गंगा किनारे रेत पर युवा कर रहे अभ्यास, युवाओं में तेजी से इस कला की ओर बढ रहा लगाव
कानपुर-उन्नाव, पारकोर शायद ही यह लोगों के लिए अजीब शब्द हो लेकिन यह एक कला है जो फ्रांस की है और इसे वहां सैन्य कला भी कहा जाता है। पारकोर एक उछल-कूद, लंबी छलांग लगाने की कला है। वर्तमान में जहां पूरे विश्व में इस कला के चाहने वाले बढ रहे है तो वहीं इस कला को खेल, डांस या शौक के रूप में युवा पीढी काफी अपना नही है। यूबट्यूब चैनलो में देखा जा सकता है कि पारकोर का प्रचलन भारत में भी तेजी से बढता जा रहा है और युवा पीढी इस कला की ओर आकर्षित हो रही है। कानपुर और शुक्लागंज में भी काफी युवा इस कला का अपना रहे है और इसका निरन्तर अभ्यास कर रहे है। इतना नही छोटे बच्चे भी इस कला को सीख रहे है।
शाम होते ही शुक्लागंज बालू घाट पर युवाओं और बच्चों का समूह पहुंच जाता है। यहां सभी मिलकर पारकोर कला को करने का अभ्यास करते है तो वहीं टीम के सीनियर अन्य बच्चों को यह कला सिखाते है। टीम के एक युवक अर्जुन ने बताया कि उनका डांस ग्रुप है और वह अभी तक कई डांस काम्पटीशन में हिस्सा ले चुके है। अर्जुन ने बताया कि यह कला स्टंट की कला है, इसमें कलाबाजी, कूद व लंबी जंप लेकर एक से दूसरी जगह जाना आदि कलायें है जिन्हे सीखना आसान नही है और वह लगभग दो वर्ष से इसका लगतार अभ्यास कर रहें है साथ ही अन्य बच्चों को भी सिखा रहे है। अर्जुन का कहना है कि यह कला आज के दौर में खेल तथा डांस में कैरियर बनाने वालो के लिए बडी जरूरी है। बताया अभी तक किसी डांस कम्पटीशन में उन्हे सफलता तो नही मिली लेकिन इस कला को पूरी तरह सीखने के बाद डांस के दौरान किये जाने वाले स्टंट में काफी सहायता मिलेगी वहीं इस कला से शरीर हमेशा फिट रहता है। बताया कि उन्हे इस कला को करता देख अन्य युवा तथा बच्चे भी इसकी ओर आकर्षित हो रहे है और इस कला को सीखने के लिए उनके पास आ रहें है।
Monday, March 16, 2020
कानपुर-शुक्लागंज के युवा लगातार इस कला की कर रहे प्रैक्टिस, छोटे बच्चों को भी दे रहें प्रशिक्षण
आखिर क्यों नहीं रूक रहा क्षेत्र में अवैध कटान
डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड-19 पर हालात, कार्रवाई और तैयारियों की समीक्षा की
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज यहां कोविड-19 को लेकर हालात, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उठाए गए कदमों और रोकथाम व प्रबंधन से संबंधित उनकी तैयारियों की समीक्षा की। इस बैठक के दौरान सुश्री प्रीति सुदान, सचिव (एचएफडब्लू), डॉ. बलराम भार्गव, डीजी (आईसीएमआर), श्री अरुण सिंघल, विशेष सचिव (एच), श्री संजीव कुमार, विशेष सचिव (एच), डीजीएचएस, श्री वीवी शर्मा, सदस्य सचिव (एनडीएमए); डॉ. रणदीप गुलेरिया, निदेशक, एम्स; डॉ. मीनाक्षी भारद्वाज, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल की एमएस; निदेशक एनसीडीसी डॉ. सुजीत सिंह, आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेडकर; और मंत्रालय के अधिकारी मौजूद रहे।
डॉ. हर्षवर्धन को कोविड-19 पर उभरते राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय हालात और भारत सरकार व राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा कोविड-19 की रोकथाम और प्रबंधन के लिए उठाए गए कदमों से अवगत कराया गया। उन्होंने हालात और क्वारंटाइन सुविधाओं; अलग वार्डों, व्यक्तिगत सुरक्षा के उपकरण (पीपीई), मास्क, परीक्षण किट आदि की प्रचुरता के संबंध में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अस्पतालों में साफ-सफाई और हाइजीन बरकरार रखने और कोविड-19 के नियंत्रण और प्रबंधन के लिए सभी निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी। उन्होंने तमाम राज्यों द्वारा सामाजिक तौर पर दूरी बनाने के लिए उठाए गए कदमों की विस्तार से समीक्षा की। डॉ. हर्षवर्धन ने गैर-जरूरी यात्रा और सामूहिक समारोहों से बचने के लिए किए गए उपायों की भी समीक्षा की।