Saturday, October 5, 2019

राम मंदिर केस पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के आज के दो रोचक द्रश्य..

राम मंदिर केस पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के आज के दो रोचक द्रश्य..


जज- मस्जिद के नीचे दीवारों के अवशेष मिले हैं।
मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा- वो दीवारें दरगाह की हो सकती हैं।
जज- लेकिन आपका मत तो यह है कि मस्जिद खाली जगह पर बनाई गई थी.. किसी ढ़ांचे को तोड़कर नहीं।
वकील- सन्नाटा


जज- एसआईटी की खुदाई में कुछ मूर्तियां मिली हैं।
वकील- वो बच्चों के खिलौने भी हो सकते हैं।
जज- उनमें वराह(सूअर) की मूर्ति भी मिली है जो हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार थे.. क्या मुसलमानो में सूअर की मूर्ति के साथ खेलने का प्रचलन था.?
वकील- घना सन्नाटा..!!


वेदों में श्रीराम तो हैं ही ...अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि का भी सटीक उल्लेख है !!
वह दृश्य था उच्चतम न्यायलय का ... श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वादी के रूप में उपस्थित थे धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ... जो विवादित स्थल पर श्रीराम जन्मभूमि होने के पक्ष में शास्त्रों से प्रमाण पर प्रमाण दिये जा रहे थे ...
न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति मुसलमान था ...
उसने छूटते ही चुभता सा सवाल किया, "आपलोग हर बात में वेदों से प्रमाण मांगते हैं ... तो क्या वेदों से ही प्रमाण दे सकते हैं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में उस स्थल पर ही हुआ था?"
जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी (जो प्रज्ञाचक्षु हैं) ने बिना एक पल भी गँवाए कहा , " दे सकता हूँ महोदय", ... और उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उद्धरण देना शुरू किया जिसमें सरयू नदी के स्थानविशेष से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है ।
कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई ... और उसमें जगद्गुरु जी द्वारा निर्दिष्ट संख्या को खोलकर देखा गया और समस्त विवरण सही पाए गए ... जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है ... विवादित स्थल ठीक उसी स्थान पर है ...
और जगद्गुरु जी के वक्तव्य ने फैसले का रुख हिन्दुओं की तरफ मोड़ दिया ...
मुसलमान जज ने स्वीकार किया , " आज मैंने भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार देखा ... एक व्यक्ति जो भौतिक आँखों से रहित है, कैसे वेदों और शास्त्रों के विशाल वाङ्मय से उद्धरण दिये जा रहा था ? यह ईश्वरीय शक्ति नहीं तो और क्या है ?"
अब कोई ये मत कहना कि वेद तो श्रीराम के जन्म से पहले अस्तित्व में थे ... उनमें श्रीराम का उल्लेख कैसे हो सकता है?
वेदों के मंत्रद्रष्टा ऋषि त्रिकालज्ञ थे -- भूत, भविष्य और वर्तमान, तीनों का ज्ञान रखते थे ...
( श्रीराम की महिमा तीनों कालों में है -- कालाबाधित ... लोकविश्रुत ...)


llचहुँ जुग चहुँ श्रुति नाम प्रभाऊll
llकलि विशेष नहिं आन उपाऊ ll


Friday, October 4, 2019

डायबिटीज होने का कारण और कम करने का उपाय

जल्दी-जल्दी पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रोगी का वजन कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्मध्घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता। तो  ऐसी स्थिति में हम क्या करें? राजीव भाई की एक छोटी सी सलाह है कि आप इन्सुलिन पर ज्यादा निर्भर ना करे क्योंकि यह इन्सुलिन डायबिटीज से भी ज्यादा खतरनाक है, साइड इफेक्ट्स बहुत है इसके । इस बीमारी के घरेलू उपचार निम्न लिखित हैं।


आयुर्वेद की एक दवा है जो आप घर में भी बना सकते है  -  100 ग्राम मेथी का दाना - 100 ग्राम करेले के बीज -  150 ग्राम जामुन के बीज -  250 ग्राम बेल के पत्ते (जो शिव जी को चढाते है )


इन सबको धुप में सुखाकर पत्थर में पिसकर पाउडर बना कर आपस में मिला ले यही औषधि है ।


औषधि लेने की पद्धति रू सुबह नास्ता करने से एक घंटे पहले एक चम्मच गरम पानी के साथ ले, फिर शाम को खाना खाने से एक घंटे पहले ले। तो सुबह शाम एक एक चम्मच पाउडर खाना खाने से पहले गरम पानी के साथ आपको लेना है । देड दो महीने अगर आप ये दवा ले लिया । ये औषधि बनाने में   20 से 25 रूपया खर्च आएगा और ये औषधि तीन महिने तक चलेगी और उतने दिनां में आपकी सुगर ठीक हो जाएगी । सावधानी -  सुगर के रोगी ऐसी चीजे ज्यादा खाए जिसमे फाइबर हो रेशे ज्यादा हो, भ्पही थ्पइमत स्वू थ्ंज क्पमज घी तेल वाली डायेट कम हो और फाइबर वाली ज्यादा हो रेशेदार चीजे ज्यादा  खाए। सब्जिया में बहुत रेशे है वो खाए, डाल जो छिलके वाली हो वो खाए, मोटा अनाज ज्यादा खाए, फल ऐसी खाए जिनमे रेशा बहुत है । -  चीनी कभी ना खाए, डायबिटीज की बीमारी को ठीक होने में चीनी सबसे बडी रुकावट है। लेकिन आप गुड खा सकते है । -  दूध और दूध से बनी कोई भी चीज नही खाना । -  प्रेशर कुकर और अलुमिनम के बर्तन में ना ना बनाए । -  रात का खाना सर्यास्त के पूर्व करना होगा । जो डायबिटीज आनुवंशिक होतें है वो कभी पूरी ठीक नही होता सिर्फ कण्ट्रोल होता है उनको ये दवा पूरी जिन्दगी खानी पडेगी, पर जिनको आनुवंशिक नही है उनका पूरा ठीक होता है ।


तीसरा चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की तैयारियां जोरो पर 

 12-14 अक्टूबर 2019 को 'फिल्म लैंड' में जुटेंगी तमाम शख्सियतें


पं. परशुराम द्विवेदी पी जी कालेज, जगम्मनपुर के सभागार में होगा जमावड़ा



 औरैया | के. आसिफ चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के तीसरे संस्करण का आयोजन पं. परशुराम द्विवेदी पी जी कालेज, जगम्मनपुर के सभागार में आयोजित किया जा रहा है।  तीन दिवसीय यह आयोजन आगामी 12-14 अक्टूबर के बीच चंबल घाटी के बीचो बीच होगा। जिसमें देश-विदेश में बनी सरोकारी फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी साथ ही विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाएंगे। फिल्म फेस्टिवल का उद्धाटन दिन में 12 बजे से होगा। फिल्म फेस्टिवल की तैयारी को लेकर इटावा, औरैया, जालौन के बीहड़ी गांवो में सघन जनसंपर्क किया जा रहा है।


दुनियां की 150 भाषाओं में गजल गाकर तीन बार गिनिज बुक में अपना नाम दर्ज कराने वाले डा. गजल श्रीनिवास चंबल गीत का वीडियो वर्जन ला रहे हैं। चंबल गीत की वीडियो उद्घाटन समारोह में दर्शको को दिखाई जाएगी। डा. श्रीनिवास पांच नदियों के संगम पचनदा पर 12 अक्टूबर की शाम को 5:30 पर चंबल गीत का लाईव कंसर्ट करेंगे। चंबल गीत अपनी बानगी में सुघड़ बन पड़ा है। गीत मधुर और ओज का संगम है। उसके कथ्य में चंबल की भावभूमि है, तो इतिहास और संस्कृति की झलक भी। गीत में वाद्ययंत्रों के अपूर्व संयोजन से, चम्बल की धारा का कलकल निनाद और उसके कूल-कछारों में पंछियों की चहचहाहट का जो प्रभाव उत्पन्न किया गया है वह गीत को और भी जीवन्त बनाता है। इस गीत को चंबल की संपूर्ण की अवाम को समर्पित किया गया है।


अयोध्या और कारगिल में सबसे पहले फिल्म समारोहो की नींव रखने वाले प्रसिद्ध दस्तावेजी फिल्म निर्माता शाह आलम ने कहा कि देश के सबसे बड़े गुप्त क्रांतिकारी दल 'मातृवेदी' का दस्तावेजीकरण करने के लिए चंबल के बीहड़ों में 2800 किमी से अधिक साइकिल से दौरा किया था। शाह आलम ने कहा कि के. आसिफ के सिनेमा के प्रति दिवानगी और जुनुन ने प्रभावित किया और मलाल भी हुआ कि यह काम सरकारो को करना चाहिए था लेकिन उन्होने कुछ नही किया। लिहाजा उनकी यादें संजोने के लिए चंबल घाटी में अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह की श्रृंखला शुरु कर दी। दिन-ब दिन तमाम अड़चनो के बाद भी यह कांरवा आगे बढ़ता जा रहा है।


