Friday, November 19, 2021

तेरा सानिध्य

मैं तेरे पास रहूं

तेरे साथ रहूं
यही काफी है।
मंत्रों का बोझ
तंत्रो का ओज
भारी सा लगता है।
तेरी गोद में
ममता भरी छाया में
सोया रहूं
यही काफी है।
जन्म जन्मांतर की सिद्धियां
युगों-युगों की रिद्धियां
अब भारी सी लगती है
तेरा हाथ पकड़ कर
बस चलता रहूं
हर जगह
हर क्षण
यही काफ़ी है।

राजीव डोगरा
(भाषा अध्यापक)

रील्स की रंगीन दुनिया और सेलिब्रिटी बनने का सपना

वीरेंद्र बहादुर सिंह 

एक लड़का और लड़की पहली बार मिले। लड़के ने लड़की से पूछा, "तुम क्या करती हो?" लड़की ने कहा, "मैं हीरोइन हूं।" लड़के ने हैरानी से आंखें फैला कर नया सवाल किया, "अच्छा, किस फिल्म में काम किया है?" लटकाझटका मारते हुए लड़की ने कहा, "मैं रील्स बनाती हूं।"
अब नंबर लड़की का था। लड़की ने सवाल किया, "तुम क्या करते हो?" लड़के ने सीना फुला कर कहा, "मैं सैनिक हूं।" लड़की ने नया सवाल किया, "अच्छा, कहां पोस्टिंग है?" लड़के ने कहा, "मैं पबजी खेलता हूं।" इस तरह की रील्स आप ने कहीं न कहीं जरूर देखी होगी और कहीं न कहीं इस तरह का जोक भी सुना होगा। रील्स के पीछे आज का यंगस्टर्स क्रेजी है। 
फिल्म, टेलीविजन, वेब सिरीज और इंटरटेनमेंट की दुनिया ऐसी है, जो हर किसी को एट्रैक करती है। हर आदमी का कभी न कभी तो ऐक्टिंग करने का मन हुआ ही होगा। तमाम लोगों को यह भी भ्रम होता है कि किसी फिल्म या सीरियल में काम करने का मौका मिल जाए तो दुनिया को दिखा दें कि वे भी कुछ कर सकते हैं। लड़कियां तो स्टाइल मारने में आगे ही होती हैं। अगर उनमें इस तरह की तमन्नाएं पैदा होती हैं तो कुछ गलत भी नहीं है। अब तक सवाल यह था कि छोटा तो छोटा, पर हमें फिल्म या सीरियल में रोल दे कौन? अब इसकी कोई जरूरत रही नहीं। आपको अभिनय का शौक पूरा करने के लिए रील्स हाजिर है।
रील्स में सब से बड़ा फायदा यह है कि डायलाग और म्युजिक हाजिर ही होता है। शूटिंग के लिए मोबाइल ही काफी है। शुरू कर दो एक्टिंग। अलबत्त, फ्यू सेकेंड के अभिनय में ही तमाम लोगों की समझ में यह आ जाता है कि एक्टिंग ये खाने का खेल नहीं। तमाम लोगों को यह रास भी आ जाती है। 2-4 को सेलिब्रिटी स्टेटस भी मिल जाता है। बाकी के सभी लाइक्स, फालोअर्स और व्यूज बढ़ाने के लिए झख मारते रहते हैं।
टिकटाॅक एप ने सभी को पागल कर दिया था। टिकटाॅक पर प्रतिबंध लगने के साथ ही इंस्टाग्राम, फेसबुक सहित  सभी सोशल मीडिया ने टिकटाॅक का ट्राफिक उन्हें मिले, इसके लिए प्रयास करना शुरू कर दिया था और उन्हें इसका फायदा भी हुआ। टिकटाॅक को टक्कर देने के लिए इंस्टाग्राम ने 5 अगस्त, 2002 को भारत और अमेरिका सहित 50 देशों में एक साथ रील्स लांच किया। अपने देश में रोजाना 6 मिलियन रील्स अपलोड होती है। रील्स ने इंस्टाग्राम और फेसबुक को जबरदस्त ब्रेक दिया है। 2018 में फेसबुक ने टिकटाॅक जैसा एप बनाया था। उसका नाम लासो था। पर वह चला नहीं था। इंस्टाग्राम ने प्रयोग के लिए नवंबर, 2019 में केनास नामक रील्स शुरू की थी। टिकटाॅक पर अपने देश में भले बैन लग गया है, पर टिकटाॅक आज की तारीख में 154 देशों में धूम मचा रहा है। कहने का मतलब यह है कि रील्स की ललक केवल अपने देश के लोगों में ही नहीं है। पूरी दुनिया इसके पीछे पागल है। 
रील्स बनाने के लिए तो अब प्रोफेशनल भी मैदान में आ गए हैं। वे रील्स बना कर तो देते ही हैं, किस तरह फालोअर्स और व्यूज बढ़ते हैं, इसकी टिप्स भी देते हैं। एक निश्चित समय के दौरान ही रील अपलोड करने और मैक्सिमम हेशटेग रखने को कहा जाता है। रील्स की दुनिया में दो तरह के लोग हैं। एक जो रील्स बनाते हैं और अपलोड करते हैं, दूसरे वे जो मौज से रील्स देखते हैं। रील्स ऐसी चीज है कि देखने वाला एक बार शुरू करता है तो फिर छोड़ नहीं सकता। अभी एक-दो देख लेता हूं, सोच कर वह चिपका ही रहता है। फनी रील्स से ले कर शाकिंग रील्स का बहुत बड़ा वर्ग है। रील्स के हिट होने का एक कारण यह है कि लोग अपने काम और दूसरे की चिंताओं के कारण बहुत तनाव में रहते हैं। रील्स देखने से उन्हें हल्कापान महसूस होता है। डांस के रील्स खूब पॉपुलर हुए हैं। कुछ हजार व्यूज होने के बाद पेमेंट भी मिलता है। यूट्यूबर्स में भी आगे निकलने की होड़ लगी रहती है। 
रील्स के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी काम करता रहता है। आप एक अमुक तरह की निश्चित रील्स देखते हैं तो आप के सामने उसी तरह की रील्स आती जाएगी। धार्मिक मोटिवेशन या शेरोशायरी की रील्स देखने वाले को बारबार उसी तरह की रील्स देखने को मिलेगी। आप एक रील्स को एक से अधिक बार देखते हैं तो उन्हें पता चल जाता है कि इस भाई या बहन को किस में रुचि है। आदमी को इतनी चालाकी से रील्स का आदी बना दिया जाता है कि घंटो कैसे बीत गए, उसे पता ही नहीं चलता। सोशल मीडिया संचालकों को हमेशा कुछ न कुछ नया देने का टेंशन रहता है। उन्हें इस बात का डर सताता रहता है कि कुछ नया नहीं आया तो लोग तुरंत डायवर्ट हो जाएंगे।
रील्स का कंटेंट तैयार करने के लिए बड़े पैमाने पर काम होता है। वह रील तुम ने देखी थी? झूठ बोले कौआ काटे कहा जाता है, पर सच बोले तो कहां कोयल किश करने वाली है? इस तरह के तमाम कंटेंट रोजना तैयार किए जाते हैं। जिन पर लोग रील्स बनाते हैं। श्रीलंका की यंगसिंगर योहानी दिलोका डिसल्वा का गाना 'मनिके मागे हिथे' पर हजारों लड़कियों ने सोलो और ग्रुप में डांस किए। श्रीलंका के रिपब्लिक डे ने 22 मई, 2021 को यह गाना यूट्यूब पर अपलोड किया था। इसके बाद यह वायरल हुआ। 28 साल की योहानी रातोरात पॉपुलर हो गई। इस तरह के तमाम उदाहरण हैं। मणी, पोहे बनेंगें... वाली रील भी हिट हो गई थी। पशु-पक्षियों के शिकार से ले कर विमान के उड्डयन तक की रील्स लोगों को आकर्षित करती हैं। रील्स की एक हकीकत यह भी है कि यह जितनी तेजी से हिट और वायरल होती है, उससे अधिक तेजी से भुला दी जाती है। यह ऐसी दुनिया है, जो बहुत क्षणजीवी है। बदलती रहती है। नया आता है और पुराना भूलता जाता है। कुछ भी परमानेंट नहीं है। यंगस्टर्स के लिए यह बड़ा खतरा है। कुछ रील्स जबरदस्त चलने के बाद अगर व्यूअर्स घट जाएं या फालोअर्स न बढ़ें तो यंगस्टर्स टेंशन में आ जाते हैं। उन्हें अपना सेलिब्रिटी स्टेटस छिनता नजर आने लगता है।
रील्स का क्रेज ऐसा है कि लड़के-लड़कियां जहां देखो, वहीं रील्स बनाने लगते हैं। एयरपोर्ट हो या रेलवे-स्टेशन, हिल स्टेशन हो या हाईवे, मौका मिला नहीं कि रील बना लिया। मनोचिकित्सक ऐसे युवाओं को सलाह देते हैं कि जस्ट फाल फन अधिक करो, पर इसे दिमाग पर सवार न होने दो। एंज्वॉय करो, पर इतना याद रखो कि इससे महान नहीं हो जाओगे। हां, कुछ समय के लिए चर्चित जरूर हो सकते हो। पर यह टेम्परेरी होगा। मजा करो और लोग तुम्हें भूल जाएं, उसके पहले तुम भूल जाओ। रील्स देखने वालों को भी यह सलाह दी जाती है कि देखो और मजा करो, पर समय मर्यादा का ख्याल रखें। हाथ में मोबाइल ले कर बैठे ही न रहें। आपका समय आपके लिए, आपके काम के लिए और आपके लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। किसी भी चीज में अति ठीक नहीं है। बाय द वे, आप कितना समय रील्स बनाने में  अपलोड करने में या देखने में गुजारते हैं? इस बारे में भी थोड़ा सोच कर देखना कि आप अपना समय तो बरबाद नहीं कर रहे न?

