापना करने और रीट द्वारा लक्षित निकायों में हिस्‍सेदारी बेचने वाले शेयरधारकों की विशिष्‍ट इक्विटी अंशभागिता के अधिग्रहण से संबंधित प्रस्‍तावित संयोजन को मंजूरी दे दी है।


इस संयोजन के पक्षकार निम्‍नलिखित हैं :



  1. अधिग्रहणकर्ता : माइंडस्‍पेस बिजनेस पार्क्‍स रीट (माइंडस्‍पेस रीट)

  2. लक्षित निकाय : के.रहेजा आईटी पार्क (हैदराबाद) लिमिटेड, इनटाइम प्रॉपर्टीज लिमिटेड, सनड्यू प्रॉपर्टीज लिमिटेड, एवाकैडो प्रॉपर्टीज एंड ट्रेडिंग (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, गीगाप्‍लेक्‍स एस्‍टेट प्राइवेट लिमिटेड, केआरसी इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर एंड प्रोजेक्‍ट्स प्राइवेट लिमिटेड, होराइजनव्‍यू प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड; और माइंडस्‍पेस बिजनेस पार्क्‍स प्राइवेट लिमिटेड


माइंडस्‍पेस रीट की स्‍थापना भारतीय ट्रस्‍ट अधिनियम,1882 के प्रावधानों के तहत एक अंशदायी, अपरिवर्तनीय और सुव्यवस्थित ट्रस्‍ट के रूप में की जाती है, जिसका उद्देश्‍य रियल एस्‍टेट निवेश ट्रस्‍ट का संचालन करना है, ताकि रीट (रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट) के जरिये धन जुटाया जा सके, रीट के नियमों एवं निवेश रणनीति के अनुसार निवेश किया जा सके और उन कार्यकलापों को जारी रखा जा सके जिसकी आवश्‍यकता रीट के संचालन के लिए पड़ सकती है।


लक्षित निकाय दरअसल विशेष कंपनियां हैं जो वाणिज्यिक अचल संपत्ति (रियल एस्‍टेट) उद्योग में सक्रिय हैं। लक्षित निकायों के कारोबार में 10 वाणिज्यिक अचल संपत्ति परियोजनाएं शामिल हैं। ये वाणिज्यिक अचल संपत्ति परियोजनाएं दरअसल सूचना प्रौद्योगिकी पार्कों, वाणिज्यिक इमारतों एवं विशेष आर्थिक जोन का मिश्रण हैं जो मुम्‍बई क्षेत्र, हैदराबाद, पुणे और चेन्‍नई में अवस्थित हैं।


प्रस्‍तावित सौदे का संबंध भारत में एक रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट या रीट की स्‍थापना करने एवं उसे सूचीबद्ध करने से संबंधित है।


सीसीआई ने अधिनियम की धारा 31(1) के तहत प्रस्‍तावित संयोजन को मंजूरी दी है।


सीसीआई का ऑर्डर जल्‍द ही उपलब्‍ध होगा।



प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 लोकसभा में पेश

केंद्रीय पोत परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 पेश किया। यह विधेयक भारत में प्रमुख बंदरगाहों के नियमन, संचालन और नियोजन के लिए और ऐसे बंदरगाहों के प्रशासन, नियंत्रण और प्रबंधन और उससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों को मुख्य बंदरगाह प्रशासन के बोर्ड को देने से संबंधित है।



प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पोत परिवहन मंत्रालय के प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट कानून, 1963 की जगह प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 को लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इससे निर्णय लेने की पूर्ण स्वायत्तता और मुख्य बंदरगाहों के संस्थागत ढांचे का आधुनिकीकरण करके प्रमुख बंदरगाहों को अधिक दक्षता के साथ काम करने का अधिकार मिलेगा।


इससे पहले, विधेयक को 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद संसदीय स्थायी समिति (पीएससी) को भेजा गया था। साक्ष्य लेने और व्यापक परामर्श करने के बाद जुलाई 2017 में पीएससी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसके आधार पर, पोत परिवहन मंत्रालय ने 2018 में लोकसभा में विधेयक में आधिकारिक संशोधन पेश किया। हालांकि यह विधेयक पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद वैध नहीं रहा।


बंदरगाह की आधारभूत संरचना के विस्तार को बढ़ावा देने और व्यापार व वाणिज्य को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से, प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 का उद्देश्य प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन में पेशेवराना अंदाज को बढ़ावा देना और निर्णय लेने में विकेंद्रीकरण है। यह हितधारकों और परियोजना को बेहतर तरीके से लागू करने की क्षमता को लाभ पहुंचाते हुए तेज और पारदर्शी निर्णय देने में मदद करेगा। विधेयक का उद्देश्य केंद्रीय बंदरगाहों में सुशासन मॉडल को वैश्विक अभ्यास के अनुरूप जमींदार बंदरगाह मॉडल के रूप में फिर से प्रस्तुत करना है। इससे प्रमुख बंदरगाहों के संचालन में पारदर्शिता लाने में भी मदद मिलेगी।


यह विधेयक सभी हितधारकों और मंत्रालयों/विभागों के साथ व्यापक परामर्श और पीएससी की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-


क- यह बिल प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट कानून 1963 की तुलना में ज्यादा सुगठित है क्योंकि अतिच्छादित और अप्रचलित अनुभागों को समाप्त करके अनुभागों की संख्या घटाकर 134 से 76 कर दी गई है।


ख- नए विधेयक में बंदरगाह प्राधिकरण के बोर्ड की सरल संरचना का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान के 17 से 19 की तुलना में 11 से 13 सदस्य ही शामिल होंगे। पेशेवर स्वतंत्र सदस्यों वाला एक कॉम्पैक्ट बोर्ड निर्णय लेने और रणनीतिक योजना को मजबूत करेगा। राज्य सरकार, जिसमें प्रमुख बंदरगाह स्थित है, रेल मंत्रालय, रक्षा और सीमा शुल्क मंत्रालय, राजस्व विभाग के प्रतिनिधि को बोर्ड में सदस्य के तौर पर शामिल करने के अलावा सरकार की तरफ से नामित सदस्य और बड़े बंदरगाह प्रशासन के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को शामिल करने का प्रावधान किया गया है।


