Monday, October 14, 2019

उम्मीदों का वृक्ष

 

उम्मीदों की चादर में कई सपने दफ्न हो गए।

जिन वृक्षो से की थी छाया की उम्मीदे,वो छाया 

पतझड़ आने पर खुद ही कहीं गायब हो गयी।।

 

जीवन के गुजरते पलो में अक्सर ऐसा हुआ।

शुखे मुरझाये वृक्षो से भी कई बार ठंडी हवाओं

का अनुभव हुआ , शायद गिर रहे थे जो पत्ते

उन्होंने कहीं अंदर तक अंतर्मन को कहीं छुआ।।

 

उम्मीदों की हरियाली को फिर जीवन मे लाना होगा।

भविष्य के वृक्ष के लिए एक पौधा लगाना होगा।।

जीवन ना जाने कब,कहाँ कैसे विश्राम लेने लगेगा।

कभी ना कभी तुझे किसी की छाया में सोना होगा।

बस उसी छाया के लिए कर्मरूपी वृक्ष लगाना होगा।।

 

 

नीरज त्यागी

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

Sunday, October 13, 2019

नायब तहसीलदार के घूस के वायरल ऑडियो पर कार्रवाई न होने से तहसील पर 22अक्टूबर को धरने का  ऐलान 

दैनिक अयोध्या टाइम्स बीकापुर_अयोध्या|
 स्थानीय बीकापुर तहसील के नायब तहसीलदार के घूस मांगने के ऑडियो वायरल होने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई न करने से जिला पंचायत सदस्य चतुर्थ भोला सिंह ने अपने हजारों कार्यकर्ताओं के साथ बीकापुर तहसील प्रांगण में 22 अक्टूबर को धरने का ऐलान कर दिया है।



       जिला पंचायत सदस्य श्री सिंह ने कहा की प्रशासन और जिला प्रशासन उक्त भ्रष्टाचारी नायब तहसीलदार को बचाने में लगा हुआ है जबकि उसकी घूस मांगने की वायरल ऑडियो में कई लोगों को घूस देने का जिक्र भी किया है। और हमने जिला अधिकारी को या भी कहा था कि जो ऑडियो वायरल हुआ है उसकी वॉइस मैचिंग करा ली जाए और दूध का दूध पानी का पानी अलग हो जाएगा।
       लेकिन आज हफ्तो बीत गया है प्रशासन के कान में जूं नहीं देख रहा है और क्षेत्र के चुने हुए जनप्रतिनिधि मूकदर्शक बने हुए है। अभी तक कोई कार्रवाई न होने से जिला प्रशासन को भी संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया है।
    अगर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हम 22 अक्टूबर को तहसील मुख्यालय पर आपने हजारों कार्यकर्ताओं के साथ धरना देंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।


Friday, October 11, 2019

झोला (सब्जी वाला)


वर्षों से अवहेलना झेल रहा दबी कुचली जिंदगी जी रहा झोला आज बहुत खुश है। झोला आखिर खुश क्यों ना हो, स्टोर रूम के एक कोने में पुराने कपड़ो और सामानों के बीच या नीचे दबे हुए दम घुटते हुए माहौल से आज आजादी जो मिल गई। जिस पॉलीथिन बैग ने उसके सारे अधिकार उसका सम्मान छीन लिया था। आज सब उसे मिल जाएगा। जिस शान से वो हमारे दादा और पिता के साथ साइकिल के हैंडल पर शान से लटकता हुआ राशन का सामान बाजार से घर तक लाता था, परिवार के छोटे बच्चों के लिए फल मिठाई समेटे जब घर पहुचता तो बच्चों से झोले को जो प्यार मिलता था आज फिर से वही शान और शौकत वही प्यार फिर से उसे हासिल होने वाला है। जिस पॉलीथिन बैग रूपी राक्षस ने उसके सारे अधिकार छीने थे, पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया और ना जाने कितने पशुओं की हत्या का कारण बना उसका अंत होने वाला है। दशहरे से पूर्व असत्य पर सत्य की जीत है। वक्त बुरा भी हो तब भी संयम रखना चहिये अच्छे दिन फिर लौटकर आते है। आज झोला हम सबके बीच अपना बुरा समय बिताकर एक नए जीवन की शुरुआत करने वाला है।


