Wednesday, September 20, 2023

90 का #दूरदर्शन और हम

 1.सन्डे को सुबह-2 नहा-धो कर

टीवी के सामने बैठ जाना
2."#रंगोली"में शुरू में पुराने फिर
नए गानों का इंतज़ार करना
3."#जंगल-बुक"देखने के लिए जिन
दोस्तों के पास टीवी नहीं था उनका
घर पर आना
4."#चंद्रकांता"की कास्टिंग से ले कर
अंत तक देखना
5.हर बार सस्पेंस बना कर छोड़ना
चंद्रकांता में और हमारा अगले हफ्ते
तक सोचना
6.शनिवार और रविवार की शाम को
#फिल्मों का इंतजार करना
7.किसी नेता के मरने पर कोई #सीरियल
ना आए तो उस नेता को और गालियाँ
देना
8.सचिन के आउट होते ही टीवी बंद
कर के खुद बैट-बॉल ले कर खेलने
निकल जाना
9."#मूक-#बधिर"समाचार में टीवी एंकर
के इशारों की नक़ल करना
10.कभी हवा से #ऐन्टेना घूम जाये तो
छत पर जा कर ठीक करना
बचपन वाला वो '#रविवार' अब नहीं
आता, दोस्त पर अब वो प्यार नहीं
आता।
जब वो कहता था तो निकल पड़ते
थे बिना #घडी देखे,
अब घडी में वो समय वो वार नहीं
आता।


बचपन वाला वो '#रविवार' अब नहीं
आता...।।।
वो #साईकिल अब भी मुझे बहुत याद
आती है, जिसपे मैं उसके पीछे बैठ
कर खुश हो जाया करता था। अब
कार में भी वो आराम नहीं आता...।।।
#जीवन की राहों में कुछ ऐसी उलझी
है गुथियाँ, उसके घर के सामने से
गुजर कर भी मिलना नहीं हो पाता...।।।
वो '#मोगली' वो '#अंकल Scrooz',
'#ये जो है जिंदगी' '#सुरभि' '#रंगोली'
और '#चित्रहार' अब नहीं आता...।।।
चाव अब नहीं आता, बचपन वाला वो
'रविवार' अब नहीं आता...।।।
वो #एक रुपये किराए की साईकिल
लेके, दोस्तों के साथ गलियों में रेस
लगाना!
अब हर वार 'सोमवार' है
काम, ऑफिस, बॉस, बीवी, बच्चे;
बस ये जिंदगी है। दोस्त से दिल की
बात का इज़हार नहीं हो पाता।
बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं
आता...।।।
बचपन वाला वो '#रविवार' अब नही
आता...।।।

Thursday, September 7, 2023

गाँव में तो डिप्रेशन को भी डिप्रेशन हो जायेगा

गाँव में तो डिप्रेशन को भी डिप्रेशन हो जायेगा।
उम्र 25 से कम है और सुबह दौड़ने निकल जाओ तो गाँव वाले कहना शुरू कर देंगे कि “लग रहा सिपाही की तैयारी कर रहा है " फ़र्क़ नही पड़ता आपके पास गूगल में जॉब है।
30 से ऊपर है और थोड़ा तेजी से टहलना शुरू कर दिये तो गाँव में हल्ला हो जायेगा कि “लग रहा इनको शुगर हो गया "
कम उम्र में ठीक ठाक पैसा कमाना शुरू कर दिये तो आधा गाँव ये मान लेगा कि आप कुछ दो नंबर का काम कर रहे है।
जल्दी शादी कर लिये तो “बाहर कुछ इंटरकास्ट चक्कर चल रहा होगा इसलिये बाप जल्दी कर दिये "


शादी में देर हुईं तो “दहेज़ का चक्कर बाबू भैया, दहेज़ का चक्कर, औकात से ज्यादा मांग रहे है लोग "
बिना दहेज़ का कर लिये तो “लड़का पहले से सेट था, इज़्ज़त बचाने के चक्कर में अरेंज में कन्वर्ट कर दिये लोग"
खेत के तरफ झाँकने नही जाते तो “बाप का पैसा है "
खेत गये तो “नवाबी रंग उतरने लगा है "
बाहर से मोटे होकर आये तो गाँव का कोई खलिहर ओपिनियन रखेगा “लग रहा बियर पीना सीख गया "
दुबले होकर आये तो “लग रहा सुट्टा चल रहा "
कुलमिलाकर गाँव के माहौल में बहुत मनोरंजन है इसलिये वहाँ से निकले लड़के की चमड़ी इतनी मोटी हो जाती है कि आप उसके रूम के बाहर खडे होकर गरियाइये वो या तो कान में इयरफोन ठूंस कर सो जायेगा या फिर उठकर आपको लतिया देगा लेकिन डिप्रेशन में न जायेगा।
और ज़ब गाँव से निकला लड़का बहुत उदास दिखे तो समझना कोई बड़ी त्रासदी है।

