बिजनौर झालू दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता शुभम कुमार/ संभावित विधायक प्रत्याशी बढ़ापुर विधान सभा 19 ने बढ़ापुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम नूरपुर अरब मैं टूर्नामेंट का किया उद्घाटन फिर सैकड़ों लोगों के काफिले के साथ ग्राम प्रधान नसीम भाई के आवास पर एक जनसभा को संबोधित किया और फिर घेरा बनाकर किसान आंदोलन का आगाज किया तारापुर घड़ी गांवड़ी बढ़ापुर विधान सभा क्षेत्र के कई ग्रामीण क्षेत्रों में दौरा किया और समाजवादी पार्टी किसान घेरा आंदोलन का आगाज करते हुए समाजवादी पार्टी की नीतियों से अवगत कराया और भारतीय जनता पार्टी की जन विरोधी नीतियों का बखान करते हुए भारतीय जनता पार्टी को आने वाले 2022 के चुनाव में जड़ से उखाड़ फेंकने का निर्णय लिया बताते चले जावेद राइन पहले से ही हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक रहे हैं और बढ़ापुर विधान सभा क्षेत्र के सभी गांव में मजबूत पकड़ रखने वाले हिंदू मुस्लिम सभी समुदाय के लोगों के दिलों पर राज करने वाले जावेद राइन को सभी लोगों का बेतहाशा प्यार मिल रहा है और सभी क्षेत्र के ग्राम के लोगों की आवाज उठाने का काम जावेद राइन पिछले 8 वर्षों से कर रहे हैं और क्षेत्र में सभी लोग उनको भरपूर प्यार दे रहे हैं इसी के चलते जावेद राइन ने ग्राम नूरपुर अरब में एक टूर्नामेंट का उद्घाटन किया जहां पूरी टीम को पुरस्कार भी दिया गया जावेद राइन की ओर सम्मानित भी किया गया फिर उसके बाद बड़े काफिले के साथ सपा नेता जावेद राइन ने कई गांवों का भ्रमण किया और लोगों की समस्या जानी और किसान घेरा आंदोलन का आगाज किया भारतीय जनता पार्टी जनविरोधी सरकार की जनविरोधी नीतियों से लोगों को अवगत कराया किसानों के विरोध में काला कानून जो किसान विरोधी है उस से लोगों को अवगत कराया और समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में हुए किसान के हित में कार्य करवाएं और जनहित में जितने भी कार्य समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी ने किए लोगों को गिनना कर उन्हें संकल्प दिलाया आने वाले 2022 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी दोबारा से मुख्यमंत्री बनाने का लिया संकल्प माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव पूर्व मुख्यमंत्री एवं भावी मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष आदेशानुसार श्री जावेद राइन ने आज विधानसभा क्षेत्र के कई गांव का भ्रमण किया और किसानों का घेरा बनाकर किसान आंदोलन को सफल बनाया इस मौके पर समाजवादी पार्टी के पूर्व ब्लाक बुंदू भाई अयूब भाई इब्राहिम भाई और किधर है मुर्तुजा भाई शरीफ साहब इकबाल भाई अजर भाई मुन्ना प्रधान जी प्रभारी आबिद खान साहब तकी रिजवी साहब जुनैद भाई साहब अखलाक भाई पप्पू गुर्जर पंडित अरुण कुमार जी राम अवतार सैनी जी मुन्ना राइन साहब आदि मौजूद रहे
Saturday, December 26, 2020
बढ़ापुर विधान सभा क्षेत्र के ग्राम नूरपुर अरब में कद्दावर नेता जावेद राइन पूर्व जिला अध्यक्ष समाजवादी पार्टी ने कबड्डी टूर्नामेंट का उद्घाटन किया
हॉलीडे होम्स, 5 अशोक रोड जैसे सामाजिक समारोह स्थलों की बुकिंग, एक लाख से अधिक सरकारी रिहायशी आवासों के आवंटन को एक प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया
नागरिकों के जीवन की सुगमता सुनिश्चित करते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के उद्देश्य के अनुरूप सम्पदा निदेशालय, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने आज एक नया वेब पोर्टल और मोबाइल एप –ई-सम्पदा राष्ट्र को समर्पित किया। यह नया एप्लीकेशन एक लाख से ज्यादा सरकारी रिहायशी आवासों के आवंटन, 28 शहरों में स्थित 45 कार्यालय परिसरों में सरकारी संगठनों के लिए कार्यालय के स्थान का आवंटन, 1,176 हॉलीडे होम रूम्स तथा सामाजिक समारोहों के लिए 5 अशोक रोड जैसे स्थलों की बुकिंग आदि जैसी सभी सेवाओं के लिए सिंगल विंडो उपलब्ध कराता है।
‘एक देश, एक प्रणाली’ उपलब्ध कराने के प्रयास के तहत सम्पदा निदेशालय की पहले की चार वेबसाइट्स (gpra.nic.in, eawas.nic.in, estates.gov.in, holidayhomes.nic.in) और दो मोबाइल एप्स (m-Awas& m-Ashoka5) को एक में एकीकृत कर दिया गया है, जिससे देश भर में सभी सेवाओं को एक ही मंच पर उपलब्ध कराने का मार्ग प्रशस्त होता है। आवास एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने आज यहां आवास एवं शहरी कार्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी की यह वेबसाइट और मोबाइल एप लॉन्च किया।
वर्चुअल माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में मीडिया को संबोधित करते हुए श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि, यह विभिन्न भूसंपत्ति सेवाओं जैसे आवंटन, अवधारण, नियमितीकरण और अदेयता प्रमाणपत्र आदि प्रदान करने में पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
श्री पुरी ने कहा कि, ई-सम्पदा का विकास विभिन्न प्रक्रियाओं को सरल बनाने और पूरे भारत में इस प्रणाली में एकरूपता लाने के लिए किया गया है। यह सुविधा भारत सरकार के अधिकारियों / विभागों के लिए जीवन को आसान बनाने में मदद करेगी क्योंकि इसके तहत सभी सेवाओं का एकल खिड़की पर ऑनलाइन लाभ उठाया जा सकता है, साथ ही आवेदनों की लाइव ट्रैकिंग भी की जा सकती है। परिसंपत्तियों के उपयोग तथा सेवाओं के वितरण पर वास्तविक समय की जानकारी ही संसाधनों के सर्वोत्कृष्ट उपयोग की सुविधा प्रदान करेगी। स्वचालित प्रक्रियाओं से मानवीय हस्तक्षेप में कमी आएगी और इससे पारदर्शिता में वृद्धि भी होगी।
मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि, ई-सम्पदा के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को विशिष्ट डैशबोर्ड, सेवा उपयोग संग्रह और लाइसेंस शुल्क एवं बकाया राशि की वास्तविक सामयिक स्थिति की जानकारी जैसी विशेष सुविधाएं प्राप्त होती हैं। सभी प्रकार के भुगतान तथा बकाया राशि को डिजिटल मोड के माध्यम से नकदीरहित जमा किया जा सकता है। ई-सम्पदा यूजर फ्रेंडली है और डिवाइस उपयोगकर्ता के काफी अनुकूल है। इसका प्रयोग करने वालों को सेवाओं का दृश्य अनुभव होगा और वे ऑनलाइन प्रतिक्रिया दे पाएंगे।
यह पोर्टल पूरे भारत में उपयोगकर्ताओं को शिकायतों को दर्ज करने, दस्तावेज प्रस्तुत करने और वर्चुअल सुनवाई में उपस्थित होने के लिए ऑनलाइन सुविधा प्रदान करता है। यह प्रशासनिक लागत में कमी लाएगा तथा डायरेक्टरेट ऑफ़ एस्टेट के चक्कर लगाने में व्यय होने वाले समय को कम करेगा और संसाधनों को बचाएगा। उपयोगकर्ता के बेहतर अनुभव के लिए ई-सम्पदा मोबाइल ऐप और चैटबोट सुविधा प्रदान की गई है। अधिकारियों के लिए सेवा स्तर बेंचमार्क और गतिविधि लॉग भी जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए शामिल किए गए हैं।
पूरे भारत में सभी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए ई-सम्पदा: ऑनलाइन, पेपरलेस, कैशलेस है।
• 40 स्थानों पर 1,09,474 सरकारी आवासीय आवास
• 28 स्थानों पर 45 कार्यालय परिसरों में 1.25 करोड़ वर्ग फुट ऑफिस स्पेस अलॉटमेंट
• 62 स्थानों पर 1,176 हॉलिडे होम रूम / सुइट
• विज्ञान भवन की बुकिंग
• सामाजिक कार्यों के लिए प्रतिष्ठानों की बुकिंग