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यों की क्षमता बढ़ाने, सामाजिक तौर पर दूरी बनाने, घर से काम आदि के जरिए रोकथाम के लिए लोगों में व्यापक जागरूकता के लिए आगे किए जाने वाले उपायों पर भी चर्चा की। इस समीक्षा बैठक में क्वारंटाइन सुविधाओं के प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की गई।
आज की बैठक में हुई चर्चा के नतीजों को कल कोविड-19 पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठक में सामने रखा जाएगा।
डॉ. हर्षवर्धन ने कंट्रोल रूम के माध्यम से कोविड-19 पर सभी शंकाओं को दूर करने के लिए 24x7 कंट्रोल रूम हेल्पलाइन की क्षमता बढ़ाने के लिए ज्यादा लाइनें जोड़ने और अतिरिक्त मानव संसाधन तैनात करने का निर्देश दिया।
इसके अतिरिक्त, कोविड-19 से प्रभावित देशों से भारतीय नागरिकों को निकालने के सरकार के प्रयासों के तहत मिलान, इटली से आज सुबह एयर इंडिया की एक फ्लाइट 218 लोगों को लेकर दिल्ली पहुंची। प्रोटोकॉल के तहत इन लोगों को छावला स्थित आईटीबीपी शिविर में क्वारंटाइन किया गया है। इसके अलावा, ईरान से निकाले गए 236 लोगों का तीसरा बैच आज पहुंचा; उन्हें जैसलमेर में सेना के शिविर में क्वारंटाइन किया जा रहा है। ईरान से प्रस्थान करने से पहले ही उनका परीक्षण किया जा चुका है। फिलहाल सभी में लक्षण नहीं दिखे हैं। कोविड-19 प्रभावित देशों से आने वाले कुल 265 यात्रियों को त्रिवेंद्रम, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद में क्वारंटाइन किया गया है।
फिलहाल, अंतिम अपडेट के अनुसार 23 नए मामलों का पता चला है। इनमें से महाराष्ट्र से 17, तेलंगाना से 2, राजस्थान से 1 और केरल से 3 हैं। दोनों मृतक मरीज पहले से ही बीमार थे। इन मामलों में संपर्क में आने वालों की निगरानी की जा रही है। अब तक इस तरह से 4000 से ज्यादा लोगों की पहचान हुई है, जिन्हें निगरानी में रखा गया है।
बुलढाणा मरीज, जो एक निजी अस्पताल में थे और उनका नमूना लिया गया था और उनकी कल मौत हो गई, का कोविड-19 टेस्ट निगेटिव आया है।
प्रधानमंत्री ने सार्क नेताओं से क्षेत्र में कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए बातचीत की
साझा इतिहास- सामूहिक भविष्य
प्रधानमंत्री ने कम समय के नोटिस पर कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए नेताओं का शुक्रिया अदा किया। प्राचीन समय में सार्क देशों के समाजों में परस्पर संबंध और लोगों के लोगों से रिश्तों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रों के लिए यह जरूरी है कि साथ मिलकर चुनौती का सामना करने को तैयार रहें।
आगे बढ़ने का रास्ता
सहयोग की भावना के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने सभी देशों के स्वैच्छिक योगदान के आधार पर कोविड-19 इमरजेंसी फंड बनाने का प्रस्ताव रखा। साथ ही भारत ने फंड के लिए शुरू में 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर भी दिए। इस फंड का इस्तेमाल कोई भी सहयोगी देश अपने तात्कालिक कार्यों को पूरा करने के लिए कर सकता है। उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ने पर देशों में हालात से निपटने के लिए भारत डॉक्टरों और विशेषज्ञों की एक रैपिड रिस्पॉन्स टीम बना रहा है, जो टेस्टिंग किट और दूसरे उपकरणों के साथ स्टैंड-बाय पर रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने पड़ोसी देशों के आपातकालीन प्रतिक्रिया दलों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण कैप्सूलों की व्यवस्था करने और संभावित वायरस वाहकों और उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाने में मदद करने के लिए भारत के एकीकृत रोग निगरानी पोर्टल के सॉफ्टवेयर को साझा करने की भी पेशकश की। उन्होंने सुझाव रखा कि सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र जैसे मौजूदा तंत्र का इस्तेमाल सबसे अच्छे तरीके से पूल के लिए हो सकता है।
