Friday, June 26, 2020

रेस्टोरेंट कम्युनिटी के सहयोग के लिए पेप्सी ने मिलाया हाथ

हर आॅर्डर से हुई आय का हिस्सा प्रभावित कर्मचारियों को भोजन उपलब्ध कराने में केाविड-19 राहत कोष में दिया जायेगा।।
कनपुर नगर, रेस्टोरेंट कम्युनिटी का सहयोग करने के लिए अब पेप्सी ने उसके साथ हाथ मिला लिया है तथा पेप्सी सेव अवर रेस्टोरेंट की शुरूआत की है। यह पैसा जुटाने की पहल है जिसे एनआईएआई और आॅनलाइन फूड डिलीवरी एग्रीगेटर स्विगी के सहयोग से चलया जायेगा।
            इसके अतंर्गत कोई भी उपभोक्ता 19 जुलाई तक स्विगी पर अपने खाने का आॅर्डर में कोई भी साॅफ्ट डिंªक जोडेगा तो पेप्सी हर साॅफ्ट डिंªक से हुई आमदनी का एक हिस्सा एनआरएआई कोविड- 19 रिलीफ काॅपर्स को देगा। इस फंड का उपयोग उन रेस्टोरेंट कर्मचारियेां को सूखा राशन देने के लिए किया जायेगा जो हमारी सेवा कर चुके है और इस चुनौतीपूणर्् समय का सामना कर रहे है। एनआरएआई के अनुराग कटियार ने कहा वर्तमान महमारी ने हर क्षेत्र को प्रभावित किया है लेकिन अपनी बडी संख्या के कारण संभवतः रेस्टोरेंट कर्मचारियों पर इसका बहुत व्यापक असर दिखाई दिया है और इस क्षेत्र के कर्मचारियों की मदद करने के लिए पेप्सी इंडिया की पहल बेहद सराहनीय है। पेप्सिको इंडिया प्रवक्ता ने कहा हम जिस वातावरण में काम करते है वह हमारे लिये मायने रखता है। रेस्टोरेंट उधोग हमारा अभिन्न अंग है जो वर्तमान में स्वास्थ्य चुनौती के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है और इसके कर्मचारी संघर्ष कर रहे है यह कदम उनके परिवारो को खाध सुरक्षा सहायता प्रदान करेगा और हम इस पहल में सहयोग के लिए स्विगी तथा एनआरएआई के बहुत आभारी है।





HARI OM GUPTA




कानपुर सवासिनी मामले में महिला आयोग द्वारा डीएम को नोटिस जारी

कानपुर नगर, राष्ट्रीय महिला आयोजन ने एक्टिविस्ट उा0 नूतन ठाकुर द्वारा कानपुर संवासिनी केस में की गयी शिकायत को संज्ञान में लेते हुए डीएम कानपुर डा0 ब्रम्हदेव राम तिवारी को नोटिस जारी किया। आयोग की सदस्या कमलेश गौतम द्वारा कहा गया कि शिकायत में महिलाओं के अधिकार व गरिमामय जीवन के अधिकार के हनन की शिकायत है। आयोग ने 30 दिन में की जाने वाली कार्यवाई से अवगत कराने के निर्देश दिया।  नूतन द्वारा शिकायत में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान रिट याचिका अपने सत्यंत विस्तृत आदेश में कोविड काल में बाल सुरक्षा गृहो हेतु कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए थे, वही संवासिनी गृह में 171 बच्चियां तथा 26 स्टाफ रखे गए थे जो निर्धारित संख्या से बहुत अधिक थे। इसी प्रकार 7 बच्चियां गर्भवती थी और लगभग 6 माह से वहां रह रहीं थी, इसके बाद भी उनके स्वास्थ्य के प्रति कोई भी अपेक्षित ध्यान नही दिया गया। उन्होने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशो की खुली अवहेलना किये जाने के सम्बनध में अविलंब क्षतिपूर्ति एवं जांच कराते हुए कार्यवाई की मांग की है।