वीरेंद्र बहादुर सिंह 

चिकित्सा पेशे से जुड़े हर व्यक्ति में नैतिकता, संवेदनशीलता, सहयोग, सेवा, समर्पण का भाव अत्यंत ज़रूरी

कोविड-19 की भयंकर त्रासदी से चिकित्सा पेशे से जुड़े खट्टे-मीठे अनुभव से दो-चार हुए कोविड पीड़ितों की दासतां का स्वतःसंज्ञान नीति निर्धारकों को लेना ज़रूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक रूप से खासकर भारत में आदि-अनादि काल से ही चिकित्सक पेशे से जुड़े व्यक्तियों को खासकर डॉक्टरों को एक भगवान ईश्वर अल्लाह का दर्जा दिया हुआ है। हमारे बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि उनके जमाने में और सैकड़ों वर्षो पूर्व डॉक्टरों को वैद्य के रूप में जाना जाता था। उस समय भी हम उन्हें ईश्वर अल्लाह ही दर्जा देते थे। क्योंकि उनमें समर्पण का भाव, नैतिकता, संवेदनशीलता, सहयोग और सेवा का भाव कूट-कूट कर भरा रहता था। उस समय पैसों की इतनी अहमियत नहीं थीं, जितनी सेवा, सहयोग, समर्पण का भाव था। साथियों बात अगर हम वर्तमान चिकित्सा पेशे से जुड़े डॉक्टरों सहित हर व्यक्ति जिनमें हम फार्मा को भी शामिल कर सकते हैं की करें तो हम सब ने टीवी चैनलों, प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा दिखाए कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर देखें कि किस तरह का माहौल था। बीते डेढ़ वर्ष में मैंने स्वयं भी कोविड संबंधी अनेक ग्राउंड रिपोर्टिंग देखी और अपने सिटी में कुछ ग्राउंड रिपोर्टिंग स्थलों पर भी गया और पाया था कि बुजुर्गों द्वारा बताए गए ईश्वर अल्लाह के दर्जे से अपेक्षाकृत कहीं ना कहीं थोड़ा अलग रास्ता दिखाई दिया!! हालांकि इस स्थिति, परिस्थिति में कोविड पीड़ितों, मरीजों के रिश्तेदारों का भी रवैया कहीं ना कहीं परिस्थितिवश दिखा पर हम पूर्ण रूप से दोनों पक्षों को एकदम सही नहीं दर्शा पाए!! जिसमें अपेक्षाकृत अधिक ज़वाबदारी चिकित्सक पेशे से जुड़े फार्मा सहित पूरे समुदाय की बनती है जिसे हमें उन परिस्थितियों से सबक सीख कर उसका स्वतःसंज्ञान लेकर अपेक्षाकृत सेवा, सहनशीलता, संवेदनशीलता, समर्पण व नैतिकता का अधिकतम भाव लाने की ज़रूरत है। साथियों बात अगर हम चिकित्सा क्षेत्र के पेशे में सरकारी और निजी लेवल पर करें तो हमें उस त्रासदी दरमियान दोनों लेवल पर साफ फर्क देखने को मिला। साथियों मैंने देखा एक क्षेत्र में अपेक्षाकृत पैसों के वजन का भाव अधिक था अनेक टीवी चैनलों पर भी इस विषय पर अनेक ग्राउंड रिपोर्टिंग दिखाई गई। लेकिन समय का चक्र चलता गया!! और कई जानें बचाई गई तो कई जानें चली गई परंतु हमें इस त्रासदी से भाव सीखने का मौका नहीं छोड़ना चाहिए। चिकित्सक नीति निर्धारको द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर त्रासदी पीड़ितों से उनके खट्टे-मीठे अनुभव के डाटा कलेक्शन कर आगे की सकारात्मक राह बनाने में उपयोग करना ज़रूरी है ताकि चिकित्सा क्षेत्र में नैतिकता, सवेंदनशीलता, सहयोग सेवा, समर्पण का भाव कूट-कूट कर भरने ज़वाबदारी, जवाबदेही तय करने की नीतियां बनाई जा सके। साथियों बात अगर हम माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा दिनांक 17 नवंबर 2021 को एक प्राइवेट लिमिटेड चिकित्सालय का उद्घाटन करने पर संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी इस अवसर पर चिकित्सा क्षेत्र में नैतिक व्यवहार का पालन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि कुछ गलत लोगों के कारण इस नेक पेशे का नाम खराब होता है। उन्‍होंने रोगियों को अनावश्यक जांच की सलाह देने से बचने का आह्वान किया। कोविड-19 वैश्विक महामारी के बारे में बात करते हुए उन्होंने फ्रंटलाइन कोविड वॉरियर की कड़ी मेहनत, समर्पण और बलिदान के लिए प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक महामारी ने हमें कई कठिन सबक सिखाए हैं जिसमें हमारे घरों एवं कार्यालयों में वेंटिलेशन का महत्व और हमारी प्रतिरक्षा को बेहतर करने वाले पारंपरिक स्वस्थ आहार अपनाने की आवश्यकता आदि शामिल हैं। रिकॉर्ड समय में कोविड टीका तैयार करने के लिए हमारे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की सराहना करते हुए उन्होंने सभी से आगे बढकर टीका लगवाने का आग्रह किया। उन्होंने लोगों को सलाह दी कि वे अपने बचाव में लापरवाही न करें और कोविड संबंधी उचित व्यवहार का पालन करें। उन्होंने भारतमें गैर-संक्रामक रोगों के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए युवाओं को स्वस्थ एवं अनुशासित जीवन शैली अपनाने की सलाह दी। उन्होंने उनसे कहा कि गलत आदतों और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक आहार से बचने और नियमित योगाभ्‍यास अथवा साइक्लिंग जैसी शारीरिक गतिविधियां शुरू करें। उन्होंने आज सभी के लिए सस्ती एवं सुलभ स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्‍होंने आधुनिक मल्‍टी - स्‍पेशिएलिटी अस्पतालों को भी ग्रामीण क्षेत्रों में सैटेलाइट सेंटर शुरू करने का सुझाव दिया। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि चिकित्सा पेशे से जुड़े हर व्यक्ति में नैतिकता संवेदनशीलता, सहयोग, सेवा, समर्पण का भाव होना अत्यंत ज़रूरी है तथा कोविड-19 की भयंकर त्रासदी ने चिकित्सा पेशे से जुड़े खट्टे-मीठे अनुभवों से दो-चार हुए कोविड पीड़ितों की दासतां का स्वतः संज्ञान चिकित्सा नीति निर्धारकों को लेना ज़रूरी है। 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

Thursday, November 4, 2021

तुम एक दीपक जलाये रखना

दीपो का उत्सव तो आता जाता रहेगा।

तुम एक दीपक सदा जलाये रखना।
प्रेम का दीपक कभी बुझने मत देना
विश्वास की लो सदा प्रज्वलित रखना।

जीवन मे उतार चढ़ाव आते जाते रहेंगे
होली के रंगों को जीवन मे भरे रखना।
कितना भी मुखालिफ हो वक़्त तुम्हारा
 धाराओं के विपरीत तैरने का हौसला रखना।
तुम एक दीपक सदा जलाये रखना.....

पग पग पे लोग काटे भी बिछाएंगे
अपना बन तेरे दिल को भी दुखायंगे
वो बार बार तोडेंगे तेरे हौसले को
ऐसे लोगो को नज़रो से गिराये रखना।
तुम एक दीपक सदा जलाये रखना.....