एक ग्रंथ ऐसा भी है हमारे सनातन धर्म मे

इसे तो सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए ---
यह है दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ
क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो राम कथा के रूप में पढ़ी जाती है और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े 
तो कृष्ण कथा के रूप में होती है ।
जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटावरि रचित ग्रन्थ राघवयादवीय ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है। 
इस ग्रन्थ को 
'अनुलोम-विलोम काव्य' भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे
पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और 
विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा (उल्टे यानी विलोम)के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक। 
पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) ़ यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है ् राघवयादवीयम।
उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैः
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे । १।
अर्थातः 
मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूं, जो जिनके ह्रदय में सीताजी रहती है तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्री की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस लौटे।
अब इस श्लोक का विलोम इस प्रकार है
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् । १।
अर्थातः 
मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के
चरणों में प्रणाम करता हूं, जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ
विराजमान है तथा जिनकी शोभा समस्त जवाहरातों की शोभा हर लेती है।
राघवयादवीयम के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं-
राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे । १।
विलोम
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् । १।
साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा ।
पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ।२।
विलोम
वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः ।
राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा  ।२।
कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका ।
सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ।३।
विलोम
भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा ।
कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ।३।
रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् ।
नामहामक्षररसं ताराभास्तु न वेद या ।४।
विलोम
यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः ।
तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ।४।
यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ ।
तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ।५।
विलोम
तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं ।
सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ।५।
मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं ।
काविरामदलापागोसमावामतरानते । ६।
विलोम
तेन रातमवामास गोपालादमराविका ।
तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ।६।
रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते ।
कादिमोदासहातास्वभासारसा-मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ।७।
विलोम
मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका ।
तेन वा पारिजातेन पीता नवायादवे भादखेदासमानामरा ।७।
सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया ।
साध्वसाविहरेमेक्षेम्यरमासुरसारहा ।८।
विलोम
हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा ।
यातसीसुमधाम्नाभूक्षिताधामससारसा  ।८।
सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया ।
सात्रमध्यमयातापेपोतायाधिगतारसा ।९।
विलोम
सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा ।
यात्तमन्युमताभामा भयेतारभसागसा । ९।
तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा ।
यालतावृद्धसेवाकाकैकेयीमहदाहह ।१०।
विलोम
हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया ।
सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ।१०।
वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो ।
भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ।११।
विलोम
सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः ।
होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ।११।
यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे ।
सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ।१२।
विलोम
भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा ।
वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ।१२।
रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह ।
यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ।१३।
विलोम
नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया ।
हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ।१३।
यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् ।
सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ।१४।
विलोम
यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः ।
गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ।१४।
दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा ।
ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन । १५।
विलोम
नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः ।
हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् । १५।
सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् ।
तं द्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा । १६।
विलोम
हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् ।
जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः । १६।
सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः ।
न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ।१७।
विलोम
तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन ।
सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा । १७।
तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत ।
वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ।१८।
विलोम
केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः ।
ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् । १८।
गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया ।
सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा । १९।
विलोम
हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस ।
यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ।१९।
हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः ।
राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ।२०।
विलोम
घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः ।
धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ।२०।
ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः ।
हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि  ।२१।
विलोम
विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा ।
ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ।२१।
भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा ।
चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमहिताहृता ।२२।
विलोम
ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा ।
हानकेहकुधीराशानाकेशादकुमारभाः ।२२।
हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः ।
तंरुमामहितोपेतामोदोसारज्ञरामयः ।२३।
विलोम
योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् ।
जोयुवाघनगेयोविमाराभोदयतोरिहा ।२३।
भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं ।
तंहतामरसाभक्षोतिराताकृतवासविम् ।२४।
विलोम
विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं ।
तं हरोपदमोदासमावाभातनुभानुभाः ।२४।
हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि ।
राजिरावणरक्षोरविघातायरमारयम् ।२५।
विलोम
यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा ।
निजभासुरदारोपजालबद्धरुजासहम् ।२५।
सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः ।
तंसमारुतजंगोप्ताभादासाद्यगतोगजम् ।२६।
विलोम
जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं ।
हस्समारसुशोकेनातिभामागतिरागसा ।२६।
वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः ।
तोयधावरिगोयादस्ययतोनवसेतुना ।२७।
विलोम
नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः ।
सहितावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ।२७।
हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः ।
चारुभूतनुजोरामोरमाराधयदार्तिहा ।२८।
विलोम
हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा ।
सहितोहिमदीभेसुनाकेलंसहसारिहा ।२८।
नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका ।
रावणारिक्षमेरापूराभेजे हि ननामुना ।२९।
विलोम
नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा ।
कापिसारसुसौरागाराकाभासुरकेलिना ।२९।
साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः 
निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ।३०।
विलोम
भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि ।
गौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ।३०।
।। इति श्रीवेङ्कटाध्वरि कृतं श्री।।
कृपया अपना थोड़ा सा कीमती वक्त निकाले और उपरोक्त श्लोको को गौर से अवलोकन करें कि यह दुनिया में कहीं भी ऐसा न पाया जाने वाला ग्रंथ है ।


पता भी नहीं चला हम कब बदल गए

1970--80 की फिल्मों की शुरुआत गायत्री मंत्र से होती थी,, जब हीरो को कुछ होता था तो हिरोईन हाथ में दीपक लेकर किसी देव प्रतिमा के आगे नाचती थी,, फिर आखिर में देव के हाथ से ज्योति निकलती और वहाँ हॉस्पिटल में पड़े हीरो के शरीर में प्रवेश कर जाती और वो तुरंत आंख खोल देता|