   गौरतलब है कि हिंदी सिनेमा को माइलस्टोन फ़िल्म देने वाले डायरेक्टर के आसिफ के 97 वें जन्मदिन से पहले गोवा मुक्‍ति‍ आंदालन के प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कृष्ण चन्द्र सहाय ने लखनऊ में पोस्टर को जारी किया था। वो इस फेस्टिवल को लेकर खासे उत्साहित हैं। दरअसल चम्‍बल घाटी शांति‍ मि‍शन के संयोजक रहे कृष्ण चन्द्र सहाय ने चंबल घाटी में बि‍नोवा जी और जयप्रकाश नारायण के बाद के 651 बागियों के आत्‍म समर्पणों के जीवंत दस्तावेज हैं।
लेखक अभिमन्यु शुक्ला औरैया उत्तर प्रदेश


Thursday, October 3, 2019

तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ


तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
सिंह की सवार बनकर
रंगों की फुहार बनकर
पुष्पों की बहार बनकर
सुहागन का श्रंगार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
खुशियाँ अपार बनकर
रिश्तों में प्यार बनकर
बच्चों का दुलार बनकर
समाज में संस्कार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ


रसोई में प्रसाद बनकर 
व्यापार में लाभ बनकर 
घर में आशीर्वाद बनकर 
मुँह मांगी मुराद बनकर 
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
संसार में उजाला बनकर 
अमृत रस का प्याला बनकर 
पारिजात की माला बनकर 
भूखों का निवाला बनकर 
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी बनकर 
चंद्रघंटा, कूष्माण्डा बनकर 
स्कंदमाता, कात्यायनी बनकर 
कालरात्रि, महागौरी बनकर 
माता सिद्धिदात्री बनकर 
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
तुम्हारे आने से नव-निधियां 
स्वयं ही चली आएंगी 
तुम्हारी दास बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ


सत्य और न्याय ही पत्रकारिता का पहला कर्तव्य :-  तिवारी


दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता, रामपुर- तीन दिवसीय कार्यक्रम के तहत दैनिक अयोध्या टाइम्स के सह संपादक एसके तिवारी के प्रथम बार रामपुर आगमन पर स्वागत अभिनंदन किया गया। सह संपादक इसके तिवारी के प्रथम रामपुर आगमन पर ब्यूरो चीफ सैयद फैजान अली की टीम ने स्वागत किया। सह संपादक एसके तिवारी बाजार नसरुल्लाह खान स्थित दैनिक अयोध्या टाइम्स के कार्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने रामपुर की पूरी टीम का परिचय लिया। इस मौके पर  सह संपादक एसके तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता समाज की सेवा है। आम जनता की आवाज बनकर हम लोग सरकार को अवगत कराते हैं। और सरकार की आवाज बनकर कर आम जनता तक पहुंचाते हैं। यही  पत्रकारिता है। जनता को न्याय दिलाना पत्रकार की पहली प्राथमिकता है। दैनिक अयोध्या टाइम्स के कार्यालय पर उन्होंने रामपुर की राजनीति पर चर्चा की साथ ही देश के राजनीतिक हालातों पर चर्चा की और भविष्य में होने वाली कार्यक्रमों से भी अवगत कराया।सभी लोगों से मेहनत और लगन से कार्य करने का आवाहन किया। सह संपादक एसके तिवारी ने रामपुर से जुड़ी प्राचीन इमारतों और धरोहर को देखा समझा। उनके बारे में जानकारी जुटाई। तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम रूप में एसके तिवारी ने रामपुर की टीम को भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए। लखनऊ के लिए रवाना हो गए। इस मौके पर ब्यूरो चीफ फैजान अली, वरिष्ठ पत्रकार शाहबाज खान,पत्रकार हुमा बी, एडिटर शिवओम कुमार, एडवर्टाइजमेंट अदीबा खान, फोटोग्राफर सारिक याकूब , साहब खा आदि लोग उपस्थित रहे।


मंत्री क्या पटवारी भी रिश्वतखोर








चलिए कई दिनों बाद किसी मंत्री ने शिष्टाचार की बात कही है। सुनकर अच्छा लगा कि जनता के साथ-साथ नुमाइंदे भी व्यवस्था की व्यथा से ग्रसित है। तभी तो लगाम लगाने के लिए भ्रष्टाचार पर तंज कस रहे हैं। वह भी रिश्वत जैसी अमरबेली महामारी के हद दर्जे की आफत से कुंठित होकर। वाकई में मध्य प्रदेश के एक नामी उच्च शिक्षित मंत्री बधाई के पात्र जिन्होंने रिश्वत को रुखसत करने का साहस सुनाया। रणभेरी में भ्रष्टाचार मुक्त भारत की शुरुआत मध्य प्रदेश की सरजमीं से होने जा रही है, जिसके प्रवक्ता ये मंत्री जी बने। माननीय ने सार्वजनिक मंच से अपनी ही सरकार के अधीनस्थ सभी शासकीय पटवारियों को रिश्वतखोर बताया। 


बयान मे दम है तो स्थिति अनियंत्रित, चिंता जनक और कार्रवाई दायक है। फिर देर किसलिए सरकार फौरन रिश्वत के आकंठ में डूबे जमीन का हिसाब किताब रखने वाले पटवारियों की धर पकड़ कर कठघरे में डाल दें किसने रोका है। जब सबूत स्वयं सरकार के पास है तो ऐसे लूटखोर बेखौफ क्यों है संकीचों के पीछे क्यों नहीं? कार्रवाई न होना शंका को जन्म देता है? इसका जवाब भी इन जनाब को देना चाहिए तभी असलियत जनता के सामने आएगी। नहीं तो यह समझा जाए कि बड बोलापन, बोल वचन के अलावा कुछ नहीं हैं। इसीलिए जबान के बाद कलम चलाने में गुरेज हो रही हैं। उधेड़बून, जब सरकारी नियंत्रणी जमीनी पटवारी रिश्वत की भरमार से सराबोर है तो पूरा प्रशासनिक तंत्र और शासन के रहनुमा क्या कर रहे हैं? रखवाली! हिस्सेदारी! कहीं इनकी भी भागीदारी बराबर की तो नहीं है?


 अगर ऐसा है तो यह सरासर नाइंसाफी है साहब! पटवारियों की आड़ में अपनी कमजोरी छुपाने और सुर्खियां बटोरने वाले भद्दे मजाक से काम नहीं चलने वाला। कुछेक रिश्वतखोर पटवारियों के नाम पर सभी पटवारियों को घसीटना कदाचित ठीक नहीं है। ऐसा ही है तो मंत्रियों की रिश्वतखोरी की लंबी फेहरिस्त है कई अंदर और कई बाहर अदालत के चक्कर लगा रहे हैं। फिर यह नियम मंत्रियों के लिए भी लागू होना चाहिए कि सभी मंत्री भी ………. हैं। या कुछ और। ऐसा कहने का साहस जुटा पाएंगे मंत्री जी? तब हम गर्व से कह सकेंगे आपके राज में मंत्री और संत्रियों के लिए बराबर न्याय है। रही! रिश्वतखोरी इस मामले में चुनिंदा पटवारियों के मुकाबले दलदल में डूबे मंत्रियों की काली कमाई बेशुमार है। आए दिन इसकी खोज-खबर देखने, सुनने और पढ़ने मिल जाना आम बात है। बानगी, हर 5 साल में मलाई के जमात में शामिल नेताओं की आय में 100 गुना तक बढ़ोतरी हो जाना किसी से छुपी नहीं है। बावजूद इसके ना जाने क्यों पटवारियों के पीछे पटवारी हाथ धोखे के पीछे पड़े हुए है। वजह कुछ भी हो लेकिन एक ही चश्मे से सब को देखना कहां से तर्क संगत है। अनर्गल बयान का असर यह हुआ कि प्रदेश के पटवारी 3 दिन के सामूहिक अवकाश पर चले गए।  यदि मंत्री ने पटवारियों से सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी तो अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। पटवारियों ने जिला कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपकर अपने इरादे जता दिए हैं। मामले पर पटवारियों ने कहा की इससे हमारे मान-सम्मान-स्वाभिमान और अस्मिता को ठेस पहुंची। तुगलकी बयान से पटवारियों को मानसिक आघात, मनोबल टूटना और अपमानित महसूस करना लाजमी हैं। सोचनिए! गर सभी पटवारी मिलकर एक मंत्री के बारे में टिप्पणी कर देते तो इनका क्या हश्र होता अलकल्पनीय है।यहां यह ना भूले के मंत्रियों और अफसरों की आवभगत में यही पटवारी दिन रात सर्किट हाउसों की रखवाली करते हैं। साथ ही मनपसंद की सवारी, लजीज भोजन और सामग्रियों की व्यवस्था पटवारियों के माथे आला अधिकारी जड़ देते हैं। अमला अपने कामों के अलावे घटना-दुर्घटना, आफत-राहत, धरना-आंदोलन, तीज-त्योहारों और आयोजन-महोत्सव में जुटा रहता है। ऐसे में इन सभी को अपनी नजरों से रिश्वतखोर बता देना एक जिम्मेदार मंत्री को शोभा नहीं देता। हां! जो भ्रष्ट व गैर जिम्मेदार चाहे पटवारी हो या अफसर, नेता किवां मंत्री-मुख्यमंत्री और कोई भी हो उसे हर हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए। इसी कदम ताल की देश के जवान-मजदूर-किसान और हर इंसान को बरसों से दरकार है। अब, देखना है यह कब तलक मुकम्मल होती है।


