Thursday, February 27, 2020

आगामी टिड्डी आक्रमण व उसके नियंत्रण हेतु केंद्र व राज्य सरकार की तैयारियों के आकलन हेतु सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण,भारत सरकार की अध्यक्षता मे उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री भारत सरकार के निर्देशानुसार, सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण,भारत सरकार की अध्यक्षता मे  आज नई दिल्ली मे एक उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया, जिसमे राजस्थान, गुजरात, पंजाब व हरियाणा राज्यो से उच्च स्तर के अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक मे राजस्थान से प्रमुख सचिव,कृषि, कृषि आयुक्त व संयुक्त निदेशक (पादप संरक्षण), गुजरात से अतिरिक्त मुख्य सचिव, पंजाब से संयुक्त निदेशक(टिड्डी नियंत्रण) व हरियाणा से संयुक्त निदेशक (पादप संरक्षण) ने भाग लिया। भारत सरकार के विशेष सचिव, कृषि आयुक्त, संयुक्त सचिव (पीपी), निदेशक(पीपी),संयुक्त निदेशक,कीट विज्ञान, अतिरिक्त सचिव,राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण,निदेशक,विदेश मंत्रालय,निदेशक,गृह मंत्रालय, मुख्य प्रबंध निदेशक, एचआईएल लिमिटेड ने भाग लिया।


संयुक्त सचिव (पीपी), ने भारत मे किए गए टिड्डी नियंत्रण के बारे मे पावर पॉइंट के द्वारा माह मई 2019 से अब तक किए गए टिड्डी नियंत्रण के बारे मे ,व नियंत्रण के दौरान अनुभव की गई कठिनाइयों व सफलताओं पर विस्तार से चर्चा की गई। फसलों मे टिड्डी से हुए नुकसान के बारे मे चर्चा की गई व एनडीआरएफ़ ,एसडीआरएफ़ के मानको के अनुसार सहायता की स्थिति के बारे मे बताया ।


कृषि सचिव ने टिड्डी नियंत्रण हेतु आगामी तैयारियो के लिए राजस्थान, गुजरात,पंजाब व हरियाणा के  टिड्डी प्रभावित जिलों मे टिड्डियों के बारे मे जागरूकता अभियान कार्यक्रम एक निश्चित  समय मे आयोजित करने हेतु कहा जिसमे राज्य कृषि विभाग के अधिकारी, व ग्राम स्तर पर राजस्व विभाग के पटवारी,ग्राम  विकास अधिकारीयों, कृषकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। सीमा सुरक्षा बल के कार्मिको को भी टिड्डी के बारे मे प्रशिक्षित किया जाएगा.


सचिव महोदय ने इस वर्ष के नियंत्रण व उपलब्ध संसाधनो को ध्यान मे रखते हुए आगामी मौसम मे भारत सरकार के टिड्डी नियंत्रण संगठन, राज्य सरकार, स्थानीय कृषकों, बीएसएफ़ व अन्य संगठनो के द्वारा संयुक्त प्रयास द्वारा टिड्डी नियंत्रण करने हेतु कहा व राज्य सरकारो को टिड्डी नियंत्रण के लिए आवश्कतानुसार संसाधन हेतु सहायता देने  व बैठक के अंत मे सचिव महोदय ने अब तक किए गए प्रयासों पर संतुष्टि व्यक्त की, कठिन परिश्रम की प्रशंशा की और भविष्य मे बेहतर प्रयास की अपेक्षा की  और सभी को धन्यवाद कहा।   



श्री किरेन रिजिजू ने लेह, लद्दाख में पहले खेलो इंडिया शीतकालीन खेलों का उद्घाटन किया

युवा कार्य और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री किरेन रिजिजू ने संघ शासित प्रदेश लद्दाख के लेह में पहले खेलो इंडिया शीतकालीन खेलों का आज उद्घाटन किया। भारत में यह इस तरह का पहला आयोजन है, जिसे देश में शीतकालीन खेलों को बढ़ावा देने और देश के युवाओं के बीच इन खेलों को लोकप्रिय करने के लिए आयोजित किया गया है।


खेलो इंडिया शीतकालीन खेलों के उद्घाटन समारोह में श्री किर रिजिजू ने कहा, ‘दुनिया की 20 प्रतिशत भारत में मौजूद युवा शक्ति को दिशा दिखाने के लिए सरकार खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत विश्वविद्यालय खेलों, युवा खेलों और शीतकालीन खेलों का पहली बार आयोजन करने में अब तक 15 हजार छात्रों को पहचाना गया है और उन्हें विभिन्न शिविरों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 7 मार्च से जम्मू और कश्मीर के गुलमर्ग में शीतकालीन खेलों का आयोजन किया जाएगा और मैं आश्वासन देता हूं कि शीतकालीन खेलों का स्तर सुधारने और उनमें भागीदारी बढ़ाने के लिए धनराशि बढ़ाई जाएगी।’


खेलो इंडिया शीतकालीन खेलों का दूसरा चरण 7 मार्च से 11 मार्च तक कोंगदोरी, गुलमर्ग में आयोजित किया जाएगा और इसमें एल्पाइन स्कीइंग, क्रॉस कंट्री स्कीइंग, स्नो बोर्डिंग और स्नो शूइंग  प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा।


लद्दाख में चल रहे खेलो इंडिया शीतकालीन खेलों के दौरान तीन शीतकालीन खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। ये हैं:- ओपन आइस हॉकी चैंपियनशीप, फिगर स्केटिंग, स्पीड स्केटिंग। इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए लेह और कारगिल से 1700 खिलाड़ी आएंगे, जो ब्लॉक, जिला और संघ शासित क्षेत्र के स्तर पर होंगी।



नोवल कोरोनावायरस (कोविड-19) पर अपडेट: यात्रा के लिए नई एडवाइजरी

अन्‍य देशों से प्राप्‍त हो रहे कोविड-19 से संक्रमित रोगियों के मामलों से उत्‍पन्‍न स्थिति को ध्‍यान में रखते हुए भारत सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने वैसे तो कई यात्रा एडवाइजरी पहले ही जारी कर दी हैं, लेकिन इसके साथ ही निम्‍नलिखित अतिरिक्‍त निर्देश भी जारी किए गए हैं:



1)  भारतीयों को यह सलाह दी जाती है कि यदि अत्‍यंत आवश्‍यक न हो, तो वे कोरिया गणराज्‍य, ईरान और इटली की यात्रा करने से बचें।


2)  कोरिया गणराज्‍य, ईरान और इटली से आ रहे लोगों अथवा 10 फरवरी, 2020 से अब तक वहां से यात्रा कर आए लोगों को भारत में आगमन पर 14 दिनों तक अलग चिकित्‍सा वार्ड में रखा जा सकता है।


