Sunday, March 15, 2020

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने एम्स ऋषिकेश के दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने उत्तराखंड के ऋषिकेश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्‍स) के दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल "निशंक" और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उपस्थित थे।

श्री शाह ने नए स्नातकों को बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में वैश्विक तौर पर अग्रणी बनाने संबंधी अपने दृष्टिकोण के तहत युवा डॉक्टरों को एक विशेष मंच प्रदान किया है। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाले डॉक्टरों को सलाह दी कि वे केवल अपनी आय अथवा पोस्टिंग के बारे में ही न सोचें, बल्कि भारत के लिए एक विश्‍वस्‍तरीय स्‍वास्‍थ्‍य सेवा व्‍यवस्‍था सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखें। एम्स के 360° स्वास्थ्य सेवा माहौल पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि एम्स महज एक अस्पताल नहीं है बल्कि यह स्‍वास्‍थ्‍य सेवा के क्षेत्र में एक संपूर्ण अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं सेवा प्रदान करने वाला संस्थान है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई तमाम पहलो के करण भारत आज स्‍वास्‍थ्‍य सेवा के क्षेत्र में काफी बदल चुका है। उन्होंने कहा कि अब उन पहलों को आगे बढ़ाने की ज़िम्‍मेदारी युवा डॉक्‍टरों की है। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के लिए एक सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रणाली की परिकल्पना की है और उसे लागू भी किया है।


प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि का उल्‍लेख करते हुए श्री शाह ने कहा कि पिछले छह वर्षों के दौरान 157 नए मेडिकल कॉलेजों की मंजूरी दी गई और उन्‍हें तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्‍वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में छह नए एम्स की स्थापना की गई थी, लेकिन आज 16 अन्‍य एम्स के लिए कार्य प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि प्रत्‍येकराज्य में एक एम्स सुनिश्चित करना सरकार का सपना है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले छह वर्षों में एमबीबीएस की 29,000 नई सीटें और चिकित्‍सा स्‍नातकोत्‍तर की 17,000 नई सीटें सृजित की गई हैं। उन्‍होंने कहा कि नीति आयोग स्‍नातकोत्‍तर के लिए 10,000 अन्‍य सीटें सृजित करने के लिए एक योजना पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य प्रत्येक गांव में कम से कम एक डॉक्टर और संभाग में कम से कम एक स्‍नातकोत्‍तर डॉक्टर सुनिश्चित करना है। उन्‍होंने इसे प्रधानमंत्री मोदी की परिकल्‍पना के अनुरूप भारत को विकास की ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए आवश्‍यक बताया।


श्री शाह ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संबंधी कल्याणकारी योजना है जिसमें जटिल तृतीयक देखभाल भी शामिल है और इसे डॉक्टरों के लिए एक प्रमुख अवसर कहा जाता है। उन्होंने कहा कि अधिकांश राज्यों ने इस योजना को क्रियान्वित किया है और कुछ ने इस योजना में वृद्धि भी की है। उन्होंने उल्लेख किया कि 91 लाख से अधिक रोगियों ने ऑपरेशन के लिए इस योजना का लाभ उठाया है। गृह मंत्री ने कहा कि  राज्य सरकारें योजना को लागू कर रही हैं और जनसंख्या के व्यापक कवरेज के लिए प्रयास कर रही हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत जन औषधि केन्द्र के लाभों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इन केन्द्रों नए आम आदमी की सस्ती दवाओं तक पहुंच सुनिश्चित की है और हर महीने इन केन्द्रों से 1 करोड़ से ज़्यादा परिवार इन साए लाभान्वित होते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में भारी गिरावट सुनिश्चित की है।


स्वस्थ भारत के लिए प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण के चार घटकों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि पहले हिस्से में फिट इंडिया, मिशन इंद्रधनुष और योग जैसे निवारक पहलू शामिल हैं। दूसरे चरण में 22 एम्स के रूप में स्वास्थ्य सेवा का प्रावधान और प्रत्येक राज्य में एक एम्स सुनिश्चित करना शामिल है। तीसरे चरण में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर सुनिश्चित करना है और इसके तहत, सरकार 2024 तक हर संसदीय क्षेत्र में एक मेडकिल कॉलेज की स्थापना की दिशा में काम कर रही है। चौथे चरण में आयुष्मान भारत और पीएमबीजेपी योजना जैसी स्वास्थ्य सुविधाओं की संरचना शामिल है।


श्री शाह ने नए डॉक्टरों को सलाह दी कि वे इस बात को हमेशा याद रखें कि डॉक्टर मरीज़ो के लिए भगवान के समान है। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि स्वास्थ्य सेवा पेशेवर समुदाय के लिए 'स्वयं से पहले सेवा' एक आवश्‍यक अवधारणा है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को देश में अवश्‍य रुकना चाहिए और भारत में अनुसंधान को मज़बूती देते हुए देशवासियों की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उल्‍लेख करते हुए कहा कि ज्ञान का वास्‍तविक सार दूसरों की मदद करने में निहित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने हमारी दृष्टि और सोच को बेहतर किया है और प्रत्‍येक डॉक्टर का लक्ष्‍य स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भारत को ऊपर ले जाना होना चाहिए। श्री शाह ने विश्वास जताया कि 2030 तक, भारत विश्व में स्वास्थ्य के हर पहलू, जैसे चिकित्सा, स्वास्थ्य शिक्षा, अनुसंधान, स्वास्थ्य आधार्भूत संरचना या उपचार और दवाओं की उपलब्धता में नंबर एक देश होगा।



प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियों में लिप्त पाई गईं बंगाल केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन और कुछ दवा कंपनियां

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने बंगाल केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन (बीसीडीए), उसकी दो जिला समितियों मुर्शिदाबाद डिस्ट्रिस्ट कमिटी और बर्धवान डिस्ट्रिक्ट कमिटी और उनके पदाधिकारियों को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 3 (3) (बी) के प्रावधानों (धारा 3 (1) के साथ ही पढ़ें) के उल्लंघन के साथ ही प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रक्रियाओं को अपनाने का दोषी पाया है। बीसीडीए द्वारा इन प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रक्रियाओं को अपनाया गयाः (1) दवा कंपनियों नए स्टॉकिस्टों को दवा की आपूर्ति से पहले पश्चिम बंगाल के कम से कम कुछ जिलों से पिछले स्टॉक की उपलब्धता की जानकारी (एसएआई)/बीसीडीए से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना होता है; (2) डिस्ट्रिक्ट कमिटी के माध्यम से उनको एसएआई जारी करने के एवज में संभावित स्टॉकिस्टों से पैसा वसूला करती हैं; और (3) दवा कंपनियों के प्रचार सह वितरक (पीसीडी) एजेंट को पश्चिम बंगाल में संबंधित दवा कंपनियों की दवाओं का विपणन शुरू करने से पहले बीसीडीए को दान के रूप में पैसा देकर उससे उत्पाद उपलब्धता जानकारी (पीएआई) हासिल करनी होती थी।