ग- प्रमुख बंदरगाहों के लिए तटकर प्राधिकरण की भूमिका नए सिरे से तय की गई है। बंदरगाह प्रशासन को अब तटकर तय करने के अधिकार दिए गए हैं जो पीपीपी परियोजनों के लिए बोली लगाने के उद्देश्यों के लिए एक संदर्भ तटकर के तौर पर काम करेगा। पीपीपी ऑपरेटर बाजार की स्थितियों के आधार पर तटकर तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड को भूमि सहित अन्य बंदरगाह सेवाओं और परिसंपत्तियों के लिए शुल्क का दायरा तय करने के अधिकार सौंप दिए गए हैं।


घ- एक सहायक बोर्ड बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जो प्रमुख बंदरगाहों के लिए पूर्ववर्ती टीएएमपी के बचे हुए कार्य को पूरा करने, बंदरगाहों और पीपीपी रियायत पाने वालों के बीच विवादों को देखने, तनावग्रस्त पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए और तनावग्रस्त पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए उपाय सुझाने और इस तरह की परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के उपाय देने और बंदरगाहों/निजी ऑपरेटरों (बंदरगाहों के भीतर काम करने वाले) द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को लेकर आई शिकायतों को देखने का काम करेगा।


ड.- बंदरगाह प्राधिकरण बोर्डों को अनुबंध करने, योजना और विकास, राष्ट्र हित को छोड़कर शुल्क तय करने, सुरक्षा और निष्क्रियता व डिफॉल्ट के चलते आपातकालीन स्थिति की पूरी शक्तियां दी गई हैं। मौजूदा एमपीटी कानून 1963 में 22 मामलों में केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति लेना आवश्यक था।


च- प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह का बोर्ड, बंदरगाह की सीमा और भूमि के दायरे में किसी भी विकास या अवसंरचना के संबंध में विशिष्ट मास्टर प्लान तैयार करना का हकदार होगा और इस तरह का मास्टर प्लान किसी भी प्राधिकरण के स्थानीय या राज्य सरकार के नियमों से स्वतंत्र होगा।


छ- सीएसआर और बंदरगाह प्राधिकरण के द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास के प्रावधान पेश किए गए हैं।


ज- प्रमुख बंदरगाहों के कर्मचारियों के पेंशन लाभ समेत वेतन और भत्ते और सेवा की शर्तों और प्रमुख बंदरगाहों के तटकर को सुरक्षा देने के लिए प्रावधान किया गया है।




भारत का विदेश व्यापार : फरवरी, 2020

भारत से अप्रैल-फरवरी 2019-20में 491.64 अरब अमेरिकी डॉलर का समग्र निर्यात (वस्‍तुएं एवं सेवाएं) होने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 2.13 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। उधर, अप्रैल-फरवरी 2019-20* के दौरान 559.45 अरब अमेरिकी डॉलर का समग्र आयात होने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 3.90 प्रतिशत की ऋणात्‍मक वृद्धि को दर्शाता है।


* नोटः आरबीआई द्वारा जारी किया गया सेवा क्षेत्र से जुड़ा नवीनतम डेटा जनवरी 2020 से संबंधित है। फरवरी 2020 से संबंधित डेटा सिर्फ एक आकलन है जिसमें आरबीआई की अगली प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर संशोधन किया जाएगा।


वस्‍तुओं का व्‍यापार


निर्यात (पुनर्निर्यात सहित)


फरवरी, 2020 में 27.65 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात हुआ जो फरवरी 2019 में हुए निर्यात की तुलना में 2.91 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। रुपये के लिहाज से फरवरी, 2020 में निर्यात 1,97,646.12 करोड़ रुपये का हुआ जो फरवरी, 2019 के मुकाबले 3.29 प्रतिशत की वृद्धि को रेखांकित करता है।


फरवरी, 2020 में जिन प्रमुख जिंस समूहों के निर्यात में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में धनात्मक वृद्धि दर्ज की गई है उनमें निम्नलिखित शामिल हैं-


अप्रैल-फरवरी, 2019-20 में कुल निर्यात 292.91 अरब अमेरिकी डॉलर (20,67,408.73 करोड़ रुपये) का हुआ जो अप्रैल-फरवरी, 2018-19 में हुए कुल निर्यात की तुलना में डॉलर की दृष्टि से 1.50 प्रतिशत की ऋणात्‍मक वृद्धि और रुपये के लिहाज से 0.62 प्रतिशत की ऋणात्‍मक वृद्धि को दर्शाता है।


फरवरी 2020 में गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न व जेवरात निर्यात 21.23 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ, जो फरवरी 2019 की तुलना में 6.16 प्रतिशत की धनात्‍मक वृद्धि को दर्शाता है। अप्रैल- फरवरी 2019-20 में गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न व जेवरात निर्यात 218.83 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ, जो पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 0.57 प्रतिशत की धनात्‍मक वृद्धि को रेखांकित करता है।


आयात


फरवरी 2020 में 37.50 अरब अमेरिकी डॉलर (2,68,063.75 करोड़ रुपये) का आयात हुआ जो फरवरी, 2019 के मुकाबले डॉलर के लिहाज से 2.48 प्रतिशत अधिक है और रुपये के लिहाज से भी 2.86 प्रतिशत अधिक है। अप्रैल-फरवरी 2019-20 में कुल मिलाकर 436.03 अरब अमेरिकी डॉलर (30,76,266.13 करोड़ रुपये) का आयात हुआ, जो अप्रैल- फरवरी 2018-19 में हुए आयात की तुलना में डॉलर के लिहाज से 7.30 प्रतिशत कम है और रुपये की दृष्टि से 6.52 प्रतिशत कम है।


नवम्‍बर, 2019 में जिन प्रमुख जिंस समूहों के आयात में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में ऋणात्‍मक वृद्धि दर्ज की गई है उनमें निम्नलिखित शामिल हैं-


सेवाओं का व्यापार


निर्यात (प्राप्तियां)


भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 13 मार्च, 2020 को जारी नवीनतम प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार जनवरी, 2020 में निर्यात 18.99 अरब अमेरिकी डॉलर (1,35,389.25 करोड़ रुपये) का हुआ, जो जनवरी 2019 की तुलना में डॉलर के लिहाज से 6.99 प्रतिशत की धनात्मक वृद्धि को दर्शाता है। फरवरी 2020* में सेवाओं का निर्यात 19.48 अरब अमेरिकी डॉलर का होने का अनुमान लगाया गया है।