सावन मे नही निकाली जाऐगी कावड यात्रा, शासन का निर्देश - स्वाति शुक्ला




उपजिलाधिकारी और पुलिस उपाधीक्षक ने की प्रेस वार्ता

लखीमपुर/मोहम्मदी खीरी - जुलाई के पहले सप्ताह से शुरू हो रहे सावन माह मे कावड यात्रा को लेकर तहसील सभागार मे उपजिलाधिकारी स्वाति शुक्ला ने एक प्रेस वार्ता करके बताया कि जुलाई से शुरु हो रहे सावन माह में इस बार कोरोना बायरस को लेकर सरकार बेहद संवेदनशील है । इसी उद्देश्य के तहत इस बार कावड़ यात्रा नहीं निकालने का निर्णय लिया गया है । तथा जो श्रद्धालु मोहम्मदी से होते हुए शिव की नगरी गोला गोकर्णनाथ या बाबा टेडेनाथ , अमीर नगर जाते हैं वह अपने गांव या मोहल्ले में ही गंगाजल और बेलपत्र सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही चढ़ाएं और पूजा अर्चना करे । सामूहिक रूप से ट्रैक्टर ट्राली या अन्य वाहनो से जाने की अनुमति नही होगी । सरकार और शासन से मिले निर्देशो का आप सभी पालन जरूर करे , उन्होंने कहा कोरोना बायरस जैसी महामारी से पूरा देश परेशान है , जिसमे जनपद लखीमपुर भी अछूता नही है , सावन माह मे लाखो श्रद्धालु अनेकों जनपदों से शिव की नगरी गोला गोकरण नाथ आते थे परंतु कोरोना वायरस को लेकर इस बार यह कावड़ यात्रा स्थगित की गई है । वही भूतनाथ का लगने वाला मेला भी इस बार नहीं लगेगा तथा सावन के प्रत्येक सोमवार को गोला के शिव मंदिर के कपाट भी बंद रहेंगे । जिसमें सभी श्रद्धालुओं अनुयायियों का विशेष सहयोग इस महामारी से बचने के लिए चाहिए होगा । प्रेस वार्ता के माध्यम से उपजिलाधिकारी स्वाति शुक्ला ने मोहम्मदी तहसील के सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि इस बार सामूहिक रूप से कावड यात्रा न निकाले । वही पुलिस उपाधीक्षक प्रदीप कुमार यादव ने कहा कि यह समय बेहदसंबेदन शील है । अगर हजारो की संख्या मे श्रद्धालु कावड़ यात्रा लेकर जाते हैं तो निश्चित तौर पर यह बीमारी विकराल रूप धारण कर सकती है । मोहम्मदी कोतवाली प्रभारी ने बताया कोरोना को ध्यान में रखते हुए शासन और प्रशासन ने इस बार कावड़ यात्रा न निकालने का निर्णय लिया गया है । मदिर के समीप कोई मेला नही लगेगा । सर्किल में पालनहार बाबा श्री जंगली नाथ मंदिर और बाबा श्री टेढ़े नाथ मंदिर व बाबा श्री पालन नाथ मंदिर सोमवार के कपाट बद रहेगे । साथ ही सयुंक्त रूप से बताया आप सभी मीडिया बंधुओ के माध्यम से अनुरोध है कि शासन और प्रशासन के निर्णय को मानते हुए इस बार कावड़ यात्रा सामूहिक रूप से न  निकाले ।


 

 



 

बेटी

ले जन्म अगर बेटी घर में

समझो वरदान मिला तुमको

लक्ष्मी खुद घर में आई है

ईश्वर ने धन्य किया तुमको

जिस घर में नहीं कोई बेटी

वह घर सूना सा लगता है

खनखन करती सी मधुर हंसी

सुनने को हृदय तरसता है

बेटी भी अपनी होती है

क्या हुआ अगर ससुराल गई

जिस घर में भी वो जाती है

देती है सबको खुशी नई

ना भेद करो उनमें कुछ भी

संतान जो तुमने पाई है

बेटा क्यों लगता है अपना

बेटी क्यों लगे पराई है

 

रंजना मिश्रा ©️

मिल्कीपुर के लेखपालों ने शोक सभा कर सड़क हादसे में मारे गए साथी को अर्पित की श्रद्धांजलि






मिल्कीपुर।  जिले के सदर तहसील में तैनात रहे लेखपाल राजेश सिंह की सड़क हादसे में हुई असामयिक मौत के बाद राजस्व महकमे में शोक की लहर दौड़ गई है। मिल्कीपुर के लेखपालों ने शुक्रवार को तहसील सभागार में शोकसभा आयोजित कर दिवंगत साथी लेखपाल को श्रद्धांजलि अर्पित की। तहसील सभागार में उपजिलाधिकारी अशोक कुमार शर्मा की अध्यक्षता मेे लेखपालों ने दिवंगत लेखपाल राजेश कुमार सिंह की आत्मा की शांति हेतु 2 मिनट का मौन रखा और घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। शोक सभा में प्रमुख रूप से मिल्कीपुर के नायब तहसीलदार हृदय राम तिवारी अध्यक्ष उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ तहसील शाखा मिल्कीपुर महेंद्रर तिवारी मंत्री अजय तिवारी सहित अन्य समस्त लेखपाल एवं राजस्व कर्मी मौजूद रहे।


 

 



 



अनियंत्रित पिकअप की टक्कर से 3 वर्षीय मासूम बेटी प्रियांशी की दर्दनाक मौत






मिल्कीपुर। इनायत नगर थाना क्षेत्र के ढेमा वैश्य मोड़ के पास अनियंत्रित पिकअप की टक्कर से 3 वर्षीय मासूम बेटी प्रियांशी की दर्दनाक मौत हो गई है घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंचे इनायत नगर थाने के एसएसआई उपेंद्र प्रताप सिंह ने बालिका का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस ने बालिका के पिता की तहरीर पर पिकअप एवं चालक अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा कायम कर लिया है।