3)  किसी भी तरह के तकनीकी सवाल का उत्‍तर पाने के लिए संबंधित व्‍यक्ति स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के नियंत्रण कक्ष के चौबीसों घंटे चालू रहने वाले हेल्‍पलाइन नम्‍बर +91-11-23978046 पर संपर्क कर सकते हैं अथवा ncov2019@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं।




मानव संसाधन विकास मंत्री ने प्रबंधकों के लिए यूकेआईईआरआई-यूजीसी उच्च शिक्षा लीडरशिप विकास कार्यक्रम की शुरुआत की

केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने ‘प्रबंधकों के लिए उच्च शिक्षा लीडरशिप विकास कार्यक्रम’ की शुरुआत की। यह ब्रिटेन, भारत शिक्षा और अनुसंधान पहल (यूकेआईईआरआई) के तत्वाधान में यूजीसी और ब्रिटिश काउंसिल की संयुक्त पहल है, जिसका उद्देश्य भारतीय विश्वविद्यालयों में मध्यम और वरिष्ठ स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों तक लीडरशिप विकास कार्यक्रम पहुंचाना है। कार्यक्रम की शुरुआत के दौरान मंत्रालय में सचिव श्री अमित खरे; यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर डी.पी. सिंह, ब्रिटिश काउंसिल ऑफ इंडिया की ओबीई-निदेशक सुश्री बारबरा विकहैम और मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथ ब्रिटिश काउंसिल के अन्य अधिकारी मौजूद थे।


इस अवसर पर श्री पोखरियाल ने कहा कि यह एक अनूठा कार्यक्रम है, जिसमें भारतीय विश्वविद्यालयों के मध्यम और उच्च स्तर के अधिकारियों की लीडरशिप क्षमता बढ़ाने के महत्वपूर्ण पहलुओं को रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम हमारे विश्वविद्यालयों में प्रदान की जा रही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए हमारी सरकार की प्रतिबद्धता की तर्ज पर संस्थागत विकास की दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से वैश्विक नजरिया विकसित करने में मदद मिलेगी और इससे समावेशी तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जुड़ी उच्च शिक्षा प्रणालियों के लिए ज्ञान को बढ़ावा देगा, जो ब्रिटेन और भारत में आर्थिक और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करती है। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम अधिकारियों के लिए एक प्रेरक के रूप में काम करेगा ताकि वे अपनी प्रदर्शन और क्षमताओं में सुधार ला सकें, जिससे संस्थागत रूप रेखा और भारत में विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा बढ़ाई जा सके।


कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वरिष्ठ और मध्यम स्तर पर शैक्षणिक प्रशासकों को प्रशिक्षित करना है ताकि वे नवीन दृष्टिकोणों, क्षमता, साधनों और कौशल के साथ भारत के विश्वविद्यालयों में सर्वांगी परिवर्तन ला सकें। ‘प्रशासकों के लिए उच्च शिक्षा लीडरशिप विकास कार्यक्रम’ विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक काम-काज पर कार्य साधकता सुनिश्चित करेगा। इस कार्यक्रम में दो कार्यशालाएं शामिल हैं, जिन्हें ब्रिटेन के प्रशिक्षकों द्वारा कराया जाएगा, जो लगभग 300 शैक्षणिक अधिकारियों को रजिस्ट्रार और संयुक्त/उप/सहायक रजिस्ट्रार प्रशिक्षित करेंगी ताकि वे उच्च शिक्षा संस्थानों में बदलाव ला सकें। कार्यक्रम में निरंतरता बनाए रखने के लिए 300 भागीदारों में से भविष्य में 30 संभावित लीडरशिप विकास कार्यक्रम प्रशिक्षकों का चयन किया जाएगा और उन्हें अन्य लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण दिया जाएगा।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) वैश्विक दृष्टि से मान्यता प्राप्त संस्थागत विशेषज्ञों और ब्रिटेन की उत्कृष्ट लीडरशिप के साथ प्रशिक्षण सहयोगी के रूप में एडवांस एचई के सहयोग से इस कार्यक्रम को चलाएगा।



 एनसीएससी ने राजस्थान सरकार को नागौर में असामाजिक तत्वों के अत्याचार और अमानवीय व्यवहार के दो पीड़ितों को मुआवजा देने और मामले में तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया

राजस्थान के नागौर में अनुसूचित जाति के दो लोगों पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा अत्याचार और अमानवीय व्यवहार का मामला राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के संज्ञान में लाया गया है। मामले को राजस्थान सरकार के सामने पहले ही उठाया गया है और इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट भी सौंपी गई है।  इस मामले पर एनसीएससी के सचिव ने 20 फरवरी, 2020 को नागौर के डीएम से फोन पर बात की है। एनसीएससी के अध्यक्ष  को 20 फरवरी, 2020 को पुलिस और डीएम द्वारा की गई कार्रवाई की रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी गई।


      प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की है कि पीओए अधिनियम की  धारा 342, 323, 341, 143 आईपीसी, 3 (1) (डी), 3 (1) (एस) और 3 (2) (वीए) के तहत  एफआईआर नंबर 011/19.02.2020  दर्ज की गई। पुलिस ने मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। डीएम ने पुष्टि की है कि 20.02.2020 को नियमानुसार अनुमोदन संख्‍या  डीओएसजेई/9986/एटीआरओसी/2019/106286 के तहत दोनों में से प्रत्‍येक पीड़ित को 50,000/- रुपये का भुगतान किया गया है। एनसीएससी के उपाध्‍यक्ष ने राज्य अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करने और पीड़ित को मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश भी दिया है।



उपराष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों को लोगों के सामाजिक जीवन के साथ आत्मीयता से जुड़ना चाहिए और लोक-प्रसिद्ध 'एकांत' नहीं बने रहना चाहिए

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज सभी विश्वविद्यालयों से कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) की तरह विश्वविद्यालय की सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने और छात्रों को किसी न किसी रूप में सामाजिक सेवा करने के लिए प्रोत्साहन देने का आह्वान किया ताकि वे देश के जिम्मेदार नागरिक बनें। उन्होंने कहा कि खुद को राष्ट्र-निर्माण में सकारात्मक, सार्थक और रचनात्मक तरीके से शामिल करें।


पांडिचेरी विश्वविद्यालय के 28वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने छात्रों से अपने ज्ञान में वृद्धि करने और अपने करियर में उन्नति के लिए अपने बहुमूल्य समय का उचित उपयोग करने के लिए कहा। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और अन्य बड़े कार्यक्रमों में भाग लें और इन्हें जन आन्दोलन में परिवर्तित करें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को लोगों के सामाजिक जीवन के साथ आत्मीयता से जुड़ना चाहिए और लोक-प्रसिद्ध 'एकांत' ही  नहीं बने रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षाविदों को न केवल सामाजिक-आर्थिक संदर्भ में निहित होना चाहिए बल्कि दुनिया भर में ज्ञान की खुशबू भी फैलानी चाहिए।