आयात (भुगतान)


भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 13 मार्च, 2020 को जारी नवीनतम प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार जनवरी, 2020 में आयात 12.00 अरब अमेरिकी डॉलर (85,583.69 करोड़ रुपये) का हुआ, जो जनवरी 2019 की तुलना में डॉलर के लिहाज से 8.83 प्रतिशत की धनात्‍मक वृद्धि को दर्शाता है। फरवरी 2020* में सेवाओं का आयात 12.43 अरब अमेरिकी डॉलर का होने का अनुमान लगाया गया है।


व्यापार संतुलन


वस्‍तुएं: फरवरी, 2020 में व्यापार घाटा 9.85 अरब अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि फरवरी 2019 में व्यापार घाटा 9.72 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ था।


सेवाएं : आरबीआई द्वारा 13 मार्च, 2020 का जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार जनवरी 2020 के दौरान सेवाओं में व्यापार संतुलन (अर्थात शुद्ध सेवा निर्यात) 6.98 अरब अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया है।


समग्र व्यापार संतुलन : वस्‍तुओं एवं सेवाओं दोनों को ही मिलाने पर अप्रैल-फरवरी 2019-20में कुल मिलाकर 67.81 अरब अमेरिकी डॉलर का समग्र व्यापार घाटा होने का अनुमान लगाया गया है, जबकि अप्रैल-फरवरी 2018-19 में व्यापार घाटा 100.74 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ था।


* नोटः आरबीआई द्वारा जारी किया गया सेवा क्षेत्र से जुड़ा नवीनतम डेटा जनवरी, 2020 से संबंधित है। फरवरी 2020 से संबंधित डेटा सिर्फ एक आकलन है जिसमें आरबीआई की अगली प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर संशोधन किया जाएगा।



कंपनी अधिनियम और निधि संशोधन नियम 2019 के संशोधित प्रावधानों के अनुसार निधि कंपनी के तौर पर फॉर्म एनडीएच-4 में निधि कंपनियां अपनी स्थिति/घोषणा को अपडेट करने के लिए केंद्र सरकार के पास आवेदन करेंगी

निधि कंपनियों के लिए नियामक व्यवस्था को ज्यादा प्रभावी और देश के कारपोरेट वातावरण में पारदर्शिता और निवेशक अनुकूल उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, केंद्र सरकार ने हाल में कंपनीज एक्ट और नियम के तहत एनआईडीएचआई से संबंधित प्रावधानों में संशोधन किया है। (15 अगस्त 2019 से प्रभावी)



कंपनीज एक्ट (धारा 406) और निधि रूल्स (जैसा 15 अगस्त 2019 को संशोधित किया गया) के संशोधित प्रावधानों के तहत निधि कंपनियों को अपनी स्थिति/घोषणा के अपडेशन के लिए केंद्र सरकार के पास फॉर्म एनडीएच-4 में आवेदन करना जरूरी है।


फॉर्म एनडीएच-4 में केंद्र सरकार के पास आवेदन करने के लिए समय सीमा कुछ इस प्रकार से है:-


1- निधि संशोधन रूल्स 2019 से पहले (यानी 15 अगस्त 2019) निधि के तौर पर शामिल कंपनियों को उसके निगमन की तारीख से एक साल की अवधि के भीतर या निधि संशोधन नियम यानी 15 अगस्त 2019 से 9 महीने के भीतर, जो बाद में हो, आवेदन करना होगा।


2- निधि संशोधन नियम 2019 यानी 15 अगस्त 2019 को या बाद में निधि के तौर पर निगमित कंपनियों को निगमन की तारीख या बढ़ी हुई अवधि (संबंधित क्षेत्रीय निदेशक द्वारा मिली) से एक साल की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर आवेदन करना होगा।


अगर कोई कंपनी उपरोक्त आवश्यकताओं का अनुपालन नहीं करती है तो उसे फॉर्म नंबर एसएच-7 (शेयर कैपिटल के किसी भी परिवर्तन के लिए रजिस्ट्रार को नोटिस) और फॉर्म पीएएस-3 (आवंटन वापस) दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।


ऐसी कंपनियों के लिए संशोधित निधि रूल्स 2014 और कंपनीज एक्ट 1956/2013 के प्रावधान का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना आवश्यक है। इन नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन के मामले में कंपनी और उसके प्रत्येक अधिकारी, जो डिफॉल्ट में हैं, को जुर्माने के साथ दंडित किया जाएगा जो 5 हजार रुपये तक हो सकता है और लगातार उल्लंघन पर और भी जुर्माना लग सकता है।


आगे, निवेशकों को किसी निवेश या जमा से पहले आधिकारिक राजपत्र में केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना से निधि कंपनी की स्थिति को सत्यापित करने की सलाह दी जाती है।


निधि नियम 2014 के तहत, निधि एक कंपनी है जिसे अपने सदस्यों के बीच बचत की आदत डालने, जमा राशि प्राप्त करने और पारस्परिक लाभ के लिए केवल अपने सदस्यों को ऋण देने के उद्देश्य से निधि के तौर पर निगमित किया गया है।




उप राष्ट्रपति ने कॉलेजों में प्रवेश और रोजगार में खेल को ज्यादा महत्व देने का आह्वान किया

उप राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और रोजगार देने के लिए खेल को ज्यादा महत्व देने का आह्वान किया क्योंकि यह युवाओं को खेल संबंधी गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा।


हाल में भुवनेश्वर में आयोजित हुए खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में जीत दर्ज करने वाले पंजाब विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि भारत अपने आकार और आबादी के बावजूद ओलंपिक जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पिछड़ रहा था क्योंकि पहले खेलों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता था।