उन्होंने दक्षिण एशियाई क्षेत्र के भीतर महामारी वाली बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए अनुसंधान में समन्वय के लिए एक साझा अनुसंधान मंच बनाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने आगे कोविड-19 के दीर्घकालिक आर्थिक परिणामों और आंतरिक व्यापार और स्थानीय मूल्य श्रृंखलाओं को इसके प्रभाव से अलग करने के तरीकों पर विशेषज्ञों द्वारा मंथन करने का सुझाव दिया।
नेताओं ने प्रधानमंत्री को प्रस्तावित पहल के लिए धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने एक साथ मुकाबले का संकल्प दोहराया और कहा कि सार्क देशों का यह पड़ोसी सहयोग दुनिया के लिए एक मॉडल रूप में काम करना चाहिए।
अनुभव किए साझा
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का मार्गदर्शक मंत्र 'तैयारी करें, पर घबराएं नहीं' रहा है। उन्होंने वर्गीकृत प्रतिक्रिया तंत्र, देश में प्रवेश करने वालों की स्क्रीनिंग, टीवी, प्रिंट और सोशल मीडिया पर जन जागरूकता अभियान, आसानी से चपेट में आने वालों तक पहुंचने के लिए विशेष प्रयासों, महामारी के हर चरण के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने और जांच की सुविधाएं बढ़ाने जैसे उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि भारत ने न केवल करीब 1400 भारतीयों को अलग-अलग देशों से सफलतापूर्वक निकाला है बल्कि 'पड़ोसी पहले की नीति' के तहत पड़ोसी देशों के भी कुछ नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया।
राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि अफगानिस्तान की सबसे बड़ी भेद्यता ईरान के साथ खुली सीमा है। उन्होंने पड़ोसी देशों के बीच टेलीमेडिसिन और ज्यादा सहयोग के लिए साझा फ्रेमवर्क तैयार करने, प्रसार प्रवृत्तियों के प्रतिरूपण (नमूने की बनावट) का प्रस्ताव रखा।
राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने वुहान से मालदीव के 9 लोगों को निकालने और कोविड-19 से निपटने के लिए भारत से मेडिकल सहायता के लिए भारत सरकार का धन्यवाद दिया। उन्होंने देश में पर्यटन पर कोविड-19 के नकारात्मक प्रभाव और उससे देश की अर्थव्यवस्था पर असर को रेखांकित किया। उन्होंने देशों की हेल्थ इमरजेंसी एजेंसियों के बीच निकट सहयोग, आर्थिक राहत पैकेज तैयार करने और क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक रिकवरी प्लान का प्रस्ताव रखा।
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने मुश्किल वक्त में अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव में मदद के लिए सार्क नेताओं को मिलकर काम करने का सुझाव दिया। उन्होंने कोविड-19 से मुकाबले के लिए क्षेत्रीय मामलों पर सहयोग और अपने अनुभवों को साझा करने के लिए सार्क मंत्री स्तरीय समूह स्थापित करने का सुझाव दिया।
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने क्वारंटाइन पीरियड के दौरान भारतीय विद्यार्थियों के साथ वुहान से 23 बांग्लादेशी छात्रों को भी वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रियों और सचिवों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए तकनीकी स्तर पर बातचीत जारी रखने का प्रस्ताव रखा।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कोविड-19 से मुकाबले के लिए नेपाल द्वारा उठाए गए कदमों से सार्क नेताओं को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि सभी सार्क देशों के सामूहिक ज्ञान और प्रयासों से महामारी से निपटने में एक मजबूत और प्रभावी रणनीति तैयार करने में मदद मिल सकती है।