 









Wednesday, October 2, 2019

आओ हम सब  मिलकर के प्लास्टिक मुक्त भारत की संरचना करें

वर्तमान अर्थ के इस युग में अर्थ अर्जन  की आपाधापी में आधुनिक समाज में प्लास्टिक मानव-शत्रु के रूप में उभर रहा है। समाज में फैले आतंकवाद से तो छुटकारा पाया जा सकता है, किंतु प्लास्टिक से छुटकारा पाना अत्यंत कठिन है, क्योंकि आज यह हमारे दैनिक उपयोग की वस्तु बन गया है। आंख खुलते ही शुरू होने वाला प्लास्टिक का उपयोग रात की नींद के साथ ही बंद होता है| गृहोपयोगी वस्तुओं से लेकर कृषि, चिकित्सा, भवन-निर्माण, विज्ञान सेना, शिक्षा, मनोरंजन, अंतरिक्ष, अंतरिक्ष कार्यक्रमों और सूचना प्रौद्योगिकी आदि में प्लास्टिक का उपयोग बढ़-चढ़कर हो रहा है।स्वार्थी एवं उपभोक्तावादी मानव ने प्रकृति यानि पर्यावरण को पॉलीथीन के अंधाधुंध प्रयोग से जिस तरह प्रदूषित किया और करता जा रहा है उससे सम्पूर्ण वातावरण पूरी तरह आहत हो चुका है विकास की कीमत प्रकृति  का किस स्तर तक नुकसान करके मानव चुकाएगा यह कह पाना बड़ा मुश्किल है| प्लास्टिक  विदेशी से घिरा मानव  कहीं प्रकृति और खुद के अस्तित्व को नष्ट ही ना कर ले |आज के भौतिक युग में पॉलीथीन के दूरगामी दुष्परिणाम एवं विषैलेपन से बेखबर हमारा समाज इसके उपयोग में इस कदर आगे बढ़ गया है मानो इसके बिना उनकी जिंदगी अधूरी है, जाने अनजाने मानव ने अपने जीवन में एक खतरनाक विष का जाल बना लिया है जिसमें  कीड़े मकोड़े की तरह हम खुद ही फस कर  उलझने को विवश हो रहे हैं | प्लास्टिक का उपयोग करना तो बहुत आसान है परंतु उसका निस्तारण , उपयोग करने के बाद सही तरीके से  कर पाना बहुत ही मुश्किल साबित हो रहा है | सही तरीके से  निस्तारित ना होने पर  प्लास्टिक कचरा हमारे जमीनों की उर्वरा शक्ति कम कर रहा है । ऐसे खेतों में पड़ने वाले बीज अंकुरित ही नहीं होते , यदि प्लास्टिक कचरा पॉलीथिन के रूप में नालियों में फेंका जाता है। तो वह नाली और नाले को अवरुद्ध करता है , प्लास्टिक थैली में फेंका गया जूठन हमारे पशुओं  में कैंसर फैला रहा है  |हिमालय की वादियों से लेकर समुद्र की गहराइयों तक हर जगह उचित निस्तारण व्यवस्था ना होने के कारण प्लास्टिक कचरा फैला पड़ा है जिससे प्रकृति का पर्यावरण चक्र बिगड़ने को विवश हो रहा है ।
                           कुछ विकसित देशों में प्लास्टिक के रूप में निकला कचरा फेंकने के लिए खास केन जगह जगह रखी जाती हैं। इन केन में नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल कचरा ही डाला जाता है। असलियत में छोटे से छोटा प्लास्टिक भले ही वह चॉकलेट का कवर ही क्यों न हो बहुत सावधानी से फेंका जाना चाहिए। क्योंकि प्लास्टिक को फेंकना और जलाना दोनों ही समान रूप से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। प्लास्टिक जलाने पर भारी मात्रा में केमिकल उत्सर्जन होता है जो सांस लेने पर शरीर में प्रवेश कर श्वसन प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसे जमीन में फेंका जाए या गाड़ दिया जाए या पानी में फेंक दिया जाए, इसके हानिकारक प्रभाव कम नहीं होते और प्रकृति के विभिन्न प्रकार के चक्रों को अनियमित करते हैं सो अलग|                                      


वर्तमान समय को यदि पॉलीथीन अथवा प्लास्टिक युग के नाम से जाना जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हमने शायद इतिहास में विभिन्न सभ्यता देखी कांस्य युगीन सभ्यता , लौह युग ,और अब हम प्लास्टिक युग में विचरण कर रहे हैं अन्य सभ्यताओं ने मानव को विकसित किया परंतु प्रकृति को नष्ट नहीं किया और आज का प्लास्टिक योग हमारे अस्तित्व से ही खिलवाड़ करने में लगा हुआ है| आज सम्पूर्ण विश्व में यह पॉली अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान बना चुका है और दुनिया के सभी देश इससे निर्मित वस्तुओं का किसी न किसी रूप में प्रयोग कर रहे हैं।  सोचनीय विषय यह है कि सभी इसके दुष्प्रभावों से अनभिज्ञ हैं या जानते हुए भी अनभिज्ञ बने जा रहे हैं।  



                          पॉलीथीन एक प्रकार का जहर है जो पूरे पर्यावरण को नष्ट कर देगा और भविष्य में हम यदि इससे छुटकारा पाना चाहेंगे तो हम अपने को काफी पीछे पाएँगे और तब तक सम्पूर्ण पर्यावरण इससे दूषित हो चुका होगा। हमने अपने आने वाली पीढ़ियों को जहरीली हवा ,पानी और भोजन के अतिरिक्त जहर घोलकर पर्यावरण भी दिया है|
आज सुबह के टूथपेस्ट से शुरू होकर प्लास्टिक का सफर घर में पूजा स्थल से रसोईघर, स्नानघर, बैठकगृह तथा पठन-पाठन वाले कमरों बच्चों के स्कूल बैग तक के उपयोग में आने लग गई है। यही नहीं यदि हमें बाजार से कोई भी वस्तु जैसे राशन, फल, सब्जी, कपड़े, जूते यहाँ तक तरल पदार्थ जैसे दूध, दही, तेल, घी, फलों का रस इत्यादि भी लाना हो तो उसको लाने में पॉलीथीन का ही प्रयोग हो रहा है। आज के समय में फास्ट फूड का काफी प्रचलन है जिसको भी पॉली में ही दिया जाता है आजकल अक्सर आप ट्रेन से सफर करते हैं तो खिड़की से बाहर देखने पर चमकीली प्लास्टिक के रैपर दूर तक चमकते हुए दिखाई देते हैं, आज मनुष्य पॉली का इतना आदी हो चुका है कि वह कपड़े या जूट के बने थैलों का प्रयोग करना ही भूल गया है| हम प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करें इसके लिए सरकार को हमारे ऊपर तथा प्लास्टिक बेचने वालों पर अर्थदंड लगाना पड़ रहा है| विकास की अंधी दौड़ में हम इतने खो चुके हैं कि हमें अपना अस्तित्व ही नष्ट होता नहीं दिखाई दे रहा आप कल्पना करें भारत में 50% प्लास्टिक एक बार इस्तेमाल होने के बाद फेंक दी जाती है अक्सर इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक बैग खतरनाक केमिकल जायलेन, एथिलीन ऑक्साइड , बेंजीन जैसे केमिकल से मिलकर बनते हैं    इनमें रखा हुआ खाना भी प्रदूषित ही नहीं समय के साथ विषैला भी हो जाता है और इस तरह के प्लास्टिक को यदि हम जमीन में दफनाते हैं तो वह जमीन पानी में फेंकते हैं तो वह पानी और कचड़े के रूप में फेंका गया पॉलिथीन तो हजारों सालों तक नष्ट नहीं होता प्लास्टिक कि नॉन बायोडिग्रेडेबल प्रवृत्ति ही हमारे लिए सबसे खतरनाक है|   
                     प्रकृति और मानव अनादिकाल से सहचर के भाव में जीवन यापन करते रहे हैं आज वर्तमान समय की महती आवश्यकता है कि हम पहले तो अपने दिनचर्या में प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करें और यदि करें तो यह ध्यान रखें कि वह प्लास्टिक reused, recycled आसानी से की जा सके और धीरे-धीरे  यह उपयोग कम से कम कर किए जा सके |आइए सरकार की मंशा के साथ शामिल होते हुए हम सब भी 2 अक्टूबर 2019 को यह शपथ ले कि अपने जीवन में प्रयोग होने वाली ज्यादा से ज्यादा प्लास्टिक की वस्तुओं का त्याग करेंगे और कुछ नहीं तो कम से कम प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करना हम मनुष्यों का परम कर्तव्य है अगर प्रकृति हमारी रक्षा करती है तो आज की  महती आवश्यकता है कि हम अपनी प्रकृति की रक्षा करें| एक प्रयास प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने का...... 
लेखक--अभिमन्यु शुक्ला


