Monday, June 1, 2020

किसानों के बच्चों की स्कूल की फीस पूरी तरह से माफ करें प्रदेश सरकार: मोहम्मद हनीफ वारसी

दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता,रामपुर- वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहम्मद हनीफ वारसी ने कहा कि मजदूर किसानों के बच्चों की स्कूल की फीस पूरी तरह से माफ करें प्रदेश सरकार प्राइवेट स्कूल मनमानी तरीके से अभिभावकों से फीस वसूल रहे हैं इन तीन चार महीनों में किसान मजदूरों ने खोया है पाया कुछ नहीं है।सी बी एस ई स्कूल संचालकों ने शिक्षा को बिजनेस का धंधा बना रखा है जो स्कूल संचालक 10 साल पहले लाखों रुपए कमाता था आज वह करोड़ों मे कमा रहा है हर साल बच्चों का कोर्स बदल देना ड्रेस व जूतों में मनमानी कहां से खरीदना यह स्कूल वाले तय करते हैं जून में पढ़ाते नहीं है फिर भी लेते हैं शिक्षा को उद्योग बना रखा है लोगों ने किसी गरीब असहाय से कोई लेना देना नहीं है गरीबों के नाम से आने वाला कोठा भी पैसे लेकर भर लेते हैं किसान मजदूरों के बच्चों की फीस चाहे कोई भी स्कूल हो सभी स्कूलों की माफ कर आए प्रदेश सरकार वारसी ने यह भी कहा कि अन्नदाता जिसे किसान कहा जाता है वह भारी कर्ज में दबकर आत्महत्या कर रहा है और उसी का बेटा जिसे लोग आजकल प्रवासी मजदूर कह रहे हैं वह सड़कों पर भूखा प्यासा मर रहा है एक देश और दुनिया को पालने का काम करता है दूसरा देश को खड़ा करने में बड़ी भूमिका निभाता है आज यह दोनों योद्धा अपने ही सरकारों से नाराज हैं क्योंकि सरकारों ने इन दोनों योद्धाओं की अनदेखी की है किसान मजदूरों को कर्जा मुक्त करें देश व सभी प्रदेशों की सरकारें अन्यथा आने वाले वक्त में यही किसान मजदूर सत्ता की सीढ़ी शैतान पकड़ कर खींच लेगा इस लोक डाउन मैं किसान मजदूरों ने बहुत कुछ नुकसान उठाया है और बहुत कुछ खोया है गन्ना और गेहूं की फसल के अलावा सभी फसलें बिन मौसम बारिश से नष्ट हो गई थी जिसमें किसानों ने फसल पालने हेतु काफी लागत लगाई थी किसान बहुत कर्ज में दब गया है किसान मजदूर बैंक का भी कर्जदार है साहूकार का भी कर्जदार है बिजली विभाग का बिल भी चल रहा है इस सब कर्जा किसान कहां से देगा छोटा किसान मजदूर के पास कमाने और खाने के रास्ते भी बंद हो गए हैं शासन प्रशासन सिर्फ और सिर्फ आंकड़ों पर काम कर रहा जमीनी स्तर पर हवा हवाई है जो देश कृषि प्रधान देश दुनिया में माना जाता हो उस देश के किसान मजदूर भूखे प्यासे कर्ज में दबकर आत्महत्या कर रहे हैं सड़कों पर मर रहे हैं यह देश की सरकारों के लिए प्रदेशों की सरकारों के लिए शर्म की बात है जो लोग यह समझ रहे हैं कि सत्ता हिंदू मुसलमानों को गाली देकर चलती रहेगी यह दिलों को तोड़कर चलती रहेगी उनकी गलतफहमी है कागज की नाव ज्यादा दिन पानी में नहीं तैरती मैं सभी किसान मजदूरों से अपील करना चाहता हूं एक मंच पर आएं और सरकारों से अपना अधिकार छीने अन्यथा यह सरकार रहे बच्चे छोटे किसान है उन्हें भी भूमिहीन कर देगी और और मजदूरों को भूखा प्यासा मरने के लिए सड़कों और खलियान में छोड़ देगी इसलिए ज्यादा भरोसे के लायक सरकारें नहीं है जागना होगा अपने अधिकारों के लिए घरों से निकलना होगा हिंदू मुसलमान के चक्कर में ना बटे किसान और मजदूर एक होकर घरों से निकले इस समय मौजूदा हाल में चीन की नियत हमारे देश के प्रति अच्छी नहीं है हम केंद्र की सरकार से अपील करना चाहते हैं कि चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए और जो हमारे देश में कई किलोमीटर आकर चीनी सेना डेरा जमाए हुए हैं चीनी सेना को खदेड़ कर अपनी जमीन को भारत की धरती मां को मुक्त कराएं केंद्र सरकार चीन के प्रति दोस्ताना रवैया ना रखें केंद्र सरकार देश का बच्चा-बच्चा किसान मजदूर सीमा की सुरक्षा के लिए देश की सरकार के साथ है इस मौके पर महबूब अली पाशा,इसरार अली,रईस अहमद,शोएब रजा,तालिब हुसैन,शकील अहमद,खुर्शीद अहमद आदि मौजूद रहे।