देश के सभी शिक्षण संस्थानों से बहुत कम उम्र से ही बच्चों में खेल की संस्कृति का विकास करने का आह्वान करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में खेल को अनिवार्य विषय बनाना खेल संस्कृति को आगे बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है।  खेलों में भाग लेने के तमाम फायदे समझाते हुए श्री नायडू ने कहा कि किसी भी प्रकार का शारीरिक व्यायाम न केवल युवाओं को तंदुरुस्त रखता है बल्कि उनके एकाग्रता के स्तर को भी सुधारता है। खेल युवाओं में सामाजिक लगाव, टीम भावना और आत्म-विश्वास की भावना पैदा करते हैं। उप राष्ट्रपति ने पंजाब  विश्वविद्यालय के युवा एथलीटों से कहा, 'यह आपको शिष्टाचारपूर्वक हार को स्वीकार करना सिखाते हैं। अगर आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं, तो आप मानसिक रूप से सजग रहेंगे।' बच्चों के खेलकूद को नियमित पेशे के रूप में लेने के लिए उन्होंने सरकार, समाज और शैक्षणिक संस्थानों के समन्वित प्रयासों का आह्वान किया।  खेलो इंडिया, फिट इंडिया, योग जैसे कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए सरकार की सराहना करते हुए, श्री नायडू ने भारत को स्वस्थ बनाने के लिए इन्हें व्यापक अभियानों में परिवर्तित करने के लिए प्रत्येक नागरिक खासतौर से युवाओं और शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी की मांग की। उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम जन आंदोलन बनने चाहिए।  इस बात पर कायम रहते हुए कि देश के आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए उसकी आबादी शारीरिक रूप से फिट होनी चाहिए, उप राष्ट्रपति ने हर नागरिक से राष्ट्र की प्रगति में योगदान करने और उसके विकास का भागीदार बनने का आह्वान किया। जीवन शैली संबंधी बीमारियों को बढ़ने से रोकने के लिए योग या किसी भी प्रकार की नियमित शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल देते हुए श्री नायडू ने मानव जाति के प्रकृति की ओर लौटने की जरूरत पर बल दिया। लोगों के प्रकृति की गोद में ज्यादा समय बिताने की उन्होंने इच्छा व्यक्त की।


कार्यक्रम में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पंजाब विश्वविद्यालय के प्रतिभागियों के साथ-साथ उप राष्ट्रपति के सचिव श्री IV सुब्बाराव, पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राज कुमार और संकाय के सदस्य उपस्थित रहे।


पूरा भाषण निम्नलिखित है-


'पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति, पंजाब विश्वविद्यालय के एथलेटिक दल के सदस्य, शिक्षक वृंद, प्रिय युवा मित्रों। आप सभी का उप राष्ट्रपति निवास पर स्वागत करने का सुयोग पाकर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं। मेधावी छात्रों और विद्वान शिक्षकों की उपस्थिति सदैव ही शुभता प्रदान करती है।


हाल में भुवनेश्वर में आयोजित पहले खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पंजाब विश्वविद्यालय के प्रतिभाशाली युवा छात्रों ने 17 स्वर्ण, 18 रजत और 10 कांस्य पदक जीत कर प्रथम स्थान प्राप्त किया है। दल के सभी सदस्यों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। आपके विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रूप में, आपकी हर उपलब्धि से स्वयं को निकट से जुड़ा हुआ पाता हूं।


आपके प्रयास, आपको, आपके शिक्षकों, परिजनों और आपके विश्वविद्यालय के लिए यश अर्जित करते हैं। आपकी सफलता, आपकी निजी उपलब्धि ही नहीं, बल्कि आपके संस्थान और समुदाय को भी यशस्वी बनाती है इसलिए आपकी उपलब्धि और भी अभिनंदनीय है। पंजाब विश्वविद्यालय तथा इस क्षेत्र के अन्य शिक्षा संस्थानों ने युवाओं में खेल की संस्कृति विकसित करने में अभिनंदनीय योगदान दिया है। पंजाब विश्वविद्यालय को खेलकूद में उल्लेखनीय उपलब्धियां के लिए 14वीं बार भारत सरकार की एमएकेए ट्रॉफी (मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी) से पुरस्कृत किया गया है।


मुझे जानकर हर्ष है कि सरकार ने खेलो इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत देश में खेल प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें प्रशिक्षित और प्रोत्साहित करने का एक व्यापक कार्यक्रम तैयार किया है। प्रति खिलाड़ी को आठ वर्षों तक प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने का प्रावधान किया गया है।


2018 से खेलो इंडिया युवा खेलकूद आयोजित किए जा रहे हैं। इस वर्ष भी जनवरी में, गुवाहाटी में आयोजित खेलो इंडिया युवा खेलों में, विभिन्न प्रदेशों के लगभग 9000 युवा खिलाड़ियों ने भाग लिया। मुझे हर्ष है कि इन खेलों में हरियाणा ने दूसरा और पंजाब ने दसवां स्थान प्राप्त किया। देश को अनेक युवा खेल प्रतिभाएं मिलीं।


मुझे विशेष संतोष है कि गत सप्ताह ही देश के पहले खेलो इंडिया विंटर गेम्स उत्तर कश्मीर के गुलमर्ग में सफलतापूर्वक आयोजित किए गए जिसमें 20 राज्यों के लगभग 900 प्रतिभागियों ने 30 खेलों में भाग लिया। आप सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि जो क्षेत्र वर्षों तक आतंकवाद के विष को झेल रहा था, वहां पर ऐसे खेलों का सफलतापूर्वक आयोजन स्थानीय समुदाय, वहां के खिलाड़ियों, युवाओं और प्रशासन के लिए, आशा का कितना सकारात्मक संदेश देता है।


इन खेलों को आयोजित करने के लिए मैं केंद्र और प्रदेश सरकारों तथा स्थानीय प्रशासन, विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और सबसे अधिक प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्रतियोगियों का अभिनन्दन करता हूं जिनके प्रयासों से लगभग 2000 से अधिक युवा खेल प्रतिभाओं को खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत चिन्हित किया जा सका है। ये 2000 युवा देश में स्पोर्टिंग टैलंट पूल बनाएंगे जिन्हें वैश्विक स्पर्धाओं के लिए प्रशिक्षित और प्रोत्साहित किया जा सके।


इन प्रयासों के परिणाम दिखने भी लगे हैं। हाल के वर्षों में एथेलेटिक्स, कुश्ती, मुक्केबाजी, बैडमिंटन, जिम्नास्टिक जैसे खेलों में अंतरराष्ट्रीय, वैश्विक या क्षेत्रीय टूर्नामेंट में भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियां विशेषकर महिला खिलाड़ियों की उपलब्धियां नई संभावनाओं के द्वार खोलती हैं।