उपराष्ट्रपति ने 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एक समग्र शिक्षा मानव को परिष्कृत करती है और न केवल बुद्धि और कौशल का विस्तार करती है, बल्कि सहानुभूति, करुणा, सम्मान, सहिष्णुता और सकारात्मक सोच जैसे आवश्यक मानवीय गुणों का समावेश भी करती है।


शिक्षा पर श्री अरबिंदो के विचारों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा को समग्र, ज्ञानवर्धक और सशक्त बनाना होगा। उन्होंने कहा कि यह केवल रोजगार के लिए ही नहीं होनी चाहिए। श्री नायडू ने किसी भी भाषा के आंख मूंदकर विरोध करने को गलत बताते हुए कहा कि हर किसी को अपनी मातृभाषा को सीखने के दौरान जितनी संभव हो उतनी भाषाएं सीखने की कोशिश करनी चाहिए और किसी भी भाषा का कोई विरोध नहीं होना चाहिए।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों- ‘मूल्य प्रवाह उच्च शिक्षण संस्थानों में मानवीय मूल्यों और पेशेवर नीति का समावेश’ के बारे में दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए उपराष्ट्रपति ने संस्थानों से निम्नलिखित पांच प्रणालियों के सृजन के लिए के प्रयास करने का आह्वान किया-


1. समग्र विकास के लिए सीखने की प्रक्रिया


2. दोष रहित शासन


3. प्रभावी संस्थागत प्रबंधन


4. पुरस्कारों और अनुशासन की अच्छी प्रणाली


5. संस्थागत माहौल जहां अधिकारों, आनंद और गलतियों को प्रोत्साहन न मिले।


इस अवसर पर केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की उप राज्यपाल और पांडिचेरी विश्वविद्यालय की मुख्य संरक्षक  डॉ. किरण बेदी, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री श्री वी. नारायणसामी, विद्युत, शिक्षा और कृषि मंत्री श्री आर. कमलाकन्नन, राजस्व, उद्योग और वाणिज्य, परिवहन, सूचना प्रौद्योगिकी, वन, वक्फ बोर्ड और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री, श्री एमओएचएफ शाहजहाँ, कुलपति प्रो. गुरमीत सिंह और विभिन्न विश्वविद्यालय निकायों के विशिष्ट सदस्य भी उपस्थित थे।



भारतीय वायु सेना और रॉयल एयर फोर्स के संयुक्त युद्धाभ्यास इन्द्रधनुष के 5वें संस्करण की शुरुआत

      भारतीय वायु सेना (आईएएफ) और रॉयल एयर फोर्स (आरएएफ) ने 24 फरवरी 2020 को वायु सेना स्टेशन हिंडन पर इंद्रधनुष युद्धाभ्यास के पांचवें संस्करण की संयुक्त रूप से शुरुआत की। युद्ध अभ्यास के इस संस्करण में 'बेस डिफेंस एंड फोर्स प्रोटेक्शन' पर जोर दिया गया है। आतंकी तत्वों से सैन्य प्रतिष्ठानों को अभी हाल के खतरों को देखते हुए युद्ध अभ्यास का यह विषय बहुत महत्वपूर्ण है। इन्द्रधनुष युद्धाभ्यास भारतीय वायुसेना और रॉयल एयर फोर्स को अपने प्रतिष्ठानों को आतंकी खतरों से निपटने के लिए मान्य रणनीतियों और युक्तियों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।


आरएएफ के दल में उनकी रेजिमेंट के 36 विशेष लड़ाके शामिल हैं जबकि भारतीय वायु सेना में गरुड़ फोर्स के 42 लड़ाके शामिल हैं। दोनों दल संयुक्त रूप से कार्य करने वाली योजनाओं और परिदृश्यों के आधार पर मिशन पूरा करेंगी। दोनों पक्ष विशेष हथियारों, उपकरणों और वाहनों का भी उपयोग करेंगे। विशेष मिशन में शहरी निर्मित जोन में  एयरफील्ड आक्रमण, बेस डिफेंस और आतंकवाद विरोधी अभियान शामिल हैं। इन अभ्यासों में सी-130 जे विमान से पैरा ड्राप्स, एमआई-17 वी 5 हेलीकॉप्टरों द्वारा सामरिक इनसर्जन और विभिन्न हवाई सेंसरों का उपयोग शामिल हैं।


भारतीय वायुसेना और रॉयल एयर फोर्स एक दूसरे के परिचालन अनुभव, प्रशिक्षण दर्शन, समकालीन प्रौद्योगिकियों और सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के अनुसरण से महत्वपूर्ण लाभ अर्जित करेंगी। आपसी समझ और मिलनसारिता बढ़ाने के लिए इस अभ्यास के दौरान कुछ सामाजिक खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है। इस अभ्यास का औपचारिक समापन 29 फरवरी 2020 को होगा।



केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने छात्र विश्वकर्मा पुरस्कार 2019 प्रदान किए

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज नई दिल्ली में विजेताओं को विश्वकर्मा पुरस्कार 2019 प्रदान किए। पुरस्कार समारोह का आयोजन अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) में किया गया। विभिन्न उप-श्रेणियों के तहत कुल 23 टीमों को छात्र विश्वकर्मा पुरस्कार (सीवीए) प्रदान किए गए। केंद्रीय मंत्री निशंक ने  उत्कृष्ट संस्थान विश्वकर्मा पुरस्कार (यूएसवीए) के तहत छह संस्थानों को सम्मानित किया।  



श्री निशंक ने पुरस्कार समारोह के अवसर पर सभी विजेताओं को बधाई दी और कहा कि यह क्षण सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि 6 हजार 6 सौ 76 टीमों में से 117 टीमों को फाइनल के लिए चुना जाना और उनमें से 23 टीमों का विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कृत होना यह बताता है कि भारत में बहुत प्रतिभा है। उन्होंने कहा कि सभी टीमों में काफी सामर्थ्य हैं और वे बहुत ही खास हैं। उन्होंने विजेता छात्रों को देश के लिए संपत्ति बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न टीमों के छात्रों ने दूसरों के लिए नए मापदंड निर्धारित किए हैं।




रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने ओएफबी और 4 रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के कार्य-प्रदर्शन की समीक्षा की

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्‍ली में आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों यथा हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (एचएएल), भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स लिमिटेड (बीईएल), भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) और भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड (बीडीएल) के कार्य-प्रदर्शन की समीक्षा की। ओएफबी, एचएएल, बीईएल, बीईएमएल और बीडीएल के अधिकारियों ने रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्‍पादन विभाग के वरिष्‍ठ अधिकारियों के समक्ष अपनी वर्तमान एवं भावी परियोजनाओं के बारे में प्रस्‍तुतियां दीं।