असफ़लता

असफल होना कोई बड़ी बात नही है,एक दिन मैंने फेसबुक पर एक खबर पढ़ी थी जिसमे सन 2007 में वो सड़क पर अकेले बैठ के गिटार बजाते थे।और जैसे ही सफल हुए एक बार में लाखों लोग उनकी प्रस्तुति पर तालियाँ बजाते हैं।ऐसे बहुत सारे उदाहरण इस जगत में हैं।अब्राहम लिंकन जो अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति थे।जो राष्ट्रपति बनने से पहले कई बार चुनाव में पराजित हुए थे तब जाकर कही उन्हें सफलता नसीब हुई। थॉमस अल्वा एडिसन जो कि बहुत ही महान वैज्ञानिक थे।उनका किसी बैठक में बहुत मजाक बनाया गया था।एक बार एक व्यक्ति ने पूछा असफलता से दुख नहीं होता उसने पूछा आपने करीब एक हजार प्रयोग किए, लेकिन आपके सारे प्रयोग असफल रहे। साथ ही, आपकी मेहनत बेकार हो गई। क्या आपको दुःख नहीं होता है?
एडिसन ने कहा मैं सोचता हूं कि मेरे एक हजार प्रयोग असफल हुए है। मेरी मेहनत बेकार नहीं गई, क्योंकि मैंने एक हजार प्रयोग करके यह पता लगाया है कि इन एक हजार तरीकों से बल्ब नहीं बनाया जा सकता। मेरा हर प्रयोग, बल्ब बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा है और मैं अपनी हर कोशिश के साथ एक कदम आगे बढ़ता हूं।और इस घटना के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने वो कारनामा कर के दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना तक नही की थी।एक हजार बार असफल होने के बाद भी उन्होंने धैर्य नही छोड़ा।इस कहानी से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।दुनिया के सबसे अमीर इंसान बनने से पहले बिल गेट्स ने हावर्ड कॉलेज में बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी थी। इसके बाद उन्होंने अपना पहला बिज़नेस शुरू किया जो बुरी तरह असफल साबित हुआ।
                        दुनिया में जीनियस के तौर पर पहचाने जाने वाले वैज्ञानिक आइंस्टीन चार साल तक बोल और सात साल की उम्र तक पढ़ नहीं पाते थे। इस कारण उनके मां-बाप और शिक्षक उन्होंने एक सुस्त और गैर-सामाजिक छात्र के तौर पर देखते थे. इसके बाद उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया और ज़्यूरिच पॉलिटेक्निक में दाखिला देने से इंकार कर दिया गया।इन सब के बावजूद वे भौतिक विज्ञान की दुनिया में सबसे बड़ा नाम साबित हुए।



नोबल पुरस्कार जीतने वाले और दो बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चुने गए विंस्टन चर्चिल की भी कहानी संघर्ष से भरी है। स्कूली शिक्षा के दौरान चर्चिल 6वीं क्लास में फेल हुए।इसके बाद प्रधानमंत्री बनने से पहले अपने हर चुनाव में वो फेल हुए लेकिन उन्होंने मेहनत करना नहीं छोड़ा।इतनी कहानियों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं, और निश्चित ही धैर्य के साथ काम लेते हुए एक दिन अवश्य सफल हो सकते हैं।


         रुपेश कुमार श्रीवास्तव "रजत"
               सलेमपुर (देवरिया)
 



गंगा 

शिव की जटा से,गंगा अवतरित हुई

धरती को शुद्ध करने,जब लायी आयी।।

सुगम सरल कल कल,गंगा की धारा।

महिमा से उत्थान है, भारतवर्ष हमारा।।

 

है  जगत  की  माता, निर्मल  है  धारा।

संसार का जीवन तो,इन्ही से उभारा।।

 

कल कल बहती पावन, शुद्ध हो तन मन।

गंगा के  जल  बिना,पूरा न होय  हवन।।

 

रोम रोम निखार दे ,पवित्र पावन गंगा।

हरितक्रांति की घूरी,ये सौभाग्य हमारा।।

 

पडे जहाँ इनके चरण, जीवन उद्धार है।

अंतकाल दो बूँद से, भवसागर पार है।।

 

                                   आशुतोष 

                                 पटना बिहार 

 

 

2 जून की रोटी





दो जून की रोटी मिल रही है हमें, 

देखो जरा हम हैं कितने किस्मत वाले । 

जाने कितने लोग भूखे हैं हमारे देश में,

जिन्हें नसीब नहीं होते निवाले ॥

 

हाथ से ठेला चलाते धूप में,गोलगप्पे,सब्जीवाला,आम वाला चिल्लाए ,

तब जाकर वह  बेचारा अपने परिवार को,

रोते-रोते आधा पेट खिलाए ।

 

सिर्फ दो जून की रोटी की खातिर बेचे,

चाट,पापड़ी, गुपचुप चने मसाले,


जाने कितने लोग भूखे हैं हमारे देश में,

जिन्हें नसीब नहीं होते निवाले ॥

 


देखो तो वो फूल बेचने वाले बच्चे, ढूंढे दृष्टि आस की,

आधा तन कपड़ा पहने जो, खेती करें कपास की ।

जूते बेचने वालों के, पैरों में ही पड़ते है छाले 


जाने कितने लोग भूखे हैं हमारे देश में,

जिन्हें नसीब नहीं होते निवाले ॥

 


जिन किसानों के कांधे पे हल है, उनके भी हैं आंसू झलके,

हलधर की हल-आशा जिनसे, वो हैं कितने हल्के ।

अन्नदाता करे फाँके चाहे, कितनी फसल उगाले,


जाने कितने लोग भूखे हैं हमारे देश में,

जिन्हें नसीब नहीं होते निवाले ॥

 


 

कितना लाचार  कर देती है ये, दो जून की रोटी ,

और इन लाचार बिचारों का वे हैं लाभ उठाते, नीयत जिनकी है खोटी ।

तन भी कर देना पड़ता तब, औरों के हवाले,


जाने कितने लोग भूखे हैं हमारे देश में,

जिन्हें नसीब नहीं होते निवाले ॥

 


