Thursday, April 2, 2020

एफसीआई ने कोविड-19 महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान देश भर में बढ़ाई खाद्यान्न की आपूर्ति

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) लॉकडाउन के दौरान देश भर में गेहूं और चावल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित कर रहा है। एफसीआई न सिर्फ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के अंतर्गत 5 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रति महीने हरेक लाभार्थी की खाद्यान्न की जरूरत पूरी करने, बल्कि पीएम गरीब अन्न योजना के अंतर्गत 81.35 करोड़ लोगों को अगले तीन महीने तक 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति खाद्यान्न की अतिरिक्त मांग की आपूर्ति करने के लिए भी तैयार है। 31.03.2020 तक एफसीआई के पास 56.75 मिलियन एमटी (एमएमटी) खाद्यान्न (30.7 एमएमटी चावल और 26.06 एमएमटी गेहूं) है।


इस चुनौतीपूर्ण माहौल में भी एफसीआई रेल के माध्यम से देश भर में गेहूं और चावल की आपूर्ति बढ़ाकर खाद्यान्न की बढ़ती मांग पूरी करने में सक्षम है। आज 01.04.2020 को कुल 53 रैक्स के माध्यम से लगभग 1.48 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) खाद्यान्न का भंडार भेज दिया गया है। लॉकडाउन के दिन यानी 24.03.2020 से अब तक एफसीआई 352 रैक्स के माध्यम से लगभग 9.86 एलएमटी खाद्यान्न भेज चुका है।


एफसीआई बाजार में आपूर्ति की बाधाओं को दूर करने के लिए पैनलबद्ध रोलर फ्लोर मिलों/ राज्य सरकार को गेहूं उपलब्ध कराने के लिए मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के अंतर्गत ई-निविदा करा रहा है। 31.03.2020 को हुई ई-निविदा में 1.44 एलएमटी गेहूं के लिए निविदाएं हासिल हुई हैं।


कोविड 19 महामारी के मद्देनजर नियमित ई-निविदा के अलावा जिलाधिकारियों/ कलेक्टरों को रोलर फ्लोर मिलों और अन्य गेहूं उत्पाद विनिर्माताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए ओएमएसएस आरक्षित मूल्य पर एफसीआई डिपो से सीधे उठान के लिए अधिकृत कर दिया गया है। इसके माध्यम से अभी तक निम्नलिखित राज्यों को कुल 79027 एमटी गेहूं का आवंटन किया जा चुका है :


 



















































क्र. सं.



राज्य



मात्रा (एमटी में)



i



उत्तर प्रदेश



35675



ii



बिहार



22870



iii



हिमाचल प्रदेश



11500



iv



हरियाणा



4190



v



पंजाब



2975



vi



गोवा



1100



vii



उत्तराखंड



375



viii



राजस्थान



342



 


इसके अलावा गेहूं के लिए भी ई-निविदा कराई गई है। 31.03.2020 को हुई पिछली ई-निविदा में तेलंगाना, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों से 77,000 एमटी चावल के लिए निविदाएं हासिल हुईं हैं।


इसके अलावा, बदले हालात में राज्यों को किसी भी प्रकार की जरूरत को पूरे करने और एनएफएसए आवंटन और पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत किए गए अतिरिक्त आवंटन की भरपाई के लिए ई-निविदा में भाग लिए बिना ओएमएसएस के अंतर्गत 22.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल के उठान की अनुमति दे दी गई है। अभी तक निम्नलिखित 6 राज्यों को उनके अनुरोध पर 93387 मीट्रिक टन (एमटी) चावल का आवंटन किया जा चुका है :









































क्र. सं.