सफल होने के 60 मंत्र

1:- जीवन में वो ही व्यक्ति असफल होते है, जो सोचते है पर करते नहीं ।
2 :- भगवान के भरोसे मत बैठिये क्या पता भगवान आपके भरोसे बैठा हो… 
3 :- सफलता का आधार है सकारात्मक सोच और निरंतर प्रयास !!!
4 :- अतीत के ग़ुलाम नहीं बल्कि भविष्य के निर्माता बनो…
5 :- मेहनत इतनी खामोशी से करो की सफलता शोर मचा दे…
6 :- कामयाब होने के लिए अकेले ही आगे बढ़ना पड़ता है, लोग तो पीछे तब आते है जब हम कामयाब होने लगते है.
7 :- छोड़ दो किस्मत की लकीरों पे यकीन करना, जब लोग बदल सकते हैं तो किस्मत क्या चीज़ है…
8 :- यदि हार की कोई संभावना ना हो तो जीत का कोई अर्थ नहीं है…
9 :- समस्या का नहीं समाधान का हिस्सा बने…
10 :- जिनको सपने देखना अच्छा लगता है उन्हें रात छोटी लगती है और जिनको सपने पूरा करना अच्छा लगता है उनको दिन छोटा लगता है…
11 :- आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते पर आप अपनी आदतें बदल सकते है और निशचित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देगी !
12 :- एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जानें के बाद दूसरा सपना देखने के हौसले को ज़िंदगी कहते है !!!
13 :- वो सपने सच नहीं होते जो सोते वक्त देखें जाते है, सपने वो सच होते है जिनके लिए आप सोना छोड़ देते है…
14 :- सफलता का चिराग परिश्रम से जलता है !!!
15 :- जिनके इरादे बुलंद हो वो सड़कों की नहीं आसमानो की बातें करते है…
16 :- सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं…
17 :- मैं तुरंत नहीं लेकिन निश्चित रूप से जीतूंगा…
18 :- सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगें लोग…
19 :- आशावादी हर आपत्तियों में भी अवसर देखता है और निराशावादी बहाने !!!
20 :- आप में शुरू करने की हिम्मत है तो, आप में सफल होने के लिए भी हिम्मत है…
21 :- सच्चाई वो दिया है जिसे अगर पहाड़ की चोटी पर भी रख दो तो बेशक रोशनी कम करे पर दिखाई बहुत दूर से भी देता है.
22 :- संघर्ष में आदमी अकेला होता है, सफलता में दुनिया उसके साथ होती है ! जिस जिस पर ये जग हँसा है उसी उसी ने इतिहास रचा है.
23 :- खोये हुये हम खुद है और ढूढ़ते ख़ुदा को है !!!
24 :- कामयाब लोग अपने फैसले से दुनिया बदल देते है और नाकामयाब लोग दुनिया के डर से अपने फैसले बदल लेते है…
25 :- भाग्य को और दूसरों को दोष क्यों देना जब सपने हमारे है तो कोशिशें भी हमारी होनी चाहियें !!!
26 :- यदि मनुष्य सीखना चाहे तो उसकी प्रत्येक भूल उसे कुछ न कुछ सिखा देती है !!!
27 :- झूठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते है तरक्की के बाज़ की उड़ान में कभी आवाज़ नहीं होती…
28 :- समस्या का सामना करें, भागे नहीं, तभी उसे सुलझा सकते हैं…
29 :- परिवर्तन से डरना और संघर्ष से कतराना मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है.
30 :- सुंदरता और सरलता की तलाश चाहे हम सारी दुनिया घूम के कर लें लेकिन अगर वो हमारे अंदर नहीं तो फिर सारी दुनिया में कहीं नहीं है.
31 :- ना किसी से ईर्ष्या ना किसी से कोई होड़, मेरी अपनी मंज़िलें मेरी अपनी दौड़…
32 :- ये सोच है हम इंसानों की कि एक अकेला क्या कर सकता है, पर देख ज़रा उस सूरज को वो अकेला ही तो चमकता है !!!
33 :- लगातार हो रही सफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि कभी कभी गुच्छे की आखिरी चाबी भी ताला खोल देती है…
34 :- जल्द मिलने वाली चीजें ज्यादा दिन तक नहीं चलती और जो चीजें ज्यादा दिन तक चलती है वो जल्दी नहीं मिलती है.
35 :- इंसान तब समझदार नहीं होता जब वो बड़ी बड़ी बातें करने लगे, बल्कि समझदार तब होता है जब वो छोटी छोटी बातें समझने लगे…
36 :- सेवा सभी की करना मगर आशा किसी से भी ना रखना क्योंकि सेवा का वास्तविक मूल्य नही दे सकते है,
37 :- मुश्किल वक्त का सबसे बड़ा सहारा है “उम्मीद” !! जो एक प्यारी सी मुस्कान दे कर कानों में धीरे से कहती है “सब अच्छा होगा” !!
38 :- दुनिया में कोई काम असंभव नहीं, बस हौसला और मेहनत की जरुरत है !!!
39 :- वक्त आपका है चाहे तो सोना बना लो और चाहे तो सोने में गुजार दो, दुनिया आपके उदाहरण से बदलेगी आपकी राय से नहीं…
40 :- बदलाव लाने के लिए स्वयं को बदले…
41 :- सफल व्यक्ति लोगों को सफल होते देखना चाहते है, जबकि असफल व्यक्ति लोगों को असफल होते देखना चाहते है…
42 :- घड़ी सुधारने वाले मिल जाते है लेकिन समय खुद सुधारना पड़ता है !!!
43 :- दुनिया में सब चीज मिल जाती है केवल अपनी ग़लती नहीं मिलती…
44 :- क्रोध और आंधी दोनों बराबर… शांत होने के बाद ही पता चलता है की कितना नुकसान हुवा…
45 :- चाँद पे निशान लगाओ, अगर आप चुके तो सितारों पे तो जररू लगेगा !!!
46 :- गरीबी और समृद्धि दोनों विचार का परिणाम है…
47 :- पसंदीदा कार्य हमेशा सफलता, शांति और आनंद ही देता है…
48 :- जब हौसला बना ही लिया ऊँची उड़ान का तो कद नापना बेकार है आसमान का…
49 :- अपनी कल्पना को जीवन का मार्गदर्शक बनाए अपने अतीत को नहीं…
50 :- समय न लागओ तय करने में आपको क्या करना है, वरना समय तय कर लेगा की आपका क्या करना है.
51 :- अगर तुम उस वक्त मुस्कुरा सकते हो जब तुम पूरी तरह टूट चुके हो तो यकीन कर लो कि दुनिया में तुम्हें कभी कोई तोड़ नहीं सकता !!!
52 :- कल्पना के बाद उस पर अमल ज़रुर करना चाहिए। सीढ़ियों को देखते रहना ही पर्याप्त नहीं है, उन पर चढ़ना भी ज़रुरी है।
53 :- हमें जीवन में भले ही हार का सामना करना पड़ जाये पर जीवन से कभी नहीं हारना चाहिए…
54 :- सीढ़ियां उन्हें मुबारक हो जिन्हें छत तक जाना है, मेरी मंज़िल तो आसमान है रास्ता मुझे खुद बनाना है !!!
55 :- हजारों मील के सफ़र की शुरुआत एक छोटे कदम से होती है…
56 :- मनुष्य वही श्रेष्ठ माना जाएगा जो कठिनाई में अपनी राह निकालता है ।
57 :- पुरुषार्थ से असंभव कार्य भी संभव हो जाता है…
58 :- प्रतिबद्ध मन को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, पर अंत में उसे अपने परिश्रम का फल मिलेगा ।
59 :- असंभव समझे जाने वाला कार्य संभव करके दिखाये, उसे ही प्रतिभा कहते हैं ।
60 :- आने वाले कल को सुधारने के लिए बीते हुए कल से शिक्षा लीजिए…


दैनिक अयोध्या टाइम्स समाचार के पीलीभीत कार्यालय का उद्घाटन समारोह संपन्न

आज दिनांक 01.10.19 को दैनिक समाचार पत्र अयोध्या टाइम्स पीलीभीत पीलीभीत ब्यूरो कार्यालय का ज़िला प्रभारी लियाक़त हुसैन एवं ब्यूरो चीफ़ शहज़ाद शम्सी की ओर से आयोजित श्री अमिताभ राय ए०आर०टी०ओ प्रशासन पीलीभीत ने कार्यालय का फीता काट कर शुभारंभ किया।