श्री राजनाथ सिंह ने ओएफबी और इन डीपीएसयू की समग्र उपलब्धियों पर संतोष व्‍यक्‍त करते हुए उनसे वैश्विक बाजार में अपनी प्रतिस्‍पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयास करने का अनुरोध किया। श्री सिंह ने स्‍वदेशीकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए संबंधित अधिकारियों से ‘मेक इन इंडिया’ से जुड़े और अधिक अवसरों की तलाश करने तथा भारत को रक्षा उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भर बनाने में मदद करने का आह्वान किया। रक्षा मंत्री ने अधिकारियों से कारोबारी मॉडल के ऐसे नए स्‍वरूपों की तलाश करने का भी अनुरोध किया जिनमें रक्षा निर्यात बढ़ाने पर फोकस किया जाता हो। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि डीपीएसयू भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केन्‍द्र (हब) के साथ-साथ विशुद्ध रूप से एक निर्यातक बनाने में मुख्‍य भूमिका निभाएंगे।


ओएफबी का मुख्‍यालय कोलकाता में है और यह रक्षा बलों के लिए युद्ध क्षेत्र से जुड़े अत्‍याधुनिक उपकरणों, गोला-बारूद एवं अन्य सैन्य हार्डवेयर का निर्माण करता है और इसके साथ ही यह संबंधित कर्मियों को प्रशिक्षण देने के अलावा उत्‍पादन यूनिटों (इकाइयों) का आधुनिकीकरण करने में भी जुटा हुआ है। ओएफबी ने स्‍वदेशीकरण पर फोकस करते हुए बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित 246 आवेदन किए हैं। आईडेक्‍स प्‍लेटफॉर्म के जरिए भारत के निजी उद्योगों के साथ मिलकर भावी प्रौद्योगिकियों का विकास करने पर भी ओएफबी फोकस कर रहा है।


हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड ने पिछले पांच वर्षों में परिचालन एवं वित्त सहित कई मोर्चों पर निरंतर उल्‍लेखनीय प्रदर्शन किया है। इस कंपनी ने सात प्‍लेटफॉर्मों पर परिचालन संबंधी स्‍वीकृति प्राप्‍त की है जिनमें हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए), हल्का लड़ाकू हेलि‍कॉप्टर (एलसीएच), लाइट यूटिलिटी हेलि‍कॉप्टर (एलयूएच), उन्नत हल्का हेलि‍कॉप्टर-हथियार प्रणाली एकीकृत ‘रुद्र’, 19 सीटों वाला डीओ-228 असैन्‍य विमान, जगुआर डैरिन III और मिराज का उन्‍नत संस्‍करण शामिल हैं।


भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स लिमिटेड ने रणनीतिक महत्‍व वाली कई परियोजनाओं को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया है जिनमें भारतीय सेना के लिए हथियार का पता लगाने वाला रडार, आकाश मिसाइल प्रणाली, तटरक्षक बल के लिए तटीय निगरानी प्रणाली, इत्‍यादि शामिल हैं। कंपनी ने वर्ष 2018-19 में 21.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात कारोबार किया। इस कंपनी ने जिन प्रमुख देशों को निर्यात किया उनमें स्विट्जरलैंड, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इजरायल, स्वीडन, फिनलैंड, सेशेल्स, मॉरीशस और वियतनाम शामिल हैं।


भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड (बीडीएल) ने अब स्‍वयं को विभिन्‍न उत्‍पादों, विभिन्‍न उपभोक्‍ताओं और विभिन्‍न स्‍थानों (लोकेशन) वाले एक ऐसे उद्यम के रूप में विकसित कर लिया है जो अंतर्राष्‍ट्रीय गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरने वाले रक्षा उपकरणों का उत्‍पादन करती है। यह कंपनी आकाश हथियार प्रणाली (एडब्‍ल्‍यूएस) की एक प्रमुख समाकलक (इंटीग्रेटर) है। इस कंपनी ने भारतीय नौसेना को वरुणअस्‍त्र अथवा भारी वजन वाले टारपीडो की आपूर्ति के लिए 1,188 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्‍ताक्षर किए हैं। डीआरडीओ ने वरुणअस्‍त्र की डिजाइनिंग कर इसे विकसित किया है और भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड (बीडीएल) इसका निर्माण करती है।


 भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के जरिए पहली बार 180 टन की क्षमता वाले सबसे बड़े पर्यावरण अनुकूल विद्युतीय उत्‍खनक (इलेक्‍ट्रि‍कल एक्‍सकवैटर), 150 टन एवं 190 टन की क्षमता वाले सबसे बड़े इलेक्‍ट्रि‍क ड्राइव डंप ट्रकों की डिजाइनिंग की है और इसे विकसित किया है, जो आयात का विकल्‍प हैं एवं जो हरित खनन को बढ़ावा देने में मददगार हैं और इसके साथ ही विदेशी मुद्रा की व्‍यापक बचत भी करते हैं।


इस कंपनी ने आत्‍मनिर्भरता पर विशेष बल दिया है और प्रमुख खनन एवं निर्माण उत्‍पादों तथा रेल के डिब्‍बों (कोच) एवं ईएमयू में 90 प्रतिशत से भी अधिक, हाई मोबिलिटी व्‍हीकल (एचएमवी) में 80 प्रतिशत से भी ज्‍यादा और मेट्रो कारों में 65 प्रतिशत से भी अधिक स्‍वदेशीकरण स्‍तर हासिल कर लिया है। यह कंपनी इसके साथ ही स्‍वदेशीकरण के और भी अधिक उच्‍च स्‍तर को हासिल करने के लिए सरकार की ‘शून्‍य आयात’ नीति की दिशा में काम कर रही है।



पूर्वोत्‍तर सतत विकास लक्ष्‍य सम्‍मेलन गुवाहाटी में शुरू

      पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने की प्रक्रिया को गति देने तथा इनके समाधान तलाशने के उद्देश्‍य से पूर्वोत्‍तर सतत विकास लक्ष्‍य सम्‍मेलन सोमवार से  गुवाहाटी में शुरु हुआ।


      सम्‍मेलन का आयोजन पूर्वोत्‍तर विकास परिषद्, असम सरकार और टाटा ट्रस्‍ट के साथ मिलकर नीति आयोग कर रहा है। यूएनडीपी तथा आरआईएस सम्‍मेलन में सहयोग कर रहे हैं। सम्‍मेलन का उद्धाटन नीति आयोग के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत के संबोधन के साथ हुआ । बाद में नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉ. राजीव कुमार तथा असम के वित्‍त,शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हेमंत बिस्‍वा सरमा तथा भारत में संयुक्‍त राष्‍ट्र की रेजिडेंट संयोजक सुश्री रेनाटा लोक डेसालियन ने भी सम्‍मेलन को संबोधित किया।