कवि तो भरे पेट मे कहता है कविता, बात ये तो है कड़वी सच्ची ,

जितनी व्यथा हो कविता में ,रचना समझी जाती उतनी अच्छी ।

भूख पे कविता लिखके मैंने,लो पहन लिए मंचों पर माले,


जाने कितने लोग भूखे हैं हमारे देश में,

जिन्हें नसीब नहीं होते निवाले ॥

 


 

शुक्रगुजार हूं उस ईश्वर की,मुझे दो जून की रोटी मिलती, देखो जरा हम हैं किस्मत वाले  ।


जाने कितने लोग भूखे हैं हमारे देश में,

जिन्हें नसीब नहीं होते निवाले ॥

 


    रीमा मिश्रा"नव्या"

आसनसोल(पश्चिम बंगाल) 




 

 


 

उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ के पश्चिम विधानसभा क्षेत्र नहीं हो रहा है विकास




पुष्पेन्द्र सिंह संवाददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स लखनऊ

लखनऊ   :- उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ के पश्चिम विधानसभा क्षेत्र नहीं हो रहा है विकास लोग आज भी वहां त्राहि-त्राहि कर रहे हैं अवैध कॉलोनी कैम्पबल निषादराज मार्ग रोड पर यह एक वीआईपी कॉलोनियों में से एक मानी जाती है और यहां से महज  3 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम विधायक सुरेश श्रीवास्तव का घर है। जहां की विकास स्थिति बहुत ही खराब है।

भाजपा सरकार में तो कई योजनाएं आई और कई जगह विकास भी हुए लेकिन विकास वहां नहीं हुए जहां पर पश्चिम क्षेत्र लगता है। इस पश्चिम क्षेत्र के विधायक सुरेश श्रीवास्तव हैं । जहां की स्थिति क्या है । यह अवैध कॉलोनी है । जहां पर आप रोड की स्थिति क्या है । लोगों की आपबीती किस तरह बयां कर रही है । लोग किस तरह मजबूर है । वहां रहने पर बरसात के दिनों में लोग अपने बच्चों को कंधे पर उठाकर बस तक ले जाते हैं । जब इस कॉलोनी के लोग विधायक के निवास पहुंचे और इसकी सूचना दिया तो विधायक ने अपना पल्ला झाड़ते हुए लोगों को यह कहा कि यह अवैध कॉलोनी है । जिसके वजह से मैं यहां पर कोई काम नहीं करूंगा लोगों ने इसका प्रमाण भी दिया कि  वहाँ के कालोनीवाशी समाजसेवी नीरज गंभीर , हर्षित , राजेश , अर्पित, राजेंद्र गुप्ता  , शर्मा जी इन लोगो का कहना है । कि हम लोग हाउस टैक्स जमा करते हैं।  इसके बावजूद भी यह अवैध कैसे होगा इस पर विधायक जी ने चुप्पी साधा और अपना पल्ला झाड़ते हुए उन लोगों से मुंह मोड़ कर बात नहीं किया और नतीजा यह है कि पश्चिम क्षेत्र में नाम मात्र के लिए विकास हो रहा है जब ऐसी कालोनियों की यह स्थिति है । तो गांव में क्या हुआ है । विकास


 

 



 

बलात्कार का आरोपी अभियुक्त गिरफ्तार

दैनिक अयोध्या टाइम्स,रामपुर- अनुराग पुत्र कुन्दन निवासी ग्राम नवाबनगर थाना पटवाई रामपुर द्वारा थाना पटवाई क्षेत्र की रहने वाली एक लडकी के साथ बलात्कार किया गया था। इस संबंध में थाना पटवाई, रामपुर पर मु0अ0सं0-108/20 धारा 376 भादवि बनाम अनुराग पंजीकृत हुआ था। आज दिनांक 01-06-2020 को थाना पटवाई, रामपुर पुलिस द्वारा अभियुक्त अनुराग को गिरफ्तार कर कार्यवाही की जा रही है।

।।आज हैं निर्जला एकादशी व्रत ।।

 2 जून 2020 को ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता हैं।ऋषि वेदव्यास जी के अनुसार इस एकादशी को भीमसेन जी द्वारा किये जाने के कारण इसका नाम  भीमसेनी एकादशी भी हैं।इसे पाण्डवी एकादशी भी कहा जाता हैं। शास्त्रों में निर्जला एकादशी का बहुत महत्व बताया गया हैं। उपवास तो बिना अन्न ग्रहण के ही किया  जाता हैं, पर इस व्रत को करने वाले व्रती इस दिन अन्न के साथ-साथ जल पीने का भी त्याग कर उपवास करते हैं।इस व्रत का प्रभाव इतना हैं कि इसे करने मात्रा  से 24 एकादशियों के व्रत के समान फल मिलता है।ज्ञातव्य हो कि  प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष दोनों  में एकादशी का व्रत आता हैं।इस प्रकार प्रत्येक वर्ष में 24 एकादशी व्रत होते हैं। वही वर्ष अगर अधिकमास या मलमास से युक्त हो तो दो एकादशी अधिक अर्थात इनकी संख्या 26 होती हैं। निर्जला होने के कारण यह व्रत काफी कठिन होता हैं। एक तो ज्येष्ठ मास की तपती गर्मी होती हैं दूसरा बिना जल ग्रहण के व्रत को करना।पर ईश्वर के भक्तो के अटल इच्छाशक्ति के आगे इसका कोई प्रभाव नहीं होता।