कुंदरू

 कुंदरू: मुँह के छालों का अंत तुरंत।

कुंदरू गाँव देहात की एक प्रमुख सब्जी है, और यह एक महत्वपूर्ण दवा भी है।
इस ललचाने वाले आज के घुमक्कड़ी भोज को आज यहाँ चर्चा के लिए छेड़ रहा हूँ, क्योंकि जब विचार न आयें तो फिर हमारे देश के भोजन इस राह को आसान बनाते हैं। मेरी दादी कहती थी कि दिमाग की नस पेट से होकर गुजरती है। पेट खाली है तो अक्ल भी घास चरने चली जाती है। 😂 चलिये आज का मीनू बताता हूँ। इसमें है मिक्स वेज (कुंदरू, आलू, गोभी, बैगन, गाजर, टमाटर), दाल, कढ़ी, चावल, सलाद और रोटी साथ मे मंगोड़े और पापड़ भी। वैसे तो पढ़े लिखे समझदार लोग दर- दर भटकने को अच्छा नही मानते हैं, लेकिन वो मजबूरी वाले भटकने के लिए सत्य है। मुझ जैसे मनमोजियो के लिये भटकना किसी तीर्थ यात्रा से कम नही है। लगातार नये नये लोगो से मित्रता तो होती ही है, साथ ही साथ हमारे भारत की गौरवशाली भोजन परंपरा से मन को तृप्त कर देने वाले व्यंजनो को ग्रहण करने का सौभाग्य भी प्राप्त हो जाता है। अनुभवों को किसी और दिन उपयुक्त मंच पर साझा करूँगा, फिलहाल यहाँ ज्वार के बनाये हुए इन खट्टे और चटपटे पापड़ की चर्चा छेड़ रहा हूँ, जो फ़ोटो में भी कट से गये है। 🤔 संभवतः कोई महाराष्ट्रीयन मित्र इस चर्चा को आगे बढ़ाये। सामान्यतः इन्हें इस क्षेत्र में मूंगफली दाने के साथ स्वल्पाहार के रूप में परोसा जाता है, और भोजन के साथ भी।