        प्राप्त जानकारी के अनुसार शुक्रवार को दोपहर करीब 12 बजे वैश्य मोड़ के पास जाखा गांव निवासी संजय की 3 वर्षीय बेटी प्रियांशी खेल रही थी इसी बीच हैरिंग्टनगंज शाहगंज रोड पर तेज रफ्तार से लापरवाही पूर्वक चलाते हुए जा रहे पिकप संख्या यूपी 42 एटी 5305 का ड्राइवर अनियंत्रित हो गया और पिक अप सड़क के किनारे खेल रही मासूम को रौंद दिया। हादसे के बाद पिकअप चालक  सड़क के किनारे पिकअप खड़ा कर मौके से भाग निकला। आस-पास मौजूद ग्रामीणों घटना के बाद मौके पर पहुंचे और विरोध जताने लगे ग्रामीणों ने इसकी जानकारी इनायत नगर पुलिस को दी आक्रोशित ग्रामीणों का तेवर भाप मौके पर पहुंचे।

       जिला पंचायत सदस्य विनय कुमार सिंह ने लोगों को समझा-बुझाकर शांत कराया। सूचना मिलते ही इनायत नगर थाने के वरिष्ठ उपनिरीक्षक उपेंद्र प्रताप सिंह पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए और उन्होंने नाराज तथा उग्र लोगों को समझा-बुझाकर बालिका का शव कब्जे में लेकर पंचायत नामा कराने के उपरांत पोस्टमार्टम को भेजा। पुलिस ने बालिका को टक्कर मारने वाली पिक अप को थाने ले गई है। मामले में पिकअप एवं चालक अज्ञाात के विरुद्ध मुकदमा कायम किए जाने हेतु बालिका के पिता संजय कुमार ने तहरीर दी है।


 

 



 



दुर्वासा ऋषि का क्रोध बना था समुद्र मंथन का कारण

अभी पृथ्वी का विकास और निर्माण पूरा नहीं हुआ था। उसको रहने लायक और मानव योग्य बनाने का उपक्रम चल रहा था। इसलिए अभी देवता, अपने दायाद बंधु, असुरों के साथ ही धरती पर रहते थे। परन्तु यह काम उनके अकेले के वश का नहीं था। इस विशाल, महान, श्रमसाध्य कार्य के लिए कई दैवीय शक्तियों और उपकरणों की आवश्यकता थी। दैवीय उपकरण सागर मंथन से ही उपलब्ध हो सकते थे और इसके लिए यह जरुरी था कि दैत्य-दानव जैसी आसुरी शक्तियों का भी सहयोग लिया जाए। इस समस्या को सुलझाने के लिए त्रिदेवों ने एक योजना बनाई और असुरों को साथ लाने का कारण गढ़ा गया .......! 

संसार में घटने वाली बड़ी घटनाओं या वाकयात के पीछे महीनों पहले निर्मित हुई परिस्थितियों या कारणों का हाथ जरूर होता है। कभी-कभी तो ये इतने मामूली होते हैं कि कोई सोच भी नहीं सकता कि इनके कारण भविष्य में सारे जगत को प्रभावित करने वाली कोई घटना भी घट सकती है। फिर चाहे दुर्वासा का क्रोध हो जो देवासुर संग्राम का जरिया बन गया ! चाहे मंथरा की जिद जिसने राम-रावण युद्ध की भूमिका रच डाली ! द्रौपदी की एक हंसी ने सारे आर्यावर्त को रुदन के सागर में डुबो दिया ! आर्चड्यूक फ़र्डिनेंड की हत्या प्रथम विश्वयुद्ध का कारण बन गई या फिर विश्व की 1929-30 की आर्थिक मंदी ने द्वितीय महायुद्ध का आह्वान कर डाला हो ! कौन सोच सकता था कि ऐसी बातों से भी सारा संसार आपस में एक-दूसरे के खून का प्यासा हो जाएगा ! पौराणिक काल में भी एक ऐसी ही छोटी सी बात आज तक की सबसे विस्मयकारी, अद्भुत, अकल्पनीय घटना, समुद्र मंथन का कारण बन गई थी।  

यह उस समय की बात है जब अभी पृथ्वी का विकास और निर्माण पूरा नहीं हुआ था। सिर्फ सुमेरु पर्वत के आस-पास का इलाका ही रहने योग्य हो सका था बाकी चारों ओर सब जगह पानी ही पानी था। उसको रहने लायक और मानव योग्य बनाने का उपक्रम चल रहा था। इसलिए अभी देवता, अपने दायाद बंधु, असुरों के साथ ही धरती पर रहते थे। परन्तु यह काम उनके अकेले के वश का नहीं था। इस विशाल, महान, श्रमसाध्य कार्य के लिए कई दैवीय शक्तियों और उपकरणों की आवश्यकता थी। दैवीय उपकरण सागर मंथन से ही उपलब्ध हो सकते थे और इसके लिए यह जरुरी था कि दैत्य-दानव जैसी आसुरी शक्तियों का भी सहयोग लिया जाए। पर सुर और असुर एक दूसरे के जानी दुश्मन थे ! इस समस्या को सुलझाने के लिए त्रिदेवों ने काफी सोच विचार कर एक योजना बनाई और असुरों को साथ लाने का कारण गढ़ा गया। 