इसके अलावा सीसीआई ने पाया कि दवा कंपनियों एल्केम लैबोरेटरीज (एल्केम) और मैकलॉयड फार्मास्युटिकल्स (मैकलॉयड) का बीसीडीए से प्रतिस्पर्दा-रोधी समझौता है, जिसमें ये कंपनियां संभावित स्टॉकिस्टों को ऑफर लेटर ऑफ स्टॉकिस्टशिप (ओएलएस) जारी करने के बाद उनसे बीसीडीए से लिया गया एसएआई /एनओसी /स्वीकृति पत्र /सर्कुलेशन पत्र की मांग किया करती थीं। इसके बाद ही दवा कंपनियां आपूर्ति शुरू करती थीं। इस प्रकार आयोग ने एल्केम और मैकलॉयड को अधिनियम की धारा 3 (1) के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी पाया। साथ ही सीसीआई ने उनके कई अधिकारियों को अधिनियम की धारा 48 की शर्तों के तहत दोषी पाया।


इस क्रम में सीसीआई ने बीसीडीए, उसकी मुर्शिदाबाद और बर्धवान जिला समितियों, उनके पदाधिकारियों, दवा कंपनियों एल्केम और मैकलॉयड्स, उनके संबंधित अधिकारियों को ऐसी प्रक्रियाओं पर रोक लगाने और इससे बचने के निर्देश दिए। हालांकि, सीसीआई ने कहा, बीसीडीए ने कहा कि सीसीआई के पूर्व के एक आदेश के क्रम में प्रक्रियाओं में सुधार का भरोसा दिलाया है। इस मामले में सीसीआई ने किसी भी इकाई पर कोई जुर्माना नहीं लगाने का फैसला किया है।


आयोग इस मामले में विस्तृत आदेश बाद में जारी करेगा।



जैव कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहन  

कृषि क्षेत्र में जैविक कीटनाशक दवाइयों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति ने रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में जैव कीटनाशकों के पंजीकरण के लिए सरल दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कीटनाशक अधिनियम, 1968 की धारा 9 (3 बी) के अंतर्गत अनंतिम पंजीकरण के दौरान आवेदक को रसायनिक कीटनाशकों के विपरीत जैविक कीटनाशकों की व्यावसायिक बिक्री की अनुमति होगी।


भारत सरकार परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई), पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडीएनईआर) और पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना (सीआईएसएस) की जैविक कृषि योजना के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल प्रक्रियाओं के साथ टिकाऊ कृषि उत्पादन की दिशा में काम कर रही है। इनके माध्यम से जैविक बीज और खाद के इस्तेमाल तथा रसायन मुक्त कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे लोगों की सेहत में भी सुधार होगा।


परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत 3 साल की अवधि के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की सहायता उपलब्ध कराई जा रही है, जिसमें से डीबीटी के माध्यम से किसानों को 31 हजार रुपये (62 प्रतिशत) उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह सहायता जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों, वर्मीकम्पोस्ट, वानस्पतिक अर्क, उत्पादन/खरीद, फसल बाद प्रबंधन आदि के लिए दी जा रही है।


एमओवीसीडीएनईआर के अंतर्गत जैविक सामग्रियों, बीज/पौध रोपण सामग्री के वास्ते 3 साल के लिए प्रति हेक्टेयर 25 हजार रुपये की सहायता दी जा रही है।


पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना के अंतर्गत भारत सरकार सालाना 200 टन क्षमता वाली जैविक उर्वरक इकाई की स्थापना के लिए राज्य सरकार/सरकारी एजेंसियों को 160 लाख रुपये प्रति यूनिट की अधिकतम सीमा के आधार पर 100 प्रतिशत सहायता उपलब्ध कराकर जैविक उर्वरकों के उत्पादन को प्रोत्साहन दे रही है। इसी प्रकार व्यक्तिगत/निजी एजेंसियों को पूंजी निवेश के रूप में 40 लाख रुपये प्रति यूनिट की सीमा के साथ लागत की 25 प्रतिशत तक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। यह सहायता राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है।


परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत पिछले 3 साल (2016-17, 2017-18, 2018-19) और वर्तमान वर्ष (2019-20) के दौरान क्रमशः 152.82 करोड़ रुपये, 203.46 करोड़ रुपये, 329.46 करोड़ रुपये और 226.42 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है।


एमओवीसीडीएनईआर के अंतर्गत पिछले 3 साल (2016-17, 2017-18, 2018-19) और वर्तमान वर्ष (2019-20) के दौरान क्रमशः 47.63 करोड़ रुपये, 66.22 करोड़ रुपये, 174.78 करोड़ रुपये और 78.83 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है।


पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना के अंतर्गत 2016-17 और 2017-18 के दौरान नाबार्ड ने कोई धनराशि का वितरण नहीं किया। हालांकि 2018-19 के दौरान 276.168 लाख रुपये का वितरण किया गया।


जैव कीटनाशकों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए एकीकृत पेस्ट प्रबंधन योजना के अंतर्गत किसान क्षेत्र विद्यालय (फार्मर फील्ड स्कूल) और मानव संसाधन विकास कार्यक्रम (2 और 5 दिन) के माध्यम से किसानों को शिक्षित किया जा रहा है। केन्द्र और राज्य सरकारों की प्रयोगशालाओं में भी जैव कीटशानकों (ट्राइकोडर्मा, मेटाझिझियम, ब्यूवेरिया आदि) का विस्तार और उनका किसानों को वितरण किया जा रहा है। एकीकृत पेस्ट प्रबंधन के अंतर्गत बीते 5 साल (2015-16 से 2019-20) के दौरान 3472 फार्मर फील्ड स्कूल और 647 मानव संसाधन विकास कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है। इनके माध्यम से 1,04,160 किसानों और 25,880 कीटनाशक विक्रेता और राज्य सरकार के अधिकारी प्रशिक्षण हासिल कर चुके हैं।


केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज राज्य सभा में एक लिखित जवाब के माध्यम से यह जानकारी दी।          



कोविड-19 पर नवीनतम स्थिति

पश्चिमी दिल्ली की एक 68 वर्षीय महिला (कोविड 19 के एक पुष्ट रोगी की मां) की मौत मधुमेह और उच्च रक्तचाप की स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से होने की पुष्टि हुई है। उन्हें कोविड-19 की जांच में भी इस बीमारी से संक्रमित पाया गया है।   


इस बीमारी से पीड़ित एक रोगी (उनका बेटा, जिसने 5 फरवरी से 22 फरवरी 2020 के बीच स्विट्ज़रलैंड और इटली का दौरा किया था) के संपर्क में आने का उसका इतिहास रहा था। उसका बेटा 23 फरवरी 2020 को वापस भारत आ गया था। वह शुरू में लक्षणरहित था, लेकिन एक दिन बाद उसको बुखार और खांसी शुरू हो गई और 7 मार्च 2020 को राम मनोहर लोहिया अस्पताल को इस बारे में सूचना दी गई। प्रोटोकॉल के अनुसार, उस परिवार की जांच की गई और चूंकि उसे और उसकी मां को बुखार और खासी थी, इसलिए दोनों को भर्ती कराया गया था।


उस महिला का डायबिटीज और उच्च रक्तचाप से पीड़ित होने का मामला जाहिर था। जांच के लिए उसका नमूना 08 मार्च 2020 को लिया गया था। 09 मार्च 2020 को निमोनिया होने से उसकी स्थिति बिगड़ गई और उसे गहन चिकित्सा कक्ष में स्थानांतरित कर दिया गया। उसके नमूने के कोविड-19 के जांच का नतीजा भी सकारात्मक आया। 9 मार्च 2020 के बाद से उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया था। हालांकि, दोहरी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण, उस महिला की 13 मार्च 2020 को दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में मृत्यु हो गई। इसकी पुष्टि उनका इलाज करने वाले चिकित्सक और अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा की गई।


प्रोटोकॉल के अनुसार स्क्रीनिंग, अस्पताल में अलग कमरा सहित सभी एहतियाती उपाय स्वास्थ्य मंत्रालय, दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए हैं और स्थिति की निगरानी की जा रही है।



श्री आरके सिंह ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की नई वेबसाइट को लॉन्च किया

बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री आरके सिंह ने कल यहां नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की नई वेबसाइट लॉन्च किया। इस अवसर पर बोलते हुए मंत्री ने निर्देश दिया कि वरिष्‍ठ स्‍तर पर अधिकारियों द्वारा व्‍यक्तिगत तौर पर इस वेबसाइट का क्षेत्रीय अपडेशन सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि यह समय के साथ गति बरकरार रख सके।

नई वेबसाइट को नवीनतम तकनीकों के साथ मंत्रालय की त्वरित और सटीक जानकारी के प्रसार की वर्तमान जरूरतों को देखते हुए विकसित किया गया है ताकि दृष्टि बाधित व्यक्तियों के लिए भी इसे अधिक जानकारीपूर्ण, संवादमूलक और उपयोग के अनुकूल बनाया जा सके। इस वेबसाइट को मोबाइल फोन सहित विभिन्‍न उपकरणों के जरिए आसानी से एक्‍सेस करने के लायक  डिजाइन किया गया है। नवोन्‍मेषी बोली, सोलर रूफटॉप और पीएम-केयूएसयूएम योजना सहित मंत्रालय की गतिविधियों में बड़े पैमाने पर लोगों के हित निहित होते हैं जिसके लिए एक नई वेबसाइट की बेहद आवश्‍यकता थी।


इस वेबसाइट की प्रमुख विशेषताओं में ऑप्‍टीमाइज्‍ड यूजर इंटरफेस, थ्री क्लिक इंटरफेस, रूबिक्‍स क्यूब स्‍ट्रक्‍चर और बेहतर सर्च विकल्प शामिल हैं। इस वेबसाइट को न्‍यूनतम स्रोतों और कम समय में प्रबंधित करने के लिए एक संरचित बैक एंड कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम (सीएमएस) को विकसित किया गया है। इस वेबसाइट में ‘अक्षय ऊर्जा पोर्टल’ और ‘इंडिया रिन्यूएबल आइडिया एक्सचेंज’ (आईआरआईएक्‍स) जैसे कई अतिरिक्त पोर्टल भी जोड़े गए हैं। मंत्रालय की सभी गतिविधियों की जानकारी प्रदान करने के लिए आसान लिंक उपलब्‍ध कराए गए हैं, ताकि सूचनाएं आसानी से उपलब्‍ध हो सकें। सामग्रियों को व्यापक तौर पर लोगों के बीच पहुंचाने के लिए इस वेबसाइट में दो भाषाओं के लिए इंटरफेस दिए गए हैं। साथ ही मंत्रालय के सोशल मीडिया हैंडल जैसे फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर को इस वेबसाइट के होमपेज पर जोड़े गए हैं। यह वेबसाइट एनआईसी सर्वर पर उपलब्‍ध है।


नई वेबसाइट मंत्रालय की गतिविधियों में आम लोगों के लगातार बढ़ रहे हितों को पूरा करने में समर्थ होगी।



विदेशी निवेश और 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम

‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद अप्रैल 2014 से दिसंबर 2019 के दौरान  भारत में 335.33 अरब डॉलर का एफडीआई प्रवाह हो चुका है, जो अप्रैल 2000 से अभी तक भारत में आए कुल एफडीआई का लगभग 51 प्रतिशत है। 2018-19 में भारत में 62 अरब डॉलर का एफडीआई आया था, जो किसी एक वित्त वर्ष का सबसे ऊंचा स्तर है। वित्त वर्ष के आधार पर   एफडीआई प्रवाह और एफडीआई पूंजी प्रवाह का विवरण तालिका-1 में दिया गया है। राज्यवार एफडीआई पूंजी प्रवाह के आंकड़े अक्तूबर 2019 तक के हैं और इसका विवरण तालिका 2 में दिया गया है।