कुंदरू की सब्जी बनाना बहुत ही आसान है। सर्वप्रथम कुंदरू को गोल या लंबे जैसा चाहें पतले -पतले पीसेस में काट लें। कढ़ाई पर मीठा नीम, जीरा, राई आदि मसालों के साथ बघार लगाएं। कटी हुई प्याज, लहसन डाल दें। प्याज को सुनहरी होने तक भूने, इसके बाद इसमें काटे हुये कुंदरू के टुकड़े डाल दें। अच्छी तरह पकने दें और अंत मे हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर डाल दें और पुनः पकने दें। कुंदरू की सब्जी तैयार है। आप चाहें तो इसके साथ बैगन, आलू, सेम आदि प्रयोग कर मिक्स वेज भी बना सकते हैं।
आइए जानते हैं कुंदरू के विषय मे गाँव के झरोखे से...। इसका पौधा पुराने समय में लगभग सभी भारतीय किसानो के घर पर आशानी से मिल जाता था, यह बहुवर्षीय बेल है, जिसकी शाखाएं प्रतिवर्ष सूख जाती हैं, और जड़ो का कांड जीवित रहता है जिससे प्रतिवर्ष नयी बेल आ जाती है, इससे लगभग छः माह तक फल प्राप्त किये जा सकते है।
हमारे भी पुराने घर में दादी के आँगन में साल भर कुंदरू की बेल का मंढ़ा डला रहता था। साल भर तजि सब्जी मिलती थी, सेहद तो बोनस में था जनाब! दादी के जाने के बाद अब यह केवल खेत में और बाड़ी में बची है, लेकिन उतनी तनदुरुस्त बेल नहीं है जितनी दादी के ज़माने में हुआ करती थी।
नए जमाने के बहुत से वैज्ञानिको ने अपनी शोध में दावा किया है कि, इसके फलो और पत्तियों में चमत्कारिक औषधीय गुण पाये जाते हैं। खासकर मधुमेह (डाइबिटीज) के रोग में तो यह रामबाण औषधि है। इसके अलावा यह वात रोग, पीलिया, पेट संबंधी रोग और कफ रोग में भी बहुत कारगर सिद्ध हुयी है। मुँह के छालों के लिए भी कुंदरू एक महत्वपूर्ण दवा है। छाले हो जाने पर 2- 4 कच्ची कुंदरू चबाकर खा लें, मजा भी आयेगा और बाद के लिए मुँह भी मजे करेगा। छाले की जलन या दर्द गायब हो जाएगी।
एक बात जो दादी कहती थी वो मुझे कभी हजम नहीं हुयी। इसके कच्चे फल भी बहुत स्वादिस्ट होते है, इस कारण हम लोग पूरी बेल लोचकर उससे फल तोड़कर खा जाया करते थे, तब दादी जोर से चिल्लाती थी..., ज्यादा मत खाओ रे, बहरे हो जाओगे.....🤔। आपके विचारों के लिए इस विषय को अधूरा छोड़ रहा हूँ। सोच समझकर बताइयेगा।
इसकी कोमल पत्तियों को साग की तरह, पुरानी पत्तियों का काढ़ा बनाकर या पाउडर बनाकर उपयोग किया जा सकता है। फल तो सलाद में कच्चे और सब्जी बनाकर प्रयोग किये ही जाते हैं।
अब हमारे बहुत से मित्रों के मन मे यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या वाकई में कुंदरू खाने से बहरे हो जाते हैं या फिर जैसा कि इसके नाम मे छिपा हुआ है, कि इसे खाने से मंद बुद्धि हो जाते हैं। (कुंद= धीमा, कम सक्रिय + अरु= तेज, सूर्य समान, सक्रियता,दिमाग) या फिर (कुंद= धीमा, कम सक्रिय+ रूह= दिखाई देने वाले शरीर का न दिखाई देने वाला भाग / आत्मा/ मन/ दिमाग)।
क्या सही है और क्या गलत, आइये इसे विज्ञान और संस्कृति की कसौटी लर परखते हैं। पहले बात करते हैं कि क्या नाम से भी किसी के गुण को स्पष्ट किया जा सकता है? या नामों में गुणों का रहस्य होता है, तो मेरा जबाब है - हाँ। समाज और संस्कृति से लेकर विज्ञान सभी मे गुणों के आधार पर नाम रखने की परंपरा प्रारम्भ से लेकर आज तक है। आधुनिक वर्गिकी नामकरण में भी ऐसा ही होता है। अब चलिये एक बार मान लेते हैं कि शायद ऐसा न हो तो। तब उस समय ऐसा कहना उचित होगा कि इसकी लता से फलों को टूटने, बच्चो द्वारा खेल खेल में खा लेने या तथागत चोरी से बचने के लिये ये बातें प्रचलन में आई हो। लेकिन बिना विज्ञान का पक्ष जाने अभी कोई भी निष्कर्ष अधूरा ही रहेगा।
आधुनिक शोधों के अनुसार विज्ञान कहता है कि कुंदरू के पौधे में Aspartic acid, Glutamic Acid, Asparagine, Tyrosine, Histidine, Phenylalanine And Threonine Valine Arginine आदि लाये जाते हैं, इसी तरह इसकी जड़ों में starch, fatty acids, triterpenoid, resin, β-amyrin, carbonic acid, saponin coccinoside, alkaloids, flavonoid glycoside, taraxerol lupeol and β-sitosterol आदि रसायन पाये जाते हैं। इन्ही रसायनों के कारण इसकी medicinal property होती है। हम यहाँ 2 मुख्य भ्रान्ति विषयों पर इसकी चर्चा कर रहे हैं-
1) क्या इसे खाने से दिमाग कमजोर हो जाता है...?
इसमें पाये जाने वाले threonine का प्रयोग तनाव और चिंता कम करने वाली औषधि की तरह किया जाता है। तनाव कम करने वाली औषधियों का स्वभाव है कि वे दिमाग की सक्रियता को एक निर्धारित समय तक कम करके सुकून प्रदानं करती हैं। इसी तरह इसमें पाया जाने वाला Taraxarol का memory impairment एजेंट है जो दिमाग को शिथिल कर देता है।
2) क्या इसे खाने से बहरे हो जाते हैं...?
दिमाग के साथ नाक, कान और गले का सीधा संबंध होता है। यह दिमाग को मंद कर देने जैसे रसायनों से युक्त फल है अतः लगातार सेवन से यह परिवर्तन आ सकता है, किन्तु प्रयोगों के आधार पर इस बात के आज तक कोई प्रमाण नही हैं।
हाँ जाते जाते बता दूँ की छाले में आराम taraxacol के antimicrobial और anti inflamatory गुण के कारण लगता है। इसके साथ साथ valine एनर्जी लेवल बढ़कर, दर्द सहन करने की क्षमता बढ़ाता है और छतिग्रस्त कोशिकाओं तथा मांसपेशियों को जल्द से जल्द रिपेयर करने में मदद करता है। तो कुंदरू की यह गणित कैसी लगी, झटपट बताइये...☺️
सामान्य नाम- #कुंदरू
अन्य नाम- #गोलिओ, तितोड़ी
Scientific name- #Coccinia_indica / grandis
Eng. Name- Ivy guard scarlet gourd, tindora and kowai fruit.
चौरई, जिला छिन्दवाड़ा (म.प्र.)