उन्हीं दिनों में रामायण और महाभारत जैसे सीरियलों की शुरुआत हुई,, लोग घर खेत के कार्य छोड़कर टीवी से चिपक जाते,, उस समय यूसुफ खान को भी दिलीप कुमार नाम से फिल्में करनी पड़ती थी,,
तब तक नेहरू के द्वारा आयातित वामपंथ सक्रिय हो चुका था,, उन्होंने फिल्मों और सीरियलों में मिलावट की प्रक्रिया को शुरू किया,,
फिल्म में हीरो का मुस्लिम मित्र सच्चा और पक्का दिखाया जाने लगा,, ब्राह्मण को गद्दार और ढोंगी पाखंडी दिखाना शुरू किया गया,,
रामायण और महाभारत के प्रतिपक्ष में अलिफ-लैला जैसे धारावाहिको का प्रचार प्रसार किया गया,, हीरोइनें हीरो की जान बचाने के लिए दरगाह पर मन्नत मांगने लगी,, कोई मुसीबत में होता उसके लिए हाथ उठा कर दुआ दी जाने लगी,,
प्रेम के सीन में पीछे से रुआजान कि आवाजें आने लगी,,
हवस का पुजारी जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया,, जबकि हवस का मौलवी या फादर भी तो हो सकता था,,
 ॅंजमत और चतंबींक जैसी फिल्मों के माध्यम से दिखाया गया जैसे सारी बुराइयां हिन्दू समाज में ही हैं,,
न्यूज चैनलों के माध्यमों से प्रचलित किया गया कि प्याज की,, या पेट्रोल की,या दालों की कीमतें सातवें आसमान पर, जबकि सातवां आसमान सिर्फ रुइस्लाम और रुक्रिश्चनिटी में मानते हैं,,सनातन परंपरा में एक अखंड आकाश है,,


च जैसी फिल्में,, और सत्यमेव जयते जैसे चर्चित कार्यक्रमों के माध्यम से मानसिकता को उस और मोड़ा गया,,और हम सोचते रहे कि क्या रक्खा है इस दकियानूसी सोच में,, सब बराबर हैं, सब महान हैं,, सब एक हैं,


आज उन सब बातों का परिणाम है हमारे देश में सेकुलरिज्म का बोलबाला,, धर्म से विमुखता,,कन्हैया जैसे,, स्वरा भास्कर जैसे,, और तमाम तरह के बुद्धिजीवी दोगले सब उसी प्रकार के प्रचार प्रसार का उत्पाद हैं,,


थोड़े जागरूक बनें,, आपस में खाली समय में पड़ोसियों की चुगली,,ताश के खेल,,शराब की बोतल,,क्रिकेट मैच,,बकवास फिल्मों से समय बचाकर धर्म संस्कृति की चर्चा करें,,बच्चो को अपने महापुरुषों के बारे में बताएं,,


कोई भी बदलाव धीरे धीरे होता है,, हर कार्य समय मांगता है,,


जानिये रामपुर का बीता हुआ इतिहास


दैनिक अयोध्या टाइम्स ब्यूरो, रामपुर-रामपुर रियासत के संस्थापक और प्रथम शासक नवाब फेजुल्लाह खांन थे नवाब फेजुल्लाह खाँन का जन्म 1733 ईस्वी में आंवला जोकि अब बरेली जनपद की तहसील है में हुआ था उन्होने बाद में रामपुर को रियासत की राजधानी बनाया इनके बाद रामपुर रियासत पर दस शासकों ने रामपुर रियासत पर शासन किया दूसरे शासक नवाब मुहम्मद अली खाँन थे लेकिन इनका शासन काल केबल 24 दिन रहा उनकी रात के अंधेरे में हत्या कर दी गयी तीसरे शासक नवाब गुलाम मुहम्मद खाँन बने लेकिन उन्होने भी तीन महीने 22 दिन ही नवाबी की चौथे नवाब अहमद अली खाँन थे जोकि नौ वर्ष की आयु में ही सिंहासन पर बैठे थे और 42 वर्ष तक शासन किया। की स्थापना औध संधि के तहत 7 अक्टूबर 1774 में नवाब फैज़ुल्लाह खान द्वारा की गयी थी। रामपुर रियासत के इस संस्थापक ने ही रामपुर किले की नीव रखी। नवाब हामिद अली खान ने ब्रिटिश चीफ इंजिनियर डब्लू. सी. राइट की सहायता से पूरे रामपुर किले को नया रूप दिया। इस वास्तु सम्बन्धी परिवर्तन के तहत हामिद मंज़िल, दरबार हॉल, जिसमें आज रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी स्थित है, और इमामबाड़ा भी बनवाया गया। डब्लू. सी. राइट ब्रिटिश सरकार के नॉर्थ वेस्ट प्रोविंस के एग्ज़ीक्यूटिव इंजिनियर थे। उन्होंने सन् 1899 में ब्रिटिश सरकार को इस्तीफा देकर रामपुर नवाब हामिद अली खान के यहाँ चीफ इंजिनियर का पद स्वीकारा और पूरे रामपुर शहर की वास्तुकला को अलग ऊंचाई पर पहुँचाया। इस्लामिक, हिन्दू तथा विक्टोरियन गोथिक शैलियों का मेल जिसे इंडो सारसेनिक वास्तुकला के नाम से जाना जाता है, उसका व्राइट ने बहुत अच्छा इस्तेमाल किया। उन्होंने किला-ए-मुअल्ला और हामिद मंज़िल की पुर्नार्स्थापना की। जहाँआरा हबीबुल्लाह (2001) ने रामपुर किले का वर्णन किया था जिसमें उन्होंने बताया कि रामपुर किले में खुली जगह और उद्यान भरे थे। इसमें मच्छी भवन का भी वर्णन है, जहाँ नवाब रहते थे तथा जो अवधी महलों के मछली प्रतीकवाद पर रचा गया था। इसी के बगल में रंग महल था जो गायकी और संगीत सम्बन्धी गतिविधियों के लिए बनाया गया था। हामिद मंजिल इस पूरे किले के क्षेत्र का मध्य बिंदु था। किला-ए-मुअल्ला में नवाब के यहाँ काम करने वाले सभी लोगों के लिए रहने की व्यवस्था और कई कामकाज़ी विभाग भी स्थित थे। रामपुर किले के इस बड़े क्षेत्र को हामिद गेट और व्राइट गेट जोड़े रखते थे। रामपुर किला रामपुर शहर के मध्य बसा है। कर्ज़न जब 1905 में नवाब हामिद अली खान से भेंट के लिए रामपुर आया तब उसे देने के लिए एक एल्बम बनवाया गया जिसमें रामपुर किला और किले का वास्तुशिल्प तथा अन्दर की झांकियाँ और पूरे रामपुर शहर के वास्तुकला के अप्रतिम नमूनों का चित्रण था। आज रामपुर किला बहुत बुरी हालत में इतिहास का साक्ष्य देते हुए खड़ा है। रज़ा लाइब्रेरी और उसके समीप के किले का हिस्सा ही सिर्फ अच्छी हालत में है। रामपुर किले तथा रामपुर शहर के जितने भी दरवाज़े थे, सब तोड़ दिए गए हैं।प्रमुख पर्यटन स्थलों में रामपुर किला रामपुर किंग लाइब्रेरी और 'कोठी खास बाग' की गणना की गई है। रामपुर का कुल क्षेत्रफल 2,367 वर्ग किमी है।