‘मेक इन इंडिया’ कोई योजना नहीं बल्कि एक पहल है जिसकी शुरुआत निवेश को आसान बनाने, नवाचार को प्रोत्साहन, सर्वश्रेष्ठ विनिर्माण ढांचे का विकास, कारोबारी सुगमता और कौशल विकास को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से सितंबर, 2014 में की गई थी। साथ ही इस पहल का उद्देश्य निवेश के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने, आधुनिक और सक्षम बुनियादी ढांचे का निर्माण, विदेशी निवेश के लिए नए क्षेत्रों को खोलना और सकारात्मक सोच के साथ सरकार व उद्योग के बीच भागीदारी कायम करना था।


मेक इन इंडिया पहल से कई उपलब्धियां हासिल की है और वर्तमान में मेक इन इंडिया 2.0 के अंतर्गत 27 क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग 15 विनिर्माण क्षेत्रों के लिए कार्य-योजनाओं का समन्वय कर रहा है, वहीं वाणिज्य विभाग 12 सेवा क्षेत्रों के लिए कार्य-योजनाओं का समन्वय कर रहा है।


वहीं केन्द्र सरकार के कई मन्त्रालयों/विभागों और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत समय-समय पर निवेश प्रोत्साहन और सरलीकरण गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। स्थापित विनिर्माण इकाइयों से संबंधित आंकड़ों का केन्द्रीय स्तर पर रख-रखाव नहीं किया जाता है।


     


संलग्नक - I


 






















































क्र.स.



वित्तीय वर्ष



एफडीआई पूंजी प्रवाह


 


(धनराशि मिलियन डॉलर में)



एफडीआई प्रवाह


 


(धनराशि मिलियन डॉलर में)



1



2014-15



29,737



45,148



2



2015-16



40,001



55,559



3



2016-17



43,478



60,220



4



2017-18 (पी)



44,857



60,974



5



2018-19  (पी)



44,366



62,001



6



2019-20  (पी) (दिसंबर 2019 तक)



36,769



51,429



 



कुल



239,208



335,331



 


स्रोतः भारतीय रिजर्व बैंक और डीपीआईआईटी


 


संलग्नक - II


 


अक्तूबर 2019 से दिसंबर 2019 तक राज्यवार एफडीआई पूंजी प्रवाह का विवरण


 








































































































































































क्र.सं.



राज्य



प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पूंजी प्रवाह की धनराशि (मिलियन डॉलर में)



प्रवाह के साथ प्रतिशत



1



महाराष्ट्र



3133.5



29.34



2



दिल्ली



2441.44



22.88



3



कर्नाटक



2384.53



22.35



4



गुजरात



871.53



8.16



5



तमिलनाडु



525.3



4.92



6



हरियाणा



447.01



4.19



7



तेलंगाना



310.79



2.91



8



राजस्थान



157.84



1.48



9



आंध्र प्रदेश



64.6



0.61



10



पश्चिम बंगाल



58.67



0.55



11



गोवा



52.93



0.50



12



पंजाब



45.48



0 43



13



उत्तर प्रदेश



37.12



0.35



14



मध्य प्रदेश



30.94



0.29



15



केरल



29.12



0.27



16



उत्तराखण्ड



11.3



0.11



17



हिमाचल प्रदेश



9.97



0.09



18



असम



2.55



0.02



19



चंडीगढ़



2.23



0.02



20



ओडिशा



2.03



0.02



21



पुड्डुचेरी



0.45



0.00



22



झारखण्ड



0.44



0.00



23



बिहार



0.09



0.00



24



दादर एवं नगर हवेली



0



0.00



25



राज्य का उल्लेख नहीं



53.47



0.50



 



कुल योग



10673.34



 



स्रोतः भारतीय रिजर्व बैंक


 


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज  राज्य सभा में लिखित जवाब के माध्यम से यह जानकारी दी है।



टैरिफ अधिसूचना संख्या 23/2020- सीमा शुल्क (एन.टी.)

सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 (1962 की 52) की धारा 14 के तहत प्राप्त अधिकारों का उपयोग करते हुए केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क की अधिसूचना संख्या 20/2020- सीमा शुल्क (एन.टी.), दिनांक 5 मार्च 2020 जो 14 मार्च 2020 से प्रभावी होगी, में निम्नलिखित संशोधन किया गया हैः-


उपर्युक्त अधिसूचना की तालिका-1 में क्रमांक 10 और संबंधित प्रविष्टियों के लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जाएगाः-


तालिका-1


































क्र. सं.



विदेशी मुद्रा



भारतीय रुपये के बराबर विदेशी मुद्रा की एक इकाई की विनिमय दर



(1)



(2)



(3)



 



 



(अ)



(ब)



 



 



(आयतित वस्तुओं के लिए)



(निर्यातित वस्तुओं के लिए)



10.



नार्वेजियन क्रोनर



7.45



7.20



हमें विमान ईंधन को जीएसटी के तहत लाने की जरूरत है: हरदीप सिंह पुरी

नागरिक उड्डयन राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि नागर विमानन उद्योग ने विस्तार के एक नए युग की शुरुआत की है जो सस्‍ती विमानन सेवा (एलसीसी), आधुनिक हवाई अड्डों, घरेलू विमानन कंपनियों में एफडीआई, उन्‍नत सूचना प्रोद्योगिकी और क्षेत्रीय संपर्क पर हमारे बढ़ते जोर से संचालित है। हैदराबाद में आज ‘विंग्स इंडिया 2020’ में बोलते हुए श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा,  ‘हम एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां हमें विमान ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने की आवश्यकता है। इसके लिए विभिन्‍न राज्‍यों की सहमति आवश्‍यक होगी।’


उन्होंने आगे कहा कि कोरोनावायरस से उत्पन्न मौजूदा स्थिति विशेष तौर पर नागरिक उड्डयन क्षेत्र के लिए चुनौती है। उन्‍होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय द्वारा व्यक्तिगत तौर पर इसकी निगरानी की जा रही है और निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके पहला सबूत मिलने के कुछ ही घंटों के भीतर हमने 12 सबसे अधिक प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी। हमने इसका विस्‍तार करते हुए दुनिया भर के किसी भी देश से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग को शामिल किया है। हमारे हवाई अड्डे दुनिया भर में हवाई अड्डों के संचालन के लिए एक बेंचमार्क स्‍थापित करते हैं, विशेष रूप से वे 30 हवाई अड्डे जहां उचित स्क्रीनिंग पहले से ही की जा रही है। हमने दुनिया भर से आने वाली 10,876 उड़ानों की स्क्रीनिंग की है जिसमें 11,71,061 यात्री शामिल हैं। इनमें से 3,225 यात्रियों को आगे की स्क्रीनिंग की आवश्यकता है।’