राज्य



मात्रा (एमटी में)



i



तेलंगाना



50000



ii



असम



16160



Iii



मेघालय



11727



Iv



मणिपुर



10000



V



गोवा



4500



Vi



अरुणाचल प्रदेश



1000



 



नौसेना के मुंबई स्थित डॉकयार्ड ने बनाई कोरोना जांच के लिए कम लागत वाली इन्फ्रारेड सेंसर गन

नौसेना के मुबंई स्थिति डॉकयार्ड ने अपने  प्रवेश द्वारों पर बड़ी संख्या में कर्मियों की स्क्रीनिंग के लिए इन्फ्रारेड तापमान सेंसर गन डिजाइन की है, ताकि सुरक्षा जांच गतिविधियों पर बोझ कम किया जा सके। डॉकयार्ड द्वारा खुद के उपलब्ध संसाधनों से विकसित इस गन की कीमत 1000 रूपए से भी कम है जो कि बाजार में उपलब्ध ऐसे अन्य गनों की कीमत का अंश भर है।



कोविड-19 महामारी ने हाल के दिनों में दुनिया की सबसे बड़ी चिकित्सा आपात स्थिति पैदा कर दी हैं। संक्रमित रोगियों की संख्या में भारी वृद्धि देखते हुए देश के चिकित्सा बुनियादी ढांचे की कडी परीक्षा हो रही है। 


नौसेना के पश्चिमी कमान के 285 वर्ष पुराने डॉकयार्ड में प्रतिदिन औसतन लगभग 20,000 कर्मी आते हैं। कोरोना संक्रमण के फैलाव के मद्देनजर, इन कर्मियों की डॉकयार्ड में प्रवेश करने के समय प्रारंभिक जांच जरूरी हो गई है। संभावित रोगी की बिना संपर्क के प्रारंभिक स्क्रीनिंग करने के लिए उसके शरीर के तापमान की जांच करना सबसे बेहतर तरीका है।


कोविड के प्रकोप के बाद से, गैर-संपर्क वाले थर्मामीटर या इन्फ्रारेड तापमान सेंसर गन बाजार में दुर्लभ हो गई हैं, और बहुत अधिक कीमत पर बेची जा रही हैं। इनकी कमी को दूर करने और मांग के अनुरूप इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए  मुंबई के नौसेनिक डॉकयार्ड ने 0.02 डिग्री सेल्सियस तक के शारीरिक तापमान को सटीकता के साथ नापने में सक्षम गन डिजाइन और विकसित किया है। यह एक तरह का थर्मामीटर है जो किसी के शारीरिक संपर्क में आए बिना ही उसके शरीर का तापमान जांच लेता है। इसमें एक इन्फ्रारेड सेंसर और एक एलईडी डिस्प्ले लगा हुआ है जो एक माइक्रोकंट्रोलर के साथ जुड़ा हुआ है। यह 9  वोल्टेज की क्षमता वाली बैटरी पर चलता है ।


इस गन की विनिर्माण लागत 1000 रुपये से कम होने की वजह से , आवश्यकता पडने पर डॉकयार्ड में इन्हे बडी संख्या में बनाया जा सकता है। इसके लिए जरुरी संसाधनों को जुटाने का कार्य प्रगति पर है।




कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए पूर्व सैनिक अपनी सेवाएं देने को तैयार

राष्ट्र वैश्विक महामारी कोविड-19 की चुनौतियों से लड़ रहा है। ऐसी स्थिति में रक्षा मंत्रालय के पूर्व-सैनिक कल्याण विभाग (ईएसडब्ल्यू) ने पूर्व सैनिकों को अपनी सेवाएं देने के लिए एकजुट किया है। इससे जहां भी जरूरत हो राज्य और जिला प्रशासन को बहुमूल्य मानव संसाधन प्राप्त होंगे।



राज्य सैनिक बोर्ड और जिला सैनिक बोर्ड राज्य और जिला प्रशासन की सहायता के लिए अधिकतम ईएसएम वॉलेंटियर को जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पूर्व सैनिक संपर्क का पता लगाने, समुदाय की निगरानी करने, क्वारंटाइन सुविधाओं का प्रबंधन करने जैसे कार्यों में सहायता प्रदान करेगें।


कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए राष्ट्र ने लोगों से स्पष्ट आह्वान किया है। यह स्वागतयोग्य है कि पूर्व सैनिक अपने आदर्श "स्वयं से पहले सेवा" का ध्यान में रखते हुए सेवा और सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं। पूर्व सैनिक अनुसासित, प्रेरणा से युक्त और विपरीत परिस्थितियों में कार्य करने के लिए प्रशिक्षित हैं। पूर्व सैनिकों की उपस्थिति पूरे देश के सभी जिलों और गांवों में है।


पंजाब राज्य में "गार्जियन ऑफ गवर्नेंस" संगठन में 4200 पूर्व सैनिक हैं, जो गांवों के डाटा संग्रह में प्रशासन की सहायता कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिस की सहायता के लिए कुछ पूर्व सैनिकों की सेवाएं ली हैं। इसी प्रकार आंध्र प्रदेश में सभी जिला कलेक्टरों ने पूर्व सैनिकों की सेवाएं प्राप्त करने का प्रस्ताव दिया है। उत्तर प्रदेश में सभी जिला सैनिक कल्याण अधिकारी जिला नियंत्रण कक्षों के संपर्क में हैं तथा सेवानिवृत्त सेना चिकित्सा कर्मियों की पहचान की गई हैं तथा उन्हें तैयार रहने के लिए कहा गया है। इसके अलावा उत्तराखंड में सैनिक रेस्ट हाऊसों को अलग-अलग रहने/क्वारंटाइन सुविधाओं के लिए तैयार किया गया है। गोवा में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है और पूर्व सैनिकों को स्थानीय प्रशासन की सहायता हेतु तैयार रहने के लिए कहा गया है।




कोविड-19 से लड़ने में युद्ध स्तर पर जुटे सीएसआईआर के वैज्ञानिक

कोविड-19 महामारी के संकट को देखते हुए यह सवाल पूछा जा रहा है कि इस जिद्दी वायरस से लड़ने के लिए भारत के वैज्ञानिक आखिर क्या कर रहे हैं! लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद की स्थितियों से निपटने में देश के वैज्ञानिकों का योगदान क्या हो सकता है? उनके प्रयासों से कौन से उपचार उभर सकते हैं? कोविड-19 वायरस से लड़ने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, डीआरडीओ और जैव प्रौद्योगिकी विभाग समेत देश के विभिन्न सार्वजनिक एवं निजी संस्थान कार्य कर रहे हैं। लेकिन, सार्वजनिक क्षेत्र के जिन संस्थानों से यह अपेक्षा सबसे अधिक की जा रही है, उनमें वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) अग्रिम पंक्ति में शामिल है।


विभिन्न क्षेत्रों की प्रौद्योगिकियों के विकास से जुड़ीं सीएसआईआर की 38  वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं का नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है, जो इस महामारी से लड़ने के लिए कार्य कर रही हैं। सीएसआईआर ने दो अलग-अलग योजनाओं के अंतर्गत कोविड-19 से निपटने के लिए शोध प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। पहली योजना के तहत शोध प्रस्ताव उद्योगों या स्टार्टअप कंपनियों से मंगाए गए हैं। भारत में पंजीकृत 50 प्रतिशत से अधिक भारतीय शेयरधारक कंपनियां इसके तहत शोध प्रस्ताव भेज सकती हैं। जिन कंपनियों के भारतीय शेयर 50 प्रतिशत से कम हैं और उनकी विनिर्माण इकाई भारत में है, वे भी इस योजना के अंतर्गत प्रस्ताव भेज सकती हैं। दूसरी योजना के अंतर्गत सीएसआईआर प्रयोगशालाओं से शोध प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं, ताकि किफायती और त्वरित डायग्नोस्टिक किट विकसित की जा सकें। इन दोनों योजनाओं के तहत शोध प्रस्ताव 5 अप्रैल तक भेजे जा सकते हैं।