Thursday, October 10, 2019

पुलिस का प्रसंशनीय काम भटके हुए बच्चे को घरवालों से मिलाया पुलिस नें




अमेठी ब्यूरो विजय कुमार सिंह

 

अक्सर लोग पुलिस पर तरह तरह के इल्जाम लगाकर बदनाम करते रहे हैं, कुछ तो उनके कारनामो से या फिर पुलिस के प्रति मानसिकता गंदी होने से लेकिन आज हम आपको यूपी के अमेठी की पुलिस के बारे में बताने जा रहे है जिनके कार्यों ने एक बार फिर ये सोचने को मजबूर करता है कि ऐसा सभी पुलिस वाले नहीं होते हैं।

 

बात करते हैं अमेठी पुलिस की जहां की पुलिस महकमे की मुखिया डॉ ख्याति गर्ग हैं। जामो पुलिस को गस्त के दौरान सूचना मिली कि 12-13 वर्ष का एक लड़का लावारिस हालत में घूम रहा है। सूचना पर अमल करते हुए महिला एवं बाल कल्याण अधिकारी ब्रह्मानंद यादव ने बच्चे को बरामद कर काफी देर तक उससे पूँछतांछ करते रहे। पूँछतांछ के दौरान ही बच्चे ने किसी तरह से अपने परिजनों का मोबाइल नम्बर बताया जिस पर बात कर उक्त अधिकारी ने परिजनों को बच्चे के बारे में जानकारी दी और सम्बंधित थाना प्रभारी को भी जानकारी देते हुए परिजनों को भी जानकारी देकर मदद करने का आग्रह किया।

 

मधेपुरा पुलिस ने चौकीदार के माध्यम से परिजनों को सूचना देकर जामो पुलिस से बात कराई और अमेठी का पता लेकर बच्चे के बाबा दादी जामो पहुंचे जहां बच्चे को सकुशल पाकर खुशी से रोने लगे।

 

बच्चे के बाबा ने महिला एवम बाल कल्याण अधिकारी ब्रह्मानन्द व उनकी टीम की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए अमेठी पुलिस का धन्यवाद किया और  आशीर्वाद दिया। पुलिस ने आवश्यक कागजी कार्यवाही करते हुए बच्चे को उनको सुपुर्द कर थाने से विदा किया।


 

 



 

Wednesday, October 9, 2019

दैनिक अयोध्या टाइम्स की पहल से मुर्दा हुआ जिंदा

दैनिक अयोध्या टाइम्स की खबर का हुआ का असर 03:10:2019 को खबर प्रकाशित की थी मृतक ने कहा कि साहब अभी मैं जिंदा हूं|



पूरे 21 साल बाद मुर्दे की सांस चलने की उम्मीद बढ़ गयी है। जी हां, सही सुना आपने। ये कोई कहानी या कपोल कल्पित नहीं है, असलियत है। ये अजब गजब कारनामा राजस्व विभाग के कर्मचारी का है। इनको कोई रोक नही सकता है। अमीर को गरीब व जिंदा को मुर्दा बना देना तो इनके बाएं हाथ का खेल है।