नया वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप एनआईसी द्वारा विकसित किया गया है। मोबाइल ऐप एंड्रॉइड के साथ-साथ आईओएस प्लेटफॉर्म के लिए भी उपलब्ध होगा। वेब पोर्टल www.esampada.mohua.gov.in से इस सुविधा तक पंहुचा जा सकता है और मोबाइल ऐप को एंड्रॉइड प्ले स्टोर / ऐप्पल ऐप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी की
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी कर दी है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज एक बटन पर क्लिक से देश में 9 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खातों में सीधे 18,000 करोड़ रुपये जमा हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के शुरू होने के बाद से अब तक किसानों के खातों में 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये पहुंच चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर दु:ख जताया कि पश्चिम बंगाल के 70 लाख से ज्यादा किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि बंगाल के 23 लाख से ज्यादा किसानों ने इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है। लेकिन राज्य सरकार ने लंबे समय से सत्यापन प्रक्रिया पर रोक लगा रखी है। उन्होंने कहा कि जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के हित में नहीं बोलते हैं, वे यहां दिल्ली आकर किसानों के बारे में बात करती हैं। उन्होंने कहा कि इन दलों को आजकल एपीएमसी-मंडियों की चिंता सता रही है, लेकिन ये दल बार-बार यह भूल जाते हैं कि केरल में एपीएमसी मंडियां नहीं हैं और इन लोगों ने केरल में कभी आंदोलन नहीं किए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों की लागत घटाने के लक्ष्य पर काम किया है। उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड, यूरिया की नीम कोटिंग, सौर पम्पों के वितरण की योजना जैसी सरकार की कुछ किसान केन्द्रित पहल गिनाईं, जिनसे किसानों की लागत घटाने में सहायता मिली। उन्होंने कहा, सरकार ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि किसानों को एक बेहतर फसल बीमा सुरक्षा मिले। आज, करोड़ों किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ मिल रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, सरकार ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि देश के किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि सरकार ने लंबे समय से अटकी स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के तहत किसानों के लिए उत्पादन लागत की तुलना में डेढ़ गुना एमएसपी तय किया। उन्होंने कहा कि उन फसलों की संख्या भी बढ़ गई है, जिनके लिए एमएसपी उपलब्ध है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का फसलों की बिक्री को किसानों के लिए नए बाजार खोलने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश की एक हजार से ज्यादा कृषि मंडियों को ऑनलाइन जोड़ दिया है। इनमें से एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हो चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार ने छोटे किसानों के समूह बनाने की दिशा में काम किया है, जिससे वे अपने क्षेत्र में एक सामूहिक बल के रूप में काम कर सकते हैं। आज, देश में 10,000 से ज्यादा किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की स्थापना का काम जारी है, जिन्हें आर्थिक सहायता दी जा रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज किसानों को पक्के मकान, शौचालय और पाइप से स्वच्छ पेयजल मिल रहा है। उन्हें मुफ्त बिजली कनेक्शन, मुफ्त गैस कनेक्शन से काफी फायदा हुआ है। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 5 लाख रुपये तक के मुफ्त उपचार से किसानों के जीवन की बड़ी चिंता कम हो गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन कृषि सुधारों से किसानों को बेहतर विकल्प उपलब्ध कराए गए हैं। इन कानूनों के बाद किसान अपनी मर्जी से कहीं भी अपनी उपज बेच सकते हैं। वे जहां भी अच्छा मूल्य मिले, वहां पर अपनी उपज बेच सकते हैं। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के बाद किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकते हैं या बाजार में बेच सकते हैं या निर्यात कर सकते हैं या किसी व्यापारी को बेच सकते हैं, या किसी अन्य राज्य में बेच सकते हैं, या एफपीओ के माध्यम से बेच सकते हैं या बिस्कुट, चिप्स, जैम, अन्य उपभोक्ता उत्पादों की मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बन सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दूसरे क्षेत्रों में निवेश और नवाचार में सुधार हुआ है, आमदनी बढ़ी है और उन क्षेत्रों में ब्रांड इंडिया की स्थापना हुई है। उन्होंने कहा कि अब दुनिया के कृषि बाजारों में समान प्रतिष्ठा के साथ ब्रांड इंडिया की स्थापना का वक्त आ गया है।
प्रधानमंत्री ने देश के सभी किसानों का आभार प्रकट किया, जिन्होंने कृषि सुधारों को पूरा समर्थन दिया और स्वागत किया तथा भरोसा दिलाया कि वह उन्हें कभी निराश नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों, जिन्होंने हाल में असम, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर में स्थानीय चुनावों में भाग लिया, ने उन सभी दलों को खारिज कर दिया जिन्होंने किसानों को गुमराह किया है।
आईआईएसएफ 2020 के अनूठे कार्यक्रम ‘प्रदर्शन कलाएं एवं विज्ञान’ में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने भारत में विज्ञान और विभिन्न प्रदर्शन कलाओं के बीच समन्वय की जरूरत पर बल दिया
भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के छठे संस्करण में 13 नए कार्यक्रम शामिल किए गए हैं। ‘विज्ञान एवं प्रदर्शन कलाएं’ उनमें से एक है। यह कार्यक्रम समकालीन विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में गायन, वाद्य संगीत एवं नृत्य पर केन्द्रित विभिन्न प्रदर्शन कला रूपों के पीछे के तर्क का पता लगाने का एक प्रयास है। यह उन वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, कलाकारों, कला साधकों और छात्रों के लिए एक उपयुक्त मंच है, जो 'भारतीय संगीत' के विविध आयामों की मदद से ब्रह्माण्ड में झांकना चाहते हैं।
इस कार्यक्रम में बोलते हुए, सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने कहा कि आईआईएसएफ भारत की वैज्ञानिक संपदा का उत्सव है। इसलिए, ‘विज्ञान और प्रदर्शन कलाओं’ से जुड़े विभिन्न सत्रों के जरिएहम समकालीन विज्ञान के आलोक में गायन, वाद्य संगीत एवं नृत्य पर केन्द्रित विभिन्न प्रदर्शन कला रूपों के पीछे के तर्क को खोजने और परखने का प्रयास करेंगे। डॉ. मांडे ने इस अनूठे किस्म के अध्ययन में रुचि लेने के लिए कार्यक्रम के सभी प्रतिभागियों को बधाई दी।
इस सत्र का उद्घाटन करते हुए, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे, सांसद, राज्यसभा एवं शिक्षा पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष ने भारत में विज्ञान और विभिन्न प्रदर्शन कलाओं के बीच समन्वय की जरुरत पर जोर दिया। उन्होंने इस क्षेत्र में अनुसंधान की अपार संभावनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने छात्रों को इस विषय पर शोध कार्य करने के लिए प्रोत्साहित भी किया।
संसद सदस्य (राज्य सभा), प्रख्यात विद्वानएवं पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. सोनल मानसिंह ने विज्ञान और सभी कला रूपों, विशेषकर नृत्य के प्रति अपने विद्वत्तापूर्ण दृष्टिकोण और वैज्ञानिक अवधारणाओं से जुड़े कलात्मक रवैये से दर्शकों को परिचित कराया।