प्रधानमंत्री डॉक्टर लोटे शेरिंग ने कहा कि महामारी भौगोलिक सीमाओं को नहीं मानती है इसलिए सभी देशों के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है। कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि महामारी छोटी और संवेदनशील अर्थव्यवस्थाओं को बुरी तरह से प्रभावित करेगी।
डॉक्टर जफर मिर्जा ने प्रस्ताव रखा कि रियल टाइम में स्वास्थ्य सूचना, डेटा के आदान-प्रदान और समन्वय के लिए राष्ट्रीय अधिकारियों के एक कार्यकारी समूह की स्थापना करने का अधिकार सार्क सचिवालय को दिया जाए। उन्होंने सार्क स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मेलन की मेजबानी करने और रियल टाइम में रोग निगरानी डेटा साझा करने के लिए क्षेत्रीय तंत्र के विकास का भी प्रस्ताव दिया।
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने जम्मू एवं कश्मीर की अपनी पार्टी के 24 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की
श्री शाह ने प्रतिनिधिमंडल द्वारा लगभग 40 मुद्दे उठाए जाने के बाद उनसे बातचीत करते हुए जोर देकर कहा कि सरकार का क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तन लाने का कोई इरादा नहीं है और ऐसी किसी भी बातचीत का बिल्कुल कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार जम्मू एवं कश्मीर के राज्य बनने की उम्मीदों को पूरी करने के लिए जल्द से जल्द समाज के सभी वर्गों के साथ कार्य करेगी। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने धारा 370 निरस्त किए जाने के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए यह बात कही थी और यहां तक कि उन्होंने भी 6 अगस्त, 2019 को लोकसभा के अपने भाषण में यही बात कही। गृह मंत्री ने कहा कि यह भारत के हितों के लिए भी अच्छा है, क्योंकि यह क्षेत्र एक सीमावर्ती क्षेत्र है।
प्रतिबंधों को लेकर प्रतिनिधिमंडल की आशंकाओं को दूर करते हुए श्री शाह ने कहा कि रियायतों पर सभी निर्णय जमीनी वास्तविकताओं पर आधारित हैं और किसी दबाव के कारण नहीं है। उन्होंने निवारक नजरबंदी से लोगों को रिहा किए जाने, इंटरनेट की बहाली करने, कर्फ्यू में ढील देने जैसे कदमों का उल्लेख किया और कहा कि यहां तक कि राजनीतिक कैदी भी आने वाले समय में रिहा कर दिए जाएंगे, क्योंकि सरकार का मुख्य उद्देश्य यह है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं होनी चाहिए, चाहे वह आम कश्मीरी हो या सुरक्षा कर्मचारी। गृह मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में जम्मू एवं कश्मीर की एक बेहतर अधिवास नीति होगी और कहा कि व्यापक सलाह-मशविरों के बाद शीघ्र ही एक विवेकसम्मत आर्थिक विकास नीति का प्रारुप तैयार किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में केन्द्रीय कानूनों के क्रियान्वयन में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा और सभी वर्गों के हितों पर ध्यान दिया जाएगा।
गृह मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को कहा कि शीघ्र ही त्वरित आर्थिक विकास के लिए एक औद्योगिक नीति घोषित की जाएगी और पहले ही एक लैंड बैंक का सृजन कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में जम्मू एवं कश्मीर ने 13,000 करोड़ रुपये आकर्षित किए और उम्मीद जताई कि 2024 तक क्षेत्र में तीन गुना और अधिक निवेश आएगा, क्योंकि इसके लिए प्रचुर संभावना है और निवेशक भी आगे आने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि यह राज्य में बेरोजगारी की समस्या का भी समाधान कर देगी।