      पूर्वोत्‍तर राज्‍यों की भागीदारी, सहयोग और विकास पर आधारित यह तीन दिवसीय सम्‍मेलन 26 फरवरी तक चलेगा जिसमें पूर्वोत्‍तर राज्‍यों, केन्‍द्रीय मंत्रालयों, शिक्षण संस्‍थानों, सामाजिक संगठनों और अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍थाओं के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।


      श्री अ‍मिताभ कांत ने सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और विशेषकर पूर्वोत्‍तर क्षेत्र अपार चुनौतियों और संभावनाओं से भरा हुआ है। इसके लिए ऐसे समाधान तलाशने की आवश्‍यकता है जो व्‍यापक बदलाव लाने वाले हों और प्रौद्योगिकी पर आधारित विकास का मार्ग प्रशस्‍त करते हों।


      डा. राजीव कुमार ने पूर्वोत्‍तर क्षेत्र को राष्‍ट्रीय विकास एजेंडे के साथ जोड़ने पर जोर दिया और कहा कि सतत विकास लक्ष्‍यों के स्‍थानीयकरण के लिए राज्‍यों और क्षेत्र विशेष की प्राथमिकताओं की पहचान करना जरूरी होगा।


      सुश्री रेनाटा ने कहा कि नीति आयोग के सत‍त विकास लक्ष्‍य सूचकांक में पूर्वोत्‍तर के कई राज्‍य शीर्ष राज्‍यों की श्रेणी में हैं। यह क्षेत्र दक्षिण पूर्व एशिया के लिए भारत का प्रवेश द्वार है। यहां व्‍यापार और वाणिज्‍य की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।


सम्‍मेलन के उद्घाटन सत्र को कई राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों ने भी संबोधित किया।


       अरूणाचल प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पेमा खांडू ने कहा “आने वाले दिनों में हम सतत विकास लक्ष्‍यों की प्राप्‍ति के प्रति अपने संकल्‍प को और मजबूत बनाने के लिए नीति आयोग के साथ मिलकर काम करेंगे। हमने मुख्‍यमंत्री डैशबोर्ड में ऐसे 145 संकेतकों को शामिल किया है जिनके आधार पर पिछले दो वर्षों से राज्‍य में हो रही प्रगति की निगरानी की जा रही है।  


       मिजोरम के मुख्‍यमंत्री जोरमथांग ने कहा “मेरा मानना है कि केंद्र सरकार से वित्तीय मदद के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों में हो रही प्रगति की निगरानी से सतत विकास लक्ष्‍यों को निश्चित रूप से हासिल किया जा सकता है।‘’


      सिक्किम के मुख्‍यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कहा “ इस सम्‍मेलन से हमें एक ऐसा क्षेत्रीय मंच मिल गया है जिसके माध्‍यम से हम एक दूसरे के साथ ही देश के अन्‍य हिस्‍सों  से भी काफी कुछ सीख सकते हैं। सिक्किम जैसे राज्‍य के लिए तथा अपने प्राकृतिक संसाधनों को कैसे सहेजा जाए इस नजरिए से सतत विकास काफी मायने रखता है।


       त्रिपुरा के मुख्‍यमंत्री बिप्‍लब कुमार देव ने सम्‍मेलन में सतत विकास लक्ष्‍यों की प्राप्‍ति के लिए शुरु की गई मौजूदा योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्‍यम से अपने राज्‍य की प्रगति का विश्‍लेषण प्रस्‍तुत किया।


      असम के मुख्‍यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा “देश के लिए दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में गुवाहाटी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।नीति आयोग की मदद से हम इस क्षेत्र और यहां के लोगों की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे। 


          पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जब देश पांच हजार अरब डालर की अर्थव्‍यव्‍था बन जाएगा तब पूर्वोत्‍तर इसका एक महत्‍वपूर्ण घटक होगा।


       सम्‍मेलन में पूर्वोत्‍तर में सतत विकास लक्ष्‍य पर चार महत्‍वपूर्ण रिपोर्ट जारी की गई। उद्घाटन सत्र के बाद सम्‍मेलन में आगे सतत विकास लक्ष्‍यों का स्‍थानीयकरण, आर्थिक समृद्धि और सतत आजीविका, जलवायु के अनुकूल कृषि, स्‍वास्‍थ्‍य और पोषण आदि विषयों पर तकनीकी सत्र होंगे।



आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने राष्ट्री य तकनीकी कपड़ा मिशन के निर्माण को स्वीीकृति दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 1480 करोड़ रुपये के कुल परिव्‍यय के साथ देश को तकनीकी टेक्‍सटाइल्‍स क्षेत्र में वैश्विक रूप से अग्रणी राष्‍ट्र के रूप में स्‍थापित करने की दृष्टि से राष्‍ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन के गठन को अपनी स्‍वीकृति दे दी है। इस मिशन की चार वर्षीय कार्यान्‍वयन अवधि वित्‍तीय वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक होगी।


तकनीकी टेक्‍सटाइल्‍स का भविष्‍य उज्‍ज्‍वल है और इन्‍हें टेक्‍सटाइल के विभिन्‍न क्षेत्रों जैसे कृषि, सड़क, रेलवे ट्रेक, खेल परिधान, स्‍वास्‍थ्‍य से बुलेट प्रूफ जैकेट, फायर प्रूफ जैकेट, ऊंचाई वाले क्षेत्रों और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के साथ-साथ अनेक अन्‍य क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है।


इस मिशन के चार घटक होंगे :-


1     घटक- I (अनुसंधाननवाचार और विकास) 1000 करोड़ रुपये के परिव्‍यय के साथ यह दोनों (i) कार्बन, फाइबर, अरामिड फाइबर, नाइलॉन फाइबर और कम्‍पोजिट में    शानदार तकनीकी उत्‍पादों के उद्देश्‍य से फाइबर स्‍तर पर मौलिक अनुसंधान और (ii)      भू-टेक्‍सटाइल, कृषि- टेक्‍सटाइल, चिकित्‍सा-टेक्‍सटाइल, मोबाइल-टेक्‍सटाइल और खेल- टेक्‍सटाइल एवं जैवनिम्‍नीकरण त‍कनीकी टेक्‍सटाइल के विकास पर आधारित    अनुसंधान अनुप्रयोग दोनों को प्रोत्‍सा‍हन देगा।