विजनान भारती की ओर से इस विशेष कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. मानसी मलगांवकर ने धन्यवाद ज्ञापन किया और इस सत्र का संचालन डॉ. सुचेता नाइक ने किया। अन्य सत्रों में, डॉ. जयंती कुमारेश ने वीणा के वैज्ञानिक पहलुओं पर और डॉ. पद्मजा सुरेश ने नटराज के आनंद तांडव में कंपन के बारे में व्याख्यान दिया। डॉ. पद्मजा ने नृत्य के जरिए विभिन्न वैज्ञानिक अवधारणाओं को समझाया। डॉ. संगीता शंकर तथा श्री सुधीन प्रभाकर के साथ एक संवाद सत्र और सुश्री नंदिनी शंकर द्वारा वायलिन के मधुर वादन का भी आयोजन किया गया।
पीएम-किसान के तहत अगली किस्त जारी करने के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूलपाठ
देशभर से जुड़े मेरे किसान भाई बहन, इस कार्यक्रम में देश में अलग अलग स्थानों से जुड़े केंद्र सरकार के मंत्रीमंडल, राज्य सरकारों के मंत्रीगण, पंचायत से लेकर के Parliament तक चुने हुए सारे जन प्रतिनिधि और सब गांवों में जाकर के किसानों के बीच में बैठे हैं मैं आप सबको और मेरे मेरे किसान भाईयों और बहनो को मेरी तरफ से नमस्कार।
किसानों के जीवन में खुशी, ये हम सभी की खुशी बढ़ा देती है और आज का दिवस तो बहुत ही पावन दिवस भी है। किसानों को आज जो सम्मान निधि मिली है, उसके साथ ही आज का दिन कई अवसरों का संगम बनकर भी आया है। सभी देशवासियों को आज क्रिसमस की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मेरी कामना है क्रिसमस का ये त्योहार, विश्व में प्रेम, शांति और सद्भाव का प्रसार करे।
साथियों,
आज मोक्षदा एकादशी है, गीता जयंति है। आज ही भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय जी की जयंति भी है। देश के महान कर्मयोगी, हमारे प्रेरणा पुरुष स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की भी आज जन्म जयंति है। उनकी स्मृति में आज देश गुड गवर्नेंस डे भी मना रहा है।
साथियों,
अटल जी ने गीता के संदेशों के अनुरूप जीवन जीने का लगातार प्रयास किया। गीता में कहा गया है कि स्वे स्वे कर्मणि अभिरत: संसिद्धिम् लभते नरः। यानि जो अपने स्वाभाविक कर्मों को तत्परता से करता है, उसे सिद्धि मिलती है। अटल जी ने भी अपना पूरा जीवन राष्ट्र के प्रति अपने कर्म को पूरी निष्ठा से निभाने में समर्पित कर दिया। सुशासन को, गुड गवर्नेंस को अटल जी ने भारत के राजनीति और सामाजिक विमर्श का हिस्सा बनाया। गांव और गरीब के विकास को अटल जी ने सर्वोच्च प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हो या फिर स्वर्णिम चतुर्भुज योजना हो, अंत्योदय अन्न योजना हो या फिर सर्व शिक्षा अभियान हो, राष्ट्रजीवन में सार्थक बदलाव लाने वाले अनेक कदम अटल जी ने उठाए। आज पूरा देश उनको स्मरण कर रहा है, अटल जी को नमन कर रहा है। आज जिन कृषि सुधारों को देश ने ज़मीन पर उतारा है, उनके सूत्रधार भी एक प्रकार से अटल बिहारी वाजपेयी भी थे।
साथियों,
अटल जी गरीब के हित में, किसान के हित में बनने वाली सभी योजनाओं में होने वाले भ्रष्टाचार को राष्ट्रीय रोग मानते थे। आप सबको याद होगा, उन्होंने एक बार पहले की सरकारों पर कटाक्ष करते हुए एक पूर्व प्रधानमंत्री की बात याद दिलाई थी और उनको याद दिलाते हुए उन्होंने कहा था- रुपया चलता है तो घिसता है, रुपया घिसता है, हाथ में लगता है और धीरे से जेबों में चला जाता है। मुझे संतोष है कि आज ना रुपया घिसता है और ना ही किसी गलत हाथ में लगता है। दिल्ली से जिस गरीब के लिए रुपया निकलता है वो उसके बैंक खाते में सीधा पहुंचता है। अभी हमारे कृषि मंत्री नरेंद्र जी तोमर ने इसके विषय में विस्तार में हमारे सामने रखा है। पीएम किसान सम्मान निधि इसका ही एक उत्तम उदाहरण है।
आज देश के 9 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधे, एक कम्प्यूटर के क्लिक से 18 हज़ार करोड़ रुपए से भी ज्यादा रकम उनके किसानों के बैंक के खाते में जमा हो गए हैं। जब से ये योजना शुरू हुई है, तब से 1 लाख, 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं और यही तो गुड गवर्नेंस है। यही तो गुड गवर्नेंस टेक्नोलॉजी के द्वारा उपयोग किया गया है। 18 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए पल भर में, कुछ ही पल में सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा हो गए हैं। कोई कमीशन नहीं, कोई कट नहीं, कोई हेराफेरी नहीं। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए पीएम किसान सम्मान योजना में ये सुनिश्चित किया गया है कि लीकेज न हो। राज्य सरकारों के माध्यम से किसानों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होने के बाद, उनके आधार नंबर और बैंक खातों का वेरिफिकेशन होने के बाद इस व्यवस्था का निर्माण हुआ है। लेकिन, मुझे आज इस बात का अफसोस भी है कि पूरे हिन्दुस्तान के किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है, सभी विचारधारा की सरकारें इससे जुड़ी हैं। लेकिन, एकमात्र पश्चिम बंगाल सरकार वहां के 70 लाख से अधिक किसान, मेरे किसान भाई-बहन बंगाल के, इस योजना के वो लाभ नहीं ले पा रहे हैं। उनको ये पैसे नहीं मिल पा रहे हैं क्योंकि बंगाल की सरकार अपने राजनीतिक कारणों से उनके राज्य के किसानों को भारत सरकार से पैसा जाने वाला है, राज्य सरकार को एक कौड़ी का खर्चा नहीं है फिर भी वो पैसे उनको नहीं मिल रहे हैं। कई किसानों ने भारत सरकार को सीधी चिट्ठी भी लिखी है, उसको भी वह मान्यता नहीं देते हैं यानि आप कल्पना कर सकते हैं कितने लाखों किसानों ने लाभ लेने के लिए, योजना के लिए अर्जी की ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं लेकिन वहां की राज्य सरकार उसको भी अटका कर के बैठ गई है।
भाईयों-बहनों,
मैं हैरान हूं और ये बात आज मैं देशवासियों के सामने बड़े दर्द के साथ, बड़ी पीड़ा के साथ कहना चाहता हूं जो लोग 30-30 साल तक बंगाल में राज करते थे, एक ऐसी राजनीतिक विचारधारा को लेकर के बंगाल को कहां से कहां लाकर के उन्होंने हालत करके रखी है, सारा देश जानता है और ममता जी के 15 साल पुराने भाषण सुनोगे तो पता चलेगा कि इस राजनीतिक विचारधारा ने बंगाल को कितना बर्बाद कर दिया था। अब ये कैसे लोग हैं, बंगाल में उनकी पार्टी है, उनका संगठन है, 30 साल सरकार चलाई है, कितने लोग होंगे उनके पास? एक बार भी इन लोगों ने किसानों को ये 2 हजार रुपया मिलने वाला कार्यक्रम है बंगाल के अंदर कोई आंदोलन नहीं चलाया, अगर आपके दिल में किसानों के लिए इतना प्यार था, बंगाल में आपकी धरती है, तो आपने बंगाल में किसानों को न्याय दिलाने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के पैसे किसानों को मिले इसके लिए क्यों आंदोलन नहीं किये? क्यों आपने कभी आवाज नहीं उठाई? और आप वहां से उठकर के पंजाब पहुंच गए, तब सवाल उठता है और पश्चिम बंगाल की सरकार भी देखिए अपने राज्य में इतना बड़ा किसानों को लाभ 70 लाख किसानों को इतना धन मिले, हजारों करोड़ रुपया मिले, वो देने में उनको राजनीति आड़े आते है लेकिन वहीं पंजाब जाकर के जो लोग के साथ वो बंगाल में लड़ाई लड़ते हैं, यहां आकर के उनसे गुपचुप करते हैं। क्या देश की जनता इस खेल को नहीं जानती है? क्या देश की जनता को इस खेल का पता नहीं है? जो आज विपक्ष में हैं, उनकी इस पर जुबान क्यों बंद हो गई है? क्यों चुप हैं?