एक बार दुर्वासा ऋषि को, विश्राम के दौरान, उनके आश्रम में कुछ विद्याधरों ने दिव्य संतानक पुष्पों की माला अर्पित की। माला की सुगंध दूर-दूर तक फैल रही थी। उसी समय उधर से गुजरते हुए, अपने हाथी पर आरूढ़ इंद्र ने ऋषि को प्रणाम किया। दुर्वासा ने खुश हो कर वह माला इंद्र को दे दी। पर इंद्र ने उपेक्षा पूर्वक उसे हाथी के गले में डाल दिया। पुष्पों की तेज गंध से गजराज ने परेशान माला को तोड़ अपने पैरों से कुचल डाला। अपने उपहार का तिरस्कार होता देख दुर्वासा अत्यंत क्रोधित हो उठे और उन्होंने इंद्र को श्राप देते हुए कहा कि, ''हे इंद्र ! जिस वैभव का तुम्हें इतना अभिमान है वह ख़त्म हो जाएगा और उसके साथ ही तुम भी श्री हीन हो जाओगे !'' इंद्र की किसी भी अनुनय-विनय का ऋषि पर कोई असर नहीं हुआ। श्राप के कारण इंद्र निस्तेज हो गया ! उसके साथ ही अमरावती और देवों की शक्तियों का भी ह्रास हो गया। इस बात की खबर मिलते ही असुरों ने अपने शक्तिशाली राजा बलि के नेतृत्व में स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर उसे वहां से निष्काषित कर दिया। इंद्र सहित सारे देवता विष्णु जी के पास गए और उनसे अपनी विपदा कही। तब विष्णु ने उन्हें दानवों की मदद से समुद्र मंथन करने की सलाह दी। दानवों को मनाने के लिए उन्हें अमृत का लालच देने की सलाह भी दी। अमरत्व की लालसा में असुर राजी हो गए।

क्षीरसागर, जो आज हिंद महासागर कहलाता है, को मंथन के लिए चुना गया ! मदरांचल पर्वत को, जो आज के बिहार के बांका जिले में स्थित है, मथानी  का रूप तो दे दिया गया पर अथाह सागर में उसको टिकाना सबसे बड़ी समस्या बन गई ! तब फिर विष्णु जी ने देवताओं की सहायता के खातिर कच्छप का रूप ले सागर के बीचोबीच अपने को स्थिर कर मदरांचल को अपनी पीठ पर टिका लिया। नेती के रूप में वासुकि नाग की सहायता ली गई। उसके घोर कष्ट को देखते हुए उसे गहन निद्रा का वरदान दिया गया। फिर भी विष्णु जानते थे कि मंथन के दौरान रगड़ से वासुकि को अपार कष्ट होगा जिससे उसकी जहरीली फुफकार निकलेगी उससे देवताओं की रक्षा जरुरी होगी। इसलिए उन्होंने इंद्र से कहा कि मंथन के पहले तुम सब आगे बढ़ कर वासुकि के मुंह को थाम लेना और असुरों से कहना कि हम तुमसे श्रेष्ठ हैं, इसलिए हम मुंह की ओर रहेंगे। इंद्र ने जब ऐसा किया तो असुर भड़क गए और बोले, अरे इंद्र ! तुझे अभी भी लाज नहीं आती जो हमसे हारने के बाद भी अपने आप को श्रेष्ठ समझता है ! तुम सब अधम हो और अधम ही रहोगे। इसलिए पूंछ वाला हिस्सा ही तुम्हारा उचित स्थान है। देवता तो चाहते ही यही  थे, वे बिना ना-नुकुर किए दूसरी तरफ चले गए। जैसा कि विष्णु जी ने सोचा था वैसा ही हुआ कुछ ही देर में वासुकि की फुफकार से असुरों पर कहर टूट पड़ा। फिर जैसे-तैसे मंथन पूरा हुआ। देवताओं की कुटिलता से असुर फिर मात खा गए ! फिर जो कुछ भी हुआ वह जग तो जाहिर है ही। 

यह अपने समय का एक अकल्पनीय उपक्रम था ! कोई सोच सकता था भला कि दुर्वासा के एक श्राप से सारे जगत में कैसी उथल-पुथल मच जाएगी। शिव को विष पान करना पड़ जाएगा ! देवता अमर हो जाएंगे ! सूर्य-चंद्र ग्रहण होने लगेंगे ! राक्षसी महिषि का वध संभव हो पाएगा ! इत्यादी...इत्यादी...!