पिछले कुछ वर्षों में भारत ने खेल के क्षेत्र में लगातार प्रगति की है और कई वैश्विक मंचों पर अपने कौशल का प्रदर्शन किया है। अब समय है कि हम खेल भावना के फलने-फूलने के लिए आवश्यक माहौल तैयार कर भारत को एक वैश्विक खेल महाशक्ति बनाने का उद्देश्य तय करें। मैं देश के सभी कोनों से खेल प्रतिभाओं को पहचानने, प्रोत्साहित करने और उन्हें शीर्ष स्तर के बुनियादी ढांचे और उच्चतम स्तर का प्रशिक्षण देकर सहयोग करने के लिए कुछ साल पहले शुरू किए गए खेलो इंडिया कैंपेन के लिए भारत सरकार की प्रशंसा करता हूं।


मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल 'फिट इंडिया कैंपेन' लोगों को फिट और स्वस्थ रहने के लिए प्रोत्साहित करता है।


खेलकूद, शारीरिक अभ्यास और सौष्ठव हर परंपरा का भाग रहा है। आवश्यकता है तो उस परंपरा को जीवित करने की, उससे जुड़ने की, ऐसी प्रतिभाओं को पहचान कर उन्हें प्रशिक्षित करने की। इसी उद्देश्य से सरकार योग, फिट इंडिया, खेलो इंडिया जैसे कार्यक्रमों को जन अभियान के रूप में प्रचारित और प्रसारित कर रही है। इन जन अभियानों में हर नागरिक, हर संस्था विशेषकर युवाओं और शैक्षणिक संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। तभी खेलकूद को समाज में व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी, लोग व्यायाम और अभ्यास को जीवन शैली में अपनाएंगे। खेलकूद के लिए एक सामाजिक संस्कृति विकसित हो सकेगी।


स्पोर्ट्स और गेम्स हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे हमारी शारीरिक फिटनेस को सुधारते हैं, हमराी संज्ञानात्मक क्षमता में सुधार करते हैं और टीम गेम्स के मामले में हमारे सामाजिक कौशल में वृद्धि करते हैं। हम टीमों में कैसे काम करें, कैसे ध्यान केंद्रित करें और अपनी क्षमता में सुधार करना सीखते हैं और खेल का आनंद कैसे लें और कभी-कभी जीतने के लिए खेलते हैं।


तमाम खेलों और गेम्स में भाग लेने से व्यक्ति की एकाग्रता के स्तर में सुधार, टीम के साथ मिलकर काम करने की अवधारणा को बढ़ावा और आत्मसंयम का सलीका विकसित करने में मदद मिलेगी, जो किसी भी तरह की कड़वाहट, दुर्भावना या द्वेष की भावना के बिना हार को स्वीकार करने के लिए जरूरी है।


यह जीवन की गुणवत्ता को सुधारता है। यह आज्ञाकारिता, अनुशासन की आदत बनाने, जीतने का दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति में बढोतरी में सहायता करता है। गेम्स और स्पोर्ट्स में नियमित भागीदारी भी व्यक्ति को दृढ़ संकल्प की भावना विकसित करने में सक्षम बनाएगी। आखिरकार, स्पोर्ट्स का एक अच्छा व्यक्ति एक अच्छा नेता बन सकता है क्योंकि खेल नेतृत्व गुणों को भी विकसित करता है।


अभिभावक और शिक्षकों द्वारा प्रतिभावान खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है। इसी विचार से हमारी नई शिक्षा नीति में खेलकूद को शिक्षा का महत्वपूर्ण अभिन्न अंग माना गया है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी स्थापित की जा रही है। जैसे-जैसे हमारे खिलाड़ियों की उपलब्धियां बढ़ेंगी, समाज का खेलकूद के प्रति नजरिया भी बदलेगा। अतः आप सब की उपलब्धियां, समाज में खेलकूद के प्रति जागृति बढ़ाने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण कदम है।


भारत को एक महान खेल राष्ट्र बनाने के लिए इसे जमीनी स्तर पर ले जाने और देश में सभी प्रकार के खेलों के लिए मजबूत ढांचा तैयार करने की तत्काल जरूरत है। खेल संस्कृति को स्कूल के समय से ही पोषित और पुनर्जीवित करने की जरूरत है। गेम्स और स्पोर्ट्स या योग या कोई भी शारीरिक गतिविधि लोगों की दैनिक दिनचर्या का अभिन्न अंग बनना चाहिए। यह न केवल स्वस्थ रखता है बल्कि दिमाग को तनाव मुक्त रखने में भी मदद करता है और दिमाग व शरीर को आराम प्रदान करता है। खेल क्षमता में सुधार करता है, टीम भावना को बढ़ाता है, समय की कीमत को समझाता है और साथ ही साथ किसी स्पोर्ट या किसी गेम को खेलना और देखना मनोरंजन का भी एक अच्छा स्रोत हो सकता है।


जैसा कि हम सभी जानते हैं कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग रहता है और यह एक से ज्यादा तरीकों से मदद करता है। फिट रहने और स्वस्थ रहने से व्यक्ति, परिवार और बड़े पैमाने पर समाज की भलाई पर असर पड़ेगा। 30 से कम उम्र की 65 फीसदी से ज्यादा आबादी वाले हमारे जैसे किसी युवा देश को बच्चों, युवाओं और बड़ों को किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि करके फिट रहने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।


मेरी अपेक्षा होगी कि इसके लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रशिक्षक स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराए जाएं। सामुदायिक और स्कूली स्तर पर प्रतिस्पर्धाएं आयोजित की जाएं।


युवा मित्रों,


देश का विकास एक आयामी नहीं होता, देश की प्रगति को सिर्फ जीडीपी के द्वारा ही नहीं मापा जा सकता, उससे देश में आर्थिक प्रगति का अनुमान तो लग सकता है परन्तु देश में अंतर्निहित मेधा, प्रतिभा का नहीं, समाज के युवाओं में निहित भावी संभावनाओं का नहीं। राष्ट्र सिर्फ आर्थिक रूप से ही प्रगति नहीं करता, वह समाज के संस्कारों, युवाओं के ऊंचे लक्ष्यों, उसके लिए अभीष्ट प्रयासों से, उनकी उद्यमशीलता से विकसित होता है। अतः आपके लक्ष्य, आपके प्रयास ही इस देश की प्रगति को दिशा और गति देंगे।


एक बार पुनः मैं आप सभी को आपकी भावी सफलताओं और उपलब्धियों के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मुझे विश्वास है कि आपकी उपलब्धियों से प्रोत्साहित होकर विश्वविद्यालय शीघ्र ही सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक, साइकिलिंग वेलोड्रोम तथा स्क्वैश कोर्ट जैसी सुविधाओं का निर्माण कर सकेगा।


उप राष्ट्रपति आवास पर स्वागत करने का सुयोग प्रदान किया, आप सभी को धन्यवाद देता हूं।


जय हिन्द!'