डॉ विकास शर्मा

Tuesday, August 29, 2023

ख़ुश है चाँद

“ख़ुश है चाँद!”
कल रात तारों ने जब नभ में बारात सजाई।
तो चाँद के चेहरे पर एक अलग ही ख़ुशी नज़र आई!
झिलमिलाते तारों ने पूछा, “इस ख़ुशी के पीछे क्या राज है छुपाया?”
तो चाँद मुस्कुराकर बोला, “अरे कुछ नहीं, बस धरती से मेरा भांजा विक्रम है आया!
वर्षों बाद मेरी बहन भारती ने मेरी राखी भिजवाई है।
जो मैंने भांजे के हाथ से बड़े प्यार से बँधवाई है!
अब १४ दिन भांजा विक्रम मेरे घर पर ही रहेगा।
कुछ दिन तो कोई मेरा अकेलापन दूर करेगा!


मैं उसे पूरा घर घुमाकर अपने बारे में सब बातें बताऊँगा।
और फिर जानकारी भरे तोहफ़े बहन भारती को भिजवाऊँगा!”
तारों ने हैरानी से पूछा “अरे! इससे पहले भी कई मेहमान आए।
पर तुमने तो बाहर से ही सबके सब लौटाए!
कोई तुम्हारे दक्षिण ध्रुव पर कदम भी न रख पाया।
फिर इस विक्रम को क्यूँ तुमने बड़े प्यार से है गले लगाया?”
चाँद फिर मुस्कुराया और बोला, “यूँ तो मुझे सारी धरती ही प्यारी है।
पर धरती के भारत देश की तो कुछ बात ही न्यारी है!
जानते हो वहाँ के लोग उसे माँ भारती कहके बुलाते हैं।
और उसकी आन-बान-शान के लिए हँसकर जान लुटाते हैं!
वर्षों से भारती के वैज्ञानिक बेटे जिद पर डटे थे।
और मुझसे मिलने की धुन में जी-जान से जुटे थे!
भारती कहती है मुझे भाई और उसके बच्चे मामा समझते हैं।
जाने कितनी कहानियों कविताओं में मेरे ही क़िस्से मिलते हैं!
यही नहीं प्रेमी युगल तो मुझे बड़े प्यार से पुकारते हैं।
और विरह में तो मुझमें ही महबूब की सूरत निहारते हैं!
वहाँ की महिलाएँ हर तीज चौथ पर मेरी एक झलक को तरसती हैं।
पहले मुझे पानी पिलाती हैं, उसके बाद ही भोजन करती हैं!
इसलिए मैंने भी भारती को अपनी बहन बना लिया है।
और भांजे विक्रम का स्वागत कर स्नेह का रिश्ता निभा लिया है!
वैसे भी मेहनत और लगन का फल तो सफलता ही होता है।

और जहाँ आस्था और विश्वास भी हो, वहाँ तो ईश्वर भी साथ देता है! 

Friday, August 4, 2023

अकवन (मदार) के गुण

 अकवन को हिंदी में मदार कहते हैं और इसे एक जहरीले पौधे के रूप में जाना जाता है। मदार का पौधा किसी जगह पर उगाया नहीं जाता है। यह पौधा अपने आप ही कहीं पर भी उग जाता है हालांकि यह पौधा अपने आप में औषधीय गुणों से लबरेज है। मदार का वैज्ञानिक नाम कैलोत्रोपिस गिगंटी है। यह आमतौर पर पूरे भारत में पाया जाता है। भारत में इसकी दो प्रजातियां पाई जाती हैं-श्वेतार्क और रक्तार्क। श्वेतार्क के फूल सफेद होते हैं जबकि रक्तार्क के फूल गुलाबी आभा लिए होते हैं। इसे अंग्रेजी में क्राउन फ्लावर के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इसके फूल में मुकुट/ताज के समान आकृति होती है। इसके पौधे लंबी झाड़ियों की श्रेणी में आते हैं और 4 मीटर तक लम्बे होते हैं। इसके पत्ते मांसल और मखमली होते हैं। मदार का फल देखने में आम के जैसे लगता है, लेकिन इसके अंदर रुई होती है, जिसका इस्तेमाल तकिये या गद्दे भरने में किया जाता है। इसमें फूल दिसंबर-जनवरी महीने में आते हैं और अप्रैल-मई तक लगते रहते हैं।