गृह मंत्री ने कहा कि आरक्षण मुद्दों पर एक आयोग का शीघ्र गठन किया जाएगा और दोहराया कि गुज्जरों, खानाबदोशों और अन्य समुदायों के साथ कोई अन्याय नहीं किया जाएगा। जम्मू एवं कश्मीर बैंक से संबंधित मुद्दों पर उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह व्यक्तिगत रूप से इन मुददों पर गौर करेंगे। उन्होंने कहा कि सामान्य प्रशासन में त्रुटियों के मुद्दे का समाधान फास्ट ट्रैक आधार पर किया जाएगा। श्री शाह ने कहा कि वह लेफ्टिनेंट गवर्नर को भी एक वरिष्ठ नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने को कहेंगे, जो सप्ताह में दो बार पीड़ित व्यक्तियों से मिलेगा। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को निचले स्तर पर भी फीडबैक गृह मंत्रालय को उपलब्ध कराने को कहा।
श्री शाह ने कहा कि उनकी सरकार जम्मू एवं कश्मीर के सर्वांगीण विकास के लिए सभी पार्टियों और व्यक्ति विशेषों से सुझावों और फीडबैक पाने की इच्छुक है।
Sunday, March 15, 2020
जीएसटी परिषद की सूचना प्रौद्योगिकी प्रारूप से संबंधित सिफारिशें
जीएसटी परिषद की बैठक में, इंफोसिस की ओर से, श्री नंदन नीलेकणि ने जीएसटी प्रणाली में करदाताओं के समक्ष आने वाले सिस्टम से संबंधित मुद्दों के समाधान पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने सर्वप्रथम हाल ही में सामने आये आईटी मुद्दों की संक्षेप में चर्चा करते हुए उनके समाधान की दिशा में भी महत्वपूर्ण जानकारी दी।
उन्होंने नवीन रिटर्न सिस्टम के कार्यान्वयन को सुचारू बनाने और न्यू रिटर्न की बेहतर समझ को सुनिश्चित करने के लिए सुझाव दिया ताकि नए रिटर्न सिस्टम में परिवर्तन को वृद्धिशील रूप से किया जा सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि अनुपालन संबंधी मुद्दों के समाधान की प्रक्रिया पहले प्रारंभ की जा सकती है ताकि फार्म जीएसटीआर-1 और फार्म जीएसटीआर-3बी को लिंक न करने के कारण सिस्टम के साथ हेरा-फेरी और कर चोरी की समस्या का शीघ्र समाधान हो सकें। इस प्रक्रिया को फार्म जीएसटीआर-1 में जावक आपूर्ति के विवरण को जोड़ते हुए फार्म जीएसटीआर-3बी में देयता से प्रारंभ किया जा सकता है। इसके पश्चात फार्म जीएसटीआर-3बी में इनपुट टैक्स क्रेडिट को लिंक करते हुए आपूर्ति के विवरण को फार्म जीएसटीआर-2ए में प्रदर्शित किया जाएगा। सिस्टम के साथ हेरा-फेरी और कर चोरी रोकने के लिए, आधार प्रमाणीकरण और कड़े नियमों को भी लागू करने की पहल की जाएगी।
उन्होंने परिषद को सूचित किया कि 1.5 लाख करदाताओं के वर्तमान स्तर से समवर्ती 3 लाख करदाताओं के लिए आईटी सिस्टम की क्षमता बढ़ाने हेतु, हार्डवेयर खरीद की प्रक्रिया शुरू की गई है हालांकि यह कोविड-19 महामारी के कारण थोड़ा प्रभावित हुई है।
जीएसटी परिषद ने यथोचित विचार-विमर्श के बाद निम्नलिखित सुझाव दिए-
- श्री नंदन नीलेकणि जीएसटी परिषद की अगली 3 बैठकों में हिस्सा लेंगे और परिषद द्वारा लिए गए निर्णयों के कार्यान्वयन की स्थिति को अद्यतन करेंगे और प्रौद्योगिकी से संबंधित मुद्दों पर उचित निर्णय लेने में परिषद की सहायता करेंगे।
- विभिन्न पहलों का समय से क्रियान्वयन किये जाने में सहयोग करने के लिए, परिषद ने टी एंड एम आधार पर अतिरिक्त श्रमबल (60) की तैनाती का आश्वासन दिया कि अतिरिक्त हार्डवेयर की खरीद और जनशक्ति को कार्य पर रखने संबंधी दोनों सिफारिशों को शीघ्र मंजूरी दी जाएगी। करदाताओं के रिटर्न फाइलिंग अनुभव को दर्ज करने और तकनीकी गड़बड़ियों को दूर करने की तत्काल आवश्यकता है।