प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री श्री बोरिस जॉनसन के बीच टेलीफोन पर वार्ता

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री श्री बोरिस जॉनसन के बीच आज टेलीफोन पर बातचीत हुई।



दोनों राजनेताओं ने नए दशक में भारत-ब्रिटेन रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने तर्क दिया कि इस उद्देश्य के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार करना उपयोगी होगा।


दोनों राजनेताओं ने भारत और ब्रिटेन के बीच जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में विशेषकर आपदारोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) के संदर्भ में आपसी सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष आयोजित होने वाले कॉप-26, ग्लासगो में शामिल होने के आमंत्रण के लिए प्रधानमंत्री जॉनसन को धन्यवाद दिया।


दोनों प्रधानमंत्रियों ने कोविड-19 महामारी पर अपने विचार व्यक्त किए। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री सुश्री नदीन डोरिज के कोरोना वायरस से पीड़ित होने पर चिंता व्यक्त की और उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने श्री जॉनसन को भारत आने के लिए आमंत्रित किया।




प्रयोगशाला में लाल रक्‍त कोशिकाओं का तेजी से सृजन करने का अभिनव तरीका

लाल रक्‍त कोशिकाओं (आरबीसी) का रक्‍त–आधान (ट्रांसफ्यूजन) कई तरह की शारीरिक स्थितियों जैसे कि रक्‍त की भारी कमी, दुर्घटना संबंधी आघात, हृदय शल्‍य चिकित्‍सा में सहायक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल, प्रत्यारोपण (ट्रांसप्‍लांट) सर्जरी, गर्भावस्‍था संबंधी जटिलताओं, ट्यूमर संबंधी कैंसर और रक्‍त संबंधी कैंसर के लिए एक जीवन-रक्षक उपचार है।


हालांकि, विशेषकर विकासशील देशों के ब्‍लड बैंकों में अक्‍सर रक्‍त के साथ-साथ रक्‍त के घटकों जैसे कि लाल रक्‍त कोशिकाओं का भारी अभाव रहता है।


विश्‍वभर के शोधकर्ता रक्तोत्पादक स्टेम सेल (एचएससी) से शरीर से बाहर आरबीसी का सृजन करने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। इन एचएससी में रक्‍त में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं को सृजित करने की विशिष्‍ट क्षमता है। विभिन्‍न समूह एचएससी से प्रयोगशाला में आरबीसी का सृजन करने में सक्षम साबित हुए हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया में लगभग 21 दिनों का काफी लम्‍बा समय लगता है। इतनी लम्‍बी अवधि में प्रयोगशाला में कोशिकाओं का सृजन करने में जितनी धनराशि लगेगी उसे देखते हुए चिकित्‍सीय कार्यों के लिए बड़े पैमाने पर आरबीसी का सृजन करना काफी महंगा साबित हो सकता है।  जैव प्रौद्योगिकी विभाग के पुणे स्थित राष्‍ट्रीय कोशिका विज्ञान केंद्र (एनसीसीएस) के एक पूर्व वैज्ञानिक डॉ. एल.एस.लिमये की अगुवाई में शोधकर्ताओं की एक टीम ने इस समस्‍या के समाधान  का तरीका ढूंढ निकाला है।


इस टीम ने यह पाया है कि विकास के माध्यम में ‘एरिथ्रोपोइटिन (ईपीओ)’ नामक हार्मोन के साथ ‘रूपांतरणकारी ग्रोथ फैक्‍टर β1 (टीजीएफ-β1)’ नामक एक छोटे प्रोटीन अणु की बहुत कम सांद्रता को जोड़कर इस प्रक्रिया में काफी तेजी लाई जा सकती है। यह टीम इस प्रक्रिया में लगने वाले कुल समय को तीन दिन घटाने में सफल रही है।   डॉ. लि‍मये ने बताया कि इस प्रक्रिया में बनने वाली कोशिकाओं की गुणवत्‍ता के परीक्षण के लिए अनेक तरह की जांच कराई गई और इसके साथ ही उनकी अनेक विशिष्‍टताओं पर भी गौर किया गया जिससे यह तथ्‍य उभर कर सामने आया कि इस प्रक्रिया के उपयोग से बनने वाली लाल रक्‍त कोशिकाएं (आरबीसी) बिल्‍कुल सामान्‍य थीं।


इन निष्‍कर्षों से इस दिशा में आगे शोध करने की संभावनाओं को काफी बल मिला है। शोधकर्ताओं ने एक पत्रिका ‘स्टेम सेल रिसर्च एंड थेरेपी’ में अपने अनुसंधान पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। (इंडिया साइंस वायर)



वैज्ञानिकों ने जीभ के कैंसर के लिए संभावित नई थैरेपी का मार्ग प्रशस्‍त किया

जीभ के कैंसर के लिए निकट भविष्‍य में एक नई थैरेपी मिल सकती है। हैदराबाद स्थित डीएनए फिंगर प्रिंटिंग एंड डायग्‍नोस्टिक्‍स केन्‍द्र के बायोटेक्‍नोलॉजी वैज्ञानिकों ने एक नये तंत्र की खोज की है, जिससे एक कैंसर रोधी प्रोटीन परिवर्तित होने पर कैंसर को और बढ़ने से रोकता है।