  इस दिन नित्य कर्मो से निवृत होकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए। ध्यान रहे स्नान के जल में गंगा जल जरूर मिला लें। संकल्प करने के बाद विधि-विधान एवं श्रद्धा से श्रीहरि भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए।पूजन के बाद कथा सुनना चाहिए।कथा इस प्रकार हैं:-

बात महाभारत के समय की है। 

जब महर्षि वेदव्यास जी के पास भीमसेन जी पहुँचे।उनहोने गुरुदेव को प्रणाम किया।गुरुदेव से कुशल क्षेम होने के बाद भीम ने पूछा की हे आदरणीय मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग मेरी पूज्य माँ कुन्ती, भ्राता युधिष्ठर, अर्जुन, नकुल, सहदेव द्रौपदी सभी एकादशी का व्रत करते हैं। वे मुझे भी अन्न त्याग कर इस व्रत को करने के लिए कहते हैं।साथ ही मुझे बताते हैं।इस व्रत को न करने से हमें नरक में जाना होगा।हे महात्मन!मुझे भूखा बिल्कुल भी नहीं रहा जाता।प्रत्येक 15 दिन बाद यह एकादशी व्रत आता हैं।आप मुझे बताएं की इस हाल में मुझे क्या करना चाहिए।मुझे नरक से कैसे छुटकारा मिले?मुझे भी मेरे संबंधियों के साथ स्वर्ग कैसे प्राप्त हो?अभीष्ट फलों की प्राप्ति एवं सौभाग्य का उदय कैसे हो? हे गुरुदेव!आप मेरा मार्गदर्शन करें। भीमसेन के अनुरोध पर महर्षि वेद व्यास जी ने कहा कि हे भीम! ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी का निर्जला हैं। आप इस निर्जला एकादशी का व्रत करें।यह व्रत अकाल मृत्यु का हरण करने वाला हैं।बाकी एकादशियों का व्रत आप नहीं कर पाए तो इसके करने से सम्पूर्ण एकादशी का फल आपको प्राप्त होगा।

पूजन दान के साथ-साथ चांदी या मिट्टी का घड़ा भी दान करें।मीठे जल का प्याऊ लगवाएं।अगर आप फलाहारी हैं तो ध्रुव के प्रथम मास की तपस्या के तुल्य उसके एक-एक दिन के समान आपको फल मिलेगा।यदि आप पवन आहारी रहते है तो ध्रुव के षटवें मास की तपस्या के समान फल प्राप्त होता हैं।

नास्तिक का संग, क्रोध,आदि करना वर्जित हैं।सबको वासुदेव का रूप समझकर नमस्कार करना चाहिए।सत्य बोलना चाहिए।द्वादशी को ब्राह्मण को दक्षिणा आदि देना चाहिए।भोजन कराना चाहिए।उनकी परिक्रमा करना चाहिए।

  कथा श्रवण के पश्चात यथाशक्ति दान करना चाहिए। दान के पश्चात श्रीहरि की आरती करना चाहिए एवं क्षमा प्रार्थना करना चाहिए।पूरे दिन भगवान का स्मरण जाप करना चाहिए।

"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना चाहिए। यह मंत्र श्रीमद्भागवत पुराण का सार माना जाता हैं। इसके अलावा "ॐ विष्णवे नमः" मंत्र का भी जाप किया जा सकता हैं। इस दिन विष्णुसहस्रनाम, भगवान विष्णु का हजार नामों से अर्चन भी श्रद्धालु करते हैं। इस प्रकार ही एकादशी की रात को  भी शास्त्रों में सोना वर्जित किया गया हैं।रात्रि में जागरण करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। भजन-कीर्तन करते रात बिताकर द्वादशी तिथि को सुबह स्नान एवं श्री हरि के पूजन,दान के पश्चात पारण मुहूर्त में ही पारण करना उचित माना गया हैं।अन्यथा व्रत का फल क्षय माना जाता हैं।जो लोग बिना जल ग्रहण किये इस व्रत को कर पाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं वो फलाहार के साथ भी इस व्रत को करते हैं एवं पूजन करते हैं। जो व्रत कर ही न पाए वो  चावल एवं जौ से बने भोज्य पदार्थों का त्याग करें। साथ ही लहसुन,प्याज आदि तामसी भोजन का त्यागकर सच्चे मन से भगवान का पूजन करें।

बताया गया हैं इस व्रत महात्म्य को सुनने मात्र से दिव्य चक्षु खुल जाते हैं।इसलिए इस दिन कथा एवं माहत्म्य सुनना एवं सुनाना दोनों पुण्यप्रद हैं।

 

"अगर सिर्फ रोजी -रोटी के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़े तो यह चिंता का विषय है 