कार्यक्रम श्री प्रभात जैसवाल पूर्व पालिकाध्यक्ष पीलीभीत की अध्य्क्षता में सम्पन्न हुआ।
जिसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में अयोध्या टाइम्स ग्रुप के को०एडिटर श्री संजय कुमार तिवारी,श्री श्रीकांत द्विवेदी प्रभारी निरीक्षक कोतवाली सदर,श्री संदीप सिंह वरिष्ट पत्रकार एवं प्रेसिडेंट प्रेस क्लब पीलीभीत और मो०वसीम शेरी प्रेसीडेंट पीलीभीत बस यूनियन ने संयुक्त रूप से पधार कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।



सफी उर रहमान शम्सी द्वारा कार्यक्रम में पधारे मुख्य अतिथि को दो शाला उड़ाकर स्वागत किया गया साथ ही ज़िला प्रभारी लियाक़त हुसैन द्वारा कार्यक्रम अध्य्क्ष को दो शाला उड़ाकर सम्मानित किया गया एवं आफ़ताब मियां द्वारा कार्यक्रम में पधारे विशिष्ट अतिथियों को दो शाला उड़ाकर सम्मानित किया गया।



कार्यक्रम में पधारे अतिथियों को सैय्यद इज़्ज़त अली,सैय्यद ज़ाहिद अली,शिब्ली अहमद,कक्कू भाई, अज़ीम रज़ा, इक़रार रज़ा,तस्लीम शम्सी,फ़ैज़ शम्सी,शहज़ाद उल हक़, कलीम उर रहमान,फुरकान मोहम्मद, डा०अफ़ज़ल शम्सी एवं तस्लीम उस्मानी द्वारा फ़ूल माला पहना कर स्वागत किया गया।
ज़िला प्रभारी लियाक़त पहलवान द्वारा कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों और जन साधारण का आभार व्यक्त किया गया।
इस अवसर पर ब्यूरो चीफ़ शहज़ाद शम्सी ने कहा की जो ज़िम्मेदारी अयोध्या टाइम्स मीडिया ग्रुप ने मुझे और मेरी टीम को दी गई हैं उसे हम सब मिल कर पूरी ईमानदारी और मेहनत से पूरा करेंगे।
कार्यक्रम का सफल संचालन संयुक्त रूप से संजय पांडे और सफी उर रहमान शम्सी द्वारा किया गया।



Tuesday, October 1, 2019

बलिदानियों का गांव चित्रकूट जिले का सरधुआ गांव

बलिदानियों का गांव चित्रकूट जिले का सरधुआ गांव यह गांव सैनिकों का गांव कहलाता है इस गांव के सपूत स्वर्गीय कर्नल दिनेश सिंह की मेहनत से इस गांव का भाग्योदय हुआ इस गांव के प्रत्येक के  वर्ग परिवार से एक सैनिक है इस गांव से 350 से अधिक सैनिक कई कर्नल मेजर सूबेदार कैप्टन हवलदार शहीद सेना के कई पदों पर आसीन होकर देश सेवा कर रहे हैं उत्तर प्रदेश का पहला गांव में जिस में सबसे अधिक युवा सेना में है कई सैनिकों ने राष्ट्रहित में अपने को बलिदान किया है चित्रकूट जिले का ग्राम सरधुआ जो मंदाकिनी के तट पर जमुना के नजदीक तिराहर का सिरमौर है इस गांव की खूबसूरती देखने लायक है इस गांव में तीन इंटर कॉलेज 10 जूनियर हाई स्कूल कई प्राथमिक विद्यालय है 99% जनसंख्या इस गांव की शिक्षित है चित्रकूट के राजापुर के नजदीक गांव बसा है इस गांव के बाहर खड़े हो जाएं तो ऐसा लगता है कि आप फिल्म देख रहे हैं इस गांव की मिट्टी में जन्मे वीर सपूत गांव के भाग बता विधाता जिन्हें गांव के युवा वर्ग अपना आदर्श मानते हैं कर्नल दिनेश सिंह ने इस गरीब पिछड़े गांव के बेरोजगार युवकों को तैयार करा कर फौज में भर्ती कराया गांव के सेवानिवृत्त हवलदार जगत नारायण पांडे बताते हैं वे हमारे लिए देवता से कम नहीं थे उन्होंने गांव के हर जाति हर परिवार से बेरोजगार युवा को सेना में भर्ती कराया सैनिक बलदेव विश्वकर्मा सैनिक मेहताब खा सैनिक लोकनाथ नाई सैनिक शिवपूजन सिंह सैनिक श्याम नारायण पंडित सैनिक इन नारायण पंडित ऐ सी परिवार के सैनिक किस्मत सैनिक रफ जस सैनिक दिनेश नाइ भैया लाल धोबी रामदयाल प्रजापति सैनिक मुन्ना लाल यादव सहित अनेकों नाम है कर्नल दिनेश सिंह के बड़े भाई श्याम सिंह गांव के युवकों को सेना की भर्ती के लिए तैयार करते थे जिन्हें दौड़  सीना लंबाई की ट्रेनिंग निशुल्क देते थे |



गांव के युवा विकास पांडे तथा युवा शिवदीप सिंह बताते हैं कि स्वर्गीय दिनेश सिंह की वजह से इस गांव का नाम पूरे प्रदेश में हुआ और यह गांव फौजियों का गांव कहलाता है इसी गांव में जन्मे बांदा चित्रकूट जिले की कोपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन स्वर्गीय उदय भान पांडे के पुत्र प्रवीण पांडे बताते हैं कि कर्नल दिनेश सिंह सरधुवा  के सैनिकों से एक बटालियन बनाना चाहते थे यह गांव ही नहीं जब बांदा चित्रकूट एक जिला था तब क्षेत्र का कोई भी युवा जो फौज में जाना चाहता  कर्नल दिनेश सिंह निस्वार्थ भाव से उसकी मदद करते थे क्षेत्र के सैकड़ों युवाओं को कर्नल दिनेश सिंह जी की वजह से फौज में नौकरी मिली बांदा जनपद के प्रसिद्ध समाजसेवी श्री अर्जुन सिंह परिहार बताते हैं कि कर्नल दिनेश सिंह जी को अपनी जन्मभूमि से इतना लगाव था कि वह किसी भी जाति धर्म मजहब का जब भी नौजवान बेरोजगार लड़का देखते थे उसे तुरंत फौज में भर्ती होने की सलाह देते थे सलाही ही नहीं देते थे बल्कि मदद करते थे निस्वार्थ भाव से श्री अर्जुन सिंह जी बताते हैं कि हमारी रिश्तेदारी होने के कारण मेरा इस गांव में आना-जाना रहा है यह गांव भाग्यशाली है कि इस मिट्टी मैं कर्नल महेंद्र सिंह कर्नल गुल्ला सिंह कर्नल हनुमंत सिंह जैसे सेना के बड़े अधिकारियों ने जन्म लिया कर्नल हनुमंत सिंह के तीनों बेटे वर्तमान में कर्नल है तथा एक बेटा पायलट है इस गांव में जन्मे सैनिकों तथा अधिकारियों ने भारत पाक युद्ध भारत चाइना युद्ध में युद्ध लड़ा नेतृत्व किया देश के दुश्मनों को मारा कई वीरता पदक प्राप्त किया इसी गांव के वीर बलिदानी कल्लू यादव है कर्नल दिनेश के बेटे सेना के उच्च पद पर हैं धन्य है बे माता पिता जिन की कोख से ऐसे वीर पुरुष ने जन्म लिया जिसे अपनी जन्मभूमि से लगाव था मातृभूमि की सेवा के लिए सैनिक तैयार किए मैं सर्वोदय ही कार्य करता हूं  विनोबा जी का चेला हूं घूमता रहता हूं बबेरू से राजापुर जाते समय रास्ते में यह गांव दिखा अचानक जानकारी की जिज्ञासा हुई युवाओं ने जब इस गांव की गौरवशाली इतिहास को बताया लगा कि इस गांव के बहादुरी के किस्से इस वीर की जीवन गाथा को बताना चाहिए कर्नल दिनेश सिंह जी ने जो करके दिखाया उससे जिले के गांव में जन्मे अन्य गांव के उन व्यक्तियों को अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों को प्रेरणा लेनी चाहिए जो कुछ करने में सक्षम है ईश्वर ने उन्हें शक्ति दी है अपनी मातृभूमि का कर्ज चुका सकते   हैं आज कर्नल दिनेश सिंह भले ही ना प्रत्यक्ष रूप से इस लोक में हो लेकिन उनका पुरुषार्थ उनको सदैव जीवित रखेगा और यह गांव सरधुआ जब तक रहेगा कर्नल दिनेश सिंह जी तब तक जीवित रहेंगे यदि सूचना में गलती हो कुछ तो क्षमा करें अच्छा हो तो आगे चर्चा करें जय जवान जय जगत अच्छी सूचना है युवा पीढ़ी जाने यदि तू चाहता है कि तेरे जाने के बाद भी नाम रहे इस जमीन पर तुम ऐसे नेक काम कर काम देखकर याद किया जाता रहे जमीन पर वंदे मातरम