मनुष्‍य की कोशिकाओं में पी53 नाम का एक प्रोटीन होता है। यह काफी मददगार है, क्‍योंकि यह कोशिकाओं के विभाजन और क्षतिग्रस्‍त डीएनए की मरम्‍मत सहित अनेक मूलभूत कार्यों को नियंत्रित करता है। यह डीएनए के साथ प्रत्‍यक्ष रूप से जुड़कर कार्य करता है, जिससे प्रोटीन बनने में मदद मिलती है, जिसकी नियमित कोशिकीय कार्यों में आवश्‍यकता होती है साथ ही यह कैंसर विकसित होने से रोकने में प्रभावी भूमिका निभाता है।


यदि बीमारी बढ़ने लगती है, तो कैंसर को रोकने में इसकी क्षमता में काफी कमी आ जाती है। हाल के अध्‍ययनों से जानकारी मिली है कि कुछ विशेष और साधारण परिवर्तित पी53 रूप कैंसर की वृद्धि में सक्रिय रहते हैं।


एक नये अध्‍ययन में सीडीएफडी के वैज्ञानिकों ने भारतीयों में होने वाले जीभ के कैंसर के दुर्लभ पी53 रूप की पहचान की है, जिससे ये म्‍यूटेंट पी53 कैंसर का कारण बनता है। इसके लिए उन्‍होंने सर्जरी के बाद मरीजों की जीभ के कैंसर के नमूने एकत्र किए और उसे टीपी53 नाम के एक जीन में बदलने के लिए स्‍क्रीनिंग की। यह जीन डीएनए में न्‍यूक्‍लीयोटाइड का अनुक्रम है, जो पी53 प्रोटीन तैयार करने के लिए सांकेतिक अंक है।  आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल कर वैज्ञानिकों ने म्‍यूटेंट पी53 प्रोटीन के जीन की पहचान की। इसमें से एक जीन जिसे एसएमएआरसीडी1 कहा जाता है, सबसे महत्‍वपूर्ण है। एसएमएआरसीडी1 एक प्रोटीन को सांकेतिक शब्‍दों में बदलता है, जो एक अन्‍य प्रोटीनों के साथ मिलकर एक मल्‍टीप्रोटीन कॉम्‍पलेक्‍स बनाता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि ऐसे में एसएमएआरसीडी1 भारतीयों में जीभ के कैंसर में देखने को मिलता है। अन्‍य अध्‍ययन दर्शाते हैं कि ऐसे में एसएमएआरसीडी1 की क्षमता जीभ के कैंसर की कोशिकाओं में कैंसर को बढ़ाने की क्षमता रखती है। 


यह पहला मौका है कि एसएमएआरसीडी1 को किसी प्रकार के कैंसर का संभावित चालक बताया गया है।  अध्ययन दल के प्रमुख,  आणविक ऑन्कोलॉजी प्रयोगशाला के डॉ. एम. डी. बश्याम ने कहा, "इस अध्ययन में दी गई टिप्पणियों का महत्व है क्योंकि वे एक नए और संभावित तंत्र को प्रकट करते हैं जिसके द्वारा उत्परिवर्ती पी53 प्रोटीन कैंसर के विकास को रोकते हैं। अध्ययन के परिणामों को जीभ के कैंसर के इलाज के लिए विकसित करने के लिए नियोजित किया जा सकता है।



आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अब मास्क और हैंड सैनिटाइजर भी

विगत कुछ सप्ताहों के दौरान कोविड-19 (कोरोना वायरस) के मौजूदा प्रकोप और कोविड-19 प्रबंधन के लिए लॉजिस्टिक संबंधी चिंताओं के परिप्रेक्ष्य में तथा यह भी देखते हुए कि मास्क (2 प्लाई एवं 3 प्लाई सर्जिकल मास्क, एन95 मास्क) और हैंड सैनिटाइजर या तो बाजार में अधिकांश विक्रेताओं के पास उपलब्ध नहीं है अथवा बहुत अधिक कीमतों पर काफी मुश्किल से उपलब्ध हो रहे हैं, सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की अनुसूची में संशोधन करते हुए, इन वस्तुओं को दिनांक 30 जून, 2020 तक आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु के रूप में घोषित करने के लिए एक आदेश अधिसूचित किया है। सरकार ने विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत एक एडवाइजरी भी जारी की है। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, राज्य, विनिर्माताओं के साथ विचार-विमर्श करके उनसे इन वस्तुओं की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, आपूर्ति श्रृंखला को सुचारू बनाने के लिए कह सकते हैं जबकि विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत राज्य इन दोनों वस्तुओं की अधिकतम खुदरा मूल्य (एम.आर.पी.) पर बिक्री सुनिश्चित कर सकते हैं।


इन दोनों वस्तुओं के संबंध में, राज्य अपने शासकीय राजपत्र में अब केंद्रीय आदेश को अधिसूचित कर सकते हैं और इसके लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अपने स्वयं के आदेश भी जारी कर सकते हैं और संबंधित राज्यों में व्याप्त परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई कर सकते हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार की शक्तियां वर्ष 1972 से 1978 के आदेशों के माध्यम से राज्यों को पहले ही प्रत्यायोजित की जा चुकी हैं। अतः, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र आवश्यक वस्तु अधिनियम और चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत उल्लंघनकर्ताओं के विरूद्ध कार्रवाई कर सकते हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत किसी उल्लंघनकर्ता को 7 वर्ष के कारावास अथवा जुर्माने अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है तथा चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत, उसे अधिकतम 6 माह के लिए नजरबंद किया जा सकता है। यह निर्णय सरकार और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को मास्क (2 प्लाई एवं 3 प्लाई सर्जिकल मास्क, एन95 मास्क) और हैंड सैनिटाइजर के उत्पादन, गुणवत्ता, वितरण आदि को विनियमित करने और इन वस्तुओं की बिक्री और उपलब्धता को सहज बनाने तथा आदेश के उल्लंघनकर्ताओं आदि एवं इनके अधिमूल्यन, कालाबाजारी आदि में शामिल व्यक्तियों के विरूद्ध कार्रवाई करने के सशक्त बनाएगा। इससे आम जनता को दोनों वस्तुओं की उचित कीमतों पर अथवा अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की सीमा में उपलब्धता बढ़ेगी। राज्यों को उपरोक्त दोनों वस्तुओं के संबंध में उपभोक्ताओं द्वारा शिकायतें दर्ज कराने के लिए राज्य उपभोक्ता हेल्पलाइन का प्रचार करने की सलाह भी दी जाती है। इस संबंध में उपभोक्ता अपनी शिकायतें राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नम्बर 1800-11-4000 पर तथा ऑनलाइन शिकायतें www.consumerhelpline.gov.in, विभाग की वेबसाइट www.consumeraffairs.nic.indsadmin-ca@nic.in और dirwm-ca@nic.insecy.doca@gov.in पर भी दर्ज करा सकते हैं।