श्री नंदन नीलेकणि ने आश्वासन दिया कि वह व्यक्तिगत रूप से जीएसटीएन परियोजना की प्रगति की निगरानी करेंगे। उन्होंने अगले 6 महीनों तक अथवा इस तरह की पहल के लागू होने तक आईटी-जीओएम में भाग लेने पर भी अपनी सहमति जताई। जीएसटी परिषद को उम्मीद है कि ये पहलें 31 जुलाई, 2020 तक लागू हो जाएगी।
प्रधानमंत्री का समापन वक्तव्य
आप सभी के समय और विचारों के लिए एक बार फिर से धन्यवाद। हमने आज एक बहुत ही उत्पादक और रचनात्मक चर्चा की है।
हम सभी सहमत हैं कि इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए एक साझा रणनीति तैयार करनी बहुत ज़रूरी है।
और हम सब सहकारी उपायों को खोजने को लेकर सहमत हुए। हम ज्ञान, सर्वोत्तम प्रथाओं, क्षमताओं और जहां तक संभव हो अपने संसाधनों को भी साझा करेंगे।
कुछ साझेदारों ने खास अनुरोध किए हैं, जिनमें दवा और उपकरण भी शामिल हैं। मेरी टीम ने सावधानी से इस पर गौर किया है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम अपने पड़ोसियों के लिए पूरी कोशिश करेंगे।
आइए, हम अपने अधिकारियों से कहें कि वे भागीदारी और एक साथ काम करने की भावना के अंतर्गत एक दूसरे से घनिष्ठ संपर्क बनाए रखें और एक आम रणनीति विकसित करें।
आइए हम अपने हरेक देश से नोडल विशेषज्ञों की पहचान करें और वे आज से एक सप्ताह बाद इसी तरह की वीडियो-कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं, ताकि हमारी आज की चर्चाओं पर अमल कर सकें।
महानुभावों,
हमें यह लड़ाई एक साथ लड़नी है और हमें इसे एक साथ जीतना है।
हमारा पड़ोसी सहयोग दुनिया के लिए एक आदर्श होना चाहिए।
अंत में मैं हमारे सभी नागरिकों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं और इस क्षेत्र में इस महामारी से निपटने के हमारे संयुक्त प्रयासों की सफलता की कामना करता हूं।
धन्यवाद।
आपका सबका बहुत बहुत धन्यवाद।
कोविड-19 का मुकाबला करने पर सार्क नेताओं की वीडियो कॉन्फ्रेंस
मैं इतने अल्प समय के नोटिस पर इस विशेष बातचीत में शामिल होने के लिए आप सभी को धन्यवाद देता हूं।
मैं विशेष रूप से हमारे मित्र प्रधानमंत्री ओली को धन्यवाद देता हूं, जो अपनी हाल की सर्जरी के तुरंत बाद हमारे साथ शामिल हुए हैं। मैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। मैं राष्ट्रपति अशरफ गनी को उनके हाल के उप-चुनाव के लिए भी बधाई देना चाहूंगा।
मैं सार्क के नए महासचिव का भी स्वागत करता हूं, जो आज हमारे साथ हैं। मैं गांधीनगर से सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र के निदेशक की उपस्थिति का भी सम्मान करता हूं।
महामहिम,
जैसा कि हम सभी जानते हैं, कोविड-19 को हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एक महामारी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
अब तक, हमारे क्षेत्र में 150 से भी कम मामले दर्ज किए गए हैं।
लेकिन हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है।
हमारा क्षेत्र विश्व की पूरी जनसंख्या का लगभग पांचवां हिस्सा है। यह घनी आबादी वाला क्षेत्र है।
विकासशील देशों के रूप में हम सभी के पास स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच के मामले में महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं।
हमारे सभी देशों के नागरिकों के बीच आपसी संबंध प्राचीन समय से हैं और हमारे समाज गहराईपूर्वक एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
इसलिए, हम सभी को साथ मिलकर तैयारी करनी चाहिए, सभी को एक साथ काम करना चाहिए और हम सभी को एक साथ सफल होना चाहिए।
महामहिम,
जैसा कि हम इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं, मुझे संक्षेप में अभी तक इस वायरस के विस्तार का मुकाबला करने के भारत के अनुभव को साझा करने दें।
“तैयारी करें, लेकिन दहशत में न आएं” यही हमारा मार्गदर्शी मंत्र रहा है।
हम सावधान थे कि इस समस्या को कम न आंका जाए, लेकिन बिना सोचे समझे कदम उठाने से भी बचा जाए।