जीवन है चलने का नाम , चलते रहना
हर सुबह उम्मीदों का सूरज उगाए रखना
तेरे कर्म ही तेरी परछाई है ये जान लो
अपनी बगिया में  प्यारे फूल लगाए रखना।
तुम एक दीपक सदा जलाये रखना.....

कमल राठौर साहिल 
शिवपुर , मध्य प्रदेश

**मेरी भारत माता**

   मेरी भारत माता,

तुम हो वीरों की गाथा,
तुम को सत सत नमन,
तुम को शत शत वंदन,
    मेरी भारत माता,
तुम हो हम सब की माता,
तेरे चरणों में शीश झुकाता,
  तुम को शत शत वंदन,
     मेरी भारत माता,
   तुमसे है मेरा नाता,
 तुमको शत-शत नमन,
 तुमको शत-शत वंदन,
 तु महान है मां, 
 देश की रक्षा के लिए,
 कई वीर जवानों ने,
 अपने प्राण दिए मां,
  उन शहीदों को भी,
    शत शत नमन,
   मेरी भारत माता,
 तुमको शत-शत वंदन!

        प्रस्तुति
     कृष्णा चौहान

Friday, October 29, 2021

**दीपावली**

दीपावली का त्यौहार आया      

   खुशियों का बहार लाया 
अपनों का साथ और प्यार लाया
  सुख समृद्धि का बहार लाया
दीपावली का त्यौहार आया
हर चेहरे पर मुस्कान लाया
घर आंगन को दीपों से सजाया
दीए जलाकर रोशनी फैलाया
दीपावली का त्यौहार आया
मिठाई,पटाखों से 
हर्षोल्लास के साथ
दीपावली पर्व मनाया
दीपावली का त्यौहार आया

         प्रस्तुति 
     कृष्णा चौहान
  अमेरी,तह.-बरमकेला

# दावत #

हमारे गाँव में एक बुड्ढे थे जिनका नाम बनी सिंह था ।जब मैंने उन्हें पहली बार देखा तब में सिर्फ दस साल का हूँगा ।