मदार मुख्य रूप से भारत में पाया जाता है, लेकिन दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका में भी यह बहुतायत में पाया जाता है। थाईलैंड में मदार के फूलों का उपयोग विभिन्न अवसरों पर सजावट के लिए किया जाता है। इसे राजसी गौरव का प्रतीक माना जाता है और मान्यता है कि उनकी इष्ट देवी हवाई की रानी लिलीउओकलानी को मदार का पुष्पहार पहनना पसंद है। कंबोडिया में अंतिम संस्कार के आयोजन के दौरान घर की आंतरिक सजावट के साथ ही कलश या ताबूत पर चढ़ाने और अंत्येष्टि में इसका उपयोग किया जाता है।
हिंदुओं के धर्म ग्रंथ शिव पुराण के अनुसार मदार के फूल भगवान शिव को बहुत पसंद है इसलिए शांति, समृद्धि और समाज में स्थिरता के लिए भगवान शिव को इसकी माला चढ़ाई जाती है। मदार का फूल नौ ज्योतिषीय पेड़ों में से भी एक है। स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान गणेश की पूजा में मदार के पत्ते का इस्तेमाल करना चाहिए। स्मृतिसार ग्रंथ के अनुसार मदार की टहनियों का इस्तेमाल दातुन के रूप में करने से दांतों की कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। भारतीय महाकाव्य महाभारत के आदि पर्व के पुष्य अध्याय में भी मदार की चर्चा मिलती है। इसके अनुसार ऋषि अयोद-दौम्य के शिष्य उपमन्यु की आंखों की रोशनी मदार के पत्ते खा लेने के कारण चली गई थी। मदार की छाल का इस्तेमाल प्राचीन काल में धनुष की प्रत्यंचा बनाने में किया जाता था। लचीला होने के कारण इसका उपयोग रस्सी, चटाई, मछली पकड़ने की जाल आदि बनाने के लिए भी किया जाता है।
औषधीय गुण
वैसे तो मदार को एक जहरीला पौधा माना जाता है, और कुछ हद तक यह सही भी है, लेकिन यह कई रोगों के उपचार में भी कारगर है। मदार देश का एक प्रसिद्ध औषधीय पौधा है। इसके पौधे के विभिन्न हिस्से कई तरह के रोगों के उपचार में कारगर साबित हुए हैं। इनमें दर्द सहित मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। मदार के औषधीय गुणों की पुष्टि कई वैज्ञानिक अध्ययन भी करते हैं। वर्ष 2005 में टोक्सिकॉन नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार मदार का दूध बहते हुए खून को नियंत्रित करने में उपयोगी है। मदार का कच्चा दूध कई प्रकार के प्रोटीन से लबरेज हैं, जो प्रकृति में बुनियादी रूप में मौजूद होते हैं।
वर्ष 2012 में एडवांसेस इन नैचरल एंड अप्लाइड साइंसेज नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध दर्शाता है कि मदार के पत्ते जोड़ों के दर्द और मधुमेह के उपचार में कारगर हैं। वहीं वर्ष 1998 में कनेडियन सोसायटी फॉर फार्मास्युटिकल साइंसेज में प्रकाशित शोध ने इस बात की पुष्टि की है कि मदार का रस दस्त रोकने में भी उपयोगी है।
इन सब के अलावा मदार के पौधे के विभिन्न हिस्सों को सौ से भी अधिक बीमारियों के उपचार में कारगर माना गया है। बिच्छू के डंक मार देने की स्थिति में भी मदार का दूध डंक वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है। हालांकि मदार का दूध आंखों के संपर्क में आ जाए तो यह मनुष्य को अंधा भी बना सकता है। इसलिए मदार का औषधीय तौर पर इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।

Saturday, July 29, 2023

मौत का स्वाद

 अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है आदमी ...

थोड़ा समय निकाल कर अंत तक पूरा पढ़ना
मौत के स्वाद का चटखारे लेता मनुष्य ...
थोड़ा कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है ...
मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा स्वाद है.....
बकरे का,
गाय का,
भेंस का,
ऊँट का,
सुअर,
हिरण का,
तीतर का,
मुर्गे का,
हलाल का,
बिना हलाल का,
ताजा बकरे का,
भुना हुआ,
छोटी मछली,
बड़ी मछली,
हल्की आंच पर सिका हुआ। न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के।
क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा....