हमने एक श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया तंत्र सहित सक्रिय कदम उठाने की कोशिश की है।
महामहिम,
हमने जनवरी के मध्य से ही भारत में प्रवेश के समय स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी, साथ ही पर धीरे-धीरे प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए थे।
धीरे-धीरे इस तरह का दृष्टिकोण अपनाकर हमें दहशत से बचने में मदद मिली।
हमने टीवी, प्रिंट और सोशल मीडिया पर अपने जन जागरूकता अभियान को भी बढ़ा दिया।
हमने अति संवेदनशील समूहों तक पहुंचने के लिए विशेष प्रयास किए हैं।
हमने देश भर में अपने चिकित्सा कर्मियों को प्रशिक्षित करने सहित अपने तंत्र में क्षमता को तेजी से बढ़ाने का काम किया है।
हमने नैदानिक क्षमताओं में भी वृद्धि की है। दो महीनों के भीतर, हमने देश भर में 60 से अधिक प्रयोगशालाओं में परीक्षण की व्यवस्था कर ली।
और हमने इस महामारी के प्रबंधन के प्रत्येक चरण के लिए प्रोटोकॉल विकसित किए हैं, जैसे : प्रवेश बिंदुओं पर जांच करना, संदिग्ध मामलों के संपर्क का पता लगाना, क्वॉरंटीन और अलगाव सुविधाओं का प्रबंधन करना और साफ हो चुके मामलों में डिस्चार्ज करना।
हमने विदेशों में अपने लोगों की कॉल का भी जवाब दिया। हमने विभिन्न देशों से लगभग 1400 भारतीयों को निकाला। हमने अपनी 'पड़ोस पहले नीति’ के अनुसार आपके कुछ नागरिकों की मदद की।
हमने अब इस तरह की निकासी के लिए एक प्रोटोकॉल बनाया है जिसमें विदेशों में तैनात हमारी मोबाइल टीमों के द्वारा जांच करना शामिल है।
हमने ये भी स्वीकार किया कि अन्य देश भी भारत में अपने नागरिकों के बारे में चिंतित होंगे। इसलिए हमने विदेशी राजदूतों को हमारे द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी दी।
महामहिम,
हम इस बात को पूरी तरह से पहचानते हैं कि हम अभी भी एक अज्ञात स्थिति में हैं।
हम निश्चितता के साथ यह अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि हमारी सर्वोत्तम कोशिशों के बावजूद स्थिति आगे कैसी होगी।
आपको भी इसी तरह की चिंताओं का सामना करना पड़ रहा होगा।
यही कारण है कि हम सभी के लिए सबसे अधिक मूल्यवान ये होगा कि हम सब अपने अपने दृष्टिकोण साझा करें।
मैं आप सभी के विचारों को सुनने के लिए उत्सुक हूं।
धन्यवाद।
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कानून एवं प्रक्रिया से संबंधित जीएसटी परिषद की अनुशंसाएं
जीएसटी परिषद ने कानून और प्रक्रिया परिवर्तनों पर निम्नलिखित अनुशंसाएं की हैं।
1. व्यापार सुगमीकरण के लिए उपायः
क. जीएसटी के भुगतान में देरी पर ब्याज 01.07.2017 से शुद्ध नकद कर देयता पर लगाया जाएगा। (कानून का पूर्व व्यापी रूप से संशोधन किया जाना है।)
ख. जहां पंजीकरण 14.03.2020 तक रद्द कर दिया गया है, पंजीकरण रद्द करने के लिए आवेदन 30.06.2020 तक भरा जा सकता है। (जो व्यावसाय का संचालन करना चाहते हैं, उन्हें सुविधा प्रदान करने के एकमुश्त उपाय के रूप में आवेदन की अवधि का विस्तार)
ग. वार्षिक रिटर्नः
1. पांच करोड रूपये से नीचे के समुच्चय कारोबार वाले करदाताओं हेतु, वित्त वर्ष 2018-19 के लिए फार्म जीएसटीआर-9सी में सुलह विवरण प्रस्तुत करने से एमएसएमई को छूट।
2. वित्त वर्ष 2018-19 के लिए वार्षिक रिटर्न और सुलह विवरण दर्ज करने की नियत तारीख को 30.06.2020 तक बढाया जाना चाहिए तथा
3. वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए 2 करोड रूपये से नीचे के समुच्चय कारोबार वाले करदाताओं के लिए वार्षिक रिटर्न और सुलह विवरण के विलंबित दाखिल के लिए विलंबित प्रभार नहीं लगाया जाएगा।