यूपी के अमेठी में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। आइये अब आपको पूरे घटना क्रम की ओर ले चलते हैं। अमेठी जिले के संग्रामपुर थाना क्षेत्र के भौसिंहपुर गांव निवासी गोपाल सिंह पुत्र स्वर्गीय राम सरन सिंह ने बीते 3 अक्टूबर को अमेठी तहसील परिसर में अपने आगे पीछे ” एसडीएम साहब मैं जिंदा हूँ, 1998 से न्याय के लिये भटक रहा हूँ, मुझे मेरे चाचा ने लेखपाल की मिली भगत से अभिलेखों में मुर्दा करा दिया और मेरी जमीन अपने नाम करा ली”  का पोस्टर चिपकाकर  लोगों के बीच मे अपने को जीवित साबित करने का प्रयास किया था जो उस समय लोगों के बीच एक कौतूहल बन गया था।। 3 अक्टूबर को इस खबर को अमेठी संवाददाता विजय कुमार सिंह ने प्रमुखता से उठाया था।


खबर की गम्भीरता को देखते हुए जिलाधिकारी अमेठी प्रशांत शर्मा ने एसडीएम अमेठी को उक्त प्रकरण की जांचकर आख्या देने का आदेश दिया था। आदेश के अनुपालन में एसडीएम अमेठी राम शंकर ने तहसीलदार द्वारा इस प्रकरण की जांच कराई जिनकी जांच रिपोर्ट में गोपाल सिंह अभी भी जीवित पाए गए है, अग्रिम विधिक कार्यवाही हेतु आगामी 10 अक्टूबर को बहस एवम आदेश हेतु तिथि नियत की गई है, की रिपोर्ट जिलाधिकारी को प्रेषित किया है।


एसडीएम ने जानकारी देते हुए लिखा है कि 4 जून 1998 को नायब तहसीलदार द्वारा गोपाल सिंह का नाम निरस्त करने और 23 जुलाई 1998 को शिव बहादुर सिंह के नाम वरासत दर्ज करने का आदेश दिया गया था।


अमेठी से विजय कुमार सिंह की रिपोर्ट


Sunday, October 6, 2019

बकुण्ड- इमारत कभी बुलंद थी- श्री रूपेश उपाध्याय एसडीएम श्योपुर

काल की गति और आक्रांताओं के कोप से ध्वस्त हुई इस विरासत के खंडहर अब मौन है। दूर-दूर तक फैली पुरा संपदा प्रमाणित करती है कि लगभग एक हजार वर्ष पूर्व यह स्थान समृद्ध और वैभवशाली नगर रहा था, पर अब वो वक्त नही रहा। अब तो खंडहर ही शेष रह गए है।
श्योपुर जिले की कराहल तहसील अतंर्गत गोरस श्यामपुर रोड से तीन किमी अंदर पारम नदी के किनारे डोब कुण्ड स्थित है। सन् 1992-93 में पहली बार डोब कुंड जाने का अवसर मिला। एक लम्बे अरसे बाद अब फिर से जाना हुआ।
घने जंगल के बीच पारम नदी के उदगम स्थल पर कटीली झाड़ियो मे प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच डोब कुण्ड के अवशेष देखे जा सकते है। पर यहां तक पहुँच पाना हर किसी के लिए आसान नही है।
किसी समय यहाँ बने दो विशाल मंदिरों से तमाम मूर्तियांश्योपुर और दूसरे संग्रहालयों भेज दी गई है। कुछ चोरी हो गई है। शेष अवशेष वहीं बिखरे पडे है।
प्रतिहार सत्ता के पतन के बाद ग्वालियर मुरैना श्योपुर शिवपुरी क्षेत्र में चंदेलों के समकालीन एक अन्य राजवंश कच्छपघात का उदय हुआ। पहले ये सामन्त के रूप में शासन करते थे। कालांतर में प्रतिहार शासन के बिखराव का लाभ उठाकर उन्होंने स्वतंत्र सत्ता स्थापित की।
इस वंश की राजधानी मुरैना की तहसील अम्बाह में स्थित सिंहोनिया थी। इस वंश में द्वितीय शासक बज्र दमन था। इस वंश का ग्वालियर क्षेत्र के राजनैतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास में विशिष्ट योगदान है। कालांतर में कच्छपघात वंश में तीन शाखाये हो गई। सिंह पानिया, नरवर एवं डोब कुंड। डोब कुंड शाखा सिहोनिया से आवृजित हुई।
डॉ. हरिहर निवास द्विवेदी के अनुसार सिंह पानिया नरेश बज्र दमन ने जब गांधी नगर के कुछ सदस्यों ने डोब कुंड की शाखा की नींव डाली।
इस शाखा का प्रथम शासक युवराज था। जिसके शासनकाल के बारे में कोई जानकारी प्राप्त नही होती, किन्तु उसके उत्त्तराधिकारी अर्जुन को विक्रामसिहं द्वारा सन 1145 ई में स्थापित डूब कुंड प्रस्तर अभिलेख में उसे चंदेल शासक विद्याधर का करद शासक होना बताया गया है।
अर्जुन के उत्तराधिकारी अभिमन्यु ने सन् 1035 से 1044 ई तक शासन किया। डोब कुंड अभिलेख में उसके पराक्रम का उल्लेख है।
अभिमन्यु का उत्तराधिकारी विजयपाल हुआ। इसका उल्लेख बयाना के अभिलेख में किया गया है। अभिलेख अनुसार अधिराज विजय के साम्राज्य में श्रीपत नामक जैन साधु रहता था।
विजयपाल के बाद विक्रम सिंह डोब कुंड की गद्दी पर बैठा। सन् 1145 ई के किसी शासक के बारे में जानकारी प्राप्त नही है।
ग्वालियर स्टेट गजेटियर के अनुसार इस गैर आबाद गाँव में तालाब किनारे दो मंदिर है। इनमें एक हरि गौरी का है तथा दूसरा खास मंदिर जैनियों का है। इसके तीन तरफ 8 बुर्जिया है। मंदिर और बुर्जियों के दरवाजे पर निहायत उम्दा खुदाई का काम है। तमाम मूर्तिया नंगी है। जिससे मालूम होता है कि यह दिगम्बरी मंदिर है।
यहॉ वालों का खयाल है कि कुछ मंदिर एक मराठा अमर खंडू के जूल्म ज्यादती से खराब हो गया। यहॉ एक खम्बे पर 59 सत्तरों का बडा लम्बा कतबा खुदा है। इस कतबे में कच्छपघात घराने का हाल लिखा है। इसे विक्रमसिंह कच्छपघात ने खुदवाया था।
डोब कुंड का संरक्षरण न हो पाने से यहॉ अब सब कुछ खत्म होने कगार पर है। हम जैसे जुनूनी व्यक्ति के लिय वहॉ कुछ आकर्षण बचा है तो भटकते भटकते इनकी खैर खबर लेने कभी-कभी वहॉ तक पहुँच जाते है।