स्वाद से कारोबार बन गई मौत।
मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स।
नाम *पालन* और मक़सद *हत्या*❗
स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी ऑफिशियल। गली गली में खुले नान वेज रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है।
जो हमारी तरह बोल नही सकते, अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं...
उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ?
कैसे मान लिया

कि उनमें भावनाएं नहीं होतीं ?
या उनकी आहें नहीं निकलतीं ?
डाइनिंग टेबल पर हड्डियां नोचते बाप बच्चों को सीख देते है, बेटा कभी किसी का दिल नही दुखाना ! किसी की आहें मत लेना ! किसी की आंख में तुम्हारी वजह से आंसू नहीं आना चाहिए !
बच्चों में झुठे संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ मे वो हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक आत्मा थी, उसकी भी एक मां थी ...??
जिसे काटा गया होगा ?
जो कराहा होगा ?
जो तड़पा होगा ?
जिसकी आहें निकली होंगी ?
जिसने बद्दुआ भी दी होगी ?
कैसे मान लिया कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे तो भगवान सिर्फ तुम इंसानों की रक्षा के लिए अवतार लेंगे ..❓
क्या मूक जानवर उस परमपिता परमेश्वर की संतान नहीं हैं .❓
क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है ..❓
धर्म की आड़ में उस परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो, कभी दुर्गा मां या भैरव बाबा के सामने बकरे की बली चढ़ाते हो। कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो ।
कभी सोचा ...!!!
क्या ईश्वर का स्वाद होता है ? ....क्या है उनका भोजन ?
किसे ठग रहे हो ?
भगवान को ?
अल्लाह को ?
जीसस को?
या खुद को ?
मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!!!
आज शनिवार है इसलिए नहीं ...!!!
अभी रोज़े चल रहे हैं ....!!!
नवरात्रि में तो सवाल ही नही उठता ....!!!
झूठ पर झूठ....

Saturday, July 22, 2023

नेकी करता चला जा, पुण्य खुद मिलता जायेगा

एक विडियो जिसे देख आंखें खुद ब खुद बहती चली गयी मेरी, मेरे आंसूंओं कि कशिश सिर्फ उस विडियो की तरफ थी जो टकटकी लगाए बार-बार उसे ही देखे जा रही थी। इतना भाव विभोर कर देने वाला था विडियो। सही कहते हमारे बड़े कि नेकी कर दरिया में डाल, बस नेकी का पुण्य फल आज नहीं तो कल किसी न किसी रूप में मिल ही जाता है या मिलता ही रहता है जो हमें महसूस भी नहीं हो पाता है। कब नेकी से ही धरा पर पड़ा इंसान उठ उस आसमां की बुलंदियों को छू लेता है जो उसे पता नहीं चलता है। वह तो नेकी का कार्य कर के भूल जाता है। उसे तो याद ही नहीं रहता कि उसने कभी कोई नेक काम किया था परंतु उसे नेकी का जब फल मिलता है तो वह फूला नहीं समाता है।