घ. ‘ नो योर सप्लायर’ नामक एक नई सुविधा शुरू की गई है ताकि हर पंजीकृत व्यक्ति को उन आपूर्तिकर्ताओं के बारे में बुनियादी जानकारी हो सके, जिनके साथ वे व्यवसाय करते हैं या व्यवसाय करने का प्रस्ताव रखते हैं।
डं. वित्त वर्ष 2019-20 के लिए फार्म जीएसटीआर-1 प्रस्तुत करने की आवश्यकता उन करदाताओं के लिए माफ की जाएगी जो फार्म सीएमपी दाखिल करने के लिए दिनांक 07.03.2019 की अधिसूचना सं. 2/2019 केंद्रीय कर (दर) के तहत विशेष कंपोजीशन स्कीम का लाभ उठाने का विकल्प नहीं चुन सकते।
च. वैसे पंजीकृत व्यक्तियों के लिए जो दिवाला एवं दिवालिया कोड, 2016 के प्रावधानों के तहत कारपोरेट देनदार हैं और कारपोरेट इनसोलवेंसी रिजुलेशन प्रक्रिया से गुजर रहे हैं, एक विशेष प्रक्रिया निर्धारित की जा रही है ताकि सीआईआरपी अवधि के दौरान जीएसटी कानूनों के प्रावधानों का अनुपालन करने में उन्हें सक्षम बनाया जा सके।
छ. वैसे पंजीकृत व्यक्तियों के लिए, जिनका 24 मार्च, 2020 तक जुलाई 2019 से जनवरी, 2020 के लिए फार्म जीएसटीआर-3 बी हेतु नियत तारीखों का विस्तार। इसी तरह के विस्तार की अनुशंसा फार्म जीएसटीआर-1 और फार्म जीएसटीआर-7 के लिए भी की गई है।
ज. निर्यातकों के सुगमीकरण के लिए भी वित्तीय वर्षों में रिफंड दावों की बंचिंग की अनुमति दी गई।
संदिग्ध अवस्था में पेड़ से लटकते मिले प्रेमी युगल के शव
प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर की अपनी पार्टी के 24 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से भेंट की
युवा सशक्तिकरण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि युवाओं को जम्मू और कश्मीर के विकास के लिए उत्प्रेरक कार्यकर्ताओं के रूप में कार्य करना चाहिए। उन्होंने कौशल विकास के महत्व और युवाओं के लिए जम्मू-कश्मीर के समग्र परिवर्तन में रोजगार के नए अवसर पैदा करने पर भी प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि सरकार बुनियादी ढांचे के विकास और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में नए निवेश के अवसरों के सृजन के माध्यम से क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के समक्ष उपस्थित सभी मुद्दों के समाधान के लिए सरकार के पूर्ण समर्थन का भी आश्वासन दिया।
प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के साथ जनसांख्यिकीय परिवर्तन, परिसीमन कवायद और राज्य को डोमिसाइल प्रदान करने जैसे विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। संसद में अपने बयान का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि सरकार जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा बहाल करने की आशाओं को साकार करने के लिए समाज के सभी वर्गों के साथ मिलकर काम करेगी। अपनी पार्टी के अध्यक्ष श्री अल्ताफ बुखारी ने कहा कि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-ए को निरस्त करने का निर्णय जम्मू और कश्मीर के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था।
प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री को जम्मू और कश्मीर के विकास हेतु उनके अपार समर्थन और अथक प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने की दिशा में सरकार, सुरक्षा एजेंसियों और जम्मू-कश्मीर के लोगों के प्रयासों की भी सराहना की।
प्रधानमंत्री कल सार्क नेताओं के साथ वार्तालाप करेंगे
प्रधानमंत्री ने राजस्थान के जोधपुर में हुई एक सड़क दुर्घटना में लोगों की मृत्यु पर गहरा शोक जताया
राजस्थान के जोधपुर में हुए भीषण सड़क हादसे के बारे में जानकर अत्यंत दुख हुआ है। इस दुर्घटना में जिन-जिन लोगों की जान गई है, मैं उनके परिजनों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं, साथ ही घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं: PM @narendramodi