 

भारत विजय 






पढ़ लिख  कर  जग  में  ऊँचा  नाम करे। 

बढ़ते रहे पथ पर भारत विजय भाव भरे।

 

ज्ञान  ज्योति  फैलाए   तम का नाश करे। 

बढ़ते रहे पथ पर भारत विजय भाव भरे। 

 

अवगुण  दूर  हो सद्गुण  का संचार करे। 

बढ़ते रहे पथ पर भारत विजय भाव भरे। 

 

परहित रहे  भावना दया  भाव  हृदय धरे। 

बढ़ते रहे पथ पर भारत विजय भाव भरे। 

 

निर्बल गरीब दीन दु:खी पर उपकार करे। 

बढ़ते रहे पथ पर भारत विजय भाव भरे। 

 

देश हित रहे तैयार मातृभूमि का सम्मान करे। 

बढ़ते  रहे  पथ पर  भारत  विजय  भाव भरे। 

 

मिल  जुल  कर  रहे  हृदय  से  प्रेम  रस झरे। 

बढ़ते  रहे  पथ  पर  भारत  विजय भाव भरे। 

 

ब्रह्मानंद गर्ग "सुजल"

जैसलमेर(राज.)


 

 



 



ऑनलाइन शिक्षा बन कर ना रह जाए बस खाना फुर्ती

कोरोनावायरस ने हमें हमारे जीवन में बहुत से बदलाव लाने के लिए मजबूर भी किया। साथ ही साथ नई-नई चीजें सीखने के लिए तैयार भी किया। उनमें से एक है ऑनलाइन होने वाली क्लास। अध्यापक और छात्रों के साथ ही साथ आज के समय में यह उनके घर वालों का भी हिस्सा बन गई है। निजी जीवन की बातें अध्यापकों की छात्रों के घर में बातचीत करने का विषय बन चुका है।  

ऑनलाइन क्लास तो हर रोज हो रही है। चार से पांच घंटे छोटे हो या बड़े सभी छात्रों को लेपटॉप, कम्प्यूटर या फोन के सामने बैठा दिया जाता है। शिक्षा जरूरी है हम सभी जानते हैं, किसी भी हाल में उसमें रुकावट नहीं आनी चाहिए। किन्तु सवाल यह भी है कि ऑनलाइन क्लास का शिक्षा के लिए उपयोगी है या नहीं। भारत में 40 करोड़ के आसपास ही लोग इंटरनेट का प्रयोग कर पाते हैं। 29 करोड़ लोगों के पास ही स्मार्ट फोन है।  ऐसे में हम हर छात्र तक ऑनलाइन क्लास के माध्यम से शिक्षा को नहीं पहुंचा सकते हैं। यह एक सत्य है जिससे हम सभी आंखें चुरा रहें हैं। 

ऑनलाइन क्लासेस बस एक खाना फुर्ती सी लग रही है।  छात्राओं और अध्यापकों के पास अच्छा इंटरनेट और फोन, लेपटॉप या कम्प्यूटर की सुविधा होने के साथ ही साथ प्रयोग करने का अनुभव भी होना आवश्यक है। ऑनलाइन क्लास में छात्रों को कनेक्ट करना और ऑनलाइन सभी कुछ समझा ना प्रत्येक अध्यापक के लिए सरल नहीं है। सभी छात्र ऑनलाइन क्लास लेने में सक्षम नहीं है। जिसके कारण उनकी पढ़ाई भी पिछड़ जा रही है।  

हम सभी बातें जानते हुए भी ऑनलाइन शिक्षा का खेल, खेल रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि यह सब केवल माता-पिता की जेब से पैसे निकलवाने की कोशिश है। यदि ऐसा नहीं है तो 50 बच्चों की क्लास में केवल 10-12 ही बच्चे क्यों ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं। बच्चों के भविष्य की इतनी ही चिंता है स्कूलों को तो उन्हें बच्चों और अध्यापकों को वह सारी सुविधाएं उपलब्ध करवानी चाहिए। जिसके प्रयोग से वह आसानी से ऑनलाइन शिक्षा को जारी रख सकें। 

छात्रों की शिक्षा जरूरी है। किन्तु कुछ गिने चुने बच्चों की नहीं। प्रत्येक उस बच्चे की शिक्षा जरूरी है। जिसका इस देश में जन्म हुआ है। हम उच्च वर्ग से जुड़े बच्चों की सुविधा के अनुसार फैसले नहीं लें सकतें हैं। शिक्षा सभी का अधिकार है और जरूरत भी, हमें सभी के बारे में सोचना होगा। सरकार, स्कूलों के साथ ही साथ हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम अपने आस पास रहने वाले बच्चों और अध्यापकों की मदद करें। उनकी समस्याओं को सुलझाने में उनका सहयोग दें। साथ ही साथ सरकार और स्कूलों पर दबाव बनाएं कि वह सभी बच्चों की शिक्षा का इस्तेमाल करें। 

       राखी सरोज

 