पर्यावरण संरक्षण के लिए जैविक कपास को बढ़ावा देने के सभी राजघराने एक मंच पर

दैनिक अयोध्या टाइम्स ब्यूरो, रामपुर| पर्यावरण संरक्षण के लिए जैविक कपास को बढ़ावा देने के सभी राजघराने एक मंच पर आये हैं। मुरादाबाद जनपद की स्योहारा और रामपुर राजघरानों की तरफ से इस दिशा में खास पहल की गई है। गुजरात के बड़ौदा स्थित लक्ष्मी विलास पैलेस में आयोजित राॅयल फेबल्स में आॅर्गेनिक काॅटन का जलवा रहा। शाही घरानों के प्रतिनिधि जैविक कपास के वस्त्रों में नजर आये। पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने बताया कि बड़ौदा की महारानी राधिका राजे गायकवाड की मेहमान नवाजी में तीन दिन चले कार्यक्रमों में मुरादाबाद मंडल की रामपुर व स्योहारा रियासतों को विशेष महत्व मिला। 'रोज़ ट्री' की संस्थापक स्योहारा की कंवरानी कामिनी सिंह ने जैविक कपास को बढ़ावा देने के लिए सभी राजघरानों को उचित मंच प्रदान किया।



नवाब काजिम अली खां ने बताया कि जब सभी राजघरानों के प्रतिनिधि 'रोज़ ट्री' कलेक्शन के साथ सामने आये तो लोग काफी प्रभावित हुए। उन्होंने बताया कि राजघरानों के लोगों को जैविक कपास के वस्त्र पहने देखकर इसका प्रयोग बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि ऑर्गेनिक कॉटन को उन तरीकों और सामग्रियों का उपयोग करके उगाया जाता है, जिनकापर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है। जैविक उत्पादन प्रणाली मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है। जैविक कपास को सिंथेटिक उर्वरकों के उपयोग के बिना उगाया जाता है। जैविक कपास को बढ़ावा मिलना पर्यावरण संरक्षण के लिए अच्छा होगा।कार्यक्रम की सफलता के लिए नवाब काजिम अली खां ने राॅयल फेबल्स संस्थापक अंशु-वरुण खन्ना व लाइमलाइट ज्वैलर्स की पूजा शेठ का आभार व्यक्त किया है।


 

 ना भूसा ना चारा गौ संरक्षण केंद्र 


 

खबर उत्तर प्रदेश के अमेठी से है जो अपने आप में एक जमाने से वीवीआइपी क्षेत्र के रूप में विश्वपटल पर छाया हुआ था। उसी अमेठी से स्मृति ईरानी ने चुनाव लड़कर लगभग 55 हजार वोट से राहुल गांधी को हराकर चुनाव जीतकर सांसद बनीं और केंद्रीय मंत्री भी बन वीवीआइपी क्षेत्र के तमगे को और मजबूत कर दिया।

 