मौलिक अनुसंधान गतिविधियां सामूहिक संसाधन प्रणाली पर आधारित होगी और इन्‍हें विभिन्‍न वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान प्रयोगशाला केन्‍द्र (सीएसआईआर), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (आईआईटी) और अन्‍य प्रतिष्‍ठित वैज्ञानिक/औद्योगिक, शैक्षिक प्रयोगशालाओं में संचालित किया जाएगा। अनुप्रयोग आधारित अनुसंधान को सीएसआईआर, आईआईटी, रिसर्च डिजाइन एंड स्‍टैण्‍डर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ऑफ इंडियन रेलवे, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), नेशनल एरोनॉटिकल लेबोरेट्री (एनएएल), भारतीय सड़क अनुसंधान संस्‍थान (आईआरआरआई) और अन्‍य ऐसी प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं में कराया जाएगा।


      2     घटक-II (संवर्द्धन और विपणन विकास)  


भारतीय तकनीकी कपड़ा श्रेणी का अनुमानित आकार 16 अरब डॉलर है जो 250 अरब डॉलर के वैश्विक तकनीकी कपड़ा बाजार का लगभग 6 प्रतिशत है। भारत में तकनीकी कपड़ा की पहुंच काफी कम है जो 5 से 10 प्रतिशत के दायरे में है। जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा 30 से 70 प्रतिशत है। इस मिशन का उद्देश्‍य बाजार विकास, बाजार संवर्धन, अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी सहयोग, निवेश प्रोत्साहन और 'मेक इन इंडिया' पहल के माध्यम से सालाना 15 से 20 प्रतिशत की औसत वृद्धि के साथ घरेलू बाजार के आकार 2024 तक 40 से 50 अरब डॉलर करना है।


3     घटक- III (निर्यात संवर्धन)


इसका उद्देश्‍य तकनीकी कपड़ा के निर्यात को बढ़ाकर वर्ष 2021-22 तक 20,000 करोड़ रुपये करना है जो वर्तमान में लगभग 14,000 करोड़ रुपये है। साथ ही वर्ष 2023-24 तक प्रति वर्ष निर्यात में 10 प्रतिशत औसत वृद्धि सुनिश्चित करना है। इस श्रेणी में प्रभावी बेहतर तालमेल और संवर्द्धन गतिविधियों के लिए एक तकनीकी कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना की जाएगी।


4     घटक- IV (शिक्षा, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास)


      देश में शिक्षा, कौशल विकास और मानव संसाधन तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण और तेजी से उभरते तकनीकी कपड़ा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। यह मिशन उच्चतर इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी स्‍तर पर तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देगा और इसके अनुप्रयोग का दायरा इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कृषि, जलीय कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों तक बढ़ाएगा। कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाएगा और अत्यधिक कुशल मानव संसाधनों का पर्याप्त भंडार तैयार करेगा ताकि अपेक्षाकृत परिष्कृत तकनीकी कपड़ा विनिर्माण इकाइयों की आवश्यकता पूरी की जा सके।



  • यह मिशन रणनीतिक क्षेत्रों सहित देश के विभिन्‍न मिशनों, कार्यक्रमों आदि में तकनीकी कपड़ों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा। कृषि, जलीय कृषि, डेयरी, मुर्गीपालन आदि में तकनीकी कपड़ों का उपयोग। जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, आयुष्मान भारत से अर्थव्‍यवस्‍था में लागत, विनिर्माण और निर्यात गतिविधियों को बढ़ावा देने के अलावा, प्रति एकड़ भूमि जोतने वाले किसानों कर बेहता आय, जल एवं मृदा संरक्षण, बेहतर कृषि उत्पादकता और उच्च आय में समग्र सुधार आएगा। राजमार्ग, रेलवे और बंदरगाहों में जियो-टेक्‍सटाइल्‍स के उपयोग से बुनियादी ढांचा बेहतर होगा, रखरखाव लागत में कमी आएगी और बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों का जीवन चक्र बेहतर होगा।

  • इस मिशन के तहत स्‍टार्टअप एवं वेंचर को प्रोत्‍साहन और नवाचार एवं इनक्‍यूबेशन केंद्रों की स्‍थापना के साथ-साथ युवा इंजीनियरिंग/ प्रौद्योगिकी/ विज्ञान मानकों एवं स्नातकों के बीच नवाचार को बढ़ावा देना है। अनुसंधान आउटपुट को सरकार के एक ट्रस्‍ट में रखा जाएगा ताकि अनुसंधान नवाचार एवं विकास गतिविधियों से प्राप्‍त ज्ञान तक आसान पहुंच सुनिश्चित हो सके और उसका प्रसार हो।

  • अनुसंधान का एक उप-घटक जैव अपघटनीय तकनीकी वस्त्र सामग्री, खासकर कृषि-टेक्‍सटाइल, जियो-टेक्‍सटाइल और चिकित्सा वस्त्रों के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह चिकित्सा और स्वच्छता कचरे के सुरक्षित निपटान पर जोर देने के साथ, प्रयुक्त तकनीकी वस्त्रों के पर्यावरणीय स्थायी निपटान के लिए उपयुक्त उपकरण भी विकसित करेगा।

  •  अनुसंधान गतिविधि का एक अन्‍य उप-घटक है जिसका उद्देश्‍य तकनीकी वस्‍त्रों के लिए स्‍वदेशी मशीनरी और प्रक्रिया उपकरणों का विकास करना है ताकि ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने और कम पूंजीगत लागत के माध्यम से उद्योग को प्रतिस्पर्धात्मक बनाया जा सके।  

  •  संबंधित क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ की अध्यक्षता में कपड़ा मंत्रालय में एक मिशन निदेशालय चालू किया जाएगा। मिशन निदेशालय के पास कोई स्थायी रोजगार नहीं होगा और इसके लिए किसी भवन का निर्माण भी नहीं होगा। चार साल की अवधि के बाद मिशन को समाप्‍त कर दिया जाएगा।


तकनीकी वस्त्रों की पृष्ठभूमि:



  • तकनीकी वस्त्र ऐसे कपड़ा सामग्री और उत्पाद हैं जो सौंदर्य विशेषताओं की बजाय मुख्‍य रूप से तकनीकी प्रदर्शन और कार्यात्मक गुणों के लिए निर्मित होते हैं। तकनीकी कपड़ा उत्पादों को उनके इस्‍तेमाल क्षेत्रों के आधार पर 12 विभिन्‍न श्रेणियों (एग्रोटेक, बिल्डटेक, क्लोथेक, जियोटेक, होमटेक, इंडिटेक, मोबिलटेक, मेडिक, प्रोटेक, स्पोर्ट्सटेक, ओएकोटेक, पैकटेक) में बांटा गया है।

  • 250 अरब अमरीकी डॉलर के विश्व बाजार में भारत की हिस्‍सेदारी लगभग 6 फीसदी  है। हालांकि, 4 फीसदी वैश्विक औसत वृद्धि की तुलना में भारत की वार्षिक औसत वृद्धि 12 फीसदी है।

  • उन्नत देशों में 30-70 फीसदी के मुकाबले भारत में तकनीकी वस्त्रों का पैठ स्‍तर महज 5-10 फीसदी है। मिशन का उद्देश्य देश में तकनीकी वस्‍त्र की पैठ के स्तर में सुधार करना है।


 



ईएसआईसी स्थापना दिवस के अवसर पर 24.02.2020 से 10.03.2020 तक विशेष सेवा पखवाड़ा शुरू

कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) ने 24.02.2020 को देर शाम यहां आयोजित एक समारोह में ईएसआईसी दिवस के रूप में अपना स्थापना दिवस मनाया। श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार और ईएसआईसी के अध्यक्ष ने इस अवसर पर बताया कि ईएसआईसी ने 24.02.2020 से 10.03.2020 तक विशेष सेवा पखवाड़ा शुरू किया है।


इस अवसर पर श्रम एवं रोजगार सचिव श्री हीरालाल सामरिया, रक्षा मंत्रालय में उत्पादन विभाग सचिव श्री राज कुमार, ईएसआईसी की महानिदेशक श्रीमती अनुराधा प्रसाद, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती सिबानी स्वैन, ईएसआईसी की वित्तीय आयुक्त श्रीमती संध्या शुक्ला, ईएसआईसी के सदस्य, ईएसआई के लाभार्थी और मंत्रालय एवं ईएसआईसी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।


श्री संतोष कुमार गंगवार ने घोषणा की है कि ईएसआईसी अस्पताल, बसैदरपुर, नई दिल्ली का नाम बदलकर साहिब सिंह वर्मा ईएसआईसी अस्पताल, बसैदरपुर, नई दिल्ली और ईएसआईसी आयुष अस्पताल, नरेला  का नाम बदलकर पद्म विभूषण बृहस्पति देव त्रिगुणा ईएसआईसी आयुष अस्पताल, नरेला, नई दिल्ली किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए नए अस्पतालों की स्थापना और मौजूदा अस्पतालों का अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों और सुविधाओं के साथ नवीनीकरण और आधुनिकीकरण किया गया है।


      श्री संतोष गंगवार ने ईएसआई लाभार्थियों के लिए जल्‍द ही ‘संतुष्ट’ मोबाइल ऐप लाने की भी जानकारी दी। उन्होंने ईएसआईसी के सभी कर्मचारियों से इसे सही मायने में एक सेवा प्रदाता संगठन बनाने की अपील की ताकि ईएसआई के लाभार्थियों के जीवन में गुणवत्तापूर्ण बदलाव जल्द हासिल किया जा सके। उन्‍होंने पूरे ईएसआईसी बिरादरी का अपने  बीमित व्यक्तियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्‍ध कराने और अपने कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का आह्वान किया। उन्होंने बीमित व्यक्तियों की आवश्यकताओं के प्रति पूरी तरह संवेदनशील होने की आवश्यकता पर जोर दिया।


      श्री गंगवार ने वर्ष 2019 के दौरान ईएसआई योजना के तहत बीमित व्यक्तियों और लाभार्थियों को उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करने के लिए चिकित्सा और गैर-चिकित्सा सेवा श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ ईएसआईसी/ईएसआईएस औषधालयों/अस्पतालों/चिकित्सा संस्थानों/कार्यालयों को पुरस्‍कृत किया। इसके अलावा, इस अवसर पर ईएसआई योजना के तहत दिल्ली एनसीआर के 08 बीमित व्यक्ति/लाभार्थियों को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया। उन्होंने सभी पुरस्कार विजेताओं और ईएसआई लाभार्थियों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।


      श्रम एवं रोजगार सचिव श्री हीरालाल सामरिया ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले 5 वर्षों के दौरान ईएसआईसी ने कई नई पहल शुरू की हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ईएसआई योजना के लाभ का विस्तार करने के लिए नियोक्ताओं के मासिक योगदान को 4.75% से घटाकर 3.25% और कर्मचारियों के योगदान को 1.75% से घटाकर 0.75% कर दिया गया है।



आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने राष्‍ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन के निर्माण को स्‍वीकृति दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 1480 करोड़ रुपये के कुल परिव्‍यय के साथ देश को तकनीकी टेक्‍सटाइल्‍स क्षेत्र में वैश्विक रूप से अग्रणी राष्‍ट्र के रूप में स्‍थापित करने की दृष्टि से राष्‍ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन के गठन को अपनी स्‍वीकृति दे दी है। इस मिशन की चार वर्षीय कार्यान्‍वयन अवधि वित्‍तीय वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक होगी।


तकनीकी टेक्‍सटाइल्‍स का भविष्‍य उज्‍ज्‍वल है और इन्‍हें टेक्‍सटाइल के विभिन्‍न क्षेत्रों जैसे कृषि, सड़क, रेलवे ट्रेक, खेल परिधान, स्‍वास्‍थ्‍य से बुलेट प्रूफ जैकेट, फायर प्रूफ जैकेट, ऊंचाई वाले क्षेत्रों और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के साथ-साथ अनेक अन्‍य क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है।


इस मिशन के चार घटक होंगे :-


1     घटक- I (अनुसंधाननवाचार और विकास) 1000 करोड़ रुपये के परिव्‍यय के साथ यह दोनों (i) कार्बन, फाइबर, अरामिड फाइबर, नाइलॉन फाइबर और कम्‍पोजिट में    शानदार तकनीकी उत्‍पादों के उद्देश्‍य से फाइबर स्‍तर पर मौलिक अनुसंधान और (ii)      भू-टेक्‍सटाइल, कृषि- टेक्‍सटाइल, चिकित्‍सा-टेक्‍सटाइल, मोबाइल-टेक्‍सटाइल और खेल- टेक्‍सटाइल एवं जैवनिम्‍नीकरण त‍कनीकी टेक्‍सटाइल के विकास पर आधारित    अनुसंधान अनुप्रयोग दोनों को प्रोत्‍सा‍हन देगा।


मौलिक अनुसंधान गतिविधियां सामूहिक संसाधन प्रणाली पर आधारित होगी और इन्‍हें विभिन्‍न वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान प्रयोगशाला केन्‍द्र (सीएसआईआर), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (आईआईटी) और अन्‍य प्रतिष्‍ठित वैज्ञानिक/औद्योगिक, शैक्षिक प्रयोगशालाओं में संचालित किया जाएगा। अनुप्रयोग आधारित अनुसंधान को सीएसआईआर, आईआईटी, रिसर्च डिजाइन एंड स्‍टैण्‍डर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ऑफ इंडियन रेलवे, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), नेशनल एरोनॉटिकल लेबोरेट्री (एनएएल), भारतीय सड़क अनुसंधान संस्‍थान (आईआरआरआई) और अन्‍य ऐसी प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं में कराया जाएगा।


      2     घटक-II (संवर्द्धन और विपणन विकास)  


भारतीय तकनीकी कपड़ा श्रेणी का अनुमानित आकार 16 अरब डॉलर है जो 250 अरब डॉलर के वैश्विक तकनीकी कपड़ा बाजार का लगभग 6 प्रतिशत है। भारत में तकनीकी कपड़ा की पहुंच काफी कम है जो 5 से 10 प्रतिशत के दायरे में है। जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा 30 से 70 प्रतिशत है। इस मिशन का उद्देश्‍य बाजार विकास, बाजार संवर्धन, अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी सहयोग, निवेश प्रोत्साहन और 'मेक इन इंडिया' पहल के माध्यम से सालाना 15 से 20 प्रतिशत की औसत वृद्धि के साथ घरेलू बाजार के आकार 2024 तक 40 से 50 अरब डॉलर करना है।


3     घटक- III (निर्यात संवर्धन)


इसका उद्देश्‍य तकनीकी कपड़ा के निर्यात को बढ़ाकर वर्ष 2021-22 तक 20,000 करोड़ रुपये करना है जो वर्तमान में लगभग 14,000 करोड़ रुपये है। साथ ही वर्ष 2023-24 तक प्रति वर्ष निर्यात में 10 प्रतिशत औसत वृद्धि सुनिश्चित करना है। इस श्रेणी में प्रभावी बेहतर तालमेल और संवर्द्धन गतिविधियों के लिए एक तकनीकी कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना की जाएगी।


4     घटक- IV (शिक्षा, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास)


      देश में शिक्षा, कौशल विकास और मानव संसाधन तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण और तेजी से उभरते तकनीकी कपड़ा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। यह मिशन उच्चतर इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी स्‍तर पर तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देगा और इसके अनुप्रयोग का दायरा इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कृषि, जलीय कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों तक बढ़ाएगा। कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाएगा और अत्यधिक कुशल मानव संसाधनों का पर्याप्त भंडार तैयार करेगा ताकि अपेक्षाकृत परिष्कृत तकनीकी कपड़ा विनिर्माण इकाइयों की आवश्यकता पूरी की जा सके।



  • यह मिशन रणनीतिक क्षेत्रों सहित देश के विभिन्‍न मिशनों, कार्यक्रमों आदि में तकनीकी कपड़ों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा। कृषि, जलीय कृषि, डेयरी, मुर्गीपालन आदि में तकनीकी कपड़ों का उपयोग। जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, आयुष्मान भारत से अर्थव्‍यवस्‍था में लागत, विनिर्माण और निर्यात गतिविधियों को बढ़ावा देने के अलावा, प्रति एकड़ भूमि जोतने वाले किसानों कर बेहता आय, जल एवं मृदा संरक्षण, बेहतर कृषि उत्पादकता और उच्च आय में समग्र सुधार आएगा। राजमार्ग, रेलवे और बंदरगाहों में जियो-टेक्‍सटाइल्‍स के उपयोग से बुनियादी ढांचा बेहतर होगा, रखरखाव लागत में कमी आएगी और बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों का जीवन चक्र बेहतर होगा।

  • इस मिशन के तहत स्‍टार्टअप एवं वेंचर को प्रोत्‍साहन और नवाचार एवं इनक्‍यूबेशन केंद्रों की स्‍थापना के साथ-साथ युवा इंजीनियरिंग/ प्रौद्योगिकी/ विज्ञान मानकों एवं स्नातकों के बीच नवाचार को बढ़ावा देना है। अनुसंधान आउटपुट को सरकार के एक ट्रस्‍ट में रखा जाएगा ताकि अनुसंधान नवाचार एवं विकास गतिविधियों से प्राप्‍त ज्ञान तक आसान पहुंच सुनिश्चित हो सके और उसका प्रसार हो।

  • अनुसंधान का एक उप-घटक जैव अपघटनीय तकनीकी वस्त्र सामग्री, खासकर कृषि-टेक्‍सटाइल, जियो-टेक्‍सटाइल और चिकित्सा वस्त्रों के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह चिकित्सा और स्वच्छता कचरे के सुरक्षित निपटान पर जोर देने के साथ, प्रयुक्त तकनीकी वस्त्रों के पर्यावरणीय स्थायी निपटान के लिए उपयुक्त उपकरण भी विकसित करेगा।

  •  अनुसंधान गतिविधि का एक अन्‍य उप-घटक है जिसका उद्देश्‍य तकनीकी वस्‍त्रों के लिए स्‍वदेशी मशीनरी और प्रक्रिया उपकरणों का विकास करना है ताकि ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने और कम पूंजीगत लागत के माध्यम से उद्योग को प्रतिस्पर्धात्मक बनाया जा सके।  

  •  संबंधित क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ की अध्यक्षता में कपड़ा मंत्रालय में एक मिशन निदेशालय चालू किया जाएगा। मिशन निदेशालय के पास कोई स्थायी रोजगार नहीं होगा और इसके लिए किसी भवन का निर्माण भी नहीं होगा। चार साल की अवधि के बाद मिशन को समाप्‍त कर दिया जाएगा।


तकनीकी वस्त्रों की पृष्ठभूमि:



  • तकनीकी वस्त्र ऐसे कपड़ा सामग्री और उत्पाद हैं जो सौंदर्य विशेषताओं की बजाय मुख्‍य रूप से तकनीकी प्रदर्शन और कार्यात्मक गुणों के लिए निर्मित होते हैं। तकनीकी कपड़ा उत्पादों को उनके इस्‍तेमाल क्षेत्रों के आधार पर 12 विभिन्‍न श्रेणियों (एग्रोटेक, बिल्डटेक, क्लोथेक, जियोटेक, होमटेक, इंडिटेक, मोबिलटेक, मेडिक, प्रोटेक, स्पोर्ट्सटेक, ओएकोटेक, पैकटेक) में बांटा गया है।

  • 250 अरब अमरीकी डॉलर के विश्व बाजार में भारत की हिस्‍सेदारी लगभग 6 फीसदी  है। हालांकि, 4 फीसदी वैश्विक औसत वृद्धि की तुलना में भारत की वार्षिक औसत वृद्धि 12 फीसदी है।

  • उन्नत देशों में 30-70 फीसदी के मुकाबले भारत में तकनीकी वस्त्रों का पैठ स्‍तर महज 5-10 फीसदी है। मिशन का उद्देश्य देश में तकनीकी वस्‍त्र की पैठ के स्तर में सुधार करना है।