तेलंगाना सरकार के उद्योग एवं वाणिज्य, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार और नगर प्रशासन एवं शहरी विकास मंत्री श्री केटी रामाराव ने कहा कि विमानन एवं एयरोस्पेस के क्षेत्र में विकास के लिए हमारे पास आपार संभावनाएं मौजूद हैं। हमारा ध्यान कौशल विकास और एमआरओ बुनियादी ढांचा एवं विदेशी निवेश पर केन्द्रित होना चाहिए। उन्होंने कहा पर्याप्‍त विदेशी निवेश के साथ-साथ रोजगार सृजन के लिहाज से एमआरओ क्षेत्र मे अपार संभावनाएं मौजूद हैं। आज समापन सत्र के दौरान मंत्रालय में मुख्य अतिथि श्री हरदीप सिंह पुरी थे। उनके साथ श्री के टी रामा राव, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री अरविंद सिंह और फिक्की की नागरिक उड्डयन समिति के चेयरमैन एवं एयरबस इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री आनंद स्टैनली उपस्थित थे। इस दौरान विमानन उद्योग के परिदृश्‍य पर भी चर्चा की गई। मुख्य बातें इस प्रकार हैं:


· पिछले 18 वर्षों में घरेलू यातायात में 14 गुना वृद्धि हुई है। अंतरराष्‍ट्रीय यातायात सहित कुल यातायात में 8.2 गुना वृद्धि हुई है। · कनेक्टिविटी के लिहाज से विमान्‍न उद्योग का भविष्य उज्‍ज्‍वल है। उड़ान योजना के माध्यम से बढ़ती कनेक्टिविटी ने प्रति व्यक्ति यात्राओं को 0.1 प्रति व्यक्ति से बढ़ाकर 0.5 प्रति व्यक्ति करने में मदद की है।  · फिक्की के अध्ययन के अनुसार हर मिनट एक विमान लैंड करता है या उड़ान भरता है और भारत में हवाई यात्रियों की संख्‍या 1 अरब तक हो जाएगी।


· अगले कुछ वर्षों में एमआरओ के बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने से 100% भारतीय विमानों की सर्वि‍सिंग भारत में ही की जाएगी।  · 2040 तक नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने फिक्‍की के साथ मिलकर एक योजना तैयार की है ताकि विमानों के कलपुर्जों का 100% विनिर्माण भारत में ही सुनिश्चित हो सके।


आयोजन के दौरान श्री हरदीप सिंह पुरी की उपस्थिति में विभिन्न हितधारकों के बीच चार समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए गए। वे इस प्रकार हैं:  · नागर विमानन मंत्रालय की कृषि उड़ान योजना के तहत रास-अल-खैमाह इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जीएमआर हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट और स्पाइसजेट लिमिटेड के बीच त्रि-पक्षीय समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान।


· तेलंगाना सरकार, जीएमआर हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट और एयरबस बिजलैब।


· तेलंगाना सरकार और डीजेआई।


· तेलंगाना सरकार, एशिया पैसिफिक एफटीओ और मरुत ड्रोन्‍स।


सत्र के दौरान स्वच्छ्ता पखवाड़ा पुरस्‍कार 2019 की घोषणा भी की गई। इसमें विमानन कंपनियों, हवाई अड्डों और विमानन क्षेत्र में संगठनों द्वारा किए गए उल्‍लेखनीय कार्यों को मान्यता दी गई। विजेताओं के नाम इस प्रकार हैं:






























































पुरस्कार श्रेणी



प्रथम



दूसरा



तीसरा



सांत्वना



निजी एयरलाइन



विस्तारा



गोएयर



एयरएशिया और इंडिगो



स्पाइसजेट



निजी हवाई अड्डे



कोच्चि इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड



बेंगलूरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड



मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड और हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमि‍टेड



उपलब्‍ध नहीं



नागर विमानन मंत्रालय के तहत पीएसयू



एयर इंडिया लिमिटेड



पवन हंस लिमिटेड



भारतीय विमानपत्‍तन प्राधिकरण



उपलब्‍ध नहीं



एएआई के तहत स्वच्छ और सुरक्षित हवाई अड्डे (50 लाख और इससे अधिक सालाना यात्री)



कोलकाता



चेन्नई



जयपुर



उपलब्‍ध नहीं



एएआई के तहत स्वच्छ और सुरक्षित हवाई अड्डे (15 से 50 लाख सालाना यात्री)



मदुरै



चंडीगढ़



त्रिवेंद्रम



उपलब्‍ध नहीं



एएआई के तहत स्वच्छ और सुरक्षित हवाई अड्डे (10 से 15 लाख सालाना यात्री)



उदयपुर



वडोदरा



विजयवाड़ा



उपलब्‍ध नहीं



नागर विमानन मंत्रालय के अधीन सरकारी संगठन



आईजीआरयूए (इंदिरा  गांधी राष्ट्रीय उडन अकादमी)



डीजीसीए  (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय)



बीसीएएस (नागर विमानन सुरक्षा ब्‍यूरो)



उपलब्‍ध नहीं




Saturday, March 14, 2020

विदेशी निवेश और 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम

‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद अप्रैल 2014 से दिसंबर 2019 के दौरान  भारत में 335.33 अरब डॉलर का एफडीआई प्रवाह हो चुका है, जो अप्रैल 2000 से अभी तक भारत में आए कुल एफडीआई का लगभग 51 प्रतिशत है। 2018-19 में भारत में 62 अरब डॉलर का एफडीआई आया था, जो किसी एक वित्त वर्ष का सबसे ऊंचा स्तर है। वित्त वर्ष के आधार पर   एफडीआई प्रवाह और एफडीआई पूंजी प्रवाह का विवरण तालिका-1 में दिया गया है। राज्यवार एफडीआई पूंजी प्रवाह के आंकड़े अक्तूबर 2019 तक के हैं और इसका विवरण तालिका 2 में दिया गया है।


‘मेक इन इंडिया’ कोई योजना नहीं बल्कि एक पहल है जिसकी शुरुआत निवेश को आसान बनाने, नवाचार को प्रोत्साहन, सर्वश्रेष्ठ विनिर्माण ढांचे का विकास, कारोबारी सुगमता और कौशल विकास को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से सितंबर, 2014 में की गई थी। साथ ही इस पहल का उद्देश्य निवेश के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने, आधुनिक और सक्षम बुनियादी ढांचे का निर्माण, विदेशी निवेश के लिए नए क्षेत्रों को खोलना और सकारात्मक सोच के साथ सरकार व उद्योग के बीच भागीदारी कायम करना था।