आइये अब बात करते हैं इसी वीवीआइपी क्षेत्र अमेठी की जहां केंद्रीय मंत्री ने 22 जून 2019 को मुसफिरखाना के नेवादा गांव में एक वृहद गौ संरक्षण केंद्र का उद्घाटन किया। उद्घाटन तो हो गया लेकिन उसके बाद उस तरफ पलटकर देखने व उसकी सुधि लेने वाला कोई अधिकारी न मिला। मंत्री जी भाषण में गौ संरक्षण की बात करते हुए उनके रहने व चारे पानी की भरपूर व्यवस्था होने व गौ माता की भरपूर सेवा किये जाने की बात की लेकिन उनके जाते ही उनकी बात सिर्फ भाषणों तक सिमट कर रह गयी।

 

गौशाला में रह रही गायों में से चारा पानी के अभाव व बीमारियों से ग्रसित होने से  2 से 3 गायों की मौत हो रही है। वहां काम करने वाले कर्मचारी भी आगामी 10 अक्टूबर के बाद काम छोड़ देने की बात कर रहे हैं। ठेकेदार भी अधूरा काम करवाकर चला गया तो अभी तक लौट कर आया ही नहीं क्योंकि जो काम हुआ है अभी तक उसी का भुगतान नहीं हुआ तो आगे का कैसे होगा।

क्या जिला प्रशासन इस गौ संरक्षण केंद्र पर ध्यान देकर भूख प्यास व बीमारी तड़पकर मर रही गायों के प्रति थोड़ी संवेदना झूठी ही सही, दिखाता तो समस्या का कुछ प्रतिशत निदान हो जाता।

किसी भी लक्ष्य को प्राप्त  करने के लिए साधक को तन ओर मन दोनों से सामान रूप से तैयार होना चाहिए

हर लक्ष्य को मन , मस्तिष्क के साथ तैयारी करके पाना संभव होता है ।

 

किसी भी लक्ष्य को प्राप्त 

करने के लिए साधक को तन ओर मन दोनों से सामान रूप से तैयार होना चाहिए

किसी भी रचना का भाव पहले मन में आता है मन उसको अपने हिसाब से संवार कर मस्तिष्क को सौंप देता है फिर उस कार्य के लिए मस्तिष्क  सारी योजना बनाता है जब साधक मन और मानसिक दोनों रूप से तैयार हो जाता है तो शरीर में उस कार्य को करने के लिए ऊर्जा का निर्माण होने लगता है,उस हेतु शक्ति का संचार होने लगता है  फिर मन और मस्तिष्क दोनों मिलकर शरीर में निर्मित ऊर्जा शक्ति से अपने उस कार्य करवाने लग जाते है,

एक छात्र अपने विषय के अध्यन हेतु जब मन से तैयार होता है तो मस्तिष्क भी उसकी सहायता करता है फिर वो बिना थके अपनी पूरी क्षमता से हर उस प्रश्न को हल कर देता है जो उसके कोर्स का होता है,

इसी तरह किसी भी क्षेत्र का कोई भी साधक हो अपने कार्य को उच्चतम परिणाम पर ले जा सकता है

कोई कलाकार है वो अपने हर बार के प्रस्तुतीकरण पर पूरा ध्यान लगता है तो लगातार सफल होता है और अगर वो यह सोचे के पिछले अनेकों बार मिली सफलता से में सिद्ध हो गया हूं तो शायद उसकी कार्य शक्ति प्रभावित होगी

 ओर परिणाम पूर्व की भांति नहीं हो, 

ऐसे ही एक रचनाकार की रचना भी उसी तरह से  अपने आप को दर्शाती है

 किसी मकान के बनाने वाले को  देखते हैं तो वो अपने कार्य को अंजाम देने मे लगा है और  परिणाम मन लायक हेतु वो बार बार एक ही कार्य को करने मे लगा है और वो अपने कार्य को पुरा अच्छा कर ही रुकता है

वो अपने कार्य को अंजाम देने के लिए मन में एक तैयारी के साथ लगा है उसका साथ देने के लिए मस्तिष्क भी कार्य करने लगता है शरीर भी कार्य करने लगता है तभी परिणाम मन लायक मिलता है ,

कहने का तात्पर्य यह है कि 

कोई भी कार्य करने के लिए प्रेरित ओर परिणाम मन लायक हो तो समर्पण  होना जरूरी है

 हर कोई अपने आप को अपने-अपने तरीके से निखार सकता है बस शर्त यही है के आप अपने हिसाब से नहीं बल्कि उस कार्य को करने वाली सारी नीति विधि को पूर्ण मन से पालन कर उस पर गहराई से मनन करने के बाद मस्तिष्क में उस के लिए पुरी तरह से तैयारी होना उसके बाद उस योजना पर कार्य करना लाभकारी साबित होता है

 हर कार्य के लिए कोई ना कोई तैयारी जरूर करनी होती है |

आजकल हम देखते है के अनेकों क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा लगी हुई है हर कोई प्रथम आना चाहता है,प्रथम रहना चाहता है,प्रथम होना चाहता है, लेकिन वह उस कार्य के लिए अपने आप को कितना तेय्यार करता है या कितना उसके प्रति समर्पित है इसका आंकलन नहीं के बराबर होता है बिना किसी तैयारी के तन और मन को बिना तैयार किए किसी को भी  किसी भी लक्ष्य को पाना संभव नहीं होता है।

लेखक एवम कवि राजेश शर्मा, उज्जैन 

 

 

Saturday, October 5, 2019

कब तक हमारे देशवासी घिसटती जिन्दगी जीते रहेंगे

एक राजा था जिसकी प्रजा हम भारतीयों की तरह सोई हुई थी !