सैनिक

राष्ट्र के वास्तविक नायक सैनिक ही होते हैं , जो निजी स्वार्थ को त्याग कर अपने देश की रक्षा के लिए हमेशा सर्वस्व निछावर करने के लिए  तत्पर रहते हैं। सैनिक का जीवन बलिदान का जीवन होता है , जो देशप्रेम में निजी जीवन का बलिदान करना और जीवन का वास्तविक दायित्व देश के लिए समर्पित होना सिखाता है। सैनिक राष्ट्र का गौरव होता है जिसमें देशभक्ति कूट-कूट कर भरी होती है।साहस और कर्तव्यनिष्ठा के साथ सैनिक जीवन में कई विपरीत परिस्थितियों अर्थात कई चुनौतियों का सामना करता है। सैनिक बनना इतना सहज नहीं होता जितना सभी को लगता है। सैनिक बनने से पहले निजी सुखों जैसे घर-परिवार , व्यक्तिगत जीवन और अपनी कई सुख सुविधाओं से भरी इच्छाओं को त्याग करने का प्रण लेना पड़ता है। देश की माटी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करना ही सैनिक की प्राथमिकता होती है जिसे वह पूरी आत्मनिष्ठा से पूरा करता है। सैनिक के लिए देशप्रेम ज्यादा मायने रखता है बाकी सब कुछ बाद में। सैनिक का सम्पूर्ण जीवन जब तक साँस न थम जाए हिन्द देश की रक्षा के लिए ही वास्तव में बना होता है । सैनिक को हम देश का असली हीरो इसलिए मानते हैं क्योंकि हीरो वो होता है खुद से पहले दूसरों की रक्षा करे । यही भावना एक सैनिक में होती है जो 24 घण्टे सरहद पर इसलिए तैनात रहते हैं ताकि हिन्द देश और हिन्दवासी  सुरक्षित रह सकें। इस देश की माटी पर सैनिक के कदमों के निशान कभी  नहीं मिटते । इस देश की माटी भी सैनिक के बलिदान को कभी नहीं भूलती ।सैनिक की कहानी वास्तव में वीरता की जुबानी होती है जिसे आज के छात्र/छात्राओं को सुनाकर उनमें जज़्बों और हौंसलों के साथ देश की रक्षा के लिए सैनिक का अनमोल योगदान की प्रेरक शिक्षा अवश्य  देनी चाहिए जिससे छात्र/छात्राओं में भी देशप्रेम की अलख जगाई जा सके। जीवन में कड़ी चुनौतियों जैसे भारी बारिश , बर्फबारी , गोलाबारी , अत्यधिक ठंड और चिलचिलाती आग सी धूप के बीच सैनिक खुद को ढालता है और इन सबके बीच सैनिक दुश्मनों का सामना करता है ।

सैनिक असल मायने में आदर्श सूचक, राष्ट्रभक्त और देश का महान नायक होता है। सैनिक ही देश की आन बान शान होता है। जिसकी शहादत में भारतीय तिरंगे से सम्मान होता है।

जय हिन्द , जय हिन्द के सैनिक 🇮🇳🇮🇳

@अतुल पाठक

जनपद हाथरस

जीवन का अंतिम सत्य

कभी किसी ने बैठकर सोचा ,नहीं सोचा होगा, क्योंकि हम अपने जीवन में इतने व्यस्त हैं, कि हमारे पास इस मानव जीवन के अंतिम सत्य के बारे में सोचने का समय नहीं है, हमारे पास केवल अपनी तृष्णाओं की पूर्ति का समय है ,हमें केवल धन एकत्रित करना है, हमें केवल भोग भोगने हैं, हमें केवल अपनी सत्य स्थापित करनी है, हमें केवल दूसरों को नीचा दिखाना है, पर कभी किसी ने सोचा ,यह सब भोग क्षण भर के हैं ,हमारे से पहले इस पृथ्वी पर कितने राजा, महाराजा आए, जो कितने शक्तिशाली थे, उन्होंने अपनी भक्ति से देवो को प्रसन्न करके कई वरदान हासिल किए,पर  वो भी एक दिन काल के ग्रास बन गए, तो क्यों आज इस पृथ्वी का तुछ्च सा मानव यह भूल गया है, उसे भी एक दिन काल का ग्रास बनना है,अगर भूल गए हैं , तो एक दिन शमशान भूमि में जाकर किसी जलते मुर्दे को देख आए ,क्योंकि यही जीवन का अंतिम सत्य है।।                                          