कोरोना संक्रमण के संदिग्ध व्यक्तियों के नमूनों का परीक्षण प्रभावित लोगों की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन, परीक्षण उपकरण बहुत महंगे हैं, जिसके कारण इनकी पहुँच सीमित है। उदाहरण के लिए, आरटी-पीसीआर मशीन की कीमत सुविधाओं के आधार पर 10 से 20 लाख रुपये के बीच होती है। कोविड-19 से लड़ने के लिए सीएसआईआर के वैज्ञानिक कोराना के परीक्षण के लिए किफायती पेपर किट विकसित कर रहे हैं, जो क्षणों में ही वायरस की पहचान कर सकता है।


सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने बताया कि नई दिल्ली स्थित “जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान (आईजीआईबी) के वैज्ञानिक जल्दी ही कोराना के परीक्षण के लिए यह किट विकसित कर लेंगे। इस किट के उपयोग से जाँच की लागत सिर्फ 100 रुपये आएगी और इसकी मदद से कहीं पर भी कोरोना का परीक्षण किया जा सकेगा।” इसके साथ ही, सीएसआईआर सीरो-डायग्नोस्टिक्स (रक्त सीरम के अध्ययन पर आधारित निदान) भी ला रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी, कोलकाता और आईजीआईबी, नई दिल्ली के वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं।


कोविड-19 से निपटने के लिए सीएसआईआर पाँच सूत्रीय एजेंडा पर काम कर रहा है। इनमें बीमारी के खतरे और उसकी प्रकृति को समझने के लिए आणविक स्तर पर निगरानी, किफायती जाँच किट बनाना, दवा का विकसित करना, अस्पतालों व निजी सुरक्षा उपकरणों का विकास और चिकित्सकीय उपकरणों की आपूर्ति शामिल है। सीएसआईआर की कोर टीम, जिसमें इसकी प्रयोगशालाओं के आठ निदेशक शामिल हैं, महानिदेशक, डॉ शेखर मांडे के नेतृत्व में कोविड-19 से लड़ने के लिए काम कर रहे हैं।


कोविड-19 से जुड़े विभिन्न आयामों पर केंद्रित होकर कार्य करने के लिए सीएसआईआर ने कुछ कंपनियों के साथ करार भी किया है। इन कंपनियों में बीएचईएल और सिप्ला के अलावा टीसीएस शामिल है। किसी बीमारी के उभरने पर दूसरे रोगों में उपयोग होने वाली दवाओं का उपयोग उस बीमारी के उपचार के लिए किया जाता है। कोविड-19 से लड़ने के लिए भी इसी तरह की रणनीति अपनायी जा रही है। कम समय में दवाओं के उत्पादन के लिए सीएसआईआर नई प्रक्रियाएं विकसित कर रहा है। इसके लिए, सिप्ला जैसी दवा कंपनी और सॉफ्टवेयर जगत की दिग्गज कंपनी टीसीएस की लाइफ-साइंस विंग से करार किया गया है।


सीएसआईआर की तीन प्रयोगशालाओं – राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल), पुणे, केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई), लखनऊ और भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी), हैदराबाद के वैज्ञानिक दवा के विकास पर काम कर रहे हैं। इसके लिए दवा कंपनी सिप्ला और कैडिला जायडस से एमओयू किया गया है। दूसरी ओर, अस्पताल व निजी सुरक्षा उपकरण बनाने के लिए बीएचईएल के साथ मिलकर कार्य शुरू किया गया है। सीएसआईआर बीएचईएल के साथ मिलकर इलेक्ट्रोस्टेटिक-स्प्रेयर और 10 हजार रुपये से एक लाख रुपये तक के वेंटिलेटर विकसित कर रहा है। ये किफायती वेंटिलेटर हैं, जिनको विकसित करने का उद्देश्य देश के हर अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इसकी पहुँच को आसान बनाना है।