कहा जाता है समाज में सोशल मीडिया का प्रयोग आज के नवयुवा बहुत ही गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं जिसके चलते हमारे नवयुवा, नौनिहाल पथ भ्रमित होकर गलत राह पर चले जा रहे हैं और सोशल मीडिया का प्रयोग अनैतिक रूप से प्रयोग कर रहे हैं। सच यह देखा भी जा रहा है कि किसका तो सोशल मीडिया के जरिए कैसे वाहयात लोग वीडियो बना रहे, जिसे हम रियल कहते हैं और कुछ तो अवैधानिक कृत्य होते हुए देख रहे हैं परंतु बस खड़े-खड़े तमाशबीन की तरह वीडियो बनाते फिर रहे हैं और उसे अपलोड कर दिया जाता है सोशल मीडिया पर जन-जन तक पहुंचाने के लिए जैसे उन्होंने एक बड़ा कोई तीर मारा हो परंतु ऐसा नहीं है सोशल मीडिया का प्रयोग हम करना चाहे तो बहुत ही अच्छे तरीके से भी कर सकते हैं जैसा की मैंने ऊपर बताया कि मैंने एक वीडियो देखा जिसको देखकर इतना भाव विभोर हो उठी कि मेरे आंसू नहीं रुक रहे थे जानते हैं उस वीडियो के अंतर्गत क्या था उससे पहले मैं एक बात बताना चाहूंगी कि जिन्होंने यह वीडियो बनाया उन्होंने सोशल मीडिया का बहुत ही बेहतरीन उपयोग किया और दुनिया को एक संदेश देना चाहा कि जो हमारे बड़े बुजुर्ग कहते हैं वह गलत नहीं कहते हैं जैसे कि नेकी कर दरिया में डाल और इसका फल परिणाम कभी ना कभी हमें जरूर मिलता है हमारे हिसाब किताब के खाते प्रभु के द्वारा लिखे जा रहे हैं और उसी आधार पर हमारे द्वारा किये गये हर एक कर्मों का ही फल मिलता है जैसे कि हमें पैसा मिलता हैं, सम्मान, शौहरत, रूतबा। यदि हमारे पुण्य कर्म गलत होंगे तो न जाने कब हम अपने पाप के कर्मों की गठरी के कारण ही आसमां से धरा पर आकर औंधे मुंह गिर पड़े इसलिए कहते हैं कि पुण्य कर्म करते चलो फल की इच्छा मत करो।
 इस वीडियो के अंतर्गत यह था एक आदमी एक भिखारी को कुछ रुपए देता है। वो रुपए इतने थे की भिखारी 2 दिन आराम से खाना खा सकता था। उसे भीख मांगने की जरूरत नहीं पड़ती परंतु उस भिखारी ने उन्हीं पैसों में से प्यासे एक आदमी को पानी खरीद कर दिया, एक दवा की दुकान पर गया कोई दवाई खरीदनी थी। वहां पर एक मां अपने बच्चे के लिए दवाई खरीदने आई थी परंतु कुछ पैसे कम पड़ते हैं । दुकानदार ने दवाई देने से मना कर दिया। महिला अपने ही पास में खड़ी हुई दूसरी महिला से कुछ पैसे उधार देने के लिए कहा परंतु दूसरी महिला ने उधार देने से मना कर दिया तब उस भिखारी ने अपने पैसों में से उसे कुछ पैसे दे दिए और बच्चे के लिए दवाई दिलवा दी उस औरत ने कहा कि मैं आपके पैसे लौटा दूंगी परंतु उस भिखारी ने मना कर दिया कहा कि मुझसे ज्यादा इस बच्चे को जरूरत है दवा की। इस समय दवा देकर आप पहले बच्चे को ठीक होने दें। जिस इंसान में भिखारी को 2 दिन के खाने के पैसे दिए थे भिखारी का पीछा कर रहा था तब से जब उसने एक प्यासे व्यक्ति को पानी की बोतल खरीद कर दी थी, बच्चे को दवाई दिलवाने के बाद भिखारी खाने की दुकान पर गया और वहां से एक पराठा और चिप्स का पैकेट और पानी की बोतल खरीदी जब वह खाने ही बैठ रहा था तभी एक उसके दूसरे भिखारी मित्र जो की बहुत बुजुर्ग था अपनी भख जाहिर की, उस भिखारी में खरीदा हुआ पराठा उसे खाने के लिए दे दिया। जो आदमी उस भिखारी का पीछा कर रहा था वह सब देखने के बाद अपने घर वापस लौट आया उसने समस्त वाक्या अपनी मां को बताया उसने बताया कि किस कदर उसने भिखारी को  पैसे दिया और उस भिखारी ने पूरे के पूरे पैसे इस्तेमाल कर लिए दूसरों की मदद् करके तब मां की आंखों में आंसू आ गए और उसने अपने बेटे को बताया कि एक समय ऐसा था जब तुम्हारे पिता हमें छोड़ कर चले गए थे मुझे तुमको पालने के लिए पैसों की जरूरत थी और मेरे पास कोई काम ही नहीं था तब एक आदमी ने मेरी मदद की और जब तक मेरी नौकरी नहीं लगी तब तक उस आदमी ने मुझे रोज खाना दिया और तुम्हारे लिए दूध का इंतजाम भी करता था जब मेरी नौकरी लग गई तब मैं तुम्हें लेकर दूसरे शहर में आ गई जब मैंने अपना घर ले लिया तो मैं उस आदमी की तलाश में गई थी जहां उसे वो आदमी नहीं मिला। चलो कोई बात नहीं जिस आदमी है दूसरों की मदद की मैं उसी को ही अपने हाथों से कुछ बेटा देना चाहती हूं मुझे लेकर चलो। अपनी मां की बात सुनकर अपनी मां को उस भिखारी के पास लेकर जाता है और उन्हें वो भिखारी से मिल जाता है। मां जब उस भिखारी से मिलती है तो वह बहुत हैरान में पड़ जाती है। यह तो वही आदमी है जिसने मेरी बरसों पहले मदद की थी और जिसके कारण आज मैं और मेरा बेटा ऐशों आराम में रह रहे हैं। उस महिला ने उस भिखारी को पुरानी बातें याद दिलाई परंतु उस आदमी ने कहा कि मुझे कुछ भी याद नहीं मैं तो नेकी करता हूं और दरिया में डाल देता हूं। मेरी मां ने उस आदमी के लिए एक छोटा सा कमरा बनवाया , उसे वहीं रहने के लिए कहा और उसके लिए हर इंसान की जरूरत में आने वाले कपड़े व अन्य सामान दिया। आपके द्वारा कार्यकिसी न किसी रूप में आपको जरूर मिलेगा यही सीख दे रहा था वो विडियो ।सही में कुछ लोग सोशल मीडिया का प्रयोग इतना अच्छा करते हैं कि लोगों के लिए एक मिसाल कायम हो जाती है और कुछ अच्छा सीखने के लिए मिल पाता है काश हर कोई एक अच्छी सोच के साथी सोशल मीडिया का प्रयोग करें तो आज देश खुशहाल समृद्धि और प्रेम से परिपूर्ण हो जाएगा। 