लोग उनकें बारे में बहुत भला बुरा कहते थे और वास्तव में वे थे भी बहुत बूरे ।उनके बारे में एक बात तो प्रचलित थीं कि जब उनका परिवार साजे में रहता था तो वही अपने सभी भाईयों में मुखिया थे और उनके भाई उनपर आंख बंद कर के विश्वास करते थे ।एक दिन सभी भाईयों ने मिलकर छ बिघा जमीन खरीदी और बेनामा कराने सभी भाईयों ने बनीं सिंह जो मुखिया थे उन्हें तहसील भेज दिया और कोई भी भाई उनके साथ नहीं गया|बनी सिंह ने बिना किसी को बताए तीन बिघा जमीन अपने नाम करा ली और घर आकर कह दिया कि मैं पिता जी के नाम बेनामा करा आया ।सभी ने कहा चलो अच्छा है, आखिर छ बिघा जमीन खरीद ली चलो बच्चों के काम आएगी|दिन धीरे धीरे बितते चले गए।ये तीन भाई थे|एक दिन बीच वाला जिसका नाम राज सिंह था कही गया और फिर कभी लौटकर नहीं आया।उसके तीन लडके और दो लडकियाँ थी।एक लड़का पन्द्रहा साल जिसका नाम मुकेश था, दूसरा धर्मेश जो बारहा साल और तीसरा टिन्नू जो लगभग दस साल का था और दोनों लडकियाँ लता और रेखा और भी छोटी थी। अब बच्चे तो सभी लगभग छोटे ही थे।अब माँ और सबसे छोटे भाई ने कई दिनों तक खोजा और पुलिस में भी कम्पलेन्ट कराई पर कोई सूराक ना मिला जब काफी दिन हो गयें तो माँ और बच्चों ने भी सब्र कर लिया अब गाँव कि औरतें भी मुंह पर ही कहने लगीं कि जिन्दा होता तो आ जाता अब ये चूडियाँ तोड़ डाल, मंगलसूत्र उतार फेक और सिन्दूर मिटा दें पर पत्नी को ऐसा कभी नहीं लगा कि उसका पती नहीं रहा उसकों तो हमेशा यही लगा कि कहीं गया है आ जाएगा।पर बाहर की औरतों के ताने सुन सुन कर वो भी परेशान थी।उसे भी उनकी बातों पर विश्वास होने लगा कि उसका पति शायद कभी ना आए और वो विधवा कि जिंदगी जीने को तैयार हो गई।अब जैसे ही वह अपनीअपनी माथे कि बिंदिया हटाने चली तभी बडे़ लडके ने उसे रोक दिया और उसका जवाब सुनकर किसी कि कुछ कहने कि हिम्मत ना हुई और जो औरतें वहाँ थी वो भी चुप ही वहाँ से चली गई।उस दिन के बाद उसकी माँ ने कभी भी अपने माथे कि बिंदिया, मांग का सिन्दूर हटाने की बात नहीं कि।बड़े लडके मुकेश ने कहा, पापा ही तो यहाँ नहीं है, मैं और तेरे दोनों छोटे बेटे तो है, तू हमारे ऊपर सुहागन रहेगी, सिन्दूर लगाएगी, मंगल सूत्र पहनेगी और बिंदिया लगाएगी।कुछ दिनों बाद बनीं सिंह का सबसे छोटा भाई जयपाल भीअपनी टयूबेल पर सिंचाई करते समय बिजली से करंट लग जाने के कारण मर गया और उसने भी दो छोटे छोटे बच्चे छोडे ।अब बस सारे बच्चों के ताऊ बनी सिंह ही बचे और बनी सिंह के केवल एक लड़का शिवकुमार था। धीरे धीरे सभी बच्चे बडे़ हो गयें , लगभग सभी पच्चीस साल के आस पास हो चुकें थे और बनी सिंह बिल्कुल बुड्ढे, अब बटवारे का समय आया क्योंकि सभी भाईयों के बच्चों को उनके हिस्से की जमीन मिलनी थी|सभी खेतों का बटबारा हुआ।उस छ बिघा जमीन का भी होना था, अब बनी सिंह बोले इस छ बिघा जमीन में से उस समय तीन बिघा तो मैने अलग ली थी।ये मेरेे नाम पर है और शेष तीन बिघा में से हम सभी बांट लेते हैं।मुकेश जो उस समय सबसे बड़ा था उसे कुछ कुछ याद था कि छ बिघा जमीन साजे में ली गई थी, उसने ये कहा भी पर बनीं सिंह ने कहा तुम छोटे थे तुम्हें कुछ नहीं पता और उसकी बात दबा दी। शिवकुमार को भी सब सच्चाई पता थी पर लालच में उसने कुछ नहीं बताया और बनीं सिंह ने तीन बिघा जमीन कि बेईमानी कर ली, साजे में बनी सिंह ने अपना घर भी बनाया था वो भी ये कहकर ले लिया कि ये मैंने अपने पैसों से बनाया था इसलिए ये भी मेरा है अब बस बनी सिंह के दोनों भाईयों के बच्चों को थोड़ी सी जमीन मिली बाकी कुछ नहीं।बिना बाप के बच्चे अपनी अपनी जमीन पर झोपड़ी डालकर रहने लगे और उसी जमीन पर खेती करने लगे।बनी सिंह को गाँव के सभी लोग बेईमान कहने लगे और बनी सिंह था भी बेईमान। बनी सिंह अब बिल्कुल बुडढा हो गया था।बनी सिंह कि एक आदत और भी थी कि पूरे गाँव में कोई भी खुशी होने पर बनी सिंह के घर में दुख मनाया जाता था क्योंकि उसे सब कि खुशी से जलन होती थी।बनी सिंह कि इज्जत इतनी खराब हो चुकी थी कि लोग कहते थे, हे भगवान इसे उठा ले। पर वह भी मरने वाला नहीं था नव्वे साल पार करकर भी नहीं मरा लोगों कि वदुआ का भी उस कोई असर नहीं।अब गाँव के बच्चे और बड़े उसके मुह पर ये कहने लगे कि बाबा अपने मरने कि दावत जल्दी कराओ, बहुत दिनों से दावत नहीं खाई।बनी सिंह उनपर चिल्लाता और गालियाँ देता पर वे भी रोज बनी सिंह से उसके मरने कि दावत मांगते।बनी सिंह ने अपनी जवानी के दिनों में एक जमीन बीस हजार में अपनी ससुराल में खरीदी थी जो अब उसपर सरकारी फैक्ट्री बनने के कारण सरकार ने एक करोड़ में खरीद ली और बनी सिंह को बुढ़ापे में एक करोड़ मिल गयें।अब बनी सिंह ने सोचा कि मेरी एक लड़की जो गरीब घर में है और उसका पति शराबी हैं तो पचास लाख रुपये में उसे दे देता हूँ वो भी अमीर हो जाएगी और खुशी से रहने लगेगी बाकी तो शिवकुमार के है ही।उसने यह बात शिवकुमार को बताई, उसे यह बात पसंद न आई।वह सारा पैसा हडपना चाहता था इसलिए उसने एक योजना बनाई।बनी सिंह बुडढा तो था ही इसलिए उसे दिखाई भी कम देता था, शिवकुमार ने बनी सिंह कि चैक बुक से चैक लेकर एक करोड़ रुपये भरे और बनी सिंह से झूठ बोलकर उस पर हस्ताक्षर करा लिए और अपने खाते में चैक लगाकर सारा धन अपने खाते में डाल दिया। कुछ दिनों बाद बनी सिंह अपने पौते को लेकर जो लगभग सोलह साल का था बैंक गया और पचास लाख खाते से निकालने के लिए बैक मेनेजर से बात कि तब बैंक मैनेजर ने बताया कि आपके खाते में तो एक भी पैसा नहीं है, कुछ दिनों पहले आपके दिए चैक के आधार पर हमने एक करोड़ रुपये शिवकुमार नाम के खाते में भेज दिए।इतना सुनते ही बनी सिंह को सब समझ आ गया और तुरंत ही दिल का दौरा पड गया|बनी सिंह को अस्पताल में भर्ती करवा गया।उसके दौरे के बारे में सुनते ही गाँव में खुशी की लहर आ गई परन्तु अभी किसी को बनी सिंह की दावत मिलने वाली नहीं थी।वह बच गया और घर आ गया परन्तु अब उसने खाट पकड़ ली क्योंकि उसे अपने ही लडके की बेईमानी से गहरा सदमा पहुँचा और तब उसे समझ आया कि जैसी करनी बैसी भरनी।अब वह स्वयं भी अपने मरने कि दुआ मांगने लगा पर भगवान भी उसे बुलाना नहीं चाहते थे।वह भी उसे खाट में गला गला कर उसके किए कि सजा दे रहे थे।लोग अभी भी उससे कहते कि तुम तो बहुत बेशर्म हो दिल के दोरे से भी नही मरे, अरे अब तो मरने कि दावत दो।बनी सिंह को रोज यही ताने सुनने पडते और तो और उसके बहु बेटे भी उसके मुह पर कहते अब तो मर जा बुड्ढे, हम कब तक तुझे खाट पर खाने को दे।लोग रोज उसके पौते से कहते, अरे जल्दी घर जा तेरे बाबा मर गए और वो घर जाता तो बाबा को जिंदा पाता।इसी प्रकार कि मजाक लोग रोज करते|एक दिन पौता खेतों में काम कर रहा था और भी लोग आस पास अपने खेत में काम कर रहे थे, तभी एक आदमी उसके पास आया और बोला तेरे बाबा मर गए जल्दी घर जा|उसके उसकी बात पर कोई ध्यान नही दिया और काम करता रहा, आदमी ने कहा, सच में तेरे बाबा मर गए, में मजाक नही कर रहा, अभी गाँव से फोन आया है मेरे पास, तू घर जा।उसे विशवास न था उसे बस मजाक लग रहा था, पर आदमी के बहुत समझाने पर वह घर जाने को तैयार हो गया, पर उसे अभी भी मजाक लग रहा था, पर जब वह घर पहुंचा उसके बाबा सच में मर चुकें थे और इस तरह गांव के लोगों को बनी सिंह के मरने कि दावत नसीब हुई

नितिन राघव
सलगवां बुलन्दशहर
उत्तर प्रदेश

नए आविष्कारों और नवाचार परिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने उद्योग, विश्वविद्यालयों और सरकार को सार्वजनिक निजी भागीदारी में एक साथ काम करना ज़रूरी

भारत को तात्कालिक आत्मनिर्भर बनाने अनेकता में एकता, एक और एक ग्यारह कहावतें धरातल पर उतारने उद्योग, विश्वविद्यालयों और सरकार में सार्वजनिक निजी भागीदारी ज़रूरी - एड किशन भावनानी

गोंदिया - भारत में वर्तमान समय में कोविड महामारी के मौजूद रहने के बीच अति सावधानी, प्रोटोकाल का पालन करते हुए और ज़ज़बे जांबाज़ी के साथ दीपावली का पर्व मनाने की तैयारियां, खरेदी, बाजारों ने भीड़ भाड़ देखने को मिल रही है, जिसके लिए भारतीय नागरिक पिछले साल से तरस रहे थे। इस माहौल के बीच आत्मनिर्भर भारत बनाने की भी बार-बार हर मौके पर गूंज होती है। हमारे माननीय पीएम महोदय भी करीब-करीब हर संबोधन में वोकल फॉर लोकल के लिए अपील करते हुए देखे गए हैं। आत्मनिर्भर भारत हो भी क्यों ना!!! यह हमारे हर भारतीय के लिए एक गर्व, सीना चौड़ा करने वाली बात है !!! परंतु साथियों इसको कामयाब बनाने के लिए, भारत में प्रचलित कहावतें है, अनेकता में एकता, एक और एक ग्यारह को वास्तविक धरातल पर लाकर क्रियान्वयन करना होगा!! साथियों बाद अगर हम, एक और एक ग्यारह, कहावत की करें तो हम इसमें उद्योग, विश्वविद्यालयों और सरकार को शामिल कर तीनों की ताकत को एक कर उनसे उत्पन्न नए अविष्कारों और नवाचार परिस्थितिकी तंत्र को विकसित और मजबूत करके वैश्विक बाजार पर अपनी मजबूत छाप छोड़ सकते हैं। क्योंकि भारतीयों की बुद्धि कौशलता तो पहले से ही जग प्रसिद्ध, विश्व प्रसिद्ध है!! बस!! ज़रूरत है इन तीनों क्षेत्रों की बुद्धि कौशलता को एक मंच पर आने की!! याने उद्योग, विश्वविद्यालयों और सरकार की सार्वजनिक, निजी भागीदारी से हर क्षेत्र में एक साथ काम करना जिसमें तीनों हितधारकों की ज्ञान सुज़न, अविष्कार और नवाचार के माध्यम से देश में सामाजिक, आर्थिक विकास को गति देने और प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निहत है। साथियों बात अगर हम इस मुद्दे को समझने की करें तो हमें दो-तीन दशक पीछे जाएं तो घरेलू गैस, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनल, पथ और हवाई परिवहन, बैंकिंग क्षेत्र,शिक्षा क्षेत्र इत्यादि सहितअनेक क्षेत्र सरकारी नियंत्रण में थे!! और हम आज की स्थिति देखें तो सार्वजनिक, निजी भागीदारी में इनकी सेवा की क्वालिटी और प्रौद्योगिकी विस्तार तकनीकी में रात और दिन का फ़रक नजर आता है!! कंपटीशन बढ़ी है जिससे फ़ायदा जनता को काफी हद तक मिला है !! साथियों बात अगर हम वर्तमान डिजिटलाइजेशन युग करें तो हम तेज़ी से आत्मनिर्भर भारत, एक नए भारत को की ओर बढ़ रहे हैं जिसमें इन ज्ञान सृजन, अविष्कार और नवाचारका अति तात्कालिक महत्व है, जिसे तालमेल से साकार कर नई दिशा देना तीनों महाशक्तियों को मिलकर देना है। साथियों बात अगर हम दिनांक 27 अक्टूबर 2021 को केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पीएम कार्यालय राज्य मंत्री के एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी की विज्ञप्ति के अनुसार उन्होंने भी इस मुद्दे पर,आज यहां कहा है कि वैज्ञानिक नवाचार में शिक्षा क्षेत्र (अकादमिक) और उद्योग को आवश्यक हितधारक बनाने के लिए एक संस्थागत तंत्र विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नवाचार के तिहरे कुंडली प्रतिदर्श अर्थात ट्रिपल हेलिक्स मॉडल यानी उद्योग,विश्वविद्यालयों और सरकार में तीनों हितधारकों की ज्ञान सृजन, आविष्कार और नवाचार के माध्यम से देश में सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निहित  है। उन्होंने कहाकि एक मज़बूत आईपी पोर्टफोलियो के साथ वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) सबसे बड़ा सरकारी वित्त पोषित संगठन होने के नाते  विश्वविद्यालयों में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत कर सकता है और इस साझेदारी से न केवल विश्वविद्यालयों और सीएसआईआर को लाभ होगा बल्कि इससे प्रेरित होकर उद्योग नए आविष्कारों और नवाचारों को लाकर विकास को भी गति दे सकेंगे। उन्होंने सीएसआईआर से इनोवेशन पार्क जैसे जुड़ाव के उपयुक्त मॉडल लाने का आह्वान किया,जहां एक ओर यह विश्वविद्यालयों और राष्ट्रीय संस्थानों के उत्कृष्ट मौलिक अनुसंधान का लाभ उठाएगा वहीं, दूसरी ओर  यह प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक प्रयोगों और प्रसार में उद्योगों को मजबूत करेगा। उन्होंने आगे कहा कि इससे अंतः विषयी  और परस्पर अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा मिलेगा  जिससे अंततोगत्वा नवाचार के अनुपात को प्रोत्साहन भी मिलेगा उन्होंने कहा, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के नेतृत्व में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसन्धान परिषद (सीएसआईआर) के पुन: स्थापन की रिपोर्ट को सार्वजनिक निजी भागीदारियों (पीपीपीज) और नवाचार पार्क तैयार करने के संदर्भ के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे विश्वविद्यालयों सीएसआईआर और उद्योग को एक साथ साझेदारी करने की अनुमति  मिलती है। साथ ही इससे भारत को दुनिया में एक अग्रणी वैज्ञानिक शक्ति बनाने के लिए अगले 25 वर्षों में देश के सतत विकास के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकियों को लचीलेपन और चपलता के साथ आगे उपयोग की उस समय अनुमति मिलती है जब देश  स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे कर रहा  हो। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करेंगे तो हम पाएंगे कि नए अविष्कारों और नवाचार परिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने, उद्योग, विश्वविद्यालयों और सरकार को सार्वजनिक, निजी भागीदारी में एक साथ काम करना ज़रूरी है तथा भारत को तात्कालिक आत्मनिर्भर देश बनाने अनेकता में एकता, एक और एक ग्यारह कहावतें धरातल पर उतारने के लिए उद्योग, विश्वविद्यालयों और सरकारों में सार्वजनिक निजी भागीदारी अत्यंत ज़रूरी हैं। 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

Saturday, October 23, 2021

तेज़ी से फ़लफूल रहा झोलाझाप डॉक्टर का गोरख धंधा


अलीगंज/एटा। आज हमारे देश प्रदेश में झोलाछाप डॉक्टरों की बाढ़ सी आ गयी है ऐसे में एथिकल व अच्छे डॉक्टरों को स्वास्थ्य सेवा देने का मौका ही नही मिल पा रहा है। ऐसा ही एक मामला थाना क्षेत्र के अंर्तगत देखने को मिला है जहां एक झोलाछाप डॉक्टर अबैध व मानक विहीन क्लीनिक बनाकर अपना गोरख धंधा बहुत ही तेजी से चला रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के  मुताबिक़ थाना क्षेत्र के मोहल्ला गही अलीगंज कस्बा में एल एस मेमोरियल क्लीनिक के नाम से मानक विहीन व अबैध रूप से एक क्लीनिक चलाया जा रहा है जहां पर क्लीनिक के मालिक झोलाछाप डॉ मानवेन्द्र सिंह का दावा है कि हर मरीज की पुरानी से पुरानी बीमारी की दवा गारंटी से दी जाती है और ऑनलाइन भी मरीज ठीक किये जाते हैं। सही मायने में देखें तो भोले भाले गरीब लोगों की जेब काटी जाती है। आपको बता दें इस क्लीनिक के मालिक झोलाछाप डॉ मानवेन्द्र सिंह बहुत ही शातिर व चालाक किस्म का व्यक्ति हैं जो कि स्वास्थ्य विभाग को चकमा दे मानक विहीन अबैध रूप से पूरा क्लीनिक बनाकर सरकार व स्वास्थ्य विभाग की आंखों में धूल झोंक रहा है और गरीब जनता को इस महामारी में दौर में लूट व पेट काट रहा है। अब देखना यह है कि उस झोलाछाप डॉक्टर व मानक विहीन क्लीनिक पर क्या जिला प्रशासन का डंडा चलता है की नही? वही लोगों का कहना है कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टर राज्य, प्रशासन व समाज के साथ धोखाधड़ी करते हुए बिना चिकित्सीय योग्यता व मानक विहीन अवैध रूप से क्लीनिक खोलकर चिकित्सा व्यवस्था को चला रहे हैं ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों पर तत्काल प्रभाव से कार्यवाही होनी चाहिए।

तेज़ी से फ़लफूल रहा झोलाझाप डॉक्टर का गोरख धंधा

अलीगंज/एटा। आज हमारे देश प्रदेश में झोलाछाप डॉक्टरों की बाढ़ सी आ गयी है ऐसे में एथिकल व अच्छे डॉक्टरों को स्वास्थ्य सेवा देने का मौका ही नही मिल पा रहा है। ऐसा ही एक मामला थाना क्षेत्र के अंर्तगत देखने को मिला है जहां एक झोलाछाप डॉक्टर अबैध व मानक विहीन क्लीनिक बनाकर अपना गोरख धंधा बहुत ही तेजी से चला रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के  मुताबिक़ थाना क्षेत्र के मोहल्ला गही अलीगंज कस्बा में एल एस मेमोरियल क्लीनिक के नाम से मानक विहीन व अबैध रू


प से एक क्लीनिक चलाया जा रहा है जहां पर क्लीनिक के मालिक झोलाछाप डॉ मानवेन्द्र सिंह का दावा है कि हर मरीज की पुरानी से पुरानी बीमारी की दवा गारंटी से दी जाती है और ऑनलाइन भी मरीज ठीक किये जाते हैं। सही मायने में देखें तो भोले भाले गरीब लोगों की जेब काटी जाती है। आपको बता दें इस क्लीनिक के मालिक झोलाछाप डॉ मानवेन्द्र सिंह बहुत ही शातिर व चालाक किस्म का व्यक्ति हैं जो कि स्वास्थ्य विभाग को चकमा दे मानक विहीन अबैध रूप से पूरा क्लीनिक बनाकर सरकार व स्वास्थ्य विभाग की आंखों में धूल झोंक रहा है और गरीब जनता को इस महामारी में दौर में लूट व पेट काट रहा है। अब देखना यह है कि उस झोलाछाप डॉक्टर व मानक विहीन क्लीनिक पर क्या जिला प्रशासन का डंडा चलता है की नही? वही लोगों का कहना है कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टर राज्य, प्रशासन व समाज के साथ धोखाधड़ी करते हुए बिना चिकित्सीय योग्यता व मानक विहीन अवैध रूप से क्लीनिक खोलकर चिकित्सा व्यवस्था को चला रहे हैं ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों पर तत्काल प्रभाव से कार्यवाही होनी चाहिए।

Sunday, October 3, 2021

केस्को में लंबे समय से एक ही सीट पर डटे हैं अधिकारी

     पत्रकार राकेश डंग          दैनिक समाचार पत्रों में स्थानांतरण नीति को लेकर कई बार प्रकाशित करने के बाद 9 अधिशासी अभियंता इधर से उधर किए गए पर अभी भी कई सहायक अभियंता और अवर अभियंता अभी भी लंबे समय से एक ही सीट पर डटे हैं और कुछ अधिकारी सहायक अभियंता पद पर हैं वह वर्तमान में अधिशासी अभियंता का कार्य दिया है तो क्या केस्को की इसी तरह मनमानी होती रहेगी और स्थान तरण नीत को अनदेखा  किया जा रहा है




Saturday, October 2, 2021

सीएससी केन्द्रों पर मनाया गया महात्मा गांधी जयंती : अवनीश कुमार श्रीवास्तव

ब्यूरो, अयोध्या टाइम्स

महराजगंज। आज 2 अक्टूबर को पूज्य राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम-स्वराज के विजन अन्तर्गत *जल शक्ति मंत्रालय* द्वारा प्रायोजित
 *पानी समिति* के सदस्यों के साथ *प्रधानमंत्री जी* द्वारा लाईव संवाद किया गया। जिसका स्थानीय ग्राम सभा के पानी समिति के सदस्यों 
समेत नागरिकों को आमंत्रित कर उपरोक्त कार्यक्रम का सीधा प्रसारण जिले के सभी कॉमन सर्विस केन्द्रों के माध्यम से किया गया।
  कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के द्वारा आम जनमानस की पानी की समस्याओं को दूर करने के लिए योजनाएं चलाई जाने की बात कही गई जिसमें 
ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी को स्वच्छ बनाने हेतु चर्चा किया गया। प्रधानमंत्री जी द्वारा बताया गया कि अस्वच्छ पानी की वजह से प्रकार
 की बीमारियां फैल रही हैं जिसको दूर करना हम सब का कर्तव्य है। साथ ही प्रधानमंत्री के द्वारा पानी समिति के सदस्यों से भी चर्चा की गई 
एवं ऐसे स्थानीय समाजसेवियों की प्रशंसा की गई जिन्होंने कोरोना महामारी के समय जनता की सहयोग के लिए आगे आए एवं प्रत्येक घर 
में पानी की टोटी लगाने का प्रयास किया।   जिला महराजगंज के जिला प्रबंधक अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में कुल 465 केंद्रों
 पर लाइव टेलीकास्ट का आयोजन किया गया जहां स्थानीय आम जनमानस उपस्थित हो पानी की समस्याओं को दूर करने की संबंधित 
योजनाओं के बारे में सुना और समझा। जिला प्रबंधक द्वारा बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ एवं बरसात की वजह से जल जमाव होने के
 कारण पीने की पानी की समस्या बढ़ती जा रही है जिस को दूर करने का प्रयास हमारे नरेंद्र मोदी जी द्वारा किया जा रहा है एवं जल्द से जल्द
 सभी घरों में पीने के पानी की टोटी लगाए जाने हेतु प्रयास किया जा रहा है। 

गांधी की शिक्षाएं व सन्देश आज भी प्रासंगिक :- बोहरा

गांधी जयंती पर विद्यालय में हुआ पौधारोपण,  

एक घर एक पौधा अभियान में लगाएं 51 पौधे
बाड़मेर । 02.10.2021। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जन्म शताब्दी एवं सादगी के प्रतीक पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती उपलक्ष में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय सांसियों का तला में शनिवार को प्रधानाध्यापिका गुंजन आचार्य एवं एक घर एक पौधा अभियान के प्रेरक मुकेश बोहरा अमन के नेतृत्व में अभियान के तहत् गांधी ईको वाटिका में अलग-अलग किस्म में 51 पौधे लगाएं गए । तथा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को याद किया गया ।
विद्यालय प्रधानाध्यापिका गुंजन आचार्य ने कहा कि विद्यालय परिसर को हरा-भरा बनाने को लेकर बड़ी तादाद में पेड़-पौधे लगाएं गए है । जिनकी समय-समय पर उचित देखभाल की जा रही है । जिसका परिणाम है कि सांसियों का तला विद्यालय में आज हरियाली खुलकर नजर आ रही है ।
एक घर एक पौधा अभियान के प्रेरक मुकेश बोहरा अमन ने कहा कि महात्मा गांधी की शिक्षाएं व सन्देश आज भी सम्पूर्ण विश्व में पहले से भी अधिक प्रासंगिक साबित हो रहे है । अमन ने कहा कि महात्मा गांधी ने हमेशा सत्य का मार्ग अपनाते हुए जीवन को आगे बढ़ाया । आज हमें गांधी को नए सिरे से पढ़ने और समझने की जरूरत है । गांधी को जानने से अधिक हमें उनके बताएं मार्ग को मानने की जरूरत है ।
इस दौरान शिक्षक डालूराम सेजू, उषा जैन, मिथलेश चौधरी, चन्द्रकला सियाग, रहीम खान खिलजी, अक्षय वड़ेरा, हितेष भंसाली, पिन्टू सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे ।
मुकेश बोहरा अमन
प्रेरक अभियान एक घर एक पौधा