अगर किसी को रोजी -रोटी के लिए अपना घर ,राज्य और देश छोड़ना पड़े तो यह चिंता का विषय है l दोस्तों कोरोना वायरस से उपजी वैश्विक महामारी कोविड -19 के चलते लॉकडाउन की घोषणा 24 मार्च को हुई थी l तब देश में 600 के करीब करोना संक्रमित मरीज थे ,और 11 लोगों की मौत हुई थी l जैसे ही दोस्त लॉकडाउन घोषित हुआ पूरे देश में सन्नाटा छा गया इस महामारी के खौफ के चलते l अमीर हो या गरीब सबको  आशा थी कि स्थिति जल्द ठीक हो जाएगी , इस खौफ के बावजूद भी और सभी को आशा थी ,कि सरकार लोगों का और लोग एक- दूसरे का ख्याल रखेंगे, लेकिन दोस्तों जब लॉकडाउन की अवधि बढ़ती गई, तब देश के गरीब तबका विचलित हो उठा l दोस्तों यह तबका शहरों में रहने वाला दिहाड़ी मजदूर या किसी कारखाने का कामगार अथवा रेहड़ी लगाने वाला और ऑटो रिक्शा चालक और अन्य रोज कमाने खाने वाले थे l सरकार ने अगर वंचित तबकों को जहां रह रहे थे ,वही रोक कर उनको रहने -खाने और अन्य मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था किया होता तो शायद यह भायावह स्थिति सामने नहीं होती l आज हमारा ग्रामीण क्षेत्र भी  कोरोना का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है ,जोकि पहले यह वायरस शहरों में ही अधिकतर था l एक बात और जो पिछले दिनों सरकार ने किसानों ,बुजुर्गों ,दिव्यांगों ,जनधन खाता धारको महिलाओं के कल्याण के लिए जो अनेक घोषणाएं की उनसे इस तबके को कोई राहत नहीं मिली और यह तबका अपने गांव घर जाने के लिए बेचैन हो उठा हजारों किलोमीटर पैदल चलते -चलते मंजिल से पहले ही कोई सड़क हादसों में कोई भूखे -प्यासे दम तोड़ दिया  l दोस्तों इनके मौत का नैतिक जिम्मेदार कौन है? दोस्तों यह तबका शहरों की झुग्गी बस्तियों या शहरी सीमा के गांव में किराए पर रहता था l जब इनकी कमाई बंद हो गई जिससे इनका भविष्य अनिश्चित दिखने लगा इसलिए साधन नहीं मिलने के बावजूद पैदल साइकिल या फिर ट्रकों के जरिए असुरक्षित तरीके से गांव लौटने लगे l दोस्तों संविधान का अनुच्छेद 14 सभी की बराबरी की बात करता है l लेकिन हमारे देश में 90% संपत्ति पर 10% लोगों का कब्जा है ,वही 10% संपत्ति पर 90% किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं l आखिर इतना भेदभाव क्यों? आज आजादी के इतने वर्षों के  बाद भी देश का समावेशी रूप से विकास नहीं होने का मुझे नतीजा लगता है यह पलायन और गंदी राजनीति भाई -भतीजावाद धनबल बाहुबल का ही नतीजा है l दोस्तों सबसे अधिक बिहार उत्तर प्रदेश झारखंड मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से पलायन करते हैं ,लोग अगर यहां  निवेश होता खासकर कृषि पर आधारित उद्योग लगते तो किसानों की क्रय शक्ति बढ़ती और यहां के मजदूर भी पलायन नहीं करते और साथ ही कृषि पर आधारित उद्योग का जाल बिछाया गया होता तो आम किसानों की क्रय शक्ति बढ़ती और इससे उद्योग का भी विकास होता l साथ ही मजदूरों को अपने घर में ही काम मिल जाता l लेकिन घटिया राजनीति के कारण यह दिन हमें आज देखना पड़ रहा है l दोस्तों अगर कोई व्यक्ति बेहतर भविष्य और अच्छी आय के लिए किसी अन्य राज्य मे जाए तो बात समझ में आती है , लेकिन सिर्फ रोजी -रोटी के लिए अपना राज्य  छोड़कर कहीं और जाए तो यह चिंताजनक तो है ही, असमान विकास का सूचक भी है l साथ ही लोक कल्याणकारी राज्य पर प्रश्न चिन्ह है l जो भी हो देश कामगारों के महत्व को अब समझ रहा है, लेकिन बेहतर रहेगा कि सरकार ऐसे ठोस उपाय बनाएं जिससे फिर कभी इनकी उपेक्षा - अनदेखी ना हो और दोस्तों कामगारों के हित में बनने वाले नियम -कानून असरकारी तभी सिद्ध होंगे जब राज्य सरकारें उनके अमल को लेकर तत्परता दिखाएगी l दोस्तों इन कामगारों के मामलों में केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी जरूरी सबक सीखने की जरूरत है l अब देर करने की जरूरत नहीं है पहले ही देर हो चुकी है और उसका परिणाम भी सामने दिख रहा है बदहाली के रूप में इन प्रवासी मजदूरों का आज l  दोस्तों कामगारों की बदहाली राष्ट्रीय शर्म का विषय बन गया है l शर्मिंदगी इस भाव का परिचय देने के साथ यह भी महसूस किया जाना चाहिए कि उनके बगैर देश का काम चलने वाला नहीं है l इसलिए दोस्तों राज्य और केंद्र सरकार को एक साथ मिलकर इन कामगारों के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है जिससे फिर कभी इनकी उपेक्षा -अनदेखी ना हो क्योंकि हमारे देश का रीढ़ की हड्डी यही किसान , गरीब , प्रवासी मजदूर हैं आज भी दोस्तों किसान खेतों में लगा हुआ है देखना आप यही अन्नदाता गिरती हुई अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाएगा l लेकिन दुख की बात है कि सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है l मेरे दोस्त आपसे मेरा अनुरोध है कि जो भी वंचित तबका आपके आंखों के सामने दिखे आपको देखकर लगे कि इसको आपकी मदद की जरूरत है और आप भी सामर्थ्य हैं तो जरूर प्रयास करें इनकी मदद के लिए क्योंकि हम सब एक दिन इसी मिट्टी में मिल जाएंगे सब मिट्टी- मिट्टी हो जाएगा यहां से कोई बचके नहीं जा पाएगा आगे या पीछे l