कोरोना वायरस के उपचार के लिए सीएसआईआर के सहयोग से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके टीसीएस नई रासायनिक संरचनाओं को डिजाइन कर रहा है। टीसीएस इनोवेशन लैब्स के एक ताजा शोध के अनुसार, उन्होंने "3CL प्रोटीज को रोकने में सक्षम नए छोटे अणुओं के डिजाइन के लिए "डीप न्यूरल नेटवर्क आधारित जेनरेटिव तथा प्रिडिक्टिव मॉडल का उपयोग किया है। इस तरह, उत्पन्न अणुओं का परीक्षण SARS-CoV-2 की 3CLप्रोटीज संरचना की बाइंडिंग साइट के खिलाफ किया गया है। शोधकर्ताओं ने SARS-CoV-2 के खिलाफ संश्लेषण और परीक्षण के लिए 31 संभावित यौगिकों की पहचान की है।


हैदराबाद स्थित कोशकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) कोविड-19 वायरस से संक्रमित लोगों से लिए गए नमूनों का संपूर्ण जीन अनुक्रमण कर रहा है। सीसीएमबी के निदेशक डॉ राकेश के मिश्रा ने कहा है कि "बड़े पैमाने पर जीनोम अनुक्रमण से हमें इस वायरस की प्रकृति, रूपांतरण की दर और प्रसार के संभावित मार्गों के बारे में समझने में मदद मिल सकती है।" जीनोम जीवों की आनुवंशिक सामग्री है और जीनोम अनुक्रमण जीवों के जीनोम की पहचान करने का विज्ञान है।


 


सीएसआईआर से संबद्ध कोलकाता स्थित एक अन्य प्रयोगशाला भारतीय रासायनिक जीवविज्ञान संस्थान (आईआईसीबी) के वैज्ञानिकों ने कोरोना प्रोटीन्स के खिलाफ "अवरोधक" खोजने के लिए एक शोध प्रस्ताव तैयार किया है। वैज्ञानिक ऐसे बायोकेमिकल का पता लगाना चाहते हैं, जो नये कोरोना वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोक सके। आईआईसीबी स्थानीय अस्पतालों को तकनीकी सहयोग और आरटी-पीसीआर मशीनें भी उपलब्ध करा रहा है। इन मशीनों का उपयोग जीन अभिव्यक्ति का अध्ययन करने के लिए किया जाता है, जो आनुवंशिक रोगों के निदान और ड्रग थेरेपी की निगरानी के लिए आवश्यक है।


 


मास्क और सैनेटाइजर का उपयोग कोविड-19 वायरस से सुरक्षा की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। कम कीमत में इसकी उपलब्धता को बनाए रखने के लिए सीएसआईआर गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) से संपर्क कर रहा है। सीएसआईआर ने कई ऐसी तकनीकें विकसित की हैं, जो बाजार में बिकने योग्य उत्पाद बनाने में ग्रामीणों के लिए मददगार हो सकती हैं। लॉकडाउन के बाद अपने घरों को लौट रहे प्रवासी कामगारों को स्थानीय स्तर पर इन प्रौद्योगिकियों के उपयोग से नये उत्पाद बनाकर आमदनी का अवसर मिल सकता है। कुछ स्थानों पर ग्रामीणों को मास्क और सैनेटाइजर जैसे उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है, जिसमें एनजीओ की भूमिका अहम हो सकती है। इस बीच सीएसआईआर की कई प्रयोगशालाएं सैनेटाइजर बनाकर वितरित कर रही हैं।


देश के विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा कोविड-19 को हराने के लिए किए जा रहे सैकड़ों प्रयासों की यह एक छोटी-सी झलक है, जो फलीभूत होती है, तो कोविड-19 को परास्त करना कठिन नहीं होगा।