मेक इन इंडिया पहल से कई उपलब्धियां हासिल की है और वर्तमान में मेक इन इंडिया 2.0 के अंतर्गत 27 क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग 15 विनिर्माण क्षेत्रों के लिए कार्य-योजनाओं का समन्वय कर रहा है, वहीं वाणिज्य विभाग 12 सेवा क्षेत्रों के लिए कार्य-योजनाओं का समन्वय कर रहा है।


वहीं केन्द्र सरकार के कई मन्त्रालयों/विभागों और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत समय-समय पर निवेश प्रोत्साहन और सरलीकरण गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। स्थापित विनिर्माण इकाइयों से संबंधित आंकड़ों का केन्द्रीय स्तर पर रख-रखाव नहीं किया जाता है।


     


संलग्नक - I


 






















































क्र.स.



वित्तीय वर्ष



एफडीआई पूंजी प्रवाह


 


(धनराशि मिलियन डॉलर में)



एफडीआई प्रवाह


 


(धनराशि मिलियन डॉलर में)



1



2014-15



29,737



45,148



2



2015-16



40,001



55,559



3



2016-17



43,478



60,220



4



2017-18 (पी)



44,857



60,974



5



2018-19  (पी)



44,366



62,001



6



2019-20  (पी) (दिसंबर 2019 तक)



36,769



51,429



 



कुल



239,208



335,331



 


स्रोतः भारतीय रिजर्व बैंक और डीपीआईआईटी


 


संलग्नक - II


 


अक्तूबर 2019 से दिसंबर 2019 तक राज्यवार एफडीआई पूंजी प्रवाह का विवरण


 








































































































































































क्र.सं.



राज्य



प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पूंजी प्रवाह की धनराशि (मिलियन डॉलर में)



प्रवाह के साथ प्रतिशत



1



महाराष्ट्र



3133.5



29.34



2



दिल्ली



2441.44



22.88



3



कर्नाटक



2384.53



22.35



4



गुजरात



871.53



8.16



5



तमिलनाडु



525.3



4.92



6



हरियाणा



447.01



4.19



7



तेलंगाना



310.79



2.91



8



राजस्थान



157.84



1.48



9



आंध्र प्रदेश



64.6



0.61



10



पश्चिम बंगाल



58.67



0.55



11



गोवा



52.93



0.50



12



पंजाब



45.48



0 43



13



उत्तर प्रदेश



37.12



0.35



14



मध्य प्रदेश



30.94



0.29



15



केरल



29.12



0.27



16



उत्तराखण्ड



11.3



0.11



17



हिमाचल प्रदेश



9.97



0.09



18



असम



2.55



0.02



19



चंडीगढ़



2.23



0.02



20



ओडिशा



2.03



0.02



21



पुड्डुचेरी



0.45



0.00



22



झारखण्ड



0.44



0.00



23



बिहार



0.09



0.00



24



दादर एवं नगर हवेली



0



0.00



25



राज्य का उल्लेख नहीं



53.47



0.50



 



कुल योग



10673.34



 



स्रोतः भारतीय रिजर्व बैंक


 


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज  राज्य सभा में लिखित जवाब के माध्यम से यह जानकारी दी है।


 



जैव कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहन  

कृषि क्षेत्र में जैविक कीटनाशक दवाइयों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति ने रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में जैव कीटनाशकों के पंजीकरण के लिए सरल दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कीटनाशक अधिनियम, 1968 की धारा 9 (3 बी) के अंतर्गत अनंतिम पंजीकरण के दौरान आवेदक को रसायनिक कीटनाशकों के विपरीत जैविक कीटनाशकों की व्यावसायिक बिक्री की अनुमति होगी।


भारत सरकार परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई), पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडीएनईआर) और पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना (सीआईएसएस) की जैविक कृषि योजना के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल प्रक्रियाओं के साथ टिकाऊ कृषि उत्पादन की दिशा में काम कर रही है। इनके माध्यम से जैविक बीज और खाद के इस्तेमाल तथा रसायन मुक्त कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे लोगों की सेहत में भी सुधार होगा।


परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत 3 साल की अवधि के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की सहायता उपलब्ध कराई जा रही है, जिसमें से डीबीटी के माध्यम से किसानों को 31 हजार रुपये (62 प्रतिशत) उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह सहायता जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों, वर्मीकम्पोस्ट, वानस्पतिक अर्क, उत्पादन/खरीद, फसल बाद प्रबंधन आदि के लिए दी जा रही है।


एमओवीसीडीएनईआर के अंतर्गत जैविक सामग्रियों, बीज/पौध रोपण सामग्री के वास्ते 3 साल के लिए प्रति हेक्टेयर 25 हजार रुपये की सहायता दी जा रही है।


पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना के अंतर्गत भारत सरकार सालाना 200 टन क्षमता वाली जैविक उर्वरक इकाई की स्थापना के लिए राज्य सरकार/सरकारी एजेंसियों को 160 लाख रुपये प्रति यूनिट की अधिकतम सीमा के आधार पर 100 प्रतिशत सहायता उपलब्ध कराकर जैविक उर्वरकों के उत्पादन को प्रोत्साहन दे रही है। इसी प्रकार व्यक्तिगत/निजी एजेंसियों को पूंजी निवेश के रूप में 40 लाख रुपये प्रति यूनिट की सीमा के साथ लागत की 25 प्रतिशत तक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। यह सहायता राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है।


परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत पिछले 3 साल (2016-17, 2017-18, 2018-19) और वर्तमान वर्ष (2019-20) के दौरान क्रमशः 152.82 करोड़ रुपये, 203.46 करोड़ रुपये, 329.46 करोड़ रुपये और 226.42 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है।


एमओवीसीडीएनईआर के अंतर्गत पिछले 3 साल (2016-17, 2017-18, 2018-19) और वर्तमान वर्ष (2019-20) के दौरान क्रमशः 47.63 करोड़ रुपये, 66.22 करोड़ रुपये, 174.78 करोड़ रुपये और 78.83 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है।


पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना के अंतर्गत 2016-17 और 2017-18 के दौरान नाबार्ड ने कोई धनराशि का वितरण नहीं किया। हालांकि 2018-19 के दौरान 276.168 लाख रुपये का वितरण किया गया।


जैव कीटनाशकों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए एकीकृत पेस्ट प्रबंधन योजना के अंतर्गत किसान क्षेत्र विद्यालय (फार्मर फील्ड स्कूल) और मानव संसाधन विकास कार्यक्रम (2 और 5 दिन) के माध्यम से किसानों को शिक्षित किया जा रहा है। केन्द्र और राज्य सरकारों की प्रयोगशालाओं में भी जैव कीटशानकों (ट्राइकोडर्मा, मेटाझिझियम, ब्यूवेरिया आदि) का विस्तार और उनका किसानों को वितरण किया जा रहा है। एकीकृत पेस्ट प्रबंधन के अंतर्गत बीते 5 साल (2015-16 से 2019-20) के दौरान 3472 फार्मर फील्ड स्कूल और 647 मानव संसाधन विकास कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है। इनके माध्यम से 1,04,160 किसानों और 25,880 कीटनाशक विक्रेता और राज्य सरकार के अधिकारी प्रशिक्षण हासिल कर चुके हैं।


केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज राज्य सभा में एक लिखित जवाब के माध्यम से यह जानकारी दी।          



प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियों में लिप्त पाई गईं बंगाल केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन और कुछ दवा कंपनियां

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने बंगाल केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन (बीसीडीए), उसकी दो जिला समितियों मुर्शिदाबाद डिस्ट्रिस्ट कमिटी और बर्धवान डिस्ट्रिक्ट कमिटी और उनके पदाधिकारियों को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 3 (3) (बी) के प्रावधानों (धारा 3 (1) के साथ ही पढ़ें) के उल्लंघन के साथ ही प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रक्रियाओं को अपनाने का दोषी पाया है। बीसीडीए द्वारा इन प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रक्रियाओं को अपनाया गयाः (1) दवा कंपनियों नए स्टॉकिस्टों को दवा की आपूर्ति से पहले पश्चिम बंगाल के कम से कम कुछ जिलों से पिछले स्टॉक की उपलब्धता की जानकारी (एसएआई)/बीसीडीए से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना होता है; (2) डिस्ट्रिक्ट कमिटी के माध्यम से उनको एसएआई जारी करने के एवज में संभावित स्टॉकिस्टों से पैसा वसूला करती हैं; और (3) दवा कंपनियों के प्रचार सह वितरक (पीसीडी) एजेंट को पश्चिम बंगाल में संबंधित दवा कंपनियों की दवाओं का विपणन शुरू करने से पहले बीसीडीए को दान के रूप में पैसा देकर उससे उत्पाद उपलब्धता जानकारी (पीएआई) हासिल करनी होती थी।


इसके अलावा सीसीआई ने पाया कि दवा कंपनियों एल्केम लैबोरेटरीज (एल्केम) और मैकलॉयड फार्मास्युटिकल्स (मैकलॉयड) का बीसीडीए से प्रतिस्पर्दा-रोधी समझौता है, जिसमें ये कंपनियां संभावित स्टॉकिस्टों को ऑफर लेटर ऑफ स्टॉकिस्टशिप (ओएलएस) जारी करने के बाद उनसे बीसीडीए से लिया गया एसएआई /एनओसी /स्वीकृति पत्र /सर्कुलेशन पत्र की मांग किया करती थीं। इसके बाद ही दवा कंपनियां आपूर्ति शुरू करती थीं। इस प्रकार आयोग ने एल्केम और मैकलॉयड को अधिनियम की धारा 3 (1) के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी पाया। साथ ही सीसीआई ने उनके कई अधिकारियों को अधिनियम की धारा 48 की शर्तों के तहत दोषी पाया।


इस क्रम में सीसीआई ने बीसीडीए, उसकी मुर्शिदाबाद और बर्धवान जिला समितियों, उनके पदाधिकारियों, दवा कंपनियों एल्केम और मैकलॉयड्स, उनके संबंधित अधिकारियों को ऐसी प्रक्रियाओं पर रोक लगाने और इससे बचने के निर्देश दिए। हालांकि, सीसीआई ने कहा, बीसीडीए ने कहा कि सीसीआई के पूर्व के एक आदेश के क्रम में प्रक्रियाओं में सुधार का भरोसा दिलाया है। इस मामले में सीसीआई ने किसी भी इकाई पर कोई जुर्माना नहीं लगाने का फैसला किया है।


आयोग इस मामले में विस्तृत आदेश बाद में जारी करेगा।



प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 लोकसभा में पेश

केंद्रीय पोत परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 पेश किया। यह विधेयक भारत में प्रमुख बंदरगाहों के नियमन, संचालन और नियोजन के लिए और ऐसे बंदरगाहों के प्रशासन, नियंत्रण और प्रबंधन और उससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों को मुख्य बंदरगाह प्रशासन के बोर्ड को देने से संबंधित है।



प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पोत  रिवहन मंत्रालय के प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट कानून, 1963 की जगह प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 को लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इससे निर्णय लेने की पूर्ण स्वायत्तता और मुख्य बंदरगाहों के संस्थागत ढांचे का आधुनिकीकरण करके प्रमुख बंदरगाहों को अधिक दक्षता के साथ काम करने का अधिकार मिलेगा। इससे पहले, विधेयक को 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद संसदीय स्थायी समिति (पीएससी) को भेजा गया था। साक्ष्य लेने और व्यापक परामर्श करने के बाद जुलाई 2017 में पीएससी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसके आधार पर, पोत परिवहन मंत्रालय ने 2018 में लोकसभा में विधेयक में आधिकारिक संशोधन पेश किया। हालांकि यह विधेयक पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद वैध नहीं रहा। बंदरगाह की आधारभूत संरचना के विस्तार को बढ़ावा देने और व्यापार व वाणिज्य को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से, प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 का उद्देश्य प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन में पेशेवराना अंदाज को बढ़ावा देना और निर्णय लेने में विकेंद्रीकरण है।  यह हितधारकों और परियोजना को बेहतर तरीके से लागू करने की क्षमता को भ पहुंचाते हुए तेज और पारदर्शी निर्णय देने में मदद करेगा। विधेयक का उद्देश्य केंद्रीय बंदरगाहों में सुशासन मॉडल को वैश्विक अभ्यास के अनुरूप जमींदार बंदरगाह मॉडल के रूप में फिर से प्रस्तुत करना है। इससे प्रमुख बंदरगाहों के संचालन में पारदर्शिता लाने में भी मदद मिलेगी। यह विधेयक सभी हितधारकों और मंत्रालयों/विभागों के साथ व्यापक परामर्श और पीएससी की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:- क- यह बिल प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट कानून 1963 की तुलना में ज्यादा सुगठित है क्योंकि अतिच्छादित और अप्रचलित अनुभागों को समाप्त करके अनुभागों की संख्या घटाकर 134 से 76 कर दी गई है। ख- नए विधेयक में बंदरगाह प्राधिकरण के बोर्ड की सरल संरचना का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान के 17 से 19 की तुलना में 11 से 13 सदस्य ही शामिल होंगे। पेशेवर स्वतंत्र सदस्यों वाला एक कॉम्पैक्ट बोर्ड निर्णय लेने और रणनीतिक योजना को मजबूत करेगा। राज्य सरकार, जिसमें प्रमुख बंदरगाह स्थित है, रेल मंत्रालय, रक्षा और सीमा शुल्क मंत्रालय, राजस्व विभाग के प्रतिनिधि को बोर्ड में सदस्य के तौर पर शामिल करने के अलावा सरकार की तरफ से नामित सदस्य और बड़े बंदरगाह प्रशासन के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को शामिल करने का प्रावधान किया गया है।