बहुत से लोगों ने कोशिश की प्रजा जग जाए...


अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसका विरोध करे,


लेकिन प्रजा को कोई फर्क नहीं पड़ता था !


राजा ने तेल के दाम बढ़ा दिये, प्रजा चुप रही,राजा ने अजीबो गरीब टैक्स लगाए, प्रजा चुप रही,राजा मनमानी करता रहा लेकिन प्रजा चुप रही,


एक दिन राजा के दिमाग मे एक बात आई उसने एक अच्छे-चौड़ेरास्ते को खुदवा के एक पुल बनाया जबकि वहां पुल की कतई आवश्यकता नहीं थी...


प्रजा फिर भी चुप थी, किसी ने नहीं पूछा के भाई यहाँ तो किसीपुल की जरुरत नहीं है, आप काहे बना रहे है..?


राजा ने अपने सैनिक उस पुल पे खड़े करवा दिए और पुल से गुजरने वाले हर व्यक्ति से टैक्स लिया जाने लगा,


फिर भी किसीने कोई विरोध नहीं किया !


फिर राजा ने अपने सैनिको को हुक्म दिया कि जो भी इस पुल से गुजरे उसको ""4 जूते"" मारे जाए और एक शिकायत पेटी भी पुल पर रखवा दी कि किसी को अगर कोई शिकायत हो तो शिकायत पेटी मे लिख कर डाल दे,


लेकिन प्रजा फिर भी चुप !


राजा रोज़ शिकायत पेटी खोल कर देखता की शायद किसी ने कोई विरोध किया हो, लेकिन उसे हमेशा पेटी खाली मिलती !


कुछ दिनो के बाद अचानक एक चिट्ठी मिली ..


राजा खुश हुआ के चलो कम से कम एक आदमी तो जागा....


जब चिट्ठी खोली गयी तो उसमे लिखा था -
"हुजूर जूते मारने वालों की संख्या बढ़ा दी जाए"...


हम लोगों को घर जाने मे देरी होती है !


ऐसे हो गए हैं हम ....
और हमारा समाज......
     
 एक तनख्वाह से कितनी बार टेक्स दूं और क्यों...जबाब है???
मैनें तीस दिन काम किया, 
तनख्वाह ली - टैक्स दिया
मोबाइल खरीदा - टैक्स दिया--'
रिचार्ज किया - टैक्स दिया
डेटा लिया - टैक्स दिया
बिजली ली - टैक्स दिया
घर लिया - टैक्स दिया
TV फ्रीज़ आदि लिये - टैक्स दिया
कार ली - टैक्स दिया
पेट्रोल लिया - टैक्स दिया
सर्विस करवाई - टैक्स दिया
रोड पर चला - टैक्स दिया
टोल पर फिर - टैक्स दिया
लाइसेंस बनाया - टैक्स दिया
गलती की तो - टैक्स दिया
रेस्तरां मे खाया - टैक्स दिया
पार्किंग का - टैक्स दिया
पानी लिया - टैक्स दिया
राशन खरीदा - टैक्स दिया
कपड़े खरीदे - टैक्स दिया
जूते खरीदे - टैक्स दिया
कितबें ली - टैक्स दिया
टॉयलेट गया - टैक्स दिया
दवाई ली तो - टैक्स दिया
गैस ली - टैक्स दिया
सैकड़ों और चीजें ली ओर - टैक्स दिया, कहीं फ़ीस दी, कहीं बिल, कहीं ब्याज दिया, कहीं जुर्माने के नाम पर तो कहीं रिश्वत के नाम पर पैसा देने पड़े, ये सब ड्रामे के बाद गलती से सेविंग मे बचा तो फिर टैक्स दिया----
सारी उम्र काम करने के बाद कोई सोशल सेक्युरिटी नहीं, कोई पेंशन नही, कोई मेडिकल सुविधा नहीं, बच्चों के लिये अच्छे स्कूल नहीं, पब्लिक ट्रांस्पोर्ट नहीं, सड़कें खराब, स्ट्रीट लाईट खराब, हवा खराब, पानी खराब, फल सब्जी जहरीली, हॉस्पिटल महंगे, हर साल महंगाई की मार, आकस्मिक खर्चे व् आपदाएं , उसके बाद हर जगह लाइनें।।।।
सारा पैसा गया कहाँ????
करप्शन में , 
इलेक्शन में ,
अमीरों की सब्सिड़ी में ,
माल्या जैसो के भागने में
अमीरों के फर्जी दिवालिया होने में ,
स्विस बैंकों में ,
नेताओं के बंगले और कारों मे,    
और हमें झण्डू बाम बनाने मे।
अब किस को बोलूं कौन चोर है???
आखिर कब तक हमारे देशवासी यूंही घिसटती जिन्दगी जीते रहेंगे?????