साथियों,
आज जिन राजनीतिक दलों के लोग अपने आप को इस राजनीतिक प्रवाह में जब देश की जनता ने उन्हें नकार दिया है तो कुछ न कुछ ऐसे event कर रहे हैं, event management हो रहा है ताकि कोई सैल्फी ले ले, कोई फोटो छप जाए, कहीं टी.वी. पर दिखाई दें और उनकी राजनीति चलती जाए, अब देश ने उन लोगों को भी देख लिया है। ये देश के सामने एक्सपोज हो गए हैं। स्वार्थ की राजनीति का एक भद्दा उदाहरण हम बहुत बारिकी से देख रहे हैं। जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के अहित पर कुछ नहीं बोलते, वो यहां दिल्ली के नागरिकों को परेशान करने में लगे हुए हैं। देश की अर्थ नीति को बर्बाद करने में लगे हुए हैं और वो भी किसान के नाम पर, इन दलों को आपने सुना होगा मंडियां-मंडियां बोल रहे हैं, APMC की बात कर रहे हैं और बड़ी-बड़ी headline लेने के लिए भाषण कर रहे हैं। लेकिन ये दल, वही दल, वही झंडे वाले, वही विचारधारा वाले जिन्होंने बंगाल को बर्बाद किया। केरल के अंदर उनकी सरकार है, इसके पहले जो 50 साल 60 साल तक देश पर राज करते थे उनकी सरकार थी। केरल में APMC नहीं हैं, मंडियां नहीं हैं। मैं जरा इनको पूछता हूँ यहां फोटो निकालने के कार्यक्रम करते हैं अरे केरल में आंदोलन करके वहां तो APMC चालू करवाओ। पंजाब के किसानों को गुरमराह करने के लिए आपके पास समय है, केरल के अंदर यह व्यवस्था नहीं है, अगर ये व्यवस्था अच्छी है तो केरल में क्यों नहीं है? क्यों आप दोगुली नीति लेकर के चल रहे हो? ये किस तरह की राजनीति कर रहे हैं जिसमें कोई तर्क नहीं है, कोई तथ्य नहीं है। सिर्फ झूठे आरोप लगाओ, सिर्फ अफवाहे फैलाओ, हमारे किसानों को डरा दो और भोले-भाले किसान कभी-कभी आपकी बातों में गुमराह हो जाते हैं।
भाईयों-बहनों,
ये लोग लोकतंत्र के किसी पैमाने को, किसी पैरामीटर को मानने को तैयार नहीं हैं। इन्हें सिर्फ अपना लाभ, अपना स्वार्थ नजर आ रहा है और मैं जितनी बाते बता रहा हूँ, किसानों के लिए नहीं बोल रहा हूँ, किसानों के नाम पर अपने झंडे लेकर के जो खेल खेल रहे हैं अब उनको ये सच सुनना पड़ेगा और हर बात को किसानों को गाली दी, किसानों को अपमानित किया ऐसे कर-कर के बच नहीं सकते हो आप लोग। ये लोग अखबारों और मीडिया में जगह बनाकर राजनीतिक मैदान में खुद के जिंदा रहने की जड़ी-बूटी खोज रहे हैं। लेकिन देश का किसान उसको पहचान गया है अब देश को किसान उनको ये जड़ी-बूटी कभी देने वाला नहीं है। कोई भी राजनीति, लोकतंत्र में राजनीति करने का उनका हक है, हम उसका विरोध नहीं कर रहे। लेकिन निर्दोष किसानों की जिंदगी के साथ न खेलें, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें, उन्हें गुमराह न करें, भ्रमित न करें।
साथियों,
ये वही लोग हैं, जो बरसों तक सत्ता में रहे। इनकी नीतियों की वजह से देश की कृषि और किसान का उतना विकास नहीं हो पाया, जितना उसमें सामर्थ्य था। पहले की सरकारों की नीतियों की वजह से सबसे ज्यादा बर्बाद वो किसान हुआ जिसके पास न तो ज्यादा जमीन थी, न ज्यादा संसाधन। इस छोटे किसान को बैंकों से पैसा नहीं मिलता था, क्योंकि उसके पास तो बैंक खाता तक नहीं था। पहले के समय में जो फसल बीमा योजना थी, उसका लाभ भी इन छोटे किसानों के लिए तो कहीं नाम और निशान ही नहीं था, कोई इक्का-दुक्का कहीं मिल जाता था तो अलग बात है। एक छोटे किसान को खेत सींचने के लिए न पानी मिलता था, न बिजली मिलती थी। वो हमारा बेचारा गरीब किसान अपना खून-पसीना लगाकर वो खेत में जो पैदा भी करता था, उसे बेचने में भी उसकी हालत खराब हो जाती थी। इस छोटे किसान की सुध लेने वाला कोई नहीं था। और आज मैं देशवासियों को फिर याद दिलाना चाहता हूं, देश में इन किसानों की संख्या छोटी नहीं है, जिनके साथ ये अन्याय किया गया है ना ये संख्या 80 प्रतिशत से ज्यादा किसान इस देश में हैं, करीब-करीब 10 करोड़ से भी ज्यादा। जो इतने वर्षों तक सत्ता में रहे उन्होंने इन किसानों को अपने हाल पर छोड़ दिया था। चुनाव होते रहे, सरकारें बनती रहीं, रिपोर्ट्स आती रहीं, आयोग बनते रहे, वादे करो, भुला दो, करो, भुला दो, यही सब हुआ, लेकिन किसान की स्थिति नहीं बदली। नतीजा क्या हुआ? गरीब किसान और गरीब होता गया। क्या देश में इस स्थिति को बदलना आवश्यक नहीं था?
मेरे किसान भाइयों और बहनों,
2014 में सरकार बनने के बाद, हमारी सरकार ने नई अप्रोच के साथ काम करना शुरू किया। हमने देश के किसान की छोटी-छोटी दिक्कतों और कृषि के आधुनिकीकरण, उसे भविष्य की जरूरतों के लिए तैयार करने, दोनों पर एक साथ ध्यान दिया। हम बहुत सुनते थे कि उस देश में खेती इतनी आधुनिक है, वहां का किसान इतना समृद्ध है। कभी इज़राइल का उदाहरण सुनते रहते थे, हमने दुनिया भर में कृषि क्षेत्र में क्या क्रांति आई है, क्या बदलाव आए हैं, क्या नए initiative आए हैं, क्या अर्थव्यवस्था के साथ कैसे जोड़ा है, सारी चीजों को गहन अध्ययन किया। इसके बाद हमने अपने अलग-अलग लक्ष्य बनाए और सभी पर एक साथ काम शुरू किया। हमने लक्ष्य बनाकर काम किया कि देश के किसानों का खेती पर होने वाला खर्च कम हो- Input Cost ये कम हो, उसका खर्चा कम हो। सॉयल हेल्थ कार्ड, यूरिया की नीम कोटिंग, लाखों की संख्या में सोलर पंप, ये सब योजनाएं उनका Input Cost कम करने के लिए एक के बाद एक उठाई। हमारी सरकार ने प्रयास किया कि किसान के पास एक बेहतर फसल बीमा कवच हो। आज देश के करोड़ों किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ हो रहा है।
और मेरे प्यारे किसान भाईयों और बहनों,
अभी जब मैं किसाना भाईयों से बात कर रहा था तो मुझे हमारे महाराष्ट्र के लातूर जिले के गणेश जी ने बताया कि ढाई हजार रुपया उन्होंने दिया और चौवन हजार रुपया करीब-करीब मिला। मामूली प्रीमियम के बदले किसानों को पिछले एक साल में 87 हज़ार करोड़ रुपए क्लेम राशि मिली है, 87 हजार यानि करीब-करीब 90 हजार करोड़। मामूली प्रीमियम दिया किसानों ने, मुसीबत के समय ये फसल बीमा उनको काम आया। हमने इस लक्ष्य पर भी काम किया कि देश के किसान के पास खेत में सिंचाई की पर्याप्त सुविधा हो। हम दशकों पुरानी सिंचाई योजनाएं पूरी कराने के साथ ही देशभर में per drop more crop के मंत्र के साथ माइक्रो इरिगेशन को भी बढ़ावा दे रहे हैं और मुझे खुशी हुई अभी तमिलनाडु के हमारे सुब्रम्णयम जी मुझे बता रहे थे कि उन्होंने माइक्रो इरिगेशन से ड्रिप इरिगेशन से पहले एक एकड़ का काम होता था, तीन एकड़ का हुआ और पहले से ज्यादा एक लाख रुपये ज्यादा कमाया, माइक्रो इरिगेशन से।
साथियों,
हमारी सरकार ने प्रयास किया कि देश के किसान को फसल की उचित कीमत मिले। हमने लंबे समय से लटकी स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, लागत का डेढ़ गुना MSP किसानों को दिया। पहले कुछ ही फसलों पर MSP मिलती थी, हमने उनकी भी संख्या बढ़ाई। पहले MSP का ऐलान अखबारों में छोटी सी जरा जगह बनाना, खबर के तौर पर छपता था। किसानों तक लाभ नहीं पहुंचता था, कहीं तराजू ही नहीं लगते थे और इसलिए किसान के जीवन में कोई बदलाव ही नहीं आता था। अब आज MSP पर रिकॉर्ड सरकारी खरीद कर रहे हैं, किसानों की जेब में MSP का रिकॉर्ड पैसा पहुंच रहा है। जो आज किसानों के नाम पर आंदोलन कर रहे हैं वो जब उनका समय था, तब चुप मारकर बैठे हुए थे। ये जितने लोग आंदोलन चला रहे हैं ना, ये वो सरकार के हिस्सेदार थे, समर्थन करते थे और यही लोग स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के ऊपर बैठ गये थे, सालों तक बैठ गये थे। हमने आके निकाला क्योंकि हमारे दिल में किसान की जिन्दगी का भला करना, उनका कल्याण करना, ये हमारा जीवन का मंत्र है इसलिए कर रहे हैं।
