Friday, December 25, 2020

राष्ट्रीय अधिवेशन में वर्चुअल के माध्यम से बहराइच के कार्यकर्ताओं ने सहभागिता किया - सौरभ

अयोध्या टाइम्स बहराइच जिला संवाददाता सूरज कुमार त्रिवेदी के साथ तिलकराम मिश्रा

आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद राष्ट्रीय अधिवेशन स्मृति भवन रेशम विभाग नागपुर में प्रारंभ हुआ साथ ही साथ वर्चुअल के माध्यम से बहराइच के कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की किसान पीजी कॉलेज कमेटी हॉल में वर्चुअल के माध्यम से कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रांत समरसता प्रमुख राजकिशोर प्रांत सह मंत्री अभाविप सौरव मिश्रा विशिष्ट अतिथि मेजर डॉक्टर एस पी सिंह नगर अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कुमार त्रिपाठी ने विवेकानंद जी वाह मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम शुभारंभ किया वर्चुअल माध्यम से भगड़वा नगर इकाई, पयागपुर नगर इकाई, कैसरगंज नगर इकाई, राजीपुर चौराहा, महसी, शिवपुर नगर इकाई, मटेरा नगर इकाई, नानपारा नगर इकाई के कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की। जिसमें बहराइच नगर के कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की मुख्य रूप से विभाग संयोजक रजत सिंह रैकवार, नगर उपाध्यक्ष आरके शर्मा, जिला सह संयोजक आदर्श शुक्ला, शैलेश तिवारी, हर्ष श्रीवास्तव, किसान पीजी कॉलेज इकाई अध्यक्ष प्रज्वल मिस्र, शिवांश, सौरव, रजत शर्मा अमन, रजत श्रीवास्तव, प्रखर सिंह आदि अनेक कार्यकर्ता रहे।





कृषि प्रधान देश को कुर्शी प्रधान देश नही बनने देगी सपा-जयसिंह प्रताप यादव

अमेठी विजय कुमार सिंह

अमेठी-समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सपा छात्रसभा जयसिंह प्रताप यादव के नेतृत्व में 25 दिसम्बर 2020 को किसानों के बीच भेटुआ ब्लाक के ग्राम लोकई का पुरवा सरूवावाँ मुंशीगज में समाजवादी किसान घेरा कार्यक्रम आयोजित किया गया !
     सपा नेता जयसिंह प्रताप यादव ने कहा है कि किसान भाजपा राज में सबसे ज्यादा अन्याय का शिकार हुआ है। भाजपा सरकार ने किसानों से किया अपना एक भी वादा तो निभाया नहीं उल्टे किसान विरोधी तीन कानून लाकर उसने कारपोरेट के हाथों किसानों को बर्बाद करने की साजिश रच डाली है। पूरे देश के किसान इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी किसानों की अपनी पार्टी है। वह किसानों के संघर्ष में उनके साथ है।
     किसान घेरा कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के नेता जयसिंह प्रताप यादव ने चौपाल में किसानों से बातचीत किसानों से जुड़े तमाम मुद्दों एवं समस्याओं पर चर्चा कर उनके संघर्ष में हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया !
सपा नेता ने पूर्ववर्ती समाजवादी अखिलेश सरकार द्वारा जनहित मे चलाई गई योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी ! सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को विकास

पुरुष बताया !
सपा नेता जयसिंह प्रताप यादव ने कहा कि वर्तमान में भाजपा सरकार की जनविरोधी से आमजन मानस के साथ हर वर्ग त्रस्त हो गया है, जनता पूर्ण रूप से मन बना चुकी है पुनः 2022 में समाजवादी विकास वाली अखिलेश सरकार चाहती है !
इस मौके पर गणेश यादव,ओमकार नाथ,शेष कुमार,सचिन, जनार्दन, प्रभात, कपिल,दुर्गेश, सत्यम, रामहेत, हरदीप, अखिलेश, विनोद, दीपक, सुरेंद्र, अनिल यादव ,सौरभ, पवन,रंजीत, अंकुश,रजनीश ,सोहन,दिनेश, विवेक सहित बड़ी संख्या में महिलाएं,कार्यकर्ता नेता मौजूद रहे !