बुंदेलखंड के इस स्थान पर दी गई थी 11 देशभक्तों को फांसी

बुंदेलखंड के इस स्थान पर 11 देशभक्तों को फांसी दी गई थी मराठा राज्य की सबसे मजबूत छावनी बुंदेलखंड की पुरानी तहसील को इस कारण अंग्रेजों ने नष्ट किया बांदा जनपद की कमासिन वीर भूमि है 1857 के स्वाधीनता संग्राम में कमासिन के देशभक्तों ने अंग्रेजों को देश से खदेड़ने के उद्देश्य कमासिन तहसील को लूटा तहसीलदार को  अर्जेंट अफसर को मारा लूटा हुआ सारा पैसा गरीबों में क्रांतिकारियों ने बांटा। अंग्रेजों ने दंड स्वरूप कमासिन को दिया गया तहसील का दर्जा खत्म कर दिया। मराठा छावनी नष्ट कर दी क्रांतिकारियों को पकड़कर कमासिन के ही इस स्थान घंटा बारी में जो कमासिन से 3 किलोमीटर दूर राजापुर रोड पर स्थित है फांसी पर लटका दिया यह स्थान आज भी वीरान है।


यह बलिदानी क्रांतिकारी इस आस में होगी कि शायद आजाद भारत के भाग्य विधाता इस स्थान पर आएंगे हमें भी दो फूल मिलेंगे। क्रांतिकारी परिवार के समाजसेवी विजय मिश्र, दादा कमासिन निवासी बताते हैं कि महाराजा छत्रसाल के राज्य की अंतिम तहसील तथा सुरक्षा की सबसे महत्वपूर्ण सैनिक छावनी कमासिन थी, क्योंकि उस जमाने में सारा व्यापार जलमार्ग से होता था और कमासिन के पास में यमुना नदी है महाराज छत्रसाल ने अपने दत्तक पुत्र महाबली बाजीराव पेशवा को कमासिन तहसील का राज्य दिया। महाराज बाजीराव पेशवा ने कमासिन को सैनिक छावनी के रूप में विकसित किया जिसे आज भी देख सकते हैं। क्रांतिकारियों की इस देश भक्ति से नाराज होकर अंग्रेजों ने स्थल को तहस-नहस कर दिया और तहसील का दर्जा खत्म कर दिया आज भी कमासिन बिरान है। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रमेश चंद्र कुरील बताते हैं कि मैंने कई बार कमासिन को तहसील बनाने के लिए शासन स्तर पर कार्यवाही की एव कराई है लिखा पढ़ी की है, लेकिन आज तक कुछ भी नहीं हुआ महत्वपूर्ण बात यह है कि बांदा जनपद की सबसे जनसंख्या वाली ग्राम पंचायत है, जिसमें कई हजार मतदाता निवास करते हैं नगर पंचायत के सारे मापदंड कमासिन पूरी करती है, दुखद पहलू है कि देश आजाद होने के बाद भी ना तो कमासिन को तहसील का दर्जा मिला और ना ही 11 बलिदानी अमर शहीदों को एक चबूतरा बुंदेलखंड के विषय में सबसे तथ्यात्मक किताब बुंदेलखंड का इतिहास जिसके लेखक राजा दीवान प्रतिपाल सिंह है ने जो अपनी किताब 1921 में लिखी है उसमें कमासिन को बुंदेलखंड का प्रख्यात बाजार बताया है तथा 1921 में कमासिन की जनसंख्या 20,000 से अधिक थी जो बांदा अतर्रा के बराबर थी दीवान प्रतिपाल सिंह की यह किताब 14000 पृष्ठों की है मेरी इस जानकारी का उद्देश्य सर्वोदय कार्यकर्ता होने के नाते युवा पीढ़ी जाने अपने गौरवशाली इतिहास को फिर से कमसिन तहसील बने बाजार बने।  


बलिदानी क्रांतिकारियों से प्रेरणा लेकर  कमासिन में विकास की क्रांति हो कमासिन क्षेत्र की जनता ने सदैव राष्ट्र समाज देश के विकास के लिए बढ़चढ़ हिस्सा लिया। आचार्य विनोबा भावे भूदान यज्ञ के दौरान कमासिन गए थे।आचार्य विनोबा भले ही शहर में जिंदा ना हो लेकिन कमासिन की जनता ने कई वर्ष पहले आचार्य विनोबा भावे के नाम पर विनोबा इंटर कॉलेज स्थापित कर दिया था। जिसमें हजारों छात्र शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं, ग्रहण कर रहे हैं भविष्य में ग्रहण करेंगे यहां आज भी विनोबा जिंदा हैं मेरा आग्रह जनप्रतिनिधियों से सामाजिक कार्यकर्ताओं से है कि वे इस क्रांतिकारी स्थल को देखें इन वीरों को नमन करें क्रांति स्थल को आबाद करें शायद इस स्थान की जानकारी बांदा के युवा पीढ़ी को नहीं है, नहीं बुंदेलखंड के युवा पीढ़ी को देश को आजाद कराने के लिए गांव में रह रहे लाखों देशभक्तों ने अपने को बलिदान किया है जिनका नाम शायद इतिहास के पन्नों में ना हो सच्चे देशभक्तों के इतिहास में कम स्थान मिला है।  मैं आज अपने साथियों के साथ 150 वर्ष पुराने जमरेही नाथ मेले में गया था इस शहीद स्थल की चर्चा मेरे मित्रों ने आज ही मुझे आज ही बताई कमासिन में इतनी महत्वपूर्ण इतिहासिक घटना की जानकारी का उल्लेख न होना अपने आप पर दुखद है। मुझे पूरा विश्वास है आज के बाद समाज की जागरुक युवा पीढ़ी आवश्यक स्थान पर जाएगी दर्शन करने के लिए इस बदानी स्थल पर मीडिया जनप्रतिनिधि सामाजिक कार्यकर्ता अवश्य ध्यान देंगे। 
 जय जगत , जय विनोबा


Sunday, September 29, 2019

बुंदेलखंड के 2 लाख बुनकरों का जीवन संकट में, नहीं कोई निदान

वे जो दूसरे की मर्यादा ढकते हैं  जन्म से मृत्यु तक कपड़ा चाहिए। मनुष्य की प्रथम व अंतिम आवश्यकता को पूरा करने वाले बुंदेलखंड के 2 लाख बुनकरों का जीवन संकट में है। जिस हथियार से गांधी जी ने अंग्रेजों से लोहा लिया तथा देश को एक सूत्र में बांधा देश की स्वदेशी तरीके से अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, जिस हथियार से जाति, धर्म का भेद मिटाया। आज उस स्वावलंबी हथियार हथकरघा चरखा के चलाने वाले का जीवन संकट में है उसके चलाने वाले बुनकर आज अपनी मूलभूत जरूरते, जैसे रोटी, मकान, स्वास्थ्य, और शिक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं गांधी, विनोवा के अंतिम जन आजादी के 7 दशक के बाद भी अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रहे हैं यदि हमें हैंडलूम को बचाना है। तो गांव गांव में रहने वाले बुनकरों को सुरक्षित रखना होगा। निपुण बुनकरों से बुनकारी सीखने के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा कृषि के बाद हथकरघा ही सबसे बड़ा क्षेत्र है जो सब को रोजगार दे सकता है पढ़ा, अनपढ़ बच्चे, वृद्ध, महिला, पुरुष एवं परिवार के सभी सदस्य एक ही घर में एक ही हथकरघा में कृषि के साथ काम कर सकते हैं और करते भी रहे हैं। इस उद्योग में अपार संभावना है आजादी के पहले हैंडलूम का कार्य सभी जाति के लोग करते थे पावर लूम युग आने के बाद इस परंपरागत हथकरघा के रोजगार को बंदी के कगार पर खड़ा कर दिया।