साथियों,
हम इस दिशा में भी फसल बेचने के लिए किसान के पास सिर्फ एक मंडी नहीं बल्कि उसको विकल्प मिलना चाहिए, बाजार मिलना चाहिए। हमने देश की एक हजार से ज्यादा कृषि मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा। इनमें भी एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार किसानों ने कर दिया है। किसानों ने ऑनलाईन बेचना शुरू किया है।
साथियों,
हमने एक और लक्ष्य बनाया कि छोटे किसानों के समूह बनें ताकि वो अपने क्षेत्र में एक सामूहिक ताकत बनकर काम कर सकें। आज देश में 10 हजार से ज्यादा किसान उत्पादक संघ- FPO बनाने का अभियान चल रहा है, उन्हें आर्थिक मदद दी जा रही है। अभी हम महाराजगंज के रामगुलाबजी से सुन रहे थे, 300 के करीब किसानों को इकट्ठा किया है उन्होंने और पहले की तुलना में ढेड़ गुना भाव से माल बेचना शुरू हुआ है। FPO बनाया उन्होंने, वैज्ञानिक तरीके से खेती में मदद ली और आज उनको फायदा हो रहा है।
साथियों,
हमारे कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी आवश्यकता है गांव के पास ही भंडारण, कोल्ड स्टोरेज इसकी आधुनिक सुविधा कम कीमत पर हमारे किसानों को उपलब्ध हो। हमारी सरकार ने इसे भी प्राथमिकता दी। आज देशभर में कोल्ड स्टोरेज का नेटवर्क विकसित करने के लिए सरकार करोड़ों रुपए का निवेश कर रही है। हमारी नीतियों में इस पर भी बल दिया गया कि खेती के साथ ही किसान के पास आय बढ़ाने के दूसरे विकल्प भी हों। हमारी सरकार मछलीपालन, पशुपालन, डेयरी उद्योग, मधुमक्खी पालन, सभी को प्रोत्साहित कर रही है। हमारी सरकार ने ये भी सुनिश्चित किया कि- देश के बैंकों का पैसा देश के किसानों के काम आए। 2014 में जब हम पहली बार सरकार में आए और शुरूआत थी हमारी, 2014 में जहां 7 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान इसके लिए था धन के लिए, वही इसे अब करीब 14 लाख करोड़ रुपए, यानि दोगुना किया गया है ताकि किसान को कर्ज मिल सके। बीते कुछ महीनों से करीब ढाई करोड़ छोटे किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ा गया है और अभियान तेजी से चल रहा है। हम मछली पालकों, पशुपालकों उनको भी किसान क्रेडिट कार्ड दे रहे हैं, ये लाभ उनको भी अब दिया जा रहा है।
साथियों,
हमने इस लक्ष्य पर भी काम किया खेती की दुनिया में क्या चल रहा है, इसके लिए देश में आधुनिक कृषि संस्थान हों। बीते वर्षों में देश में अनेक नए कृषि संस्थान बने हैं, कृषि की पढ़ाई की सीटें बढ़ी हैं।
और साथियों,
खेती से जुड़े इन सारे प्रयासों के साथ ही हमने एक और बड़े लक्ष्य पर काम किया। ये लक्ष्य है- गांव में रहने वाले किसान का जीवन आसान हो।
साथियों,
आज जो किसानों के लिए इतने आंसु बहा रहे हैं, इतने बड़े-बड़े बयान दे रहे हैं, बड़ा दुख दिखा रहे हैं, जब वे सरकार में थे, तब उन्होंने किसानों का दुख, उनकी तकलीफ दूर करने के लिए क्या किया, ये देश का किसान अच्छी तरह जानता है। आज सिर्फ खेती ही नहीं बल्कि उसके जीवन को आसान बनाने के लिए हमारी सरकार उसके दरवाजे तक खुद पहुंची है, खेत के मेड़ तक पहुंची है। आज देश के छोटे और सीमांत किसान को अपना पक्का घर मिल रहा है, शौचालय मिल रहा है, साफ पानी का नल मिल रहा है। यही किसान है जिसे बिजली के मुफ्त कनेक्शन, गैस के मुफ्त कनेक्शन ये बहुत बड़ा लाभ हुआ है। हर साल आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा ने आज मेरे छोटे किसान के जीवन की बहुत बड़ी चिंता कम की है। 90 पैसे प्रतिदिन यानि एक चाय से भी कम कीमत और 1 रुपया महीना के प्रीमियम पर बीमा, ये मेरे किसानों के जीवन में बहुत बड़ी ताकत है। 60 वर्ष की आयु के बाद 3 हज़ार रुपए मासिक पेंशन, ये सुरक्षा कवच भी आज किसान के पास है।
साथियों,
आजकल कुछ लोग किसान की ज़मीन की चिंता करने का दिखावा कर रहे हैं। किसानों की जमीन हड़पने में कैसे-कैसे नाम लोगों के नाम अखबार में चमकते रहे हैं, हम जानते हैं। ये लोग तब कहां थे, जब मालिकाना दस्तावेज़ के अभाव में किसानों के घर और ज़मीन पर अवैध कब्जे हो जाते थे? गांव के छोटे और सीमांत किसानों को, खेत मजदूरों को इस अधिकार से इतने सालों तक वंचित किसने रखा, इसका जवाब इन लोगों के पास नहीं है। गांव में रहने वाले हमारे भाई-बहनों के लिए ये काम आज हो रहा है। अब गांव में किसानों को, उनके मकान का, जमीन का नक्शा और कानूनी दस्तावेज दिया जा रहा है। टेक्नोलॉजी की मदद से स्वामित्व योजना के बाद अब गांव के किसान को भी जमीन और घर के नाम पर बैंक से कर्ज मिलना आसान हुआ है।
साथियों,
बदलते समय के साथ अपनी अप्रोच का विस्तार करना भी उतना ही जरूरी है। हमें 21वीं सदी में भारत की कृषि को आधुनिक बनाना ही होगा और इसी का बीड़ा देश के करोड़ों किसानों ने भी उठाया है और सरकार भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर के आगे बढ़ने के लिए कृतसंकल्प है। आज हर किसान को ये पता है कि उसकी उपज का सबसे अच्छा दाम कहां मिल सकता है। पहले क्या होता था कि अगर मंडी में बेहतर दाम नहीं मिलते थे या फिर उसकी उपज को दोयम दर्जे का बताकर खऱीदने से इनकार कर दिया जाता था तो किसान मजबूरी में औने पौने दामों पर अपनी उपज बेचने को मजबूर रहता था। इन कृषि सुधार के जरिए हमने किसानों को बेहतर विकल्प दिए हैं। इन कानूनों के बाद आप जहां चाहें जिसे चाहें अपनी उपज बेच सकते हैं।
मेरे किसान भाईयों और बहनों,
मेरे इन शब्दों को आप ध्यान से सुनिये, मैं फिर से कह रहा हूँ कि आप अपनी फसल को जहां चाहे आप निर्णय करके बेच सकते हैं। आपको जहां सही दाम मिले आप वहां पर उपज बेच सकते हैं। आप न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर अपनी उपज बेचना चाहते हैं? आप उसे बेच सकते हैं। आप मंडी में अपनी उपज बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं। आप अपनी उपज का निर्यात करना चाहते हैं ? आप निर्यात कर सकते हैं। आप उसे व्यापारी को बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं। आप अपनी उपज दूसरे राज्य में बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं। आप पूरे गांव के किसानों को एफपीओ के माध्यम से इक्ट्ठा कर अपनी पूरी उपज को एक साथ बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं। आप बिस्किट, चिप्स, जैम, दूसरे कंज्यूमर उत्पादों की वैल्यू चेन का हिस्सा बनना चाहते हैं? आप ये भी कर सकते हैं। देश के किसान को इतने अधिकार मिल रहे हें तो इसमें गलत क्या है? इसमें गलत क्या है कि अगर किसानों को अपनी उपज बेचने का विकल्प आनलाइन माध्यम से पूरे साल और कहीं भी मिल रहा है?