Friday, March 13, 2020

वायु सेना स्टेशन हिंडन पर क्वारंटाइन के लिए भारतीय नागरिकों की मदद

 दुनियाभर में बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस के फैलने के कारण, चीन (वुहान) और ईरान जैसे देशों में मौजूद भारतीय नागरिकों को दो मौकों पर भारतीय वायु सेना के सी-17 विमान द्वारा निकाला गया। दूसरी बार, लद्दाख क्षेत्र के कुल 57 तीर्थयात्रियों को, जो तीर्थयात्रा के लिए ईरान के कुअम गए थे, को 10 मार्च 2020 को सी-17 विमान से एयर फोर्स स्टेशन हिंडन लाया गया। इनमें 33 महिलाएं, 2 बच्चे और 22 पुरुष शामिल थे। इन तीर्थयात्रियों के लिए वायु सेना स्टेशन हिंडन पर एक क्वारंटाइन सुविधा स्थापित की गई है, जिसमें आराम करने और स्वास्थ्य लाभ के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं। प्रशासनिक व्यवस्था (इमारतों की पहचान, इलाके की सुरक्षा, भोजन और पानी की आपूर्ति, बिस्तर, कपड़े धोना, देखभाल, मनोरंजन, सीवेज स्तारण, परिवहन आदि) शिविर में की गई है और चिकित्सकीय सहायता (रोजाना जांच, प्रयोगशाला परीक्षण, संक्रमण मुक्त होने को लेकर सलाह और जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन, सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों, रोग सूचक रोगियों का प्रबंधन, निगरानी, निकटतम अस्पताल में अलग वार्ड तैयार करना और भेजना) स्थानीय नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर भारतीय वायु सेना के अधिकारियों द्वारा दी जा रही है। रोगियों के आने-जाने और करीब के सर्विस/सिविल अस्पतालों के निर्दिष्ट/पहचान किए गए अलग वार्ड में भेजने के लिए विस्तृत प्रोटोकॉल को तैयार रखा गया है। कोविड-19 के संदिग्ध के क्वारंटाइन के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनिवार्य विस्तृत दिशानिर्देशों को लागू किया गया है। क्वारंटाइन की कुल अवधि 14 दिनों की है। भारतीय वायु सेना रक्षा सेवाओं के हिस्से के तौर पर स्थिति सामान्य होने तक नागरिक प्रशासन को सहयोग के लिए राहत के उपाय लगातार जारी रखेगी।

कंपनी अधिनियम और निधि संशोधन नियम 2019 के संशोधित प्रावधानों के अनुसार निधि कंपनी के तौर पर फॉर्म एनडीएच-4 में निधि कंपनियां अपनी स्थिति/घोषणा को अपडेट करने के लिए केंद्र सरकार के पास आवेदन करेंगी

निधि कंपनियों के लिए नियामक व्यवस्था को ज्यादा प्रभावी और देश के कारपोरेट वातावरण में पारदर्शिता और निवेशक अनुकूल उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, केंद्र सरकार ने हाल में कंपनीज एक्ट और नियम के तहत एनआईडीएचआई से संबंधित प्रावधानों में संशोधन किया है। (15 अगस्त 2019 से प्रभावी)



कंपनीज एक्ट (धारा 406) और निधि रूल्स (जैसा 15 अगस्त 2019 को संशोधित किया गया) के संशोधित प्रावधानों के तहत निधि कंपनियों को अपनी स्थिति/घोषणा के अपडेशन के लिए केंद्र सरकार के पास फॉर्म एनडीएच-4 में आवेदन करना जरूरी है।


फॉर्म एनडीएच-4 में केंद्र सरकार के पास आवेदन करने के लिए समय सीमा कुछ इस प्रकार से है:-


1- निधि संशोधन रूल्स 2019 से पहले (यानी 15 अगस्त 2019) निधि के तौर पर शामिल कंपनियों को उसके निगमन की तारीख से एक साल की अवधि के भीतर या निधि संशोधन नियम यानी 15 अगस्त 2019 से 9 महीने के भीतर, जो बाद में हो, आवेदन करना होगा।


2- निधि संशोधन नियम 2019 यानी 15 अगस्त 2019 को या बाद में निधि के तौर पर निगमित कंपनियों को निगमन की तारीख या बढ़ी हुई अवधि (संबंधित क्षेत्रीय निदेशक द्वारा मिली) से एक साल की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर आवेदन करना होगा।


अगर कोई कंपनी उपरोक्त आवश्यकताओं का अनुपालन नहीं करती है तो उसे फॉर्म नंबर एसएच-7 (शेयर कैपिटल के किसी भी परिवर्तन के लिए रजिस्ट्रार को नोटिस) और फॉर्म पीएएस-3 (आवंटन वापस) दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।


ऐसी कंपनियों के लिए संशोधित निधि रूल्स 2014 और कंपनीज एक्ट 1956/2013 के प्रावधान का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना आवश्यक है। इन नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन के मामले में कंपनी और उसके प्रत्येक अधिकारी, जो डिफॉल्ट में हैं, को जुर्माने के साथ दंडित किया जाएगा जो 5 हजार रुपये तक हो सकता है और लगातार उल्लंघन पर और भी जुर्माना लग सकता है।


आगे, निवेशकों को किसी निवेश या जमा से पहले आधिकारिक राजपत्र में केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना से निधि कंपनी की स्थिति को सत्यापित करने की सलाह दी जाती है।


निधि नियम 2014 के तहत, निधि एक कंपनी है जिसे अपने सदस्यों के बीच बचत की आदत डालने, जमा राशि प्राप्त करने और पारस्परिक लाभ के लिए केवल अपने सदस्यों को ऋण देने के उद्देश्य से निधि के तौर पर निगमित किया गया है।