अंतरराष्ट्रीय मधुमेह जागृति दिवस पर जागरूकता जरूरी

प्रतिवर्ष २७ जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मधुमेह जागृति दिवस मनाने की जरूरत इसलिए महत्वपूर्ण हुई क्योंकि इस बीमारी के कारण और बचाव के विषय में लोगों के बीच काफी मतभेद और अनभिज्ञता देखी जा रही है । यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट के मुताबिक पूरे विश्व की लगभग ६-७ % आबादी मधुमेह नामक बीमारी से ग्रसित है । मधुमेह से पीडि़तों की संख्या में इतनी तेजी से वृद्धि लोगों में मधुमेह के प्रति अनभिज्ञता की उपज है । भारत के परिपेक्ष में यह बीमारी आम बात है , इस बीमारी से ग्रसित लोगों की बड़ी जनसंख्या भारत में निवास करती है । इंटरनेशनल डायबिटीज फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार लगभग ७.७ करोड़ पीड़ितों के साथ मधुमेह की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है । इसीलिए भारत को विश्व मधुमेह की राजधानी का दर्जा प्राप्त है । इन आंकड़ों के मद्देनजर वैश्विक स्तर पर हर पांचवां मधुमेह रोगी भारतीय है । मधुमेह के यह आंकड़ें इतने चिंतनशील हैं कि पूरी दुनिया में इसके निवारण व उपचार में प्रतिवर्ष करीब २५० से ४०० मिलियन डॉलर का खर्च वहन किया जाता है । इस बीमारी के कारण वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष करीब ५० लाख लोग अपनी नेत्र ज्योति खो देते हैं और करीब १० लाख लोग अपने पैर गवां बैठते हैं । मधुमेह के कारण विश्व भर में लगभग प्रति मिनट ६ लोग अपनी जान गंवा देते हैं और किडनी के निष्काम होने में इसकी मुख्य भूमिका होती है ।
मधुमेह शोध के अनुसार भारत में इस रोग का आनुवांशिक लक्षणों में पाया जाना बेहद चिंतनशील मुद्दा है । आज विश्व के लगभग ९५ % रोगी टाइप - २ मधुमेह से पीडि़त हैं , इसका मुख्य कारण लोगों का आवश्यकता से अधिक कैलोरी युक्त भोजन कर मोटापे का शिकार होना जबकि उनकी दिनचर्या में व्यायाम व योग का अभाव का होना है ।
यही कारण है कि कम उम्र के लोगों में भी इस बीमारी का अतिक्रमण बहुत तेजी से देखा जा रहा है । रक्त ग्लूकोज शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है और कार्बोहाइड्रेट आंतों में पहुँचकर ग्लूकोज में परिवर्तित हो अवशोषित होकर रक्त में पहुँचता है फिर इंसुलिन के माध्यम से रक्त द्वारा कोशिकाओं के भीतर प्रवेश करता है , इसी इंसुलिन की अनिवार्यता में कमी मधुमेह को जन्म देती है ।
टाइप - १ मधुमेह बच्चों व युवाओं में अग्नाशय से इंसुलिन का स्राव न होना । टाइप - २ मधुमेह अधिक आयु के लोगों में अग्नाशय से कम इंसुलिन का उत्पन होना । इन दोनों ही परिस्थितियों में रोगी को जीवन पर्यन्त इंसुलिन के इंजेक्शन की आवश्यकता होती है । इन जटिलताओं के कारण मधुमेह रोगियों में हृदयाघात , मूत्राशय व किडनी में संक्रमण व खराबी , आँखों की खराबी , कटे-जले घाव का ठीक न होना आदि बीमारियों का प्रभाव देखा जाता है ।
इस बीमारी से बचाव के लिए हमें अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है और जो इससे संक्रमित हैं उन्हें अपने खान-पान पर नियंत्रण तथा दैनिक जीवनचर्या में व्यायाम व योग को स्थान देने की परम आवश्यकता होती है क्योंकि यह एक लगभग लाइलाज बीमारी है जिसे दवाओं व समझदारी से केवल नियंत्रित किया जा सकता है । खान-पान में गरिष्ठ व वसायुक्त भोजन तथा तली-भूनी चीजों व शक्कर से परहेज करना चाहिए । स्वास्थ्यवर्धक चीजों का सेवन तथा शारिरिक व मानसिक परिश्रम करना चाहिए । आज के इस प्रदूषित वातावरण को देखते हुए यह सभी स्वास्थ्यवर्धक उपाय अपनाने की महती आवश्यकता हर रोगी व निरोगी दोनों प्रकार के व्यक्तियों हेतु अत्यंत आवश्यक है । इस गंभीर चिंतनशील बीमारी से बचने के लिए हमें स्वस्थ जीवनशैली , स्वास्थ्यवर्धक आहार , व्यायाम व योग को अपनाना होगा और वर्ष में एक बार रक्त परीक्षण भी जरुर करवाना चाहिए जिससे इस बीमारी से बचा जा सके ।


Thursday, June 25, 2020

"रूस किसका साथ देगा भारत और चीन में से

आप भी सोच रहे होंगे कि आज अगर हमारा बिवाद चीन के साथ बढ़ता है तो रूस भारत का साथ देगा या चीन का अभी हमारे रक्षा मंत्री जी रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर मास्को के रेड स्क्वायर पर होने वाली विक्ट्री डे परेड में हिस्सा लेने के लिए रूस पहुंचे हुए हैं। वैसे तो रक्षा मंत्री जी का इस दौरे का उद्देश्य रूस और भारत के बीच रक्षा खरीदारी को बढ़ाने के लिए कहा जा रहा है और साथ ही रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना भी है।

ध्यान से देखें तो भारत और रूस के बीच बहुत ही पुराना ऐतिहासिक संबंध है । देखा गया है कि अगर कभी भारत किसी भी दूसरे देश के साथ युद्ध में उलझा तो सबसे पहले रूस भारत का साथ देता है। वैसे भी रूस और भारत के लोग सांस्कृतिक रूप से भी एक दूसरे के बहुत ही करीब है और हिंदू धर्म रूस में सबसे तेजी से उभरते धर्मों में से वर्तमान में एक है । याद होगा आपको भी की जब 1971 के युद्ध हुआ था उसमें भी रूस ने भारत का भरपूर साथ दिया था और तो और भारत के लिए रूस ने अमेरिका से भी टकरा गया था । जानकर आपको हैरानी होगी कि कई मौकों पर रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी भारत के पक्ष में वीटो रूस ने किया है।

हमने देखा है कि जब भी दो ताकतवार देश आपस में कभी भी उलझते हैं तो पूरी दुनिया की नजर उन पर टिक जाती है , और सभी देश यह देखना चाहते हैं कि दुनिया के बाकी ताकतवर देश किसका साथ देंगे ? वैसे तो अभी समझौता दोनों देशों की तरफ से हुआ है कि हम एक दूसरे का सम्मान करते हुए अपने -अपने सेना को पीछे हटाना चाहते हैं ।लेकिन चीन अपना नापाक हरकत कभी भी दिखा सकता है इसलिए हमें चौकन्ना में रहने की जरूरत है । वैसे भी हम देख रहे हैं चीन का तो अमेरिका से भी टकराव बहुत पहले से चल रहा है कोरोना वायरस और डब्ल्यूएचओ को लेकर इसलिए हम सब जानते हैं कि चीन को लेकर अमेरिका का रूख लेकिन अब सवाल लोगों के मन में यह है कि इस विवाद में रूस का क्या पक्ष होगा  ? वैसे भी रूस यह जानता है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और चीन में करीब-करीब तानाशाही है । ध्यान से देखें तो भारत का लोकतंत्र ही भारत और रूस के पुराने  और घनिष्ठ संबंधों का आधार भी है ।

दूसरी तरफ समस्या यहां यह मुझे दिख रहा है कि अमेरिका के साथ रूस की भी दुश्मनी है और चीन की भी दुश्मनी है और अक्सर कहां जाता भी है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है और चीन और रूस की दोस्ती का भी एक बड़ा कारण है फिर कैसे इस पॉलिटिकल उठापटक से रूस अपने आपको निष्पक्ष रूप से एक तरफ कर पाएगा । आपको याद होगा कि 2017 में जब भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद हुआ था तब चीन ने सबसे पहले इसकी जानकारी जिन लोगों को दी थी उसमें चीन में रूस के राजपूत भी शामिल थे, लेकिन देखा गया इसके बावजूद रूस भारत के खिलाफ कुछ नहीं बोला लेकिन नपा -तुला भाषा का प्रयोग जरूर किया था । अब आपको क्या लगता है रूस किसके साथ है ?

मुझे लगता है कि आज की तारीख में रूस किसी के साथ नहीं है रूस मुझे लगता है अब चाह रहा है कि दुनिया मल्टीपोलर हो जाए यानी दुनिया में शक्तियों के कई ध्रुव हो। इसी कारण से मुझे लगता है कि रूस ने जो चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक युद्ध में भी खामोश ही बना रहा है ।

याद रखना बात को कि जब अगर भारत और चीन के बीच तनाव ज्यादा बढ़ा जाएगा या छोटी- मोटी लड़ाई हुई तो मुझे लगता है कि रूस की उपयोगिता बहुत ज्यादा होगी क्योंकि भारत के पास भारी संख्या में रूसी हथियार और मशीनें हैं जिनकी सर्विसिंग और रिपेयर में रूस की बहुत जरूरत होगी हमें इसलिए हमें रूस की बहुत जरूरत है । ।

जो भी हो दोस्तों मुझे लगता है कि मौजूदा सदी एशिया की है। इस धरातल पर लाने के लिए आवश्यकता होगा कि इस महाद्वीप की दो बड़ी शक्तियों चीन और भारत के बीच सब कुछ सही ही रहे। इसके लिए भारत ने प्रयास भी किए हैं, लेकिन चीन की हठधर्मिता और अड़ियल रवैया बनती बात को खराब कर दे रहा है। वैसे भी अब हमें जरूरी है कि चीन की चुनौती का आकलन कर उसके काट तैयार करें ।वैसे तो चीन ने समझौता किया कि हम एक दूसरे के सेना सीमा पर से हटा रहे हैं लेकिन वह कब अपने बातो से बदल जाए कहना मुश्किल है ।

दोस्तों जो अभी स्थिति भारत और चीन के बीच बनी हुई है वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और संपूर्ण विश्व व्यवस्था के लिए हानिकारक सिद्ध भविष्य में हो सकती है। क्योंकि शत्रु के साथ युद्ध केवल रणक्षेत्र में और हथियारों से ही नहीं लडा जाता है बल्कि मानस में उसकी मानसिकता को हथियार बनाकर भी लड़ा जाता है ।

कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया -अंतरराष्ट्रीय चिंतक)

दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता/मेंटर 9069821319