ग- प्रमुख बंदरगाहों के लिए तटकर प्राधिकरण की भूमिका नए सिरे से तय की गई है। बंदरगाह प्रशासन को अब तटकर तय करने के अधिकार दिए गए हैं जो पीपीपी परियोजनों के लिए बोली लगाने के उद्देश्यों के लिए एक संदर्भ तटकर के तौर पर काम करेगा। पीपीपी ऑपरेटर बाजार की स्थितियों के आधार पर तटकर तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड को भूमि सहित अन्य बंदरगाह सेवाओं और परिसंपत्तियों के लिए शुल्क का दायरा तय करने के अधिकार सौंप दिए गए हैं। घ- एक सहायक बोर्ड बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जो प्रमुख बंदरगाहों के लिए पूर्ववर्ती टीएएमपी के बचे हुए कार्य को पूरा करने, बंदरगाहों और पीपीपी रियायत पाने वालों के बीच विवादों को देखने, तनावग्रस्त पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए और तनावग्रस्त पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए उपाय सुझाने और इस तरह की परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के उपाय देने और बंदरगाहों/निजी ऑपरेटरों (बंदरगाहों के भीतर काम करने वाले) द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को लेकर आई शिकायतों को देखने का काम करेगा।ड.- बंदरगाह प्राधिकरण बोर्डों को अनुबंध करने, योजना और विकास, राष्ट्र हित को छोड़कर शुल्क तय करने, सुरक्षा और निष्क्रियता व डिफॉल्ट के चलते आपातकालीन स्थिति की पूरी शक्तियां दी गई हैं। मौजूदा एमपीटी कानून 1963 में 22 मामलों में केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति लेना आवश्यक था।


च- प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह का बोर्ड, बंदरगाह की सीमा और भूमि के दायरे में किसी भी विकास या अवसंरचना के संबंध में विशिष्ट मास्टर प्लान तैयार करना का हकदार होगा और इस तरह का मास्टर प्लान किसी भी प्राधिकरण के स्थानीय या राज्य सरकार के नियमों से स्वतंत्र होगा।छ- सीएसआर और बंदरगाह प्राधिकरण के द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास के प्रावधान पेश किए गए हैं।ज- प्रमुख बंदरगाहों के कर्मचारियों के पेंशन लाभ समेत वेतन और भत्ते और सेवा की शर्तों और प्रमुख बंदरगाहों के तटकर को सुरक्षा देने के लिए प्रावधान किया गया है।




आईटीबीपी छावला शिविर मेंकोरोना वायरस जांच में निगेटिव पाए जाने पर चीन के वुहान से लाए गए लोगों कोवापस भेजने का काम प्रारंभ

कोरोना वायरस के केन्द्र चीन के वुहान से 1 और 2 फरवरी 2020 को पहली खेप में निकाले गए 406 लोगों के वायरस जांच में निगेटिव पाये जाने पर उन्हें भेजे जाने के बाद आईटीबीपी क्वारनटाइन सुविधा छावला शिविर, नई दिल्ली में 17 फरवरी से दूसरी खेप के 112 लोगों को रखा गया है। ये लोग चीन के वुहान से नई दिल्ली पहुंचे हैं।


केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय और आईटीबीपी के महानिदेशक श्री एस. एस. देसवाल ने आईटीबीपी केन्द्र में क्वारनटाइन अवधि के बाद वापस भेजे जा रहे लोगों से मुलाकात की। श्री राय ने आईटीबीपी की सराहना की और कहा कि आईटीबीपी ने आदर्श क्वारनटाइन केन्द्र का बेहतर प्रबंधन किया है।


श्री राय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशन और गृह मंत्री श्री अमित शाह की योजना के अंतर्गत देश कोरोना महामारी से कारगर ढंग से निपटने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा सभी केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल इस कठिन समय में देश की सेवा के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए हम सभी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संदेश को प्रत्येक नागरिक तक ले जाने के लिए संकल्पबद्ध हैं।


112 लोगों के समूह में 76 भारतीय और 36 विदेशी नागरिक हैं। इनमें 8 परिवार और 5 बच्चे हैं। विदेशी नागरिकों में बंग्लादेश के 23, चीन के 6, म्यामांर और मालदीव के 2-2 तथा मेडागास्कर, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के 1-1 नागरिक हैं।


लोगों की दो बार जांच की गई। पहली जांच उनके पहुंचने के दिन और दूसरी जांच क्वारनटाइन अवधि के 14वें दिन की गई और सभी के नमूने निगेटिव पाए गए। सभी लोगों को आवश्यक बुनियादी सुविधाएं प्रदान की गई। उनकी दैनिक निगरानी और जांच समय-समय पर आईटीबीपी के चिकित्सा दल द्वारा की गई।


छावला क्वारनटाइन शिविर 1 फरवरी, 2020 को वुहान से पहली खेप में लाए जाने से 48 घंटे पहले आईटीबीपी द्वारा स्थापित किया गया। अभी तक शिविर में 518 लोगों को सफलतापूर्वक क्वारनटाइन किया गया है।