पानी की टंकी की क्षमता ना बढ़ाए जाने पर लोग परेशान




*ब्यूरो विनय सिंह बाराबंकी*

सिद्धौर बाराबंकी।नगर पंचायत सिद्धौर में लगभग 20 वर्ष पूर्व पानी की टंकी का निर्माण प्रशासन द्वारा नगर पंचायत वासियों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य कराया गया था। लेकिन प्रशासन द्वारा पानी की टंकी की छमता नहीं बढ़ाई गई है। जिससे नगर पंचायत वासियों के सामने पेयजल की समस्या उत्पन्न हो रही है। सुबह को 2 घंटे और शाम को 2 घंटे पानी की आपूर्ति की जाती है। बाकी पूरा दिन हैंडपंप के भरोसे रहना पड़ता है। स्थानीय लोगों द्वारा इसकी शिकायत कई बार उच्च अधिकारियों से की गई लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई।

    नगर पंचायत सिद्धौर में जल निगम द्वारा लगभग 20 वर्ष पूर्व पानी की टंकी का निर्माण नगर पंचायत में निवास करने वाले लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कराया गया था।जिस समय पानी की टंकी का निर्माण कराया गया था। उस समय नगर पंचायत में लगभग 12 हजार की जनसंख्या निवास करती थी। लेकिन आज 20 हजार से अधिक जनसंख्या नगर पंचायत में निवास कर रही है। फिर भी स्वच्छ पेयजल के लिए मात्र एक पानी की टंकी  नगर में है।आज तक इसकी क्षमता तक नहीं बढ़ाई जा सकी है। इसके अलावा सांसद विधायक निधि और जल निगम द्वारा लगभग 50 इंडिया टू मार्का हैंडपंप लगाए गए हैं। जिसमें लगभग 18 हैंडपंप मरम्मत योग्य हैं। नगर पंचायत प्रशासन द्वारा पानी की आपूर्ति सुबह 6 बजे से 8  बजे तक और शाम 5  बजे से 7 बजे तक की जाती है। बाकी पूरा दिन पानी की आपूर्ति बंद रहती है। जिसके चलते लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। नगर पंचायत में सिद्धेश्वर वार्ड, मालवीय नगर, हटिया, उत्तरी अंसारी, दक्षिणी अंसारी, पूरे मक्का, नया पुरवा, अमहट, पूरे लंबौआ सहित कुल 11 वार्ड है। अधिशासी अधिकारी सिद्धौर पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि नगर पंचायत के सभी वार्डों में पेयजल की  समस्या नहीं है। सुबह-शाम रोस्टर के हिसाब से पानी की आपूर्ति की जाती है। इसके अलावा लगभग 50 इंडिया टू मार्का  हैंडपंप लगे हैं। यदि कोई हैंडपंप खराब होने की सूचना मिलती है तो उसे तत्काल सही कराया जाता है।


 

 




साकेत ग्रामद्योग प्रशिक्षण संस्थान द्वारा पत्रकारों और समाजसेवियो को किया गया सम्मानित




मसकनवा:- साकेत ग्रामोद्योग प्रशिक्षण संस्थान मसकनवा गोंडा द्वारा पत्रकारों और समाजसेवियों को प्रशस्ति पत्र,अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया साकेत ग्रामो उद्योग के प्रबंधक शेर बहादुर त्रिपाठी और प्रबंधक निदेशक अभिषेक त्रिपाठी व मुख्य अतिथि पूर्व ब्लाक प्रमुख बाबूराम यादव के द्वारा सम्मान पत्र दिला कर पत्रकारों को और समाजसेवियों को इस कोरोना जैसी महामारी मैं जिस तरह पत्रकार और समाजसेवी अपना जान जोखिम में डालकर खबर और लोगों की मदद कर रहे हैं वह अत्यंत सराहनीय है।

पूर्व प्रमुख बाबूराम यादव व संस्था के प्रबंधक शेर बहादुर तिवारी ने कहा कि पत्रकारों की वजह से भ्रष्टाचार खत्म हो रहा है। हमारी अपेक्षा है कि हमारे पत्रकार बंधु निष्पक्षता के साथ कार्य करते रहेंगे।

इस मौके पर पत्रकार साथी पूरम गुप्ता, सुधांशु गुप्ता, श्याम बाबू कमल, शैलेंद्र पांडे राष्ट्रीय सहारा, खगेंद्र पांडे ,सुनील कुमार गौड़, युपी फाइट टाइम्स से अरुण त्रिपाठी, राम सुभावन, पत्रकार संजय यादव, महबूब हसन, सतीश वर्मा, अनिल पांडे तमाम पत्रकार साथी उपस्थित रहें। सभी ने अपना अमूल्य समय देने के लिए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बाबूराम यादव जी का धन्यवाद अर्पण किया।


 

 



 

प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने में जुटे हाफिज मलिक




मसकनवा गोंडा:कोरोना वायरस का कहर देश में बढ़ता जा रहा है। इस बीच मजदूर बिना काम के बहुत लाचार हैं। ऐसे में गौरा विधानसभा से नेता अब्दुल कलाम के छोटे भाई हफिज मलिक लगातार जरूरतमंद  लोगों की मदद कर रहे है।लॉकडाउन में मुंबई फंसे 1800 से भी अधिक प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेज चुके हैं ।इन मजदूरों की यात्रा और उस दौरान खाने-पीने का खर्च भी हाफिज मलिक ही उठा रहे हैं.। हाफिज मलिक ने बताया की हमारी टीम के लगातार तीन-चार  दिन के अथक मेहनत के बाद दो ट्रेन मुंबई से लगभग 4000 प्रवासी लेकर भेजी गई। जिसमें गोंडा, बलरामपुर, खलीलाबाद, बहराइच, लखनऊ, सिद्धार्थ नगर आदि जगह से प्रवासी मजदूर थे। हाफिज मलिक ने कहा मैं शुक्रिया हूं अदा करता हूं इकबाल मलिक, नवाब मलिक, बड़े भाई कलाम मलिक, लतीफ मलिक, तथा महाराष्ट्र सरकार, ACP रविंद्र पायलट, रेलवे पुलिस और अपनी टीम की जिनकी बदौलत यह मुमकिन काम हुआ।