वीना आडवाणी तन्वी

Friday, July 21, 2023

पत्नी के अलग अलग रूप

 जेठ के घर में एक गरीब आदमी काम करता है, नाम है प्रेम। जैसे ही प्रेम के फ़ोन की घंटी बजी, वह डर सा गया।

जेठ जी ने एक दिन पूछ ही लिया ?
"प्रेम तुम अपनी पत्नी से इतना क्यों डरते हो ?"
मैं डरता नही बाबूजी, उसकी कद्र करता हूँ उसका सम्मान करता हूँ। उसने जबाव दिया।
जेठजी हँसे और बोले-"ऐसा क्या है उसमें। ना बहुत सुन्दर है, ना पढी लिखी।"
जबाव मिला-"कोई फर्क नहीं पड़ता बाबूजी कि वह कैसी है, पर मुझे सबसे प्यारा रिश्ता उसी का लगता है।"
"जेठ जी उसे छेड़ रहे थे मुँह से निकला - जोरू का गुलाम।" और सारे रिश्ते कोई मायने नही रखते तेरे लिये ? उन्होंने पूछा।
उसने बहुत इत्मिनान से जबाव दिया- बाबू जी माँ बाप रिश्तेदार नहीं होते। वे भगवान होते हैं।
उनसे रिश्ता नहीं निभाते, उनकी पूजा करते हैं। भाई-बहन के रिश्ते जन्मजात होते हैं, दोस्ती का रिश्ता भी मतलब का ही होता है। आपका मेरा रिश्ता भी जरूरत और पैसे का है पर, पत्नी बिना किसी करीबी रिश्ते के होते हुए भी हमेशा के लिये हमारी हो जाती है, अपने सारे रिश्तों को पीछे छोड़कर और हमारे हर सुख-दुख की सहभागी बन जाती है आखिरी सांसों तक।"
मैं अचरज से उसकी बातें सुन रही थी। वह आगे बोला-"बाबू जी, पत्नी अकेली रिश्ता नहीं है, बल्कि वह पूरा रिश्तों की भण्डार है। जब वह हमारी सेवा करती है, हमारी देखभाल करती है, हमसे दुलार करती है तो एक माँ जैसी होती है। वह हमें जमाने के उतार-चढाव से आगाह करती है और मैं अपनी सारी कमाई उसके हाथ पर रख देता हूँ क्योंकि जानता हूँ वह हर हाल मे मेरे घर का भला करेगी तब पिता जैसी होती है। जब हमारा ख्याल रखती है, हमसे लाड़ करती है, हमारी गलती पर डाँटती है, हमारे लिये खरीदारी करती है तब बहन जैसी होती है। जब हमसे नयी-नयी फरमाईश करती है,
नखरे करती है, रूठती है, अपनी बात मनवाने की जिद करती है तब बेटी जैसी होती है। जब हमसे सलाह करती है, मशवरा देती है,
परिवार चलाने के लिये नसीहतें देती है, झगड़े करती है तब एक दोस्त जैसी होती है। जब वह सारे घर का लेन-देन, खरीददारी, घर चलाने की जिम्मेदारी उठाती है तो एक मालकिन जैसी होती है और जब वही सारी दुनिमा को यहां तक
कि अपने बच्चों को भी छोड़कर हमारे पास में आती है तब वह पत्नी, प्रेमिका, प्रेयसी, अर्धांगिनी, हमारी प्राण और आत्मा होती है जो अपना सब कुछ सिर्फ हम पर न्योछावर करती है।"
नौकर प्रेम के अंतिम शब्द हमेशा-हमेशा याद रहेंगे कि केवल पत्नी के साथ के रिश्ते को ही सात जन्मों का बंधन माना जाता है और किसी दूसरे रिश्ते को नहीं।

Friday, July 7, 2023

टोल फ्री नम्बर

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C M शिकायत पोर्टल          181

विद्युत सेवा                        1912

पशु सेवा                           1962

पुलिस सेवा                        112, 100

अग्नि  सेवा                        101

एमबुलैस  सेवा                   102

यातायात  पुलिस                103

आपदा  प्रबंधन                  108

चाइल्ड लाइन                  1098

रेलवे  पूछताछ                   139

भ्रष्टाचार  विरोधी              1031

रेल  दुर्घटना                     1072

सड़क  दुर्घटना                 1073

सी एम सहायता लाइन     1076

क्राइम  सटायर                 1090

महिला  सहायता  लाइन     1091

पृथ्वी  भूकम्प                  1092

बाल शोषण  सहायता       1098

किसान  काल  सेन्टर        1551

नागरिक  काल  सेन्टर  155300

 ब्लड बैंक         9480044444