आधुनिकता की आड़ में अराजकता की होड़

प्राचीनतम से नवीनतम की तरफ गति करना बिल्कुल भी गलत नहीं है, क्योंकि किसी भी क्षेत्र में चाहें वह रहन-सहन हो या आचार-विचार, नवीनीकरण बहुत ही हितकारी होता है, परन्तु इस नवीनीकरण के दूरगामी परिणाम को भी गौर करना बेहद ही जरूरी होता है। बात जब आधुनिकता की हो तो कहने के लिए हम बीसवीं सदी में पदार्पण कर गये हैं, आखिर इतना बदलाव तो बनता है, मगर यह बदलाव जब आधुनिकता की आड़ लेकर मानवीय व्यवहार को प्रभावित करने लगे तो क्या इसको हम आधुनिकता से संबोधित कर सकते हैं? नहीं! तब हम यही कहेंगे कि आधुनिकता की आड़ में अराजकता को हवा देने में लगे, मानव समाज के इस हिस्से ने मानवता को ही निगल लिया है। आधुनिक मानव समाज के पुरुष व नारी इस आधुनिकता की आड़ में अराजकता फैलाने में बराबर के हिस्सेदार हैं, ना कोई कम ना कोई ज्यादा! परन्तु भागीदारी में कोई किसी से कमतर नहीं है। हमारा पुरुष समाज तो आदि से आधुनिकीकरण की अराजकता हेतु बदनाम है, मगर हमारे आधुनिक समाज की स्त्री को अगर देखा जाए तो आधुनिकता की दौड़ में अव्वल हैं, जो रहन-सहन के साथ आचार-विचार व व्यवहार सबमें आधुनिकीकरण के दिखावे में पूर्ण दिग्भ्रमित होने के साथ-साथ सहभागी परिस्थितियों को भी दिग्भ्रमित किए जा रही हैं और ख्वाहिश व गुरूर बस यही कि इस आधुनिकता के दौर में वह सेल्फ डिपेंड हैं, उन्हें आखिर मानवता व मानवीय समाजवादी व्यवहारिक व्यवस्थाओं से क्या लेना-देना।

आखिर ऐसी आधुनिकता का क्या औचित्य जो स्वयं की उपस्थिति व स्वयं के विचारों को ही दिग्भ्रमित कर दे? आधुनिकता का मतलब होता है कि बढ़ती तकनीकी व विकासशील प्रक्रियाओं के द्वारा सुखमय जीवन व स्वस्थ्य विचारों, व्यवहारों को प्राप्त व प्रेषित करना, मगर यहाँ तो मामला ठीक अलग मार्ग का अनुसरण कर रहा है, यहाँ आधुनिकता की आड़ में मानव मानवीय व्यवहार को ऊँचा बनाने के बजाय अराजकता को जन्म देते हुए उच्च व निम्न के बीच की खाईं को और भी बढ़ा रहा है। चमक-दमक व दिखावे का ऐसा जुनून कि क्या कहें? ऐसी आधुनिकता आखिर किस काम की जो केवल सेल्फ डिपेंड के दिखावे से शुरू होकर दिखावे में ही समाप्त हो जाती हैं? आधुनिकता की आड़ में अराजकता के दौरान सबसे बड़ा बदलाव किसी भी चीज में शॉर्टकट का चयन अर्थात् इस आधुनिकीकरण की सोच चीजें जितनी छोटी होंगी, फायदे उतने अधिक होंगे, इसी फिराक में सबसे पहले परिवार का स्वरूप बदला, जो एकल हो गया, फिर पहनावे का रूप बदला, जो अत्यंत ही छोटा हो गया, फिर खान-पान का रूप बदला जो डाइटिंग तक आ गया बाकी व्यवहारिक व्यवस्थाओं के अंतर्गत सामूहिक से घटकर स्व तक सीमित हो गया, इस स्व की भी बड़ी विचित्र बिडम्बना है जिसे शब्दों में व्यक्त कर पाना शायद संभव नहीं।
आधुनिकता की आड़ में ऐसी अराजकता मानवीय सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद ही निम्न स्तरीय स्थिति को इंगित करता है। आधुनिकता का यह दौर मानवता के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है, जिसे प्रत्यक्ष तो देख हर कोई रहा है, मगर प्रतिकार करे आखिर कौन? जब सभी इस अराजकतापूर्ण आधुनिकीकरण के वशीभूत हैं। इस आधुनिकता की आड़ में अराजकता के सहभागी कुछ प्रत्यक्ष हैं तो कुछ परोक्ष, मगर सहभागिता तो सभी की है। जहाँ आधुनिकता की अराजकता के रूप में सेल्फ डिपेंड का गुरूर अगर महिलाओं पर हावी है, तो वहीं पुरुष पर आधुनिकता की अराजकता के अंतर्गत पुरुष प्रधान समाज का भ्रम हावी है। आखिर इस आधुनिकता से तो बेहतर प्राचीनता ही है, जहाँ मानवीय समाजवादी व्यावहारिक व्यवस्थाओं में मानवता का अपना महत्वपूर्ण स्थान तो है। आधुनिकता किसी भी समय कालखण्ड में बेहतरी के लिए जानी-पहचानी जानी चाहिए, ना कि आधुनिकीकरण की अराजकता के लिए! अतः आधुनिकता अपनाइए मगर अराजकता से दूर रहते हुए! इसी में हमारा-आपका व इस समस्त मानव समाज का कल्याण निहित है।

मिथलेश सिंह मिलिंद
मरहट पवई आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)

Sunday, December 6, 2020

अंदाज़ ए लखनऊ

आज हवा जब हुई जहरीली 

भेजो तुम फिर सबको नोटिस,

तेरा-मेरा मेरा-तेरा फिर 

जग को तुम भेजो नोटिस,

पहले दूसरे नंबर का ये 

खेलो न तुम खेल पुराना,

अंत धरा में है सबका 

जब तक प्राण हैं प्राण बचाना ,

हरियाली के जीवन को 

भेजो फिर तुम सब को नोटिस,

आज हवा है फिर जहरीली

भेजो न अपने को नोटिस ।