वर्तमान में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 43 लाख बुनकर पूरे देश में बचे हैं 2011 की हथकरघा जनगणना के अनुसार 7ः बुनकरों की संख्या प्रति वर्ष घट रही है अगर बुनकर कारीगरों ने अपना हुनर छोड़ दिया तो यह कला पूरी तरीके से खत्म हो जाएगी। दुनिया का 85ः हथकरघा वस्त्र उद्योग केवल भारत में होता है वर्ष 2013 में योजना आयोग ने बुनकर को नई तरीके से परिभाषित करने को कहा आज कपड़ा मिल खड़ा हो जाने से 50 बुनकरों का काम एक आदमी एक पावर लूम में करता है जिससे 49 आदमी बेकार हो गए बुनकर हमारे समाज के इंजीनियर हैं जो बिना किसी डिग्री के अपने काम में निपुण है आज कोई भी युवा इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहा क्योंकि इसमें कैरियर नहीं है ऐसा प्रचार प्रसार किया जा रहा है यह हुनर लोगों की इज्जत है  मनुष्य जन्म से के समय नंगा होता है कपड़े से उसे ढाका जाता है बुनाई हमारे देश की संस्कृति का हिस्सा थी, कला थी, साधना थी, स्वतंत्रता संग्राम की वर्दी बनने वाली कला को जीवित रखना मुश्किल हो रहा है। हथकरघा राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है यह हथकरघा सम्मानजनक रोजगार देने का प्रतीक है हथकरघा चरखा कृषि से ही केवल भारत के गांव को समृद्ध किया जा सकता है।इंसान के हाथ इंसान द्वारा बनाई गई छोटी सी मशीन जो बिना बिजली के चलती है सुंदर कपड़ों का सर्जन करती बुनकर कला को जिंदा रखना होगा अभी एक आम आदमी हैंडलूम और पावर लूम के कपड़ों में फर्क नहीं जानता अभी कुछ ही वर्षों पूर्व बुंदेलखंड के झांसी मऊरानीपुर के हैंडलूम का कपड़ा पूरे भारत में दिखता था जिसमें मऊरानीपुर में करीब 2 लाख लोगों को रोजगार मिलता था। किसी जमाने में महोबा, बांदा, छतरपुर, हरपालपुर बुनाई तथा कपास के उत्पादन के केंद्र थे आज के दौर में बंद है जिन्हें पुनः शुरू करने की आवश्यकता है। बुंदेलखंड के 80ः बुनकर अपना परंपरागत हुनर त्याग कर दूसरे धंधे में लग गए हैं यदि बुंदेलखंड का पलायन रोकना है, बेरोजगारी दूर करनी है, तो पुनः हैंडलूम शुरू करना होगा।बुंदेलखंड के निवाड़ी, टीकमगढ़ बांदा के अतर्रा, खुरहंड, में किसी जमाने में बुनाई, कढ़ाई, गोला बनाना, कंघी भरना, रंगाई,धुलाई, सूत खोलना, ताना बनाना कपड़े में गांठ लगाना, धोना, प्रेस करना जैसे अनेक कार्य जो कपड़ा बनाने से एवम् बेचने से संबंधित है। गांव के करीब 300000 परिवार किसी न किसी रूप में हथकरघा रोजगार से जुड़े थे सरकार की उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की नासमझी के कारण पावर लूम युग आया और साथ ही बुंदेलखंड में प्राकृतिक आपदा ने प्रवेश किया। एक ओर जहां बाजार मंदी के दौर से गुजरा वहीं बुंदेलखंड में पानी संकट होने के कारण बुंदेलखंड सूखे की चपेट में आ गया और यहीं से बुनकरों का जीवन संकट में पड़ने लगा। बुंदेलखंड का भू-भाग केवल प्राकृतिक जल वर्षा पर निर्भर है पिछले 20 वर्षों से लगातार बुंदेलखंड सूखे की मार झेल रहा है यहां के निवासियों का जीवन यापन का सबसे बड़ा सहारा केवल कृषि है। सरकार की उदासीनता के कारण ना तो किसानों को समय पर सहयोग मिला और ना ही बुनकरों को अपने जीवन यापन के लिए कोई समाधान हुआ। गरीब किसान और बुनकर अपने परिवार को पलायन के लिए देश के महानगर दिल्ली, मुंबई, गुजरात, पंजाब आदि दूसरे शहरों में मजबूरी मे मजदूरी करने के लिए पलायन कर रहा है। गांव के गांव खाली हो रहे हैं केवल वृद्धजन और बच्चे ही गांव में देखने को मिल रहे हैं प्रतिदिन 5000 लोग रेल बस या विभिन्न साधनों से बुंदेलखंड से पलायन कर रहे हैं यदि सरकार बुनकरों को नई तकनीक पर हैंडलूम क्रियाशील पूंजी प्रशिक्षण पुनः दे तो यह परंपरागत रोजगार बुंदेलखंड में खड़ा हो सकता है। किसान की भांति बुनकरों के लिए बुनकर क्रेडिट कार्ड बनाने की जरूरत है बुनकरों द्वारा बुने गए कपड़े का मूल्य बुनकर स्वयं तय करें बुनकर द्वारा बुने गए कपड़े को रोज मिलिट्री हॉस्पिटल, सरकारी स्कूलों, दफ्तरों, मल्टीनेशनल कंपनियों, आंगनबाड़ी जैसे स्थानों पर सरकार  बेचने की की व्यवस्था करें सभी 1 दिन सप्ताह में हैंडलूम के कपड़े पहने नई नई तकनीक के हैंडलूम स्टैंड लूम का आविष्कार होना चाहिए जो सौर ऊर्जा से चल सके। पंजाब में बेटी को दहेज में चरखा दिया जाता है वेदों महाभारत रामायण में भी बुनाई का जिक्र है असम में जिस लड़की को बुलाई नहीं आती उसकी शादी होना मुश्किल होता है। कुरान में भी बुनाई का जिक्र है गांधी,विनोबा को यदि हमें जिंदा रखना है तो हथकरघा चरखा को जिंदा रखना होगा सर्वोदय कार्यकर्ता होने के नाते मैंने कई गांव का और कई जिलों का भ्रमण किया जहां हजारों लोग बुनाई करते थे और आज भी बुनाई के लिए तैयार है। यह सूचना बहुत ही महत्वपूर्ण है सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए और मीडिया के लिए बुंदेलखंड के किस जिले के किस गांव में कहां पर हथकरघा संचालित था  और कहा बंद हो गया है।इसकी पूरी जानकारी हम दे सकते हैं सर्वोदय कार्यकर्ता होने के नाते यह सूचना देना मै अपना कर्तव्य मानता हूं।  


क्या है! एक्यूपंक्चर पद्धति, एक्यूपंक्चर बिंदुओं, एक्यूपंक्चर ट्रीटमेंट, एक्यूपंक्चर के फायदे, और एक्यूपंक्चर साइड इफेक्ट