भारत में कोविड-19 और लोगों के बीच फर्जी खबरों को फैलने से रोकने के लिए कदम उठाएं राज्य/संघ शासित क्षेत्र : गृह मंत्रालय

एक याचिका की सुनवाई के दौरान माननीय उच्चतम न्यायालय ने फर्जी खबरों के चलते बढ़ी परेशानियां और इस क्रम में प्रवासी कामगारों के व्यापक स्तर पर पलायन को गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने माना कि इससे लोगों को  बेवजह मुसीबतों का सामना करना पड़ा है।



न्यायालय की टिप्पणियों के क्रम में केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) सचिव श्री अजय कुमार भल्ला ने सभी राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को पत्र लिखकर फर्जी खबरों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा है। इसमें कहा गया कि भारत सरकार लोगों को तथ्यों और असत्यापित खबरों की पुष्टि की खबरों की सुविधा देने के लिए एक वेब पोर्टल तैयार कर रही है। राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों से इससे संबंधित समस्याओं के लिए अपने स्तर पर ऐसा ही एक तंत्र विकसित करने का अनुरोध भी किया गया है।


उच्चतम न्यायालय ने एनडीएमए/ एमएचए के निर्देशों के क्रम में खाना, दवाएं आदि बुनियादी सुविधाओं के प्रावधान सुनिश्चित करने और प्रवासी कामगारों के लिए बने आश्रय स्थलों में अन्य कल्याणकारी गतिविधियां उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार ने देश में कोविड 19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को दिशा-निर्देश/ परामर्श/ आदेश जारी किए हैं।




प्रधानमंत्री ने लोगों को रामनवमी की शुभकामनाएं दीं

  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रामनवमी के शुभ अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, 'रामनवमी के पावन अवसर पर समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। जय श्रीराम!'







 







पीआईबी ने बनाई कोविड 19 फैक्ट चेक यूनिट

पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने एक पोर्टल- कोविड 19 फैक्ट चेक यूनिट स्थापित की है, जो ईमेल से संदेशों को प्राप्त करेगा और जल्द इस पर प्रतिक्रिया भेजेगा। कोविड 19 पर सरकार के फैसलों और घटनाक्रमों व प्रगति से संबंधित जानकारी देने के लिए पीआईबी प्रतिदिन रात 8 बजे एक बुलेटिन भी जारी करेगा। पहला बुलेटिन आज शाम 6.30 बजे जारी किया गया था।


इसके अलावा, कोविड 19 के किसी भी तकनीकी पहलू पर आम जनता के मन में किसी भी संदेह को दूर करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एम्स के और अन्य पेशेवरों को साथ लेकर एक तकनीकी समूह की स्थापना की है। मंत्रालय ने प्रवासियों के मनोवैज्ञानिक मसलों से निपटने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश भी जारी किए हैं।


कैबिनेट सचिव ने आज सभी राज्य सरकारों को लिखकर सूचित किया कि कोविड 19 के प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर फैसला लेने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत विशिष्ट अधिकार प्राप्त 11 सशक्त समूहों का गठन किया गया है। राज्य स्तर पर भी इसी तरह का तंत्र स्थापित करने का अनुरोध किया गया है। राज्य सरकारों से यह भी अनुरोध किया गया है कि वे प्रवासियों की कल्याणकारी गतिविधियों की निगरानी के लिए स्वयंसेवकों को शामिल करें।



महिलाओं के लिए जारी किया गया विशेष हेल्पलाइन नंबर

दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता,रामपुर-लॉक डाउन के दौरान सभी प्रकार की आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई सुनिश्चित करने के दौरान महिलाओं की हितों का ध्यान रखते हुए जनपद में महिलाओं के लिए विशेष हेल्पलाइन शुरू की गई है। इस हेल्पलाइन पर आने वाली कॉल्स को महिलाएं सुनेंगी। इसके लिए महिलाएं हेल्पलाइन नम्बर 7535844422, 7247833311पर सुबह छह से रात के दस बजे के बीच कॉल कर सकती हैं। जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह ने बताया कि इस हेल्पलाइन नंबर पर केवल महिलाएं ही फोन कर सकती हैं। यदि किसी भी पुरुष ने गैर जरूरी कॉल किया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