 

 



 

तम्बाकू कानून का निर्माण भारत में कहाँ तक सार्थक 

400 साल पहले मुगल काल के दौरान पुर्तगालियों द्वारा भारत में तम्बाकू को लाया गया था। भारत में  विभिन्न संस्कृतियों के कारण, तम्बाकू तेजी से विभिन्न समुदायों, विशेष रूप से देश के पूर्वी, उत्तरपूर्वी और दक्षिणी भागों में सामाजिक-सांस्कृतिक का हिस्सा बन गया। चीन के बाद भारत दुनिया में तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश माना जाता है| तम्बाकू का उपयोग आज दुनिया में मृत्यु का प्रमुख कारण है। प्रति वर्ष 4.9 मिलियन तम्बाकू से संबंधित मौतों के साथ, कोई भी अन्य उपभोक्ता उत्पाद उतना खतरनाक नहीं है, जितना की यह तंबाकू। तंबाकू और धूम्रपान के दुष्परिणामों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों ने इसके लिए एक प्रस्ताव रखा जिसके बाद हर साल 31 मई को तंबाकू निषेध दिवस मनाने का निर्णय लिया गया।तभी से 31 मई को प्रतिवर्ष विश्व धूम्रपान निषेध दिवस के रूप में इसे मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रयास 

21 मई 2003 वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक ऐतिहासिक दिन था जब 56 वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में, डब्ल्यूएचओ के 192 सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से विश्व की पहली सार्वजनिक स्वास्थ्य संधि, डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल को अपनाया।

 विश्व की पहली सार्वजनिक स्वास्थ्य संधि,  ‘the Framework Convention on Tobacco Control  (FCTC)’  "विश्वव्यापी स्वास्थ्य, सामाजिक, आर्थिक, और तंबाकू सेवन के पर्यावरणीय परिणामों और तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने पर उसके विनाशकारी परिणाम के बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंता" को व्यक्त करता है। हालांकि, इस संधि में किसी भी सक्षम प्रवर्तन तंत्र का अभाव है और इसकी संरचना राज्य के व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करती है, जो कि तंबाकू उद्योग पर बहु-राष्ट्रीय निगमों के प्रभाव से प्रभावित है। यह संधि अपने 10 वें वर्ष तक पहुंच गई है, वैश्विक स्वास्थ्य और अंतर्राष्ट्रीय कानून विशेषज्ञों की बढ़ती संख्या संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रणाली को लागू करने के लिए एक तंत्र के रूप में उपयोग करने की वकालत कर रही है। लेकिन गंभीर प्रश्न यह है की क्या यह प्रणाली संधि के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छे मॉडल का प्रतिनिधित्व करती है? इसमें कौन से अधिकार निहित होंगे? किसी विशेष मामले के लिए कौन से विशिष्ट मानवाधिकार प्रवर्तन प्रणालियाँ सबसे उपयुक्त होंगी? 

इन नशीली वस्तुओ के प्रयोग से होने वाली हानियों से अपने नागरिको को बचाने और स्वस्थ समाज की परिकल्पना को साकार करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सदस्य देशों के साथ की गयी अर्न्तराष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण संधि के तहत भारत सरकार ने तम्बाकू का प्रयोग रोकने के लिए 18 मई 2003 को विस्तृत तम्बाकू नियंत्रण कानून पारित किया जिसे ’’सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिशेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनिमय) अधिनियम 2003 नाम दिया गया है। जो सम्पूर्ण भारत में प्रवृत्त है। जिसमें 2 अक्टूवर 2008 को संशोधन भी किया गया है।

रोकने को ये हैं नियम

तम्बाकू उत्पाद के कुप्रभाव को रोकने के लिए उक्त संशोधित और प्रभावी अधिनियम की धारा 4 में सार्वजनिक स्थानों  पर धूम्रपान को अपराध घोषित किया गया है। इसके तहत ऐसे सभी स्थानों पर हानियों को प्रदर्शित करने वाला बोर्ड़ लगाने का निर्देश है। जिसके उलंघन पर 200 रूपये के जुर्माने का प्राविधान है। लेकिन तीस कमरों से ज्यादा वाले होटल, तीस से अधिक व्यक्तियों के बैठने को क्षमता वाले भोजनालयों के साथ थोड़ी नरमी दिखायी गयी है। कानूनी प्रविधानो के तहत एयरपोर्ट में अलग से स्मोंकिंग जोन बनाया जा सकता है।