एक्यूपंक्चर के फायदे और साइड इफेक्ट


एक्यूपंक्चर । शरीर की विभिन्न बीमारियों को दूर करने के लिए कुछ लोग दवाओं की बजाय प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लेकर ठीक होना चाहते हैं। एक्यूपंक्चर बीमारियों को ठीक करने का एक ऐसा ही माध्यम है जिसमे शरीर के विभिन्न बिंदुओं में सुई चुभाकर दर्द से राहत दिलाई जाती है। इस आर्टिकल में हम आपको एक्यूपंक्चर पद्धति, एक्यूपंक्चर बिंदुओं, एक्यूपंक्चर ट्रीटमेंट, एक्यूपंक्चर के फायदे, और एक्यूपंक्चर साइड इफेक्ट के बारे में पूरी जानकारी देंगे।
एक्यूपंक्चर क्या है? - एक्यूपंक्चर एक चिकित्सीय क्रिया  है जिसमें शरीर के कुछ विशेष प्वाइंट में सूई चुभाकर उन्हें उत्तेजित किया जाता है। सूई आमतौर पर त्वचा में डाली जाती है जो दर्द को कम करने एवं स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जाता है। माना जाता है कि एक्यूपंक्चर व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा को संतुलित रखने का कार्य करता है और सिर दर्द, ब्लड प्रेशर, सर्दी जुकाम, खांसी और अन्य बीमारियों से व्यक्ति को दूर रखने में सहायक होता है। हजारों वर्ष पहले एक्यूपंक्चर का उपयोग सबसे पहले चीन में शुरू हुआ था लेकिन धीरे-धीरे बीमारियों को ठीक करने के लिए इसका उपयोग सभी देशों में किया जाने लगा।
एक्यूपंक्चर कैसे काम करता है? - एक्यूपंक्चर शरीर की क्रियाओं को बेहतर बनाने में मदद करता है और शारीरिक संरचना में स्थित विभिन्न प्वाइंट्स को उत्तेजित कर शरीर को बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार करता है। एक्यूपंचर प्वाइंट्स को उत्तेजित करने के लिए आमतौर पर त्वचा में सूई चुभाई जाती है। इसके बाद प्रेशर देकर, तापमान बढ़ाकर उत्तेजना को प्रभावी बनाया जाता है। इसके अलावा हाथ से मसाज करके मोक्जीबश्चन  हीट थेरेपी  कपिंग और हर्बल मेडिसिन देकर भी  एक्यूप्वाइंट को उत्तेजित किया जाता है।
यह पारंपरिक चीनी चिकित्सा एक प्राचीन दर्शन पर आधारित है जो दो विरोधी शक्तियों यिन और यांग  के संदर्भ में ब्रह्मांड और शरीर का वर्णन करती है। जब ये दो शक्तियां या बल संतुलन में होते हैं तो मनुष्य का शरीर स्वस्थ रहता है। इस चिकित्सा पद्धति में ऊर्जा जिसे चीनी भाषा में ची  कहा जाता है, मेरिडियन नामक विशेष मार्ग से होकर पूरे शरीर में बहती है। ऊर्जा का यह निरंतर प्रवाह यिन और यांग नामक बलों या शक्तियों को संतुलित रखता है। हालांकि जब ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो जाता है तो इसके कारण व्यक्ति को दर्द, शारीरिक क्रियाओं में गड़बड़ी और बीमारियां पकड़ने लगती हैं।
एक्यूपंक्चर थेरेपी अवरुद्ध ची को दोबारा से स्रावित करता है और शारीरिक प्रणालियों के माध्यम से  शरीर के अंदर की बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। आधुनिक रिसर्च यह दर्शाता है कि  एक्यूपंक्चर तंत्रिका तंत्र, एंडोक्राइन, प्रतिरक्षा प्रणाली, कार्डियोवैस्कुलर प्रणाली और पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में बहुत प्रभावी तरीके से काम करता है। शरीर की विभिन्न प्रणालियों को उत्तेजित करने, पीड़ा को दूर करने, पाचन क्रिया को ठीक रखने और संपूर्ण शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक्यूप्वाइंट को उत्तेजित करने में मदद करता है।
शरीर के मुख्य एक्यूपंक्चर प्वाइंट्स 
व्यक्ति के पूरे शरीर में जगह-जगह एक्यूपंक्चर प्वाइंट मौजूद होते हैं जिनकी सहायता से बीमारियों का इलाज किया जाता है। ब्लैडर, पित्ताशय, हृदय, फेफड़ा, किडनी, बड़ी आंत, लिवर, छोटी आंत, पेट, प्लीहा,  पेरीकार्डियम  सहित अन्य कई एक्यूपंक्चर प्वाइंट्स व्यक्ति के शरीर में पाये जाते हैं।
किन बीमारियों के इलाज में एक्यूपंक्चर उपयोगी है - आमतौर पर यह सभी को पता है कि अलग-अलग बीमारियों को दूर करने के लिए अलग-अलग एक्यूपंक्चर प्वाइंट्स का उपयोग किया जाता है। एक्यूपंक्चर शरीर से बीमारियों को दूर करने और एक अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक्यूपंक्चर का उपयोग पित्त संबंधी विकार, पेट के दर्द, अवसाद, सिरदर्द, हाइपरटेंशन, घुटनों के दर्द, ल्यूकोपेनिया  कमर दर्द, चेहरे के दर्द, गर्दन दर्द, मॉर्निंग सिकनेस, गर्भाशय में भ्रूण की स्थिति को ठीक करने, कंधे के दर्द, साइटिका, स्ट्रोक, दंत चिकित्सा, गुर्दे का रोग, मोच, कैंसर का दर्द, शराब की लत, डायबिटीज, अस्थमा, मोटापा, ऑस्टियोआर्थराइटिस, पुरुषों में यौन उत्तेजना की कमी, महिलाओं के स्तन में दूध न आना, अनिद्रा, मांसपेशियों में दर्द सहित सैकड़ों बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
चिंता दूर करने में एक्यूपंक्चर के फायदे - स्टडी में पाया गया है कि एक्यूपंक्चर का प्रभाव चिंता को दूर करने में मदद करता है। विशेषज्ञों ने एक्यूपंक्चर और  चिंता के बीच एक सकारात्मक संबंध होने का दावा किया है और कहा है कि  एक्यूपंक्चर का सही तरीके से अभ्यास करने से जो लोग चिंता, तनाव और डिप्रेशन की दवाएं खाते हैं उन दवाओं की खुराक कम हो सकती है। पुराने डिप्रेशन से निजात दिलाने के साथ ही एक्यूपंक्चर माइग्रेन की समस्या को दूर करने में भी मदद करता है।
एक्यूपंक्चर के फायदे नींद की समस्या में - अध्ययनों से पता चला है कि एक्यूपंक्चर रात में  मेलाटोनिन नामक हार्मोन के स्राव को बढ़ाने में मदद करता है जिसके कारण अनिद्रा की समस्या से निजात मिलती है। पांच हफ्तों से भी कम समय तक प्रतिदिन एक्यूपंक्चर का सही तरीके से अभ्यास करने से  व्यक्ति को नींद न आने की परेशानी से छुटकारा मिल जाता है। इसलिए यदि आप नींद के लिए दवा खाते हों तो आपको एक्यूपंक्चर का अभ्यास जल्द शुरू कर देना चाहिए।
उल्टी और मितली से बचाने में एक्यूपंक्चर के फायदे - हर व्यक्ति की कलाई के पास एक विशेष एक्यूपंक्चर प्रेशर प्वाइंड होता है  जिसे दबाने पर यह उत्तेजित होता है और उल्टी एवं जी मिचलाने की समस्या को दूर करने में मदद करता है। सर्जरी के बाद मरीज जब एनेस्थीसिया के प्रभाव से बाहर निकलने की कोशिश करता है तो उस दौरान उसे सबसे ज्यादा उल्टी महसूस होती है। ऐसी स्थिति में एक्यूपंक्चर एंटीमेटिक दवाओं के रूप में कार्य करता है और व्यक्ति के उल्टी और जी मिचलाने की समस्या से बचाने में मदद करता है।
अर्थराइटिस के इलाज में एक्यूपंक्चर के फायदे - यह साबित हो चुका है कि एक्यूपंक्चर गंभीर पीठ दर्द और कमर के दर्द की समस्या को दूर करने में प्रभावी तरीके से कार्य करता है। एक स्टडी में पाया गया है कि आठ हफ्ते तक लगातार एक्यूपंक्चर का अभ्यास करने से  गर्दन का दर्द, अर्थराइटिस, कंधे का दर्द और सिरदर्द से काफी राहत मिलता है। इसके अलावा सही तरीके और सही एक्यूपंक्चर प्रेशर प्वाइंट से इसका अभ्यास करने से ऑस्टियोअर्थराइटिस और मांसपेशियों में दर्द की समस्या से भी निजात मिल जाता है।
एक्यूपंक्चर के फायदे यादाश्त सुधारने में -कुछ शुरूआती शोधों से पता चलता है कि एक्यूपंक्चर पर्किंसन की बीमारी को दूर करने में बहुत प्रभावी तरीके से कार्य करता है। बढ़ती उम्र के कारण व्यक्ति के मस्तिष्क तंत्रिकाएं जैसे पुटामेन  और थैलमस भी प्रभावित होता है जिसके कारण उसकी यादाश्त कमजोर हो जाती है और उसे भूलने की बीमारी लग जाती है। डॉक्टरों का मानना है कि पर्किंसन के रोगियों के इलाज में एक्यूपंक्चर बहुत सहायक होता है।
गर्भावस्था में दर्द से राहत दिलाने में एक्यूपंक्चर के फायदे - गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में स्ट्रेस को कम करने और हार्मोन को संतुलित रखने में एक्यूपंक्चर बहुत लाभदायक होता है। इसके अलावा यह प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले दर्द को भी कम करने में मदद करता है। यह प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के होने वाली सामान्य समस्याओं के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है और बच्चे की सेहत को भी ठीक रखता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर महिलाओं को एक्यूपंक्चर का अभ्यास करने की सलाह देते हैं। हालांकि इस अवस्था में डॉक्टर की देखरेख में ही गर्भवती महिलाओं को एक्यूपंक्चर का अभ्यास करना चाहिए।
एक्यूपंक्चर साइड इफेक्ट (नुकसान)- हालांकि एक्यूपंक्चर का अभ्यास करने से एनर्जी बढ़ती है लेकिन कभी-कभी थोड़ी ही देर बाद व्यक्ति को अधिक थकान महसूस होने लगती है। एक्यूपंक्चर के बाद थकान होना कोई चिंता की बात नहीं होती है लेकिन  व्यक्ति को काफी अधिक थकान का अनुभव हो सकता है।
शरीर के जिस भाग में एक्यूपंक्चर सूई  डाली जाती है, सूई निकालने के बाद व्यक्ति को वहां दर्द हो सकता है। यह आमतौर पर  हाथ, पैर, बड़ी आंत और अंगूठे और तर्जनी उंगली के बीच पाये जाने वाले एक्यूपंक्चर प्रेशर प्वाइंट पर अधिक होता है। इसके अलावा जिस हिस्से में सूई डाली जाती है, उस हिस्से के आसपास की मांसपेशियों में भी दर्द हो सकता है।
ज्यादातर व्यक्तियों के शरीर के जिस भाग के एक्यूपंक्चर प्वाइंट में सूई डाली जाती है वहां चोट या घाव का निशान पड़ जाता है। यह निशान लंबे समय तक बना रहता है। इसलिए एक्यूपंक्चर का यह एक नुकसान हो सकता है।
एक्यूपंक्चर के बाद व्यक्ति के सिर में हल्का दर्द हो सकता है और कभी-कभी मरीज बेहोश भी हो सकता है। इसके अलावा एक्यूपंक्चर इलाज के बाद वह खुद को शारीरिक एवं भावनात्मक रूप से कमजोर महसूस कर सकता है।
एक्यूपंक्चर ट्रीटमेंट के बाद व्यक्ति के शरीर के एक्यूपंक्चर प्वाइंट पर खुजली और दर्द हो सकता है। कभी-कभी यह खुजली काफी अधिक बढ़ जाती है जिसके लिए व्यक्ति को अलग से इलाज कराने की जरूरत पड़ती है।