लॉक डाउन मे कृषि क्षेत्र पर छूट से किसानो के चेहरे खिले

किसानों का मानना है कि कृषि क्षेत्र में छूट उत्तम है कि किसान अपने अपने खेतों मे काम करके लॉक डाउन का सही तरीके से पालन कर सके 1 सभी किसान अपने खेतों मे काम करके समय को सुचारू रूप से सदुपयोग कर रहे हैं
किसानो का कहना है कि लॉक डाउन होने से अगर कृषि पर छूट न होती तो सभी फसलों का सत्यानाश तय था किन्तु छूट होने के कारण अब सभी फसल सही समय से निरायी, गुड़आई, और बोआई हो सकती है सभी किसानो का मनाना है कि कृषि क्षेत्र मे छूट रहे तो किसी भी प्रकार का दिक्कत नहीं हो सकता है
कुछ किसानो से बात हुई जो इस प्रकार है मुन्ना लाल, रामकरन तिवारी, पृथी पाल वर्मा, जग प्रसाद वर्मा, कुल्लू तिवारी इत्यादि कृषक मौजूद रहे


 


ग्राम पंचायत पुरखीपुर मे राशन  वितरण के दुकान पर जिलाधिकारी का औचक निरीक्षण सूचना पाकर पहुंचे ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रमेश वर्मा

दैनिक अयोध्या टाइम्स  


धर्मेंद्र सिंह


कूरेभार सुल्तानपुर// जनपद सुल्तानपुर के विकासखंड कूरेभार के अंतर्गत ग्राम पंचायत पुरखीपुर राशन वितरण की दुकान पर जिलाधिकारी ने किया औचक निरीक्षण जिलाधिकारी द्वारा सूचना पाकर पहुंचे पुरखीपुर  ग्राम पंचायत के प्रधान प्रतिनिधि रमेश वर्मा प्रधान प्रतिनिधि रमेश वर्मा जी ने जिलाधिकारी के समक्ष ग्राम पंचायत की जनसमस्याओं  से एवं राशन वितरण संबंधित जानकारी  अवगत कराएं और राशन वितरण करवाएं ग्राम पंचायत की जनता से कोरोना वायरस जैसे महामारी से बचने के लिए अपील किए उन्होंने कहा कि सभी लोग अपने घरों में ही रहे   क्योंकि सावधानी ही बचाव है एवं भारत सरकार राज्य सरकार पुलिस प्रशासन के आदेशों का पूर्णतया पालन करें जिससे देश के सभी नागरिक सुरक्षित एवं स्वस्थ रहें


21 दिन लॉक डाउन के चलते मस्जिद, मंदिर, गुरुद्वारा चर्च जहां पर पब्लिक जमा होती है उन चीजों को बंद कराया गया

पुष्पेंद्र सिंह ब्यूरो चीफ दैनिक अयोध्या टाइम्स लखनऊ


सरकार के आदेश का हर धर्म के लोगों ने पालन किया उसको स्वीकार किया और हिंदुस्तानी होने की मिसाल पेश की। जिस तरह से करोना वायरस पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है, जिसके लखनऊ में भी लॉक डाउन का आदेश दिया गया। जहां हिंदू भाइयों ने अपनी पूजा को अपने नवरात्र को नहीं मनाया वही मुसलमान भाइयों ने भी आदेश का पालन करते हुए अपनी मस्जिदों को भी बंद कर घरों में नमाज पढ़ने का फैसला लिया। शिया सुन्नी समुदाय का आने वाला त्यौहार जिसे शबे बरात के नाम से जानते हैं उसको स्थगित करने का फैसला लिया। यह त्यौहार अरबी कैलेंडर के अनुसार 15 शाहबान को मनाया जाता है। यह त्यौहार शिया समुदाय के इमाम (इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम) के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। जो 14 शबाना की रात्रि से नाव सजाई जाती है जिसे सब बजरे के नाम से जानते हैं, जिसको गोमती नदी गांव घाट पर सजाया जाता है जो मेहंदी घाट के नाम से प्रसिद्ध है। जहां पर शिया समुदाय के लोग नाव पर नजर दिलाते हैं एक दूसरे को बधाई देते हैं और पटाखे जलाते हैं। वहीं दूसरी ओर शिया सुन्नी समुदाय के लोग अपने पूर्वजों की कब्र पर जाते हैं रोशनी कर फुल्हार चढ़ाते हैं इसको ही शबे बरात कहते हैं। इसमें रात भर लोगों का तांता लगा रहता है लोग इकट्ठा होते हैं। इसलिए बजरे यानी नाव को ना सजाने का फैसला कमेटी जहूर ए इमामत के सदर एस एम मेहजर एडवोकेट तमाम मेंबरान ने लिया। लोगों को अपने घर पर शबे बरात और शांति के साथ मनाने की अपील भी की।


पूरे जिले में कोरोना वायरस संक्रमित कोई मरीज नहीं डीएम

*विनय सिंह ब्यूरो चीफ बाराबंकी*


बाराबंकी: कोरोना वायरस से संक्रमित एक भी व्यक्ति अब तक जिले में नहीं पाया गया है। यह बात जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंगलवार की देर शाम कही है।डीएम ने बताया कि अब तक जिले में 11 लोगों के रक्त के नमूने लिए गए। सभी निगेटिव पाए गए हैं। 480 लोग जो बाहर से आए थे उन्हें होम क्वारेंटाइन (घर में रखा गया) किया गया। इनमें से एक व्यक्ति को होम क्वारेंटाइन से डिस्चार्ज किया गया। क्वारेंटाइन किए गए लोगों की निगरानी संबंधित क्षेत्र के एसडीएम, बीडीओ, सीएचसी अधीक्षक कर रहे हैं। उनके घर के बाहर डू नॉट विजिट (किसी से न मिलें) संबंधी सूचना भी चस्पा कर दी गई है। डीएम ने यह भी बताया कि दिल्ली से आठ आटो रिक्शा पर सवार जो 42 लोग जिले में आए उनकी जांच कराई गई। सभी का तापमान सामान्य पाए जाने पर होम क्वारेंटाइन के निर्देश दिए गए हैं। होम क्वारंटाइन किए गए लोगों में यदि कोई सर्दी, जुकाम, बुखार के लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें तत्काल इलाज के लिए स्वास्थ्य कर्मी को सूचित करना होगा।


कोरोना का कहर

कोरोना के कहर से कांप उठा संसार।

अब भी संभल जाओ दुनिया के लोगो,

वर्ना चारो और मच जाएगा हाहाकार।।

 

देशभक्ति की बाते करते - करते जो कभी नही थकते।

वही किसी के समझाने पर अपने घर क्यों नही रुकते।।

 

प्रशासन को सख्ती करने पर क्यों करते हो मजबूर।

कुछ दिन की बात है प्यारो,रह लो एक दूसरे से दूर।।

 

विकट विपदाओं के घेरे में भारत माता आज घिरी है।

संकट की घड़ी में एक - दूजे से दूरी ही आज भली है।।

 

आओ मिलकर पूरे विश्व को ऐसा कुछ कर दिखलाये।

पूरे  विश्व  मे  भारत  माता की जय जयकार हो जाये।।

 

बस  कुछ दिन घर रहकर अपने देश के काम आ जाओ।

दुनिया भर को गर्व तुम पर हो,ऐसा कुछ कर दिखलाओ।।