इस अधिनियम की धारा 5 में तम्बाकू उत्पादों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापनों  को प्रतिबन्धित किया गया है। लेकिन दुकानों पर निर्धारित आकार में हानियों को प्रदर्शित करने वाला बोर्ड़ भी लगा होना चाहिए। फिल्मों में तम्बाकू दृष्य भी अपराध के दायरे में रखे गये हैं। इसके उलंघन पर 1 से पांच साल की कैद व 1 हजार से पांच हजार तक के जुर्माने का प्रविधान है। जबकि धारा 6 में 18 वर्ष से कम आयु वर्ग को अथवा उसके द्वारा तम्बाकू उत्पाद बेचने को अपराध घोषित किया गया है। नियम तो यहां तक है कि तम्बाकू उत्पाद बिक्री स्थान पर नाबालिग दिखाई भी न पडे़। और शिक्षण संस्थानो के 100 गज के दायरे में ऐसे उत्पादो की बिक्री अपराध है। पर क्या इसका पालन हो रहा है। जबकि इसके उलघंन पर 200 रूपये के जुर्माने का प्राविधान है। धारा 7 में चित्रित वैधानिक चेतावनी के बिना तम्बाकू उत्पाद के पैकेट बेचना अपराध घोषित किया गया है। जिसके उलंघन पर 2 से 5 साल की कैद व 1 हजार से 10 हजार के जुर्माने का प्राविधान है।

1997 और 2001 के बीच, उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न वादों जैसे कि रामकृष्णन बनाम केरल राज्य (AIR 1999 Ker 385) और मुरली देवड़ा बनाम भारत संघ (2001 8 SCC 765) में  धूम्रपान-मुक्त हवा व्यक्ति मूल अधिकार माना गया और पांच राज्यों ने धुआं-रहित और तंबाकू नियंत्रण कानून के साथ इस प्रयास को आगे बढाया| 

क्या होता है इसका पालन

इसे विडम्बना ही कहा जायेगा कि तम्बाकू उत्पादों के प्रयोग को रोकने के लिए जो नियम कानून बनाये गये हैं उनका वास्तव में पालन नही हो पा रहा है। जिसका परिणाम विकृति के रूप सामने आ रहा है। नतीजा ये है कि सार्वजनिक व प्रतिबन्धित स्थानो पर भी खुलेआम धूम्रपान जारी है। दुकानों पर तो निर्धारित सूचनात्मक बोर्ड भी नहीं लगे है। नाबालिक तम्बाकू उत्पादों की दुकान खोल बैठे है और तमाम नाबालिक इसकी खरीद्दारी भी कर रहे है। यहीं नहीं तमाम स्कूलों के गेट के निकट तम्बाकू उत्पादकों की दुकाने सजी है और तमाम स्कूलों के शिक्षक अपनी छात्रों से तम्बाकू उत्पाद मगवाते है। क्या यहां नियमों और कानूनों का उल्लघन नहीं होता। यदि होता है तो क्या प्राविधान के अनुसार कार्यवाही की जाती है। और यदि नहीं तो इसका जिम्मेदार कौन है।

ऐसा क्यों नहीं करते

तम्बाकू उत्पादों के प्रयोग से होने वाली हानियों से बचाने के लिए नियम कानून पालन के साथ साथ प्रत्येक नागरिक को जागरूक होना पडेगा और शासन को भी गंभीर अख्तियार करने होगें। इसके पीछे होने वाले राजस्व लाभ की चिन्ता छोड कर राष्ट्र लाभ के प्रति कठोर होना होगा तभी इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। आम नागरिकों को आवश्यक है कि वे यदि इस तरह की लत के शिकार हैं तो भी उन्हें इसका प्रयोग अपने बच्चों से छिप कर करना चाहिए। ताकि वे इससे परचित ही न हो सके। दूसरी बात यह कि जब इससे इतनी बडी हानि है तो फिर सरकार इसके उत्पादन पर ही क्यों नहीं रोक लगा देती। हरियाण और गुजरात सहित देश के कई प्रांतों में जब नशे पर प्रतिबंध लगाया गया तो क्या वहां की व्यवस्था संचालित नहीं हो रही है। हां दीर्घगामी परिणाम के लिए कुछ तो कुर्वानिया देनी ही होगी।

तुम तो निकले नेताजी




तुम तो निकले वोट बैंक के नेताजी, 

महामारी के समय जनता को क्या बचाओगे। 

 

तुम खुद ही आकर देखो, 

मजदूर किस तरह सड़कों पर चल रहे हैं। 

 

मजदूरों के पैरों में किस तरह छाल पड़ गए हैं, 

अरे चल चलकर मेरे देश के मजदूर जान को लुटा रहे हैं। 

 

मजदूरों की मेहनत से तुम्हारी इमारत खड़ी है, 

मजदूरों की मेहनत से ही अर्थव्यवस्था चलती है। 

 

तुम बोलोगे कैसे मजदूरों की बदौलत देश चलती है, 

सुन लो मेरी इबारत से, 

सांसद भवन मजदूर ही बनाए हैं। 

 

तुम जिस सड़कों पर चलकर, 

वोट मांगते सभी के द्वार जाते हो, 

मजदूर ही वह सड़क बनाएं हैं। 

 

जब आई मुसीबत मजदूरों पर, 

तू घर में बैठकर टीवी टेलीविजन देखते हो। 

 

मुसीबत तो किसी ना किसी तरह चल ही जाएगी, 

जब महामारी जाएगी चुनाव आएगा तो हम भी, 

तुमको बताएंगे जब मेरी दहलीज पर वोट मांगने आओगे। 

 

तब हम भी खुलकर बोलेंगे बता क्यों आए हो, 

मेरी दहलीज पर उस टाइम कुछ नहीं सुनूँगा। 

 

अब नहीं पहनाऊंगा फूलों की माला तुमको

नहीं लूंगा रिश्वत नहीं दूंगा वोट तुमको। 

 

जो जनता की सुनेगी उसी को दूंगा वोट, 

तब तो तेरा क्या होगा तुम ही सोचना, 

मेरा भी अधिकार मैं खुद ही चुनूंगा अपनी सरकार को। 

मो. जमील

अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार)