Monday, July 6, 2020

लगातार कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति के बावजूद केन्द्र का रोडमैप सामने न आ पाना है अक्षमता- प्रमोद तिवारी




लालगंज, प्रतापगढ़।

 कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने देश मे कोरोना संक्रमण के लगातार बढने के बावजूद केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अभी तक कोई रोडमैप सामने नही ला पाने को सरकार की सबसे बडी अक्षमता ठहराया है। श्री तिवारी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केन्द्र के पास कोरोना संक्रमण की इतनी विकराल स्थिति बन जाने के बाद भी रोडमैप तो नही है बल्कि वह आज संक्रमण के क्षेत्र मे सोवियत रूस को भी पीछे छोडकर तीसरे नंबर पर आ गया है। प्रमोद तिवारी ने सरकार पर तगड़ा कटाक्ष किया कि यह स्पर्धा विकास या सम्पन्नता मे नही बल्कि सोवियत रूस को हमने कोरोना संक्रमण मे पीछे छोडा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि इस समय सरकार सिर्फ सोशल डिस्टेसिंग व मास्क लगाने का जनता को उपदेश दे रही है लेकिन वह यह नही बता पा रही कि सरकार किस जिम्मेदारी का कोरोना संक्रमण मे निर्वहन कर रही है। उन्होने प्रधानमंत्री से कहा कि देश मे लगभग सात लाख से अधिक कोरोना संक्रमण की संख्या हो गई है यही नही ताजा अध्ययन की रिर्पोट के हवाले का जिक्र करते हुए प्रमोद तिवारी ने दावा किया है कि ज्यादातर वही लोग संक्रमित हो रहे है जो कोरोना योद्धा है अथवा सरकारी या अर्धसरकारी नौकरी करने वाले लोग या फिर सबसे दुखद पहलू सामने आ रहा है कि रोज कमाकर खाने वाले गरीब और साधारण तबके के संक्रमण की जद मे आ रहे है। श्री तिवारी ने कहा कि अब अनलॉकडाउन शुरू हो गया है तो केंद्र सरकार सार्वजनिक कार्यस्थलो पर भीड कम करने के लिए पचहत्तर हजार रूपये की धनराशि आखिर किसान मजदूर तथा गरीब को न्याय योजना के तहत अगले छः माह तक दिये जाने की घोषणा करने से परहेज क्यों कर रही है। उन्होनें यह भी सवाल उठाया कि सरकार को लोगो को घरों से कम निकलने की जरूरत के लिए किसी सरकारी कार्यक्रम को शुरू किये जाने की भी जबाबदेही न लेने से ही क्या संक्रमण का प्रभाव नही बढ़ रहा है। प्रमोद तिवारी ने कहा कि सरकार देश मे बढते संक्रमण को लेकर यह कदापि न भूले कि गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली तथा यूपी के आगरा सहित देश के उन्ही सात राज्यों मे कोरोना संक्रमण का प्रभाव अधिक है, जहां नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम कराया गया। श्री तिवारी ने उत्तर प्रदेश मे लगभग एक हजार और देश मे लगभग पचीस हजार संक्रमितो का एक ही दिन मे केस बढने को भी चिंताजनक ठहराया। वहीं देश की आबादी एक अरब बत्तीस करोड के हिसाब से एक प्रतिशत से भी कम टेस्टिंग पर भी चिंता जताई है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी ने कानपुर मे पुलिस उपाधीक्षक व उप निरीक्षक तथा पुलिसकर्मियो की शहादत को दुखद ठहराते हुए कहा कि यूपी मे अपराधियो के हौसले इतने बुलंद है कि वह अब बीस से पच्चीस सशस्त्र सिपाहियो के दस्ते पर हमले कर सकते है। बकौल प्रमोद तिवारी इस घटना से प्रदेश की जनता मे स्वाभाविक भय उत्पन्न हो गया है। उन्होने यूपी सरकार से भी सवाल दागा कि अभी तक वह साठ अपराधो के आरोपी विकास दुबे को क्यों गिरफ्तार नही कर सकी है। वही श्री तिवारी ने प्रधानमंत्री की लददाख यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि यह जरूर पीएम की स्वागत योग्य यात्रा है किंतु यदि प्रधानमंत्री गलवान घाटी मे अग्रिम पंक्ति के सैनिको के पास भी चले जाते तो सीमा पर लडने वाले देश के सैनिको का मनोबल व साहस और बढ़ जाता। उन्होने प्रधानमंत्री की लददाख यात्रा को लेकर यह भी संशय जाहिर किया कि आखिर पीएम ने इसके बावजूद कि यूएसए तथा यूके सहित दुनिया के कई देशो ने जब भारतीय सेना के बीस जवानो की शहादत को लेकर चीन की भर्त्सना कर सकते है तो फिर प्रधानमंत्री ने चीन का जिक्र करने से आखिर क्यूं परहेज किया। उन्होने प्रधानमंत्री को सवालिया घेरे मे लेते हुए स्पष्ट कहा कि प्रधानमंत्री का शहीद सैनिको के सम्मान मे दोषी देश को इंगित कर कडा संदेश न देना भारतीय सेना के मनोबल को गिराने वाला और देश की सम्प्रभुता की रक्षा के लिए शहीद हुए सैनिको का अपमान है। मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से सोमवार को यहां जारी बयान मे प्रमोद तिवारी ने कोरोना तथा गलवान घाटी की स्थिति पर पीएम से कहा है कि वह सरकार के साथ हकीकत को पहचानते हुए अब जागे और जनता की मदद के साथ देश की मजबूती को लेकर सार्थक कदम उठाये।


 

 



 

ओज कवि अंजनी अमोघ के राष्ट्रीय कवि संगम के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर साहित्यकारों मे खुशी 




लालगंज, प्रतापगढ़। 

नगर मे स्थानीय साहित्यकारों की सोमवार को हुई बैठक मे प्रख्यात ओज कवि अंजनी अमोघ को साहित्यिक संस्था राष्ट्रीय कवि संगम के काशी प्रान्त का अध्यक्ष चयनित किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की गई। साहित्यकारो ने अंजनी अमोघ को मिली इस जिम्मेदारी को लेकर कहा कि इससे प्रतापगढ़ का साहित्यिक स्वरूप प्रदेश भर मे नया आयाम हासिल कर सका है। व्यंग तथा ओज के कवि अमोघ कई साहित्य पुरस्कारो से भी सम्मानित हो चुके है। राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश गुप्ता व प्रान्त प्रभारी सर्वेश ने साहित्य सृजन मे अंजनी अमोघ के योगदान को सराहा है। बैठक की अध्यक्षता प्राचार्य डा. शक्तिधर नाथ पाण्डेय व संचालन साहित्यकार सुनील प्रभाकर ने किया। इस मौके पर जयराम पाण्डेय, अनूप प्रतापगढ़ी, आशुतोष आशू, अनूप अनुपम, सौरभ ओझा, सुधांशु उपाध्याय, संयुकत अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल महेश, चेयरपर्सन प्रतिनिधि संतोष द्विवेदी, ब्लाक प्रमुख ददन सिंह, रूरल बार के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल आदि ने साहित्य सृजन मे प्रतापगढ़ के योगदान पर प्रकाश भी डाला।


 

 



 

कोरोना में कलाकार

एक सामान्य नागरिक की तरह एक व्यक्ति, जो ‘कलाकार‘ भी हो सकता है, के जीवन-यापन और रोजगार की स्थितियों पर सहानुभूति सहित विचार करने का प्रयास करें तो कुछ बातें ध्यान में आती हैं (संभव है स्वाभिमानी कलाकारों को किसी की ‘सहानुभूति‘ की आवश्यकता न हो, फिर भी यहां उनकी स्थितियों पर तत्वतः विचार का प्रयास है) अपने संपर्क के कलाकारों, खासकर प्रदर्शनकारी कलाओं से जुड़े कलाकार और जिनमें साहित्यकारों को भी शामिल कर लिया जाय तो उनकी आवाज आपको अधिक सुनाई पड़ेगी, क्योंकि इस वर्ग की अभिव्यक्तियां अन्य की तुलना में अधिक मुखर होती हैं और उनके लिए मंच भी होता है।



ऐसे बहुतेरे कलाकार हैं जो वेतनभोगी हैं, जिनके आय का नियमित साधन है। ऐसे भी कलाकार होते हैं, जो अपनी कला के माध्यम से कोई आय उपार्जन नहीं करते, जिनमें रामधुन आदि की प्रभात-फेरी निकालने वाले, आल्हा गाने वाले, खेत-खार में ददरिया गाते, बंसी बजाने वाले और नवरात्रि के दौरान मांदर बजाने वाले, माता सेवा के गीत गाने वाले अनगिन अनाम कलाकार हैं। निसंदेह, ऐसे भी कलाकार हैं जिनका जीवन-यापन, पेशा, आजीविका का एकमात्र/मुख्य साधन कलाकारी है। यह भी याद रखना और दुहराया जाना जरूरी है कि कला-साहित्य का क्षेत्र सरस्वती की साधना है और सरस्वती-लक्ष्मी का बैर बताया जाता है। आशय यह कि बहुत सीमित, बल्कि ऐसे कलाकारों-साहित्यकारों का प्रतिशत नगण्य होगा, जिनका आसानी से गुजारा कला-साहित्य के आसरे हो जाता है।

यों तो कलाकारों की मदद के लिए सरकारी योजनाएं और प्रावधान हैं, लेकिन अप्रत्याशित विपरीत परिस्थितियों में दैनंदिन आवश्यकताओं की पूर्ति में न सिर्फ कलाकार, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए कुछ न कुछ अलग किस्म की अड़चनें सामने आती हैं। कोरोना के इस दौर में कलाकारों की मदद के लिए जिज्ञासा की जा रही है। विचाारणीय है कि संकट काल में जीवन की तात्कालिक और आकस्मिक बुनियादी जरूरतों और उनके प्रति मदद के लिए लिंग, जाति, वर्ग, धर्म या अन्य किसी आधार पर वर्गीकरण किया जाना न तो आसान होगा, न व्यावहारिक इसलिए गैर-जरूरी भी। इन बातों के साथ मेरी जानकारी में, परिस्थितियों से मजबूर ऐसे जरूरतमंद, जिनके दैनंदिन जीवन के लिए आवश्यक ‘रोटी-कपड़ा-मकान‘ की कोई व्यवस्था नहीं है, उनके साथ बिना भेदभाव के शासन-प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाओं और निजी स्तर पर भी सहयोग के लिए हाथ आगे आए हैं। हम में ऐसे हैं जो अपनी रोजाना की जरूरत पूरी कर पा रहे हैं, बल्कि अन्य की मदद कर सकने की स्थिति में भी हैं। यह ध्यान रहे कि हम किसी के प्रति कुछ कर रहे हैं तो सब से पहले अपनी तसल्ली, अपने मन के संतोष के लिए कर रहे हैं और जिसके लिए कर रहे हैं, वह उसके प्रति उपकार नहीं, क्योंकि वह हमारी संतुष्टि के लिए निमित्त-मात्र है। अपने योगदान के लिए अपनी सीमा में आवश्यक सावधानी रखते हुए यथासंभव अपने आसपास, ऐसे जरूरतमंद, जो आपकी प्राथमिकता में हो, मदद के लिए पहल करें, प्रेरित करें

इस दौर में हम सभी, विशेषकर ऐसे विचारवान जो अभिव्यक्ति के माध्यमों से जुड़े हैं, अपनी नागरिक जिम्मेदारी सहित अपने प्रश्न, संदेह और असंतोष के साथ, उनके हल की ओर सक्रिय और अग्रसर होकर, उस पर विजय पाने का प्रयास करें।

 

प्रफुल्ल सिंह



""राजनैतिक संरक्षण के बिना हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे जैसा अपराधी नहीं पैदा हो सकता ""

आपको बता दें कि कानपुर में जो गुरुवार को हमारे 8 पुलिसकर्मियों की हत्या को अंजाम दिया था जो अपराधी विकास दुबे वह खादी का चोला पहन चुका था, राजनैतिक दलों में सक्रिय  रहा हैं और तो और प्रधान के साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुका है । आज हम देख रहे है की राजनीति भाई- भतीजावाद बाहुबल और धनबल के साथ ही चापलूसी जो करते हैं उन्हीं के लिए यह दरवाजा खुला हुआ है । ऐसा ही देखने को हमें मिलता है कि पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा से लेकर लोकसभा तक और तो और विश्वविद्यालय का जो छात्र संघ चुनाव होता है वहां भी बाहुबल , धनबल भाई- भतीजावाद के साथ-साथ चापलूसी को ही मौका दिया जाता है। वैसे ही विकास दुबे राजनेताओं के संरक्षण से खादी का चोला पहना और राजनीति में प्रवेश भी किया साथ ही ना जाने कितने यह हिस्ट्रीशीटर ने अपराध किया जिसका कोई आंकड़ा स्पष्ट रूप से हम नहीं कह सकते है ,अगर हम आंकड़े देखें तो हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे पर गिरोह बनाकर लूट हत्या से लेकर डकैती जैसे कई मुकदमे अलग-अलग थानों में दर्ज हुआ है और तो और यह बिकास दुबे शिवली थाना के बाहर भाजपा के मंत्री की हत्या में भी नामजाद हुआ था।  जैसा कि सुनने में आया है मीडिया के माध्यम से ही कि इस विकास दुबे का काला कारोबार प्रदेश के कानपुर से लेकर इलाहाबाद व गोरखपुर फैला हुआ था। यह दुष्ट अपराधी कारोबारी तथा व्यापारी से जबरन वसूली करता था जिसके लिए यह कुख्यात था फिर आखिर राज्य सरकार इस पर पहले ही नकेल क्यों नहीं कसी  ? इसीलिए दोस्तों मैं कहता हूं कि इसको राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा है और आप भी जानते हैं कि आज राजनीति में भाई भतीजावाद ,जातिवाद ,धन्य बल बाहुबल और चापलूसी अपने चरम स्थान पर है ।

 इस दैत्य हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का जघन्य अपराध इतिहास रहा है दोस्तों इसने 60-70 से भी अधिक हत्या का प्रयास किया है जिसका अभी  केस भी चल रहा है । मीडिया के मुताबिक बचपन से ही अपराध की दुनिया में यह अपना नाम कमाना चाहता था , इसके लिए उसने पहले  गैंग बनाया और फिर  लूट, डकैती हत्याएं करने लगा और तो और  इस बेशर्म ने बहुत से युवाओं को भी अपने रास्ते में लाया उनको भटकाया और अपने अपराध को दिन -प्रतिदिन बढ़ाते गया और राजनीतिक संरक्षण इसको मिलते गया और आज हमारे देश के रक्षा करने वाले पुलिस को ही मार डाला। यह आज वांछित अपराधी बन चुका है सुनने में तो यह भी आया है कि दहशथ के जोर पर चुनाव में जीत दिलाना इसका पेशा  बन चुका था और इसके लिए राजनीतिक पार्टियां इसको संरक्षण देने के साथ-साथ खूब धन भी उड़ाते थे इस अपराधी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे पर अब  आप सोच  सकते हो कि आज राजनीतिक किस स्तर पर गिरती जा रही है l  आपको बता दे‌ की अपराधी विकास दुबे दूसरों के घरों को जेसीबी से  तोडा करता था , उसके घर में प्रतिबंधित हथियार से जब दिल करता था तब पुलिस पर हाथ उठा देता था और तो और उसने एक  जज  साहब को भी धमका दिया था , सूत्रों के मुताबिक पुलिस विभाग में उसका मुखबिर रहा करते थे, लेकिन आज वह जहां भी भागा है अब छोड़ा नहीं जाएगा अब उसके दिन गिनती के ही रह गए है ऐसा ही कहना हमारे प्रशासन का भी लेकिन अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ? कहीं कोई नेता जी ही तो नहीं अपने घरों में छुपा कर रखे हैं , ऐसा मै इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि इसको राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था और वह अलग-अलग पार्टियों में अलग-अलग पदों पर रह भी चुका था ।

आज दुनिया को भले पता चला कि कोई हिस्ट्रीशीटर अपराधी विकास दुबे है  लेकिन चौबेपुर ,कानपुर में हर एक  लोग जानता था विकास दुबे की कहानियां ।

नेताओं का तो  वैसे भी विकास प्रिय शब्द है जिस नेता जी को जहां मौका मिलता है वही विकास कराने लगते है , कभी शिक्षा का विकास की बात करते हैं तो कभी किसान का विकास तो कहीं राज्य और देश का विकास लेकिन विकास छलता ही रहा है । ध्यान से देखिए तो विकास अपने ऊपर जल्दी हाथ किसी का नहीं रखने देता है, कई बार तो हवा में ही रह जाता है नेता जी के भाषण से इसी प्रकार चौबेपुर के विकास में भी अपने ऊपर किसी का हाथ नहीं रखने दिया। मेरा कहने का मतलब है कि इस विकास को रोकने का किसी ने साहस नहीं किया और विकास का विकास होने दिया इसको हमेशा राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा और आम जनता को परेशान करते रहा , इसीलिए  विकास दुबे ने 2 जुलाई  रात की स्याही का अंधेरा अनेक निर्दोष पुलिस वालों के परिवारों को डस लिया । मेरे प्रिय मित्र एक खाकी वर्दी सैकड़ों-  हजारों लोगो का भरोसा होती है और इसलिए उस पर हुआ हमला हम सभी के दिलों को हिला दिया है , यह बात करने में जरा भी संकोच नहीं कर रहा हूं कि किसी अपराधी का लालन-पालन राजनीति ही करती है, आप ध्यान से देख लो डाकू हो या तस्कर हो सब राजनीति के आंगन में ही शरण पाते हैं। कहने का मेरा मतलब है कि राजनीति ही अपराधी की इच्छा और महत्वाकांक्षा को बढ़ाती है, इसी प्रकार से अपराधी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे दलो से ऊपर था और कानपुर और उसके पड़ोसी जिलों में हर राजनीतिक दल के नेता जी लोग इसका इस्तेमाल करते थे लेकिन देख रहा हूं अब सभी लोग चुप्पी साधे बैठे हैं।

पिछले 27 वर्षों में 60 मुकदमे जिस अपराधी पर हो और जिस थाने में ही घुसकर भारतीय जनता पार्टी के एक नेता जी की हत्या का आरोप लगा हो फिर भी ना उस पर कभी रासुका लगा और ना ही कभी उस पर एसटीएफ की सूची में जगह बनाएं गया , इससे साफ है कि अपराधी विकास दुबे ने उत्तर प्रदेश में नेताओं और अपराधियों के गठजोड़ को ऐसा उखाड़ा है कि वर्षों तक  मिसाल दिया जाता रहेगा । वैसे मुझे माननीय मुख्यमंत्री जी के बातें सुनकर अच्छा लगा कि मुख्यमंत्री जी ने सख्ती  के साथ- साथ इस माफिया पर  टूट पड़ने को कहे हैं । अब यही सही वक्त है कि पुलिस को इस माफिया को धर- दबोचकर अपने साथियों की शहादत को सम्मान देने के लिए दिल से करना चाहिए। दोस्तों जब तक राजनीति मे जातिवाद, धनबल ,बाहुबल और चापलूसी खत्म नहीं होगी तब तक ऐसे हिस्ट्रीशीटर दैत्य विकास दुबे जैसे पैदा होते रहेंगे। क्योंकि मुझे लगता है इन सब का कारण आज के घटिया राजनीति ही है ?

कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया- अंतरराष्ट्रीय चिंतक)