साथियों,
आज नए कृषि सुधारों के बारे में असंख्य झूठ फैलाए जा रहे हैं। कुछ लोग किसानों के बीच भ्रम फैला रहे हैं कि एमएसपी समाप्त की जा रही है। तो कुछ लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि मंडियों को बंद कर दिया जाएगा। मैं आपको फिर ध्यान दिलाना चाहता हूं कि इन कानूनों को लागू हुए कई महीने बीत गए हैं। क्या आपने देश के किसी एक कोने में एक भी मंड़ी के बंद होने की खबर सुनी है। जहां तक एमएसपी का सवाल है हाल के दिनों में सरकार ने बहुत सी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ा दिया है। ये कृषि सुधारों के बाद भी हुआ है, नए कृषि कानूनों के बाद भी हुआ है। इतना ही नहीं, जो लोग किसानों के नाम पर बात करते हैं ना ये जो आंदोलन चल रहा है, उसमें कई लोग सच्चे और निर्दोष किसान भी हैं। ऐसा नहीं है कि सब वो राजनीतिक विचारधारा वाले लोग तो सिर्फ नेता हैं बाकि तो भले-भाले किसान हैं। उनको जाके secret पूछोगे कि भाई आपकी कितनी जमीन हैं? क्या पैदा करते हो? इस बार बेचा कि नहीं बेचा? तो वो भी बतायेगा कि वो MSP पर बेच कर के आया और जब MSP पर खरीदी चल रही थी ना तब वो आंदोलन को उन्होंने ठंडा कर दिया था क्योंकि उनको मालूम था कि अभी जरा किसान मंडी में जाकर के माल बेच रहा है। वो सब बिक्री हो गई, काम हो गया, फिर उन्होंने आंदोलन शुरू किया।
साथियों,
वास्तविकता तो ये है कि बढ़े हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर सरकार ने किसानों की उपज की रिकार्ड स्तर पर खऱीदी है और वो भी नए कानून बनने के बाद। और एक अहम बात, इन कृषि सुधारों से सरकार ने अपनी ज़िम्मेदारियाँ बढ़ाई ही हैं! उदाहरण के तौर पर एग्रीमेंट फार्मिंग की बात ही ले लीजिए। कुछ राज्यों में ये कानून, ये प्रावधान कई सालों से हैं, पंजाब में भी है। वहां तो private कम्पनियां agreement करके खेती कर रही है। क्या आप जानते हैं पहले के क़ानूनों में समझौता तोड़ने पर किसानों पर पेनाल्टी लगती थी! मेरे किसान भाईयों को ये किसी ने समझाया नहीं होगा। लेकिन हमारी सरकार ने ये सुधार किया और ये सुनिश्चित किया कि मेरे किसान भाइयों पर पेनाल्टी या किसी और तरह का जुर्माना ना लगेगा!
साथियों,
आप ये भली-भांति जानते हैं कि पहले अगर किसी कारणवश किसान मंडी नहीं भी जा पाता था, तो वो क्या करता था? वो किसी ट्रेडर को अपना माल बेच देता था। ऐसे में वो व्यक्ति किसान का फायदा ना उठा पाए, उसके लिए भी हमारी सरकार ने कानूनी उपाय किए हैं। खरीदार समय से आपका भुगतान करने के लिए अब कानूनन बाध्य है। उसे रसीद भी काटनी होगी और 3 दिन के भीतर भुगतान भी करना होगा नहीं तो ये क़ानून किसान को शक्ति देता है, ताकत देता है कि वो अधिकारियों के पास जाकर कानूनी तंत्र का सहारा लेकर अपना पैसा प्राप्त कर सके! ये सारी चीज़ें हो चुकी हैं, हो रही हैं, ख़बरें आ रही हैं की कैसे एक-एक कर के हमारे देश के किसान भाई इन क़ानूनों का फायदा उठा रहे हैं! सरकार किसान के साथ हर कदम पर खड़ी है। किसान चाहे जिसे अपनी उपज बेचना चाहे, सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि एक मज़बूत कानून और लीगल सिस्टम किसानों के पक्ष में खड़ा रहे।
साथियों,
कृषि सुधारों का एक और अहम पक्ष सभी के लिए समझना जरूरी है। अब जब कोई किसान के साथ एग्रीमेंट करेगा तो वो ये भी चाहेगा कि उपज अच्छी से अच्छी हो। इसके लिए एग्रीमेंट करने वाला किसानों को अच्छे बीज, आधुनिक तकनीक, अत्याधुनिक उपकरण, विशेषज्ञता हासिल करने में मदद करेगा ही करेगा क्योंकि उसकी तो रोजी-रोटी उसमें है। अच्छी उपज के लिए सुविधाएँ किसानों के दरवाजे पर उपलब्ध कराएगा। एग्रीमेंट करने वाला व्यक्ति बाजार की ट्रेंड से पूरी तरह वाकिफ रहेगा और इसी के अनुरुप हमारे किसानों को बाजार की मांग के हिसाब से काम करने में मदद करेगा। अब आपको मैं एक और स्थिति बताता हूं। अगर किसी वजह से, किसी परेशानी की वजह से किसान की उपज अच्छी नहीं होती या फिर बर्बाद हो जाती है तो भी, ये याद रखिये तो भी जिसने एग्रीमेंट किया है उसको किसान को उपज का जो दाम निर्धारित हुआ था वो उसको देना ही पड़ेगा। एग्रीमेंट करने वाला अपने एग्रीमेंट को अपनी मर्जी से खत्म नहीं कर सकता है। लेकिन दूसरी तरफ अगर किसान, एग्रीमेंट को किसी भी वजह से खत्म करना चाहता है तो किसान कर सकता है, सामने वाला नहीं कर सकता है। क्या ये स्थिति किसानों के लिए फायदेमंद है कि नहीं है? सबसे ज्यादा assurance किसान को है कि नहीं है? किसान को फायदा होने वाली गारंटी इसमें है कि नहीं है? एक और सवाल लोगों ने उछाल कर के रखा हुआ है, आपके मन में भी आता होगा। अगर किसी स्थिति में उपज अच्छी हुई है, माक्रिट बहुत शानदार हो गया, जो एग्रीमेंट में था उससे भी ज्यादा मुनाफा एग्रीमेंट वाले को मिल रहा है। अगर ऐसा होता है, तो एग्रीमेंट का जितना पैसा है वो तो देना ही देना है लेकिन अगर ज्यादा मुनाफा हुआ है तो उसमें से कुछ बोनस भी किसान को देने पड़ेगा। इससे बड़ा किसान की रक्षा कौन कर सकता है? ऐसे स्थितियों में, किसान एग्रीमेंट में तय किये गये मूल्य के अलावा जैसा मैंने कहा बोनस का भी वो हकदार होगा। पहले क्या होता था याद है ना? सारा रिस्क किसान का होता था और रिटर्न किसी और का होता था। अब नए कृषि कानूनों और सुधार के बाद स्थिति पूरी तरह किसानों के पक्ष में हो गई है। अब सारा रिस्क एग्रीमेंट करने वाले व्यक्ति या कंपनी का होगा और रिटर्न किसान को होगा!
साथियों,
देश के कई भागों में एग्रीमेंट फार्मिंग को पहले भी परखा गया है, उसे कसौटी पर कसा गया है। क्या आपको पता है कि दुनिया में आज सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन, milk production करने वाला देश कौन सा है? ये देश कोई और नहीं हमारा हिन्दुस्तान है! हमारे पशुपालक, हमारे किसान की मेहनत है। आज डेयरी सेक्टर में बहुत सी सहकारी और निजी कंपनियां किसानों से दुग्ध उत्पादकों से दूध खरीदती हैं और उसे बाजार में बेचती हैं। ये मॉडल कितने वर्षों से चला आ रहा है, क्या आपने कभी सुना कि किसी एक कंपनी या सहकारी संस्था ने बाजार पर अपना कब्जा जमा लिया, अपना एकाधिकार कर लिया? क्या आप उन किसानों और उन दुग्ध उत्पादकों की सफलता से परिचित नहीं है जिन्हें डेयरी सेक्टर के इस काम से लाभ हुआ है? एक और सेक्टर है यहां पर हमारा देश बहुत आगे है- वो है पोल्ट्री यानी मुर्गी पालन। आज भारत में सबसे ज्यादा अंडों का उत्पादन होता है। पूरे पोल्ट्री सेक्टर में बहुत सी बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं, कुछ छोटी कंपनियां भी हैं तो कुछ स्थानीय खऱीदार भी इस व्यवसाय में जुटे हैं। इस सेक्टर से जुड़े लोग, अपना Product किसी को भी, कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। जहां भी उन्हें सबसे ज्यादा दाम मिलता है वो अंडे बेच सकते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे किसानों को, कृषि सेक्टर को इसी तरह का विकास करने का अवसर मिले जैसा पोल्ट्री और डेयरी सेक्टर को मिला है। हमारे किसानों की सेवा में जब बहुत सी कंपनियां, व्यवसाय के कई तरह के प्रतिस्पर्धी रहेंगे तो उन्हें अपनी उपज का ज्यादा दाम भी मिलेगा और बाजार तक उनकी बेहतर पहुंच भी संभव हो सकेगी।
साथियों,
नए कृषि सुधारों के जरिए भारतीय कृषि में नई टेक्नोलॉजी को भी प्रवेश मिलेगा। आधुनिक तकनीक के जरिए हमारे किसान अपनी उपज को बढ़ा सकेंगे, अपनी उपज को विविधता दे सकेंगे, अपनी उपज की बेहतर ढंग से पैकेजिंग कर सकेंगे, अपनी उपज में वैल्यू एडिशन कर सकेंगे। एक बार ऐसा हो गया तो हमारे किसानों की उपज की पूरी दुनिया में मांग होगी और ये मांग और लगातार बढ़ेगी। हमारे किसान सिर्फ उत्पादक नहीं बल्कि खुद निर्यातक बन सकेंगे। दुनिया में कोई भी अगर कृषि उत्पादों के जरिए बाजारों में अपनी धाक जमाना चाहेगा तो उसे भारत आना पड़ेगा। अगर दुनिया में कही भी क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों की जरूरत होगी तो उन्हें भारत के किसानों के साथ साझेदारी करनी पड़ेगी। जब हमने दूसरे सेक्टर में इनवेस्टमेंट और इनोवेशन बढ़ाया तो हमने आय बढ़ाने के साथ ही उस सेक्टर में ब्रांड इंडिया को भी स्थापित किया। अब समय आ गया है कि ब्रांड इंडिया दुनिया के कृषि बाजारों में भी खुद को उतनी ही प्रतिष्ठा के साथ स्थापित करे।
साथियों,
कुछ राजनीतिक दल, जिन्हें देश की जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से नकार दिया है, वो आज कुछ किसानों को गुमराह करके जो कुछ भी कर रहे हैं उन सबको बार-बार नम्रतापूर्वक सरकार की तरफ से अनेक प्रयासों के बावजूद भी, किसी न किसी राजनीतिक कारण से, किसी ने बंधी-बंधी राजनीतिक विचारधारा कारण से ये चर्चा नहीं होने दे रहे हैं। कृषि कानूनों के संदर्भ में, ये जो political party की विचारधारा वाले जो कुछ लोग हैं, जो किसानों के कंधे पर बंदूके फोड़ रहे हैं, कृषि कानूनों के संदर्भ में उनके पास ठोस तर्क न होने के कारण, वो भांति-भांति के मुद्दों को किसानों के नाम पर उछाल रहे हैं। आपने देखा होगा, जब प्रारंभ हुआ था, तो उनकी इतनी मांग थी कि MSP की गारंटी दो, उनकी मन में genuine था क्योंकि वो किसान थे, उनको लगा कि कहीं ऐसा तो न हो। लेकिन इसका माहौल दिखाकर के ये राजनीतिक विचारधारा वाले चढ़ बैठे और अब MSP वगैरह बाजू में, क्या चल रहा है ये लोग हिंसा के आरोपी, ऐसे लोगों को जेल से छुड़ाने की मांग कर रहे हैं। देश में आधुनिक हाईवेज बनें, निर्माण हो, जो पिछली सब सरकारों ने किया था, ये लोग भी सरकारों में समर्थन करते थे, भागीदार थे। अब कहते हैं टोल टैक्स नहीं होगा, टोल खाली कर दो। भई किसान का विषय छोड़कर के नई जगह पर क्यों जाना पड़ रहा है? जो नीतियां पहले के समय से चली आ रहीं हैं, अब ये किसान आंदोलन की आड़ में उनका भी विरोध कर रहे हैं, टोल नाकों का विरोध कर रहे हैं।
साथियों,
ऐसी परिस्थिति में भी देशभर के किसानों ने कृषि सुधारों का भरपूर समर्थन किया है, भरपूर स्वागत किया है। मैं सभी किसानों का आभार व्यक्त करता हूं, मैं सर झुकाकर के उनको प्रणाम करता हूँ कि देश को आगे ले जाने के लिए देश के कोटि-कोटि किसान आज इस निर्णय के साथ इस हिम्मत से खड़े हुए हैं और मैं मेरे किसान भाईयों और बहनों को भरोसा दिलाता हूं कि आपके विश्वास पर हम कोई आंच नहीं आने देंगे। पिछले दिनों अनेक राज्य़, और ये बात समझनी होगी, अनेक राज्य, चाहे असम हो या इधर राजस्थान हो, जम्मू-कश्मीर हो, ऐसी कई जगह पे पंचायतों के चुनाव हुए। इनमें प्रमुखता ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को ही वोट देना होता है, एक प्रकार से किसान को ही वोट देना होता है। इतना गुमराह करने वाला का खेल चलता था, इतना बड़ा आंदोलन का नाम दिया जा रहा था, हो-हल्ला किया जाता था, लेकिन इसी के अगल-बगल में जहां-जहां चुनाव हुए हैं, उन गांवों के किसानों ने ये आंदोलन चलाने वाले जितने लोग थे उनको नकार दिया है, पराजित कर दिया है। ये भी एक प्रकार से उन्होंने बैलेट बॉक्स के द्वारा ये नए कानूनों को खुला समर्थन किया है।
साथियों,
तर्क और तथ्य के आधार पर, हर कसौटी पर हमारे ये निर्णय कसे जा सकते हैं। उसमें कोई कमी है, तो उसको इंगित करना चाहिए। लोकतंत्र है, हमें सब प्रकार का भगवान ने ज्ञान दिया है ऐसा दावा हमारा नहीं है लेकिन बात तो हो! इन बातों के बावजूद भी, लोकतंत्र में अटूट आस्था और श्रद्धा होने के कारण, किसानों के प्रति हमारा समर्पण होने के कारण, हर समय, किसानों के हर मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार तैयार है। समाधान के लिए हम खुला मन लेकर के चल रहे हैं। कई दल ऐसे भी हैं जो इन्हीं कृषि सुधार कार्यों के पक्ष में रहे हैं, उनके लिखित बयान भी हमने देखे हैं, वो आज अपनी कही बात से ही मुकर गए हैं, उनकी भाषा बदल गई है। वो राजनीतिक नेता जो किसानों को भ्रमित करने में जुटे हुए हैं, जिनकी लोकतंत्र में रत्ती भर भी श्रद्धा नहीं है, वो विश्वास ही नहीं करते democracy पे, दुनिया के कई देशों में उनका परिचय है लोगों को, ऐसे लोगों के जो भी उन्होंने कहा है कि पछले दिन, जिस प्रकार के अरल-गरल आरोप लगाए हैं, जिस भाषा का प्रयोग किया है, पता नहीं कैसी-कैसी इच्छाएं व्यक्त की हैं मैं बोल भी नहीं सकता हूँ। ये सब करने के बावजूद भी उन सब चीजों को सहन करने के बावजूद भी, उसको पेट में उतार करके के, मन ठंडा रख करके, उन सबको सहन करते हुए, मैं आज फिर एक बार नम्रता के साथ उन लागों को भी जो हमारा घोर विरोध करने पर तुले हुए हैं, उनकी भी कहता हूँ, मैं नम्रता के साथ कहता हूँ हमारी सरकार किसान हित में उनसे भी बात करने के लिए तैयार है लेकिन बात मुद्दों पर होगी, तर्क और तथ्यों पर होगी।
साथियों,
हम देश के अन्नदाता को उन्नत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जब आपकी उन्नति होगी, तो पूरे राष्ट्र की उन्नति तय है। सिर्फ आत्मनिर्भर किसान ही आत्मनिर्भर भारत की नींव डाल सकता है। मेरा देश के किसानों से आग्रह है- किसी के बहकावे में न आएं, किसी के झूठ को न स्वीकारें, तर्क और तथ्य को आधार बनाकर ही सोचे-विचारें और फिर एक बार देश भर के किसानों ने खुलकर के जो समर्थन दिया है ये मेरे लिए अत्यंत संतोष और गर्व का विषय है। मैं आपका बहुत आभारी हूँ। एक बार फिर से करोड़ों किसान परिवारों को पीएम किसान सम्मान निधि के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूँ और मैं आपसे लगातार प्रार्थना करता हूँ, आपके लिए भी प्रार्थना करता हूँ, आप स्वस्थ रहें, आपका परिवार स्वस्थ रहे, इसी कामना के साथ आप सभी का बहुत-बहुत आभार !
सुशासन दिवस के अवसर पर किसान संवाद कार्यक्रम का हुआ आयोजन
आयोध्या टाइम्स देवेश पांडेय बाबांगज
राज्य स्तर पर एकत्रित हुए देव समाज के युवा, राज्यस्तरीय युवा देव समाज के प्रथम चरण की कार्यकारिणी नियुक्त
हिमाचल प्रदेश जहां का कणराज्य स्तर पर एकत्रित हुए देव समाज के युवा, राज्यस्तरीय युवा देव समाज के प्रथम चरण की कार्यकारिणी नियुक्त।
व्हाई- डेथ इज नॉट जस्टिस ' में आत्महत्या की समस्या को उठाना ज़रूरी था-संतोष राज
-अनिल बेदाग़-
हत्या से पैदा हुए हालात। सिर्फ एक नहीं, हज़ारों आत्महत्याएं। 2020 सही मायनों में देश-दुनिया के लिए विघटनकारी रहा जिसने बॉलीवुड की भी कमर तोड़ कर रख दी है। इसी दौर में कई कलाकारों ने भी आत्महत्या का रास्ता चुना जो किसी समय सफलता की बुलंदियां छू रहे थे। कई कलाकारों ने कोशिश तो की लेकिन फिर खुद को संभाल लिया।
क्या कहूँ
मैं क्या लिखूं अपने बारे में
मुझे कुछ भी
समझ सा नहीं आता।
मेरा इल्म भी
फीका सा पड़ रहा है
तेरी यादों के आगे।
साथ छोड़ चुका हूं
हर उस शख्स का
जो तुमसे जुड़ा है।
मगर दिल की धड़कनों को
कैसे जुदा करू
जो तुमसे हर पल जुड़ी हैं।
बिखरे हुए वक्त को भी
समेट लिया है मैना
तेरी यादों के साथ।
मगर खुद को कैसे समेटू
जो बिखर कर भी
संभल नहीं पाया हूं आज तक।
राजीव डोगरा 'विमल'
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
Friday, December 25, 2020
अमेठी पहुंची सांसद स्मृति ईरानी ने कांग्रेस पर बोला हमला और कसे तंज
अमेठी विजय कुमार सिंह
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एवं अमेठी सांसद आज शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र के तीन दिवसीय दौरे पर अमेठी पहुंची। उन्होंने आज पहले ही दिन कांग्रेस और गांधी परिवार पर जमकर हमला बोला। "स्मृति ने कहा कि 2014 का वह दंगल मैं आज भी भूल नहीं पाऊंगी जब गांव-गांव, पार्क-पार्क जनता से मिलने के बाद अमेठी का सच उजागर हुआ, कि वर्षों से जिस परिवार ने अमेठी की पुण्य भूमि से अपनी राजनीति को सींचा उस परिवार ने अमेठी की जनता को विकास से जानबूझकर दूर रखा।विकास की दृष्टि से अमेठी की जनता का तिरस्कार किया, ताकि वह सोने के महलों में रह सकें।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का अमेठी जनपद का एक दिवसीय दौरा कल
अमेठी-विजय कुमार सिंह
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कल सुबह 10:00 लखनऊ से चलकर 12:00 बजे पहुंचेंगे नवोदय विद्यालय गौरीगंज जहां केंद्रीय मंत्री व अमेठी सांसद स्मृति ईरानी,राज्यमंत्री सुरेश पासी,तिलोई विधायक मयंकेस्वर शरण सिंह व अमेठी विधायिका गरिमा सिंह की उपस्थिति में जनपद की लगभग 67 विभिन्न परियोजनाओं का करेंगे लोकार्पण/शिलान्यास।इसके पश्चात दोपहर 01 बजे गौरीगंज में गेस्ट हाउस पर जिलाध्यक्ष दुर्गेश त्रिपाठी व अन्य भाजपा पदाधिकारियों के साथ करेंगे बैठक,सवांद,जिसके पश्चात दोपहर 01:30 पर अमेठी से रायबरेली के ब्लॉक शिवगढ़ में कार्यक्रम में शामिल होने के लिए करेंगे प्रस्थान,जहां उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य करेंगे विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास /लोकार्पण।
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व0 अटल बिहारी बाजपेयी के जयंती पर किसान गोष्ठी
बाजपेयी जी व मालवीय जी की जयंती समारोह आयोजित
राजापाकर।संवाद सूत्र । पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी व महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती समारोह प्रखंड के एसजी निकेतन विद्यालय बेलकुंडा के परिसर में श्रद्धा पूर्वक मनायी गई। मौके पर भाजपा के अनेक कार्यकर्ता पदाधिकारी उपस्थित हुए। मौजूद लोगों ने उनके तैल चित्र पर फूल माला अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हैं भाजपा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष कुमार सौरभ ने कहा कि स्वर्गीय बाजपेयी भाजपा के एक मजबूत स्तंभ थे ।उनके नेतृत्व में भाजपा व देश ने दिन प्रतिदिन कामयाबी की ओर अग्रसर हुआ। आज उन्हीं की देन है कि देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी के द्वारा पूरे देश में भाजपा का परचम लहराया गया।कार्यकर्ताओं ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया तथा उन्हें महान राजनीतिक, शिक्षाविद बताया। वहीं पंडित मदनमोहन मालवीय को याद किया गया । समारोह में भाजपा कार्यकर्ताओं में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य कुमार सौरव, पूर्व प्रखंड अध्यक्ष भाजपा अमरेश कुमार सिंह व लालजी कुमार राकेश, पप्पू कुमार, सुनील कुमार सिंह, विकेश कुमार, बबलू कुमार,मोहन सिंह, अमरेंद्र कुमारशंकर सहित अनेक लोग शामिल हुए ।